खानदानी निकाह 36

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बेगमो के साथ प्यार मोहब्बत ​
1.2k words
3
102
00

Part 36 of the 67 part series

Updated 01/16/2024
Created 01/21/2022
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

भाग 36

बेगमो के साथ प्यार मोहब्बत ​

मेरा लंड अर्शी के मुँह में था। अर्शी ने अपने नाजुक होंठों को मेरे टोपे पर लगाएl आह! मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था। अर्शी ने थोड़ी देर ही मेरा लंड चूसा था तभी जूनि ने भी अपना मुझ मेरी गेंदों पर लगा दिया और मेरी गेंदे चाट कर चूसने लगी ।

उधर अर्शी मस्ती से लंड चूसे जा रही थीl उसने तो कुछ ही दिनों में जैसे लंड चूसने में महारत हासिल कर ली थी वह मेरे लंड को मस्ती से चूस रही थी और मेरे लंड को अब तक किसी ने ऐसे नहीं चूसा थाl वह जीभ फिर-फिर कर मेरा लंड चूस रही थी और उसकी लंड चूसने की अदा और कला से मुझे बहुत मजा आ रहा थाl

उसने कभी लंड धीरे से चूसा और कभी तेज चूसा और अपने हाथों को मेरी भीतरी जांघों पर सरका दिया। इस बीच जूनि ने मेरी गेंदों को चूसते हुए उन्हें अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया। एक पल के अर्शी ने लिए मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकलने दिया और मेरी गेंदे सहलाते हुए बड़बड़ाते हुए बोली, "मम्म...बड़ी गेंदें...बहुत भारी और बड़ी गेंदे इन्हे हमारे लिए मणि और रस से भरा हुआ?"

मैं केवल एक घुरघुरा और सिर हिला सकता था क्योंकि उन दोनों मेरी गेंदों को निचोड़ा और फिर अर्शी मेरी गेंदे चूसने लगी और जूनि अब मेरा लंड चूसने लगी।

जूनि ने कुछ देर बाद मुझे चूसना बंद कर दिया और मेरे लंड पर अपने हाथ ऊपर नीचे करने लगी । मैंने जूनि को अपने पैरों पर किया और अपने ऊपर खींच लिया। वह फिर से उठी और फुसफुसायी, "तुम बहुत मेहनत कर रहे हो! अब मैं तुम्हारी सवारी करना चाहती हूँ।"

उसने मुझे बिस्तर के खिलाफ पीछे धकेल दिया। मैं अपनी पीठ के बल लेट गया और वह मेरे ऊपर चढ़ गई, मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और लंड को एक झटके में ही पूरा अंदर ले गई। उनकी चूत बिलकुल गीली थी और वह मुझे ऊपर चढ़ कर उछल-उछल कर चोद रही थी और बीच-बीच में मैं भी अपने चूतड़ ऊपर कर के धक्क्का लगा देता था और वह कराह उठती थी। उधर अर्शी मेरे गेंदे चूसे जा रही थी ।

फिर जूनि ऊपर नीचे उछलती रही और उसने मणि छोड़ी और फिर वह नीचे खिसकी, मेरे लंड को उसके रस ने चिकना कर दिया था। फिर वह मुझ पर से उतारी और मेरे ऊपर सीने के बल लेट गई।

"देखा मेरी चूत कितनी गीली है?" देखो, मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुम्हारे लिए गर्म हूँ। "

मैंने अपनी बाँहों को उसके चारों ओर लपेट लिया और उसे चूम लिया।

तभी बिस्तर हिल गया और अचानक नग्न अर्शी उसकी पीठ पर मेरी बगल में लेट गयी और दूसरी तरफ जीनत लेटी हुई थी ज़ीनत के हाथ अर्शी की जांघों के बीच थे। वह अर्शी मेरी बग़ल में तब तक हिलती रही जब तक उसका सिर मेरे बगल में नहीं आ गया और बायीं कावट हो गयी और उसने फुसफुसाते हुए कहा, "ज़ीनत आपा कह रही थी कि रुखसार के साथ आपको बहुत मजा आया है। मैंने रुखसार की ओर देखा, वह अभी भी गहरे सांस ले रही थी, जूनी ने कहा, उसकी चिंता मत करो। वह ठीक है।"

"क्या वह आप तीनों के साथ शामिल नहीं होगी?"

"नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता।" अर्शी एक पल के लिए रुक गयी जैसे कि कुछ तय करने की कोशिश कर रहा हो। फिर उसने जारी रखा, "मुझे लगता है कि आज वह अकेली ही चुदेगी। यह उसकी सुहागरात है।"

मैंने एक गहरी सांस ली और जूनि को नीचे उतार कर लिटा दिया और अर्शी को उसकी पीठ पर लिटा दिया। मैं खड़ा हुआ और बिना बताए अर्शी की चुत में लंड डाल दियाl

अर्शी भी लंड के अहसास से मस्त हो गई और लंड लेने में कमर उठा कर सहयोग करने लगीl उसकी कराहें मेरा जोश बढ़ा रही थींl

उधर जूनि मेरे अंडकोष चूसने लगीl ताबड़तोड़ चुदाई होने लगीl अर्शी अपनी पूरी टांगें हवा में उठा आकर मेरे लंड का मजा ले रही थीl

मैंने अर्शी की जाँघों के बीच घुटने टेके, उसके स्तनों को निचोड़ा और उसके निपल्स को चूसने लगा।

मैंने अपने घुटनों पर बैठ कर जीनत के होठों पर चूमा। फिर मैंने उसकी गर्दन से एक निप्पल तक और फिर दूसरे को चूमा। मैंने उसकी छाती और पेट के बीच से उसकी चूत तक उसे चूमना जारी रखा।

मैंने उसकी चूत की फिसलन भरी सिलवटों को चाटा और अपनी जीभ से उसकी चूत की जाँच की। जब मैंने अपनी जीभ को उसके अंदर धकेला, तो उसने एक गहरी सांस ली और क्षण भर के लिए मेरे सिर को अपनी जाँघों के बीच दबा लिया। मैंने उसके क्लिट को अपने होठों से चूसा और अपनी जीभ से उसे थपथपाया। और देर किये बिना और उसकी गर्म चुत पर जीभ फेरना चालू कर दियाl वह मस्ती से गांड हिलाते हुए अपनी चूत चटवाने लगी। मैंने भी बहुत जोर-जोर से जीभ से चाट-चाट कर और उंगली डाल-डाल कर उसकी चुत का पानी निकाल दियाl वह झड़ गई तो मैं उसकी चुत का मीठा पानी पूरा पी गया।

ये बिलकुल ऐसा था जैसे तीखा कहने के बाद मीठा बहुत अच्छा लगता है वैसे ही ये ज़ीनत का ये मीठे जैसा रस भी रुखसार की तीखी चुदाई के बाद बहुत सुहाना और मजेदार लगा ।

ज़ीनत अपने शरीर को थोड़ा मोड़ती नजर आईं। मैंने नज़र उठाकर देखा कि वह क्या कर रही है। अब अर्शी के एक स्तन पर उसकी पकड़ थी और वह उसके दूसरे निप्पल को चूस रही थी। ज़ीनत थोड़ा और मुड़ गयी ताकि वह दूसरे निप्पल तक पहुँच सके।

अगले कुछ मिनटों के लिए, मैंने ज़ीनत की क्लिट को चूसा जबकि अर्शी ने जूनि के निपल्स को चूसा। अंत में, ज़ीनत ने मेरे कानों को थपथपाया और कहा, "चलो। अब मुझे चौदो।"

ज़ीनत ने अर्शी के स्तन चूसे। मैंने जीनत पर चढ़कर अपना लंड उस में डाल दिया। उसने अपने घुटनों को ऊपर उठाया और चौड़ा फैला दिया मैंने लंड और गेंदों तक ज़ीनत में घुसा दिया और उस पर लेट गया।

" उसने मुझे गले लगाया और चूमा। फिर वह मुड़ी और अर्शी के कान में फुसफुसायी। अर्शी ने ज़ोर से सिर हिलाया और अपने पेट पर लुढ़क गई। जूनी ने मुझे घुमाया और मेरा लंड खींच कर रुखसार की चुत के होठों पर रख दिया और मैंने उसे एक तेज़ झटके में घुसा दिया।

ज़ीनत मेरी ओर मुड़ी और मुझे किस किया। "अगली बार, हम धीमी गति से करेंगे और अब तुम रुखसार के साथ सारी रात प्यार करो। लेकिन आज रात, रुखसार के साथ मजे करो।"

मैं काफी समय से विस्फोट के कगार पर था, इसलिए इसे ज्यादा समझाने की जरूरत नहीं पड़ी। मैंने रुखसार को कंधों से पकड़ लिया और तेज गाड़ी चलाने लगा। उसके प्राकृतिक स्तन प्रत्येक स्ट्रोक के साथ उसकी छाती के ऊपर और नीचे तैरने लगे और अर्शी ने मेरे होठों को चूमा और दूसरी तरफ जूनी ने मेरे निप्पल और शरीर को चाटा और जीनत रुखसार के ओंठो चूचियों को चूमने लगी और बहुत जल्द मैंने रुखसार में अपनी मणि का एक बड़ा भार डाल दिया।

मैंने अपनी गेंदों को रुखसार की गांड के खिलाफ दबाया और मेरा लंड उसके अंदर धड़कता रहा और पिचकारियाँ मारता रहा । हरेक धक्के के साथ उसके अंदर थोड़ा और वीर्य डाला। रुखसार का शरीर एकदम अकड़ा और उसने ज़ीनत का मुंह अपने ओंठो में जकड़ लिया और वो ज़ोर ज़ोर से काम्पने लगी और चूसते हुए झड़ने लगी ।फिर मैंने उसके होठों पर किस किया और उसके ऊपर ही लेट गया।

कहानी जारी रहेगी

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