मेरी सुहाग रात Ch. 03

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अपने पति के साथ एक नव वधु की तीसरी सुहाग रात की अनुभव...
2.9k words
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Part 2 of the 2 part series

Updated 06/11/2023
Created 04/05/2022
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मेरा सुहाग रात - 3

हेमा नंदिनी                                                                                    

तीसरी रात

अपने पति के साथ एक नव वधु की तीसरी सुहाग रात की अनुभव...

पिछले दो रातों की तरह ही आज रात भी हमारा कमरा सजा हुआ था, लेकिन उतना फूं, फ़ाँ नहीं जितना पिछले दो रातों में थी। मैं कमरे में बैठ कर उनके आने की इंतज़ार कर रही थी। पिछले दो रातों की घटनाएं मेरे मस्तिष्क में घूमने लगे। मेरे पति मनोहर बहुत ही अच्छे हैं। हंसमुख चेहरा, मादक मुस्कुराहाट, बहुत ही ओपन हार्ट वाले है। और साथ ही साथ बेड में भी खूब मजा लेते है और देते है। उन्हें स्पेसल ड्यूटी (लव गेम को वह स्पेसल ड्यूटी कहते है) पर गंदे बातेँ करने का शौकीन है। में सोच ही रही थी की आज वह क्या करेंगे और मेरे स्तनों में तनावट आगयी और ऐसा महसूस हुआ की वह उभरने लगे है। साथ ही साथ मेरे जांघों की बीच की संकरी दरार में मदन रस रिस रही थी और अंदर; बहुत अंदर खुजली सी होने लगी।

वह अंदर आये और सांकल लगाकर मेरी ओर बढ़ने लगे। मेरे में टेंशन बढ़ी। मैं सर झुकाकर बैठी थी।

"हेमा डार्लिन आज भी लजा रही हो... अरे बाबा हमारा मिलन के दो रातें गुजर गए है.. और तुम अभी भी शरमा रही हो..." मेरी टोढ़ी (chin) पर उंगली रखकर मेरे मुहंको ऊपर उठाये और मेरे आँखोंमें देखते बोले।

मेरा सर और नीचे झुक गया। "अरे कुछ बोलो भी तो.." अब वह आगे झुक कर मेरे गाल को चूमते बोले।

"आप को क्या... आप मर्द हैं.. तो सब चलेगा.. लेकिन औरत को शर्माना ही पड़ेगा..." मैं धीमी आवाज में बोली।

"आज तो कुछ भी होजाये तुम्हारे इस शर्म को दूर करने ही होगा" बोले। मैं वैसे ही खामोश बैठी रही।

"डार्लिंग तुम मुझ पर नाराज तो नहीं हो..?"

"नाराज...? वह क्यों...?" मैं पूछी।

"कल जो मैंने ऐसे कही..."

"क्या कहे...?" मेरे पूछने पर उन्होंने मुझे एक बार देखा और धीरे से बोले... "कल तुमसे मिलन करते समय बहकावे में.. 'ऐसा लग रहा है.. जैसा कुंवरि को..' कहा, और तुम रूठ गयी..."

"तुम्हे मालूम तुमने क्या कहा..?तुम रूठ कर कहने लगी 'तो क्या मैं कुंवारी नहीं हूँ...?' और रूठ कर कपडे पहन ने लगि।"

"ठीक ही तो किया मैंने... क्या सुहाग रात के दिन कोई अपनी पत्नी से ऐसे कहते है क्या...?"

"सॉरी बाबा.. मैंने तो कल ही माफ़ी मांगी है, चलो आज भी माफ़ी मांग लेता हूँ.. लो कान पकड़ लिया" कहते अपने कान पकडे।

"कान पकड़ने की कोई जरूरत नहीं.. मैंतो वह बात कल ही भूल गयी।

"क्या सचमें...?" मैंने हाँ में सर हिलायी।

"तुम नाराज नहीं हो.. यह बात सिद्ध करने के लिए तुम्हे कुछ करना होगा..."

"क्या...?"

"पिछले दो रातों में मैंने पहल किया है.. तो आज तुम पहल करोगी.."

"मैं शर्मसे लाल होती बोली "नहीं.. मुझे लाज अति है.. मैं कुछ नहीं करूंगी।"

"नहीं प्रिये.. आज तो पहल तुम्ही करोगी.. और मुझे खूब मजा दोगी... नहीं तो मैं समझूंगा की तुम अभी भी मुझसे नराज हो..." कहकर वह बेड के दूसरे कोने में जाकर बैठ गए।

मैं कुछ पल खामोश रही और पूछी "क्या मैं कुछ भी कर सकती हूँ...?"

"हाँ कुछ भी करो..."

"आप नाराज तो नहीं होंगे...?"

"नहीं... बिलकुल नहीं.." वह बोले।

"प्रॉमिस" मैंने अपना आहत आगे बढ़ाया तो उन्होने मेरे हाथ में हाथ दालकर प्रॉमिस कर चुके है...

"में अभी आयी..." कह कर में बाहर आयी और बाजू वाले कमरे में घुसी। सुहाग रातें हमारे घर में ही arrange करदी गयी। माँ और मरे दोनों बहनें नीचे के कमरे में है। पापा दो दिन रहे और आज सवेरे ही अपने कंस्ट्रक्शन साइट पर चले गए। पूरा पांच मिनिट बाद में अपना सारा शरीर यहाँ तक की मेरा सर भी साड़ी में छुपकर फिर कमरे में आयी। कमरे में मेरे पति मोहन मेरे इंतजार में एक रॉकिंग चेयर पर बैठे थे।

मुझे देख कर वह मुस्कुराये। जवाब में मैंभी मुस्कुराते उनके समीप पहुंची। वह मुझे अपने आगोश में लेने के लिए हाथ बढ़ाये।

"ठहरिये... आज पहल मुझे करनी है..." मैं कहि और पहले मेरे सर से साडी हटाई। मुझे देखते ही वह शॉक में रह गए। में उन्हें देख कर मुस्कुराते पहले मेरा साडी मेरे कंधे से निकाली। पल्लू को गिरने देकर में उन्हें tease करते मेरी साडी के फ्रिल्स पर हाथ राखी। मैंने देख की उनके आँखों में टेंशन के साथ जिग्नासा भी थी। मैं अपनी फ्रिल्स खींची, और जैसे ही मेने फ्रिल्स खींची मुझे देखते ही "ओह! हेमा... ओह मैं गॉड.. यू आर सो क्यूट... ओह मैं गॉड..." कहते मेरे ऊपर लपक ने की कोशिश करे।

"नहीं डियर आज सब कुछ मैं ही करूंगी.. आप देखते रहिये..." मैं उनसे बचते बोली। वह दमसे फिर से कुर्सी पर बैठे। उनका चकित होने ला कारण था की मैं स्कर्ट और ब्लाउज में थी। वह भी स्कूल युनिफोर्म। वह यूनिफॉर्म जब मैं X क्लास की छात्र थी तबकी है। स्कर्ट मेरे जांघों के बहुत ऊपर तक आचुकी है, और ब्लाउज इतना टाइट होगया की हुक और हुक के बीच एक बडासा गैप बनकर अंदर की ब्रा की झलक दिख रही है। मैं आगे झुकी तो पीछे पैंटी के अंदर के मेरे नितम्ब और पीछे झुकी तो मेरी उभरी बुर की झलक दिखती है।

मैं एक अदा से अपने हाथ उठाके उनके सामने गोल घूमी और पूछी.. मैं "डियर.. कैसी है मेरी पोशाक ..?" मैं पूछी।

"डार्लिंग यू आर किलिंग..." कहे और पजामे के ऊपर से ही अपना औज़ार को सहलाने लगे।

"क्या हुआ मेरे पति महाशय... वहां कुछ हो रहा है क्या...? उनके जांघों के बीच आंख गाड़ते पूछी।

"कुछ क्या बहुत कुछ हो रहा है.. देखो कैसा यह फुदक रहा है..."अपने हथियार की ओर इशारा करते बोले। पाजामे के अंदर वह कड़क होकर पजामे को तंबू बनाचुकी है।

मैं मेरी कमर को लचकाते उनके समीप पहुंची और बड़ी अदा के साथ उनके गोद में अपने कूल्हे जमाई। उनके दोनों हाथ मेरे मुम्मे पर आचुके है। "आअह्ह्ह... नो डियर.. मैंने कहा था न की आज सब कुछ मैं ही करूंगी.. हहआ... धीरे.." उनके मसलन की आनंद लेते मैं एक मीठी मुस्कान दी।

मैं पहले उनके गले में हाथ डाल कर उन्हें चूमि और फिर उनका कुर्ता उतारने लगी। मैं इतना बोल्ड हो जाउंगी उन्होंने सोचे नहीं थे तो वह मुझे आश्चर्य से देखते रहे। पहले उनका कुर्ता और फिर उनका बनियान, फिर में उनके गोद से उठ कर उनके पाजामे की नाडा खेंचि और उसे उनके घुटनों तक खींच ही. वह अंदर कुछ नहीं पहने थे। उनके ब्राउन कलर का 7 इंच लम्बा लंड मेरे आँखों के सामने लहराने लगी।

मैं उनसे दो कदम दूर हटी और उन्हें छेड़ते मैं अपने स्कूल शर्ट का हुक एक एक करके खोलने लगी। मैं बहुत ही धीरे से हुक्स खोल रही थी। उनके आंखे टेंशन फटे जा रहे थे। शर्ट के पांच हुक खोलने में में पूरे ४ मिनिट ली। शर्ट उतार फेंकने के बाद मैं अपने हाथ पीछे लेजा कर मेरा ब्रा हुक खोली।

जैसे ही मेरे हाथ पीछे हुए मेरे चूचियां और आगे को उभरे। ब्रा निकाल शर्ट के पास फेंकने के बाद मेरा ऊपरी शरीर नंगी हो गयी।

मैं एक बर मेरा ऊपरी शरीर पर मादकता से हाथ फेरी और दोनों मस्तियों को हाथों से हल्का सा दबायी और फिर स्कूल स्कर्ट की ओर हाथ बढाई। वह मुझे आँखों का पलक झपकाए बिना देख रहे थे।

मेरे दोनों स्तन गर्व के साथ सर उठाये खड़े थे। मेरे निपल्स कडक जुचुके थे और उसमे ठीस भी उठ रही थी। आज पहली बार मैं अपनी मर्जी से उनके मेरी चूचियां दिखा रही थी। वह अपने सूख आये होंठों को जीभ फेरकर तर कर रहे थे। गले में भर आये saliva को हलक के नीचे गटक रहे थे। सुहाग रात वाले पहले दिन मैंने अपनी चूत की झांटे को साफ करी थी, फिर भी आज एक बार और साफ करी थी जिस से मेरी मुनिया मुलायम और चमकदार हो गयी।

उस रात तो मैं अपनी पति को रिझाने के लिए छिनाल ही बनगयी थी। मैं उन्हें आंख मरकर अपनी बूर की फांकों को चौड़ा कर एक बार और आंख दबायी।

अब और सहना उनसे नहीं हुआ; वह मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे होंठों को अपने में लेकर चूसने और चूमने लगे। मैं अपने होंठों को खोलकर उन्हें सहयोग देने लगी। उनका जीभ मेरी जीभ से खिलवाड करने लगी। वह जितना उत्तेजित थे मैं भी उतना ही उत्तेजित थी।

ऐसे ही कुछ देर चूमते, चूसने के बाद मैं उन्हें रॉकिंग चेयर पैर पीछे को धकेली और मैं खुद चेयर के हैंड रेस्ट पर पेअर लगाकर चढ़ी। हैंड रेस्ट्स तीन इनके चौड़े थे तो मुझे ठहरने में कोई दिक्कत नहीं हुयी। अब मेरी मुनिया सीधे मेरे पति के मुहं के सामने.... मैं एक हाथ से कुर्सी को पकड़, दूसरे हाथ से अपनी चूची को दबाते मेरी रिस रही चूत को मोहन की होंठो के सामने रखी। वह भी मेरे गांड को दोनों हाथोंसे दबाते मेरे चूत की फांकों को अपने मुहं में लिए और चूसने लगे। उनके होंठ मेरे बुर पर रखते ही मेरा सरा शरीर एक बार सिहर उठी।

मैं इतना उत्तेजित थी कि आज मैं चुदाई के चरम सीमा पर पहुंचना चाहती हूँ। वह मेरे शरीर पर अपना काम यानि की मेरे खुजलाते बुर को चूमते,चाटते मदन रस को गले के निचे उतारते अपनी चाप छोड़ रहे है। मेरे गद्देदार कूल्हों को दबा रहे हैं। मैं इतना बोल्ड होवुंगी उन्होंने सोचा नहीं.."ओह हेमा. मैं लव.. मममम.. क्या मस्त है तुम्हरो चूत सच.. चूसने में बहुत ही मजा आ रहाहै.. बस ऐसे ही हमेश मुझे खुश रखना... और खुश करना.." वह बड़ बड़ा रहे थे।

मैं भी कुछ कम नहीं थी "aaahhh ...sss..." की सिसकार लेती खुद अपनी चूची को दबाते और घुंडियों को मसल रही थी और उनके मुहं पर मेरे बुर को रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से मैं उनकी बालों को पकड़ कर राखी थी। एक बार मैं सर उठया तो पाया की सामने एक आदम कद आईना थी और उसमे कुर्सी पर khadi hokar mei मेरे bur को मेरे पति के मुहं पर रगड़ने का प्रतिबिम्ब दिख रही थी। मेरे चूत को चटवाते मेरे प्रतिबिम्ब को देख कर मैं और एक्साइट हुयी और जोरसे मेरे निप्पल्स को पिंच करते मोहन, मेरे पति के मुहं पर मेरा कमर आगे पीछे कर रही थी। (Humping)

"Oooohhh..... मेरे राजा।।। मेरे श्रीमान... चूसो आअह्ह्ह.. चूसो अपनी पत्नी की चूत को.... मुझे बहुत आनंद मिल रही है..आपके ऐसे करने से... और कारो.. डालो.. और अंदर तक घुसेडो आपकी जीभ को... जीभ से चोदो। .. oh..god.." मैं बड़ बड़ा रहि थी। मोहन भी जोश में भरकर मेरे बुर को खाने लगे। मुझे tongue fuck करने लगे।

ऎसे ही हमरा कार्यक्रम 8, 10 मिनिट चलता रहा। फिर में अपनी चरम सीमा पर पहुंची। मेरे बुर से रिसने वाली अमृत को वह चाव के साथ अपने गले के निचे उतारने लगे। जैसे ही मैं खलास हुयी मेरे घटने मुड़ने लगे; में उनके गोद में गिरी। मरे पती का मुहं देख कर मेरी हंसी छूट गयी। उनका मुहं पूरा मेरा रस से चिपुड़ा था। "Oh God.... तुम कितना जूस छोड़ी हो हेमा...कहते उन्होंने मुझ अपने ऊपर ठीक से खींचे। में उनके गोद में बैठ कर उनके मुहं पर से अपने खुद का मदन रस चाटने लगी।

इन सब हरकतों से मेरे बुर की खुजली और बढ़ी... में जल्द से जल्द चुदवाने के लिए तरसने लगी। मेरी खुजली बर्दास्त से बहार हुयी।

झट में बिस्तर पर चित लेटी टाँगे चौड़ा कर मेरे बुर के फांकों को उँगलियों से पैलाते बोली ".. ओह मेरे पति देव.. अब सहा नहीं जाता... आईये जोरसे चोदिये अपनी पत्नी को... अंदर बहुत खल बलि मची है..." कहते में अपनी तर्जनी ऊँगली को मेरे अंदर घुसेड़कर उपर निचे करि।

मेरे इस चिनाली हरकत से मेरे पति जोश में आगये "aaah .. Hema ...oh god.. how sexy you are.. mmm... आ रहा हूँ संभल अपने आपको......" कहते वह मेरे टांगों के बीच आये मेरे जांघों को और पैलाकर मेरे फांकों पर अपना हलब्बी सुपाड़ा रगड़ने लगे।

"ओह श्रीमान.. मेरे प्रियतमं अब आ भी जाईये.. रगड़ना बस.. जल्दी से अंदर घुसेड़ दो..." कहते मैं मेरी कमर ऊपर उछाली। ठीक उसी समय उन्हने ने भी एक जोर का शॉट मारे। मेरी बुर रिसने से रस्ने से पहले से ही चिकना हो चुका था तो उनका आधे से ज्यादा मेरे में समा गयी।

दो रातों से चुदने पर भी उनका जोश इतना ज्यादा था की उनका बहुत अकड़ गयी और मेरे अंदर के दीवारों को रगड़ने लगी "हहहहहहहहससससस्साआस .... राजा जरा धीरे..." में दर्द से तिल मिलाती बोली।

"हेमा डियर... दर्द हो रहा है क्या... तुम नयी नयी चुद रही हो न, तुम्हारी अभी तंग है.. जल्दी ही तुम्हे सुख मिलेगा और इतना आनंद आयेगा की पूछो मत.." कहते उन्होंने अपना थोड़ा सा बहार खींच एक और शॉट दिए। "आआह्ह्ह्हह...राजा..." कह कर मैं उन्हें अपने बाहों से जकड ली।

मैंने महसूस किया की उनका पेडू (crotch) मेरे पेडू से टच कर रहा है। मैं उनके वहां के बालों को अपने पेडू पर महसूस करने लगी। उनका पूरा का पूरा मेरे अंदर.... अंदर मेरे बुर के दीवारों को रगड़ने लगी। अब वह धीरे धीरे मुझे चोदने लगे. उनका मेरे अंदर बहार होने लगा।

जैसे जैसे वह अंदर शॉट मर रहे है मैं भी उसी जोश के साथ मेरी कमर उछलने लगी। कुछ शॉटों के बाद ही मैं भी फुल जोश में आगयी दाना दान मेरी गांड उछालते नेचे से ठोकर देने लगी। मेरा कमर उछलना देख कर मेरे पति भी अपना स्पीड बढ़ा दिए। अंदर बहार, अंदर बहार, ऊपर निचे... उनके स्ट्रोक्स बढ़ने लगे। एक नयी उत्साह के साथ मैं भी "आह.. राजा..मम्माआ ..और जोर से मारो.. फाड़ डालो मेरी छिनाल चूत को आज..मममम. कितना बड़ा है आपका.. अंदर कहीं ठोकर मर रही है..." कहते मैं उन्हें उत्साहित करने लगी।

"आह.. मरे प्रियतम... चोदो मुझे... हाँ आप सही कह रहे थे..अब कोई दर्द नहीं हो रही है... जोरसे चोदो मुझे... mmm..ha.. chodo mujhe... ammaammaaa... chcooodo... you ब्लडी बास्टर्ड" में खुद नहीं जानती थी कि ऐसे कैसे गलियां मेरे मुहं से निकली। जब मैं ब्लडी बास्टर्ड बोली तो मेरे पति भी सकते में रह गए।

मुझे संदेह था की मेरे पति मेरे इस मिस बिहेवियर (misbehavior) के लिए मुझे डांटेंगे या कुछ कहेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बल्कि उन्होंने मुझे देख कर हांसे और मुझे और जोरसे पेलते जुए कहे "आअह्ह्ह्ह.. हेमा.. मै डियर साली चुदा... अपनी पति के लंड से .उठा अपनी गांड को ऊपर मेरे लैंड के लिए... तेरी माँ की तो..." और जम कर अपनी मुस्सल से मेरी ओखली को कूटने लगे।

"आआह्ह्ह मरी.. अहा.. जरा धीरे पैलो मेरे राज.. आह.. ओफ्फो.. यह लैंड है की मुस्सल... वैसे आप मेरे मम्मी को क्यों बीच में ला रहे है.. वह आपकी सासु मा है...पहले मुझे चोद कर शांत करो तब मेरे माँ के पास जाना.." मैं भी वैसे ही भाषा की उपयोग करती अपनी कमर उछाल उछाल कर चुदने लगी। ऐसे ही हम एक दूसरे को छेड़ते पूरा 20 मिनिट तक चुदते रहे। फिर उन्होंने एक अखरी चोट जम कर देते "हहहाआमम्मा..."कहते अपना गर्म लावा से मेरे बुर को भर दिए। तब तक में भी दो बार झड़ चुकी थी।

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बहुत देर तक हम एक दुसूरे को लिपटे पड़े रहे और जब होश आया तो हम एक दूर को देखकर हँसे! "क्यों मेरे पति महाशय.. अब तो भरोसा होगया न की में आप से नाराज नहीं हूँ..." मैं उन्हें देखते पूछी।

"हेमा तुम बहुत जी समझदार औरत हो... सच में मुझे तो बहुत मजा मिला आज के इस खेल में..." मेरे गलों को चूमते और उरोजों को मींजते बोले। मैं उन्हें छेढ़ ने की मूड में थी, तो पूछी.. "किस खेल में...?" वह समझ गए की मैं उन्हें चेढ़ रही हूँ और मेरे कान के पास अपना मुहं लेकर बोले... "तुम्हारी बुर और मेरे लंड की लड़ाई में..." और मेरे नितं बों को मसलने लगे।

"कहीं नाराज तो नहीं है..आप..?"

"क्यों...?"

"मैंने आपको ब्लडी बस्टर्ड जो कहा..."

"नहीं बिलकुल ही नहीं.. मैंने कहा था न की स्पशल ड्यूटी में यह हो ही जाता है.. जो कहा सुनी है वह सब उस ड्यूटी के तह हुयी है.. सो नो रंजिश..."

"में एक बात पूछो... आप नूरा तो नहीं मानेंगे..?"

"पूछो..."

"आप... आप.. शादी से पहले.. कितनों.. को..." मैं रुक गयी।

वह मेरी बात को सनझ गए..और हँसते हुए बोले... "कितनों को चोद चूका हूँ.. यही न...?"

में सर झुका कर खामोश रही...

"तीन को ले चूका हूँ.. लेकिन वह सब शादी के पहले.. अब नहीं..."

"अगर आप चाहे तो वह सम्बन्ध जारी रख सकते.. मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा..." में धीमे से बोली।

"क्या सच..." वह चकित होकर पूछे। मैं 'हाँ' में सर हिलायी। मेरा उद्देश्य है की कभी आर फ्यूचर में मेरे और शशांक भैया का या मेरे नानाजी से मेरी चूदी बात उन्हें मालूम हो गया तो वह बुरा न माने...

"तुम बहुत अच्छी हो..." मुझे आगोश में लेकर बोले.."

"उन तीनों में एक कुंवारी थी न...?" मैं पूछी।

"हाँ.. क्यों ...?"

बस युहीं.. कुंवारी को लिए बिना आप को मालूम नहीं होगा न की कुँवरिका कैसा होता है..." मैं मुस्कुराते बोली।

"हेमा तुम बहुत होशियार हो.. सही कहा तुमने जब तक की कसी कुंवारी को चोदे बिना कैसा मालूम होगा की कोई लड़की कुंवारी है या नहीं... और वह है..." वह उस कुंवारी लड़की का नाम ले रहे थे पर मैंने उन्हें रोकी... "नाम की आवश्यकता नहीं है... छोड़ो वाह कौन है तो मुझे क्या करना है..." मैं बोली।

"हेमा वैसे तुम चाहो तो तुम भी किसी से सम्बन्ध रख सकती हो..."

"यह आप क्या कह रहे है..." मैं चकित होकर पूछी।

"हाँ क्यों नहीं.. जब एक पति बाहरी औरतों से संबंध रख सकता है तो पत्नी क्यों नहिं... "

"नहीं मुझे इसमें कोई विशेष रूचि नहीं है... वैसे भी जब आप है तो मुझे किसी औरों की क्या जरूरत...मुझे आपका बस है.. उस से, मुझे पूरा सुख मिल सकती है..." कही और फिर बोली.. छोड़ो न यह किस्सा... "मेरी उसमे फिर से खुजली हो रही है .. फिर शुरू हो जाये.." मैं उनके मर्दानगी को ऐंठते बोली। उसके बाद मैं एक बार फिर उनपर घुड़ सवार करि और फिर आराम से सो गए...

तो दोस्तों यह थी मेरी सुहाग की तीन रातें...

आशा करती हूँ की आप को मेरे सुहाग रातों की अनुभव पसंद आये होंगे.. आपका कमेँन्ट जारूर दे..

यह एपिसोड यहीं ख़त्म होती है..फिर जल्दी ही कुछ मनमोहक अनभवों से फिर मिलेंगे।

आपकी चहेती

हेमा.. उर्फ़ हेमा नंदिनी ..

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Anonymous
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1 Comments
AnonymousAnonymousabout 2 years ago

Way! Kya story hai. Bahut hi exciting. Keep going. Hosea tho apni ma’am ko pati se fuck karao.mama ajayega.

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