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हेमा नंदिनी
(दूसरी रात)
अपने पति के साथ एक नव वधु की दूसरी सुहाग रात की अनुभव...
दोस्तों आज मेरे सुहाग रातों का दूसरी रात है। मेरे मम्मी डैडी ने मेरा सुहाग रात तीन रातें मनाने का निर्णय लिए। और आज मेरी दूसरी सुहाग रात है। कल वाली किस्सा मैंने आप को सुना चुकी हूँ। बहुत से पाठकों ने उसे बहुत पसंद की है और मुझे बधाई भी दिए है। उन् सभी पाठकों का मैं आभारी हूँ और में उन्हें धन्यवाद् देती हूँ। आईये चले दुसरी रात की घटनाओं के ओर।
कल के जैसे ही रात के नौ बजे थे। मैं और मेरा पति मोहन पलंग पर back rest को पीठ टिका कर और पैर आगे पसार कर बैठे है। उनका हाथ मेरी पतली कमर को लिपटा कर मुझे नजदीक खींचे। मैं भी खींचती चली गयी। मैं, मेरा सर उनके छाती पर रख कर उनकी आँखों में देख रही थी। उन्होंने मेरे गाल चूमे और एक हाथ मेरे स्तन पर रख दबाते पूछे "कल अच्छा लगा...?"
मैंने 'हाँ' में सर हिलायी और फिर सर झुकाली।
"अरे हेमा डार्लिंग ऐसा सर झुका कर बैठे तो काम कैसे चलेगा... अपना सुन्दर मुखड़ा तो दिखादो.." और फिर मेरे गाल को चूमते मेरे स्तन को फिर से मींजे। में उनकी ओर देख कर लजाते मुस्कुराई।
"कल तुम्हे दर्द हुआ था काया....?"
"और नहींतो क्या... आप तो इतना बेरहमी करे है..." में मुस्कराती बोली।
"क्या करा मैंने...?"
"जैसे की आप को मालूम नहीं.. सब कुछ करके; देखो कितना नादान बन रहे है..." में उनकी कुर्ते की घुंडी को ट्विस्ट बोली।
"अरे भाई आखिर मैंने क्या किया..."?
अब मैं समझ गयी की उन्हें मेरे मुहं से गन्दी शब्द सुन ना है तो मैं पूछी "क्या आप को गंदी बातें बहुत पसंद है...?"
"हाँ लेकिन जब हम स्पेशल ड्यूटी पर हो तभी..."
"क्या स्पेशल ड्यूटी करेंगे आप...?" में उनकी लुंगी हटाकर उनका औजार को मुट्ठी में पकड़ कर पूछी। मेरी मुट्ठी में वह गरम था।
"रानी की सेवा..." फिर एक क्षण रुक फिर बोले "अब तुम पूछोगी की क्या सेवा..." कहते मेरे ऊपर झुके और मेरे कानों के पास अपना मुहं लगा कर बोले.."तुम्हरी चूत का मजा लेना... और तुम्हे मेरे लंड का मजा देना" कह कर पूछे अब बोलो कल मैंने क्या किया था।
"बहुत जोर से पेले है..." में शरमाते बोली।
"क्या बहुत दर्द हुआ था..."
"हाँ.. पहले पहले लगा की मेरी फट गयी.. लेकिन बाद में बहुत अच्छा लगा और मजा भी खूब आया..."
मुझे इस तरह के बातों में बहुत आनंद आ रहा है। ऊपर वह मेरे सारा मुहं को चूमते मेरे स्तनों के साथ खिलवाड़ कर रहे है.. तो नीचे मेरी जाँघों में खुजली (itching) के साथ साथ मदन रस रिस रही है।
"अच्छा तो यह बताओ आज क्या खेल खेलेंगे..?" मेरे जांघों में हाथ डाल कर उसे दबाते पूछे।
"वही; जो कल खेल चुके है..." में मेरी अधर (होंठ) को चबाती मदहोश स्वर में बोली।
"नहीं आज हम कुत्ता कुतिया का खेल खेलेंगे.."
"कुत्ता कुतिया का...? यह कैसा खेल है...?" मैं पूछी।
आवो बताता हूँ कह कर वह मुझे मेरे पंजो पर और मेरी घुटनो पर झुकाये। तब तक उन्होंने मेरी साड़ी और पेटीकोट को खोल चुके थे। और अपना लुंगी भी! उनका कड़क तनकर फड़ फड़ा रहा है! मैं समझ गयी की वह मुझे झुका कर पीछे से लेना चाहते है। मैं आगे झुक कर मेरी नितम्बों को ऊपर उठायी और बोली... तो सीधा सीधा कहिये की मुझे झुका कर पिछे से पेलना है...."
"शभाष.. बस जब भी हम स्पेशल ड्यूटी पर है तो ऐसे ही गन्दी बातें करना.. गन्दी बातें सुनते, सुनाते चुदाई करने में मुझे बहुत मजा आता है" वह बोले।
मैं वैसे ही झुक कर उनकी आक्रमण का वेट कर रही थी। वह अपना गरम सूपाड़ा.. मेरी रिसती बुर के मुहाने पर रख दबाये। 'थप' के आवाज के साथ सुपाड़ा मेरे अंदर समा गयी।
"aaaaaahhhhhhmmmmmmm" मैं एक आह भरी।
"क्या हुआ मेरी प्रियतमा.. दर्द हो रहा है क्या...?" उन्होंने अपना कुछ बाहर खींच एक और जोर का शॉट देते पूछे।
"अम्मा.. मरी..." में कही लेकिन मेरी कूल्हे अपना आप ही पीछे को धकेली।
फिर वह मुझे दना दान चोदने लगे। उन का मेरी अंदर बहार हो रही थी। एक ओर मेरी चोदते हुए उन्होंने मेरे पीठ पर झुक मेरी लटकती वजनी चूची को एक हाथ से पकड़ मसलते हुए चोद रहे थे। उनका ऐसा चोदने से मुझे आनंद ही आनंद मिल रही है।
"आअह.... मेरे पति देव.. मेरे यार अच्छा लग रहा है.. और अंदर डालिये न प्लीज..अंदर कुछ खुजली सी हो रही है...आआह.. मेरे राजा..." में बड़ बढ़ाने लगी।
वह भी जोश में आकर मुझे लेते रहे.. और पूरे बीस मिनिट तक चोद कर अपना मदन रस मेरी में भरकर मेरे ऊपर निढाल होकर गिरे।
जब आँख खुली तो रात के ग्यारह बजे थे। उन्होंने मेरे आँखों को चूम कर बोले "हेमा तम्हारी आंखे कितनी अच्छे है.."
"थैंक्स...." मैं धीरेसे बोली।
हम दोनों ही थके थे। मैं उठकर फ्लास्क (flask) में से दूध निकली और उसमे बूस्ट मिलाकर हम दोनों पीलिए। "बूस्ट इस दि सीक्रेट ऑफ़ अवर एनर्जी " मैं एक आंख दबाते बोली।
कुछ देर फिर हमारे बीच इधर उधर के बातें चली। मुझे नींद आ रही थी लेकिन उन्होंने सोने का नाम नहीं ले रहे थे। एक दम से उन्होंने मुझे बुलाये "हेमा..."
"वूं... "
"नींद आ रही है क्या...?"
"नहीं...." मैं बोली। वास्तव में मझे नीद आ रही है..लेकिन उन का मन रखने के लिए 'नहीं' बोली!
उन्होंने एक बार फिर मेरी आँखों को चूम कर मेरी उरोजों को दबाते पूछे "घुड़ सवार करना है..." उनकी बात मेरी समझ से बहार थे, तो पूछी... "घुड़ सवार...? आधी रात को घुड़ सवार..वैसे भी घोडा कहाँ है...?"
उन्होंने मेरी ओर देख कर हँसे हेमा तुम सच में बहुत भोली हो... मैं हूँ ना...
मैं अब भी असमंजस में हूँ.. "आप यह क्या बात कर रहे है..घुड़ स्वर.. मै हूँ न..." यह सब क्या है...?" मैं उन्हें आश्चर्य से देख ते पूछी।
वह एक बार हँसे और मुझे देख कर आंख मारे और सीधा अपने पीठ के बल लेट गए। उनका मर्दानगी झंडा गाड़ने वाली बम्बू की तरह खडी है। वह इतना तना हुआ था की उनका चमड़ी पीछे रोल होकर गुलाबी नॉब लाइट की रोशिनी में चमक रही है।
"आवो...." कहते उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींचे और अपने लंड पर बिठाये!
"अब समझ मे आया की यह सब क्या है.. 'मै हूँ घोडा और तुम घुड़ सवार.. आवो इस घोड़े पर बैठो.." अपने तन्नाए लंड की ओर इशारा करते बोले। उनकी ऐसे बातों से और मदभरी हरकतों से मेरी नींद भाग गयी।
"आप थक नहीं गए...?" में उनके ऊपर चढ़ती पूछी।
"अभी तुमने बूस्ट पिलई हो न..."
"तो......"
"बूस्ट इस दि सीक्रेट ऑफ़ आवर एनर्जी you know?" वह भी मेरी नकल करते आंख दबाकर बोले।
"आप बहुत रोमान्टिक है..." में उन्हें चूमती बोली और उनके ऊपर चढ़ गयी। मुझे इतने रोमांटिक पति मिले है मैं जोश में आगयी। और मैं जोश में आकर उनके औजार को मेरी मुट्ठी में पकड़ी और मेरी बुर में धीरेसे घुसाते उनके इस्पात की चढ़ पर बैठी।
"aaaahhhhhhhmmmmmmaaaaa...." मेरी बुर की फांकों को चीरता मेरे पति का लिंग मेरे अंदर समां गयी। मैं कभी नहीं सोची थी की मेरे पति इतना रंगीन मिजाज के हो सकते है। मैं आगे झुकी और उन्हें चूमती बोली आप बहुत अच्छे है..." और फिर मैं उनके लिंग पर उठ बैठने लगी। उनका मस्ती मेरे अंदर आ जा रही है और मेरे वजनी चूचियां मेरे हर हरकत के साथ बाउंस (bounce) हो रहे है।
मेरे बाउंस होते चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ कर उन मस्तियों से खिलवाड़ करते वह भी नीचे से ऊपर दकके देने लगे हैं।
"aaaaaaa....hhhhhhh..mmm .... मेरे पति महोदय चोदिये मुझे.. आअह। " कही।
"क्या हुआ हेमा डार्लिंग..." मेरी चूचियों को टीपते पूछे...
"पूछिए मत.. बहुत मजा आ रहा है.. वैसे उसमे खुजली भी जोर से हो रही है.. उस खुजली को मिटाओ मेरे राजा..." मैं उनके लिंग पर बाऊंस करती बोली। जैसे जैसे मैं ऊपर नीचे हो रहा हूँ मेरे वजनी स्तन भी वैसे ही ऊपर निचे हिल रहे है..."
मेरे पति उन चूचियों को ही देख रहे है...
'क्या हुआ...?' मैं आँखों से ही पूछी।
"तुम्हारे चूची इतने सुन्दर है.. की मैं बयां नहीं कर सकता..."
"वह अभी मेरे कहाँ है....वो तो अब तुम्हरे ही है..." मैं दोनों हाथों से मेरी चूचियों को दबती बोली।
"थैंक यू डार्लिंग..." कहे और मेरे हाथों को निकाल उन्हें अपने हाथों में लिए।
"हेमा डार्लिंग.. आआह्ह्ह...कितना टाइट है तुम्हरी ..ममममम.. लगता है मैं किसी कुंवारि लड़की चोद रहा हूँ" वह बोले।
मैं ठुनक कर उनके ऊपर से उतरी और उन्हें तीक्षणता से देखते बोली..."क्या मतलब है.. आपका...? मैं क्या कुंवारी नहीं हूँ..?" में पूछी और बेड से नीचे उतर कर साड़ी लपेटने लगी।
मेरी बात से वह गभरा गए... "अरे नहीं हेमा.. डार्लिंग मेरा ऐसा इरादा नहीं था..." वह बोले।
"और क्या इरादा है..?" मैं वैसे ही क्रोध से पूछी...
आखिर स्थति यह आयी की वह मेरे पैर पकड़ कर माफ़ी मांगने लगे...तब कहीं मैं शांत हुई और फिर हमारे रति कार्य में हिस्सा ली।
तो दोस्तों यह थी मेरी दूसरी सुहाग रात वाली कहानी।
क्या आप को मेरी दुसरी रात का यह चुदाई का खेल पसंद आया? अगर हाँ तो अपना कमेंट्स जरूर देना.. अब बस करती हूँ। में बहुत थक गयी हूँ और मेरी बुर खूब चुद कर सूज गयी है।
आपकी चहेती
हेमा उर्फ़ हेमा नंदिनी।
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कमाल की कहानी है, मजा आया
चुचिया और लिंग का आकार का विवरण हो तो सोने पर सुनेगा हो जाए