अंतरंग हमसफ़र भाग 082

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सूर्यास्त
1.4k words
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Part 82 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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क्या तुम सच में आज रात मेरे ऊपर इतनी मेहरबान होने वाली हो एमी कि मुझे अपना सर्वस्व समर्पित करने वाली हो! ' एमी कोमलता से मुस्कुराई और धीरे से अपना सिर हिलाया, उसकी आँखें प्यार से मेरी ओर देख रही थीं। मैंने उसे प्यार से और कृतज्ञतापूर्वक चूमा और एक-दो पल के लिए प्रेम ने हमारी भावनाओं में मौन को लागू कर दिया था।

अब मिली मेरे सामने खड़ी थी, केवल सफेद बिकिनी पहने हुए। लंबी पतली टांगों, चौड़े कड़े कूल्हों, पतली कमर और पूरे गोल स्तनों वाली । बिकनी में वह लंबी दिख रही थी। उसके कंधे बालों से ढँके हुए, और सुंदर मॉडल जैसे चेहरे वाली मिली मेरे पास आयी और मुझे चूमने लगी।

लिली ने भी मेरे पास नाव की कमान पर लेट कर अपना टॉप और स्कर्ट भी उतार दिया और उसके लंबे पैर मेरी ओर थे। उसके कंधों की चिकनी त्वचा पर पसीना चमक रहा था, उसकी नीली बिकनी टॉप नम थी और उसके स्तनों से चिपकी हुई थी और उसके थोड़े उभरे हुए निप्पल दिख रहे थे। सूर्य की किरणें तिरछी हो चलीं थी ।

"तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है, है ना?" ये कहते हुए उसने बिकनी टॉप को हटाने के लिए अपनी पीठ के पीछे एक हाथ तक पहुँचते हुए पूछा। "यह आराम के लिए बहुत टाइट है।" मैंने उसके खूबसूरत स्तन देखे थे और अब उनका खुलासा करते हुए उसका बिकनी टॉप नीचे गिर गया। मुझे उम्मीद थी कि जब बिकनी का सपोर्ट हट जाएगा तो उसके स्तन थोड़ा ढलकेंगे लेकिन वे दृढ़ और भरे हुए थे और मुझे आमंत्रित कर रहे थे। उसने मेरी पैंट में बढ़ते उभार को देखा और मुस्कुराई।

यह बहुत स्पष्ट था कि अब वह क्या चाहती थी। मैं आगे झुक गया और उसे चूमा। उसके होंठ चंचल रूप से कोमल और आमंत्रित कर रहे थे। उसकी जीभ मेरी जीभ और होठों पर फड़फड़ा रही थी। मैंने उसके ओंठो को कुतर दिया और उन्हें काटा और हमने लंबा चुंबन किया और फिर मैंने नरम और फिर सख्त, और गहरा चुंबन किया।

मैं उसके ऊपर हुआ और भरे और दृढ स्तनों को अपनी टी-शर्ट पर महसूस कर मैंने अपने छाती को उसके स्तनों पर दबाया। मेरा लंड, अब चट्टान की तरह सख्त था और मैंने उसकी बिकिनी के नीचे के हिस्से को धक्का दिया और मैं उसे उतारने के लिए हाथ नीचे ले गया।

"रुको," वह फुसफुसायी। "मैं कुछ करना चाहती हूँ।" उसने धीरे से मुझे पीछे धकेल दिया। "आराम करो, कुमार। वापस लेट जाओ," उसने कहा। उसने मेरी पेण्ट को मेरे खड़े हुए लंड के ऊपर से नीचे खींच लिया और फिर उन्हें खिसका कर निकाल दिया। "अपनी टी-शर्ट भी उतार दो," वह बड़बड़ायी।

इससे पहले की मैं टी शर्ट निकालता हुमा आगे हुए और मेरी टी शर्ट निकला दी । तभी सपना आगे हुई और उसने हुमा की साड़ी खोल दी और उसका टॉप निकाल कर उसके स्तन आजाद कर दिए।

सपना के कपड़े शबनम ने निकाले उसी समय शबनम के कपड़े डेजी ने निकाल दिए और डेजी को रोजी ने नंगी किया और रोजी को मिली ने निर्वस्त्र कर दिया । अब एमी को छोड़ सभी लड़किया नग्न हो गयी थी।

उधर सूरज की किरणे तिरछी ही रही थी और अस्त होते हुए सूर्य की धुप छनकर-शीतल होकर सोना--सा बिखेर रही थी। धीरे-धीरे और मीठी ठंडी हवा चल रही थी। नदी में पक्षी तैर रहे थे और बहुत सारी मछलिया थी। प्रकाश में जैसे सभी रंग विधमान होते हैं वैसे ही रंग बदल रहे थे ।

मिली ने मेरे को धकेलकर अपने से अलग किया । वहाँ जल का स्तर ज्यादा गहरा नहीं था केवल कमर तक ही था और तल साफ़ नजर आ रहा था और फिर मिली नदी के जल में उतर गई। लिली बोली पानी देख कर मिली दीदी रह ही नहीं पाती हैं । जरूर ये पिछले जन्म में जलपरी या मछली रही होगी फिर मैं जल में उतरा और बाकी लड़किया भी कूद गयी केवल एमी ही उस किश्ती पर रह गयी और हम नदी के शुद्ध ठन्डे जल में खेलने लगे। हमारे जल में उतरते ही उस नदी का जल जीवंत हो उठा और जल में तरंगे उठने लगी और तभी पक्षी उड़ने लगे और घोसलो की तरफ लौटने लगे।

मैंने जल की कुछ छींटे एमी पर डाले तो मिली ने जल की बौछार मार कर मुझे पानी से भिगो दिया। फिर मैं और मिली तैरते हुए थोड़ा दूर तक चले गए और उसके बाद दोनों एक साथ चिपक कर बहुत देर तक तैरते रहे। एक साथ तैरते हुए कभी हमारे वक्ष परस्पर टकराये तो कभी हमारे ओंठ आपस में चिपक जाते। फिर हम नाव के पास आये तो बाकी लड़कियों ने मेरे ऊपर पानी की बौछार की । एमी हमारे मस्तिया नाव पर से देख रही थी तभी लिली चुपके से पीछे गयी और एमी को लेकर जल में कूद गयी।

मैंने लिली के नग्न शरीर को बाहो में भर कर अपने साथ चिपका लिया और चुंबन किया। हम सब अब जल में ऐसे ही खेलते रहे और फिर सूर्य क्षितिज पर अस्त होने लगा। एमी ने मेरा हाथ थाम लिया और नदी के जल से बाहर निकली और मैंने उसे नाव पर वापिस चढ़ा दिया। पानी की बूंदे उसके भीगे हुए अंगों पर से फिसल-फिसल कर मोती की भांति इधर-उधर नाव पर बिखरने लगी।

उसे गीला महसूस हो रहा था और तभी रोजी, सपना, डेज़ी और शबनम भी नाव पर चढ़ गयी और साडी का उन्होंने मेरे सामने पर्दा कर दिया और एमी उस परदे के पीछे कपडे उतारने लगी ।

जब साडी हटी और वह नग्न मूर्ति की तरह खड़ी हो गयी और जब मेरे सामने आयी तो वह इस समय अस्त होते हुए सूर्य की सुनहरी किरणों में उसका बदन ऐसा लगा रहा था मानो सुनहरी परी हो! मैं मैंने उसके नग्न शरीर की परिपूर्णता की मन ही मन तारीफ की। उसकी चिकनी सुनहरी त्वचा से मेरा लिंग कड़ा हो गया था।

मैंने उसे किस किया और फिर हम सूर्यास्त देखते रहे कोई कोहरा और बादल नहीं था और आसमान बिलकुल साफ़ था और नदी में सूर्यास्त की सुंदरता अध्भुत थी। हम क्षितिज के ऊपर से आग की लपटों के गोले को शांत होते हुए नदी के जल में उतरते हुए देखते रहे ।

यह एक रोमांटिक पल था मैंने एमी और हुमा को अपनी बाहों में लिया। मिली ने रोजी और सपना के साथ भी ऐसा किया, शबनम डेज़ी और लिली को आगोश में लेकर सूर्यास्त देख रही थी। मिली ने चुप्पी तोड़ते हुए बोली, कुमार, सूर्यास्त देखना वाकई अच्छा है'। एमी ने मुझसे पुछा कि कुमार सूर्यास्त का सही समय क्या है? वह समय जब सूर्य पहली बार क्षितिज को छूता है, या वह समय जब वह पूरी तरह से चला जाता है, या बीच का कोई समय? "

लड़कियों ने आपस बहस करना शुरू कर दिया और मैंने कहा कि लड़कियों मुझे लगता है कि इससे कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता। इस पल का आनंद लो।

जैसे ही सूरज ढल गया, वह झुक गई और मेरे होठों पर प्यार से मुझे चूमा। "धन्यवाद," उसने बस इतना कहा।

मैंने उसकी आँखों में देखा और मुस्कुराया, एक अजीब तरह की मुस्कान और बस जवाब दिया "नहीं आपका धन्यवाद।"

वह किश्ती पर चित्त लेट गई। सूर्यास्त की सुनहरी धूप उसके सम्पूर्ण निर्वस्त्र शरीर पर फैल गई। मैं भी उसके पीछे-पीछे किश्ती पर चढ़ गया और उसे किस की ।

एमी ने मेरे पूरे शरीर को भरपूर दृष्टि से देखा और उसकी निगाहें मेरे खड़े हुए लंड पर जम गयी और उसने बाहें फैला कर कहा-कुमार आप बहुत प्यारे हो। आप मुझे बहुत प्रिय हो। मेरे प्रियतम आ आओ और मुझे प्यार करो।

हम कंधे से कंधा मिलाकर वापस नाव पर लेट गए, और बस हाथ पकड़कर और आसमान के जीवंत गुलाबी फिर सुनहरे. फिर नारंगी और मुरझाते बैंगनी रंग को देख रहे थे। मैंने उसकी आँखों में करीब से देखा, मुझे उसकी आँखों में आँसू दिखाई दे रहे थे, जो उसने वापस झपकाए, हालाँकि उसकी एक बूंद उसकी आँख के कोने से निकलकरउसके गाल पर गिर गई जिसे मैं चाट गया । यह हममे से प्रत्येक के लिए उदात्त संतोष का क्षण था। जीवन की कठोर वास्तविकताएं बहुत दूर थीं, और इन कुछ चुराए गए पलों के लिए जो कुछ भी मौजूद था वह हम और सूर्यास्त की सुंदरता थे।

यह उस तरह की रोमांटिक आउटिंग थी, जिसके लिए वह अंदर से तरस रही थी। उसने कभी किसी को नहीं बताया कि उसे कुछ ऐसा चाहिए। वह मुझे बहुत सी बातें बताना चाहती थी जो उसने कभी हीं की किसी और को नहीं बतायी थी । और हर बार जब उसने बताने की कोशिश की, तो उसने सोचा कि क्या मैं उस पर हंसूंगा। तो उसने मुझे कुछ नहीं बताया । लेकिन यह उसके लिए बेहद आश्चर्यजनक था कि मुझे वास्तव में यह समझ में आ गया था कि वो क्या चाहती है। वो आँसू उसी ख़ुशी भरे पल के प्यार के एहसास का था ।

जारी रहेगी

दीपक कुमार

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