एक नौजवान के कारनामे 185

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मंगेतरों का परस्पर परिचय
1.1k words
4.5
89
00

Part 185 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-4

परस्पर परिचय

PART 5​

कुछ देर बाद मेरी मंगेतर ज्योत्स्ना अपने परिवार के साथ हाल में आ गयी और वहां पर हल्दी और मेहँदी का सांझा कार्यक्रम होना था ।

भाई महाराज ने मेरे लिए जो नए रिश्ते आये थे उनके बारे में ज्योत्स्ना और उसके परिवार को बताया तो वो बोली उसे मेरे सब रिश्ते मंजूर हैं और चुकी हमारे यहाँ मर्द एक से ज्यादा बीविया रखता है इस लिए मेरी अन्य बीवियों से कोई ऐतराज नहीं है और मुझे पाने के लिए मेरी दासी बन कर भी रहने को त्यार है और फिर फिर ज्योत्स्ना ने कहा वह मेरी बाकी मंगेतरों से महबूबाओं से मिलना चाहती है। तो मैंने कहा वे सब यहाँ पर हैं उनसे मिलवा देता हूँ । तभी दरवाजा खुला और जेन के साथ बाकी सभी राजकुमारिया और मेरी होने वाली दुल्हने थी. मैंने सबका परिचय करवाया ।

सबसे पहले जह्ज़रा जिसकी माँ इथियोपिया की थी का परिचय सबसे करवाया. उसके बाद उर्बि जिसकी माँ मिस्र, की थी का परिचय सबसे करवाया, फिर शाहिना जो की अरबी माँ से थी, का परिचय सबसे करवाया, फिर नकोसज़ाना जिसकी माँ ष्सोसा की थी का परिचय सबसे करवाया और फिर अदाएज़े जिसकी माँ इग्बो देश की थी का परिचय करवाया फिर गाब्रिएला जिसकी माँ ब्राज़ीली और एंजेल जिसकी माँ इतालियन का परिचय करवाया फिर केइशा जिसकी माँ बोत्स्वाना से थी, का परिचय करवाया फिर किआरा जिसकी माँ कैमरून, का परिचय करवाया फिर सबसे छोटी बहन ज़री अमरीकन का परिचय करवाया फिर राजकुमारी अजंता, राजकुमारी तरुणिका, राजकुमारी रेविका और राजकुमारी सनविका. का परिचय करवाया, फिर नीता, अलका, बिना, श्रीजा, रीता, जेन, लूसी, सिंडी और आमिर की बहन रुखसार का परिचय सबसे करवाया,

मैंने रोजी की और देखा और अपनी अंगूठी की शक्ति का उपयोग किया और रोजी अनुगूठिया ले आयी ।

ज्योत्स्ना ने फिर बारी बारी मेरी सब होने वाली मंगेतरों और दुल्हनों को गले लगाया और बोली मेरे पिया के पास जब आप आएँगी तो मैं आप सबका का स्वागत करुँगी पर अभी के लिए आप सब मेरी और से एक भेट स्वीकार करे और मैंने रोजी की और देखा तो वो अनुगूठिया ले ज्योत्स्ना के पास चली गयी और ज्योत्स्ना ने सब को एक एक अंगूठी उपहार के तौर पर दी और बोली आप सबका रिश्ता अब कुमार के साथ तय कर दिया गया है सबको बधाईया! और ज्योत्स्ना के पिताजी और भाई और माँ ने हम सब को मुबारकबाद दी। फिर मेरे सब दोस्तों और अन्य रिश्तेदारों ने मुझे और राजकुमारियों को बधाई दी। और सब लोग आपस में बधाईया देने में व्यस्त हो गए।

ऐसे में में और ज्योत्सना पहली बार अकेले थे। और इसे ज्योत्सना ने भी महसूस किया की किसी का भी ध्यान हमारी और नहीं था!

वह जल्दी से मेरे पास आयी मुझे मुबारक दी और और मेरे साथ गले लग गयी और फिर मुस्कुराती हुई मेरी तरफ झुक गई, मैं उसके सर के सिर के पीछे अपने बाएं हाथ को ले गया और बंद आंखों के साथ उसके होंठों पर एक नरम चुंबन दिया!

वो हैरान थी और मैं भी हैरान था क्योंकि मेरा लंड अचानक से बिलकुल कठोर हो गया था लेकिन फिर उसकी आँखें चाँदी के डॉलर जितनी बड़ी हो गईं, और उसका मुँह खुला और मेरी जीभ उसके मुँह में चली गयी और मैं उसे चुंबन करते हुए उसके ओंठ चूसने लगा और वो बड़ी बड़ी आँखों से कमरे में देख रही थीं। उसने धीरे से चुंबन को तोड़ा, और अपना सिर नीचे करके वापस अपनी सीट पर बैठ गई।

मैं अचानक डर की लहर से भर गया था कि यह हमारे प्रेमालाप का अंत होगा, और क्योंकि हमने अपनी सीमा पार कर ली थी, हमने उस विश्वास को तोड़ दिया था कि उसके परिवार ने उस पर और मुझ पर किया था । मैं उस चुम्बन की अनुभूति में खो गया था। उसके छोटे होंठों की कोमलता ने मुझे अभिभूत कर दिया, और मैंने जोश के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की, केवल इस अहसास में उदासी के बाद कि शायद अब मैं उसे फिर कभी नहीं चख सकूंगा।

उसकी नानी हमारे बीच खड़े होने के लिए चली गई और उसकी ओर देखा, जिसकी आँखों में अब आँसू थे। उसने अपना हाथ ज्योत्सना की ठुड्डी के नीचे रखा और उसे देखने के लिए उसका चेहरा उठा लिया। एक पल की चुप्पी के बाद, उसने धीरे से ज्योत्सना से कहा, "तुम एक शरारती लड़की हो।"

"हाँ, नानी माँ, आई एम सॉरी।" ज्योत्सना ने उन्हें प्रणाम किया और फिर से शर्माते हुए सिर नीचे कर लिया उसके गाल शर्म से लाल थे ।

"आप, मेरी बच्ची," उसने शुरू किया, " बिलकुल अपनी नानी की तरह हैं।" ज्योत्सना ने अविश्वास से देखा, और उसकी नानी, अब मोनालिसा जैसी मुस्कान के साथ बोल रही थी "और साथ ही अपनी माँ की तरह हो - लेकिन मैंने तुम्हें यह नहीं बताया था की कि मैंने कभी ऐसा कुछ किया था?" इसके साथ ही, वो हँस पड़ी, ज्योत्स्ना शरमायी, और अपना सिर नहीं में हिलाया।

उसने आगे कहा, "एक बूढ़ी औरत के नाते मुझे अपने जीवन में थोड़ी मस्ती की ज़रूरत है इसलिए हमने जानबूझ कर आप दोनों को अकेला छोड़ा था और मैंने तुम्हारी माँ को तब पकड़ा जब वह मेरी तरह तुम्हारे पिताजी को पहली बार किस कर रही थी और हमने सोचा की देखते हैं क्या ये 'परंपरा' को जारी रखना मनोरंजक रहेगा। अब मेरी आपको सलाह है कि आप अगली बार अधिक सावधान रहें," उसकी आवाज और भी गंभीर होती गई, "लेकिन आप इसकी आदत न डालें, समझे? आपकी माँ आप दोनों पर भरोसा करती है कि आप सही समय पर सही काम करेंगे।"

ज्योत्सना ने अपनी दादी की ओर धीरे से मुस्कुराते हुए कहा, "हां नानी माँ, मैं समझती हूँ।"

ज्योत्सना की दादी ने मेरी तरफ देखा, वो एक हाथ में उसका एक गाल थपथपाकर मुस्कुराई, और कहा, "मैंने पहले कभी एक सुंदर राजकुमार लड़के को नहीं चूमा," और फिर मेरे होठों पर एक नरम चुम्बन देने के लिए आगे बढ़ी!

मैं चकित रह गया! ज्योत्सना ने अपनी नानी माँ को खुले मुंह से देखा, फिर उसकी नानी ने शैतानी बच्चे जैसी मुस्कराहट के साथ उसकी ओर देखा और कहा, "अब, हम दोनों शरारती हो गए हैं, है ना?" वह हँसी, और शरमा गई और फिर से उसके गोरे-गोरे गाल गुलाबी हो गए वह फिर कुछ फल लेने के लिए चली गयी की जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो ।

ज्योत्सना और मैं एक पल के लिए चुप हो गए, तभी ज्योत्स्ना की माँ मेरी ताई जी, माता जी और भाभियाँ अचानक हमारे पास आयी और उनके हाथ उनके मुंह को ढके हुए थे और उसकी मां अपनी क्लासिक मोनालिसा जैसी मुस्कान के साथ रुकी और, एक क्षण सन्नाटा छा गया और फिर सब हँस पड़े।

जारी रहेगी

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