शालिनी बनी मेरी दूसरी पत्नी Ch. 02

Story Info
Us rat aur baad me meri aur shalini ki madbhari chudayi.
4.9k words
4.82
111
4
0

Part 2 of the 2 part series

Updated 06/11/2023
Created 07/06/2022
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Us rat aur baad me meri aur shalini ki madbhari chudayi.

दोस्तों, मैं हूँ राघव, मेरी पहले एपिसोड के बारे में जो लोग भी कमेंट करे है उस सब पाठकों को मेरा धन्यवाद्। मेरी पिछले एपिसोड में आपने पढ़े है कैसे मैंने अपनी पत्नी की सहेली शालिनी को पटा कर चोदा। चोदने के बाद हम थक कर बगल बगल में पड़े रहे।

मेरे गालों पर कुछ स्पर्श पाकर मेरी नींद खुली। मैंने ऑंखें नहीं खोली और उस स्पर्श का अनुभव करने लगा। मुझे महसूस हुआ की मेरे गालों को कोई चाटे जा रहा है। जीभ की गरमी के साथ उसकी खुरदरा पन, मैं मेरे गालों पर महसूस कर रहा था। मैंने धीरेसे आंखे खोली।

शालिनी; मेरी पत्नी की सहेली, मेरे ऊपर झुक कर मेरे गालों को चाट रही थी। हम दोनों अभी भी नंगे ही है। उसके खुले बाल आगे गिरकर उसके सूरत को आधे ढक रहे है। मुझे याद नहीं लेकिन किसी फिल्म में रेखा अमिताभ पर ऐसे ही झुकती है।

शालिनी उस समय बहुत सुन्दर लग रही थी। उसके हाथ मेरे अकड़ते लंड के गिर्द लिपटी थी। मैंने उसे देख कर हलका सा मुस्कुरा दिया। मेरी आंखे खोलना देख कर वह मेरे और ऊपर झुकी और मेरे आँखों को चूमि। मैं मेरे हाथ उसके कमर के गिर्द लपेटकर उसे नजदीक खींचा।

"राघव जी..." वह धीरे से मेरे कानों के पास बोली।

"वूं... क्या है डार्लिंग...?" मैं भी उसकी आँखों को चूमता पूछा ... वह कुछ पूछना चाह रही थी लेकिन हिच कीचा रही थी। मैं उसकी मुलायम पीठ पर हाथ फेरता "क्या है.. शालू ... कुछ चाहिए क्या...?" पुछा।

वह अब भी हीच किचाते, तब तक कड़क हो चुके मेरे डिक (dick) को ऐंठते बहुत ही धीमी आवाज में बोली... "राघव....जी... एक....बार.... फिर..." वह शर्म से लाल पीली होती रुक गयी। तब तक मेरे हाथ उसके पीठ से निचे फिसल कर उसके बड़े गोल नितम्बों पर फिर रहे हे।

"फिर से कराना है...?" में उसकी गांड की दरार में ऊँगली फेरता पुछा।

वह धीमे से अपना सर हिलायी। इतना धीमा की अगर मैं ध्यान नहीं देता तो मालूम ही नहीं होता कि उसने अपना सर हिलायी भी है या नहीं।

मुझे शरारती सूझी। मैं उसकी गांड की दरार से निचे उंगलि लेगया और उसकी गीली बुर में ऊँगली करता पुछा..."क्या... यहाँ खुजली हो रही है...?"

वह 'हाँ' में सर हिलायी और लाज से अपना मुहं मेरे गर्दन में छुपाली।

उसकी इस अदा से मैं फ़िदा हो गया। मेरा तो पहले उसे किसी तरह पटाके चोदना और उसे मेरे कीप बनाने का इरादा था... लेकिन अब मैं उसे चाहने लगा हूँ। दिल से चाहने लगा हूँ। उतनी नादान और मासूम है वह।

"राघव जी... मुझे पहले ऐसे कभी भी महसूस नहीं हुआ की एकबार फिरसे कराने की। हमारि शादी होके छहवर्ष बीत गए लेकिन ऐसे पहले कभी नहीं हुआ। और न ही उन्होंने दूसरी बार करने की अपनी इच्छा जाहिर की है और न ही मुझसे पूछे। आपकी करने में जादू है.. आज पहली बर मुझे दुबारा कराने का मन कर रहा है और मैं बेशर्म होक पूछ रही हूँ.... "

"अरे शालिनी इसमे संकोच होने की क्या बात है...दिल कर रहा है तो करा हि लो.. लेकिन क्या कराना है वह भी बोलो..." मेरे दूसरे हाथ से मैं उसके गाल को पिंच करते बोला। पहलेसे ही मेरी दूसरी हाथ की उंगली उसकी चूत में है।

"मेरे ऐसे पूछने से वह लाजसे लाल होगयी... "जाइये... राघव जी... आप बड़े वो हैं... मैं आपसे बात नहीं करूंगी।

"अच्छा...! बात नहीं करनि है तो मेरे उसको क्यों पकड़ी हो...?"

"किसको पकड़ी हूँ.." अब वह भी शरारत पर उतर आयी।

"मेरे लंड को..." और मैं अपनी पूरी ऊँगली उसकी पानी छोड़ते बुर में पेल दिया।

"स्स्सस्स्स्स.....ह्ह्हह्हआआ" वह सीत्कार करि और बोली "यह आपका थोड़े ही, यह तो अब नेरा है..." और मेरे लंड को जोरसे ऐंटी।

"अच्छा शालिनी एक बात बताओ.. तुमने कभी विपरीत रति करि हो...?"

"विपरीत रति...? वह क्या होती है...?" वह आश्चर्यसे पूछी। जब उसने कही की उसने किसी के डंडे को चूसी या चूमि नहीं... मैंने तभी समझ ग्या था की इसे रोमान्स (romance) के बारे में कुछ भी नहीं मालूम। इस विषय में मासूम है। वैसे मेरे पत्नी विष्णुसे ऐसी मजा नहीं मिलने वाली तो सोचा शालिनी को ही trained कर के उसीसे मजा लूटने की... इसीलिए मैं यह प्रश्न पूछे।

मैं अपने पीठ के बल लेटा था और उसे मेरे ऊपर औंधे लिटाया, उसकी नरम होंठों को चूमते, उसकी एक घटीली चूची को दबाता बोला "शालू डार्लिंग विपरीत रति होती है की मैं नीचे और तुम ऊपर..."

"ऐसे कैसे हो सकती है..?." उसके इस प्रश्नसे ही मालूम होगयी कि उसने कम से कम किसी पोर्न मूवी तो क्या पोर्न मागज़ीन भी नहीं देखि। 27 वर्ष की आयु में इतनी नादान... मैं तो बाग़ बाग़ होगया। मैं उसे फिर से किस किया और बोला.. शालू तुम बहुत भोली और नादान हो...तुम्हे अगर सेक्स का मजा लेनी है तो बहुत कुछ सीखन पड़ेगा.. सीखेगी...?'

"क्या आप सिखायेंगे...?"

"हाँ...."

"ठीक है मास्टर जी...."

"अरे यह मस्टर जी कहाँ से आगये...?"

"ओहो...राघव जी....जब आप सिखाएंगे तो मास्टर ही बनेंगे न... इसीलिए मस्टरजी.. कही..."

vaaaaahh मैं उसकी हाजिर जवाब पर चकित रह गया...

मैं उसे मेरे उपर से उठकर मेरे दोनों तरफ पैर रख कर खड़े होनेको कहा। वह मेरी बात को मानी और जैसा में बोला वैसे खड़ी होगयी। मैं चित लेट कर उसकी जाँघों के बीच देख रहा था। उसकी चूत की फांके थोड़े खुल गए है... और अंदर की लालीमा की झलक मिल रही है... उसकी ऐसे देखते ही मेरे मुहं में पानी आगयी है।

मैंने उसे धीरे से मेरे लंड पर बैठने को कहा तो वह वैसे ही करि।

"डार्लिंग मेरे डंडेको पकड़ो और धीरेसे अपने में घुसालो और धीरे धीरे बैठो..." में उसको गाइड कर रहा था। शालू वैसे ही करि। मेरा सूपाड़ा जब उसकी फांकों को टच करि और उसने सुपाडे को अपने फांकों पर रगड़ी और धीरे धीरे अंदर ठेलने लगी।

'आआअह्ह्ह्हह.... उफ्फफ्फ्फ़... कितना टाइट है उसकी बुर.. बिलकुल कुंवारि बुर की तरह... होगी ही उसके मुताबिक आज से तीन वर्श से उसका पति बीमार है और वह रति सुख से वंचित रह रही है।

मेरा औजार उसकी बुर की दीवरों को चीरता, रगड़ता अंदर घुसने लगी...

"mmmmm....ooooooooo ..... aaaaaahhhhhaaammmaaaa ..." वह ख़ुशी से पागल होकर चिल्लाई। "आह्हः... राघवजी... उफ्फफ्फु... कितना अच्छा है.... क्या ऐसे भी करा जाता है...?"

"शालू डार्लिन.....रति कार्य करने का अनेक ढंग है.. गभराओ नहीं मैं अब तुम्हे सिखावुंगा... तब अपने पति को भी सिखा देना..."

अब तक मेरा शालू की रिस रही बुर में झड़ तक घुस चुकी थी। "चलो अब चोदो..." मैं नीचे से कमर उछाल ते कहा। शालिनी धीरे धीरे उठ बैठ करने लगी। जैस वह ऊपर उठती थी मेरा औजार उसके बुर से बहार और फिर जैसे ही वह बैठी फिर अंदर... अब उसे मजा आने लगा.. और वह अपने उठ, बैठने की स्पीड बढादी। उसके हर मूवमेंट के साथ उसके उन्नत उरोज ऊपर निचे हो रहे थे। उस चूची को और उसकी काले दब्बों को और निप्पल्स को देख कर मेरे मुहं में पानी आगया। में उसे मेरे ऊपर झुकाया और उसकी चूचि को मुहं में लेकर चूस रहा था.. कभी कभी उसकी घुंडी को भी हल्कासा काट देता था।

"मममम.. राघव.. मैं डियर.. वैसे ही चूसो.. आअह्ह्ह...मम्माआआआ..." वह बड बडा रही थी। उसके ऐसे कहने से में और उत्तेजित होकर उसके दुद्दुओं को पी रहा था। शालिनी भी उत्तेजित होकर एक हाथ से अपनी चूची पकड़ कर मेरे मुहं में ठेल रही थी। में उसके मुलायम पीठ पर हाथ फेरता उसके नीतंबों तक ले आया और मेरी उंगलु उसकी दरार में चलाने लगा।

"ससससस..." कहते शालू मुझे चूम रहीथी।

मेंरी ऊँगली उसकी गांड की छेद पर लेगया और वहां कुरेदने लगा।

"राघव जी.. हहहह.. ममम.. वहां ऊँगली मत करिये..प्लीज....." कही।

"कहाँ ऊँगली कर रहा हूँ...डार्लिंग...?" मेरी ऊँगली पर जोर देते पुछा।

"वहीँ.. जहाँ आप की ऊँगली है..."

"किधर है मेरी ऊँगली.. अरे बाबा नाम तो लो उसका...." में ऊँगली को और अंदर डालने की कोशिश करता पुछा।

"राघवजी... आप बड़े वह है...आपकी ऊँगली.... मेरी गुदा से निकालिये...."

"गुदा... यह गुदा क्या होती है.. शालू डियर...."

"ओफ़्फ़्फ़ो... आप तो गन्दी बात सुनके ही मानेंगे..." वह कही और फिर मेरे कानों में बोली.. "राघव.. मेरी गांड में से ऊँगली निकालिये..." बोलते बोलते उसने मुझे जोर से अपने से लिपटी और खलास हो गयी। खलास होते ही वह ढीला पढ़कर मेर ऊपर वैसे ही गिरगयी। मैं उसके पीठ को सहलाता रहा। कोई चार पांच मिनिट बाद वह आंखे खोली...और बोली.. "राघव I Love You" कहि और मेरे मुहँ पर जिधर बोले उधर चूमने लगी।

"डार्लिंग मजा आया....?" मैं उसे पुछा।

मेरे इस प्रश्न से शालिनी मुझे इतना जोर से अपने से लिपटली और और मरे कानों में बोली "राघव जी.. मुझे ऐसे मजा कभी नहीं मिला..."

"चलो अब मुझे मेरा गर्मी उतारने दो..." में बोला।

"उतारिये न.. मैं मना कहाँ कर रही हूँ..." बोलते वह चित लेट गयी और अपने टाँगे खोलदी। उसका मदन पुष्प मुझे बुला रही थी। "नहीं ऐसे नहीं.. अपने घुटनों पर आओ" कहते मैं उसे उसके घुटनों और पंजो पर झुकाया और उसके पिछे आगया। मेरे लण्ड के सुपाडे को उसके खुली फांकों के बीच रगड़ा। "आअह्ह्ह.... रघव जी... आ जाईये.. मुझे मत तड़पाओ..." कही।

अपने सुपाडे को उसके बुर के मुहाने लगाकर उसके कमर को पकड़ कर एक जोर का शॉट दिया....

"sssss...hhhhaaaa...maaaa..." वह एक लम्बी सिसकर ली और अपने कमर को पीछे को धकेली।

अब मैं शरू होगया... उसके कमर पकड़कर शॉट पे शाट देने लगा.. वह भी.. "आह्हः..ऊफ्फ.. ससस." कहते चुदने लगी। मैं उसकी पीठ पर झुक कर सारे पीठ को चूम रहा था.. और एक हाथ आगे बढाकर उसके वजनी चूचि को दबोचा...

वह जोश मे आगयी.. और कहने लगी.. "चोदो मुझे.. एक ही रात में तुमने तो मुझे स्वर्ग की सैर करा रहे हो.. और जोर से मारो.. रघव... आह... तुम्हारा पूरा अंदर तक कहीं जाकर चुभ रही है...और चोदो .. और अंदर डालो ...आआह्ह्ह्ह..."

"हाँ मेरी जान... यह लो अभी आरही है.. एक शॉट.." में एक जोर का शॉट.देता हूँ...

"वैसे ही... और अंदर जाने दो.... तुम्हरे डंडे को..." वह कमर पीछे धकेलती है...

ऐसे ही पूरा 20 मिनिट तक हम एक दूसरे से गुत्तम गुत्ता होते रहे.. फाइनली जब मैं झड़ा; शालिनी दो बार और झड़ चुकी थी। फिर हम दोनों थके हारे बिस्तर पर गिर पड़े।

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कोई मुझे जोरसे हिला रहा था तो मेरी आंख खुली। टाइम देखा तो 8 बजे थे। शालिनी मेरे सामने कॉफ़ी कप लिए खड़ी है। वह हेड बात कर चुकी है, उसके बालों से पानी के बूंदे अभी भी टपक रहे है। उस नम बालों में बहुत सुन्दर दिख रही है।

"राघव जी... आठ बज गए है.. ऑफिस नहीं जाना है क्या...?"

"पागल हुई हो क्या...? आज संडे है..." मैं उठ कर उसके हाथ से कॉफ़ी कप लेता बोला।

"ओह मैं तो भूल ही गयी..."

"शालू यहाँ आवो... " में उसे बुलाया।

"क्यों....?"

"आओ तो सही बताता हूँ..."

वह मेरी इरादे भांप गयी और बोली... "नहीं पहले बोलो.. क्यों... फिर अति हूँ..."

"यार .. एक मॉर्निगं किस देदो..."

सिर्फ किस करोगे.. और कुछ नहीं..."

हाँ.. हाँ.. सिर्फ कस करूंगा..."

वह बिस्तर पर चढ़ गयी तो मैं उसके साड़ी उठाने लगा... तो बोली "ओय ... यह क्या कर रहे हो... मैं कहा था सिर्फ किस .. "

"हाँ.. डियर में किस ही कर रहा हूँ.. तुम्हारी फ्रेश चूत पर..."

"नो... दिस इस चीट...तुमने किस कहा था..."

"अभी भी वही कह रहा हूँ... किस तुम्हरी चूत पर..."

"राघव आप ने ऐसा नहीं कहे..."

"मेरा मतलब वही है... मैं होंठों पर या गलों पर किस करूंगा, यह भी तो नहीं कहा..."

"छी...आप बहुत चीट है..." कही और फिर अपनी साड़ी उठाकर अपनी चिकनी बुर को दीखाते बोली.. "जल्दी किस कर लो..."

में उसे किस करता और मेरा लुंगी उतार फेंका..मेरा औजार फुल सीना तान कर खड़ा है..."

"ओह नो... राघव जी.. अब नहीं..प्लीज ..."

"ठीक है चलो.. अब नहीं.." मैं उसे छोड़ दिया और बात रूम में घुसा।

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यहांसे कहानी के कुछ हिस्सा आप शालिनी से सुनिए।

दोस्तों मैं हूँ शालिनी, 27 वर्ष की एक युवती जिसकी शादी हुई है और एक 3 वर्ष बेटे की माँ हूँ। मेरे बेटे की जन्म के कुछ महीने बाद ही मेरे पति बीमार रहने लगे और नौकरी छूट गयी। में एक छोटीसी स्कूल में LKG और UKG पढाते घर चला रही थी। पैसों की बहुत तंगी रहती थी। इस समय मेरे सहेली विष्णु ने मुझे बहुत हेल्प करती थी। इसी समय मेरे सहेली के पति राघव का दृष्टी मुझ पर पड़ी।

तीन दिन पहले की बात है, उन्होंने विष्णु के अनुपस्थिति मुझे पटाकर अपने वश में कर लिए। पहले मैं लजाती थी और गभराहट भी होती थी। लेकिन इस तीन दिन में राघव ने मुझे ऐसे चोदते रहे की बस इन तीन दिनों में ही मैं उनकी गुलाम बन गयी। राघव मेरी बुर की प्यास खूब मिटाते हैं। रोमांस बहुत करते है इतना रोमांस तो मुझे मेरे पतिने भी नहींकी।

पहली चुदाई के बाद तीन दिन बीत गए। उन तीन दिनों में राघव मुझे हर रोज दो से तीन बार पेलने लगा। घर के हर हिस्स्से में हम ने चुदाई की। किचन प्लेटफार्म पैर झुककर, डाइनिंग टेबल पर झुकाकर, उस पर मुझे चित लिटाकर, वरांडे में, हॉलमे.. यहाँ तक की बॉलकनी के रेलिंग पर झुका कर बाहर रोड पर आने जाने वाले को देखते चुदाई करते थे। हर रोज मेरे तीन साल के बच्चे को बेबी क्रेच कम kinder garden स्कूल में छोड़के आते थे और अपने मस्ती में डूबे रहते थे। पहले तो मैं हिच किचाती थी पर अब मैं खुद पहल करती हूँ।

मुझे खूब मजा आने लगा।

आज चौथा दिन था। सवेरे के 9 बजे थे। राघव मेरे बच्चे को बेबि क्रेच में छोड़के आये और सीधा बाथरूम में घुसे।

मैं किचन में चली गयी और नास्ते की तैयारी करने लगी।

"शालू... " मैं बाथरूम से राघव किवाज सुनी।

"क्या है....?" किचन से पूछी।

मैं टॉवल ले आना भूल गया .. जरा टॉवल देदेना..."

"खुद ही लेलो..." मैं उनकी चालाकी को समझ गयी और बोली।

"अरे भाई मैं नंगा हूँ... प्लीज जरा ला दो न...?" राघव की आवाज।

"उतारे गए कपड़े पहनो और टॉवल लेलो।" में अपने आप में मुस्कुराती बोली। सच मनो तो एक ओर मेरी जांघों के बीच की मेरी मस्ती रिसने लगी। और मुझे ऐसा लगा की मेरे चूची वजनी होगये यही। रात में दो बर चुदवाने के बाद भी मेरी यह हालात थी।

"यार शालू समझो.. मेरे कपडे मैंने भिगो दिए हैं..."

मेरे बदन में उत्तेजना बढ़ रही है... इस तीन दिनों की चुदाई में मैं भी राघव जैसे ही कामातुर बन गयी।

मैं उनके कमरे में गयी और टॉवल लेकर आयी और बथरूम की दरवाजे को नॉक करी औरकहीं और देखते बोली "टॉवल..."

मैं दरवाजा खोलने की आवाज सुनी। मैं हाथ आगे बधाई।

"शालू... किधर हो.. टॉवल हाथ में दो.. मेरे आँखों में साबुन लगा ह;. मैं आंख नहीं खोल सकता..."

मैं मेरी सर घूमकर देखि और चकित रह गयी। राघव मेरे सामने बिलकुल नंगा खड़ा था, उसका 8 इंच का औजार धरती के समान्तर में ख़ड़ी मुझे है., और रह रह कर सर हिल रही है की जैसे वह मुझे बुला रही हो। निम्बू के आकर के उनके बॉल्स (testicles) वजन से लटक रहे थे।

"देखो जब भी तुम मेरे सामने होती हो तो मेरा क्या हाल होती है..." राघव अपने डंडे की ओर इशारा करता बोला। मेरी आँखों में वासना के डोरे तैरने लगे। राघव मेरी ओर देखता निर्लज्जता से हंस रहा था।

उस magnificent डंडे लालच से देखने की मेरीछा को मैं रोक नहीं सकी I राघव आगे बढ़ा और मेंरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बाहों में खींचा।

"मुझे जाने दो..." मैं उस से छुड़ाने की कोशिस करती बोली। "प्लीज...."

वह हंसा और मेरे चट पटाते शरीर को शावर के निचे खींचा। शवर का ठंडा पानी हमरे गर्म शरीरोंको ठंडा करनेमे असफल रही। कड़क होचुके उसके डंडा की चुबन मैं मेरी पेट के निचे की भाग में गीली कपड़ों के ऊपर से महसूस करने लगी।

राघव मेरे कपडे उतारने लगा।

"नो ... प्लीज राघव नहीं...मुझे जाने दो..." मैं उसे रेसिस्ट (resist) करने लगी लेकिन मेरी रेसिस्ट में उतना दम नहीं था।

उसने मेरी एक न सुनी। एक के बाद एक उसने मेरा कमीज और सलवार उतरा। पहले उसने मेरा कमीज मेरे सर के ऊपर से निकाल दिया। फिर मेरे ब्रा का हुक्स खोलकर ब्रा का भी वही हाल किया जैसे मेरा कमीज। वह दोनों बातरूम के फर्श पर तिरस्कृत पड़े है। चूचियों पर ठंडे पानी के बूँद पड़ने लगे। पानी के ठंडक से मेरे निप्पल्स कडक होने लगे। मुझ में एक ओर लज्जा तो दूसरी ओर मेरे बदन की गर्मी। नखरे करते मैं अपनी नग्नता को उसके लालच भरी निगाहों से छुपाने का प्रयत्न कर रही थी। शावर से गिरता ठंडा पानी मेरी बदन की गर्मी को बढ़ा रही थी।

नग्नता को छुपाने का मेंरा प्रयास को अनदेखा करते राघव ने मेरी सलवार की ओर बढे। दूसरे मिनिट में मेरी सलवार मेरे पैरों के पास पड़ी है। में उसे अपने पैरों से निकाली। अब मैं राघव के सामने बिलकुल अंगी खड़ी थी सिवाय मेरे बदन से चिपकी भीगी पैंटी के। मेरी उस अवस्था को देख कर वह खुशी से गुर्राया और अपनी उँगलियों को मेरी पैंटी के साइड से घुसाकर उसे भी मेरे जांघों से निचे खींचा।

अब मैं, मेरे सहेली के पति के सामने बिलकुल नंगी खड़ी थी। उसका मादक जवान मेरे पेडू पर ठोकर मार रहा है। में राघव को रिझाना चह रहि थी। पानी के ठंडक से एक ओर कंपते मैं एक हाथ से अपने चूचियों को तो दूसरे से मैं अपनी चिकनी बुर को छुपाने की कोशिश कर रही थी।

राघव के होंठो पर एक तृप्ति भरा, अपनी जीत की मुस्कान। उसने मेरे हाथों को मेरे शरीर से दूर किया और मेरी नग्नता की ओर प्रसन्नता से देख रहा था। उसकी आँखे लालच से भरी थी।

"आआह्ह्ह्ह... how gorgeous you are शालू..." वह बोला। उसके आवाज में एक कुतिया को देख कर एक कुत्ते में आने वाली गुर्राहट थी।

राघव ने मुझे अपने बाँहों में जकड़कर रखा, मेरे नाजुक शरीर को अपने छाती पर दबाने लगा। उसकी ऐसी हरकतोंसे से मेरा बदन मक्कन की तरह पिघल रही थी। मेरे कड़क हो चुके चूची की घुंडीया राघव की छाती पर रगड़ खाकर और सेंसिटिव हो रहे थे। एक बार फिर उसका पेनिस को और उनके वृषणों को मेरे जांघों के बीच महसूस करी ..

अब मेरी बुरसे लवजूस (love juice) पानी की तरह बह रहा था। आज उसे मुझे चोदने से रोक के रखने का मेरे सारे ख्याल हवा में उड़ गए। मैंने यह भी महसूस किया कि अब मैं पहले जैसी नर्वस नहींहूँ बल्कि तैयार हूँ।

राघव अपने हाथ से मेरे मांसल चूतड़ों को पकड़कर मेरे शरीर अपने से चिपकाने लगा। जब राघव मुझे चूमने के लिए आगे झुका और अपने होंठ मेरे होंठों पर लगाया तो, मैं अपने होंठ खोलकर उसके होंठों का स्वागत किया और उसे चूमने लगी। उसका जीभ मेरे मुहं के अंदर सारे ओर घूम रही थी। उसके हाथ मेरे फ्लेशी (fleshy) कुल्हों को दबा रहे थे।

6'x6' वर्ग फ़ीट के उस बाथरूम में व्यग्र होकर एक दूसरे को किस करने लगा। इन तीन दिनों में मेरे मस्तिष्क से यह बात निकल गयी की मैं किसी दूसरे मर्द का पत्नी हूँ। मेरा एक छोटा बच्चा भी है। मेरे मस्तिष्क से यह सब बातें निकल गयी। मैं अब बस इस समय का आनंद उठाना चाहती हूँ। जो मुझे राघव देने को तत्पर है। मैं सिर्फ यही चाहने लगी की राघव की जबरदस्त लंड मेरे भूखी चूत को जमकर चोदे।

लगता है राघव ने मेरे दिल की बात मालूम है; उसने मेरी हाथ को पकड़कर अपने उफनते लंड पर लगाया। मेरे हाथों में वह एक सुलगते इस्पात की चढ़ लग रही है। एकदम लम्बा और मोटा रॉड जैसी थी। उसके हाथ मेरे जंग्घों के बीच आयी, और उसकी उँगलियाँ मेरे स्वर्गद्धार को पैलाकार अपनी तर्जनी उंगली बुर में घुसा दी।

"sssss...hhhhhaaaaa..." मैं हर्षोल्लास से सीत्कार करि।

उसकी ऊँगली मेरे अंदर बाहर होने लगी। अब राघव मुझे अपनि ऊँगली से चोदने लगा। उनकी ऊँगली उनके लंड जैसे ही मोटी थी। मेरी बुर ने सहर्ष उसे स्वीकार करि और अपने मृदु मांस पेशियों (cunt muscles) से उसे जकड़ कर पकड़ी।

मेरे सांसे भारी और तेज होगयी। मेरे अंदर आते जाते राघव की ऊँगली मेरे बुर में अपनी जादू दिखाने लगी। मेरी चूत 'और... और' कहते फुदकने लगी। मेरे अंदर से गर्म हवा के साथ गर्म पानी भी निकल रही है। राघव की इस चुदाई से मैं पागल होने लगी। में मेरे बुर के मोठे फांकों के बीच राघव की मोटा लंड चाह रहि थी। वह मुझे ऊँगली से चोद रहा था और मैं मेरी मुट्ठी को उसके लण्ड के गिर्द बंधी और उसे मेरे पुसी लिप्स (pussy lips) रगड़ने लगी।

राघव अब अपना मुहं मेरी निप्पल्स पर लाया, एक घुंडी को मुहंमे लिया और जोरसे चूसा। मेरा सारा शरीर उत्तेजना में कांप रहीथी। राघव भूखे बच्चे की तरह मेरे चूची को चूस रहा था। मेरी हालत यह होगयी की अगर उसने मुझे जल्दी से चोदा नहीं तो मैं पागल हो जावूँगी।

"Ahhhhhhhhh..." एक मीठी सिसकारी मेरे मुहं से निकल गयी। कितना अच्छा था उसका यह चूसना।

राघव एक के बाद एक मेरे निप्पल्स को बदल बदल कर चूस रहा था। मेरे दोनों चूचियों पर सामान (equal) ध्यान दे रहा था। अब और जोरसे चूस रहाथा जैसे की उसमे से मेरे प्राण ही निकल लेगा में उसके इस आक्रमण से "आआह्ह्ह ... ह्ह्हह..." कहते मचल रही थी। इस उद्वेग में मैं उसके लण्ड को जोर से भींचि और छोड़दि।

अब उन्होंने मेरी चूची छोड़कर मेरे पेट को किस करने लगा। फिर उसने मेरे नाभि में अपना जीभ चलायी तो में..."ओह्ह्ह्ह..राघव... ऐसे मत करो... मुझे खुजलि हो रही है..." कही। लेकिन उसने सुन ही नहीं वह और निचे को किसक कर अब मेरे पेडू और उसके निचे मेरे बुर पर आया। जब उसकी खुरदरी जीभ मेरे बुर के दोनों फांकों के बीच चलाया तो मैं फिर कसमसाई।

यह तो एक नया अनुभव है.. मैं इससे पहले ऐसे बाथरूम में करवाई नहीं। बुर चूसने की बात ही नहीं थी। एक क्षण तो मुझे ऐसा लगा की में इस ख़ुशी से मर जावूंगी। मेरे छह वर्ष की वैवाहिक जीवन में मेरे पति ने कभी वहां नहीं चूमा। मुझे ऐसे ख़ुशी पहले कभी नहीं मिली। मुझे ओरल सेक्स के बारे में सुन चुकी थी लेकिन मुझे उसका मजा तब आया जब राघव ने पहली बार मुझे चोदने से पहले मेरी चूत को चाटा था...आज और अब तो मैं जन्नत में हूँ। अब उसका मजा आ रहा है। मुझे यह भी पता नहीं था की कुछ लोग ऐसे भी करते है।

"राघव यह क्या कर रहे हो...? मैं उससे पूछि, लेकिन मेरे दिल में यहि था की राघव; जो वह कर रहा है उसे न रोके।

मेरी सवाल का कोई जवाब न देते हुए राघव में मेरी जांघों को पैलाकार, मेरी रिसती बुर को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरे गीली बुर के अंदर का कोना कोना में घूमने के साथ मेरी चूत के दाने (clit) भी छेड़ने लगी। मेरे में उफनती उत्तेजना का अंदाजा लगाना मुश्किल था। राघव मुझे दिन में तारे दिखाते मेरे बुर को खा राह था। अपनी जीभ को अंदर तक घुसेड़ कर फिर बहार खींछ्ता और मेरे भगनासे (clit) को दांतों में दबाने लगा... मुझे ऐसे लगा जैसे मैंने करंट की तार छूली हो। मेरा सारा बदन झन झना उठा।

उस करंट के लहरे सरे शरीर में समा गए। मेरा शरीर आनद से सिहर उठा। में अपनी कमर को उठाते चीखने लगी... "और.. हहह.. और ..." मेरे जांघों में एक कम्पन सी हुयी। मुझे ऐसा लगा की में गिर पड़ूँगी। सँभालने के लिए मैंने शावर पाइप को पकड़ी। मैं उस पाइप को जोरसे पकड़ कर, अपने पैरों को और खोलदी ताकि रघव मेरे जांघों में ठीकसे टिक जाये।

राघव मेरी बुर के साथ छेड़ चाढ़ करते मुझे जन्नत की ओर ले जा रहा था। मेर दोनों फांकों को अपने मुहं में लेकर दबा रहा था और सारे रस को पी रहा था। रह रह कर मेरे बुर की दाने को अपने जीभ से फ्लिक (flick) कर रहा था। मुझे ऐसा लगा की वह मेरे अंदर अपना डंडा डालने से पहले ही मैं झड़ जावूँगी।

मैं अपनी बुर को राघव के जीभ पर दबाने लगी। वह मेरी उतावलेपन को समझ गया और अपनी जीभ मेरी चूत से खींचा! अब मैं सोच रही थी कि अब राघव बाथरूम की इतनी सी जगह में कैसा पेलेगा... और समझ रही थी की वह अब मुझे बाहर लेजएगा.. लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

वह वहांके बकेट को बातरूम के एक कोने में धकेला और मुझे पकड़ कर निचे लिटाया। मेरे दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर टंगे चौड़ा करा और अपने पोजीशन को ठीक करता, मेरे जांघों के बीच आकर मेरे ऊपर झुक गया।

मैं चकित होकर उसे मेरे ऊपर झुकते देख रहीथी। उसने अपने उंगलयों में अपना लण्ड पकड़ा और मेरी बुर के मुहाने लगया, अपना पोजीशन ठीक किया। फिर अपना कमर को निचे किया। अब तक की टंग फ़क (tongue fuck) वजह से मेरी चूत तो पहले से ही लुब्रिकेट हो चुकी थी; सो उसे किसी lubricant की जरूरत ही नहीं थी। वह अपने कमर को निचे दबाया..."ससससस...हहहहहह" उसका मोटा सुपाड़ा 'फच' के आवाज के साथ मेरे अंदर घुस गयी। जब वह समझ गया की लवडे की सिर अंदर चली गयी तो हव एक और पुश दिया..उसका 8 1/2 इंच पूरा का पूरा जड़ तक मेरे अंदर। लार टपकाती, मेरी भूखी बुर ने उसे निगल गयी।

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