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Click here"mmmmmm...raaaaaaaaagggghhhaaaavvvv" में ख़ुशी से चीखी और उस सिमित जगह में मैं अपने कमर ऊपर उठायी। और मैं अपने पैरों को राघव के कमर के गिर्द लपेट उसे और अंदर खींची।
वाह अपने चेहरे को मेरे बूब्स के बीच रखा और वहां के मुलायम त्वचा को चाटता मुझे चोदने लगा। उसका मस्ताना यार मेरे चूत के अंदर बाहर हो रही थी। पहले तो उसके मूवमेंट्स धीरे थे, लेकिन जल्द ही वह फॉर्म पर आया और जोर जोर से अपना यार को मेरे में पेलने लगा। हर मिनिट के साथ उसका स्पीड बढ़ रही थी।
उसका दैत्याकार लैंड मेरे अंदर बाहर होने का मुझे अहसास हो रही है। उसका हर शॉट मुझे पागल कररही थी। उसका लैंड एक ड्रिल बिट की तरह मुझे ड्रिलिंग करते अंदर और अंदर जाने लगी। मैं उसके कमर को मेरे जांघों से जकड़ी और मेरी गांड हिलाते उसके ड्रिल बिट को मेरे अंदर और अंदर लेने की प्रेस कर यही थी। उसने मेरे बूब्स को पीते निप्पल्स को tickle करते एक हाथ से मेरी चूची को दबाते, मुझे पागल करते चोद रहा था। और वह जोर से गुर्रा रहा था।
"आआअह्ह्ह्ह.... शालू...मममम.. क्या चूत है तुहारी... मैं गॉड देखो तो तुम्हरी बुर कैसे जकड़ रही है मेरे लवडेको...आह्ह्ह्हआ..." कहते राघव दना दन मुझे पेल रहा था। "मेरी पत्नी की भी ऐसी ही होगी.. लेकिन क्या करूँ ... वह इतनि ठन्डे मिजाज की है की... वह सब करने देती है है लेकिन चोदने नहीं देती..." कहता मुझे ले रहा था।
उसके शब्द मेरे में एक तांत्रिक की तरह मेरे ऊपर असर करने लगे। मैं उसके लंड को हमेशा हमेशा के लिए चाहने लगी। मैं अपनी बुर की मांसपेशियों को (cunt muscles) उसके डिक के गिर्द और टाइट करने लगी।
"aaaaaaaa....mmmmmmmm" राघव खुश से चिल्ल्या।
हम दोनों यह बात भी भूल गए है की हम बातरूम में है और उपर से शवर का पानी हमारे गर्म शरीर को ठंडा करने असफल हो रही है।
"Aaahhhhh... aah... aah..." राघव की हर शॉट के साथ में खुशी के मारे पागल जो रही थी और चिल्ला रही थी।
चोदो राघव.. चोदो मेरी बुर को...आआह्ह्ह्ह.... सच बहुत अच्छा लग रहा है.... मैं झड़ने वाली हूँ...." कहती में अपनी कमर उठायी।
राघव मेरी स्तिथि को समझ गया और मेरि उरोजों को टीपते... चोदने लगा।और कहा.....
"मेरा भी होगया... शालू मैं डार्लिंग... लो मेरा खल्लास होगया .. गिर रही है.. गिरी...गिरी... वह भी जोश मे आकर चिल्लाने लगा और अपना लंड झड़ तक दबाकर झड़ने लगा। मैंने महसूस किया की उसका fuck pole से उसका अमृत.. गर्म गर्म मेरे वांछित चूत में टपक रही है।
उसने मेरी शरीर को बातरूम फ्लोर पर दबाके रखा और मैं अपने दोनों हाथ उसके गले में डालकर.. उसे चूमते उसकी अमृत की आनंद ले रही थी।
उसके लंड से कितनी देर तक मदन रस मेरे अंदर गिरता रहा.. मुझे मालूम नहीं क्यों की जैसे वह झड़ने लगा मैं भी झड़ी और मेरे आंखे मूंदने लगे। धीरे धीरे उसका औजार मेरे अंदर नरम पड़ती गयी। मैं अपने पैर अभी भी उसके कमर में लपेटे थी। राघव का सर मेरी छति पर रख कर भरी भरी साँसे लेने लगा। मेरा भी यही हल थी। बहुत देर बाद हमारे सांस समान्य हुए तब कही जाकर मैं अपने टांग उसके कमर से ढीला करी।
यह मेरे ऊपर से उठा। नरम पड़ी डंडा बाहर निकली। मेरे चूत से उसका छोडा गया लस लसा बाहर निकल का मेरी गांड की ओर बहने लगी। शावर से गिरता पानी ने हमारी अंगों को धो डाली।
मैं रघव को चूमते एक तृप्ति भरी मुस्कान दी।
वहभी हँसते हुए.. "सच शालू मैं ऐसी चुदाई कभी नहीं की... हलाँकि एक से एक कॉल गर्ल्स के साथ मैथुन कर चूका हूँ लेकिन ऐसी satisfaction किसी से नहीं मिली... शालू क्या तुम मेरी पत्नी बनोगी...?" पुछा। में एक क्षण खमोश रही और बोली "लेकिन रघव मेरे पति और मेरा बच्चा..." में रुकी।
शालू तुम्हारे पति का ट्रीटमेंट मैं देख लूंगा..और बच्चे की भी जिम्मेदारी मेरी है... बस सिर्फ तुम हाँ कहो...
"लेकिन.. राघव... विष्णु.. "
उसकी फ़िक्र मत करो.. वह पहले ही कह चुकी है की अगर में चाहूँ तो दूसरी शादी कर लूँ उसे मनाना मेरी जिम्मेदारी.. वह मेरी पहली पत्नी और तुम मेरी दूसरी पत्नी... बोलो.. हाँ या ना ..."
नै कुछ देर सोची... मेरे पति का इलाज और बच्चे की जिम्मेदरी राघव लेगा... और मुझे खुद बेहद चुदाई की ख़ुशी मिल सकती है.. यह सोच कर में हाँ करि।
में कैसे राघव की पत्नी बनी मेरी सहेली विष्णु क्या कही... यह अलग किस्सा है... उस बारे में फिर कभी, फिलहाल तो मैं उसकी पत्नी बनके मजे लूट रही हूँ अब हमारे लव गेम में विष्णु भी साथ देती है.. अब वह भी चुदाई में रूचि लेने लगी है।
दोस्तों, अब मैं और राघव आप से विदा लेते हैं। यह एपिसोड कैसा रहा आपका राय जरूर दें।
bye bye राघव और शालू
समाप्त