अंतरंग हमसफ़र भाग 173

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समारोह की तयारी​
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Part 173 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 41

समारोह की तयारी​

जीवा को याद था कि पहली और आखिरी बार भी उसकी इष्ट प्रेम की देवी ने ही उसकी सहायता की थी और जब उसकी दीक्षा (चुदाई) का कार्यक्रम था तब भी उसने देवी से ही प्राथना की थी की वह उसके कौमार्य की रक्षा करे और फिर जब उसके दीक्षा करता वारेन का लंड उसकी चूत के अन्दर जाने वाला था तो उसका लंड जीवा की योनि का स्पर्श करते ही बाहर ही स्खलित हो गया था। दुबारा दीक्षा करवाने के लिए जीवा और पाईथिया त्यार नहीं हुई थी और इस बात से प्रेम की देवी और मंदिर की बदनामी न हो और बात फ़ैल न जाए इसलिए जीवा को ही मुख्य महायाजक बनाया गया । फिर उसके बाद पाईथिया ने नियमो में बदलाव किया था और दीक्षाकरता के चुनाव के नियम बदल दिए थे । इसी कारन से जीवा मंदिर के शताब्दियों के इतिहास में पहली महायाजक पुजारिन थी जो की कुंवारी रहती हुई महायाजक बन गयी थी । जीवा और पाईथिया दोनों मानती थी ये सब देवी की असीम कृपा का ही नतीजा था और ये राज केवल महायाजक पाईथिया, जीवा और उसके दीक्षा करता श्रीमान वारेन को ही ज्ञात था ।

इसीलिए जीवा की चूत की कसावट कुवारी चूत वाली ही थी। फिर उसने अपनी इष्ट प्रेम की देवी से प्राथना की और उनसे थोड़ा-सी और शक्ति और सब्र माँगा और दोनों उंगलिया को अन्दर डालने के लिए जोर लगाना पड़ रहा था। चूत की कसी हुई मखमली दीवारे उसकी योनि उंगलियों को अंदर नहीं जाने दे रही थी । थक कर उसने हाथ से दाने को रगड़ना जारी रखा। इससे मिलने वाले चरम सुख की कोई सीमा नहीं थी। मुहँ से सिसकारियो का सिलसिला लगातार चल रहा था, उसका शरीर भी उसी अनुसार लय में कांप रहा था और आगे पीछे हो रहा था। अचानक उसका पूरा शरीर अकड़ गया, सिसकारियो का न रुकने वाला सिलसिला शुरू हो गया, जांघे अपने आप खुलने बंद होने लगी, दाना फूलकर दोगुने साइज़ का हो गया था लेकिन जीवा ने उसे रगड़ना अभी भी बंद नहीं किया था। दाने के रगड़ने से चूत के कोने-कोने तक में उत्तेजना की सिहरन थी। चूत की दीवारों में एक नया प्रकार का सेंसेशन होने लगा, कमर और जांघे अपने आप कापने लगी, जीवा को पता चल गया अब अंत निकट है, ये वासना के तूफ़ान की अंतिम लहर है। चूत रस तेजी से बाहर की तरफ बहने लगा। सारा शरीर कापने लगा, उत्तेजना के चरम का अहसास ने उसके शरीर पर से बचा खुचा नियंत्रण भी ख़त्म कर दिया।

कमर अपने आप ही हिल रही थी, पैर काँप रहे थे, मुहँ से चरम की आहे निकल रही थी। और फिर अंतिम झटके के साथ पूरे शरीर में कंपकपी दौड़ गयी और पूरा शरीर सोफे पर धडाम से ढेर हो गया। और फिर वह झटके खाती हुई स्खलित हुई और धीरे-धीरे वह सोफे पर पूरी तरह लेट गयी।

जीवा आनंद के सागर में गोते लगाते-लगाते लगभग बेहोशी की हालत में पंहुच गयी। धीरे-धीरे जीवा की सांसे काबू में आने लगी, चूत के दाने की सुजन कम होने लगी, स्तनों की कठोरता कम होने लगी। अपनी उखड़ती सांसे संभाले जीवा अपना स्त्रीत्व महसूस करने लगी, उसे अपने औरत होने का अहसास हुआ। चेहरे पर मुस्कराहट आयी और उसने शरीर को ढीला छोड़ दिया। उसने अपने ही चुचे और चूत का अहसास आज पहली बार किया था। उसके शरीर मेंइन अंगो के होते हुए भी आज तक इनसे अनजान थी। लेकिन उसे अभी संतुष्टि का एहसास नहीं हुआ और जब संतुष्टि देने वाले का ख्याल आया तो तुरंत उसके चेहरे पर फिर एक बार मुस्कुराहट आ गयी और उसने अपनी चूत और स्तनों को थपथपाया, पूरे बदन को सहलाया और बोली बस थोड़ा-सा इन्तजार और करो प्यारे पिया से मिलन का समय अब बिलकुल पास है ।

इसी के साथ उसने टब में डुबकी लगा दी । 22 साल की खूबसूरत जीवा स्नानागार में टब से नहाकर बाहर निकली और तेजी से खुद के नंगे बदन को तौलिये से लपेट लिया, लेकिन आईने तक आते-आते तौलिया फिसल गया।

तभी कदमो की आवाज आयी और वह परिचारिकायें मालिश का समान और दो बड़े बक्से ले कर स्नानागार में आयी। दो परिचारिकायें आयी मिशु मालिश और राशि मेकअप के लिए प्रशिक्षित थी। पाईथिया ने उन्हें जीवा की मालिश और मेकअप करने के लिए भेजा था और राशि भारतीय मूल की लड़की थी और बोली डेल्फी आप हमारे हाथो से मालिश करा ले और उबटन लगवा ले आपको बहुत अच्छा लगेगा । फिर सबसे पहले उन्होंने जीवा के जिस्म की वैक्सिंग की और-और चूत बिल्कुल क्लीन शेवड की। हालाँकि जीवा ने वैक्सिंग दो दिन पहले ही करा ली थी। लेकिन राशि जीवा की चूत को बिलकुल मक्खन चूत बनाना चाहती थी। शायद उसे किसी ने बता दिया था कि मुझे चिकनी योनि बहुत पसंद है । इसलिए उसने जीवा की चूत और गांड को क्रीम लगा के साफ़ किया और बार-बार वीट लगा कर चूत ऐसी बना दी कि कोई मक्खी भी बैठ जाये तो फिसल जाए।

और फिर उन्होंने तेल अपनी उंगलिओं में लेके जीवा के बदन पर लगाना शुरू किया, तो जीवा की जो भी झिझक थी, थकान थी और दर्द था, सब कुछ ही देर में पिघल गया। पैरों, पिंडलियों, जाँघो की थकान तो गायब हो ही गई, उसे बिकुल एकदम हल्का लगने लगा ।, । उसका हाथ जब नितंबो पर पहुँचा और उसने अपने हाथों के बीच जीवा के दोनों नितंबो को मसलना शुरू किया।

फिर राशि ने जीवा को हल्दी, चंदन और मंदिर के कुछ विशेष जड़ी बुटिया मिला उबटन लगाना शुरू किया और पहले पैरों पर लगाया फिर थोड़ा-सा एक दूसरी कटोरी से कुछ अलग-सा उबटन बूब्स के साइड में लगा दिया। वह अपने आप करवट बदल के पीठ के बल हो गयी। फिर उसने जीवा के उभारों पर कुछ और उबटन लगाया और बोली थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहना । जीवा को बहुत अच्छा लग रहा था। और फिर राशि ने सीधे जीवा के उरोजो पर और एक दूसरी कटोरी से एक अलग ढंग का उबटन ले के उसके सीने पर हल्के हाथों से लगाया। वह अनारदाने और अनार का एक ख़ास उबटन था जो बच्चे होने के बाद औरतों के सीने में कसाव और शेप के लिए इस्तेमाल होता है फिर उसे यहीं लगा हुआ छोड़ कर फिर बाकी देह में चंदन, हल्दी और जड़ी बूटियों वाला उबटन लगाना शुरू किया। एक घंटे के बाद फिर सीने पर लगा वह लेप छुड़ाया।

सीने पर वह ख़ास उबटन जब वह छुड़ाती तो राशि जीवा के सीने को सहला देती और कहती आपको मास्टर यहाँ पर कस के मसलेँगे और जीवा के निपल्स तुरंत कड़े हो गए और फिर उसने उन्हें हलके से खेंच कर बोली वह कहती, दिल्ली, मास्टर तो बहुत किस्मत वाले हैं जो उनका इतना मस्त जवानी मिली है । तभी मीशू बोली अरे मास्टर भी तो मस्त हैं । वह कितने बहदुर हैं, उन्होंने ही डेल्फी की जान बचायी है और मैंने तो ये भी सुना है उनका लिंग बाहर बड़ा लम्बा और कठोर है । और मैंने स्नानागार की एक परिचारिका को ये कहते हुए सुना था की जब मास्टर चुदाई करते हैं तो चीखे पूरे मंदिर में गूंजे लगती हैं ।

राशि बोली हाँ अरे जहाँ उनका कमरा है वहाँ से अभी भी चीखे सुनाई दे रही हैं... मीशू बोली अरे ये तो समीना की चीखे हैं जो उनकी सेवा में है। लगता है आज समीना न्र भी होना कौमार्य मास्टर को समर्पित कर दिया है और ये बोलते हुए वह नीचे भी वह कोई मौका नहीं छोड़ रही थी, कभी उसकी कुँवारी योनि की पंखुड़ियो को सहला देती तो कभी तेल लगाने के बहाने उंगली की टिप से छेद को छु देती।

जीवा दम मस्ती से भर गयी थी और जब वह उसे सीने को छुने से मना करती तो वह और मसल के बोलती, "अर्रे डेल्फी, ये तो जवानी के फूल हैं, आपके मास्टर । आपके मसीह के खिलौने। अर्रे वह तो इतने कस-कस के मसलेंगे कि आपके पसीने छूट जाएँगे। मास्टर आपको सिर्फ़ हाथों से नही, चूसेंगे, चाटेंगे, होंठो से भी, चूमेंगे, और कच कचा के काटेंगे और अपने उस बृद्ध हथियार से पीस देंगे । चटनी बना देंगे । आप को याद नहीं है कि कैसे उनके हथियार ने एस्ट्रा की योनि के अंदर चेरी की चटनी बनायीं थी । डेल्फी अब इन कबूतरो के उड़ने के दिन आ गये और अब वे इन मस्त जोबन को वह लूट लेंगे।"

जीवा उनकी बाते सुन कर मजे लेती रही थोड़ा शरमाती, गुस्सा होने का नाटक करती पर मन ही मन सोचती कि अब कुछ पालो की बात है और फिर मैं उनकी बाहों में होंगी और वह मुझे अपने सीने में कस के भींच के, दबा के, रगड़ के मेरे साथ प्यार करेंगे। "

फिर उन्होंने जीवा को शावर चला कर उसका जिस्म मसल-मसल कर नहलाया और उसके बाद उसे विशेष ड्रेस पहना दी जिसमे कोई कपड़ा नहीं था शरीर का कोई अंग किसी वस्त्र से छिपाया नहीं था, संपूर्ण पतले शरीर पर केवल सोने के हार और गहने पहने हुए थे और कुछ बारीक सुनहरी जंजीरों के अलावा उसका सुंदर नग्न बदन देखना बहुत कामुक था।

राशि बोली मीशू आप जानती हैं मास्टर मेरी तरह एक भारतीय हैं और मैं आज की रात डेल्फी की है और मेरा सुझाव है क्यों न इन्हे हम एक दुल्हन की तरह सोलह शृंगार कर सजा दे । फिर मास्टर की हालत देखने लायक होगी ।

मीशू बोली इसके लिए हमे डेल्फी से ही आज्ञा लेनी चाहिए और बोली डेल्फी आपकी इस बारे में क्या राये है?

जीवा ने शर्मा कर अपनी सहमति गर्दन हाँ में हिला कर दे दी। फिर मीशू और राशि ने जीवा को उनके कमरे में ले गयी और जीवा का सोलह शृंगार की पूरी करना शुरू कर दिया। जीवा के शृंगार का विवरण मैं आगे करूँगा जब वह त्यार हो कर मेरे सामने आएगी

सबसे अंत में जीवा के बालो में ग्रीक गजरा सजा दिया--और गजरे ने जीवा के हुस्न और सुनहरे घने और लंबे बालो की सुंदरता को कई गुना बढ़ा दिया और बोली आज तो डेल्फी जीवा आप बहुत सुंदर लग रही है पता नहीं किस-किस पर बिजलिया गिरने वाली हैं और आज तो मास्टर को बहुत धैर्य रखने की जरूरत पड़ेगी।

कहानी जारी रहेगी

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