अंतरंग हमसफ़र भाग 179

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सेक्सी अपना कौमार्य अर्पित कर दो​
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Part 179 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 47

सेक्सी अपना कौमार्य अर्पित कर दो​

मस्ती में डूबते हुए गीवा अब मुझ से-से अपनी और ज़्यादा तारीफ सुनने के मूड में आ गयी थी। इस लिए उस ने सिसकियाँ लेते हुए पूछा"ऊऊओह क्या तुम को सिर्फ़ मेरी चूत ही अच्छी लगी, क्या मेरे मम्मे तुम्हे खूबसूरत नहीं लगे मास्टर?"

मैं: ओह्ह गीवा में ने आज तक इतनी खूबसूरत चूत और मम्मे नहीं देखे, तुम तो पूरी की पूरी ही मस्त माल हो। अह्ह्ह्ह में कितना खुश क़िस्मत हूँ कि मुझे तुम जैसी खूबसूरत हूर परइ और अप्सरा चोदने को मिली है मेरी जान।

यह कहते ही मैंने जीवा के गुदाज चुतड़ों पर हाथ रख कर उस की गान्ड को ऊपर उठाया और दुबारा अपने मुँह के नज़दीक किया और अपने मुँह को फिर से जीवा की रसभरी चूत पर लगा दिया।

गीवा मेरी इस हरकत से मस्ती से बे काबू हो गई। " हाईईईईईईईईईई!

मैंने तीन चार बार जीवा की चूत पर अपनी ज़ुबान फेरी और फिर अपनी जीभ को जीवा की चूत में डाल कर उसे चाटने लगा।

तो मज़े की शिद्दत से बेकाबू होते हुए जीवा के मुँह से बे इख्तियार कराहे निकल गयी। ओह्ह्ह आह्हः हाय मर गयी । चाटो और चाटो और इस मज़े को पा कर गीवा तो दुनिया को भूल गई और मस्ती में आते हुए मेरे सर को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी।

उसका अनमोल खूबसूरत युवा बदन और-और मदमस्त यौवन। उभारों वाले बेदाग और भरे-पूरे सन्गेमरमरी बदन को देखने से-से ही मेरी नसों में स्वत: कामोत्तेजना बढ़ गयी थी और लिंग कड़ा होने लगा था और इस एहसास ने की अब हम अपने प्रथम सम्भोग की और बढ़ रहे थे और फिर उस स्पर्श ने तो लिंग को अति कठोर कर दिया और अपने-अपने जिस्म से चिपकी अति हसीन जीवा को अपने से लिपटा पाकर मैं विस्मित-था।

मेरे हाथो का स्पर्श पाकर जब वह मुझ से कस कर चिपकी तो मैं जैसे होश में आया और मेरा एक हाथ अब उसके कंधे पर था और दूसरा स्तनों पर और फिर मैंने भी उसे अपनी ओर खींचा। थोड़ी देर तक मैं उसे अपनी बांहों में भरकर उसकी पीठ को अपने हाथों से सहलाता रहा। वह मेरी बांहों में मुझसे और चिपक गयी। उसके कुँवारे नारी शरीर और अनभोगे, सुडौल, बेहद कड़े और भरपूर उभार और गर्म चूचियों के पर्श से मेरा मन वासना के ज़्वार-भाटे में डगमगा उठा। मुझे लगा मेरा लिंग बेहद कड़ा होकर विशाल हो गया।

फिर मैंने एक चुंबन उसकी कजरारी आँखों पर किया। मैंने बस अपने होंठो को पलकों पर छू भर दिया, फिर दूसरी पलक पर चुंबन किया और दो तीन हल्के चुंबनो के बाद मैंने एक-एक कर दोनों पॅल्को को कस के चूम लिया और उसने ऐसे आँखे बंद ही हुई थी।

फिर मैंने हल्के से जहा माथापट्टी से लटक रहे हीरे के चारो और चूमा और-और फिर माथे की बिंदी पर चूमा तो उसने खुद को अब मेरी बाहों के हवाले कर दिया था। उसकी मूंदी पलके बस अभी तक उन चुंबनों का मजा और स्वाद ले रही थी।

कहंते हैं न शेर के मुँह खून लग गया था और अब यही हालत मेरे होंठो की भी थी।

माथे से वह सीधे मैं उसके गोरे गुलाबी गालो पर आ के रुका और फिर धीरे से नाक को चूमा और फिर होंठो पर हल्का-सा चुंबन किया । उसके गाल शर्म से गुलाबी हुए और मैंने जब दुबारा चूमा तो अब मेरे होंठ वही ठहर गये और मुझे आज तक उस चुंबन का स्वाद याद है... मैंने फिर उसको अपने से हल्का-सा दूर किया हाथो से उसका चेहरा ऊपर किया और होंठो पर एक लम्बी किस की उसकी आँखे बंद थी। जीवा ने अपने होंठों को मेरे होंठों से छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की बल्कि मेरा साथ दिया और मुझे चूमने लगी। मैंने उससे कहा कि वह अपना सिर थोड़ा दायीं ओर झुकाए और बस थोड़ा-सा अपना मुंह खोल दे। मैंने अपना हाथ उसके चेहरे के दोनों ओर रख दिया और उसे अपनी ओर खींचने लगा। जैसे ही हम अपने होठों के मिलने के करीब पहुँचे उसका पूरा शरीर काँप उठा। मेरे होंठ उसके संपर्क में आ गए, छूते ही वह एक पल के लिए हिल गई, लेकिन फिर भी अपने पहले वास्तविक चुंबन का अनुभव करने के लिए आगे बढ़ी। मैंने उसके होठों को अपने होंठों से मालिश करना शुरू कर दिया, उसके धीमे और बहुत नरम चुंबन, यह महसूस कर रहा था कि यह युवा होंठ मेरे साथ मिलकर कितना रोमांचक था। जिस तरह से उसके होंठ इतने युवा और इतने कोमल महसूस करते थे, मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके होंठों को छुआ और वह फिर से एक सेकंड के लिए कूद पड़ी। उसने बस अपने होठों को खुला रखा था जबकि मैंने उनके होंठों को बाहर से सहलाया था। जल्द ही उसने वापस वही काम करते हुए अपनी जीभ बाहर निकाल ली। हमारी जीभ एक दूसरे के साथ नाच रही थी, एक दूसरे के मुंह की खोज कर रही थी, बाहर चूम रही थी और अपने होंठों को एक दूसरे के खिलाफ जोर से दबा रही थी।

फिर मैंने अपना हाथ धीरे से जीवा की जांघो के बीच चूत की घाटी की तरफ बढ़ाया, मैंने धीरे से अपनी उंगलिया जीवा की चूत की तरफ बढ़ाई और बहता चूत रस पोछने लगा और जीवा का चूत रस उंगलियों पर लेकर उसका रस पान करने लगा। रसपान करने के बाद मैंने हलके से जीवा की चूत के गुलाबी गीले ओठों को फैलाया और गुलाबी चूत दाने को रगड़ने लगा।

वासना में तपती जीवा की तेज धडकनों से बढे तेज खून के बहाव के कारन लाल गुलाबी होकर कर फूल गए चूत दाने या चूतलंड को जैसे ही मैंने छुआ, तो जीवा के सुडौल मांसल चुतड अचानक से झटके में ऊपर को उठ गए, ऐसा लगा जैसे उसे बिजली का करंट लगा हो।

फिर मैंने अपने हाथो को जीवा के चूचों पर रखा और झुक कर जीवा के होंठो को चूमते हुए जीवा के कान में सरगोशी की, गीवा। "

जीवा : जी।

मैं: मेरी जान कैसा लग रहा है?

जीवा: ओह्ह मास्टर बहुत अच्छा। आआआआआअहह उउफफफफफफफफ्फ! ऊऊओह! ईईईईईईईईईईईई! बोहोत मज़ा देते हो आप!

मैंने जीवा के गुलाबी लाल फूले हुए चूत दाने पर उंगली का दबाव बढ़ा दिया और उसे रगड़ दिया। और फिर कुछ देर तक मसलता ही रहा। जीवा के मुहँ से मादक कामुक कराह निकल गयी-ओह्ह ओह्ह्ह्हहाईए ओह्ह्ह्हह आआह। मैंने जीवा के चूत दाने को मसलना जारी रखा। जीवा की कमर अपने आप झटके खाने लगी। उसके मुहँ से सिकरियाँ फूटने लगी। -आह्ह्हह्ह्ह्ह मैं आअऊऊऊह्ह्ह्ह ऊऊऊह्ह्ह।

मैंने धीरे से अपनी उंगलियाँ जीवा की बाल रहित चिकनी चूत के पतले-पतले गुलाबी ओठो की तरफ बढ़ा दी और उन्हें सहलाने लगी, उनसे छेड़खानी करने लगा। पहले से ही संवेदनशील टिव गरम गीली चूत के ओठो को रगड़ना जीवा के बर्दाश्त से बाहर हो गया।

मेरा हाथ उस की चूत से टच होते ही जीवा पर एक मस्ती-सी छाने लगी। सच्ची बात यह थी कि जीवा खुद भी मेरे मोटे लंड को देख कर मेरे लंड की दीवानी हो गई थी। इस लिए उस ने भी मेरे लंड को अपने हाथ में ले कर उसे सहलाना शुरू कर दिया।

फिर हम दोनों के मुँह आपस में मिल गये। दोनों बिना किसी खोफ़ के एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे के लबों का रस पीने लगे। जीवा की नरम, गोरी, चिकनी और वासना की आग में जलती गुलाबी चूत को ऊपर से सहलाते जीवा ने ऐसा अपने सेक्स जीवन में कभी भी अनुभव नहीं किया था, मैंने जीवा की गीली हो चुकी गुलाबी चूत को बमुश्किल अभी हाथ ही लगाया है और जीवा के होश फाख्ता हो गए है, उसका खुद पर से काबू ख़तम हो गया है। मैंने जीवा की चूत के ओठो को धीरे से इधर उधर किया और अपनी मध्य उंगली को उसकी बेहद कसी गीली गरम गुलाबी चूत में डालने लगा, चूत की दीवारे एक दूसरे से सटी हुई थी और चूत के छेद को इस कदर कस के रखा था कि हवा को भी जगह बनानी पड़े। मेरी उंगली को चूत की कसी दीवारों के जबदस्त विरोध का समाना करना पड़ रहा था। मैंने उंगली पर और जोर डाला, नाख़ून तक उसकी उंगली चूतकी गुलाबी, मलमली, गीली दीवारों को चीरती हुई अन्दर घुस गयी। जीवा के पूरे शरीर में कंपकपी दौड़ गयी, उसका पूरा शरीर उत्तेजना से गरम होने लगा।

जीवा: ओह्ह मास्टर बहुत अच्छा। आआआआआअहह उउफफफफफफफफ्फ! ऊऊओह! भाईईईईईईईईईईईईई! बहुत अच्छा लग रहा है! जीवा के बड़े-बड़े मम्मे और सुंदर बदन देख कर मुझे बहुत जोश आ रहा था और इस जोश में अपने हाथ की उंगलियों से जीवा की जबर्जस्त चुदाई करने में मसरूफ़ था।

मैंने और दबाव बढ़ाया, उंगली जीवा की चूत की दीवारों का विरोध चीरती हुई अन्दर घुसती चली गयी, मैंने थोडा थोड़ा करके पूरी उंगली जीवा के चूत में पेल दी। चूत की दीवारे अभी भी हार मानने को तैयार नहीं थी, वह बार-बार उंगली को बाहर की तरफ ठेलने की कोशिश करती। आखिरकार चूत की दीवारों के बीच मैं की उंगली ने अपने लिए जगह बना ही ली। जीवा की चूत की नरम मखमली दीवारे जो चूत के रस से सराबोर हो चुकी थी, मैं की उंगली को कसकर चारो ओर जकड लिया। मैंने जीवा की चूत में उंगली घुसेड कर अन्दर बाहर करनी शुर कर दी और अपनी गीली जीभ जीवा के फूले हुए लाल चूत दाने पर रख दी और उसे चूमने चाटने लगा।

उउफफफफफफफ! आआआआआआआआआआआआ! प्लेआस्ईईईई! आहिस्ता! एयेए! मारो गे क्या मुझ को" गीवा मेरी ऊँगली के ज़ोर दार झटकों को अपनी चूत में महसूस करते हुए मज़े से कराही।

मुझे जीवा की चूत की कसावट का अंदाजा हो गया था। जीवा की कुंवारी चूत बहुत टाइट थी। जीवा की मखमली चूत की दीवारों की सलवटे मैं अपनी उंगली पर महसूस कर रहा था। मैंने झटके से उंगली बाहर खींची और फिर झटके से अन्दर डाल दी। जीवा का शरीर पूरी तरह से काम वासना की उत्तेजना से अकड़ने लगा था, उसके मुहँ से निकलने वाली आहे कराहे और तेज हो गयी थी। वह मैं को अपने ऊपर खीचने की कोशिश करने लगी। मैंने अब दूसरी उंगली भी चूत में घुसेड दी और तेजी से उंगली को जीवा के चूत के छेद में अन्दर बाहर करके जीवा की गरम गीली चूत को दो उंगलियों से चोद रहा था और अपने नीचे लेटी खूबसूरत जीवा को एकटक देखता जा रहा था।

जीवा बहुत मज़े ले-ले कर अपनी चूत मसलवा रही थी और साथ में ुंडगली के योनि में घर्षण के मजे ले रही थी। " ऊऊऊऊओह! आआआआआआआआआ! उफफफफ्फ़! जमशेद प्लेसीईईईईईई! और चोदो मुझे उफफफफफफफफफ्फ़ । ओह्ह क्यों तड़पा रहे हो मास्टर अब पूरा डाल दो ना मैरी चूत में अपना लंड! उूउफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़!

जीवा के जिस्म ने एक झटका लिया और उस की बुर का बाँध टूट गया और जीवा की चूत से झड़ते हुए पानी की एक नदी बहने लगी और मेरा पूरा हाथ अपनी चूत से निकलते हुए पानी से भीग गया। जीवा को बहुत मज़ा आ रहा था।

मैंने तुरंत अपनी उंगली से चूत का चोदना रोक दिया और फिर अपने पैर फंसा कर जीवा के पैरो को और फैला दिया, जीवा की चूत पर एक भी बाल नहीं था इसलिए अब कोई भी दूर से जीवा की चिकनी गोरी गुलाबी चूत के खुले ओठो और गुलाबी छेद को देख सकता था। जिसे चूत की दीवारे कसकर बंद किये हुई थी। मैं पूरी तरह से जीवा के ऊपर आ गया और अपने पैरो को हिलाकर थोडा एडजस्ट किया। अब मेरा खून से लबालब भरा मोटा लंड, जिसकी नसे दूर से ही देख रही थी, जीवा की जांघो के बीच बिलकुल चूत के मुहाने पर झूल रहा था।

"उफफफफफफफफफ्फ़ मास्टर मेरी चूत को इतना गरम हो गई है। कि अब तुम्हारे लंड लिए बैगर इस की प्यास नहीं बुझ पाएगी" गीवा ने कहा।

मैंने जीवा से कहा सेक्सी जीवा! अब मुझे अपना कौमार्य अर्पित कर दो ।

"उफफफफफफफफफ्फ़ मास्टर मेरी चूत को इतना गरम हो गई है। कि अब तुम्हारे लंड लिए बैगर इस की प्यास नहीं बुझ पाएगी" गीवा ने कहा।

हर धड़कन के साथ कांपते मोटे लबे लंड को जिसका सुपाडा खून की वजह से फूल कर टमाटर जैसा लाल हो गया था को देखकर जीवा ने अपनी आंखे बंद कर ली। ये मोटा-सा बड़ा-सा फूला हुआ लंड अभी उसकी चूत की दीवारों को चीर कर रख देगा, फाड़ कर रख देगा, इसी ख्याल से जीवा का रोम-रोम खड़ा हो गया। जीवा के शरीर में सिहरन दौड़ गयी। मैंने जीवा के ओठो को कसकर चूमा और फिर खुद की कमर को थोडा नीचे झुकाते हुए, हाथ से चूत के दोनों ओठो को अलग-अलग किया और फिर लंड को चूत के लाल फूले हुए चूत दाने पर रगड़ दिया। मैं अब जीवा की टाँगों को अपने हाथ में उठा कर उस की चूत पर आहिस्ता-आहिस्ता अपना मोटा लंड रगड़ने में मसरूफ़ हो गया।

बस कुछ ही पलो में...जीवा के मुहँ से एक लम्बी कामुक कराह निकल गयी--आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह-ओह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्हह उफ्फ्फ्फ़। जीवा उत्तेजना के इस भंवर को संभाल नहीं पाई और उसका शरीर कांपने लगा, उसके नितम्ब अपने आप उठने गिरने लगे। शायद वह झड़ने लगी थी। कुछ देर तक वह इसी तरह हिलती रही और फिर शांत हो गयी। हालाँकि वह मेरा साथ न दे पाने के लिए शर्मिंदा थी लेकिन उसकी उत्तेजना पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था। मुझे इन सब का अनुभव था इसलिए मैंने जीवा के सुडौल गोरे स्तनों को मसलना तेज कर दिया, जीवा के गले और कान के पीछे तेजी से चूमने लगा, चाटने लगा।

बारी बारी से उसके मांसल सुडौल गोरे-गोरे स्तनों को मसलते हुए बीच-बीच उसके फूले हुए लाल चूत दाने को रगड़ने लगता। दूसरे हाथ से उसके नरम-नरम बड़े बड़े मांसल चुताड़ो मसलने लगता, जीवा की कमर उठाकर, उसकी जांघे और चूत घाटी त्रिकोण पर खुद का फडकता हुआ मोटा लम्बा लंड रगड़ने लगता ।धीरे धीरे जीवा का जिस्म फिर से गरम होना शुरू हुआ, मैंने अपने मोटे लंड के फूले हुए सुपाडे से जीवा का फूला चूत दाना जोरे से रगड़ दिया और फिर मैंने लंड को जीवा की गुलाबी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया।

मोटे मुसल जैसे लंड के फूले हुए सुपाडे से लालिमा लिए चूतदाना रगड़ने से जीवा बहुत जल्दी फिर से पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी। जीवा की आहे फिर निकालनी शुरू हो गयी, कुछ ही पलो में जीवा फिर से वासना के भंवर में मस्त होकर सिसकारियाँ भरने लगी, उसकी चूत की दीवारों से फिर पानी झरने लगा। मैंने जीवा की गुलाबी चिकनी चूत पर अपना लंड रगड़ना अनवरत जारी रखा। जीवा वासना में मस्त होकर सिसकारियाँ भरती रही।

इन्ही मादक कराहो के बीच मैंने लंड को जीवा की चूत के छेद पर रखा और रगड़ने लगा। जीवा की कराहे और सिसकारियाँ बढती जा रही-रही थी। मैंने कमर को और झुकाते हुए लंड को जीवा की चूत से सटा दिया और उसकी चूत रगड़ने लगा। जीवा भी उसकी चूत को सहलाते मैं के लंड पर हाथ फेरने लगी।

मैंने जीवा की चिकनी गुलाबी गीली चूत को सहलाते-सहलाते जीवा की चूत के ओठ खोल दिए और-और अपने खड़े लंड का फूला सुपाडा उसकी मखमली गुलाबी चूत पर सटा दिया। जीवा को लगा अब बस मैं अपना मुसल लंड उसकी चूत में पेल देगा। मैं जीवा की जांघो को अपने और करीब ले आया और अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर लगा दिया।

अब दोनों इंतजार नहीं कर पाए तो मैं वापस उठा और अपने लिंग को अपने दाहिने हाथ में पकड़ लिया। यह पूर्व सह टपक रहा था। वह ध्यान से उसे अपने योनी के पास ले गया जो खुद भीग रही थी। उसने सही प्रवेश द्वार की तलाश में अपनी नोक को कई बार ऊपर और नीचे खिसकाया। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और लंड के प्रवेश के लिए तैयार थी।

मैंने कमर पर जोर लगाया और अपने मोटे लंड का फूला हुआ सुपाडा जीवा की चूत में पेलने की कोशिश करने लगा। उसने आइस्ते से जीवा के कसे संकरे चूत छेद पर दबाव बढ़ाया और अपने सुपाडे को जीवा की गीली चूतरस से भरी चूत के हवाले करने लगा। जीवा की चूत के गुलाबी ओंठ उसके फूले सुपाडे के इर्द गिर्द फ़ैल गए।

जीवा की चूत पर लंड सटाने के बाद उसने दो बार लंड को चूत में पेलने की कोशिश की और दोनों बार चिकनी चूत की कसी दीवारों और उसके चारों तरफ फैले चिकने चूत रस के कारन लंड फिसल गया। मैंने इस बार लंड को जड़ से पकड़कर चूत के मुहाने पर लगाया और जोर का धक्का दे मारा। जीवा की चूत की मखमली गुलाबी गीली दीवारों को चीरता हुआ लंड का सुपाडा चूत में घुस गया।

मेरे लंड का मोटा सुपाडा अन्दर जाते ही जीवा दर्द से कराह उठी, जीवा का पूरा शरीर काम उत्तेजना के कारन गरम था, चूत भी गीली थी, लगातार उसकी दीवारों से पानी रिस रहा था और जीवा भी मैं का मोटा फूला हुआ मुसल लंड चूत में अन्दर तक लेने के लिये मानसिक रूप से तैयार थी फिर भी मैं का लंड इतना लम्बा और मोटा तगड़ा था किसी भी रोज चुदने वाली औरत की चीखे निकाल दे और जीवा की चूत ने तो लंड के दर्शन नहीं किये थे।

जीवा-आआअह्ह्ह आआआआआह्हह्हह्हह्हहईईईईईईईईई स्सस्सस्स मैं आह्ह्हह्ह स्सस्सस्सस, हाय मैं मर गयी, प्लीज मैं बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज इसे बाहर निकाल लो, वरना मेरी चूत फट जाएगी, आआआआऐईईईईईईईऊऊऊऊऊऊऊऊ।

चूत की दीवारों में हाहाकार मच गया, दर्द के मारे चूत का बुरा हाल हो गया, जीवा ने मुट्ठिया भीच ली, उसके जबड़े सख्त हो गए और अपने निचले ओठो को दांतों के बीच में कसकर दबा लिया। पूरे शरीर को कड़ा करके दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी।

चूत की दीवारे पूरा जोर लगाकर लंड को बाहर ठेलने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैं कमर से पूरा दबाव बनाये हुए था, जिससे दर्द से फाड़फाड़ती चूत की दीवारों अपनी हर कोशिस के बाद भी लंड को बाहर की तरफ ठेलने में नाकाम रही। चूत की मखमली चिकनी गीली दीवारों के पास और कोई रास्ता ही नहीं बचा था, आखिर मेरे गरम लोहे जैसे सख्त, खून के भरने से फूलकर मुसल बन गए मोटे लंड के फूले हुए सुपाडे को अपने आगोश में लेना ही पड़ा, चूत की गुलाबी दीवारों की सलवटे फैलने लगी। जीवा दर्द से चीखने लगी, मेरी सख्त पकड़ के नीचे उसका पूरा कसमसाने लगा, खुद को मेरी पकड़ से आजाद करने की कोशिश करने लगी। पैर पटकने लगी, अपनी गुदाज जांघो को सिकोड़ने लगी, नितम्बो को नीचे की तरफ दबाने लगी ताकि भीषण दर्द से बेहाल जीवा की चूत से सुपाडा बाहर निकल जाये।

मैंने अभी सिर्फ अपने लंड का सुपाडा घुसाया था और जीवा की दर्द भरी कराह सुनकर वह सोच में पड़ गया। अभी इसका ये हाल है तो जब पूरा लंड जायेगा ये तो बेहोश ही हो जाएगी। मैंने बहुत धीरे-धीरे चुदाई करने का फैसला किया और जीवा की हालत देखकर मैं जीवा की चूत से लंड निकालने वाला ही था लेकिन निकाला नहीं बल्कि, मैंने जीवा की ओठो पर ओठ रख दिए और उसे बेतहाशा चूमने लगा। कुछ देर तक चूमता ही रहा।

दर्द से परेशान जीवा ने मैं की कमर को घेरकर ऊपर चुताड़ो तक अपनी गोरी जांघे सटा दी और मेरे नितम्बो को जकड लिया। मैं जीवा को चुमते-चुमते ही कमर हिलाने लगा।

जीवा नहीं चाहती थी कि मैं उस पर दया करके उसकी कसी हुई चूत से जो अभी भीषण दर्द से वेहाल में से लंड बाहर निकाल ले। मैं भी समझ गया जीवा दर्द बर्दाश्त कर रही है। एक तरह से जीवा मैं की कमर को अपनी गोरी गुदाज जांघो से कसकर जकड लिया और दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी। अब उसे कुछ देर जीवा की गोरी गुदाज जांघो के बंधन में रहकर ही कमर हिला-हिला कर जीवा को चोदना होगा।

दोनों के बदनो की गरमी एक दूसरे में घुलने लगी, पसीना एक दूसरे में मिलने लगा और गरम-गरम सांसे एक दूसरे की बदन से टकराने लगी। जीवा ने मैं की कमर पर बनाये जांघो का कसाव को ढीला कर दिया, मैं उसका इशारा समझ गया, मैंने कमर को हल्का-सा पीछे लेकर झटका दिया, लेकिन लंड अपनी जगह से चूत थोडा और आगे खिसक गया। फिर उसने धीरे-धीरे लंड को जीवा की संकरी गुलाबी चिकनी चूत में उतारना शुरू कर दिया।

मैंने जीवा को अभी हलके-हलके धक्के लगाकर चूत के मुहाने की दीवारों को नरम करने में लगा था। जितना अन्दर तक लंड घुस गया था वहाँ तक धक्के मार रहा था। दर्द के बावजूद भी जीवा की मादक कराहे निकल रही थी-यस यस आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्आ ऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह यस-यस चोदो मुझे, चोदो इस चूत को, कसकर चोदो।

कुछ देर मैंने अपनी कमर पर पूरा जोर डालकर एक तगड़ा झटका लगाया और लंड थोडा और अन्दर खिसक गया और उसके कौमार्य की झिल्ली से टकराया। इस अचानक हमले से चूत की दीवारों से भयानक घर्षण हुआ। चूत की गुलाबी गीली दीवारों को मैं के लंड ने थोडा और चीर दिया, दीवारों की सलवटे फैलती चली गयी, भयानक घर्षण से जीवा की मक्खन जैसी नरम गुलाबी गीली दीवारों में जलन शुरू हो गयी, ऐसा लग रहा था किसी ने लोहे की गरम राड उसके चूत में घुसेड दिया हो। दर्द और जलन से जीवा की चूत की दीवारे बेहाल थी, दर्द के मारे चूत की दीवारों में खून का दौरा तेज हो गया था और वह बेतहाशा फाड़फाड़ने लगी।

जीवा दर्द के कराहते हुए कांपते होठो से बोली-पेलो न बेदर्दी से, जो होगा देखा जायेगा, अब ठेल तो पूरा अन्दर तक, जितना ताकत से घुसेड सकते हो, डाल दो अन्दर तक, जहाँ तक जा सकता है जाने दो।

कहानी जारी रहेगी

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