अंतरंग हमसफ़र भाग 178

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सेक्सी और खूबसूरत मुख्य पुजारिन की कामुकता ​
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Part 178 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 46

सेक्सी और खूबसूरत मुख्य पुजारिन की कामुकता ​

गीवा मेरे लंड को एकटक देखती रही। जीवा मेरे मुसल जैसे तनकर एकदम कड़क लोहे की राड की तरह हो चुके लंड को देखने में खोयी हुई थी। । कुछ देर तक मैं अपने मूसल लंड को मसलता रहा, फिर जीवा ने धीरे-धीरे मेरे लंड की तरफ हाथ बढ़ा दिए और अपनी नाजुक हथेलियों में मेरे कठोर लंड को जकड़ लिया। लंड उत्तेजना से काँप रहा था। जीवा ने हौले-हौले मेरे लंड पर हथेली से सहलाना शुरू कर दिया। जीवा का हाथ सख्त और कठोर खड़े लंड पर फिसलने लगा मैं अपनी कमर हिलाने लगा और अपने लंड की तरफ देखते हुए मानो उससे कह रहा था--इस तरह से पेलूगा।

तुमारी कुंवारी चूत में अपना मोटा लंड। जीवा आँखे फाड़-फाड़ कर बस लंड को ही देखे जा रही थी।

और उस पर अपने हाथ तेजी से फिसला रही थी, उसकी नज़रे ही नहीं हट रही थी। मोटे लम्बे मुसल जैसे लंड की दहशत के बावजूद जीवा के कामुक मन में चुदाई की चाह उपज कर बलवती हो रही थी रही थी। जीवा बोली उफ़! मास्टर ये बहुत बड़ा है । लम्बा है मोटा भी और फूलकर कितना बड़ा हाहाकारी हो गया है भला ये मेरे अंदर कैसे जाएगा। नहीं-नहीं मैं इसे नहीं ले पाउंगी, ये मेरी नाजुक छोटी-सी योनि से बहुत बड़ा है ये मुझे चिर डालेगा फाड़ डालेगा।

फिर जीवा ने हुए सुपाडे पर अपने नरम होठो को मादक किस की और एक लम्बी आह! भरी और वासना भरी आँखों से मुझे देखने लगी। जब वह मेरे लंड को घोर रही थी तो मैं भी जीवा के खूबसूरत जिस्म की एक-एक बनावट एक-एक कोना अपनी आँखों के जरिये अपने दिलो दिमाग में उतारने लगा। सर से लेकर पांव तक जीवा के शरीर पर अब एक कपड़ा नहीं था, बस केवल सोने और हीरो के घने पहने हुई थी वह बिलकुल प्राकृतिक अवस्था में मेरे पास थी, ऊपर से नीचे तक एक नंगी, कोई कपड़ा नहीं थानाम मात्र का पर्दा था तो कुछ गहनों का था जिनमे उसका संगमरमर की तरह चमकता शरीर, हर एक अंग की झलकती मादकता सब कुछ खुलकर बाहर आ गया था।

जीवा का गोरा सपाट पेट, उसकी गोरी, केले के तने जैसी चिकनी मुलायम मांसल जांघे और जांघो के बीच बना चूत घाटी त्रिकोण बड़े-बड़े गोल सुडौल मांसल चुतड। जांघो के बीच स्थित चिकनी चूत घाटी में बालो का नामोनिशान नहीं था, उसने जांघ के बीच चूत के इलाके का न केवल आज क्लीन सेव किया था, बल्कि उसका स्पेशल मेकअप भी किया था ऐसा लग रहा था कि उसकी चूत पर कभी बाल थे ही नहीं और पूरा इलाका हल्का गुलाबी रंग में चमक रहा था।

मुझे जीवा की त्रिकोण चूत घाटी साफ़ नजर आ रही थी, बिलकुल संगमरमर की तरह सफ़ेद, मक्खन की तरह चिकनी सपाट और उसके बीच में बनी मदमस्त चूत के नरम ओठो का गुलाबी कटाव भी साफ़ नजर आ रहा था।

मुझे लगा मैं तो जैसे स्वर्ग पंहुच गया हो और कोई अप्सरा बिलकुल नंगी होकर अपना मखमली जिस्म लिए मेरे सामने थी मैं जितनी खूबसूरत औरत की कल्पना कर सकता था उससे कई गुना खूबसूरत जिस्म की मालकिन जीवा मेरे सामने थी और अपने गुलाबी अप्सराओ जैसे हुस्न से मुझे वासना में मदहोश किये दे रही थी। मैं तो पलक झपकाना ही भूल गया था, जीवा को नंगी देखकर मेरे लंड में खून का दौरान दोगुना हो गया, मेरा लंड फूलकर बिलकुल पत्थर बनने की कगार पर आ गया था। मैं कुछ देर तक एकटक जीवा की खूबसूरती देखता रहा।

लम्बा गोलकार मुहँ, रस टपकाते पतले ओठ सुराही जैसी पतली गर्दन, छाती पर भरे पूरे सुडौल सामने की तरफ तने हुए स्तन और उनके शीर्ष पर विराजमान दो चुचियाँ, सपाट पेट और उसके बीच में सुघड़ नाभि, पेट पर फैट का नामोनिशान नहीं, भरी-भरी गोलाकार गोरी-गोरी गुदाज जांघे, उठे हुए गोलकार मांसल बड़े-बड़े चुतड और जांघो के बीच में हल्की गुलाबी सफ़ेद रंग की तरह चमकती मखमल की तरह चिकनी त्रिकोण चूत घाटी, मुझे दीवाना बना रही थी।

मैं जीवा के मदमस्त हुस्न और मचलती जवानी को देख कर मस्ती से बेक़रार हो रहा था और जीवा की जवानी एक अनोखा ही रस दे रही थी। फिर जीवा ने मेरे देखते ही देखते एक बहुत ही मदहोश अंगड़ाई ली और इस अंगड़ाई से उस के द मोटे और बड़े मम्मे ऊपर की तरफ़ छलक उठे और मैं जीवा की इस मदहोश अदा से बहुत गरम और बेचैन हो गया।

नंगी और बेहद सुंदर जीवा की मदहोश करने वाली अंगड़ाई को देख कर किसी भी मर्द के लिए ख़ुद पर काबू रखना एक ना मुमकिन बात होती और बिल्कुल ये ही हॉल मेरा भी जीवा के जवान बदन को देख कर उस वक़्त हो रहा था।

मुझे विश्वास हो गया था कि आज मेरी लाटरी लगी थी जो मुझे एक के बाद जबरदस्त खूबसूरत और कामुक, बला की खूबसूरत, परफेक्ट शारीरिक बनावट वाली लड़किया चुदाई के लिए मिल रही थी और अब मेरे सामने थी उन सब से शानदार जिस्म की मालकिन जीवा जिसने आज ही अपनी चूत को क्लीन सेव भी किया और बॉडी हेयर भी साफ़ करवाए थे। ऊपर से खूबसूरत बॉडी आयल और मेकअप ने सोने पर सुहागा कर दिया था। जीवा साक्षत आसमान से उतरी बिना कपड़ो की परी लग रही थी। मेरी नजर कभी जीवा के रस टपकाते ओठ पर अटक जाती, कभी रीमा के गोलाकार सुडौल गोरे स्तनों पर टिक जाती, तो कभी दो जांघो के बीच बने गोरे मखमल जैसे चिकने और रपटीले गुलाबी चूत घाटी के त्रिकोण पर, कभी मैं जीवा की चिकनीगोरी मांसल जांघे घूरने लगता। मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं ज्यादा देर तक किस को निहारु। जीवा ने सर झुककर एक बार खुद को निहारा और अपने खूबसूरत मादक जिस्म की मादकता में मन ही मन में आनंदित होकर वासना की समुद्र में गोते लगाने लगी।

मैं इतनी खूबसूरत नंगी जीवा का एक-एक रोम देखने उसके रास टपकाते गुलाबी ओठो का रस पीना चाहता था और इतनी कोमल, गुलाबी संगमरमर की तरह चमकते दमकते जिस्म को भोगना और उसके सुडौल तने हुए स्तनों को मसल कर उसकी कोरी चिकनी गुदाज मांसल जांघो पर अपनी जांघे रगड़ते हुए उसकी मक्खन जैसी चिकनी नरम गुलाबी चूत चोदन चाहता था । और अब जीवा भी खुद को नहीं रोक पा रही थी। वह अब हर धड़कन के साथ कांपते मोटे तगड़े लंड को अपनी मक्खन जैसी चूत के अन्दर गहराई तक लेना चाहती थी उसे एहसास थी की यही हाहाकारी मुसल लंड सालो से हवस की आग में जल रहे शरीर की भूख मिटा सकता है, यही वह लंड है जो उसकी चूत में उमड़ रहे वासना की आग को ख़तम कर रिमझिम फुहारे बरसा सकता है। सालो से लंड की प्यासी चूत को चीर कर, फाड़कर चूत के दूसरे छोर तक जाना होगा, जितना ज्यादा से ज्यादा मेरी चूत की गहराई तक लंड जायेगा वह लेने को ततपर थी। उसने निश्चय किया चाहे जितना दर्द हो, चाहे चूत फट जाये, उसकी दीवारों चटक जाये, उनसे खून बहने लगे फिर भी यही मोटा भयानक लंड मेरी चूत की अंतिम गहराई तक जायेगा। और जब तक मेरे शरीर में दम रहेगा तब तकमैं इससे चुदवाती रहूंगी। मुझे अपनी चूत की वर्षो की प्यास मिटानी है, मुझे अपनी चूत की दीवारों में उमड़ रही चुदास की आग को बुझाना है, जैसे सावन में बार-बार बरसते बादल धरती की प्यास बुझाते है ऐसे ही ये मोटा लम्बा लंड बार बार मेरी चूत में जाकर मुझे चोदेगा और मैं बार-बार झड़ झड़ कर चूत के अन्दर लगी आग को बुझवाऊँगी और अपनी तृप्ति हासिल करूगी, असली तृप्ति भरपूर तृप्ति, परम सुख संतुष्टि, ऐसी संतुष्टि जिसको मेरे नंगे जिस्म का एक-एक रोम महसूस करे। जीवा ने अपनी टूटी हुई हिम्मत और पस्त हौसलों को एक नयी जान दी।

वह अब अपनी सालो से मन के कोने में दबी हवस और चुदाई की लालसा को छिपाना नहीं चाहती थी। अब वह खुलकर चुदना चाहती थी और उसकी चूत भी उसके वासना में जलते जिस्म की आग बुझाने को तैयार थी। अब वह चुदाई के साथ-साथ अपने बड़े सुडोल और गोल बड़े-बड़े स्तन दबवाना और चाहती थी मैं उन्हें मसल दू और चूची मुहँ में लेकर चुस लू। चार सालो से दबी उसकी वासना और हवस की तमन्नाये अब उफान मार-मार कर बाहर आने लगी थी, अब वो और अपनी वासना को दबाना नहीं चाहती थी।

मैंने जीवा को अपनी आगोश में ले लिया और हौले-हौले चूमने लगा। कभी गर्दन कभी कानो कभी कान फिर से गर्दन को चूमने लगता। जीवा अब पूरी तरह से वासना के आगोश में चली गयी थी, उसकी गरम सांसे धौकनी की तरह चलने लगी थी, छाती तेजी से उठने गिरने लगी। मेरा भी यही हाल था मेरी सांसे भी तेज हो गयी थी, बदन गरम हो गया था और लंड इतना सख्त हो गया था फटने की कगार पर पंहुच गया था।

चुमते चुमते मैं जीवा के जिस्म के और करीब आ गया गीवा ने कुछ तो डर के मारे और कुछ आगे होने वाले का अनुमान लगाने के लिए अपनी आंखे बंद कर ली। जैसे ही मेरा सख्त हाथ उसकी कमर के नीचे से वासना से दहकती उसकी जांघो के बीच में नरम चिकनी त्रिकोण चूत घाटी के पूरी तरह से साफ़ सुथरा गुलाबी चिकने मैदान पर से फिसलता हुआ नीचे बढ़ा, जीवा ने पैर फैलाकर खुद ही पूरी तरह से हथियार डाल कर टाँगे खोल दी और उसकी दुधिया गुलाबी गीली चिकनी चूत दिखने लगी।

जीवा की मोटी चिकनी मुलायम और गुदाज रान अपनी पूरी आबो ताब के साथ मेरी भूखी प्यासी आँखों के सामने नुमाया हो रही थी।

"हाईईईईईईईईईईई!" वाह इतनी खूबसूरत चूत। चिकनी सुडौल गोरी-गोरी मांसल जांघो के बीच जीवा की गीली गुलाबी चूत अलग ही चमक रही थी। चूत की शुरुआत में ऊपर गुलाबी परतो के बीच उसका चूत दाना छिपा हुआ था उसके नीचे सलीके से दोनों गुलाबी ओठों की फांके नीचे की तरफ गयी हुई थी और चूत के मुहाने पर पंहुचते-पंहुचते गायब हो गयी थी। पूरी चूत बिलकुल साफ़ दुधिया गुलाबी रंग से नहाई हुई, आसपास की चमड़ी भी उसी रंग में चमक रही थी।

एक दम साफ़ हल्की गुलाबी लालिमा लिए जीवा की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी और उसकी चूत रस उसके पतले गुलाबी ओठो को भिगोये हुए था। मैं तो बस जीवा की चूत देखता ही रह गया।

मिनट उसे चुमाऔर जब दोनों के लब आपस में टकराए। तो सेक्स की एक लहर हम दोनों के जवान जिस्मो में सर से ले कर पैर तक दौड़ती चली गई।

थोड़ी देर जीवा के होंठो को चूमने के बाद मैंने जीवा को बिस्तर पर लिटा दिया! और ख़ुद बिस्तर के नीचे फ़र्श पर बैठ कर जीवा की खुली हुई टाँगो के दरमियाँ बैठ कर अपनी जीवा की प्यारी चूत को प्यार से देखने लगा!

चूत को कुछ देर प्यार से देखते और अपनी ज़ुबान को अपने होंठो पर फेरते हुए मैं अपनी नाक को जीवा की चूत के पास लाया और अंदर की तरफ़ अपनी तेज़ साँस खींचते हुए बोला! "ओह्ह ओह्ह आहह मेरी प्यारी जान तुम्हारी चूत से कितनी मस्त करने वाली ख़ुश्बू आ रही है, जीवा यक़ीन मानो तुम्हारी चूत की ख़ुश्बू दुनिया के सब से महनगे पर्फ्यूम से भी बढ़ कर प्यारी है मेरी जान"।

साथ ही साथ मैंने अपना मुँह खोल कर जीवा की चूत के लबों को अपने मुँह में भर कर चूमा।

तो जीवा के मुँह से मज़े के मारे सिसकियाँ निकलने लगीं।

जीवा मेरे मुँह से अपनी चूत की इतनी तारीफ सुन कर पहले ही गरम हो गई थी और उधर मेरे होंठो ने उस की जिस्मानी आग पर पेट्रोल का काम किया और वह गरम हो उठी।

कहानी जारी रहेगी

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