अंतरंग हमसफ़र भाग 181

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कौमार्य भंग करने के साथ प्रथम सम्भोग
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Part 181 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 49

कौमार्य भंग करने के साथ प्रथम सम्भोग

जीवा दर्द के कराहते हुए कांपते होठो से बोली-प्लीज मुझे चोदो और बेदर्दी से पेलो, जो होगा देखा जायेगा, अब ठेल तो पूरा अन्दर तक, जितना ताकत से घुसेड सकते हो, डाल दो अन्दर तक, जहाँ तक जा सकता है जाने दो, उसके लिए राह बनावो, मेरी और मेरी चूत की परवाह न करो आप, अब मुझे मेरी चूत के दर्द के चक्कर में लंड को इस तरह तड़पाओ मत रहोगे। जब तक लंड चूत को चीरेगा नहीं, ये ऐसे ही नखरे दिखाती रहेगी। पेल दो पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में।

मैंने जब उसको अपने लण्ड को ध्यान से ताकतें हुए देखा तो समझ गया की मेरे लण्ड की लम्बाई और मोटाई देख कर वह परेशानी महसूस कर रही थी। मेरे लिए लड़कियों की ऐसी प्रतिक्रिया कोई पहली बार नहीं थी। मैंने कहा "ज्यादा चिंता मत करो, जल्द ही सब ठीक हो जाएगा।"

मैं एक बार फिर जीवा को निहारने लगा और मैं बस उसे देखते ही रह गया। जीवा का नग्न रूप देखना एक रोमांचकारी नजारा था। उसका दमकता हुआ चेहरा, उसकी शानदार आकृति, उसकी लजाने के अदाए, उसके अद्भुत स्तन, उसकी शानदार गोल जांघें और टाँगे, उसके भव्य गोल और बड़े कूल्हे और नितम्ब सब कुछ सुंदर शानदार और गौरवशाली ।

उसके बड़े स्तन गोल और दृढ़ थे और सीधे खड़े थे। गोल स्तनों पर छोटा-सा गुलाबी घेरा जो गोल शीर्ष पर उसके निप्पल उसके इरोला की सतह पर गहरे गुलाबी चेरी की तरह लग रहे थे। मैंने हाथ से उसके पूरे स्तन को ढक लिया और जब मैंने अपनी उँगलियों को उसके घेरे में फैलाया, तो दो छोटे, चेरी जैसे निप्पल तुरंत सख्त हो गए और बाहर निकल गए।

और उसकी छातियों को हाथों से पकड़ लिया और प्यार से सहलाने लगा, दोनों बूब्स एकदम लाल हो गए. फिर मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया और सहलाने लगा ।, जिन उभारो को देख के, मैं उसे पहली बार देखने से ही बेचैन था अब मैं उन्हे छू रहा था और सहला रहा था ।

मैंने अपनी उंगलियों को उसके निप्पल पर कुछ देर और घुमाया और उसकी सांसें तेज हो गईं। जैसे ही मैं अपना मुँह उसके बायें स्तन के पास लाया, उसने मेरे सिर को अपनी बाँहों में लपेट लिया और मुझे अपने पास खींच लिया। मैंने उसके स्तन को कई बार चाटा । पहले उसके इरोला के चारों ओर, फिर निप्पल के पार, उसके पूरे स्तन को अपने मुंह में डालने से पहले, अपनी जीभ को उसके पूरे स्तन के चारों ओर घुमाते हुए मैंने उसके स्तन को चाटा चूमा और चूसा।

मैंने जीवा को अपनी बाँहों में लिया और उसे पलग पर हलके से बिठाकर कर जीवा के सर को अपने हाथों में पकड़ कर उसके होँठों पर अपने होँठ रख दिए। जीवा ने अपने होँठ खोल दिए और मेरी जीभ अपने मुंह में चूस ली। काफी अरसे तक हम दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते रहे और एक दूसरे की लार आपने मुंह में डाल कर इस काम रस का आनंद लेते रहे।

जीवा की लम्बी सुराहीदार गर्दन, छाती पर सख्ती से सर ऊंचा कर खड़े और फुले हुए उसके गोल सुदृढ़ गर्वित स्तनों के साथ तीखे निप्पल और पतली कमर पर बिलकुल केंद्र बिंदु में स्थित गहरी नाभि जिसके निचे थोड़ा-सा उभरा हुआ पेट और जाँघ को मिलाने वाला त्रिकोण, नशीली साफ़ गुलाबी चूत के निचे गोरी चिकनी जाँघें और पीछे की और लम्बे बदन पर उभरे हुए जीवा के गोल कूल्हे देख कर मेरे जैसे व्यक्ति की जिसने पहले कई खूब सूरत स्त्रियों को भली भाँती नंगा देखा था और भोगा था, के मुंह से भी आह निकल गयी। मैं उसकी पीठ सहला रहा था और मेरे हाथ उसके बाएँ नितम्ब गाल पर चला गया।

जैसे ही मैं उसके गोल नितम्ब गाल को सहलाया तो मेरी उँगलियाँ उसकी चूत के होठों के संपर्क में आ गयी और वह कराह उठी। मैं अचानक और शक्तिशाली रूप सम्भोग करने की लालसा से भर गया और फिर यह मेरे लिए बहुत स्पष्ट हो गया की अब मैं जीवा को दर्द देने जा रहा था। मैं उसके एक-एक इंच का स्वाद चखना चाहता लेकिन लगा वह एक ही बार में पूरा दर्द श लेगी तो अब मैं उसके कौमार्य को भंग करने वाला था।

मैंने जीवा को उलटा करकर घुटनों के बल ला दिया और उसके योनि के मोटे होंठ आपस में चिपके हुए और बंद थे और मेरे हाथों से उसकी जाँघों के अंदर, ऊपर की ओर मालिश की और क्रीज के साथ ऊपर और नीचे रगड़ा गया जहाँ उसकी जांघें उसके योनि के होंठों से मिल रही थी। उसके योनि के फूल की पंखुड़ियों को मैंने लंड रगड़ कर खोल दिया। उसके भीतर के होंठ पतले थे और बिना किसी अतिरिक्त त्वचा के उसके कुंवारी उद्घाटन के किनारों गुलाबी थे। उसने गहरी साँस छोड़ी और अपने कूल्हों को ऊपर की ओर घुमाया। वह मारे उन्माद के पलंग पर मचल रही थी और अपने कूल्हे उठा कर अपनी उत्तेजना ज़ाहिर कर रही थी। उसका उन्माद उसके चरम पर पहुँच चुका था। अब वह ज्यादा बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे जोरों से दबाया तो मेरे रोंगटे रोमांच से खड़े हो गए थे। जीवा को पता था कि जब मैं का लंड उसकी संकरी चूत के छेद और उसके कौमार्य की हझिल्ली को अन्दर गहराई तक चीरेगा तो उसे दर्द होना ही है।

जीवा ने अब आगे होने वाले दर्द को बर्दाश्त करने के लिए तकिये में अपना मुहँ दबा लिया, ओठ भींच कर मुट्ठियाँ भींच ली और पैर के पंजो और उंगलियों को सिकोड़ कर खुद को दर्द झेलने के लिए तैयार कर लिया।

मैंने फिर अपनी ऊँगली उसकी गांड के पास ले गया और ऊँगली को गांड के छेद पर थोड़ा नीचे की ओर दबाया और फिर ऊँगली से गांड के छेद की परिक्रमा की। उसने हांफते हुए कहा और फिर कहा "ओह यहाँ भी अच्छा लगता है।"

मैंने उसकी गुदा की कुछ और बार परिक्रमा की। "अपनी उँगली को उसकी योनि पर वापस लाकर योनि के प्रवेश द्वार तक ट्रेस किया और धीरे से दबाया। उसने एक छोटी से" ओउ"की। मैंने फिर उसके प्रवेश द्वार के अंदर ऊँगली सरका कर लगभग एक चौथाई इंच के उसके हाइमन को महसूस किया और धीरे से उसके ऊपर ऊँगली को दबाया। वह कराह उठी और मैंने सोचा कि अब ये जल्द हो टूटने वाला है और दो उंगलियियो और अंगूठे की मदद से थोड़ा छेद खोला, उसे एक बार देखा और जीभ से चूमा। मैं फिर पीछे हट गया, उसका रस जो नीचे बह रहा था उसे खींचकर उसकी योनि तक ले गया। जब मैं अपनी उंगली को उसकी भगशेफ के पार लाया और उसके चारों ओर वृत्त बनाना शुरू किया, तो उसने कांपते हुए। अपने कूल्हों को उठा लिया। उसकी सांसें अब छोटी, गहरी, हांफते हुए आ रही थीं और वह पसीने की चमक से ढकी हुई थी वह बोली हाय मैं गयी!"

खूब देर तक उनकी पीठ पर चुम्बन करते हुए जीवा की बिन बालों वाली गोरी गांड पर लगाया और उसके पहले मैंने उनकी मांसल गोरी चूतड़ों की जम कर जीभ से चटाई की और दन्त से हलके-हलके कटा भी और जीवा मस्त हो उठी और मैंने टनटनाया हुआ 10 इंची लोडा पीछे से उसकी योनि पर घिसा और लंड योनि के मुझाने पर लगा दिया तो जीवा ने अपनी गाँड़ ऊपर उठायी और मैंने एक बड़ी सुनामी की लहर जैसे उस पीछे से धीरे से उसकी चूत में मुसल लंड पेल दिया। जैसे ही मैंने धीरे से आगे बढ़ाया, लण्ड हलके से चूत में थोड़ा घुसेड़ा। मैंने थोड़ा और धक्का दिया और अंदर डाला। अब जीवा के मुंह से आह निकली। उसके चेहरे से लग रहा था कि उसे दर्द महसूस हुआ होगा।

जीवा ने अपने पैरों को मेरे पीछे बंद कर लिया और अचानक अपने कूल्हों को आगे की ओर उछाला मैंने थोड़ा प्रतिरोध महसूस किया, फिर मैंने भी थोड़ा जोर लगा कर लंड लगभग दो इंच अंदर दबा दिया और लंड उसकी कौमार्य की झिल्ली चीरते हुए नादर गया वह फड़फड़ाई और उसके मुंह से लम्बी ओह्ह्ह निकल ही गयी। उसके गालो पर आंसू की बूँदें लुढ़क गयी थीं। जाहिर था उसे काफी दर्द महसूस हो रहा था। पर जीवा ने अपने होँठ भींच कर और आँखें मूँद करन केवल उसे सहन किया था बल्कि अपने कूल्हे ऊपर उठाकर मुझे लण्ड और अंदर डालने के लिए बाध्य किया था।

वो दर्द से बेहाल हुई मैंने जीवा के नितम्बो को सहलाते हुए पीछे से चोदन शुरू किया था । जीवा अपने चूत दाने को सहलाकर अपना ध्यान दर्द से हटा रही थी। मैंने एक लम्बा झटका लगाया। जीवा के मुहँ से घुटी-घुटी चीख निकल गयी, उसके दोनों आँखों में आंसू आ गए लेकिन मैंने लंड पर दबाव बनाते हुए उसे जीवा की चूत में घुसेड़ना जारी रखा। जीवा कभी पैर पटकती कभी सर झटकती। लेकिन मैंने जीवा की चूत में लंड पेलना जारी रखा। पहच की आवाज़ के साथ खून के फुव्वारे छूटे और एक ही धक्के में लंड अंदर समां गया । मैंने लंड आगे पीछे करते हुए धीरे-धीरे जीवा की चूत को चोदना जारी रखा।

मैंने लंड पीछे किया और एक तेज धक्के के साथ पूरा लंड आगे धकेल दिया तो जीवा ने एक दर्दनाक कराह भरी और उसका हाइमन टूट चूका था, मैंने उसका कौमार्य भंग कर दिया था। जीवा की चूत बहुत टाइट थी अब, उसकी चूत से खून बहने लगा था।

वो कराह रही थी आह ईईई! दर्द उउउउइई! ईईईई! हो रहा है! उउउईईईई! आहहहाँ! ओह..." जीवा के मुख से निकला, स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गयी । मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में घुस गया। अन्दर और अन्दर वह चलता गया, वह दर्द के मारे चिललाने लगी-आहह कुमार उउइइ ओह्ह्ह्हह बहुत दर्द हो रहा है!

में धन्य हो गया । क्या गद्देदार चूतड़ थे, नरम मुलायम गोरी चमड़ी जो लाल सुर्ख हो गयी थी और सख्त टाइट मांस और बस मत पूछो यार मज़ा आ गया । जीवा के शरीर पर कई नील पड़ गए थे फिर मैंने उनको प्यार से सहलाते हुए उनके स्तन दबाये और जीवा के लिप्स पर किस किया और कहा आय लव यू जीवा । वह दर्द के मारे रो रही थी और रोती और सिसकते हुए बहुत प्यारी लग रही थी उसकी आँखो से आंसू आ गये, लेकिन मुझे उनके चेहरे पर संतुष्टि साफ-साफ नजर आ रही थी।

मैंने धीरे-धीरे वापस खींच लिया, बस सिर को अंदर छोड़ दिया और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। उसके अंदर होने के कारण, वह गर्म थी: बहुत गर्म और इतनी अवर्णनीय रूप से मखमली मुलायम। वह अविश्वसनीय रूप से तंग थी! यह एक चिकने, गीली गुफा की तरह था!

मैं जरा जरा-सा खिसकता हुआ लंड धीरे-धीरे जीवा की चूत में समां रहा था। जीवा की चूत की आपस में चिपकी दीवारे मैं के लंड के लिए जगह बनाती जा रही थी, चूत की दीवारों की सिलवटे गायब होती जा रही थी और चूत मेरे लंड को अपने अंदर आने दे रही थी, मक्खन जैसे नरम गुलाबी दीवारे जितना ज्यादा फ़ैल सकती थी फ़ैल जा रही थी और मेरे मुसल जैसे लंड को कसकर जकड़ ले रही थी। मैं जीवा को लगातार चोद रहा था अपना लंड उसकी चूत में ठेलता जा रहा था। मैंने लंड अंदर डाले-डाले ही जीवा को सीधा किया और पहले की तरह चोदने लगा। जीवा की पिंडलियाँ और नितम्ब उसकी चूत में हो रहे दर्द के कारन उसकी कमर को नीचे की तरफ ठेल रहे थे लेकिन मैं जीवा को हिलने का कोई मौका नहीं दे रहा था। जीवा मेरे लंड की खाल की सलवटे और फूली हुए नसे अपनी चूत की दीवारों पर महसूस कर रही थी लेकिन उसका दर्द के मारे बुरा हाल था, दर्द के कारन उसकी आँखो में आंसू आंसुओं की धारा बह रही थी, फिर भी उसने रुकने का इशारा किया नहीं किया। मैं भी लगातार धक्के लगाकर जीवा को चोदता रहा।

अपने दोनों हाथों से मैंने उसके उरोजों को पकड़ा और प्यार से दबाना और मसलना शुरू किया। जीवा के नग्न गोल निताब देखकर मेरे लण्ड की नर्सों में वीर्य तेज दबाव से नर्सों को फुला रहा था। मैंने एक धक्का और जोर से दिया और उस बार चूत में आधे से भी ज्यादा लण्ड घुस गया।

सब धीमी गति से चल रहा था, लेकिन लगभग पांच मिनट के धीरे-धीरे आगे-पीछे हिलने के बाद, उसने बेहतर महसूस किया और अपने बहते रस के साथ मेरे लंड को ढीला करना शुरू कर दिया, मैंने लगभग दो इंच के छोटे-छोटे धक्के दे रहा था और मेरा लंड लगभग पांच इंच उसके अंदर था।. मैं हर धक्के के साथ थोड़ा थोड़ा अंदर घुसता रहा और इंच दर इंच और फिर मैंने पांच धक्को के बाद मेरे लंड ने उसके गर्भाशय ग्रीवा को टक्कर मार दी, और रुक गया । जीवा ने भी इसे महसूस किया और चिल्लायी "ओउ।" मैंने थोड़ा पीछे खींच लिया और फिर आगे-पीछे हिलना शुरू कर दिया, जबकि वह फिर से अपने कूल्हों को आगे पीछे कर मेरा साथ देने लगी ताकि मेरे धीमे धक्कों को अब तेज किया जा सके।

मैं समझ गया था जीवा को भीषण दर्द हो रहा होगा, आखिर मेरा लंड है ही इतना मोटा तगड़ा और जीवा की संकरी चूत तो कुंवारी थी. उसकी चूत के कौमार्य की झिली थोड़ी सख्त थी, चूत का छेद बहुत संकरा और दीवारे कुछ ज्यादा ही सख्त थी | मैंने लंड थोड़ा आगे पीछे किया और एक तेज धक्के के साथ पूरा लंड आगे धकेल दिया तो ज्योत्सना ने एक दर्दनाक कराह भरी और उसका हाइमन टूट चूका था, मैंने उसका कौमार्य भंग कर दिया था । जीवा की चूत बहुत टाइट थी अब, उसकी चूत से खून बहने लगा था । वो कराह रही थी आह ईईई दर्द उउउउइई ईईईई हो रहा है! उउउईईईई आहहहाँ!ओह..." जीवा के मुख से निकला, स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गयी. मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में घुस गया. अन्दर, और अन्दर वो चलता गया, वो दर्द के मारे चिललाने लगी- आहह मास्टर उउइइ ओह्ह्ह्हह बहुत दर्द हो रहा है! बेड शीट खून से सन चुकी थी. मैंने फिर उसे चूमा और उसके बदन को सहलाया और उसे दिलासा दिया कि यह ठीक है । मेरे लिए ये वाला खून खराबा कोई बार पहली बार नहीं था। पर जीवा अपना खून देखकर थोड़ी सहम गयी। हालांकि उसे भी यह पता था की कँवारी लडकियां जब पहली बार चुदती हैं तो अक्सर यह होता है। मैंने प्यार से उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में लिया और धीरे से निचोड़ा, उसके कोमल होठों पर अपना मुंह रखा, और उसे जोश से चूमने लगा। साथ ही मैं उसके स्तनों को निचोड़ रहा था और अपने अंगूठे और उंगलियों से निप्पल को रगड़ रहा था।

इससे उसे कुछ राहत मिली। अब में उसके बूब्स को चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया तो कुछ देर के बाद वो फिर से गर्म हो गई। मेरा लंड और उसकी चूत दोनों चुतरस से एक दम चिकने हो चुके थे फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया तो वो चिल्लाई. आहहहहह आएीीईईईईईइइइइइइ! ओह्ह्ह्हह! उउउउउउउउ!

मेरे लिए इसमें कुछ ज्यादा अलग नहीं था, मैंने जितनी भी लडकियों को चोदा था लंड चूत में डालते समय लगभग सबका ही हाल ऐसा हो जाता था | मैं ने जीवा का चेहरा तकिये से निकाला और उसके दर्द से भरे चेहरे को एकटक देखने लगा, उसकी आँखों के किनारे से होकर कान की तरफ बहती आंसुओं की धार पोंछी और पूरे चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा |

मैं ने जीवा के ओठो पर अपने ओठ रख दिए और जीभ उसके मुहँ में घुसेड दी और कसकर उसे चूमने लगा | मैं ने लंड बाहर निकला, और जीवा की पोजीशन बदल दी, अब मैं उसे घुटनों पर ले आया | जीवा को चुदाई में दर्द हो रहा था और जीवा पहली बार चुद रही थी| मैंने उसकी छूट पर थोड़ा तेल ल उड़ेला और मैं ने अपने खून से भरे मोटे फूले हुए लंड को उसकी चूत पर रखा और फिर से धीरे धीरे और फिर जब सूपड़ा अंदर गया तो एक झटके के साथ जीवा की गीली पर दर्द से बेहाल चूत पेल दिया | जीवा के मुहँ से चीख निकल गयी | आईईईईइइइइइ ओह्ह्ह्हह और मैं पीछे से उसकी चूत में सटासट लंड पेलने लगा |

जीवा आईईईईइइइइइ! करती हुई फिर से भीषण दर्द से कराह उठी उसने बिस्तर में अपना मुहँ छिपा लिया, बिस्तर की चादर को कसकर जकड लिया, इस कारन उसकी चीख उसके चेहरे और बिस्तर के बीच में ही घुटकर रह गयी | जीवा की दोनों आँखों से दर्द के कारन लगातार आंसू बह रहे थे | जीवा से दर्द बर्दास्त नहीं हो रहा था, मैंने चुदाई को रोका तो वो पीठ के बल बिस्तर पर लेट गयी | मैंने एक बार फिर थोड़ा तेल उसकी योनि पर उड़ेला औरर कुछ रेल लंड पर डाला और उसके बाद मैं जीवा के ऊपर आ गया,मैं ने जीवा की चूत पर लंड सटाकर अन्दर की ओर पेल दिया और कमर हिलाकर धक्के लगाने लगा |और वो अपनी नाजुक संकरी चूत में उसका लंड फिर से लेने लगी | जीवा के मुहँ से अब भी दर्द भरी कराहे निकल रही थी | आहहहहह आएीी उउउउउइइइइइइ ओह्ह्ह्हह

मैं जोर जोर से कमर हिलाकर जीवा की गुलाबी गीली चूत की दीवारों को जो उसके लंड को कसकर जकड़े थी को चीर कर, रगड़ता हुआ अपने मोटे मुसल जैसे लंड को जीवा की चूत में पेल रहा था, और हर धक्के के साथ चूत की गहराई के आखिरी छोर तक जाने का रास्ता बना रहा था ।

जीवा कांपती हुए आवाज में मेरे कान में बोली मास्टर! आअह्ह्ह अब आप देर मत करो, दर्द होता है तो होने दो। हाय्ययी मर गयी! लंड को पूरी ताकत से चूत की आखिरी गहराई तक उतार दो, ओह्ह ये बहुत तेज था! ऐसे ही करो! पूरा का पूरा लंड चूत के अन्दर डाल दो। ओह्ह्ह मजा आ गया! मुझे मेरे चूत के आखिरी कोने तक जमकर चोद डालो। ओह्ह्ह्हह! मुझे बस तुमारा पूरा लंड चाहिए। आयीीी! जो होगा देखा जायेगा। अह्हह्ह्ह्ह! मेरी चूत बहुत नखरे कर रही है, चोदो! जोर से करो! जब तक आपका मोटा तगड़ा लोहे जैसा सख्त लंड इसे कुचलेगा नहीं ये ऐसे ही नखरे दिखाती रहेगी। आहहहहह! इस पर जितनी दया दिखावोगे उतना ही इसका नाटक जारी रहेगा, मेरी चूत बिना सख्ती किये आपके इस बृहद लंड को अपनी गहराई में उतरने का रास्ता नहीं देने वाली। ये फटती है तो फट जाने दो। आहहहहह आएीी उउउउउइइइइइइ! ओह्ह्ह्हह! मेरे धक्के बदस्तूर जारी थे और जीवा की कराहे भी।

मैंने पूरी ताकत के एक धका लगा दिया "ओह ेडेल्फी ओह्ह डेल्फी" जीवा के मुह से निकला। जीवा के लिए महायाजक डेल्फी पाईथिया ही उसकी सब कुछ थी । उसके लिए उसकी डेल्फी ही सब कुछ थी और जब उसे कुछ चाहिए होता था तो उसके मुँह से केवल डेल्फी ही निकलता था । जीवा के स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गया जैसे ही मेरा गर्म, सख्त और आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनी में घुस गया। अन्दर और अन्दर वह चलता गया, चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ वह पूरा 10 इंच अन्दर तक चला गया था। जीवा की योनी मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी। उधर मेरे हिप्स भी कड़े होकर दवाब दे रहे थे और लिंग अन्दर जा चूका था । जीवा दर्द के मारे चिलाने लगी जो मंदिर के हाल में गूँज रही थी ओह डेल्फी हहहहह आएीी उउउउउइइइइइइ! ओह्ह्ह्हह! ओह्ह मास्टर! ओह! मास्टर बहुत दर्द हो रहा है! जलन हो रही है!

जलन के कारन जीवा की चूत की गुलाबी दीवारों से रिसने वाला पानी बंद हो गया था, लंड और छूट के परस्पर घर्षण से जिससे उसकी चूत सूख गयी थी, अंदर मैंने जो भी तेल डाला था वह भी सूख गया था और इससे मुझे लंड पेलने में ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा था और चूत की दीवारों से रगड़ भी ज्यादा हो रही थी, जीसे मुझे तो बहुत मजा आ रहा था लेकिन ये जीवा के लिए असुविधा जनक था। कम से कम पहली बार के लिए ये आरामदायक लंड पेलने के लिए वह आदर्श स्थिति नहीं थी। पहले जीवा की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी लेकिन अब उसकी दीवारे दर्द और घर्षण के कारन खुश्क हो गयी थी। मैं ने अपने लंड को बाहर निकाला और पास में पड़े चिकने तेल से सरोबार कर लिया। थोडा ज्यादा तेल जीवा की चूत के छेद पर उड़ेल दिया। फिर जीवा की चिकनी चूत के छेद पर रखकर ठेल दिया। मेरा लंड जीवा की गुलाबी नरम चूत की दीवारों को चीरता हुआ अन्दर चला गया।

उसे अब मेरे बड़े लंड का बड़ा सुख मिल रहा था, तो उसने शरमाते हुए अपना चेहरा मेरे सीने में छिपा लिया और फुसफुसायी, "मास्टर आपका लिंग मेरे लिए बहुत बड़ा है। आपने मेरी छोटी-सी योनी को उसकी हद तक बढ़ा दिया है। आपका लिंग मेरी योनी की गहराई में पूरा अंदर पहुँच रहा है॥ मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरी योनी इतने बड़े आकार के लिंग को समायोजित करने के लिए इतना फ्लेक्स कर सकती है। कृपया इसे बाहर न निकालें, लेकिन केवल कुछ समय के लिए स्थिर रहें और मुझे और मेरी योनि को इस के लिए समायोजित होने का मौका दें।"

मैं मुस्कुराया और उसके स्तनों को चूमता और रगड़ता रहा, लेकिन अपना लंड नहीं हिलाया। 5 मिनट के भीतर, योनि की मासपेशिया समायोजित हो गयी और सिलवाते खुल गयी । दर्द थोड़ा कम हो गया और जीवा अब बेहतर महसूस कर रही थी और जोर-जोर से और चोदना जारी रखने के लिए उसे संकेत देने के लिए अपनी श्रोणि को ऊपर धकेलना शुरू कर दिया, लेकिन मुस्कुराते हुए मैंने उसकी आँखों में देखा और उससे पूछा, "महायाजक जीवा अब आप कैसी है? मुझे अब क्या मुझे करना चाहिए?"

जीवा जानती थी कि मैं उसे छेड़ रहा था और शता रहा था । उसने अपनी नन्ही मुट्ठियों से मेरी छाती पर वार किया और फिर उसे कसकर गले लगाया और फुसफुसायी, "मास्टर मैं अब बेहतर महसूस कर रही हूँ। अब आप मुझे अपनी ताकत दिखाओ। मैं देखना चाहती हूँ कि आप किस तरह की चुदाई कर सकते हैं और आपके पास चुदाई की कैसी महान शक्ति है आप मेरे मालिक हो आप जैसा करोगे मुझे स्वीकार्य है। मास्टर मेरी प्राथना है अब कृपया मुझे अपनी पूरी ताकत से चोदो और मुझे एक असली आदमी के साथ चुदाई का मजा महसूस करने दो। कृपया अभी कुछ मत बोलो, यह कार्यवाही का समय है। कृपया करें तेज़ करे और जोर से करे।" उसका ये कहना मुझे उकसाने के लिए पर्याप्त था।

मैंने कहा, "मेरी जान! मैं आपको जीवन का अधिकतम आनंद देना चाहता हूँ जिसे आप हमेशा याद रखेंगई।" फिर मैंने कहा, " याद रखना मेरी जान, तुम एक ऐसे आदमी से गुहार लगा रही हो, जिसके लंड के लिए तुम्हारी चुत ने लम्बे समय तक इन्तजार किया है ।

मैं उसकी ओर मुड़ा, उसके मुंह पर एक लंबा चुंबन लगाया। "चलो अब चुदाई शुरू करते हैं," मेरा लंड फिर से चुदाई करने के लिए बहुत उत्सुक था। मैंने चुंबन को तोड़ते हुए अपनी लंबी सेक्स तलवार को बाहर निकला और लंड के-के सिर पर थोड़ा-सा थूक लगाते हुए, मैंने उसे उसकी बाल रहित योनि के होठों के बीच में फसाया और एक लंबे तेज झटके में पूरा अंदर डाल दीया। अब केवल एक इंच लंड बाहर था जीवा ने अपने अंदर आखिरी इंच तक धक्के को महसूस किया और मजे से कराह उठी... हाय... आह! हाअ... मास्टर आईई आह ईईई दर्द उउउउइई! ईईईई! हो रहा है! उउउईईईई! माँ, आहहहाँ!

उसने अपने कूल्हों को ऊपर उठा कर अपनी योनि क्षेत्र को मेरे पेट के साथ चिपका दिया। उसकी योनि की मांसपेशिया और संवेदनशील सतेहे समायोजित हुई और उन्होंने मेरे लंड को जकड़ लिया।

निश्चित तौर पर तंग योनि में बार-बार घुसाना और निकालना और फिर तेजी से घुसना, यह मुझे बहुत अच्छा लगा, अब चुदाई लम्बे समय तक चलने वाली थी। मैं रुका तो तभी वह बोली पूरा अंदर है क्या?

तो मैंने नीचे देखा और बोला । अभी एक इंच बाहर है । वह बोली मुझे लगा आपका लंड आगे हुआ है?

मैंने कहा नहीं आगे धक्का नहीं दिया । देखो अभी भी एक इंच बाहर है।

उसने हाथ लगा कर देखा एक इंच बाहर था मेरा लंड योनि के आकार के अनुसार बड़ा होकर योनि में समा रहा था । । मैंने कहा जीवा आपकी योनि और लंड समायोजित हुए है इसलिए आपको ऐसा लगा । उसने मेरे कूल्हों पर पैरो का दबाब बढ़ाया और अब लंड पूरा अंदर चला गया और वह कराह उठी... हाय... आह! हाअ... मास्टर आईई आह ईईई दर्द उउउउइई ईईईई हो रहा है! उउउईईईई माँ, आहहहाँ!

मैंने उसे अपने लंड की पूरी लंबाई से चोदना शुरू कर दिया। जीवा ने अपनी टांगों को मेरी कमर में लपेट लिया और मुझे कसकर गले लगा लिया। मैंने जीवा को सख्ती से जकड लिया और अपनी कमर पर पूरा जोर लगा दिया। मेरा लंड वासना की आग में तप रही जीवा की चूत की दीवारों के प्रतिरोध को धराशाई करता हुआ, चीरता हुआ चूत की गहराईयों में जा धंसा। चूत की गुलाबी दीवारों की सलवटे गायब हो गयी, दीवारों के दोनों छोर अलग-अलग हो गए और दर्द से कांपती जीवा की चूत की दीवारे फैलती चली गई और मैं के लंड ने आखिरकार अपने जरुरत भर की जगह बना ली। इतनी भीषण रगड़ के कारन जीवा की चूत की गुलाबी मखमली दीवारे फिर से बुरी तरह जल उठी, वही भीषण दर्द फिर से लौट आया। दर्द से बेहाल जीवा की चूत की दीवारे तड़पते हुए मैं के आग की तरह तप रहे मुसल जैसे मोटे लंड को अपनी जकड़न से बाँधने की असफल कोशिश करने लगी, जीवा ने मुझे अपनी बांहों में जकड लिया और उसकी कमर पर पैर लपेट दिए। जीवा से कसकर मेरे को जकड़ लिया जीवा की गोरी गुदाज जांघे और कोमल हाथ मेरे बलिष्ट शरीर के इर्द गिर्द लिपट गए। लेकिन अब न मुझे न ही जीवा को जलन की परवाह थी न दर्द की। मैंने कमर उठाई और फिर में अपना मुसल लंड जीवा की नाजुक-सी चूत में पेल दिया। लंड के लिए राह बनाते हुए चूत की दीवारे फैलती चली गयी और अन्दर जाते ही मैं के लंड को फिर से जकड लिया। मैं बलमा बेदर्दी बिना किसी दया के जीवा की चूत में लंड पेल रहा था।

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