अंतरंग हमसफ़र भाग 186

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सर्वदा तैयार, पुनः​
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Part 186 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 54

सर्वदा तैयार, पुनः​

हमने लगभग पूरे एक घंटे तक गहन चुदाई की कार्यवाही की थी मैं उतसुक था कि अब आगे की कारवाही में मुझे क्या करना होगा और जब मैंने जीवा से पूछना चाहा तो उसने उसके बाद मेरे खड़े हुए लंड की जांच की और उसने कहा, अध्भुत तुम्हारा लिंग और अंडकोष सच में अध्भुत हैं। अद्भुत! अद्भुत इसलिए क्योंकि तुम्हारे लिंग में थकान के कोई लक्षण नहीं हैं।

उसने लंड को पकड़ा, सहलाया और फिर उत्तेजना से लाल लंडमुंड को चूमा फिर घुमा का एक तरफ़ और फिर घुमा कर दूसरी तरफ़ देखा "मुझे विश्वास नहीं है कि पुरुष का लिंग इतना बड़ा इतना मोटा और ऐसा सख्त भी हो सकता है!"

"ओह! और आपको ऐसा क्यों लगता है?" मैंने हंसते हुए पूछा।

"क्योंकि यह तो हमेशा कठोर ही रहता है--क्या तुम्हारा लिंग हमेशा खड़ा रहता है?" वह बोली

"ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं आपका दीवाना हो गया हूँ और ये आपकी योनि का आशिक हो गया है, मेरी प्रिय जीवा ये अब आपकी योनि से दूर नहे रहा चाहता है!"

वो बोली " लेकिन मास्टर मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा है! मैंने मंदिर के कई पुजारिणो को सम्भोग करते हुए देखा है अन्य सभी पुरुष के लिंग एक बार सम्भोग के बाद और उनमे से ज्यादातर के दूसरी बार के बाद हमेशा नरम हो जाते हैं और आम तौर पर फिर से खड़े होने के लिए काफ़ी प्रयास करना पड़ता है और वह भी तब जब उन्हें बहुत समय दिया जाए! लेकिन तुम्हारा तो बैठता ही नहीं है!

"ओह! लेकिन मैं अपनी सबसे प्यारी और परम सुंदर प्रेमिका को आश्वस्त कर सकता हूँ कि सामान्य महिलाओं के साथ मैं वैसा ही हूँ जैसा आप उन पुरुषों का वर्णन कर रही हैं या जिन्हें आप ने देखा या जाना है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यह आपकी असाधारण सुंदरता ही है जिसने मुझ पर इतना शक्तिशाली प्रभाव डाला है!" मैं उसे चूमते हुए बोला "आइए!" मैंने अपनी बाँहों और जाँघों को खोलते हुए मैंने उसे प्रस्ताव दिया कि वह अपनी जांघो को मेरी जांघो पर थोड़ा फैला कर मेरे ऊपर बैठ जाए। और कहा। "आओ और मेरे ऊपर बैठो और मुझे एक लम्बा गहरा चुंबन करो!"

मैंने जीवा को उठा कर अपनी गोद में बिठा लिया और हम किस करने लगे और खूबसूरत औरतो को न केवल भरपूर चुदाई चाहिए बल्कि भरपूर तृप्ति भी चाहिए, ले आज जीवा पहली बार चुदी थी और अच्छे से चुदी थी लेकिन अन्दर से आत्मा से तृप्त नहीं हुई थी। उसकी काम लालसा भी जोर मारने लगी थी तभी मैंने जीवा की कमर पकड़ कर उसे अपनी बांहों की गिरफ्त में ले लिया। मैंने अपने हाथो की गिरफ्त को और कस दिया, उसके स्तन पर सख्ती और बढ़ा दी। हालाँकि थोड़ी देर पहले ही मसले जाने से उन पर की लालिमा बस अभी छटना ही शुरू हुई थी, मैंने फिर से उन्हें मसलना शुरू कर दिया। दोनों के ओठ आपस में गुथाम्गुथा थे। सांसे गरम होने लगी और गरम होकर एक में घुलने लगी। मैंने जीवा को उठाकर उसकी चूत के ऊपर के चिकने हिस्से, जहाँ के बाल उसने बना डाले थे उस पर हाथ फेरने लगा । मेरे लंड कड़ा हो कर तनने लगा उसमे खून का दौरान बढ़ने लगा। मैं जीवा को चुमते-चुमते अपने पास खींचता गया और उस पर झुकता चला गया। मेरा सख्त होता हुआ लंड जीवा की जांघ पर ठोकरे मारने लगा। जीवा ने मेरी पीठ पर हाथ जमा दिए और मेरे ओंठो को चूमने लगी। अब जीवा को चूत मेरे लंड के ऊपर थी, उसके सुडौल ठोस स्तन मेरे सीने से रगड़ खा रहे थे। मैं जीवा के सर से लेकर चुताड़ो तक को सहला रहा था।

जीवा भी मेरा बराबर साथ देने लगी। वह पहले से ही वासना की मदहोशी से मस्त थी। मेरे ओंठो के गरम चुम्बन ने उसके अन्दर हवस की वासना की तरंग दौड़ा दी। और चूमने से कुछ देर बाद मस्त हो कर जीवा ने अपनी चूचियाँ पकड़ कर मेरे चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया। मैं उसे स्तन उसकी पीठ को सहलाने लगा और बीच-बीच में जीवा के गुलाबी रसभरे ओंठो पर चुम्बन लेना नहीं भूलता। जीवा आंखे बंद किये मेरे स्पर्श का भरपूर आनंद उठा रही थी।

अब मैंने अपनी जीभ ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया। और जीवा के रीमा के रस भरे ओंठो का रसपान करने लगा। अब जीवा ने भी मेरा साथ देते हुए मेरे ओंठो को चूम लिया और मेरे मुहँ मेंजीभ डालकर डीप किस करने लगी। जीवा वासना से मदहोश होने लगी, उसके मुहँ से सिसकारियाँ निकलने लगी। उसके मुँह ने सरसराती मेरी गीली जीभ से उठने वाले तरंगो से वह सरोबार हो गयी मेरा हाथ उसके चुतड़ो से होता हुआ उसकी जांघो को सहलाता रहा और मैं उसके मुँह को चूमता चाटता रहा । मेरा हाथ जीवा के दूध के जैसी चिकनी और गोली जाँघि पर फिसला और उसकी पिंडलियों से होता हुआ जैसे गोरे पैरो तक पंहुच गया। वहाँ जाकर मेरा हाथ उसके पैरो की उंगलियों को सहलाने लगा, मैंने एक-एक कर उसके पैसो के दसी उंगलियों को सहलाया और फिर हाथ उसके घुटनो तक ले आया और जब मैंने उसके घुटनो के बी=नीचे के जगह पर हाथ फेरा तो वह उचक कर मेरे ऊपर चढ़ गयी और साथ में चिपक गयी। । मेरा लंड अकड़कर फिर से पूरी तरह अपने पुराने हाहाकारी साइज़ में आ चूका था। हर धड़कन के साथ लंड में खून का दौरान बढ़ता जा रहा था और लंड फूलकर और मोटा तगड़ा होता जा रहा था ।

मेरा लंड एक दम कड़ा, सुजा हुआ और जोश से धड़क रहा था और राहत पाने के लिए दर्द हो रहा था। जीवा में अपनी जाँघे मिलाई और मेरा लंड उसकी जांघो के बीच ने था " इसे दबाओ निचोड़ेो, जीवा!

इसे निचोड़ो, प्रिये; आह! अच्छा! ऐसा करो! और करो, इससे मुझे बहुत मदद मिलेगी; तुम नहीं जानती हो कि मैं कैसे तड़प रहा हूँ, मेरी प्रिय इसे कस कर निचोड़ो, थोड़ा-सा ऊपर-नीचे करो-ओह, बेबी, यह बहुत बढ़िया है! " अचानक ऐंठन के साथ, अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए उसे अपने और खींचा और उसे अपने स्तन से चिपका कर उस सुंदर लड़की को पागलों की तरह चूमने लगा।

मैंने एक दो बार अपने नितम्बो को हिलाया तो लंड बाहर आ गया अब एक मुस्कान के साथ जीवा मेरे ऊपर बैठ गई। अपने हाथ मेरे गले में डाल जैसे ही वह मेरी छाती से नीचे गई, मैंने महसूस किया कि उसका वज़न मेरे बदन पर आ गया था। वह आगे झुकी हुई थी, जिससे उसके स्तन मेरे चेहरे के सामने आ गए। जैसे ही वह रुकी और स्थिर हुई, मैंने अपने होठों ऊपर किये और उसके एक गुलाबी, छोटे, सख्त निप्पल को अपने मुँह में ले लिया। मैंने निप्पल को अपने होठों के बीच धीरे से चूसा, हल्के से कुतरते हुए। वह ख़ुद को सीधा करने से पहले, थोड़ा आगे झुकी और उसके निपल्स पर मेरी चुंबन को स्वीकार करते हुए जीवा ने अपने शरीर को तब तक नीचे किया जब तक वह मेरे कूल्हों पर बैठी गयी और मेरा लंड उसके नीचे टिक गया। मैं उसकी झांघो का स्पर्ष उसकी लंबाई के साथ अपने जांघो पर महसूस कर रहा था क्योंकि उसने अपनी चूत को मेरे जांघो के साथ लगस्ते हुए लंड की और सरकाया। उसकी नमी ने इस क्रिया को आसान और उत्तेजक बना दिया। वह जानती थी कि मुझे क्या चाहिए क्योंकि उसने अपने कूल्हों को ऊपर उठाया और उसके हाथ ने मेरे लंड को मजबूती से पकड़ लिया और सीधा पकड़ लिया। उसने अपने कूल्हों को हिलाया ताकि उसका योनि का द्वार मेरे लंड के सामने आ जाए फिर उसने ख़ुद को लंड के ऊपर हो और धीरे-धीरे ख़ुद को लंड पर नीचे कर लिया।

मेरा लण्ड ठीक उसकी चूत के नीचे था और एक जोरदार धक्का माराl वह उछल पड़ीl तब तक मगर मेरे लंड का टोपा चूत में फंस चुका था। मेरा लंड इस समय लोहे की सलाख जैसा सख्त और गर्म था और जीवा उस पर-पर बैठी हुई थी। मैंने जोर लगाया तो जीवा चिल्ला पड़ी। मैंने उसे खिलौने की तरह उठाया और खड़े हो कर एक और झटका दिया। एक बार जब मेरा लंड पूरी तरह से उसके अंदर था, तो वह स्थिर और सीधी बैठ गयी।

जीवा मेरे तनकर खड़े लंड पर धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अंदर घुसा रही थी। मेरे सामने ख़ूबसूरती का नज़ारा था, उसका बदन मेरे सामने नुमाइश पर था। वह मेरी जंघाओं पर बैठी हुई थी, उसके कूल्हे मेरी जंघाओं पर दब रहे थे। उसके स्तन मेरे सामने तने हुए थे, उसके निप्पल खड़े थे। मैं अपने हाथों में उन्हें लेने के लिए हाथ ऊपर किये और उनकी मालिश करने लगा और उसने अपना सिर पीछे किया और आँखें बंद कर लीं।

मुझे लगा कि उसके कूल्हे ऊपर उठ रहे हैं और वह धीरे-धीरे मेरे लंड से ऊपर होने लगी। उसने मुझे पूरी तरह से मुक्त कर दिया, फिर तुरंत अपने आप को फिर से मुझ पर पूरी तरह से नीचे कर लिया। उसकी गति जानबूझकर धीमी थी। हर रिलीज के साथ, वह अपना वज़न कम करती ऊपर उठती और लंड को एक बार फिर से अंदर ले जाती तो उसके होंठ हर बार नए सिरे से प्रवेश करते हुए छोटा "ओ" बना रहे थे। वह मेरे लंड पर धीरे से उठती और फिर नीचे बैठ जाती जिसकी वज़ह से लंड अंदर बाहर हो रहा था और वह ख़ुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थी और बहुत मज़े कर रही थी। अब वह पूरी मस्ती में थी और मस्ती में मौन कर रही थी अआह्ह्ह आाइईई और बोली, बहुत मज़ा आ रहा है।

मेरे हाथ उसके कूल्हों तक पहुँच गए और मैंने उसकी गति बढ़ाने में सहयोग किया और वह मेरे लंड की सवारी करती रही। मेरे कूल्हे हर बार जब वह नीचे की आती थी तो मिलने के लिए ऊपर उठ रहे हैं।

फिर अब उसे भी मज़ा आने लग रहा था, अब वह भी अपने कूल्हे उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। अब मैंने उसे और ज़ोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया था। जीवा मेरे ऊपर बैठी बहुत मादक लग रही थे उनके रेशमी सुनहरी बाल उसके स्तनों पर फ़ैल गए थे और जीवाने उन्हें पीछे करते हुए मेरी छाती पर अपने हाथ रख दिया और एक हाथ मेरे नितम्ब के नीचे ले जाकर बोली और ज़ोर से और ज़ोर से चोदो मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर जीवा का साथ दिया... मेरा लंड उनकी चूत के अंदर पूरा समां जाता था तो दोनों के आह निकलती थी। फिर मेरे हाथ जीवाके बूब्स को मसलने लगे फिर मैं उसकी चूचियों को खींचने लगता था तो वह सिहर जाती और सिसकने लगती। उसके बाद मैं जीवा के ऊपर झुक गया और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए।

मैं जीवा को बेकरारी से चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी वह अपनी कमर उठा-उठाकर चिल्ला रही थी और बडबड़ा रही थी आहहहहहह और चोदो मेरी चूत को, मैं जीवा को गोद में ले कर बैठ गया और वह मेरे होंठ चूसने लगी, लगभग दो मिनट तक हम ऐसे ही बैठे रहे, दो मिनट बाद सलमा को थोड़ा आराम मिलाl तो मैं फिर बोला-अपनी चूत को ऊपर-नीचे करोl

जीवा अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी, बीस-पच्चीस बार ऊपर-नीचे करने के बाद उसे बहुत अच्छा लगने लगा। मैं जीवा को ही देख रहे था और बोला-जब दर्द ख़त्म हो जाए तो बताना।

जीवा बोली-अब दर्द हल्का हो गया है। बस यह सुनते ही मैंने जीवा की कमर पकड़ कर उसे थोड़ा ऊपर उठाया और नीचे से जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।

जीवा के बड़े-बड़े कोमल स्तन उछल रहे थे और मेरे, मुँह से टकरा कर मुँह की मालिश लकर रहे थे और उसकी चूत भी अब गीली हो गई थी और लंड जब उसकी चूत को रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था तो सच बहुत मजा आया और फिर जीवा जल्द ही झड़ गयी।

जारी रहेगी

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