Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereमेरे अंतरंग हमसफ़र
सातवा अध्याय
लंदन का प्यार का मंदिर
भाग 53
मंदिर में दीक्षा के दौरान माहौल का प्रभाव
ब्रैडी के पिता महाराज कैमरून के एक प्रांत के राजा थे और आज के मंदिर के कार्यक्रम के मुख्या अतिथि भी थे और मेजबान भी थे क्योंकि उनकी बेटी पर्पल भी दीक्षा के बाद आज ही मदिर की महाजक बनने वाली थी । उनकी अनेको रानियों में से दो जिनमे से एक पर्पल की माँ मरीन भी वहाँ उपस्थित थी, रानी मरीन मंदिर के ही अनुयायी और महाराज से विवाह के पूर्व मंदिर में ही प्रशिक्षित की गयी थी और साथ में महाराज की लगभग बीस रखैले, सेवक और शाही सरकार में कुछ अन्य अधिकारियों से घिरे हुए थे।
जब महाराज ने मंदिर के हॉल में प्रवेश किया तो उन्होंने एक साधारण, लेकिन शानदार, लाल वस्त्र पहन रखा था। उनके साथ उनकी दो रानीया मरीन और लिन्या, प्रत्येक ने हीरे और दुर्लभ रत्नों से जड़ी ब्रा और पैंटी सेट के अलावा कुछ नहीं पहना था। सभी रखैलें ब्रा, जाँघिया और गहनों के अलावा कुछ भी नहीं पहने हुई थी, जो की प्रत्येक बेहतरीन रेशम, हीरे या रत्नों से बना था। मरीन और लिन्या और प्रत्येक उपपत्नी सुंदर और कामुक थीं, उनके शरीर चमक रहे थे।
जब महाराज वहाँ बैठे तो उनका पूरा दल-रानियाँ, रखैले, वे सभी-उनके पीछे झुक गए। उन्होंने कुछ मिनटों के लिए मंदिर के प्रांगण और इकट्ठी भीड़ का सर्वेक्षण किया।
महाराज सुंदर थे, उनका शरीर मजबूब और मांसल था, हालांकि बहुत अधिक मांसल नहीं था, मध्यम आयु के थे और उसके साथ उनका युवा बेटा ब्रैडी और दोनों रानियाँ बैठी। महायाजक फ्लेविया ने राजा और ब्रैडी के लबादे में हल्का-सा उभार देखा। फ्लाविया को महायाजक पायतघिया ने महाराज की सेवा की निगरानी के लिए नामित किया था ताकि जिस समय मुझे पायथिया द्वारा सशक्त बनाया जा रहा था, तो अनुचरों द्वारा उनकी ठीक से सेवा की जाए।
बाकी सभी सुंदर और सेक्सी मुख्य पुजारिने क्सेनु, फ्लाविआ, पेन्सी, रेगिया, आईरिस, ओलिविया, अमलाथिया, कारा, सिंथिया, दोना और रूना पुजारिने कामुक हो गयी थी और मंदिर में मौजूद अन्य पुरुषो वरीन और ब्रैडी के इर्द गिर्द उन्होंने घेरा डाल दिया था। सब उचच पुजारिणो ने ब्रैडी और वारेन के सामने एक दुसरे को चूमना और सहलाना शुरू कर दिया था और वारेन अपने सामने वाली उचच पुजारिन के स्तन और नितम्ब दबा रहा था और सामूहिक तौर पर सभी एक दूर के साथ यौन खिलवाड़ कर रहे थे।
लेकिन जब मैं जीवा को दीक्षा दे रहा था उस समय पाईथिया सुनिश्चित कर रही थी की साड़ी व्यवस्थाएँ सुचारु रूप से चले, साथ ही साथ वह मुझे और जीवा को भी सेक्स करते हुए ध्यान से देख रही थी, साथ ही साथ राजा की सेवा की निगरानी भी कर रही थी और इस तरह वह राजा और ने मेहमानो औरमंदिर की अनुचरों को भी देखती रही ताकि अनुचरों द्वारा सब महमानो की ठीक से सेवा की जा सके। उसका बार-बार महाराज पर नज़र न डालना मुश्किल था। लेकिन शाही परम्परा के एक भाग के रूप में महाराज की सेवा केवल उनकी रखैलो द्वारा सेवा की जा रही थी, न कि मंदिर के अनुचरों और नौकरानियों के द्वारा । अनुचर और परिचारिकायें बाकी मेहमानों की देखभाल कर रही थी और गिनती की, दस राखेले उसके पीछे पंक्तिबद्ध थीं। रखैलें किसी और की नहीं बल्कि केवल महाराज की सेवा कर रही थी। हालाँकि, मंदिर के अनुचर और परिचारिकायें सेवा में रखेलो की सहायता कर रही थी। सब सुचारु हो लग रहा था ।
जब मेरे लंड ने जीवा की योनि को स्पर्श किया तो उसकी कराहे माहौल को गर्म बना रही थी और अब इसे नज़रअंदाज करना उतना ही मुश्किल था कि इस समय तक महराजा का पुत्र, उनकी दोनों रानिया और राखेले सभी पूरी तरह से नग्न हो चुके थे। उनकी सर्वोच्चता ने एक ऐसा लबादा पहना था जो सामने से ढीला दिखाई दे रहा था। उसने रखेलो के स्तनों को प्यार किया और उनके नितंबों को पकड़ लिया और इस बात को छिपाने का कोई प्रयास नहीं किया, ज बकि बाकी मेहमानों ने इसे अनदेखा करने की पूरी कोशिश की। उसने यह भी देखा कि राखेले उसकी सेवा करते समय उनके धन्यवाद देते हुए दिखाई दे रही थी जबकि अन्य मेहमान परिचारिकाओं को धन्यवाद दे रहे थे।
जब हम चुदाई कर रहे थे और बीच-बीच में महाराज सीधे पायथिया को घूर रहे थे हालाँकि ज्यादातर समय वह मुझे और जीवा को गौर से देख रहे थे। मैंने उसने और ब्रैडी को मेरी तरफ इशारा करते हुए कुछ कानाफूसी करते हुए भी देखा । ऐसा करते हुए, महाराज ने अपनी निशिया नामक रखेल जो सबसे सुंदर और युवा लग रही थी, के बड़े स्तनों में से एक को सहलाया, ब्रैडी की बात सुनकर राजा के चेहरे पर हलकी मुस्कान आ गई। पायथिया ने यह दिखावा करने की कोशिश की कि उसने यह नहीं देखा, लेकिन अपनी आँख के कोने से वह राजा को ही देखती रही।
फिर सीधे पायथिया को घूरते हुए, महाराज ने निशिया की छाती को जोर से निचोड़ा और वह मजे से कराह उठी। फिर महाराज ने अपना हाथ निशिया के सिर पर रखा और उसे नीचे निर्देशित किया। निशिया ने घुटने टेक दिए और महाराज का लंड मुँह में लिया आओर फिर पूरा निगल लिया। महाराज ने उसके सिर को और नीचे अपने लंड पर निर्देशित किया और उसने थोड़ा-सा गला घोंट दिया और पाईथिया को देख आकर मुस्कुरा दिए। अब महाराज पूरे समय महायाजक पायथिया को ही घूर रहे थे।
बाकी सभी महायाजक, मेहमान स्पष्ट रूप से जानते थे थी कि क्या हो रहा है, लेकिन उन्होंने इसे अनदेखा करने की पूरी कोशिश की। महाराज ने एक और उपपत्नी दिनिया की गांड पकड़ ली, जबकि उन्होंने अपनी रानीयो मरीन और लीनिया के स्तनों को प्यार किया। महाराज हालाँकि सेक्स के कार्यकलाप अपनी ीानियो और रखेलों के साथ कर रहे थे लेकिन देख पाईथिया की तरफ रहे थे । जब उन्होंने पाईथिया को उधर देखते हुए देखा तो वह मुस्काये और फिर से पायथिया को देखा, लेकिन फिर दूर हमारी चुदाई देखने लगे। निशिया ने इस बीच लंड चूसते हुए जो कर्कश और गड़गड़ाहट का शोर किया-वह अनिवार्य रूप से इस बीचमाहराज का लंड नॉनस्टॉप गहरा चूस रही थी-मंदिर में हो रही बातचीत के शोर के पीछे सुना निशिया की कराहो को स्पष्ट सुना जा सकता था।
पायथिया अपनी आँख के कोने से महाराज को देखती रही, लेकिन ऐसा दिखाया उसने उन पर ध्यान नहीं दिया। महाराज ने निशिया को उसके घुटनों के बल नीचे देखा, संतोष की सांस ली और दूरी पर हमे देखने लगे। उन्होंने भोजन का एक छोटा-सा टुकड़ा लिया और एक और उपपत्नी को बुलाया, ऐसा लगता है कि इसके बारे में कुछ कहना है। जैसे ही वह रखेल जाने लगी महाराज ने उसके स्तनों को भी सहलाया और पायथिया ने उसे खुशी से चिल्लाते हुए सुना। उन्होंने निशिया के सिर पर हाथ रखा और वापस बैठ गए। जैसे निशिया का उनके लंड चूसते हुए दम घुटा, वैसे ही महाराज के शरीर पर खुशी छा गई।
पायथिया राजा के प्रति आकर्षित हो गयी थी । पर्पल की माँ मरीन भी ऐसे ही जब वह प्रशिक्षु और मंदिर की नउयायी और उपासक थी और एक दिन जब राजा मंदिर में आये थे तो उनके प्रति आकर्षित हो गयी थी । महाराज उस समय युवा थे और उनकी पवित्र उपस्थिति-उनके और बाकी सभी के बीच भारी शक्ति का अंतर अपरिहार्य आकर्षण था। उस समय महाराजा बहूत बनके जवान और सेक्सी थे और पर्पल की माँ युवा और कुंवारी थी और प्रशिक्षण पूरा होने पर उसे भी मंदिर की उचच पुजारिन बनाया जाना तय था और राजा ने तब मरीन के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था तो मरीन इस दुविस्धा में थी वह प्रस्ताव स्वीकार करते समय हिचकिचा रही थी और जब राजा ने मदिर की उस समय की प्रधान पुजारिन से इस मसले पर बात की तो उन्हों इस शर्त पर अनुमति दे दी थी की मरीन की गर पुत्री होगी तो उसे मदिर में उच्च पुजारिन बनना होगा । इस बात पर महाराज और मरीन दोनों मान गए थे और उनका विवाह हो गया था । अब आज उनकी पुत्री का मंदिर में महायाजक के तौर पर दीक्षा का दिन था ।
पाईथिया ने जब निशिया के कराहे सुनी तो मुझे ताज ताजा चुदाई के बाद पायथिया कामुक तो थी ही और उसकी चूत कुछ थरथराने लगी। उसने सोचा कि महाराज को प्रसन्न करना कैसा लगेगा। उसने सुना था कि महाराज की कई रखैलें कुलीन वर्ग से थीं, कुछ रानिया मंदिर की सेविकाओं में से चुनी गयी थी और महाराज समय-समय पर सौंदर्य प्रतियोगिताएँ आयोजित करवाते थे और सुन्दरिया चुनते रहते थे, पायथिया ने खुद कभी वह नहीं किया था जो निशिया यहाँ सबके सामने कर रही थी, बेशक उसने मेरे साथ और अपनी दीक्षा के समय वारेन के साथ चुदाई की थी लेकिन इस प्रकार मुख मैथुन यह मंदिर संस्कृति में काफी वर्जित था। इसके बारे में सोचकर दोनों ने उसे समान रूप से आकर्षित और विकर्षित किया-यह कुछ ऐसा था जो सामान्य वेश्याओं द्वारा किया जाता था, लेकिन मंदिर की पुजारियों द्वारा सार्वजनिक तौर पर उसनेआम तौर पर ऐसा नहीं देखा था। स्खलन के बाद जरूर रस को चाट कर साफ़ करते हुए उसने कई बार पुजारिणो को देखा है । फिर भी, आज मंदिर में सर्वोच्च-जन्म वाले लोगों के द्वारा सबके सामने, खुले तौर परआज इस प्रकार आनंद लिया जा रहा था। किसी ने भी कोई शिकायत नहीं की। किसी ने कुछ भी नहीं कहा-वास्तव में, यदि अवसर दिया गया तो सभी महिलाएँ पुजारिने और सेविकाएँ उसके सामने ये करने को त्यार हो जाएंगी। उसने इन विचारों से ध्यान हटाने के लिए हमारी और देखा।
तभी उसने जीवा की तेज चीख सुनी मेरे लंड की टक्कर इतनी जोर से लगी की जीवा की चीख निकल गयी थी। कमर ऊपर उठने पूरा लंड चूत में जाकर धंस गया और मैंने बड़ी बेरहमी से लंड को पेला था। मैंने फिर से उसी स्पीड से लंड निकालकर अन्दर डाल दिया।
अब तक मेरा लंड जीवा की योनि में प्रवेश कर चूका था और मैंने फिर बहुत हल्के-हल्के थोड़ा-सा बाहर निकाल के 'लंड' अंदर बहुत प्यार से घुसेड़ा और मेरे हाथ उसकी कमर पर ले जाकर कुछ देर धीमे-धीमे करने के बाद, मेरा हाथ रीवा के सीने पर था और मैंने उसके स्तनों को दबा कर सहलाना चालू कर दिया। । थोड़ी ही देर में उसकी सारी देह काँप रही थी और वह उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुँच के शिथिल हो गयी थी । मैंने फिर से अंदर बाहर...करना शुरू कर दिया और कस के शॉट मारा तो। वो सिहर उठी लेकिन अब इसमें सुख और मजा ज़्यादा था। थोड़ी ही देर मेमेरी स्पीड बढ़ गयी अब हम दोनों में से कोई रुकना नहीं चाह रहा था।
जैसे ही वह ऐसा कर रही थी, उसने फिर से उसकी आँखों को राजा की और देखे हुए पाया। राजा का हाथ निशिया के सिर पर मजबूती से टिका हुआ था और उसने अपने लंड को निशिया के गले के पिछले हिस्से में धकेल दिया, जो उसके गले से नहीं उतर रहा था और वह सांस लेने के लिए संघर्ष कर रही थी। राज और उनका लंड शक्तिशाली लग रहा था, पायथिया ने मेरे और राजा के लंड की तुलना की और सोचा किसका बड़ा है । शयद मेरा बड़ा था। लेकिन राजा तो राजा है उसने अपनी पीठ को थोड़ा झुका लिया, फिर भी राजा सीधे पायथिया को देख रहा था। उनका सारा तनाव निशिया के मुंह और गले में उनके सीधे लंड की ओर निर्देशित था। कुछ देर वह धक्के मारता रहा और निशिया गोओ-गोओ करती रही फिर राजा का शरीर पूरी तरह से शिथिल हो गया था। वह स्खलन कर रहा था। वह पायथिया को घूरता हुआ स्खलन कर रहा था, पाईथिया ने महसूस किया कि क्या चल रहा था और वह थोड़ा शरमा गयी। राजा के सह ने सीधे उपपत्नी निशिया के गले में पिचकारी मार दी और फिर राजा बस पिचकारियाँ मारता रहा-उसका संभोग दो मिनट से अधिक समय तक चला (जैसा कि वे सामान्य रूप से करते थे) । राजा का सह निशिया की नाक से बाहर निकल गया और उसकी ठुड्डी से टपक गया, उसका मुंह और गला उसके विशाल लंड और उसके और भी बड़े पैमाने पर स्खलन से पूरी तरह से अभिभूत हो गया। निशिया ने सांस लेने के लिए संघर्ष किया और राजा के वीर्य को अपने गले और मुँह ने रोकने का प्रयास किया लेकिन उसके पास कोई विकल्प नहीं था। राजा ने लिनिया के स्तनों को पकड़ लिया और उसके बाद भी वह पायथिया को घूरते रहे और फिर निशिया के गले को सहलाते रहे, इस बात को छिपाने का कोई प्रयास नहीं किया।
जैसे ही राजा का संभोग कम हुआ, लंड निशिया के होंठो से बाहर आ गया, उसकी आँखों में पानी आ गया और उसके फेफड़े हवा के लिए हांफने लगे। उसने इस स्थिति में केवल यही कहा: "धन्यवाद, आपकी सर्वोच्चता।" उसका मतलब हर शब्द से था।
राजा लगभग पूरे संभोग के दौरान पायथिया को देखते रहे, और वह ट्रांसफिक्स्ड थी। क्या राजा वास्तव में उस पूरे समय केवल स्खलन कर रहे थे? पाईथिया को उसका पूरा शरीर फूला हुआ महसूस हो रहा था। उसने वॉशरूम में जा कर हस्तमैथुन करने के लिए खुद को बहाने के बारे में कुछ समय के लिए सोचा, लेकिन फिर ऐसा न करने का फैसला किया ।
दोनों जानते थे कि वे एक दूसरे से क्या चाहते हैं लेकिन एक दूसरे से उन दोनों ने कोई बात नहीं की । बल्कि पाईथिया ने उसी समय मेरे करहने की आवाजे सुनी और मेरे कराहने की आवाज और तेज हो गयी। उसने देखा मैं जीवा को बेतहाशा चूम रहा था और अपनी लार और जीभ दोनों उसके मुहँ में उड़ेल रहा था और उसके मुहँ की लार को पीने की कोशिश कर रहा था । मेरी कराहे सुन पाईथिया समझ गयी अब आगे क्या होने वाला है और उसने तुरंत पर्पल और ग्लोरिया क हाथ पकड़ा और उन्हें उस वेदी के पास ले आयी जहाँ मैं और जीवा सम्भोग कर रहे थे । उसने उन दोनों को एक-एक कटोरा दिया और उसे जीवा की योनि के पास लगा कर उन्हें कहा । इस अद्भुत रस की एक भी बूँद बेकार नहीं जानी चाहिए । सारा रस इस कटोरे में एकत्रित कर लेना ।
कहानी जारी रहेगी