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Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन
CHAPTER-4
सुहागरात
PART 2
सुहाग कक्ष
सब कजिन बहने कहने लगी कुमार! दुल्हन को उठा कर कमरे में ले जाओ और फिर जब हम सुहाग कक्ष के दरवाजे पर पहुँचे, तो वह मेरी बाँहों में कूद गई, अपना सिर मेरी गर्दन के पिछले हिस्से में रखते हुए, उसने धीरे से कहा, "मुझे ले चलो।"
माँ ने आँखों से बस मुझे एक इशारा किया। मैं अपनी दुल्हन को ऊपर ले जाने के लिए मुड़ा।
जूही भाभी मेरे कान में बोली कुमार अभी 11 बज रहे है। यहाँ पर अब आप दोनों के इलावा सिर्फ आपकी अंगरक्क्षक मरीना, आपकी सचिव हेमा और रीती आपकी सेविका, रोजी, रूबी, बड़ी भाभी ऐश्वर्या और अनुपमा होंगी । महाराज, राजमाता, आपकी माँ पिताजी और ताई जी सहित परिवार के अन्य सब लोग कल सुबह तक वापिस सूरत लौट जाएंगे। तुम लोगों को कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा।"
रोजी ने सुहाग कक्ष का दरवाजा खोला तो हमारे सामने था हमारा सुहाग कक्ष । जूही ने पास आ के ज्योत्सना के कान में कहा, "सखी ये जो दूध का ग्लास रखा है ना ये अपने साजन को सबसे पहले पिला देना और खुद भी पी लेना और ये पान भी" और फिर कुछ मेरे से हल्के से मुस्करा के कहा। दरवाजे पर पहुँच के वह रुकी और हम दोनों की ओर देख के मुस्कराने लगी । फिर वह निकल गयी।
सामने था खूब बड़ा। एक ओर खूब चौड़ा-सा बेड और उसपर गुलाब के पंखुड़ियो से सजावट, पूरा कमरा ही गुलाबी गुलाब से सज़ा, गुलाब की पंखुड़ियो से रंगोली सजी हुई थी सुहागसेज को गुलाब, मोगरा और अन्य कई सारे फूलों से इस कदर सजाया गया था कि बिस्तर की चादर तनिक भी नज़र नहीं आ रही थी और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो पूरी सेज फूलों से ही निर्मित हो। पूरा कक्ष मोगरे के इत्र की खुशबु से सुगंधित था।
बेड के तल में गुलाब की पंखुड़ियो रास्ता बना हुआ था, दो बड़ी खिड़किया जिन पर रेशमी पर्दे पड़े थे और सामने ज़मीन पर भी बिस्तर-सा और एक-एक तरफ सोफा। बेड पर हल्की गुलाबी दूधिया रोशनी और फर्श पर नाइट लॅंप की लाइट्स और-और बेड के तल में गुलाब की पंखुड़ियो रास्ता बना हुआ था, दो खूब बड़ी खिड़किया जिन पर रेशमी पर्दे पड़े थे और सामने ज़मीन पर भी बिस्तर-सा और एक-एक तरफ सोफा। बेड पर हल्की गुलाबी दूधिया रोशनी और फर्श पर कामुकता जगाने वाली सुगन्धित मोमबतिया जली हुई थी। बेड के बगल में टेबल पर चाँदी की तश्तरी में पान, दूसरी प्लेट में कुछ मिठाइया और फल और चाँदी की ग्लास में दूध रख हुआ था ।
मैंने पुछा केसा लगा हमारा सुहाग कक्ष?
तो वह बोली सुंदर! बहुत सुंदर! मेरी कल्पना से भी ज़्यादा सुंदर। हम बेडरूम में अंदर गए और जैसे ही मैंने कमरे में कदम रखा कुछ डोरिया खींच गयी और हम दोनों पर फूलों की बौछार होने लगी।
ज्योत्स्ना बोली ओह्ह आप कितने रोमांटिक हो! और उसने मेरे गालो पर एक चुंबन दिया और बोली थैंक यू!
मैंने ज्योत्सना को हमारे शयन कक्ष के साथ संलग्न बैठक में बैठाया। मैंने उसे चूमा और कहा, "क्या आप हमारे प्यार को पूरा करने के लिए तैयार हैं?"
उसने धीरे से उत्तर दिया, "मैं अब तक एक लड़की हूँ और महिला बनने के लिए तैयार हूँ," फिर वह शर्म से मुस्कुराई और उसके गाल गुलाबी हो गए।
मेरे पायजामा के सामने मेरा लंड तन गया और का एक बड़ा तम्बू बन गया ।
वो मुझ से पूछने लगी जूही मेरे कान में क्या बोली थी तो मैंने उसे बताया की जूही ने बताया है कि घर में अब सिर्फ मरीना, हेमा, रीती, रोजी, रूबी, बड़ी भाभी ऐश्वर्या और अनुपमा होंगी और महाराज, राजमाता, माँ पिताजी और ताई जी सहित परिवार के अन्य सब लोग कल सुबह तक वापिस सूरत लौट जाएंगे। अब हम लोगों को यहाँ कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा । " मेरी बात सुन वो शर्मा गयी और मेरा लंड कड़ा हो गया ।
तो उसने मुझ से पुछा की यहाँ पर आपकी बड़ी भाभी ऐश्वर्या क्यों रुकी है तो मैंने उसे परिवार को मिले श्राप और उसके निदान के बारे में बताया और ये भी बताया की आपके साथ हमे कुछ रस्मे करनी होंगी और उसके बाद मुझे अपनी भाभियो को गर्भदान देना है और ये सब आपकी जानकारी में होना है और इसके लिए आपकी अनुमति आवश्यक है और उसे दादा गुरु का लिखा हुआ एक पत्र भी दिया।
मैंने दादा गुरु का सीलबंद पत्र मैंने खोला और उंसमें निम्न सन्देश था:-
" प्रिय राजकुमारी
आयुष्मान भाव
पुत्री!जब ये पत्र आपको मिलेगा तब तक आपका विवाह कुमार से हो चूका होगा अब आपको विशेष रस्मे अदा करनी है जिससे कुमार के कुल को मिला श्राप और अन्य पाप नष्ट हो जाएंगे और इसके लिए आपकी सहमति और इनमे आपका भाग लेना आवश्यक है।
पुत्री! नारी जीवन है, नारी वास्तव में रत्न हैं और नारी ही योनि है! शक्ति है! । सृष्टि के उत्पत्ति का केंद्र नारी योनि है ।
यह वैज्ञानिक सत्य है कि पुरुष शरीर में निर्मित होने वाले शुक्राणु भी की आकर्षण शक्ति से ही चालित होकर अंडाणु से संयोग करने के लिए गुरुत्वाकर्षण के नियम का उल्लंघन योनि में उतपन्न शक्ति ऊर्जा से आगे बढ़ते हैं। विज्ञान के अनुसार शुक्राणु जीव होते हैं जो शरीर पाने के लिए अंडाणु से संयोग करने के लिए भागते हैं और अरबों खरबों शुक्राणुओं में से किसी दुर्लभ को ही शरीर प्राप्त होता है।
लिंग और योनि के घर्षण से ही सर्जन का परमाणु रूप उत्पन्न होता है। दोनों संरचनाओं के मिलने से ही नया शरीर बनता है और इनकी क्रिया से ही उसमें जीवन और ऊर्जा का संरचना होता है। यह योनि एवं लिंग का संगम प्रत्येक के शरीर में चल रहा है। इस ज्ञान को धारण कर जब स्त्री पुरुष पति पत्नी के रूप में तादात्म्य स्थापित कर दैहिक सम्बन्ध करते हैं तो वह सर्जन करते हैं।
मेरे शिष्य मृदुल मुनि जी ने दीपक को समझा दिया है की आप दोनों को आगे क्या करना है। ये विशेष रस्मे शुद्धिकरन के लिए आवश्यक है ।
मेरा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ रहेगा। "
और उस पत्र पर दादा गुरु के हस्ताक्षर थे।
मैंने उससे कहा। अब हमें कुछ बहुत ही सरल रस्मे पूरी करनी है। "
कुल गुरु ने मुझे बताया था कि शादी की रात इस विशेष परम्परा अनुसार दूल्हा एक बर्तन में दुल्हन के पैर धोता है और फिर कमरे के चारों वह पानी छिड़कता है।
मैंने उस बैठक में पहले से रखे बर्तन और तौलिये को उठाया और फिर जैसे ही मैंने उसके सुंदर पैरों से सैंडल उतारे, उसके पैर एक आकर्षक जटिल मेंहदी डिजाइनों से ढके हुए थे और इससे वह और भी अधिक कामुक लग रहे थे।
वो बोली आप मेरे पैर छू कर क्यों मुझे पाप का भागी बना रहे हो ।
मैंने कहा गुरु देव का पत्र पढ़ कर भी आपको क्या अभी भी कोई संशय है तो वह कुछ नहीं बोली ।
फिर मैंने उस के पैर की उंगलियों के ऊपर उसके बाएँ पैर को चूमा और फिर उसके दाहिने पैर से सैंडल हटा दी और चुंबन दोहराया। फिर मैंने उसके पैरों को वाश बाउल में नीचे कर दिया, धीरे-धीरे एक हाथ से प्रत्येक पैर की मालिश की। फिर मैंने उसके पैरों को तौलिये से सुखाया और जैसे ही मैंने बेडरूम के चारों ओर पानी छिड़का :
हमें स्नेह प्रेम और समृद्धि का आशीर्वाद दें; और हम एक दुसरे से प्रसन्न रहे और हमें एकता के सर्वोत्तम रूप में और पूर्ण सद्भाव में एक साथ लाओ।
मैंने पुछा की क्या आपकी सहमति है तो ज्योत्स्ना बोली की इस बारे में दादा गुरु जी की शिष्या "ऐना " और जूही भाभी ने उसे थोड़ा-सा इशारा किया था और अब वह मेरे परिवार है हिस्सा है और मेरी जो भी जिम्मेदारियाँ है वह उन्हें पूरा करने में पूरा सहयोग देगी और मेरी किसी भी प्रत्यक्ष इच्छा और अप्रत्यक्ष इच्छा को पूरा करने का भरपूर प्रयास करेगी।
मैंने उसे धन्यवाद के रूप में चुंबन किया और फिर मैंने उसे उठाया और फिर हम बेडरूम में चले गए। मैंने उसे बिस्तर के किनारे पर बिठा दिया। वह अब भी नीचे देख रही थी, जाहिर तौर पर बहुत शर्मी रही थी और थोड़ी असहज थी, मैंने उसे सहज होने के लिए कहा और बिस्तर पर आराम से बैठने को कहा ।
मैंने पूछा नींद तो नहीं आ रही और उसने सर हिला के इशारे से जवाब दिया, 'नही' । तो मैंने कहा फिर रिलैक्स हो जाओ मैं अभी आता हूँ ।
फिर ज्योत्सना बिस्तर पर ठीक से बैठ गयी और मैंने एक गुलाब का फूल लेकर कमरे में प्रवेश किया ।
कहानी जारी रहेगी