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VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन
CHAPTER-4
सुहागरात
PART4
अरमानो वाली रात
फिर मैंने अपनी इस अरमानो वाली रात का एक चुंबन उसकी कजरारे नयनो की लाज हरने के लिए पलकों पर किया. मैंने बस अपने होंठो को पलकों पर छू भर दिया, फिर दूसरी पालक पर चुंबन किया. और दो तीन हल्के चुंबनो के बाद मैंने एक एक कर दोनो पॅल्को को कस के चूम लिया और उसने ऐसे आँखे बंद ही हुई थी की जैसे मैं उन कजरारे नयनो में ढेर सारे सपने भर रहा हू।
फिर मैंने हल्के से जहा सिंदूर का बेस था वहां चूम लिया और माथापट्टी से लटक रहे हीरे के चारो और चूमा और. और फिर माथे की बिंदी पे चूमा तो उसने खुद को अब मेरी बाहों के हवाले कर दिया था. उसकी मूंदी पलके बस अभी तक उन चुंबनों का मजा और स्वाद ले रही थी।
कहंते हैं न शेर के मुँह खून लग गया था और अब यही हालत मेरे होंठो की भी थी।
माथे से वो सीधे मैं उसके गोरे गुलाबी गालो पे आ के रुका और फिर धीरे से नाक को चूमा और फिर होंठो पर हल्का सा चुंबन किया. उसके गाल शर्म से गुलाबी हुए और मैंने जब दुबारा चूमा तो अब मेरे होंठ वही ठहर गये और मुझे आज तक उस चुंबन का स्वाद याद है.. मैंने फिर उसको अपने से हल्का-सा दूर किया हाथो से उसका चेहरा ऊपर किया और होंठो पर एक लम्बी किस की उसकी आँखे बंद थी। ज्योत्सना ने अपने होंठों को मेरे होंठों से छुड़ाने की कोशिश की।
मैंने उसके होंठो को छोड कर चेहरा ऊपर किया तो उसने आँखे खोली और शरमा गयी और हलके से मुस्करायी। मैंने अब उसका सुंदर चेहरा देखा, पसीने की चमक में, मुझे इच्छा से भरी एक कामुक निगाह दिखाई दी और उसकी भौंह टेढ़ी हो गई थी और उसने भीगे हुए दांतों की भीचते हुए कुछ गहरी तेज सांसें लीं। मैंने आनंद के संकेतों को पढ़कर और फिर मैंने ओंठ के ऊपर जो तिल था उसे चूम लिया. और फिर उसे फिर से चूमा और फिर दो तीन चुंबनो के बाद कही उसके ओंठ हल्के से लरज के मेरे चुंबन का जवाब देने लगे और उसी के साथ उनकी उंगलियाँ मेरी केले के पत्ते ऐसी चिकनी पीठ पे फिसल रही थी. मैंने अब उसकी की पींठ, कमर पर अपनी उंगलियाँ फेरनी शुरू कर दी थीं। उसके हाथ मेरे कन्धों पर थे और वह मुझको अपनी और खींच रही थी।
मेरे हाथो ने जब उसे खींचा तो उसकी चुनरी ने उसकी पीठ का साथ छोड़ दिया और अब चोली को बांधने वाली एक पतली सी स्ट्रिंग हाथ फिराते हुए सी रुकावट डाल रही थी. उंगलियो के स्पर्श से उसकी पीठ में कम्पन हो रहा था. और फिर मेरे होंठ, उसके गले से होते होते फिसल के, उसके उभारो के उपरी भाग पे रुके, और वहाँ मेरे होंठो का स्पर्श होते ही वो अचानक ही मुझसे अलग हो गयी. ओह! प्रिय!... मेरे प्रिय!' और कुछ देर तक हम चुप रहे, हमारी आँखें एक-दूसरे को देख रही थीं और उसकी आँखे प्यार और शर्म से झुक रही थीं वह फिर धीरे से मुझे देखती थी और फिर शर्मा कर आँखे झुका लेती थी औअर उसके गाल गुलाबी हो रहे थे ।
अब मुझे प्रबल इच्छा हुई की मैं उसे अपना बना लू और बहुत प्यार करून और वह मेरी आँखों में मेरी भावना पढ़ रही थी। मैंने उसे पहले से कहीं अधिक निकटता से पकड़ अपने से चिपका लिया और उसकी प्यार भरी आँखों में देखते हुए मैंने धीरे से उसे छेड़ते हुए कहा, 'मेरी रानी, क्या अब आप प्रेमवश अपने भविष्य की ख़ुशी के लिए मुझे एक लड़की के तौर पर अपने सबसे कीमती खजाने को अर्पण करने के लिए तैयार हो ।
उसके चेहरे पर वही अद्भुत गुलाबी मुस्कान आ गई और फिर वह शर्मा गयी उसके गाल गुलाबी से लाल हो गए उसने एक गहरी सांस ली और उसकी आँखें ख़ुशी के आँसुओं से भर गईं, उसके होंठ कांपते हुए खुले और वह धीरे से फुसफुसाई, 'ओह! कुमार!' और वह मुझसे प्यार से लिपट गई। और उसने शर्म के मारे अपना चेहरा छुपा लिया।
मैंने उसे पीछे किया और उसकी आँखों में देखा तो उसने हलके से मुस्कुरा का पलकों को झुका अपने ओंठ मेरे ओंठो से चिपका दिए. मैं कुछ समय के बाद फिर पीछे हुआ वह अभी भी नीचे देख रही थी, वो जाहिर तौर पर बहुत शर्मीली और थोड़ी असहज थी, और मैंने अपनी शेरवानी उतार दी और फिर अपने मोज़े भी उतार दिए और फिर अपना पायजामा निकालने के लिए खड़ा हो गया और अब मैं अब केवल अपने अंडरवियर था, उसने मुझे परोक्ष रूप से शरमिली मुस्कानके साथ देखा। मैंने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में ले लिया और उसके हाथों को नीचे सीधा कर दिया।
ज्योत्सना ने फिर मेरी तरफ देखा, शरमाकर मुस्कुराई और फिरमैं धीरे से उसकी चुनरी उतारने लगा । जब तक मैंने उसकी चुनरी का सिरा उसके लहंगे से नहीं निकाल दिया तब तक उसकी आँखों मुझे देखती रही । फिर उसने चुनरी के कपड़े को बड़े करीने से मोड़ा और साइड में रख दिया।
मैंने उसकी चुनरी निकाल सिर्फ़ लहँगे चोली मे और चोली भी क्या वह छिपा कम रही थी, दिखा ज़्यादा रही थी. उरोजो के उपरी भाग, और लहंगा भी कमर के बहुत नीचे. और जब मेरी नज़र उन पे पड़ी, तो उन की ढीठ निगाहे एकदम वही चिपकी थी जैसे मन्त्र मुग्ध हो ।
मैं फिर मैं उनके ओंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी. फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा।
फिर मैंने अपने होंठ उसके ओंठों से अलग किये हम दोनों मुस्कराये और फिर बेकरारी से लिप किस करने लगे और चूमते चूमते हमारे मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था।
मैं कम से कम 15 मिनट तक लिप किस करता रहा, वह मेरा लिप किस में भरपूर साथ दे रही थी. मैंने उसकी पीठ, कमर पर अपनी उंगलियाँ फेरनी शुरू कर दी थीं. मेरे हाथ उनके कन्धों पर थे और वह मुझको अपनी ओर खींच रही थी ।
फिर मैंने उसके गालों पर अपनी जीभ फेरनी चालू कर दी और फिर ऊपर के होठों को चूमता हुआ, उनके नाक पर अपनी जीभ से चाट लिया. अब वो भी उत्तेजित हो चुकी थी और सिसकारियां भरती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी. अब मैं उनके चेहरे को चूसते हुए उनकी गर्दन को चूमने, चाटने लगा था और मेरे ऐसा करते ही वो सिसकारी लेती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी. फिर मेरा एक हाथ उसकी पीठ पे और दूसरा उसके उभारो को हल्के से छू रहा था और उत्तेजना से मेरी हालत खराब हो रही थी।
फिर उसकी क्लीवेज की गहराई मे हाथ टिका कर मैंने उसकी गोलाई के अर्धकार उभार पे उंगली से सहलाते हुए छूते हुए और मेरे हाथ उसकी चोली पर से होते हुए पीठ और कमर पर होते हुए उसके स्तनों पर पहुँच गये. मेरा हाथ चोली के ऊपर से स्तनों को दबा रहा था. ज्योत्सना की आँखें पूरी तरह से बंद थी. वह मेरे हर प्रयास को अनुभव कर रही थी और उसका पूरा मजा ले रही थी. पीठ और सीने पे मेरी उंगलियो के दबाव से उसके उभार सख़्त हो गये थे, और लग रहा था की उसके स्तन अब चोली मे समा नही रहे थे. और बस एक दो पल और उत्तेजना से तो कबूतर खुद मेरी चोली के बँध को तोड़ देंगे. तो मैंने अपने दुसरे हाथ से पीठ पर उंगलिया चलाते हुए डोरी को खींचा और चोली के बँध खुल गये उसने पीठ घुमा दी और मैंने जो हाथ पीठ पे था अब उससे उसकी पतली कमर को अपने घेरे मे ले लिया और दूसरे हाथ ने नीचे से चोली को अलग करने की कोशिश की, उसने मेरे दोनो हाथ कस के उसे पकड़े थे. तो मैंने होंठो पर कस के चुंबन लेना शुरू किया।
होंठो पे से शुरू करते हुए और फिर चोली के ऊपर से हेफिर दोनो हाथ लहंगे के नाडे पर चले गए और मैंने पल भर मे उसे खींचा और खोल दिया. उसकव हाथ लहंगे पर गए और मैंने उसकी स्लीव लेस चोली खींची तो वो थोड़ी नीचे हो गयी और मैं उसके कंधों और बाँहों पर किस करने लगा. वो शर्माने लगी और शर्मा कर बांहों से अपनी छाती छुपाने लगी मैंने अपनी बाजुए फैला दी तो वो जल्दी से मुझसे लिपट गयी।
मैंने उसे कस के अपनी बाहो मे रखते हुए बिस्तर पे लिटा दिया. हमारे होंठ एक बार फिर से मिले और मैं उसके होंठो के कस कस के चुंबन ले रहा था और फिर मैं धीरे से उनको अलग हुआ और उसकी छातियों को हाथों से पकड़ लिया औरप्यार से सहलाने लगा, दोनों बूब्स एकदम लाल हो गए. फिर मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया औरसहलाने लगा., जिन उभारो को देख के, मैं उसे पहली बार देखने से ही बेचैन था अब मैं उन्हे छू रहा था और सहला रहा था. और इसी के साथ उसकी चोली, जिसे ना अब बाँध का सहारा था ना उसके हाथो का,न मेरे छाती का उसकी देह से अलग हो गयी. उसके बाद नीचे से खींच कर चोली की अलग कर दिया और उसकी स्ट्राप लेस्स ब्रा को भी लग किया और उसके उरोज आजाद कर दिए।
ज्योत्सना के गुलाबी चूचुक उत्तेजना से खड़े हो चुके थे. मेरे हाथों ने स्तनों को अपनी हथेलियों में भरा और उन्हें किस करने लगा. हम दोनों की साँसें तेज तेज चलने लगी।
कहानी जारी रहेगी
दीपक कुमार