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सातवा अध्याय
लंदन का प्यार का मंदिर
भाग 61
रस
आखिरकार मैं पर्पल में स्खलित हुआ और मैंने देखा कि राजा उनका दल और राजकुमार ब्रैडी मंदिर छोड़ चुके हैं और अन्य भक्त भी धीरे-धीरे जा रहे थे। मैं पूरा नग्न खड़ा था साथ ही मेरा लिंग भी अपने पूरे आकर में तना हुआ था।
मास्टर अब आप अपनी शक्तियों का उपयोग करके एक साथ सभी के साथ सम्भोग करो, वीर्य का पतन इनकी योनी के अंदर ही करना और फिर उसे उस पात्र में एकत्रित कर देना जिसके सेवन से ही इन्हें इनकी शक्तिया मिलेंगी..." पाईथिया ने एक पात्र की तरफ इशारा किया जिसमे उसने पहले से हमारा रस एकत्रित किया हुआ था पकड़ा दिया।
मैंने बिना देरी किया अपना हाथ घुमाया और तीनो नई महायाजक ग्लोरिया, और पर्पल ।जिसे बिलकुल ही कामुक हो कर मुझ से चिपकनेे लगी, मैं जीवा के पास पंहुचा और बाकि दोनों पर्पल और ग्लोरिया को अपने पास खिंच लिया।
हमारे चारो जिस्म एक साथ मिल चुके थे, मैं जीवा की योनी को भोग रहा था और पर्पल और ग्लोरिया मुझपर किसी मख्खी की तरह लिपटी हुई यंहा वंहा को चाट रही थी... जब जीवा स्खलित हुई तो मैंने एक बार फिर पर्पल को चूमा और उसकी योनि में लंड डाला और जल्द ही, एस्ट्रा, एलेना, और कसान भी मेरे साथ चिपक गयी। कुछ देर बाद लड़कियाँ बिस्तर के ऊपर एक पंक्ति में अपनी पीठ के बल लेटी हुई थीं। जैसे ही मैं पास आया, उन्होंने अपने पैर खोल दिए। ओह, वह योनिया मेरे लंड का इंतज़ार कर रही हो। मैंने ग्लोरिया में अपने लंड को डाला और तीन बार स्ट्रोक किया और मैंने लंबे और धीमे स्ट्रोक के साथ चोदना शुरू कर दिया और बीच में कुछ तेज स्ट्रोक लगा कर और फिर धीमा हो गया। उसे दो मिनट तक चोदा, वह पहले ही अपने चरम के करीब थी और-और मुझे लगा उसकी योनि में बाढ़ आ गयी और वह " ओह, हाँ, आह, ओह,, आह करती हुई कांपने लगी और उसका बदन ऐंठा और वह निढाल हो गयी और मैंने उसे पूरे दो मिनट पंप किया। फिर उसके बाद अलीना उसके बाद कसान और अंत में एस्ट्रा की चुदाई की इस बीच बाकि लड़किया एक दुसरे की योनि चाट रही थी और फिर मैंने फिर से लंड बारी-बारी से ग्लोरिया और फिर कसान, अलीना और एस्ट्रा में लंड घुसा दिया और उनकी चुदाई करता रहा और फिर चक्र को तब तक दोहराया जब तक मैंन स्खलन के कगार पर नहीं पहुँच गया। अब मुझे कोई नियंत्रण नहीं करना था।
जीवा और अन्य पांचो को जी भर भोगने के बाद मैंने वीर्य की धार से जीवा की योनी को भिगो दिया, जीवा बेसुध-सी वही लेट गई उसे छोड़कर मैं ग्लोरिया की ओर बढ़ा... मैंने अंततः जीवा में स्खलन शुरू कर तीन पिचकारियाँ जीवा में मारी फिर ग्लोरिया में तीन और कसान, अलीना और एस्ट्रा में तीन-तीन पिचकारियाँ मार का उनकी योनि में अपना बीज भर दीया।
इधर पाईथिया और पर्पल ने फुर्ती से पात्र को पहले जीवा की योनी में टिका दिया और मेरे बहते हुए वीर्य को इकट्ठा किया, ऐसा ही ग्लोरिया, कसान, अलीना और एस्ट्रा के साथ भी किया गया।
एक बार जब यह हो गया तो पाईथिया मेरे कान में फुसफुसायी कि मैं अपना बीज अन्य 11 महायाजकों में भी रोप दूं। मैंने एक बार फिर उसी पूरी प्रक्रिया को दोहराया जैसा कि मैंने एस्ट्रा, अलीना और कसान और अन्य तीन नई उच्च पुजारियों के साथ किया था। पाइथिया से शुरू करके मैंने, ओलिविया, अमलथिया, क्सेनु रूना, कारा, सिंथिया, डोना, फ्लाविया, पेन्सी, आईरिस, रेजिया, पर्पल और फिर ग्लोरिया के साथ और अंत में गिवा के साथ मैंने चुदाई की और जो कुछ मैंने अपने अंडकोषों में जमा किया था उसने प्रतीक्षारत गर्भ में जमा किया और उसे भर दिया।
अंत में हम सब थक चुके थे...और आखिर में मैंने चार राउंड धक्के मार कर अमालथिया की योनि से लंड निकाल कर पाईथिया की योनि मर घुसा दिया और उसकी योनि को भी अपने वीर्य से भरा। एस्ट्रा ने फुर्ती से पात्र योनी में टिका दिया और मेरे बहते हुए वीर्य को इकट्ठा किया। फिर एस्ट्रा ंने वीर्य और काम रस से भरे उस पात्र में वही पड़ी शराब की बोतल में से शराब मिलाई और थोड़ा जल मिलाया और बेसुध पड़ी पाईथिया, जीवा, ग्लोरिया और पर्पल का मुह खोल थोडा-सा उसके मुह में डाल दिया, ऐसा ही एस्ट्रा ने मेरे साथ किया और फिर बाकी पुजारिणो के भी साथ किया। फिर कुछ देर में सभी आँखे बंद करके वही लेटे रहे और फिर नयी ताजगी लेकर उठ खड़े हुए।
मेरा लिंग अब फिर से सख्त हो गया था। पाईथिया बोली "मास्टर अब आप अपनी भेंट के लिए तैयार हैं।"
" कृपया इस प्रेम के मंदिर देवी और उनके बच्चों और पुजारिणो की-की ओर से इस उपहार को स्वीकार करें!
कहानी जारी रहेगी