मां के मौत के बाद बेटी ने संभाल लिय

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After mother's death, the Indian daughter comes to father.
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क़रीब दो साल पहले मेरी बीवी की प्लेन क्रैश में मृत्य हो गयी। ये बहुत बड़ा धक्का था मेरे और हमारी इकलौती बेटी नेहा के लिए।

मैं पहले काम में इतना व्यस्त रहता था कि कब नेहा बच्ची से जवान हो गयी मैंने इसका ध्यान ही नहीं दिया। अब मैंने नेहा का ख़ास ख़याल रखना शुरू किया ताकि उसे अपनी माँकी कमी ना खले। सब कुछ बढ़िया चलने लगा शुरुआती धक्के के बाद, और मैं थोड़ा जल्दी घर आ जाता ताकि नेहा को अकेलापन ना लगे।

मेरे दिल मेंकभी भी नेहा के बारे मेंकोई सेक्सी ख़याल नहीं आया और मैं रॉयल होटेल मेंएक या दो बार आकर अपनी प्यास मस्त जवानियों के साथ बुझा लेता था।

मैंने नेहा को इशारों में समझाया था कि उसे अपनी जवानी का ख़याल रखना होगा क्योंकि कई नौजवान लड़के कुँवारी लड़कियों को फँसाकर उनकी जवानी बरबाद कर देते हैं।

वो समझदार लड़की थी, उसने मुझे आश्वासन दिया किऐसा उसके साथ नहीं होगा।

एक बार तो मैंने यहाँ तक कह दिया था कि बिना कॉंडम के उसे किसी लड़के के साथ सेक्स नहीं करना है।वो शर्माकर भाग गयी थी। मुझे लगा कि मैंने अपनी बेटी को सही राह दिखायी है।

नेहा कपड़े भी काफ़ी सामान्य पहनती थी जैसे जींस टॉप या स्कर्ट और घर में तो वो सलवार कुर्ता भी पहनती थी।

वो कई बार ख़ुशी के पलों में मेरे गले भी लगती थी और दुःख के पलों मेंमेरी गोद में बैठकर रोती भी थी, पर मेरे मन में कभी ग़लत ख़याल नहीं आया।

उस दिन होली थी,मैंने उसे पहले से बता दिया था कि अपने आसपास की सोसायटी में ही होली खेले और दूर ना जाए और लड़कों से दूर रहे क्योंकि ऐसे समय मेंलड़के जवान लड़कियों का फ़ायदा उठाते हैं।

उसने हाँ मेंसर हिलाया और होली खेलने चली गई।

थोड़ी देर बाद मेरे कुछ दोस्त आए और हमने होली खेली और सबने बीयर पी और फिर वो चले गए।मैंने भी दो बोतल चढ़ा रखी थी और बालकनी से नीचे झाँकने लगा। मैंने देखा कि नीचे कई लड़कियाँ होली खेल रही थीं। मैं उनमें से नेहा को पहचान ही नहीं पा रहा था।सबके चेहरे ऐसे रंगे हुए थे। सब लड़कियाँ बड़े उत्साह से होली खेल रही थीं।

तभी मैंने देखा कि दूसरी तरफ़ से लड़कों का एक झुंड जिसने ५/६ लड़के थे, इनकी तरफ़ आने लगा, जबतक लड़कियाँ सम्भल पाती वो इन तक पहुँच चुके थे। अब लड़कियों ने भागने की कोशिश की पर लड़कों ने उन्हें पकड़कर रंग लगाना शुरू कर दिया। मैंने साफ़ साफ़ देखा कि वो रंग लगाते हुए उनकी चूचियाँ दबा रहे थे और जो लड़कियाँ स्कर्ट पहने थींउनकी स्कर्ट उठाकर उनके नीचे के हिस्से को भी सहला रहे थे। सभी लड़कियों के पिछवाड़े को भी रंग लगाने के बहाने से उन्होंने बहुत दबाया। कुछ लड़कियाँ तो मज़े ले रही थीं और लड़कों के भी गाल और उनकी छाती ओर भी रंग लगा रही थी, और कुछ बचने के कोशिश कर रहीं थीं।इतने ऊपर से मैं साफ़ साफ़ नहीं समझ पाया कि नेहा उन्में से कौन है!लड़कों की मस्ती देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था, कुछ बीयर की भी मस्ती थी।

तभी कुछ आदमी वहाँ आ गए और उन्होंने लड़कों को डाँटकर भगाया और लड़कियाँ वहाँ से भाग गयीं।

क़रीब पाँच मिनट के बाद नेहा अंदर आयी और उसकी साँस फूल रही थी और उसकी छातियाँ उसके टॉप मेंऊपर नीचे हो रही थीं।तभी मैंने देखा कि नेहा ने स्कर्ट ही पहनी हुई थी।इसका मतलब था किउसके निचले हिस्से में भी हमला किया था उन लड़कों ने। पता नहीं मेरा लंड और भी कड़ा हो गया ये सोचकर किनेहा के साथ ये सब हुआ।

नेहा नर्वस सी होकर अपने कमरे में जाने लगी तो मैंने उसे टोकते हुए पूछा: क्या बात है बेटी, इतनी घबरायी हुई क्यों हो?

नेहा: कककुछ नहीं पापा, बस थक गयी हूँ।

मैं: बेटी तुम्हारी साँस क्यों फूल रही है?

नेहा ने अपने हाथ खुजाते हुए कहा: बस ऐसे ही पापा, कोई ख़ास बात नहीं। फिर वो अपना दूसरा हाथ भी खुजाने लगी।

मैं: बेटी, लड़कों ने तंग तो नहीं किया?

वो चौंकते हुए: पापा कुछ आए थे ज़बरदस्ती होली खेलने पर अंकल लोग आ गए और हम बच गए।

वो आधा सच और आधा झूठ बोल गयी। और अब वो अपना पेट भी खुजाने लगी। अब उसके हाथ नीचे झुके और अपने घुटने के नीचे के पैर खुजाने लगी।

मैं: क्या बात है बेटा। क्या हुआ? ऐसे खुजा क्यों रही हो?

नेहा: पता नहीं पापा, पूरे शरीर में खुजली हो रही है।

मैं परेशान हो कर उसका हाथ देखा तो वहाँ लाल लाल से चकत्ते या मोटे दाने सरीखे बन गए थे।फिर मैंने उसके पैर और पेट का हिस्सा देखा तो वहाँ भी वैसे ही लाल निशान थे।

मैं: बेटा तुमको ज़बरदस्त एलर्जी हो गयी है किसी रंग की क्योंकि उसने रसायन होते हैं।

अब वो अपनी जाँघें भी खुजाने लगी और अपनी छातियों के निचले हिस्से को भी खुजा रही थी।

मैंने अपने डॉक्टर दोस्त को फ़ोन लगाया और नेहा की अलर्जी के बारे में बताया तो उसने कहा कि मेरे घर से दवाई ले जाओ। उसका घर पास ही के ब्लाक में था, मैं भागकर गया और गोली और मलहम में आया।

सबसे पहले मैंने उसे गोली खिलायी और फिर उसको कहा की चलो मलहम लगा लो।

वो खुजा खुजा कर बहुत लस्त हो चुकी थी और रोने लगी थी। मैंने उसे प्यार किया और उसके हाथ में जहाँ जहाँ दाने से थे वहाँ मलहम लगाया।

वो बोली: आह पापा अच्छा लग रहा है, मलहम से आराम आ रहा है।

मैंने हाथ मेंलगाने के बाद देखा किवो पीठ खुजा रही थी और उसका हाथ भी नहीं जा पा रहा था। और उसकी छातियाँ भी बाहर की ओर तन गयीं थीं। मेरे लंड ने फिर झटका मारा। मुझे अपने ऊपर शर्म आयी किमेरी बेटी इतनी परेशान है और यहाँ मेरे मन में कुविचार आ रहे हैं।

मैं: बेटा क्या पीठ मेंज़्यादा खुजा रहा है? कहते हुए मैंने भी उसकी पीठ खुजा दी।

नेहा: हाँ पापा अच्छा लग रहा है और खुजाओ।

मैं: बेटा खुजाने से फिर लाल दाने हो जाएँगे तुम मलहम लगवा लो।

नेहा: जी पापा लगा दीजिए।

मैं: बेटा थोड़ा टॉप उठाओ ना, तभी तो मलहम लगा पाउँगा।

नेहा ने टॉप उठाया और मेरे सामने उसकी ब्रा की स्ट्रैप थी।

मैंने उसके पीठ पर लाल दानों पर मलहम लगाया और फिर ब्रा के स्ट्रैप को उठाकर उसके नीचे के जगह मेंभी दवाई लगाया।

नेहा: हाय पापा सच बहुत आराम मिल रहा है।

तभी वो जाँघें और कमर खुजाने लगी।

मैंने उसको लेट जाने को बोला ताकि मैं सब जगह अच्छी तरह से दवाई लगा सकूँ। वह जल्दी से इधर उधर खुजाते हुए लेट गयी। बेचारी बहुत परेशान थी।

अब मैंने उसका टॉप उठाया और पूरा पेट नंगा करके दानोंपर दवाई लगाया। उसकी ब्रा दिख रही थी और मुझे अच्छा सा लग रहा था।

अब मैंने उसके पैरों मेंदवाई लगाई और फिर वो जाँघ खुजाने लगी तो मैंने उसका स्कर्ट ऊपर किया और उसकी पैंटी तक दिखने लगी। उसकी गदरायी और मुलायम जाँघों पर दवाई लगाते हुए मेरी नज़र उसकी पैंटी पर पड़ी।

मैंने देखा किउसकी पैंटी भी रंगी हुई है, और जाँघों का ऊपरी हिस्सा जोकि पैंटी में समा रहा था भी रंगा हुआ था।

इसका मतलब साफ़ था कि लड़कों ने उसकी पैंटी और उसके चूतपर भी रंग डाला है। अब मेरा लंड खड़ा हो गया।

मैंने पूछा: अरे बेटी, ये क्या? तुम्हारी पैंटी भी रंगी हुई है! यहाँ किसने रंग लगा दिया?

नेहा सकपका कर बोली: पापा वो वो ऐसे ही लग गया होगा और उसने स्कर्ट नीचे करने की कोशिश की।

अब मैंने उसको उलटा होने को बोला और वो पलट गयी।

अब मैंने उसका टॉप उठाया और पीठ पर जहाँ बचा हुआ था, वहाँ भी दवाई लगा दी। फिर उसकी चिकनी कमर और फिर उसकी जाँघों पर भी दवाई लगाया। अब मैंने उसके स्कर्ट को ऊपर उठाया और उसके गोल गिल नितम्बों के देखकर मेरा लंड झटके मारने लगा।

मैंने कहा: बेटा, तुम्हारी पैंटी बहुत बड़ी है, मैं इसको नीचे खिसकाकर दवाई लगा देता हूँ, वरना कुछ जगह छूट जाएगी।

उसने कहा: जी पापा मेरे बम में भी खुजा रहा है।

मैंने उसकी पैंटी नीचे की और वो भी कमर उठाकर मेरा साथ दी।

अब उसके गोल मोटे नितम्ब मेरे सामने पूरे नंगे थे। मैं तो उनकी सुंदरता ही देखते रह गया।अब मैंने अपने लंड को अजस्ट किया और उसके मस्त चिकने चूतरों पर दवाई लगाने लगा। फिर मैंने उत्तेजित होकर उसके चूतरों को अलग किया और उसकी भूरि गाँड़ को देखकर मस्त ही गया और उसकी दरार में कहीं कहीं ऐसे ही दवाई लगाने के बहाने सहलाना जारी रखा और फिर उसकी गाँड़ के छेद पर भी उँगलियाँ फेरकर मस्त हो गया । आह क्या चिकना हिस्सा था, बस थोड़े से बाल यहाँ वहाँ दिख रहे थे। जैसे ही मैंने अपनी उँगलियाँ गाँड़ पर फेरी वह आह पापा कर उठी।

अब मैं पूरी तरह से वासना से बात गया था,मैंने उसको पलटा और कहा: बेटी यहाँ भी खुजा रहा है क्या? मेरा इशारा उसकी छातियों की ओर था।

नेहा: जी पापा बहुत खुजा रहा है। और उसने अपनी छातियों के आसपास खुजाया।

मैं: चलो बेटा, टॉप उतार दो तो मैं वहाँ भी लगा दूँ।

नेहा बोली: पापा मुझे शर्म आएगी।

मैं: बेटा, इसने शर्म की क्या बात है, चलो टॉप उतारो। ऐसा कहते हुए मैंने उसका टॉप उतारने का प्रयास किया और वो उठके इसमें मेरी मदद की। जैसे ही टॉप उतरा उसका ब्रा में क़ैद दूधिया बदन जैसे बिजली गिराने लगा। अब मैंने उसके गले, कंधों और छाती के ऊपर से दवाई लगाने लगा। वह अब थोड़ी उत्तेजित सी दिख रही थी।

मैं बोला: बेटा ये तुम्हारी ब्रा खोल दो ताकि यहाँ भी दवाई लग जाए।

वो अपनी आँख झुका के उठ गयी और मैंने उसकी ब्रा का स्ट्रैप खोल दिया।वो फिर लेट गयी। मैंने उसके ब्रा को एक तरफ़ किया और मेरा लंड टूटनेकी कगार पर आ गया। आह क्या मस्त गोल गोल छातियाँ थीं जो बिलकुल सख़्त अनार जैसे दिख रही थीं।उसके निपल्ज़ अभी पूरे बने नहीं थे। मैंने अपने हाथ मेंदवाई ली और उसके छातियों पर लगाने के बहाने उनको हल्के से दबाने लगा। नेहा की आह आह निकल रही थी।अब मैंने कुछ ज़्यादा ही देर उसकी छातियाँ दबायीं। वो भी मज़े से और शर्म से आँखें बन्दकरके मज़ा के रही थी।अब मैंने उसकी घुण्डियों में दवाई लगाने के बहाने उनको मसलना शुरू किया तो वो अपनी जाँघें भींचकर आह हाय करते हुए मज़े से मस्त हो गयी। फिर मैंने कहा: बेटा,अब और कहीं तो नहीं खुजा रहा?

वो बोली: पापा बहुत आराम है।

मैं: बेटा यहाँ दवाई नहीं लगवाओगी? मैंने उसकी चूत की तरफ़ इशारा करके कहा।

नेहा: पापा वहाँ मुझे शर्म आएगी। मगर खुजा तो वहाँ भी रहा है।

मैं: बेटा, शर्माने का क्या है इसमें, मैंने तो तुमको कई बार नंगी देखा है।

नेहा: पापा तब मैं बच्ची थी।

मैं:अरे अब भी तुम मेरी बच्ची ही हो।

फिर मैंने उसका स्कर्ट ऊपर किया और देखा कि इतनी देर में मेरी छेड़खानी से वो उसकी पैंटी गीली हो गयी थी। मैंने उसकी पैंटी नीचे की और उसने भी कमर उठाकर मेरी मदद की।

अब मैंने उसकी चूतको देखा और पाया किवहाँ भी रंग लगा था।

मैं: अरे लगता है कि लड़कों ने तुम्हारी पैंटी मेंहाथ डालकर तुम्हारी चूत में भी रंग लगा दिया।

वो हैरानी से बोली: छी पापा आप कैसे शब्द बोल रहे हैं?

मैंने उसकी चूतपर हाथ फेरा और बोला: बेटी, चूत को चूतही बोलेंगे ना, यही इसका नाम है। हाँ तुम सच बोली कितुम अब बच्ची नहीं रही, देखो कितने नरम नरम से बाल उग गए हैं यहाँ पर।

मेरे द्वारा चूतसहलाने के बाद वो अब बहुत गरम हो गयी थी और कमर हिलाके हाय्य्य्य्य्य हाय्य्य्य्य कर रही थी।

मैंने भी अब अपना असली रूप दिखाया और उसकी चूतके दाने को मसलते हुए उसकी चुचिदबाने लगा और वो अपनी चूतउछालकर मेरी उँगलियो पर उसको रगड़ने लगी और हाय्य्य्य्य्यू पाऽऽऽऽऽऽप्प्प्प्पा मुझे कुछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह होओओओओओओ राह्ह्ह्ह्ह्ह्हा है हाय्य्य्य्य्य कहते हुए मेरी हाथ मेंझड़ने लगी। बहुत ही तगड़ा ऑर्गैज़म था उसका।

इस तरह अपनी बेटी को मैंने जवानी का पहला पाठ पढ़ाया।

उस दिन होली के दिन वो झड़कर थक गयी थी, मैंने उसे दूध का ग्लास दिया और सुला दिया।क्योंकि उसकी चड्डी से मैंने उसकी चूतका रस पोंछा था इसलिए मैंने उसकी चड्डी धोने में डाल दी और उसको बिना चड्डी के ही चद्दर ओढ़ा कर सुला दिया।

क़रीब दो घंटे के बाद मैंने उसे उठाया और बोला: बेटा, अब कैसे लग रहा है? खुजली से आराम मिला?

वो बोली: जी पापा अब बिलकुल ठीक हूँ मैं।

फिर मैं उसके पास आकर बैठ गया और उसके सर पर हाथ फेरा और झुककर उसके गालों को चूमा और बोला: बेटा,चलो अब नहा लो देखो सब जगह रंग लगा हुआ है।

वो उठते हुए बोली: जी पापा मैं नहा लेती हूँ।

मैंने उसको अपनी बाहोंमेंभरकर कहा: बेटा मुझसे ग़ुस्सा तो नहीं हो, तुम्हें दवाई लगाते हुए मैं बहक गया था और तुम्हारे साथ कुछ ग़लत सा कर बैठा।

वो शर्मा कर बोली: चलो पापा मैं नहा लेती हूँ।

मैंने अब उसके गाल चूमे और धीरे से अपनी बाहों का बंधन कड़ा किया और बोला: बेटी वो क्या है ना, तुम्हारी माँ के जाने के बाद अब मुझे सेक्स के लिए बहुत तड़पना पड़ता है, अब तुम इतनी बड़ी तो हो गयी हो कि मैं तुमसे ऐसी बात कर सकूँ। इसी के कारण मैं ये सब कर बैठा।

वो: चलिए पापा जो हुआ सो हुआ अब मैं नहा लूँ?

मैं: बेटा एक बात और बोलना है किअब मुझे लगता है कि मुझे अब दूसरी शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि मैं भी एक मर्द हूँ और मुझे भी तो सेक्स चाहिए।

वो भावुक होकर बोली: पापा आप मेरी सौतेली माँलाएँगे? नहीं ये नहीं हो सकता।

मैं: बेटा कल को तुम्हारी शादी हो जाएगी और तुम अपने घर चली जाओगी तो मैं तो बिलकुल अकेला हो जाऊँगा ना?

नेहा: पापा मैं शादी नहीं करूँगी और हमेशा आपके साथ रहूँगी। ऐसा कहते हुए वह मुझसे लिपट गयी।

मैंने भी उसे अपने गोद में खींचकर अपने आधे खड़े लंड पर बैठा लिया और बोला: मैं भी कभी तुमसे अलग नहीं होना चाहता हूँ पर इसका क्या करूँ जो तुम्हारे चूतरों के नीचे दबा हुआ है।

मैंने साफ़ साफ़ अपने लंड की बात की। वह फिर से शर्मायी और कुछ बोली नहीं।

मैं उसके गालों को चूमते हुए बोला: बेटा, मैंने जब अभी तुमसे थोड़ी छेड़ छाड़ की थी, तुम्हें मज़ा आया कि नहीं।

नेहा ने अपना सर मेरी छाती में दबा दिया और बोली: जी आया था।

मैं: बेटा अगर तुम चाहो तो मैं दूसरी शादी का ख़याल छोड़ दूँगा।

नेहा: मैं चाहूँ मतलब?

मैंने उसको अपने लंड पर दबाया और बोला: बेटी ये जो तुमको चुभ रहा है,ये तुम्हारा प्यार चाहता है, नहीं तो मुझे तुम्हारे लिए सौतेली माँ लानी पड़ेगी।

नेहा भावुक होकर बोली: पापा चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े पर आप दूसरी शादी नहीं करोगे।

मैंने देखा कि मेरे लंड की चुभन से उसके गाल गुलाबी हो रहे थे और उसकी छाती उठने बैठने लगी थी, जो उसके उत्तेजित होने के लक्षण थे।

मैं: बेटी,तो क्या तुम मुझे वो सुख दोगी जो तुम्हारी माँ दिया करती थी? मैंने उसकी बाहों को सहलाते हुए पूछा।

नेहा: पापा मैं अपनी माँ की जगह लूँगी और आपका पूरा ध्यान रखूँगी,पर आप दूसरी शादी नहीं करेंगे।

मैं ख़ुश होकर उसके होंठ चूमने लगा और बोला: बस बेटी मुझे सब मिल गया अब मैं दूसरी शादी क्यों करूँगा!

अब मेरे हाथ उसकी बाहों से आगे जाकर उसके छातियों पर आ गए और मैंने उनको हल्के से सहलाया। वो मस्त होकर मुझसे लिपटी रही और फिर मैंने उसके पेट को सहलाया। अब मेरे हाथ उसकी जाँघों पर थे और मैं उसके होंठ चूमने लगा।

वो भी मस्त होकर मुझे सुख दे रही थी। अब मेरे हाथ उसकी जाँघों पर ऊपर की तरफ़ पहुँचे पर उसने अपनी जाँघों को जोड़ रखा था।

मैंने कहा: बेटी, अच्छा लग रहा है ना?

उसने हाँ मेंसर हिलाया ।

,तब मैंने कहा: बेटी टांगों को अलग करो ना, पापा को तुम्हारा ख़ज़ाना छूना है।

वो शर्माकर बोली: पापा ये तो पाप है ना? कभी बाप बेटी भी ऐसा करते हैं क्या?

मैं: बेटी देखो हम बाप बेटी बाद मैं हैं पहले मर्द और औरत हैं। ये सही है कि समाज इसकी इजाज़त नहीं देता, पर अगर हम समाज को नहीं बताएँगे तो किसी को क्या मतलब? ये बताओ तुम्हें मज़ा आ रहा है ना?

ये कहते हुए मैंने हल्का सा पैरों पर दबाव डाला और उसने अपनी जाँघों को अलग कर दिया। उसने पैंटी नहीं पहनी थी क्योंकि मैंने उसकी पैंटी से उसका पानी उसके सोने के पहले साफ़ किया था।

अब मेरा हाथ उसकी चिकनी जाँघों से होता हुआ उसकी चूत पर पहुँचा। वो आह पापा कर उठी।

मैंने एक उँगली अंदर डाली तो उसकी चूत पूरी गीली थी। मैं समझ गया कि वह गरम हो चुकी है।मैंने उसकी चूत की बालोंपर हाथ फेरा।

मैं: बेटी यहाँ के बाल साफ़ रखा करो।नहीं तो इन्फ़ेक्शन हो सकता है।

नेहा: पापा मैंने कभी साफ़ नहीं किया वहाँ। मुझे डर लगता है कहीं कट ना जाए वहाँ।

मैंने उसकी चूत को बड़े प्यार से सहलाया और बोला: कोई बात नहीं बेटी, मैं अभी साफ़ कर देता हूँ, तुम्हारी माँ की भी चूत के बाल मैं ही साफ़ किया करता था।

नेहा शर्माकर बोली: ठीक है पापा आप ही कर दीजिएगा।

मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे।

मैं: तो बेटी, अब फ़ाइनल हो गया ना, कि मैं दूसरी शादी नहीं करूँगा और तुम अपनी माँकी जगह लोगी?

नेहा: जी पापा फ़ाइनल है, मैं आपको शादी नहीं करने दूँगी चाहे कुछ हो जाए।

मैं: पर बेटा ये किसी को पता नहीं चलना चाहिए, तुम किसी से बोलोगी तो नहीं? ये कहते हुए मैंने उसकी चूत के दाने को छेड़ दिया।

वो आह पापा कहके बोली: नहीं पापा मैं किसी को हाय्य्य्य्य्य नहीं बताऊँगीइइइइइइइइइ ।पापा वहाँ से हाथ निकाल लो ना, मुझे ज़ोर की गुदगुदी हो रही है।

मैंने वहाँ से हाथ हटाया और अपनी ऊँगली चाट ली।

नेहा: छी पापा क्या चाट रहे हो गंदी जगह से हाथ लगाकर।

मैं: अरे बेटा ये तो सबसे स्वाद रस है।इससे ज़्यादा स्वादिश्ट तो कुछ हो ही नहीं सकता।

वो हैरानी से मुझे देख रही थी।

मैं: चलो अब नहा लो और रंग भी निकाल लो।

वो उठने लगी तो मैं बोला: बेटी तुम आज ही बाल साफ़ करवा लो ना? ठीक है ना?

नेहा: ठीक है पापा जैसा आप ठीक समझें।

अब मैंने उसके होंठ चूसे और बोला: ठीक है बेटा मैं क्रीम लेकर आता हूँ। और मैं क्रीम लेने के लिए अपने बाथरूम में चला गया।क्रीम लेकर मैं वापस आया और नेहा को बाथरूम मेंचलने को कहा।

अब बाथरूम में मैंने उसको स्कर्ट उतारने को कहा, पर वो शर्मा रही थी सो मैंने ख़ुद ही उसका स्कर्ट उतार दिया। अब उसके शरीर पर बस टॉप था और उसकी गोरी दूधिया जाँघें और उसके बीच की बारीक सी दरार जिसने से बाल भी झाँक रहे थे, देखकर मैं मस्त हो गया।

मैंने एक स्टूल लिया और उस पर बैठ गया और उसकी जाँघें फैलाके उसकी चूत देखकर अपने लौड़े को मसलने लगा।

फिर मैंने एक हाथ में क्रीम लिया और उसकी चूत के बालों पर लगाने लगा। पहले मैंने पेड़ू पर लगाया और फिर चूत और जाँघ के जोड़ पर और आख़िर में उसके फाँकों पर लगाया।

अब उँगलियों में और क्रीम लेकर उसकी चूत के नीचे से उसकी गाँड़ की ओर ले गया। जब सामने से क्रीम लग गयी तब उसको घुमाया और अब उसके गोल गोल चूतरों को देखकर मैं पागल सा हो गया और फिर उसकी चूतरों की दरार में ऊँगली डालकर उसकी गाँड़ और उसके आसपास की जगह पर भी क्रीम लगाया।हालाँकि उसकी गाँड़ और उसके आसपास की जगह क़रीब क़रीब चिकनी ही थी,बहुत थोड़े से ही बाल थे वहाँ। अब मेरा लंड जैसे टूटने वाला था। मैं खड़ा हुआ और मैंने अपनी लोअर और चड्डी निकाल दी तब जाकर लौड़े को आराम मिला।

नेहा की आँखें मेरे लौड़े को देखकर फटी की फटी रह गयीं। वो एकटक उसे देखे जा रही थी। मैंने कहा :बेटा कैसा कहा पापा का लंड? बेटा इसको लौडा भी कहते है।

वो कुछ नहीं बोली बस सर झुका लिया।

मैं: अच्छा सच सच बोलो किकभी किसी लड़के का लंड देखा है? और उसे सहलाया है?

नेहा: पापा वो वो क्या है ना, वो--

मैं: अरे बेटा सच बोलो मैं ग़ुस्सा नहीं होऊँगा।

नेहा: वो पापा दो लड़कों का देखा है और एक का पकड़ा है।

मैं: ओह कोई बात नहीं बेटा, क्या उनका इतना बड़ा और मोटा था?

नेहा: नहीं पापा उनका तो पतला और छोटा था, आपका तो बहुत बड़ा है।

मैं: चलो इसको भी सहलाओ जैसे उस लड़के का सहलाया था। ये कहते हुए मैंने अपना लौडा उसकी ओर बढ़ा दिया।

नेहा ने सकुचाते हुए मेरा लौड़ा पकड़ लिया और सिहर उठी। मैं समझ गया कि उसको हिलाना भी नहीं आता इसलिए मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर उसको सहलाना सिखाया। अब वो मेरे लौड़े को मज़े से मूठिया रही थी। थोड़ी देर बाद मुझे लगा किउत्तेजना से मैं झड़ जाऊँगा सो मैंने उसका हाथ हटा दिया।

फिर मैं नीचे बैठा और रुई लेकर उसकी क्रीम निकालनेलगा और वो बालों के साथ निकल रही थीं। जब पूरी चूतका हिस्सा साफ़ हो गया तो घुमाकर उसके गाँड़ के हिस्से को भी साफ़ किया।

थोड़ी देर बाद वहाँ हाथ लगाकर देखा कि उसका पूरा पिछवाड़ा चिकना था और चूतका भी हिस्सा बिलकुल चिकना हो गया था।

मैं बोला: चलो बेटा अब नहा लो। बोलो तो मैं ही नहला दूँ? सब रंग अच्छी तरह से निकाल दूँगा।

वो बोली: पापा आप कभी माँके साथ नहाए थे?'मैं: हाँ बेटा कई बार। उसको और मुझे बहुत मज़ा आता था साथ नहाने में।

नेहा आकर मेरे से लिपट गई और मेरा लौडा उसके नाभि मेंघुस गया और बोली: पापा चलो आज हम भी साथ ही नहाएँगे।

मैंने नेहा के होंठ चूसते हुए उसको गरम किया और फिर अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया।मेरा लंड पूरा खड़ा था क्योंकि उसको पता था कि आज उसे चोदने के लिए कुँवारी चूत जो मिलने वाली थी।नेहा मेरे लंड को देखे जा रही थी और उसकी सांसें फूल रही थी।अब मैंने उसका टॉप भी उतार दिया और उसकी रंगो से भरी ब्रा में छुपी छातियाँ अब मेरे सामने थीं।मैंने ब्रा के बाहर से उसकी छातियाँ छू कर उसको मस्त किया और फिर घुमाकर उसकी चूतरों से अपना लौड़ा सटा दिया और उसकी ब्रा खोल दिया। अब मेरे हाथ उसकी छातियों को पीछे से पकड़कर मसल रहे थे और मेरा लौड़ा उसके गाँड़ की दरार मेंजैसे घुसे जा रहा था।अब मैंने एक बालटी भरी और मग्गे से पानी लेकर उसके ऊपर पानी डाला।

वो हँसने लगी फिर मैं बोला: बेटा चलो स्टूल पर बैठ जाओ और अपने पैर लम्बे कर लो,ताकि मैं तुम्हारे पैरों का रंग निकाल सकूँ।

वो स्टूल पर बैठ गयी और मैं भी साबुन और प्लास्टिक का ब्रश लेकर एक दूसरेस्टूल पर उसके सामने बैठ गया।उसने जाँघें मिलाकर पैर फैला दिए। मेरा लंड मेरे जाँघों के बीच एकदम खड़ा ऊपर नीचे हो रहा था।

उसकी आँखें बार बार मेरे लंड पर जा रही थीं।

अब मैंने उसके पैरों पर साबुन लगाना शुरू किया। जैसे जैसे साबुन का झाग वाला हाथ ऊपर उसकी जाँघों तक पहुँचा,मैंने उनको अलग करने के लिए दबाव डाला और उसने अपने आप ही जाँघें फैला दिया। अब उसकी फूली हुई चूत जो मैंने बाल निकाल कर चिकनी कर दी थी, मेरी आँखों के सामने थी।

मेरा लंड अब और ज़्यादा कड़ा हो गया। मैंने उसकी जाँघों के अंदर साबुन लगाया और वहाँका भी रंग निकाल दिया।

फिर मैं बोला: बेटा जब उन लड़कों ने तुम्हारी जाँघों पर रंग लगाया तो मज़ा तो आया होगा ना?

वो शर्माते हुए बोली: जी पापा अच्छा तो लगा था।

मैं: बेटा गुदगुदी हुई थी?

वो: जी पापा, बहुत।

मैं: कहाँ कहाँ गुदगुदी हुई बेटा?

वो: जी पापा, वो यहीं (उसने चूतकी तरफ़ इशारा करते हुए कहा) सबसे ज़्यादा हुई थी।

मैं उसके पेट में साबुन लगाते हुए बोला: और भी कई जगह गुदगुदी हुई होगी, जब उन्होंने पैंटी के अंदर से तुम्हारी चूतमेंरंग लगाया होगा।

वो बोली: पापा मेरे निपल्ज़ भी एकदम कड़े हो गए थे।

मैंने अब उसकी चूचियाँ पर साबुन मलते हुए कहा: बेटा इनको भी तो दबाया था ना, उन लड़कों ने?

वो: जी पापा ज़ोर से दबाया था, मुझे तो दर्द भी हुआ था।

मैंने उसकी चूचियों को प्यार से दबाते हुए साबुन लगाना जारी रखा।

वो आह आह करने लगी। उसके निपल्ज़ बिलकुल कड़े हो गए थे।मैंने उसके निपल्ज़ को साबुन लगाने के बहाने से मसला और वो मस्त होकर हाय्य्यय कर उठी।

अब मेरा हाथ उसके गर्दन को साफ़ करके उसकी आँखों पर लगाया, उसने आँखें बंदकर लीं।अब उसके मुँह पर साबुन लगाके उसका रंग निकालने लगा। अब मेरी आँखें फिर से उसकी चूत पर पड़ी और वो जाँघें फैला कर बैठी थी।उसमें से चूत बड़ी मस्त दिखायी दे रही थी। मैं अपना हाथ अब उसकी चूतपर ले गया और वहाँ पर अच्छी तरह से साबुन लगाया और वहाँ हाथ रगड़ने लगा। अब वो मस्त होकर पापाआऽऽऽऽऽ कहके मचलने लगी। जैसे ही मैंने उसकी चूतके दाने को छेड़ा और वो सीइइइइइइइ कर उठी।

फिर मैंने उसको बैठे बैठे ही घुमाया और अब उसकी पीठ मेरे सामने थी।

मैंने उसकी पीठ पर साबुन लगाया और फिर मेरा हाथ उसकी चूतरोंके दरार की सैर करने लगा। अब मैंने उसको उठने को कहा और वो मेरे सामने अपने मस्त चूतरों को सामने करके खड़ी थी।

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