Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन
CHAPTER-4
सुहागरात
PART 6
वासना के ज़्वार-भाटे
उसके कुंवारे. अनभोगे शरीर, सुडौल, बेहद कड़े और भरपूर उभार और गर्म चूचियों के देखने के ख्याल मात्र से मेरा मन वासना के ज़्वार-भाटे में डगमगा उठा। हमारे होंठ एक बार फिर से मिले और मैं उसके होंठो के कस कस के चुंबन ले रहा था और फिर मैं धीरे से उनको अलग हुआ हालाँकि मैं उनकी एक झलक अभी थोड़ी देर पहले ही देखि थी लेकिन अब दुबारा देखने के ख्याल से मैं रोमांचित था और मैंने धीरे से उसे दूर धकेलते हुए, अपने हाथों को उसके कंधों तक उठाया, उसके बालों को उसकी पीठ पर वापिस डालने के और उसकी छाती को उजागर करने के लिए जैसे ही मैंने उसके बालों को धीरे-धीरे पीछे करना शुरू किया तो वो शर्म और उत्तेजना से लाल हो गयी, मैंने देखा उसके स्तन एकदम सही थे, गोल, सुडौल, बेहद कड़े और भरपूर उभार और बीच में गहरी घाटी । मैंने उसके स्तनों के आकार और रंग के बारे में जैसी भी कल्पना की थी वे उससे बढ़ कर थे । मैंने जो देखा उसने मुझे आश्चर्य में डाल दिया और मेरे होठों से एक कम कराह निकल गई।
लम्बी गर्दन, छाती पर सख्ती से सर ऊंचा कर खड़े और फुले हुए उसके स्तन मंडल जिसकी चोटी पर फूली हुई गुलाबी चेर्री निप्पलेँ ऐसे कड़ी खड़ी थीं जैसे वह मुझे आमंत्रित कर रही थीं, "आओ और मुझे मसल कर, दबा कर, चूस कर अपनी और मेरी बरसों की प्यास बुझाओ।" वो मेरे तफ लजा कर ऐसे देख रही थी मानो पूछ रही हो कैसे लगे?
उसके स्तन गोल और दृढ़ थे और सीधे खड़े थे। स्तनों के शंक्वाकार रूप पर बल्बनुमा, फूला हुआ, गहरा गुलाबी घेरा जो गोल शीर्ष पर आकार में थोड़ा लम्बा था और निप्पल उसके इरोला की सतह पर गहरे गुलाबी चेरी की तरह लग रहे थे। मैंने हाथ से उसके पूरे स्तन को ढक लिया और जब मैंने अपनी उँगलियों को उसके घेरे में फैलाया, तो दो छोटे, पेंसिल इरेज़र के आकार के निप्पल तुरंत सख्त हो गए और बाहर निकल गए।
मैंने कहा, "आपके पास जो है वह काफी है। मैं तुम्हें वैसे ही स्वीकार करता हूं जैसी तुम हो और मैं तुमसे प्यार करता हूं।"
और उसकी छातियों को हाथों से पकड़ लिया और प्यार से सहलाने लगा, दोनों बूब्स एकदम लाल हो गए. फिर मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया और सहलाने लगा., जिन उभारो को देख के, मैं उसे पहली बार देखने से ही बेचैन था अब मैं उन्हे छू रहा था और सहला रहा था.
जिस क्षण मेरी उँगलियों ने उसके निप्पल से संपर्क किया, वह सहज रूप से मेरे हाथों की तरफ झुक गई और नीचे की ओर देखते हुए कारः उठी, "ओह!" मैंने अपनी उंगलियों को उसके निप्पल पर कुछ देर और घुमाया और उसकी सांसें तेज हो गईं। जैसे ही मैं अपना मुँह उसके बायें स्तन के पास लाया, उसने मेरे सिर को अपनी बाँहों में लपेट लिया और मुझे अपने पास खींच लिया। मैंने उसके स्तन को कई बार चाटा. पहले उसके इरोला के चारों ओर, फिर निप्पल के पार, उसके पूरे स्तन को अपने मुंह में डालने से पहले, अपनी जीभ को उसके पूरे स्तन के चारों ओर घुमाते हुए मैंने उसके स्तन को चाटा चूमा और चूसा ।
वह चिल्लाई "ओह!" और फिर मैंने उसके दूसरे स्तन के पास जाकर कुछ और दावत उड़ाई । उसने मेरे सिर को अपने सीने से लगा लिया और उसके बाल पूरी तरह से मेरे सिर को ढँक रहे थे । वह बार-बार कांपते हुए जोर से सांस ले रही थी और मुझे लगा कि उसके घुटने कमजोर होने लगे हैं।
कुछ देर बाद मैंने उसके स्तनों को छोड़ दिया और उसे बिस्तर पर अपनी दाहिनी ओर खींच लिया और उसे जोश से चूमा। मैंने चुम्बन तोड़ा और उसकी आँखों में देखा। और हंसते हुए कहा, हो सकता है कि आपके स्तन अभी बड़े हो जाए, लेकिन वे निश्चित रूप से संवेदनशील हैं! क्या आप इसे जारी रखने के लिए तैयार हैं?"
वो केवल शर्मायी और मैं एक बार फिर ज्योत्सना को निहारने लगा और मैं बस उसे देखते ही रह गया । लजाती हुई ज्योत्सना का नग्न रूप एक रोमांचकारी नजारा था। उसका दमकता हुआ चेहरा, उसकी शानदार आकृति, उसकी लजाने के अदाए, उसके अद्भुत स्तन, उसकी शानदार गोल जांघें और टाँगे, उसके भव्य गोल और बड़े कूल्हे और नितम्ब सब कुछ सुंदर शानदार और गौरवशाली.
उसकी अंग भंगिमा देख कर उन्हें ऐसा लगा जैसे उसे जगत के विश्वकर्मा ने न बना कर स्वयं कामदेव ने बनाया हो. और अपनी सबसे ज्यादा खूबसूरत कला के नमूने को इस धरती पर मेरे लिए भेजा हो। ज्योत्सना के खुले, घने बाल उसके नितम्बो तक पहुँच रहे थे। ज्योत्सना का सुंदर लम्बी नाक, उसके रसीले होँठ, उसके सुबह की लालिमा के सामान गुलाबी गाल उसके ऊपर लटकी हुई एक जुल्फ और लम्बी गर्दन ज्योत्सना की जवानी को पूरा निखार दे रही थी।
इस जवानी के रूप पर सोने पर सुहागा था की वो इस समय सिर्फ गहने और फूलो का श्रृंगार किये हुए थी.
लम्बी सुराहीदार गर्दन, छाती पर सख्ती से सर ऊंचा कर खड़े और फुले हुए उसके गोल सुदृढ़ गर्वित स्तनों के साथ तीखे निप्पल और पतली कमर पर बिलकुल केंद्र बिंदु में स्थित गहरी नाभि जिसके निचे थोड़ा सा उभरा हुआ पेट और जाँघ को मिलाने वाला उरुसंधि भाग, नशीली साफ़ गुलाबी चूत के निचे गोरी चिकनी जाँघें और पीछे की और लम्बे बदन पर उभरे हुए ज्योत्सना के गोल कूल्हे देख कर मेरे जैसे व्यक्ति की जिसने पहले कई खूब सूरत स्त्रियों को भली भाँती नंगा देखा था और भोगा था, के मुंह से भी आह निकल गयी।
मैंने ज्योत्सना को अपनी बाँहों में लिया और उसे पलग पर हलके से बिठाकर कर ज्योत्सना के सर को अपने हाथों में पकड़ कर उसके होँठों पर अपने होँठ रख दिए। ज्योत्सना ने अपने होँठ खोल दिए और मेरी जीभ अपने मुंह में चूस ली। काफी अरसे तक हम दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते रहे और एक दूसरे की लार आपने मुंह में डाल कर इस काम रस का आनंद लेते रहे।
कहानी जारी रहेगी