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VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन
CHAPTER-4
सुहागरात
PART 8
अध्भुत नजारा
मैं उसे बार बार थोड़ा दूर करता उसे देखता और फिर चूमने लगता. मेरी नजरे के सामने क्या अध्भुत नजारा था. वह उस समय प्रेम की देवी लग रही थी।
मुझे इस सुंदर प्रेम गुफा क्षेत्र को देख बहुत आनंद आया। प्रेम द्वार के पहरेदार उसके ओंठ कितने मोटे थे और उन को कितनी मधुरता से उसे संभाला हुआ था । सुंदर गुलाबी सुनहरी योनि के ओंठ त्वचा की सफेदी को सुनहरी बना रहे थे, और उसकी गहरी और परिपूर्ण रेखा जैसी लग रही थी और उस शानदार पहाड़ी की ढलान दिव्य और चिकनी थी जो की पठार की तरह जो उसकी जांघों के बीच की गहरी घाटी तक गयी और उस प्रेम की गुफा में समाप्त हो गयी और जिसमें प्रेम प्रसन्नता, आनद और मजो का खजाना भरा हुआ था. आज इस बेशकीमती खजाने को वो हर्ष के अतिरेक के साथ मेरे ऊपर खुले मन से लुटाने वाली है ।
मैंने उसके चेहरे पर छोटे-छोटे किस करना शुरू किया: उसकी आँखें, माथा, उसकी नाक का सिरा और गाल। जैसे ही मैंने उसकी ठुड्डी को चूमा, ज्योत्सना ने अपनी बाहें ऊपर उठाईं और उन्हें मेरे कंधे पर रख दिया । फिर मैं उसके गले के नीचे और उसकी गर्दन के आधार के चारों ओर चुंबन और छोटे प्यार के निशान छोड़ता चला गया। मैंने अपनी जीभ को हल्के से उसकी गर्दन के पास से उसके कान के पिछले हिस्से तक पहुँचाया, और फिर उसके कान के लोब को चूम लिया । ज्योत्सना ने नरम, गहरे "हम्म" के साथ जवाब दिया।
जब मैं चुंबन कर रहा था, मेरा हाथ धीरे से उसके कंधों, और उसके छाती क्षेत्र के ऊपरी हिस्से को और उसके स्तनों के ऊपर सहला रहा था। उसके बायी कांख के नीचे से अपना हाथ घुमाते हुए मैं उसके बाएं स्तन के नीचे की ओर गया और उसे अपने हाथ से लपेट लिया। जैसे ही मैंने उसके स्तन को अपने हाथ की हथेली से एक गोलाकार गति में दबाया, उसने "मम्मम्म, ओह्ह " के साथ संवेदनाओं को बढ़ाने के लिए खुद को थोड़ा ऊपर उठाया। मैं उसके इरोला और निप्पल को ट्रेस करते हुए उसके दाहिने स्तन के पास गया और उसकी सांस तेज हो गई। अपनी पहली और मध्यमा उंगलियों से उसके निप्पल से शुरू करते हुए, मैंने हल्के से उसकी स्तनों की दरार की सीधी रेखा का पता लगाया और उसकी नाभि को कई बार सहलायाऔर फिर, उसे जोश से चूम लिया और फिर से उसके पूरे बाएं स्तन को अपने मुंह में चूसने लगा । मैंने धीरे से अपना हाथ नीचे की ओर ले गया।
मेरा एक हाथ उसके जांघो पर गया और मैंने उसे सहलाना शुरू कर दिया और उसकी मुलायम जाँघो के बीच, आगे बढ़ता गया और फिर जांघो के अंदरूनी हिसे को सहलाया और जब तक वो अपनी जाँघे दुबारा भींचती मेरी उंगलिया उसकी चिकनी जांघो को सहलाने लगी और इस बीच मेरा दूसरा हाथ उसकी जवानी के कलशो पे था और उनके दृढ और गोलाकार स्तनों को सहला और चुचकों को छेड़ रहा था।
जब मेरा हाथ उसके योनि क्षेत्र तक पहुंचा, तो मेरी मध्यमा उंगली के आगे का किनारा उसकी मांसल गद्देदार योनि क्षेत्र में फिसल गया और वह स्वाभाविक रूप से उसकी योनि के पास गया तो उसने तुरंत अपने कूल्हों को बिस्तर पर टिका दिया, अपने पैरों को एक साथ जोड़कर आश्चर्यचकित हो कर भींच दिया और कराह उठी "ओह! " मैंने फिर से उसके ओंठो पर गहराई से चूमा और वो थोड़सा रिलैक्स हुई, और अब जब मैंने नीचे हाथ हिलाया तो उसने अपने पैरों को इतना खोल दिया कि मेरे हाथ आगे जा सके । मैंने उसकी पूरे योनी को अपने हाथ में ले लिया और वह मेरे मुँह में कराह उठी। वह अब तेज, गहरी साँसे ले रही थी। फिर मैंने अपनी मध्यमा उँगली को उसकी योनि के ओंठो के बीच में और अपनी अगली और अनामिका को उसके बाहरी होंठों पर दबाते हुए उसकी पूरी योनी के ऊपर-नीचे करना शुरू किया। ज्योत्सना ने तुरंत चुंबन तोड़ दिया औरवो धीमी गति से धीमी कामुक कराहे लेने लगी ओर जैसे ही मेरी ऊँगली उसकी योनि के प्रवेश द्वार पर गयी और मैंने ऊँगली धीरे से अंदर की ओर दबायी तो उसने अपनी छोटी सी भगशेफ पर दबाव बढ़ाने के लिए अपने योनि क्षेत्र को नीचे की ओर हिलाया।
पहले तो मेरी अंगुली योनि सहलाती रही. फिर उसकी कुँवारी, किशोर गुलाबी पंखुड़ियो को मैंने हल्के से छेड़ दिया और 'प्रेम के इस द्वार' को छूने से मेरी अंगुली पर गिलापण महसूस किया और मैंने हलके से ऊँगली को अंदर धकेला तो मुझे उसकी योनि की कसावट महसूस हुई मैंने कुछ बार ऊँगली फिराई और हलके से अंदर डाला तो अंगुली गई तो उसकी गुलाबी पंखुड़ियो ने ऊँगली को कस के भींच लिया. मैंने ऊँगली को धीरे से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उसके बदन का कम्पन और उसके मुँह से निकली मीठी और हलकी कराह बता रही थी की उसे कितना अच्छा लग रहा था पर लाज के बंधन अभी तक पूरी तरह शिथिल नही हुए थे. मैं नीचे हुआ और उसकी योनि के ओंठो को चूम लिया और उसे उठा कर बिठा दिया और फिर जैसे कोई बहुत दिनो तक बिछूड़ कर मिला हो. वो मेरे साथ लिपट गयी.
मैंने उसे चूमा और पीठ के ऊपर से देखा तो मैंने देखा एक थाल में तेल, घी, दही, दूध, शहद और नारियल का पानी रखा था. मैंने कटोरी उठा कर एक ऊँगली में थोड़ा घी लगा कर उसकी योनि में हलके से घुसाई तो वो थोड़ी से अंदर गयी. एक दो बार ऊँगली अंदर बाहर की तो नतीजा ये हुआ कि वो अच्छी तरह गीली और चिकनी हो गयी. और उसकी थोड़ी देर मे दही लगी दो उंगलियाँ अंदर गयी और दोनो एक साथ थोड़ी देर तक अंदर बाहर होती रही फिर बाहर निकाल के कभी उसकी योनि के पंखुड़ियों जैसे ओंठो को छेड़ती. फिर मेरे हाथ की उंगलिया शहद से भीगी और वही क्रिया मैंने दोहराई और इस बीच उसके योवन के कलश मेरे प्यासे होंठो के हवाले थे.
फिर मैं ने तकिया लगा कर उसे थोड़ा ऊँचा किया और फूलो के बिछाया और उसे उस आसन पर उसे बिठाया और अब उसकी गुलाबी खूबसूरत कुंवारी योनि, नमि और चिकनाई से भरपूर योनि की चमकदार त्वचा मेरे सामने ऐसे छिटक रही थीं जैसे कोई स्वादिष्ट व्यंजन चखने और खाने का इंतज़ार कर रहा हो।
मुझे नहीं पता कि मै अपने आप को उसकी योनि क्षेत्र में में अपना चेहरा घुसाने से कैसे रोक पाया। मैं अपनी जीभ को उन स्वादिष्ट सिलवटों के बीच चलाने और उसके स्त्री सार का स्वाद लेने के लिए अपने मुंह में लार को महसूस कर सकता था।
जैसे ही मैं करीब आया और उसकी योनी की शानदार सुगंध को सूंघा जिससे मेरे नथुने भड़क गए और मेरा मुंह सूख गया और मेरा लंड बिलकुल कड़ा हो गया । मैंने इस शानदार अवसर के लिए अपने भाग्य के सितारों को धन्यवाद देते हुए गहरी सांस ली और उसके करीब आ गया।
मेरी कांपती उँगलियों नीचे गयी और उसकी चिकनी योनि की मालिश करने लगी । अपनी उँगलियों को आपस में मिला मैंने उसकी योनि की गोलाकार मालिश की, अपनी उँगलियों को घुमाते हुए उसकी चूत के शीर्ष पर दबाव बनाए रखते हुए और उन्हें उसके प्रवेश द्वार से थोड़ा सा अंदर ले गया । फिर मैंने इसे धीमी लयबद्ध गति से कुछ देर करता रहा और बीच बीच में मैं उसकी उसकी और देख रहा था और वो गहरी धीमी सांसों ले रही थी।
जैसे ही मैंने अपनी अंगुलि को उसके योनि होंठों की लंबाई में सरकायी उन्हें अंदर रुई की तरह नरम महसूस हुआ! वह अपने रस से लबालब थी, मेरी मध्यमा उंगली आसानी से उसकी सिलवटों में फिसल गई। उसने हांफते हुए कहा ओह! यह अच्छा लगता है।"
कहानी जारी रहेगी