Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 2
अमृत शुद्ध अमृत
फिर मैंने उसकी गांड में अब एक केला धीरे धीरे से चिपका दिया और जिसका कुछ हिस्सा गांड के अंदर फस गया । उसकी चूत पर शहद लगा दिया जिससे वो सुनहरी हो चमकने लग गयी । मैं उसकी चूत को और चाटने लगा। मेरा मन कर रहा था मैं ज्योत्स्ना की चूत और उस पर लगा शहद उसका रस और उस पर लगे फल और फलो का रस सब चूस लू और खा जाऊं । और मैंने वैसा ही करना शुरू कर दिया । मैंने अपना चेहरा उ उसकी चूत के पास रखा, और उसे और फल को एक साथ खाना शुरू कर दिया । वो कराहने लगी ।
हिस्स ... अहह ... उहह ... उफ्फ। और उसकी कमर का निचला हिस्सा हिलने लगा और उसके कूल्हे थे और उसने जोर लगा कर मेरे मुँह से अपनी चूत सटा दी।
उसकी कराह सुनकर। मैंने उसकी चूत को छोड़ दिया । मैंने उसकी चूत में थोड़ा सा चमच से शहद डाला फिर थोड़ी सी शराब उड़ेली और क्रीम डाल कर उसकी कमर को पकड़ कर हिलाया जिसे उसे मिक्स कर रहा हूँ, ताकि जब वह मेरे मुंह में वापस खुद को लाये तो मैं उसका स्वाद ले सकू।मैं उसे महसूस करना चाहता था।मैं उसको चरमोत्कर्ष की तरफ जाते हुए महसूस कर रहा था । वो धीरे से मुस्कुरा दी ।
फिर वो बोली प्लीज दीपक! अब और मत तड़पाओ अब मेरे अंदर अपना लंड घुसा डालो और मुझे चोदो! कस कर जोर से चोदो । प्लीज अब जल्दी करो । मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा । अब आ जाओ मेरे अंदर । वो गिड़गिड़ाने लगी ।
मुझे लगा अब इसे और तड़पाना ठीक नहीं है और मेरा लंड भी फटने को हो रहा था । मैंने अपने लंड पर चमच से थोड़ा शहद डाला और फिर शैम्पेन की बोतल से थोड़ी सी शराब में भिगोया और क्रीम लगा कर तो मैंने अपने लंड को उसके अंदर घुसाने की लिए, उसकी तंग और संकरी योनि जिसमे मेरी ऊँगली भी मुश्किल से जाती है और फलो से भरी हुई है उसके छेद पर रख कर एक धक्का लगा दिया । उसकी योनि अब कौमार्य के प्रतिरोध के बिना मेरे लंड का स्वागत करती है और मेरा लंड उस जोर दार धक्के के कारण उसकी योनि में मैंने जो फल ठुसे थे, उन फलों को मसल कर उनका रस को गूदे से निचोड़ कर ज्योत्स्ना के शरीर के स्नेहक के साथ मिला कर चूत की दीवारों से रगड़ खाता हुआ जड़ में समा गया ।
वैसे तो ज्योत्स्ना अपना कुंवारापण कल ही सुहागरात के दौरान मुझे समर्पित कर चुकी थी पर इस बार चूत की सकरी गुफा में फलो का रस लंड से पीस कर निकालनेमे कुछ ज्यादा ही मजा आया । और कुंवारी सील पाक चूत को भोगने में जैसे टाइट चूत होती है, उसकी चूत अंदर मौजूद फलो के कारण और भी टाइट लगी और बस मजा आ गया ।।
हाय ।. उई मां मर गई।. आह्ह्ह हह ... उईईई आह्ह आआ ऊओऊऊच ऊउई इम्म्मां ... उम्म्ह्ह्ह!
वो बोली फाड़ ही डालोगे क्या । आराम से नहीं कर सकते । मैंने कहा अभी तो तुम कह रही थी जोर से करो अब कह रही हो आराम से करो । वो बोली आराम से घुसाया करो फिर धीरेडीरे स्पीड बढ़ा कर जोर से किया करो । मैंने कहा अच्छा अब आराम से करूंगा और उसे किश किया । जिसका उसने गर्मजोशी से जवाब दिया । और फिर मेरी कमर चलने लगी । और वह भी लये से लये मिला कर साथ देने लगी ।
मैंने उसे धीरे धीरे चोदा । मैंने देखा, उसकी आंखें ख़ुशी और आनंद से चमक रही थी, उसका मुंह खुल गया था, उसका चेहरा चिपचिपा और शहद, फलो की लुगदी और रस से सरोबार होने से दागदार है मानो कैनवस पर फलो के रस से चित्रकारी की गयी हो। मैंने उसके बालों को पीछे खींचा जिससे उसका शरीर एक तीर धनुष की तरह तन गया और उसे मेरे लंड को अपनी चूत में गहरे लेने के लिए मेरे जोरदार धक्को के लिए चूत को खोलने के लिए मजबूर कर दिया ।
मेरे धक्को के गति और ताकत बढ़ती गयी और जल्द ही हम दोनों एक साथ चरमोत्कर्ष पर पहुँच गए मैंने उसकी फलो के रस और लुगदी से भरी जिसमे शहद शराब और क्रीम के साथ साथ उसे चुतरस मिला हुआ था उसमे ढेर सारी पिचकारियां मारी, और उसकी चूत ने भी संकुशन करते हुए मेरे लंड से मेरे वीर्य की एक एक बूँद निचोड़ ली । और मैं उसकी बाहो में समा कर उसके ऊपर ही लेट गया ।
कुछ देर बाद मैंने धीरे से अपना लंड निकाला तो वो फलो के रस, फलो की लुगदी, शहद, शैम्पेन, क्रीम, चुतरस और मेरी चिकनाई से सना हुआ था। मुझे लगा हमे इस अमृत रस को चखना चाहिए तो मैं घूमा और अपना लंड ज्योत्स्ना के मुँह के पास ले गया । उसने पहले तो चखा और कुछ उसके मुँह पर लग गया और फिर सारा बड़े मजे लेकर चाट गयी और मेरा लंड बिलकुल साफ़ कर दिया । तो मैं नीचे गया और जितना भी रास जो लंड के साथ चूत से बाहर निकल आया था उसे जीभ से चाटते हुए अपने मुँह में इकठ्ठा किया और फिर ऊँगली की मदद से उसकी चूत में से निकाला और जितना भी इकठ्ठा कर सकता था उसको अपने मुँह में इकट्ठा होते ही पलट कर उसके मुँह के पास ले गया हैं और उसे गहरा चुंबन करते हुए उसके मुँह पर अपना मुँह लगा दिया । वाह क्या स्वाद था ।
अमृत शुद्ध अमृत । प्यार का प्रसाद शुद्ध अमृत । और फिर उसके मुँह पर लगा सारा रस चाट गया । अद्भुत और उसकी योनि में से फलो शराब और हमारे अमृत रस से मिला जुला रस हमारे दोपहर के भोजन का अंतिम ग्रास बन गया ।
मैंने उसे मेज पर से अपने पास खींचा । मैंरा लंड अभी भी तना हुआ था और ज्योत्स्ना को और चोदना चाहता था तो मैं उसे अपने लंड के पास खींचा और एक बार फिर लंड को उसके अंदर घुसा दिया । हमने बड़े लम्बे और गहरे चुम्बन किये । इस बीच मेरा निचला हिस्सा अपनी पूरी ताकत से उसकी योनि पर प्रहार करता रहा । मेरा लंड और तंग संकरी गुफा में दीवारों से रगड़ खाते हुए हमारे शरीर तांडव करते रहे। और हम कामाग्नि से जलते हुए, अति उत्तेजित और उत्साहित घनिष्ठता से जुड़े हुए, गुंथा हुआ चुंबन करते रहे । मेरी उंगलियाँ उसकी गांड दबाने के लिए उसके पीछे पहुँचती हैं फिर उसकी क्लिट से खेल कर उसे पहले से ज्यादा उत्तेजित करती हैं । मैंने उसके झड़ने से पहले उसे अपनी उंगलि एक बार फिर चखाई और फिर उसको बार बार कांपते हुए चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर फिर झड़ते हुए देखा और उसे अपनी उंगलियों को चखने दिया।
आगे मैंने हनीमून कैसे मनाया और हमने क्या क्या किया आगे क्या हुआ? ये अगले CHAPTER- 5 मधुमास (हनीमून)-3 में पढ़िए ।
दीपक कुमार