नौकरानी से प्यार

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मैं कपड़ें बदलने चला गया।

कल शायद पत्नी जी वापस आने वाली थी, सो उन को शायद लेने भी जाना पड़ेगा। मैं जब रात को खाना खाने बैठा तो बीना को बताया कि मैडम कल आने वाली है तुम सुबह उन के लिये भी खाना बना कर जाना, ताकि उन्हें आ कर खाना ना बनाना पड़े। उस ने सर हिला दिया। इस के बाद वह चली गयी। मैं कुछ देर टीवी देखता रहा फिर बोर हो कर किताब ले कर पैग बना कर उसे पढ़ने बैठ गया। काम का सही हो जाने का संतोष मेरे मन में था। अगर कल बीवी के आने पर घर में राशन और सब्जी वगैरहा नहीं होती तो बेकार में झगड़ा हो सकता था। मेरी ही गल्ती थी कि मैंने इस ओर ध्यान ही नही दिया था, आगे से इस बारे में घ्यान रखना पड़ेगा यह सोच कर मैंने मन में गांठ बांध ली।

दूसरे दिन दोपहर में बीवी को स्टेशन से ले कर घर छोड़ा और उसे कहा कि उस के लिये खाना बना रखा है तो वह बोली कि खा कर देखती हूं कि काम का है या नहीं। मैंने कहा कि बीना शाम को छः बजे के करीब आती है, तुम देख लेना। मेरी बात सुन कर वह बोली कि तुम कहाँ जा रहे हो? मैंने कहा कही नहीं, हो सकता है आते में लेट हो जाऊं इस लिये बता रहा था। वह बोली कि तुम ने ही रखी है तुम ही देखना।

मैं चुप रहा और ऑफिस के लिये निकल गया। शाम को जब ऑफिस में वापस आया तो देखा कि बीना आ गयी थी। पत्नी उस से बातचीत में लगी हुई थी। मुझे देख कर बीना बोली कि साहब चाय बना कर लाऊं तो पत्नी बोली कि बीना आज चाय के साथ पकोड़ें भी बनायों तुम्हारें साहब को पकोड़ें बहुत पसन्द है, गोभी और प्याज के पकोड़ें बनाओं मैं आती हूँ। कुछ देर बात वह भी किचन में चली गयी।

मुझे लगा कि बीना का काम पत्नी को समझ में आ गया है। उस की भी सहायता हो जायेगी। कुछ देर बाद दोनों किचन से बाहर निकली। चाय के साथ पकोड़ें खा कर मजा आ गया। पत्नी बीना से बोली कि साहब को कभी-कभी ऐसे ही कुछ बना कर चाय के साथ खिला सकती हो। चाय के बाद बीना ने पत्नी से पुछा कि आप रात में क्या खायेगी तो पत्नी बोली कि कौन सी सब्जी है तो वह बोली कि आलु, गोभी, गाजर, बैगन आदि है, यह सुन कर पत्नी बोली कि रात को इन्हें सुखी सब्जी पसन्द नही है तो तुम आलु गोभी की तरी वाली सब्जी बना लो। यह सुन कर बीना चली गयी। मैंने पत्नी से पुछा कि तुम नें बीना से बात कर ली है तो वह बोली कि मुझे तो सही लग रही है, खाना भी सही बनाती है., सफाई भी सही करती है। काम चल सकता है. बस यह टिकी रहे। मैने सहमति में सर हिलाया।

इसी तरह काम चल रहा था। पत्नी के साथ होने के कारण बीना को काम करने तथा खाना बनाने के बारें में सारी बातें पता चलती रही। पत्नी भी उस के होने के कारण घर के काम में सहायता मिलने के कारण खुश थी। दो हफ्तें बाद पत्नी फिर से एक सप्ताह के लिये बाहर चली गयी। मुझे उस के बाहर जाने से क्यों ज्यादा चिन्ता नहीं थी क्योकि घर का काम करने और मेरे खाने की जिम्मेदारी बीना पर थी और वह उसे अच्छी तरह से निभा सकती थी ऐसा मेरा विश्वास था। सुबह बीना खाना बना जाती थी, घर साफ कर जाती थी और शाम को भी आ कर खाना बना कर चली जाती थी।

पत्नी के जाने के दूसरें दिन नहाते में मुझे लगा कि मेरी कमर में कुछ हुआ है और मुझ से झुका नहीं जा रहा है। मैं किसी तरह नहा कर बाहर निकला और कपड़ें पहन कर तैयार हो गया। दर्द का असर मेरे चेहरे पर दिखायी दे रहा था। बीना नें इसे देखा और मुझ से नाश्ता करते समय पुछा कि साहब कोई परेशानी तो नहीं है तो मैंने कहा कि कोई बात नहीं है, फिर मैं क्रीम लगा कर ऑफिस के लिये निकल गया।

ऑफिस में जा कर दर्द और बढ़ गया। मुझ से सीट पर बैठा नहीं जा रहा था। यह देख कर मैंने सेक्रेटरी से कहा कि मैं आज घर जा रहा हूं। मुझ से दर्द के कारण बैठा नहीं जा रहा है, यह सुन कर सेक्रेटरी ने कहा कि सर कोई पेन किलर ले लिजिये और घर जा कर आराम किजिये, यहां का काम मैं संभाल लुगी।

मैं घर चला आया। दर्द की गोली खाने से कुछ देर आराम तो पड़ा लेकिन कुछ घंटे बाद दर्द फिर शुरु हो गया। शायद कोई नस किसी और नस पर चढ़ गयी थी। कोशिश करी की पीठ की सिकाई कर लुं लेकिन हॉटवाटर बॉटल मुझे नहीं मिली। शाम को जब बीना आयी तो मैं बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पाया और धीरे-धीरे चल कर दरवाजा खोल पाया। मेरी हालत देख कर बीना बोली कि साहब आप आराम करों।

वह मुझे सहारा दे कर कमरे में लाई और बेड पर लिटा दिया। मैंने बीना से कहा कि मुझे पीठ की सिकाई करनी है, हॉटवाटर बॉटल नहीं मिल रही है, यह सुन कर वह बोली कि मैं किसी लोटे में पानी गरम करके लाती हूँ उस से आप की पीठ की सिकाई कर देती हूँ। कुछ देर बाद वह लोटे में पानी ले कर लौटी। उस ने मुझ से उलटा लेटने को कहा फिर मेरी बनियान ऊपर करके लोटे से धीरे-धीरे से सिकाई करनी शुरु कर दी। गरमी मिलने से मांसपेशियों में आराम मिला, वह धीरे-धीरे सिकाई करती रही मुझे इस से बहुत आराम मिला और मुझे कब नींद आ गयी पता नहीं चला। पता नहीं कितनी देर सोता रहा, किसी के हाथ ने मुझे झकझोर कर जगाया।

आंखें खोली तो देखा कि बीना मुझ पर झुकी हुई थी और मुझे जगा रही थी। मैं उठ गया और पीठ के बल लेट गया। बीना बोली कि साहब चाय बना कर लाऊं? मैंने कहा कि बीना चाय तो ला ही साथ में खाने को कुछ बिस्कुट या जो भी पड़ा हो ले कर आ मुझे भुख लग रही है। वह बोली कि मैं खाना बना कर लाती हूं। मैंने कहा कि बीना खाना बाद में बनाना अभी तो चाय ही दे दें। मेरी बात सुन कर वह चाय बनाने चली गयी। कुछ देर बाद चाय लेकर आयी तो चाय के साथ बिस्कुट भी थे। उस ने प्लेट बेड पर रख दी। मैं बैठ गया और चाय पीने लगा। बिस्कुट के साथ चाय पी कर मजा आ गया। चाय से मेरे बदन में जान सी आ गयी थी सिकाई के कारण दर्द में भी आराम पड़ा था।

बीना फर्श पर बैठ गयी और बोली कि साहब कोई दवा मगांनी हो तो बता दो मैं ले कर आती हूँ। मैंने कहा कि बीना दवा तो है तु एक गरम पानी की बोतल ले आया अगर मिल जाये। सिकाई से ही दर्द में आराम मिला है। मैने उसे कहा कि मेरी पेंट में पर्स है उस मे से पैसे ले कर चली जा। बीना नें पर्स निकाल कर मेरे हाथ में दे दिया मैंने उस में से 500 का एक नोट निकाल कर उसे दे दिया। वह दरवाजा बंद करके चली गयी।

आधें घंटे बाद वह हॉटवाटर बॉटल ले कर लौटी। उस के हाथ में एक स्प्रे भी था वह बोली कि केमिस्ट वाला बोल रहा था कि यह भी बढ़िया काम करता है सो मैं इसे भी ले आयी हूँ। उस की बात सुन कर मैं मुस्करा दिया। वह बॉटल में पानी भरने चली गयी। गर्म पानी से भर कर वह उसे मुझे दे गयी। मैंने उसे अपनी पीठ से लगा लिया। कुछ देर बाद वह खाना बना कर ले आयी। मैं बेड पर बैठ कर ही खाना खाता रहा। जब खाना खा लिया तो मैंने बीना से कहा कि वह थरमस में चाय बना कर मेरे पास रख दे मैं रात में पी लुगा तो वह बोली कि साहब आप कहे तो मैं रात को रुक जाऊं? मैंने कहा बीना कोई खास बात नहीं है मैं मैनेज कर लुगा, तुम सुबह आ जाना अभी तो मुझे किसी और चीज की जरुरत नहीं है। वह कुछ देर खड़ी रही और बोली कि आप की दवाई कहां पर है तो मैंने उसे बताया कि वह कहां पर है उस ने वहां से दवा निकाल कर बेड पर रख दी। चाय भी रख दी। जाते समय मुझे दूध भी दे गयी।

उस के जाने के समय मैं उठ कर गया और दरवाजा बंद कर दिया। अभी तो दर्द से आराम था। दूध पी कर मैं लेट गया लेकिन दर्द के कारण नींद नहीं आ रही थी। मुझे लग रहा था कि कल में ऑफिस नहीं जा पाऊंगा सो ऑफिस को छुट्टी की मेल कर दी। सेक्रेटरी को फोन करके बता दिया। सीधा लेटा तो करवट नहीं बदली जा रही थी। दवा खा कर सोने की कोशिश करने लगा। लेकिन नींद नहीं आ रही थी। रात को काफी देर तक पेट के बल लेट कर पीठ पर हॉटवाटर से सिकाई करता रहा, पता नही इस सब में कब नींद आ गयी।

सुबह घंटी की आवाज से नींद खुली तो ध्यान आया कि बीना आयी होगी, सो उठ कर दरवाजा खोलने चला गया। दरवाजा खोला तो बीना ही थी। वह मुझे देख कर कुछ हैरान सी थी, मेरी हालत देख कर उस के चेहरे पर मुस्कान सी दिखायी दी मैं वापस कमरे के लिये चल दिया तब मुझे दिखाई दिया कि मेरा लिंग सुबह के तनाव की वजह से तना खड़ा है और उस का तनाव पायजामें से बाहर झलक रहा था, इसे देख कर ही बीना के चेहरे पर मुस्कान आयी थी। अब कुछ हो नहीं सकता था सो चुपचाप बेड पर जा कर लेट गया। बीना चाय बना कर लाई और बोली कि साहब रात को नींद आयी? मैने उसे बताया कि पीठ की सिकाई के कारण कब सो गया पता नहीं चला। तुम्हारें घंटी बजाने से ही मेरी नींद खुली थी और मैं उठ कर दरवाजा खोलने आ गया था। वह बोली कि साहब यह तो आप को देख कर मुझे पता चल गया था। मुझे उस की मुस्कराहट रहस्यमयी सी लगी।

चाय पीने के बाद मैंने देखा कि लिंग का तनाव चला गया था, मैंने बीना को आवाज दे कर कहा कि वह बॉटल में नया गर्म पानी भर दे। वह कमरे में आयी और बोतल ले कर चली गयी। कुछ देर बाद वह उसे गर्म पानी से भर लायी। मैंने बोतल ले कर उसे पीठ से लगा लिया लेकिन वह पीठ से चिपक नहीं रही थी। इस वजह से हिट मसल्स में नहीं लग रही थी। मैरी परेशानी उसे समझ आ गयी और वह बोली कि साहब आप पेट के बल लेट जाओ, मैं अपनी पीठ की सिकाई कर देती हूँ। मैं पेट के बल लेट गया। बीना ने बनियान के ऊपर से ही पीठ की सिकाई करनी शुरु कर दी। कपड़ें के गर्म होने से परेशानी हो रही थी मैंने बीना से कहा कि बनियान हटा कर सिकाई करे।

मेरी बात सुन कर उस ने बनियान उपर कर दी और सिकाई करनी शुरु कर दी। उस के हाथों का कोमल स्पर्श मेरे शरीर को हो रहा था। उस ने पायजामे को भी कुछ नीचा कर के कुल्हें के ऊपर के हिस्से को भी सेंकना शुरु कर दिया। इस से मुझे बहुत आराम मिल रहा था। मैं हल्की सी नींद में चला गया था, मुझे लगा कि बीना के हाथ मेरी कमर पर ऊपर घुम रहे है तथा वह मेरे कुल्हों को भी सहला रहे है। नींद में होने के कारण मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं दूबारा से नींद के आगोश में चला गया। जाने कब तक ऐसे ही सोता रहा।

जब नींद खुली तो पेट के बल ही पड़ा था लेकिन बीना बेड पर मेरे करीब बैठी थी और मेरे शरीर को सहला रही थी। कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा फिर करवट बदल ली, मेरी इस हरकत से बीना के हाथ जो पीठ को सहला रहे थे वह अचानक मेरे कठोर लिंग से टकरा गये। उस ने झटके से अपने हाथ मेरे शरीर से दूर कर लिये। लेकिन वह बैठी रही। मुझे भी उस के शरीर की महक आ रही थी। आज से पहले बीना के इतने करीब में नहीं रहा था। मैने हाथ बढ़ा कर उसे अपने ऊपर गिरा लिया। अब वह मेरे ऊपर पड़ी थी उसका आधा शरीर मेरे शरीर पर पड़ा था बाकि का हिस्सा बेड पर था। उस की गर्म सांसे मेरे चेहरे से टकरा रही थी। मैरे शरीर को सहलाने के कारण वह भी उत्तेजित हो चुकी थी।

बस एक धक्का लगाने की देर थी। वह काम मैंने उसे अपने ऊपर गिरा कर कर दिया था। उस के सीने की गोलाईयां मेरे सीने में चुभ रही थी। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे। फिर मेरे हाथ ने उस की पीठ सहलानी शुरु कर दी। उस के होंठ मेरे होंठों से जुड़ गये। उस ने मेरा चेहरा पकड़ कर उसे चुमना शुरु कर दिया। मैं अपने हाथ से उस की पीठ सहलाता हुआ उस के कुल्हों तक पहुंच गया और उन्हें दबाने लगा। इस के बाद मेरे हाथों नें उस की छाती को सहलाना शुरु कर दिया। ब्लाउज के अंदर से उस के उरोजों को मसलना शुरु कर दिया। वासना का नशा हम दोनों के ऊपर हावी हो गया था।

हम दोनों नें इतने दिनों तक अपने ऊपर जो संयम रखा था वह हवा हो गया था। दोनों शरीर मिलन के लिये मचल रहे थे। मैंने हाथों से उस की साड़ी, पेटीकोट को ऊपर उठा दिया और हाथ से अपना पायजामा नीचे कर के अपने लिंग को नंगा कर दिया अब वह अपने लक्ष्य को भेदने के लिये तैयार था। मैंने हाथ से बीना की पेंटी को योनि से हटाया और लिंग को उस की योनि पर लगा दिया। बीना मेरे ऊपर थी उस से अपने कुल्हों को लिंग के उपर सेट किया और फिर उन्हें दबा कर लिंग को अंदर ले लिया।

दो बच्चों की मां होने के बावजूद उस की योनि बहुत कसी हुई थी, लिंग धीरे-धीरे उस की गीली योनि में धुस गया। बीना ने हल्के-हल्के कुल्हों को हिला कर ऊपर नीचे करना शुरु कर दिया। मैं अपने कुल्हें ज्यादा हिला नहीं सकता था, ऐसा करने से कमर में दर्द की लहरें उठती थी। नीचे से हट कर अब मेरा ध्यान उस की छाती की तरफ गया और मैने उस के ब्लाउज को खोल कर उतार दिया। ब्रा को भी खोल कर हटा दिया। इस के बाद उस के 32 साईज के उरोज कड़े थे उन्हें दबाने पर बीना के मुँह से आह ऊई उहह निकल रही थी। इस के बाद मैंने उठ कर उन के काले तने निप्पलों को होठों में ले कर चुसना शुरु कर दिया। इस से बीना का शरीर कांपने लगा। उस के धक्कों की रफ्तार बढ़ गयी। हम दोनों काफी देर तक संभोग करते रहे। फिर शायद एक साथ ही स्खलित हो गये।

हम दोनों नशें से में थे, संभोग के बाद अगल बगल लेट गये। मैं फिर से नींद में जाने लगा जो मैं करना नहीं चाहता था इसी लिये मैंने उठ कर बैठने की कोशिश की, इस की वजह से मेरे सारे शरीर में दर्द की लहर दौड़ गयी। मैं थक कर फिर से बेड पर गिर गया यह देख कर बीना घबरा कर उठ के बैठ गयी और मुझे पकड़ कर बोली कि साहब क्या हुआ? मैंने कहा कि कुछ नहीं कमर में दर्द हो रहा है, पानी दो मैं दर्द की गोली खाता हुं मेरी बात सुन कर वह बेड से उठ गयी उस के कपडे़ं अस्त-व्यस्त थे कमर से ऊपर वह नंगी थी सो उस ने पहले ब्रा पहनी फिर ब्लाउज पहन कर पेटीकोट साड़ी सही करके पानी लेने चली गयी। मैं भी हिम्मत करके बैठ गया और गोली रेपर से निकाल ली। बीना भी वापिस आ गयी थी उस के हाथ से पानी ले कर मैंने गोली निगल ली।

मैं भी नंगा था सो मैंने अपने कपड़ें भी सही किये। लिंग से अभी भी वीर्य निकल रहा था शायद बीना की भी यही हालत थी। वह सकुचाई सी खड़ी थी। उस ने पुछा कि साहब चाय पीयेगें? मैने सर हिलाया तो वह चाय लेने चली गयी। हम दोनों के मध्य की शर्म तो निकल गयी थी। संभोग कैसे हुया मजा आया या नहीं यह बेमतलब था, असली बात थी कि दोनों नें अपनी हिचक को दूर कर लिया था।अब जब दूबारा संभोग करेगें तो ज्यादा आनंद आयेगा ऐसा मेरा मानना था। यह तो दोनों के बीच की दीवार को तोड़ने का प्रयास मात्र था। असली चीज तो अभी होनी बाकि थी लेकिन वह अभी तो हो नहीं सकती थी क्योकि मैं अपना रोल नहीं निभा सकता था। भविष्य में जब कभी मौका मिलेगा तो पुरा मजा लेगे।

बीना चाय लेकर आ गयी वह अपनी चाय भी लायी थी दोनों चाय पीने लगे। कुछ बोल नहीं रहे थे। चाय पीने के बाद मैंने बीना से कहा कि वह एक तोलिया गिला करके निचोड़ कर मुझे ला कर दे। वह तोलिया लेने चली गयी। उस ने गिला तोलिया मुझे ला कर दे दिया। मैंने अपना पायजामा नीचे किया और ब्रीफ नीचे कर के लिंग को साफ किया और जांघों के मध्य को साफ करके अंडकोषों को भी साफ कर दिया। इस के बाद बीना से कहा कि वह मेरी ब्रीफ और पायजामा ला कर दे दे। वह मेरे कपड़ें लेने चली गयी। जब वह कपड़ें लायी तब तक मैं गीले कपड़ें शरीर से अलग कर चुका था उस नें कपड़ें मुझे दे कर कहा कि आप तोलिया मुझे दो मैं सारा शरीर साफ कर देती हूं आप पुरे कपड़ें बदल लो। यह कह कर उस ने तोलिया ले कर मेरे ऊपर के हिस्से को भी साफ कर दिया फिर वह कमरे में बाहर निकल गयी।

मैंने कपड़ें बदल लिये। इस के बाद मैंने उसे आवाज दे कर बुलाया। जब वह आयी तो मैंने उस से कहा कि वह कर नहा ले और अपने कपड़ें मशीन में डाल कर धो कर सुखा ले। उस के बाद ही कोई काम करना। वह मुस्कराती हूई चली गयी। कोई 20 मिनट बाद वह नहा कर आ गयी इस दौरान मशीन की गरम हवा से उस के कपड़ें भी सुख गये थे वह उस ने पहन लिये थे। वह बोली कि मैं नाश्ता बना कर लाती हूं। जब तक आप आराम करो। यह कह कर वह चली गयी। मैं फिर से लेट गया और गरम पानी की बोतल से पीठ सेंकने लगा। कुछ देर बाद वह नाश्ता बना कर ले आयी, मैं बेड पर ही नाश्ता करने लगा। इस के बाद मैं नहाने की सोचने लगा, मन कह रहा था कि गर्म पानी से नहाने से शरीर को आराम मिलेगा, मेरा पुराना अनुभव भी ऐसा ही कहता था, सो मैं नहाने की तैयारी करने लगा। मुझे नहाने जाते देख बीना बोली कि साहब आप बाथरुम का दरवाजा बंद मत करना, अगर जरुरत पड़ी तो मुझे आवाज दे देना मैं आ जाऊंगी। उस की बात मुझे सही लगी हो सकता है कि नहाते में मैं गिर जाऊं या कुछ और भी हो सकता हैं, दरवाजा बंद होने पर कोई मदद नहीं कर पायेगा।

मैंने कहा कि वह यही पर बाथरुम के बाहर रहे मैं नहा कर आता हूं उस ने सर हिला कर हां कहा और वही खड़ी हो गयी। मैं नहा कर निकला तो बेहतर महसुस कर रहा था गर्म पानी नें शरीर में रक्त का संचार बढ़ा दिया था इस कारण से दर्द और थकान में कमी लग रही थी। बाहर आ कर गिली तोलिया बीना को दे कर कहा कि इसे धुप में डाल दे। वह तोलिया ले कर चली गयी। मैं बेडरुम में चला आया। कपड़ें बीना ने निकाल कर रख दिये थे। उन्हें पहन कर बेड पर बैठ गया। बीना आयी तो उस से गिलास में पानी मगाँया और पानी के साथ दर्द की गोली खा ली। बीना बोली कि साहब दोपहर में क्या खाना है? मैंने कहा कि बीना दाल-चावल बना लो या जो तुम्हें अच्छा लगे वह बना लो। अपने लिये भी खाना बना लेना।

शाम को रात का खाना बना कर जल्दी चली जाना। वह यह सुन कर बोली कि आप रात को अकेले रह लेगे? मैंने कहा कि काम चला लुगां, तुम्हारा रात को रहना सही नहीं है, इस लिये तुम चली जाना। वह कुछ नहीं बोली। इस के बाद में सो गया। दो बजे करीब बीना ने जगाया और खाना खाने के लिये कहा। मैंने उठ कर खाना खाया और बीना से कहा कि वह चाहे तो अभी रात का खाना बना कर चली जाये।

मेरी बात सुन कर बीना बोली कि साहब आप क्या मुझ से नाराज है? मैंने कहा नही तो तुम्हें ऐसा कैसे लगा? वह बोली कि सुबह की बात के बाद आप मुझे जल्दी से घर भेजना चाहते है जबकि मैं आप के पास रहना चाहती हूँ। आप की देखभाल करना चाहती हूं। मैंने उस की बात सुन कर कहा कि तुम मेरी बात को गलत मत समझों, सुबह जो कुछ हुआ वह सही था या गलत मैं नहीं कह सकता, लेकिन मैं इस बात से परेशान हूं कि कहीं तुम गर्भवती ना हो जाओ। यह सुन कर वह हंस कर बोली कि आप इतनी सी बात से परेशान है तो मुझ से पुछ लिया होता। मैंने कॉपर टी लगवा रखी है तो गर्भवती होने का डर नहीं है।

अगर आप को मेरे से डर लग रहा है तो मैं यह बता सकती हूँ कि मुझे आप अच्छे लगने लगे है। आप से प्यार करने की इच्छा मन में होने लगी थी। आज हो गया तो बुरा नहीं लगा। बाकि आप के ऊपर है कि आप मुझे पसन्द करते है या नहीं। मैंने उस की बात सुन कर कहा कि तुम ने मेरी एक चिन्ता दूर कर दी। लेकिन सुबह सब कुछ सही तरीके से नहीं हुआ था। सब कुछ जल्दी बाजी में कर लिया था। कभी आराम से करेगें तभी पुरा मजा आयेगा। अभी तो मैं कुछ कर नहीं सकता हूं इस लिये कुछ दिन इंतजार करना पड़ेगा। जब कभी मौका मिलेगा तब करेगें। मेरी बात सुन कर उस के चेहरे पर चमक आ गयी।

वह बोली कि आप अकेले है किसी की जरुरत पड़ी तो क्या करेगें? मैंने उस की जिद के आगे हथियार डाल कर कहा कि वह रात को चली जाये। मेरी बात सुन कर वह खुश हो कर सफाई करने चली गयी। मैं गर्म पानी की बोतल से अपनी पीठ की सिकाई करने लगा। तभी ऑफिस से मेरी सेक्रेटरी का फोन आया। वह जानना चाहती थी कि मेरी तबियत कैसी है? मैंने उसे बताया कि मुझे आराम है, उस ने कहा कि कुछ चाहिये तो मैं ले कर आऊं। मैंने उसे आने के लिये मना किया और काम की प्रगति के बारे में पुछा तो वह बोली कि सर काम सही चल रहा है, आप चिन्ता ना करें मैं उसे मॉनिटर कर रही हूँ कोई खास बात होती है तो मैं आप को अपडेट करती हूं। मैंने फोन काट दिया। दर्द कम लग रहा था, इस लिये मैं उठ कर कुछ देर टहलने लगा, लेकिन तभी अचानक पीठ में दर्द की लहर उठी और मुझे दीवार का सहारा लेना पड़ा। मैं दूबारा बेड पर लेट गया और गर्म पानी की बोतल से पीठ की सिकाई करने लगा।

अचानक मुझे ध्यान आया कि बीना एक स्प्रे भी ले कर आयी थी, शायद वह काम कर जाये। यही सोच कर मैंने मेज से स्प्रे उठा कर पीठ पर स्प्रे करने की कोशिश की लेकिन स्प्रे नहीं कर पाया। बीना को आवाज दी तो वह आ गयी मैंने उस से कहा कि वह मेरी पीठ पर स्प्रे कर दे। यह कह कर मैं पेट के बल लेट गया। बीना ने कपड़ें हटा कर स्प्रे का छिड़काव कर दिया। स्प्रे नें जल्दी ही अपना असर दिखाया और दर्द कम हो गया। मैं फिर से नींद के आगोश में चला गया।

बीना नें झकझौर कर जगाया और कहा कि वह रात का खाना बना कर जा रही है, पानी और चाय वगैरहा बना कर रख दिया है। किसी और चीज की जरुरत है तो बताये? मैंने कहा कि नहीं वह आराम से जाये मैं रात को खाना खा लुगां, अभी दर्द भी नहीं हो रहा है सो कोई परेशानी नहीं होगी। मेरी बात सुन कर वह चली गयी। मैंने पत्नी को फोन किया और सारी बात उसे बतायी तो वह बोली कि मैं सुबह आती हूँ, मैंने उसे समझाना चाहा लेकिन उस नें मेरी एक बात नहीं सुनी। मैं भी मन ही मन चाहता था कि वह मेरे पास आ जाये, ताकि मेरा बीना से दूबारा अकेले में सामना ना हो।

दूसरे दिन सुबह बीना जल्दी ही आ गयी, मुझे देख कर बोली कि आप तो सही लग रहे है मैंने कहा कि हां रात को आराम में सोया था, इस लिये आज ऑफिस जा रहा हूँ वह बोली कि एक दिन और आराम कर लेते तो सही रहता। मैंने उसे बताया कि मैडम दोपहर में आ जायेगी, इस लिये उन के लिये भी खाना बना कर रख दे। वह बोली कि ऐसा ही करती हूँ । मैं ऑफिस के लिये तैयार होने लगा। नहाते में मैंने बाथरुम का दरवाजा बंद नहीं किया था ताकि अगर मुझे मदद की जरुरत पड़ें तो मैं बीना को आवाज दे सकुं।

उसे भी यह पता था इस लिये वह बाहर ही खड़ी रही। नहाते में कुछ नहीं हुआ। वह नाश्ता बनाने चली गयी और मैं तैयार होने लगा। नाश्ता करते समय मैंने बीना से कहा कि वह गरम पानी की बोतल में गर्म पानी भर कर रख दे। उसे में ऑफिस ले जाऊंगा ताकि अगर जरुरत पड़ी तो उसे इस्तेमाल कर पाऊं। वह सर हिला कर चली गयी। कुछ देर बाद उस ने मुझ को लंच बॉक्स ला कर दे दिया, साथ में पानी की बोतल भी थी।

वह भी चलने लगी, मैं उस के जाने के बाद घर बंद करके ऑफिस के लिये चल पड़ा।

कार चलाने में कमर में दर्द होने लगा। लेकिन उसे बर्दाश्त करता हूंआ मैं ऑफिस पहुंच गया। मुझे आया देख सेक्रेटरी बोली कि आप इतनी देर बैठेगें तो फिर से दर्द दूबारा से शुरु ना हो जाये, मैंने उसे बताया कि घर में अकेले बेड पर सारा दिन काटना सजा की तरह है, मैं यहां पर दर्द सह कर भी काम चला लुगा। वह मेरी बात समझ कर हंसती हुई बोली कि लगता है मैडम घर पर नहीं है? मैंने उसे बताया कि वह आज वापस आ रही है। इस वार्तालाप के बाद हम दोनों काम में लग गये।

मैं प्रोजेक्ट की रिपोर्ट देखने लगा फिर कुछ देर बाद अपने लोगों के साथ मीटिंग में लग गया। इस बीच पत्नी की फोन आया कि वह वापस आ गयी है, मैंने उसे बताया कि उस का खाना बना रखा है, गर्म करके खा लेना, वह बोली की आज कल मेरी ज्यादा चिन्ता करने लगे हो? मैंने उसे बताया कि मैं तो हमेशा से ऐसा हुँ उसे ही मेरी फ्रिक नहीं है, यह सुन कर वह बोली कि घर आयो फिर बताती हूँ कि तुम्हारी कितनी चिन्ता करती हूँ।

शाम को जब घर पहुंचा तो पत्नी मुझे देख कर बोली बाथरुम में ऐसा क्या कर रहे थे कि कमर में बल पड़ गया? उस की इस बात पर मैं हंस कर बोला कि चलो बाथरुम में चलो बताया हूँ कि क्या कर रहा था तो वह मेरा आशय समझ कर बोली कि इस हालत में भी शैतानी सूझ रही है? मैंने कहा कि जब तुम उलटी बात करोगी तो मैं भी उस का ऐसा ही जबाव दूंगा। हमारी बातचीत कुछ देर और चलती लेकिन तभी बीना आ गयी। पत्नी और वह बात करने लगी और मैं कपड़ें बदलने चला गया। कुछ देर बाद पत्नी और बीना मेरे पास आयीं और बोली कि चाय के साथ कुछ खाना है तो मैंने कहा कि तुम ही देख लो क्या पड़ा है मैंने तो किचन में झांका भी नहीं है तो बीना बोली कि साहब गोभी और आलु है आप को उसी के पकोड़ें खिलाती हूँ यह कह कर वह चली गयी। पत्नी बोली कि तुम ने किचन क्यों नहीं देखा? मैंने कहा कि मुझे अपने से छुट्टी मिले तो मैं कुछ और देखुं।

मैंने उस का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा कि यार तुम बाहर जाना कम कर दो। मेरे साथ ही रहा करो तो वह बोली कि यह भी कोई कहने की बात है, अब में कुछ दिन तो तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जा रही हूँ। उस की बात सुन कर मुझे मन में बड़ा संतोष मिला। बीना को भोगने का मौका तो मिल रहा था लेकिन मेरा मन पत्नी के बिना नहीं लगता था, दूसरे किसी संबंध को ज्यादा नहीं बढ़ाना चाहता था। इस का एक ही तरीका था कि पत्नी मेरे पास अधिक से अधिक रहे ताकि मुझे किसी के साथ एकान्त ना मिले। मन पर बुद्धि हावी हो रही थी जो कि उस समय के लिये सही था।