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Click hereरात को जब दोनों सोने लगे तो वह गले लग कर बोली कि आज कुछ करने लायक हो? मैंने कहा कि ट्राई करके देख लो तो वह आंख मार कर बोली कि बाद में शिकायत मत करना। वह मुझ से लिपट गयी और फिर हम दोनों में सबसे सनातन खेल आरम्भ हो गया। काफी देर खेल चला, लेकिन कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था। जब खेल खत्म हुआ तो दोनों खिलाड़ी थक कर हार गये थे। लेकिन इतने दिन बाद दोनों को बहुत आनंद आया था। मुझे लगा कि पत्नी को भी नियमित रुप से प्यार करना जरुरी है नहीं तो उस की रुचि पति में कम हो जाती है। खेल खत्म होने के बाद पत्नी ने पुछा कि दर्द तो नहीं हो रहा, लेकिन मैंने उसे झुठ बोल दिया कि नहीं सही हूँ। शिकायत करके में उस के आनंद को कम नहीं करना चाहता था।
वह तो कुछ देर बाद थक कर सो गयी लेकिन मैं काफी देर तक दर्द के कारण करवटें बदलता रहा। काफी देर बाद गर्म पानी की बोतल से सेंक करने के बाद नींद आयी। सुबह देखा कि सारी चद्दर दागों से भरी थी और पुरा शरीर भी योनि और वीर्य के सुखे द्रव से भरा हुआ था। पत्नी ने उठ कर कहा कि काफी दिन की कसर एक साथ ही निकाल ली है। मैंने कहा कि तभी तो मैं कह रहा हूं कि बाहर कम जाया करो। वह बोली कि तुम्हारी बात मान तो ली है। मैं बाक्सर डाल कर तैयार ही हुआ था कि बीना ने घंटी बजा दी। मैं जब दरवाजा खोलने गया तो वह मुझे देख कर मुस्कराई और घर के अंदर आ गयी। मैं कमरे में लौट आया तो दरवाजा बंद करके पत्नी से बोला कि बीना आ गयी है तुम कपड़ें पहन लो यह सुन कर वह एकदम बेड से उठ गयी और कपड़ें बदलने लगी।
कुछ देर बाद ही बीना ने दरवाजा खटखटाया। मैंने दरवाजा खोला तो वह चाय ले कर खड़ी थी, उस नें चाय बेड पर रखी और वापस चली गयी। पत्नी बोली कि बेड में कोई चाय दे दे तो सुबह मजा आ जाता है। तुम तो ऐसा कर नहीं सकते, मैंने उसे याद दिलाया कि पहले मैं ऐसा किया करता था, वह आह भर कर बोली कि हां वह भी क्या दिन थे। इस के बाद हम दोनों चाय पीने लगे। पत्नी बोली कि बीना भी चाय बनाती है अपने लिये? मैंने उसे बताया कि मैंने उसे कहा तो हुआ है तुम पता कर लेना। मैंने उसे नाश्ता करने के लिये भी कह रखा है। इतनी सुबह घर से कुछ खा तो नहीं आती होगी। पत्नी नें मेरी बात के साथ हामी भरी और बोली की यह तुम ने सही किया है मैं तो यह बात पुछना ही भुल गयी थी। चाय पीने के बाद वह बीना से बात करने के लिये किचन में चली गयी और मैं बाथरुम में घुस गया। नहा कर नाश्ता करके ऑफिस चला गया।
सारा दिन काम में लगे रहने के बाद घर पर पत्नी से बात करने का समय नहीं मिला जब शाम को घर पहुंचा तो पत्नी बोली कि आज मैंने बीना को शाम की छुट्टी दे दी है, उसे दर्द हो रहा था। मैं कुछ नहीं बोला, हर बात में मेरा जवाब देना भी सही नहीं था। इस के बाद वह बोली कि आज कहीं बाहर चलते है, मैंने कहा कपड़ें बदल लूं फिर चलते है। दोनों बहुत समय के बाद एक रोमांटिक शाम के लिये निकल पड़ें। कुछ देर मॉल में घुमते रहे उस के बाद डिनर करके रात को घर वापस आये। दोनों बहुत रोमांटिक हो रहे थे। घर पहुंचने तक रुकना मुश्किल हो गया था।
घर पहुचते ही कपड़ें उतार कर फेंक दिये गये और दोनों पुरातन खेल में लग गये। आज हम दोनों कुछ नया करना चाहते थे सो मैंने पत्नी से कहा कि बुरा तो नहीं मानोगी अगर कुछ नया ट्राई किया जाये तो वह बोली कि नहीं करो तो सही तुम नें तो मुझे हाथ लगाना ही बंद कर दिया था। उस की यह बात मेरे लिये धक्के की तरह थी। मैं समझता था कि वह मेरे में दिलचस्पी नहीं ले रही है लेकिन यहां तो बात उल्टी निकली वह मुझे ही दोषी टहरा रही थी। इस विषय पर हम दोनों की बातचीत जरुरी थी, क्योंकि यह मूद्दा बहुत महत्वपूर्ण था, इस का सुलझना जरुरी था लेकिन आज के मुड को खराब करना मुझे सही नहीं लगा सो किचन से कुछ लेने चला गया। जब किचन से आया तो मेरे हाथ में उस वस्तु को देख कर पत्नी बोली कि चलो आज इसे भी कर के देख लेते है। यह कहते हुये उस की आंखें शरारत से चमक रही थी।
*** समाप्त ***