उषा की कहानी

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अगले हफ़्ते रमेश और उषा अपने हनीमून मनाने अपने एक दोस्त, जो कि शिमला में रहता है, चले गये। जैसे ही रमेश और उषा शिमला एयरपोर्ट से बाहर निकले तो देखा कि रमेश का दोस्त, गौतम और उसकी बीवी सुमन दोनों बाहर अपनी कार के साथ उनका इन्तज़ार कर रहे है। रमेश और गौतम आगे बढ कर एक दूसरे के गले लग गये। फिर दोनों ने अपनी अपनी बीवियों से परिचय करवा दिया और फिर कार में बैठ कर घर की तरफ़ चल पड़े। घर पहुंच कर रमेश और गौतम बैठक में बैठ कर पुरानी बातो में मशगूल हो गय और उषा और सुमन दूसरे कमरे में बैठ कर बाते करने लगे। थोड़ी देर के बाद रमेश और गौतम अपनी बीवियों को बुलाकर उनसे कहा कि खाना लगा दो बहुत जोर की भूख लगी है। सुमन ने फटाफ़ट खाना लगा दिया और चारों डाईनिंग टेबल पर बैठ कर खाने लगे। खाना खाते समय उषा देख रही थी कि रमेश सुमन को घूर घूर कर देख रहा है और सुमन भी धीरे धीरे मुसकुरा रही है। उषा को दाल में कुछ काला नज़र आया। लेकिन वो कुछ नहीं बोली।

अगले दिन सुबह गौतम नहा धो कर और नाश्ता करने के बाद अपने ऑफ़िस के लिये रवाना हो गया। घर पर उषा, रमेश और सुमन पर बैठ कर नाश्ता करने के बाद गप लड़ा रहे थे। उषा ने आज सुबह भी ध्यान दिया कि रमेश अभी भी सुमन को घूर रहा है और सुमन धीरे धीरे मुसकुरा रही है। थोड़ी देर के बाद उषा नहाने के लिये अपने कपड़े ले कर बाथरूम में गई। करीब आधे घण्टे के बाद जब उषा बाथरूम से नहा धो कर सिरफ़ एक तौलिया लपेट कर बथरूम से निकली तो उसने देखा कि सुमन सिरफ़ ब्लाऊज और पेटीकोट पहने टांगे फैला कर अपनी कुरसी पर फैली आधी लेटी और आधी बैठी हुई है और उसके ब्लाऊज के बटन सब के सब खुले हुए है रमेश झुक कर सुमन की एक चुची अपने हाथों से पकड़ चूस रहा है और दूसरे हाथ से सुमन की दूसाड़ी चुची को दबा रहा है। उषा यह देख कर सन्न रह गई और अपनी जगह पर खड़ी कि खड़ी रह गई। तभी सुमन कि नज़र उषा पर पर गई तो उसने अपनी हाथ हिला कर उषा को अपने पास बुला लिया और अपनी एक चुची रमेश से छुड़ा कर उषा की तरफ़ बढा कर बोली- लो उषा तुम भी मेरी चुची चूसो।' रमेश चुपचाप सुमन कि चुची चूसता रहा और उसने उषा कि तरफ़ देखा तक नहीं। सुमन ने फिर से उषा से बोली- लो उषा तुम भी मेरी चुची चूसो, मुझे चुची चुसवाने में बहुत मजा मिलता है तभी मैं रमेश से अपनी चुची चुसवा रही हूं।' उषा अब कुछ नहीं बोली और सुमन की दूसाड़ी चुची अपने मुंह में भर कर चूसने लगी।

थोड़ी देर के बाद उषा ने देखा कि सुमन अपना हाथ आगे कर के रमेश का लंड उसके पैजामे के ऊपर से पकड़ कर अपनी मुट्ठी में लेकर मारोड़ रही है और रमेश सुमन कि एक चुची अपने मुंह में भर कर चूस रहा है। अब तक उषा भी गर्म हो गई थी। तभी सुमन ने रमेश का पैजामे का नाड़ा खींच कर खोल दिया और रमेश का पैजामा सरक कर नीचे गिर गया। पैजामा के नीचे गिरते ही रमेश नंगा हो गया क्योंकि वो पैजामे के नीचे कुछ नहीं पहन रखा था। जैसे ही रमेश रमेश नंगा हो गया वैसे ही सुमन आगे बढ कर रमेश का खड़े लंड को पकड़ लिया और उसका सुपारा को खोलने और बंद करने लगी और अपने होठों पर जीभ फेरने लगी। यह देख कर उषा ने अपने हाथों से पकड़ कर रमेश का लंड सुमन के मुंह से लगा दिया और सुमन से बोली- लो सुमन, मेरे पति का लंड चूसो। लंड चूसने से तुम्हे बहुत मजा मिलेगा। मैं भी अपनी चूत मारवाने के पहले रमेश का लंड चूसती हूं। फिर रमेश भी मेरी चूत को अपने जीभ से चाटता है।' जैसे ही उषा ने रमेश का लंड सुमन के मुंह से लगाया वैसे ही सुमन ने अपनी मुंह खोल कर के रमेश का लंड अपने मुख में भर लिया और उसको चूसने लगी। अब रमेश अपनी कमार हिला हिला कर अपना लंड सुमन के मुंह के अन्दर बाहर करने लगा और अपने हाथों से सुमन कि दोनों चुची पकड़ कर मसलने लगा। तब उषा ने आगे बढ कर सुमन के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। पेटीकोट का नाड़ा खुलते ही सुमन ने अपनी चूतड़ कुरसी पर से थोड़ा सा उठा दिया और उषा अपने हाथों से सुमन की पेटीकोट को खींच कर नीचे गिरा दिया। सुमन ने पेटीकोट के नीचे पेण्टी नहीं पहनी थी और इसालीये पेटीकोट खुलते ही सुमन भी रमेश कि तरह बिल्कुल नंगी हो गई।

उषा ने सबसे पहले नंगी सुमन की जांघो को खोल दिया और उसकी चूत को देखाने लगी। सुमन की चूत पर झांटे बहुत ही करीने से हटाई गई थी और इस समय सुमन कि चूत बिल्कुल चमक रही थी। सुमन कि चूत से चुदाई के पहले निकलने वाला रस रिस रिस कर निकल रहा था। उषा झुक कर सुमन के सामने बैठ गई और सुमन कि चूत से अपनी मुंह लगा दिया। उषा का मुंह जैसे ही सुमन कि चूत पर लगा तो सुमन ने अपनी टांगे और फैला दिया और अपने हाथों से अपनी चूत को खोल दिया। अब उषा ने आगे बढ कर सुमन कि चूत को चाटना शुरु कर दिया। उषा अपनी जीभ को सुमन कि चूत के नीचे से लेकर चूत के ऊपर तक ला रही थी और सुमन मारे गर्मी के उषा का सर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी। उधर रमेश ने जैसे ही देखा कि उषा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही है तो उसने अपना लंड सुमन के मुंह से लगा कर एक हलका सा धक्का दिया और सुमन अपना मुंह खोल कर रमेश का लंड अपने मुंह में भर लिया। नीचे उषा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही थी और कभी कभी सुमन के दाने को अपने दांतो से पकड़ कर हलके हलके से दबा रही थी।

थोड़ी देर तक सुमन कि चूत को चाटने और चूसने का बाद उषा उठ कर खड़ी हो गई और रमेश का लंड पकड़ सुमन के मुंह से निकल दिया और सुमन से बोली- सुमन अब बहुत हो गया लंड चूसना और चूत चटवाना चलो अब अपने पैर कुरसी के हत्थो के ऊपर रखो और रमेश का लंड अपने चूत में पिलवाओ। मुझे मालूम है कि अब तुम्हे रमेश का लंड अपने मुंह में नहीं अपनी चूत के अन्दर चाहिये।' और उषा ने अपने हाथों से अपने पति का खड़ा हुआ लंड सुमन कि गीली चूत कि ऊपर रख दिया। चूत पर लंड के रखते ही सुमन ने अपने हाथों से उसको अपनी चूत की छेद से भिड़ा दिया और रमेश कि तरफ़ देख कर मुसकुरा कर बोली- लो अब तुम्हारी बीवी ने ही तुम्हारा लंड को मेरी चूत से भिड़ा दिया। अब देर किस बात का है। चलो चुदाई शुरु कर दो।' इतना सुनते ही रमेश ने अपना कमार हिला कर अपना तना हुआ लंड सुमन कि चूत के अन्दर उतार दिया। चूत के अन्दर लंड घुसते ही सुमन ने अपने पैर को कुरसी के हत्थों पर रख कर और फैला दिया और अपने हाथों से रमेश का कमार पकड़ कर उसको अपनी तरफ़ खींच लिया। अब रमेश अपने दोनों हाथों से सुमन कि दोनों चुची को पकड़ कर अपना कमार हिला हिला कर सुमन को चोदना शुरु कर दिया। सुमन अपनी चूत में रमेश का लंड पिलवा कर बहुत खुश थी और वो मुड़ कर उषा से बोली,

'उषा तेरे पति का लंड बहुत ही शानदार है, बहुत लम्बा और मोटा है। रमेश का लंड मेरे बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा है। तेरी ज़िन्दगी तो रमेश से चुदवा कर बहुत आराम से कट रही होगी?'

उषा तब रमेश का एक हाथ सुमन कि चुची पर से हटा कर सुमन कि चुची को मसलते हुए बोली- हाँ, मेरे पति का लंड बहुत ही शानदार है और मुझे रमेश से चुदवाने में बहुत मजा मिलता है। मैं तो हर रोज़ तीन -- चार बार रमेश का लंड अपनी चूत में पिलवाती हूं। क्यों, गौतम तेरी चूत नहीं चोदता? कैसा है गौतम का लंड?'

सुमन बोली- गौतम का लंड भी अच्छा है और मैं हर रोज़ दो -- तीन बार गौतम के लंड से अपनी चूत चुदवाती हूं। गौतम रोज़ रात को हमको रगड़ कर चोदता है और रात कि चुदाई के समय मैं कम से कम से चार-पांच बार चूत का पानी गिराती हूं। लेकिन रमेश के लंड की बात ही कुछ और है। यह लंड तो मेरे बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा है। असल में मुझे अपनी पति के अलावा दूसरे लंड से चुदवाने में बहुत मजा आता है और जब से मैंने रमेश को देखा है, तभी से मैं रमेश का लंड खाने के लिये लालायित थी। अब मेरी मन की मुराद पूरी हो गई है। अब शाम को जैसे ही गौतम ऑफ़िस से घर आयेगा उसका लंड मैं तेरी चूत में पिलवाऊँगी। तब देखना कि गौतम कैसे तुमको चोदता है। मुझे मालूम है कि गौतम के लंड को अपनी चूत से खाकर तुम बहुत खुश होगी।' उषा चुपचाप सुमन कि बात सुनती रही और झुक कर रमेश का लंड सुमन की चूत के अन्दर बाहर होना देखती रही। थोड़ी देर के बाद उषा झुक कर सुमन कि एक चुची अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगी।

थोड़ी देर के बाद उषा को अहसास हुआ कि कोई उसके चूतड़ के ऊपर से उसकी तौलिया हटा कर उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ने की कोशिश कर रहा है। उषा ने चौंक कर पीछे मुड़ कर देखा तो पाया कि उसकी चूत में लंड घुसेड़ने वला और कोई नहीं बल्कि गौतम है। हुआ यह कि गौतम के ऑफ़िस में किसी का देहान्त हो गया था और इसालीये ऑफ़िस में छुट्टी हो गई थी। इसलिये गौतम ऑफ़िस जाकर वापस आ गया था।

गौतम अब तक उषा कि बदन से उसकी तौलिया हटा कर अपना तन्नाया हुअ लंड उषा कि चूत में डाल चुका था और उषा की कमार को पकड़ के उषा की चूत में अपने लंड की ठोकर मारना शुरु हो गया था। गौतम जोर जोर से उषा कि चूत अपने लंड से चोद रहा था और अपने हाथों से उषा कि चुची को मसल रहा था। रमेश इस समय सुमन को जोरदार धक्को के साथ चोद रहा था और उसने अपना सिर घुमा कर जब उषा कि चुदाई गौतम के साथ होते देखा तो मुसकुरा दिया और गौतम से बोला- देख गौतम देख, मैं तेरे ही घर में और तेरे ही समने तेरी बीवी को चोद रहा हूं। तुझे तेरी बीवी कि चुदाई देख कर कैसा लग रहा है?' गौतम ने तब उषा को चूमते और उसकी चुची को मलते हुए रमेश से बोला- अबे रमेश, तू क्या मेरी बीवी को चोद रहा है। अरे मेरी बीवी तो पुरानी हो गई है उसकी चूत मैं पिछले दो साल से रात दिन चोद रहा हूं। सुमन कि चूत तो अब काफ़ी फैल चुकी है। अबे तू देख मैं तेरे समने तेरी नई ब्याही बीवी को कुतिया कि तरह झुका कर उसकी टाईट चूत में अपना लंड डाल कर चोद रहा हूं। अब बोल किसे ज्यादा मजा मिल रहा है। सही में यार रमेश, तेरी बीवी कि चूत बहुत ही टाईट है मगर तेरी बीवी बहुत चुद्दकड़ है, देख देख कैसे तेरी बीवी कि चूत ने मेरा लंड पकड़ रखा है।' फिर गौतम उषा कि चुची को मसालते हुए उषा से बोला- ओह! ओह! मुझे उषा कि चूत चोदने में बहुत मजा मिल रहा है। अह! उषा रानी और जोर से अपनी गांड हिला कर मेरे लंड पर धक्का मार। मैं पीछे से तेरी चूत पर धक्का मार रहा हूं। उषा रानी बोल, बोल कैसा लग रहा मेरे लंड से अपनी चूत चुदवना। बोल मजा मिल रहा कि नहीं?' तब उषा अपनी गांड को जोर जोर से हिला कर गौतम का लंड अपनी चूत को खिलाते हुए गौतम से बोली- चोदो मेरे राजा और जोर से चोदो। मुझे तुम्हारी चुदाई से बहुत मजा मिल रहा है। तुम्हारा लंड मेरे चूत की आखरी छोर तक घुस रहा है। ऐसा लग रहा कि तुम्हारा लंड का धक्का मेरी चूत से होकर मेरी मुंह से निकल पड़ेगा। और जोर से चोदो, और सुमन और रमेश को दिखा दो कि चूत की चुदाई कैसे कि जाती है।'

गौतम और उषा कि चुदाई देखते हुए सुमन उषा से बोली- क्यों छिनाल उषा, गौतम का लंड पसन्द आया कि नहीं? मैं ना बोल रही थी कि गौतम का लंड बहुत ही शानदार है और गौतम बहुत अच्छी तरह से चोदता है? अब जी भर मस्त चुदवा ले अपनी चूत गौतम के लंड से। मैं भी अपनी चूत रमेश से चुदवा रही हूं।' रमेश जोरदार धक्को के साथ सुमन को चोदते हुए बोला- यार गौतम, यह दोनों औरत बड़ी चुदासी है, चल आज दिन भर इनकी चूत चोद चोद कर इनकी चूतों को भोसड़ा बना देते हैं। तभी इनकी चूतों कि खुजली मिटेगी।' इतना कह कर रमेश सुमन कि चूत पर पिल पड़ा और दना दन चोदने लगा। गौतम भी पीछे नहीं था, वो अपना हाथों से उषा कि दोनों चुची पकड़ कर अपनी कमर के झटकों से उषा कि चूत चोदना चालू रखा। थोड़ी देर तक ऐसे ही चुदाई चलती रही और दोनों जोड़े अपने अपने साथियों की जम कर चुदाई चालू रखी और थोड़ी देर के बाद दोनों जोड़े साथ ही झड़ गये। जैसे ही रमेश और गौतम सुमन और उषा कि चूत के अन्दर झड़ने के बाद अपना अपना लंड बाहर निकाला तो दोनों का लंड सफ़ेद सफ़ेद पानी से सना हुआ था और उधर सुमन और उषा कि चूतों से भी सफ़ेद सफ़ेद गाढा पानी निकल रहा था। झट से सुमन और उषा उठ कर अपने अपने पतियों का लंड अपने मुंह में भर कर चूस चूस कर सफ़ किया और फिर एक दूसरे की चूत में मुंह लगा कर अपने अपने पतियों का वीर्य चाट चाट कर साफ़ किया। थोड़ी देर के बाद रमेश और गौतम का सांस नोरमल हुआ और उठ कर एक दूसरे के गले लग गये और बोले। 'यार एक दूसरे की बीवीयों को चोदने का मजा ही कुछ अलग है। अब जब तक हमलोग एक साथ है बीवीयों को अदल बदल करके ही चोदेंगे।'

थोड़ी देर के बाद सुमन और उषा अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई और तौलिया से अपनी चूत और जांघे पोंछ कर नंगी ही किचन कि तरफ़ चल पड़ी। उनको नंगी जाते देख कर रमेश और गौतम का लंड खड़े होना शुरु कर दिया। थोड़ी देर के बाद सुमन और उषा नंगी ही किचन से चाय और नाश्ता ले कर कमरे में आई और कुर्सी पर बैठ गई। रमेश और गौतम भी नंगे ही कुरसी पर बैठ गये। थोड़ी देर के बाद सुमन झुक कर प्याली में चाय पलटने लगी। सुमन के झुकने से उसकी चुची दोनों हवा ने झूलने लगे। यह देख कर रमेश ने आगे बढ कर सुमन कि चुची को पकड़ लिया और उन्हे दबाने लगा। यह देख कर उषा अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई और गौतम के नंगे गोद पर जा कर बैठ गई। जैसे ही उषा गोद में बैठी गौतम ने अपने हाथों से उषा को जकड़ लिया और उसकी चुची को दबाने लगा। उषा झुक कर गौतम के लंड को पकड़ कर सहलाने लगे और थोड़ी देर के गौतम के लंड को अपने मुंह में भर लिया। यह देख कर सुमन चाय बनना छोड़ कर रमेश के पैरो के पस बैठ गई उसने भी रमेश का लंड अपने मुंह में भर लिया। थोड़ी देर के बाद रमेश ने अपने हाथों से सुमन को खड़े किया और उसको टेबल के सहारे झुका कर सुमन कि चूत में पीछे से जाकर अपना लंड घुसेड़ दिया। सुमन एक हल्की से सिसकरी भर कर अपने चूतड़ हिला हिला अपनी चूत में रमेश का लंड पिलवती रही और वो खुद उषा और गौतम को देखने लगी। रमेश और सुमन को फिर से चुदाई शुरु करते देख गौतम भी अपने आप को रोक नहीं पाया और उसने उषा को अपनी गोद से उठा कर फिर से उसके दोनों पैर अपने दोनों तरफ़ करके बैठा लिया। इस तरीके से उषा की चूत ठीक गौतम के लंड के सामने थी। उषा ने अपने हाथों से गौतम के लंड को पकड़ कर अपनी चूत से भिड़ा कर गौतम के गोद पर झटके साथ बैठ गई और गौतम का लंड उषा कि चूत के अन्दर चला गया। उषा अब गौतम के गोद पर बैठ कर अपनी चूतड़ उठा उठा कर गौतम के लंड का धक्का अपनी चूत पर लेने लगी। कमरे सिर्फ़ फस्सह, फस्सह का आवाज गूंज रही थी और उसके साथ साथ सुमन और उषा की सिसकियाँ।

रमेश थोड़ी देर तक सुमन कि चूत पीछे से लंड डाल कर चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद उसने अपनी एक अंगुली में थूक लग कर सुमन कि गांड में अंगुली करने लगा। अपनी गांड में रमेश कि अंगुली घुसते ही सुमन ओह! ओह! है! कर उठी। उसने रमेश से बोली- क्या बात है, अब मेरी गांड पर भी तुम्हारी नज़र पड़ गई है। अरे पहले मेरी चूत कि आग को शान्त करो फिर मेरी गांड कि तरफ़ देखना।' लेकिन रमेश अपनी अंगुली सुमन की गांड के छेद पर रख कर धीरे धीरे घुमाने लगा। थोड़ी देर के बाद रमेश ने अपनी अंगुली सुमन कि गांड में घुसेड़ दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा। सुमन भी अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी चूत कि घुण्डी को सहलाने लगी। जब अपनी थूक और अंगुली से रमेश ने सुमन कि गांड कि छेद काफ़ी गीली कर ली तब रमेश ने अपने लंड पर थूक लगाकर सुमन कि गांड की छेद पर रखा। अपनी गांड में रमेश का लंड छूते ही सुमन बोल पड़ी- अरे अरे क्या कर रहे हो। मुझे अपनी गांड नहीं चुदवाना है। मुझे मालूम है कि गांड मरवाने से बहुत तकलीफ़ होती है। हटो, रमेश हटो अपना लंड मेरी गांड से हटा लो।' लेकिन तब तक रमेश ने अपना खड़े हुअ लंड सुमन कि गांड के छेद पर रख कर दबाने लगा था और थोड़ी से देर के बाद रमेश का लंड का सुपारा सुमन कि गांड कि छेद में घुस गया। सुमन चिल्ला पड़ी- अर्रर्रीईए माआर्रर्र डालाआआ, ओह! ओह! रमेस्सास्सह्हह निकल्लल्लल्ल लूऊ अपनाआ म्मूस्सास्साअर्रर ज्जजाआईस्सास्साअ लंड्दद्दद म्ममीर्ररीई गाआनद्दद सीई। मैईई मार्रर्र जौनगीईए।'

लेकिन रमेश कहना सुनने वाला था। वो अपना कमर घुमा कर के और अपना लंड को हाथ से पकड़ के एक धक्का मारा तो उसका आधा लंड सुमन कि गांड में घुस गया। सुमन छटपटाने लगी।

थोड़ी देर के बाद रमेश थोड़ा रुक कर एक धक्का और मारा तो उसका पूरा का पूरा लंड सुमन कि गांड में घुस गया और वो झुक कर एक हाथ से सुमन की चुची सहलने लगा और दूसरे हाथ से सुमन की चूत में अंगुली करने लगा। लेकिन सुमन मारे दर्द के छटपटा रही थी और बोल रही थे- अबे साले भड़ुवे गौतम, देखो तुम्हारे सामने तुम्हारि बीवी कि गांड कैसे तुम्हारा दोस्त जबरदस्ती से मार रहा है। तुम कुछ करते क्यों नहीं। अब मेरी गांड आज फट जायेगी। लग रहा है आज इस चोदु रमेश मेरी गांड मार मार कर मेरी गांड और बुर एक कर देगा। गौतम प्लीज तुम रमेश से मुझे बचाओ।' तब रमेश अपने अंगुलियों से सुमन की चूत में अंगुली करते हुए सुमन से बोला- अरे सुमन रानी, बस थोड़ी देर तक सबर करो, फिर देखना आज गांड मरवाने ने तुम्हे कितना मजा मिलता है। आज मैं तुम्हारी गांड मार कर तुम्हारी चूत का पानी निकालूगा। बस तुम ऐसे ही झुक कर खड़ी रहो।' रमेश की बात सुन कर गौतम अपना लंड से उषा कि चूत चोदता हुअ सुमन से बोला- रानी, आज तुम रमेश का मोटा लंड अपनी गांड डलवा कर खूब मज़े उड़ाओ, मैं भी अभी अपना लंड रमेश की नई बीवी कि गांड में घुसेड़ता हूं और फिर उषा की गांड मारता हूं। मैं उषा की गांड मार कर तुम्हारी गांड मारने का बदला निकलता हूं।' उषा जैसे ही गौतम की बात सुनी तो बोल पड़ी- अरे वाह क्या हिसाब है, रमेश आज मौका पा कर सुमन कि गांड मार रहा है और उसकी कीमत मुझे अपनी गांड मारवा कर चुकनी पड़ेगी। नहीं मैं तो अपनी गांड में लंड नहीं पिलवती। गौतम तुम मेरी गांड के बजाय रमेश कि गांड मार कर अपना बदला निकालो।' गौतम तब उषा से बोला- नहीं मेरी चुद्दकड़ रानी, जिस तरह से रमेश ने मेरी बीवी कि गांड में अपना लंड घुसेड़ कर मेरी बीवी की गांड मार रहा है, मैं भी उसी तरह से रमेश कि बीवी की गांड में अपना लंड घुसेड़ कर रमेश कि बीवी कि गांड मारुंगा और तभी मेरा बदला पूरा होगा।' इतना कह कर गौतम ने अपना लंड उषा कि चूत से निकाल लिया और उसमे फिर से थोड़ा थूक लगा कर उषा कि गांड से भिड़ा दिया। उषा अपनी कमर इधर उधर घुमाने लगी लेकिन गौतम ने अपने हाथों से उषा की कमर पकड़ कर अपना लंड का आधा सुपारा उषा कि गांड कि छेद में डाल दिया। उषा दर्द के मारे छटपटाने लगी।

उषा अपनी गांड से गौतम का लंड को निकालने कि कोशिश कर रही थी और गौतम अपने लंड को उषा कि गांड में घुसेड़ने कि कोशिश कर रहा था। इसी दौरान गौतम ने एक बार उषा कि कमर को कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर हिला करके एक धक्का मारा तो उसके लौड़े का सुपारा उषा कि गांड कि छेद में घुस गया। फिर गौतम ने जलदी से एक और जोरदार धक्का मारा तो उसका पूरा का पूरा लंड उषा की गांड में घुस गया और गौतम की झांटे उषा कि चूतड़ को छूने लगी। अपनी गांड ने गौतम का लंड के घुसते ही उषा जोर से चीखी और चिल्ला कर बोली- साले बहनचोद, दूसरे कि बीवी कि गांड मुफ़्त में मिल गया तो क्या उसको चोदना जरूरी है? भोसड़ी के निकाल अपना मूसल जैसा लंड मेरी गांड से और जा अपना लंड अपनी मा कि गांड में या उसकी बुर में घुसा दे। अरे रमेश तुमहे दिख नहीं रहा है, तुम्हारा दोस्त मेरी गांड फाड़ रहा है? अरे कुछ करो भी, रोको गौतम को, नहीं तो गौतम मेरी गांड मार मार कर मुझे गांडु बना देगा फिर तुम भी मेरी चूत छोड़ कर के मेरी गांड ही मारना।' रमेश अपना लंड सुमन की गांड के अन्दर बाहर कराते उषा से बोला- अरे रानी, क्यों चिल्ला रही हो। गौतम तुम्हे अभी छोड़ देगा और एक-दो गांड मारवने से कोइ गांडु नहीं बन जाता है। देखो ना मैं भी कैसे गौतम कि बीवी कि गांड ने अपना लंड अन्दर बहर कर रहा हूं। तुमको अभी थोड़ी देर के बाद गांड मारवने में भी बहुत मजा मिलेगा। बस चुपचाप अपनी गांड में गौतम का लंड पिलवाती जाओ और मजा लूटो। इतना सुनते ही गौतम ने अपना हाथ आगे बढा कर उषा कि एक चुची पकड़ कर मसलने लगा और अपना कमर हिला हिला कर अपना लंड उषा कि गांड के अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी देर के उषा को भी मजा आने लगा और वो अपनी कमर चला चला कर गौतम का लंड अपनी गांड से खाने लगी। थोड़ी देर के बाद रमेश और गौतम दोनों ही सुमन और उषा कि गांड में अपना लंड के पिचकारी से भर दिया और सुस्त हो कर सोफ़ा में लेट गये।

इस तरह से रमेश और उषा जब तक गौतम और सुमन के घर पर रुके रहे तब तक दोनों दोस्त एक दूसरे कि बीवीयों की चूत चोद चोद कर मजा मारते रहे। कभी कभी तो दोनों दोस्त उषा या सुमन को एक साथ चोदते थे। एक बिस्तर पर लेट कर नीचे से अपना लंड चूत में डालता था और दूसरा अपना लंड ऊपर से गांड में डालता था। उषा और सुमन भी हर समय अपनी चूत या गांड मरवाने के लिये तैयार रहती थी। जब सब लोग घर के अन्दर रहते थे तो सभी नंगे ही रहते थे। उषा और सुमन भी नंगी हो कर ही चाय या खाना बनाती थी और जब भी रमेश या गौतम उनके पास अता था तो वो झुक कर उनका लंड अपने मुंह में भर कर चूसती थी और जैसे ही लंड खड़े हो जाता था तो खुद अपने हाथों से खड़े लंड को अपनी चूत से भिड़ा कर खुद धक्का मार कर अपनी चूत में भर लेती थे। एक हफ़्ता तक उषा और रमेश अपने दोस्त के घर बने रहे और फिर वापस अपने घर के लिये चल पड़े।

जब प्लेन में रमेश और उषा अपने घर के लिये जा रहे थे तो रमेश ने उषा से पूछा, क्यों उषा रानी, एक बात सही सही बातओ, कौन ज्यादा अच्छा चोदता है, मैं, गौतम या पिताजी?' रमेश का बात सुन कर उषा बिल्कुल अचम्भित हो गई, फिर उसने धीरे से पूछा- पिताजी से चुदाई कि बात तुमको कैसे मालूम? तुम तो अपनी सुहागरात पर ड्यूटी पर थे?' तब रमेश धीरे से उषा को चूमते हुए बोला- हाँ, तुम ठीक कह रही हो, मुझे उस दिन ड्यूटी पर जाना पड़ा। जब हम अपनी ड्यूटी से करीब एक घण्टे के बाद लौटा तो देखा तुम पिताजी का लंड पकड़ चूस रही हो और पिताजी तुम्हारी चूत में अपनी अंगुली पेल रहे है। यह देख मैं चुपचाप कमरे के बहर खड़े हो कर तुम्हे और पिताजी का चुदाई खत्म होते वक्त तक देखा और फिर लौट गया और सुबह ही घर पर आया।'

'क्या तुम मुझसे नाराज़ हो' उषा धीरे से रमेश से पूछा।

'नहीं, मैं तुम से बिल्कुल भी नाराज नहीं हूं। तुमने पिताजी को अपनी चूत दे कर एक बहुत बड़ा उपकार किया है' रमेश बोला। उषा यह सुन कर बोली- वो कैसे'। तब रमेश बोला- अरे हमारी माताजी अब बुड्ढी हो गई है और उनको टांगे उठाने में तकलीफ़ होते है, लेकिन पिताजी अभी भी जवान हैन। उनको अगर घर पर चूत नहीं मिलती तो वो जरूर से बाहर जाकर अपना मुंह मारते। उसमे हम लोगो कि बदनामी होती। हो सकता कि पिताजी को कोई बिमारी ही हो जाती। लेकिन अब यह सब नहीं होगा क्योंकि उनको घर पर ही तुम्हारी चूत चोदने को मिल जाया करेगा।'

'तो क्या मुझको पिताजी से घर में बार बार चुदवाना पड़ेगा?' उषा ने पलट कर रमेश से पूछा।

'नहीं बार बार नहीं, लेकिन जब उनकी मरज़ी हो तुम उनको अपनी चूत देने से मना मत करना।'

'लेकिन अगर तुम्हारी माताजी ने देख लिया तो?' उषा ने पूछा।

'तब की बात तब देखी जायेगी' रमेश ने कहा।

फिर उषा और रमेश अपने घर आ गये और वे अपने अपने कम पर लग गये। रमेश अब पूरी तरह से ड्यूटी करता और रात को उषा को नंगी करके खूब चोदता था। गोविन्द जी भी कभी कभी उषा को मौका देख चोद लेते थे। फिर कुछ दिनो के बाद उषा और रमेश साथ साथ उषा के मैके गये। ससुराल में रमेश का बहुत आव-भगत हुअ। उषा के जितने रिशतेदार थे उन सभी ने रमेश और उषा को खाने पर बुलया। रमेश और उषा को मज़े ही मज़े थे। अपने ससुराल पर भी रमेश उषा को रात को दो-तीन दफ़ा जरूर चोदता था और कभी मौका मिल गया तो दिन को उषा को बिसतर पर लेटा कर चुदाई चालू कर देता था। एक दिन रमेश पास की किसी दुकन पर गया हुआ था। उषा कमरे में बैठ कर पेपर पढ़ रही थी। एकाएक उषा को अपनी मा, रजनी जी के रोने कि अवाज़ सुनाई दिया। उषा भाग कर अन्दर गई तो देखा कि रजनी जी भगवानजी के फोटो सामने खड़ी खड़ी रो रही है और भगवानजी से बोल रही है,

'भगवन तुमने ये क्या किया। तुम मेरे पति इतनी जल्दी क्यों उठा लिया और अगर उनको उठा लिया तो मेरी बदन में इतना गर्मी क्यों भर दिया। अब मैं जब जब अपनी लड़की और दामाद कि चुदाई देखती हूं तो मेरी शरीर में आग लग जती है। अब क्या करूं? कोइ रास्ता तुम्ही दिखला दो, मैं अपनी गर्म शरीर से बहुत परेशान हो गई हूं।' उषा समझ गई कि क्या बात है। वो झट अपनी मा के पास जकर मा को अपने बाहों में भर लिया और पीछे से चूमते हुए बोली,