अंतरंग हमसफ़र भाग 255

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9.9 गर्म और गीली प्रेम पुजारिन
2.5k words
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Part 255 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 9

गर्म और गीली

मैंने एक हाथ से जीवा की ड्रेस का निचला भाग जो की एक शर्ट की तरह था उसके घुटने के ऊपर तक उठा दिया और अपना हाथ अंदर डाल कर उसकी पेंटी को छूने लगा। हाथ लगाते ही मैंने महसूस किया जीवा तो पहले से ही गर्म और गीली हो चुकी थी।

मैंने जीवा के दोनों पर्वतों के ऊपरी हिस्से को चूमना जारी रखा। और फिर मैं उसके ओंठो को चूमने लगा । जब मैंने उसकी पेंटी पर हाथ लगा कर गिला-गिला मह्सूस किया तो वह रे सीने से लिपट गई और मुझे चूमने लगी। । फिर वह उठी और मेरे ऊपर सवार हो गई और अपनी दोनों बड़ी-बड़ी छातियों का भार मेरे मुंह के ऊपर रख दिया और अपनी छातियों को मेरे मुंह पर घिसने लगी। वह चाहती थी मैं जीवा की बड़ी-बड़ी छातियों को अपने मुंह में लेकर चूसु मैंने पहले उनका चुम्मा लिया और फिर उसने बेदर्दी से चूसने लगा । एक बार फिर वह मेरे से दूर हुई और मेरे होठों को चूमने लगी । मेरे आँखों में अब जीवा के लिए सिर्फ हवस थी। मेरा लंड खड़ा और कड़ा होने लगा था ।

कमरा चांदनी रौशनी में नहाया हुआ था और उस रौशनी में जीवा बेहद खूबसूरत लग रही थी।मैं थोड़ा जीवा की पीछे गया और उसकी पीठ को उसकी चोली के ऊपर से चूमने लगे मेरा हाथ जीवा के नंगे पेट और नाभि को मसल रहा था। ।और उसकी गांड पर अपना लंड दबा रहा था ।

धीमी गति से चुंबन करते हुए उसकी गर्दन पर मैंने चुंबन किये जिससे जीवा कराहने लगी। इस तरह मैंने जीवा के नंगे कंधे को चूम लिया। मैंने उसे पट्ट लिटा दिया। मैंने धीरे से उसकी गर्दन को चूसा जिससे जीवा फिर से कराहने लगी। अपने होठों को अलग करते हुए, मैंने उसे उस प्यार से एक छोटे से निशान से लेकर उसके कान के निचले हिस्से तक चूमते हुए उसकी कामुक गर्दन को अपनी जीभ की नोक से गीला कर दिया। उसने धीरे से उसके कानों को चूसा, उस पर अपने होठों से किस किया। फिर अपनी जीभ उसके पूरे कान के बाहरी हिस्से पर घुमाई, फिर जीभ की नोक उसके कान के अंदर गुसाई तो वह फिर इसससस करती हुई कराह उठी और फिर धीरे से उसके कान के नीचे की लटकन को चूसने लग गया।

मैं जो कुछ कर रहा था, उसकी कामुकता पर जीवा चकित थी।

उसका मन नियंत्रण से बाहर हो रहा था और उसका शरीर पहले से ही खुशी की लहर पर सवार था, जिसकी तीव्रता धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिखा रहा था। मेरे होठ उसके कान से उसकी गर्दन पर फिर से चले गए और फिर मैंने उसकी गर्दन पर कामुक नरम चुम्बन किये और उसकी गर्दन को चाटा। उसकी आँखे बंद थी। जैसे मैं उसे किस कर रहा था उससे उसने अनुमान लगाया के अब मैं उसेने कंधो पर किस करूंगा।

फिर मैंने उसे कंधो को किस किया और उन्हें चाटा फिर ऐसे ही उसकी पीठ में रीढ़ की हड्डी को किस किया और पूरी पीठ को चाट डाला। और फिर वापिस उसकी गर्दन पर ऊपर की तरफ चाटने लगा । मैंने उसके नंगे कंधे को चूम लिया। मैं धीमी गति से चुंबन करते हुए उसकी-उसकी गर्दन और फिर कान पर-पर चुंबन रोपण किये जिससे जीवा कराहने लगी।

फिर मैंने उसे पलट दिया और अब अपने ओंठ उसके माथे पर ले गया मेरे होठ उसके माथे पर चले गए और फिर मैंने उसकी आँखों में से प्रत्येक पर एक कामुक नरम चुम्बन किया। उसके गाल उसके नाक और फिर उसकी ठोड़ी। जीवा की आँखे बंद थी। जैसे मैं उसे किस कर रहा था उससे उसने अनुमान लगाया के अब मैं उसे ओंठो को किस करूंगा।

बेसब्री से मेरे होठों का अपने होठों का अनुमान लगाते हुए, जीवा ने अपना सिर ऊपर कर लिया ताकि हमारे ओंठ मिल जाए लेकिन मैंने उसके ओंठो पर अपनी कुछ गर्म साँसे छोड़ी जिससे उसे मालूम हो गया मेरे ओंठ उसके ओंठो के ऊपर ही मंडरा रहे हैं, इतना पास के उसे मेरे ओंठो का अनुमान लगता रहे पर किस न हो। हमारी साँसे तेज चल रही थी मेरी गर्म सांसे वह मह्सूस कर रही थी और मैं उसकी गर्म साँसे महसूस कर रहा था।

उसने अपने होंठ अलग किए और मुँह खोला और फिर से अपना सर उठा कर मुझे चुंबन करने की कोशिश की, लेकिन मैंने अपना सर उतना ही पीछा कर लिया जितना उसने उठाया था ताकि ओंठो का चुम्बन उसकी पहुँच से बाहर रहे। वह व्यग्र हो उठी और आँखे बंद रखते हुए बोली"मेरे ओंठो पर चुम्बन कीजिये प्लीज, मेरे ओंठो को क्यों तरसा रहे हो आप, प्लीज, मुझे अपने ओंठ दीजियेl" जीवा ने मुझसे गुहार लगायी और उसने अपने ओंठ खोलते हुए जीभ को लहराते हुए अपना सर और ज्यादा ऊपर उठा दिया। वह तड़प उठी थी।

मैं उसकी तड़प को और नहीं देख सका और अपने खुले मुंह को उस के मुँह पर लगाया। अब इस के बाद व्यग्रता के कारण जीवा ने ऐसा तीव्र चुंबन किया जिसकी तीव्रता बहुत अधिक थी। यह किस काफी लम्बा चला ये क्षण सिर्फ मेरा और जीवा का था, इस क्षण और कुछ महत्त्व नहीं रखता था, कुछ नहीं और कुछ भी अस्तित्व में नहीं रहा। वह मेरी थी और मैं उसका था। शरीर, मन और आत्मा दोनों एक हो गए।

शाश्वत प्रेम में डूबे हुए प्रेमी, पता नहीं कितनी देर तक एक दुसरे को चूमते रहे, ऐसे जैसे कोई जन्मे के बिछड़े प्रेमी मिल गए हो। हम प्रेमियों ने एक दूसरे को, अपने हाथ और पैर, शरीर के चारों ओर लपेटकर चूमा। कभी मैं ऊपर कभी वह ऊपर बस पागलो की तरह चूमते रहे। जीवा ने कब मेरी शर्ट और पतलून और अंडरवियर को उतार डाला और अपनी उंगलियों को मेरी नंगी पीठ के ऊपर और नीचे दौड़ाया, धीरे से उसने अपने नाखूनों को नेरी पीठ की त्वचा पर रगड़ दिया। मेरी उंगलियों ने उसकी ड्रेस और पेंटी को पता नहीं कब उतार डाला मेरा स्पर्श उसकी निर्दोष चिकनी रेशमी त्वचा जो काफी गर्म थी उसे महसूस कर रहा था।

मैंने हाथ नीचे खिसकाया और धीरे से उसकी गांड को सहलाया। जैसे-जैसे हमारे होंठ और जीभ अपने हमले जारी रखते थे, मेरे हाथ उसकी चिकनी पीठ और उनके कामुक नितम्बो के गालो को ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैंने धीरे से अपने हाथों से उसकी गांड को दबाया तो जीवा ने मुझे और भी अधिक आक्रामक तरीके से चुंबन करते हुए जवाब दिया। मैंने उसकी गांड की दरार में अपनी उंगलियाँ फँसा दी और उसकी गीली चूत तक पहुँच धीरे से अपनी उंगली उसके ऊपर चलाई। अपनी उंगली पर गीलेपन का आनंद लेते हुए, उसने उसकी चूत को रगड़ा और अपनी उंगली से उसकी चूत के दाने को दबाया। मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा उसे जैसे करंट-सा लगा और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उसका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया थाl

"ऊह यस।" जीवा कराही और उसने चुंबन तोड़ दिया। उसने वासना भरी आँखों से मुझे देखा और उसे फिर मुझे उतनी ही उत्तेजना से दुबारा चूमा, मैंने अपने जीभ उसके मुँह में सरका दी तो वह मेरी जीभ चूसने लगी। मेरा हथियार अपने पूरे जोश पर था वह भी उसके बदन पर अपने चुम्मे दे रहा था उसकी प्रेम की गुफा में प्रवेश के लिए मचल रहा था। मैं अभी भी अपने हाथों को उसकी पीठ और नितंब पर चला रहा था।

वह मेरा लिप किस में भरपूर साथ दे रही थी फिर मैंने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगीl मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगाl जीवा का मुझसे कस कर लिपट गयी और अपने एक हाथ से एक उंगली जीवा की नाभि में अंदर बाहर करने लगे। जीवा कामुक हो तड़पने लगी।

मेरा दूसरा हाथ थ अब उसके स्तनों पर पहुँच गया मैंने चुम्बन करते-करते उसके गोल-गोल बूब्स को पहले सहलाया फिर ब्रा के ऊपर से ही दबायाl मैंने महसूस किया उसके बूब्स बहुत नरम मुलायम गोल और सुडोल थेl मेरे हाथ को उसके निप्पल जो उत्तेजना के अतिरेक से कड़क मह्सूस हुए और लगा अब समय आ गया है कि हम कामुक सुख भरी डुबकी का आनंद ले सके l

मैं जीवा के गुलाबी रसीले होंठों को बड़े प्यार से धीरे-धीरे हल्के-हल्के चूमने लगा।जीवा भी मेरा पूरा साथ दे रही थी । चुंबन। थोड़ी देर में जीवा और मेरा चुंबन, फ्रेंच किस में बदल गया । दोनों की जीभ आपस में टकराने लगी थी। दोनों एक दूसरे को बुरी तरह चाटने लग रहे थे। एक दूसरे के होंठों को। एक दूसरे की जीभ को।चाट और चूस रहे थे ।

मैंने उसके बूब्स को सहलाया मैंने उन्हें गौर से देखा और उसके स्तनों की मालिश करना शुरू कर दिया। उसकी ओंठो पर किस किया फिर उसकी ठोड़ी पर गर्दन पर किस करते हुए धीरे-धीरे उसके स्तनों की और बढ़ा उसके दाए स्तन को किस किया और फिर स्तनों के बीच की घाटी को किस करके चाटा और फिर उसके दाए स्तन को किस किया और चाटा क्योंकि मैं उसके दायी और ही था l फिर उसके स्तनों के नीचे मुँह लेजाकर स्तनों के निचले हिस्सेको भी चूमा और चाटा l जहाँ उसके स्तन उसकी छाती से मिलते थे वहाँ चूमा तो वह कराह उठी l फिर धीरे-धीरे चूमते हुए उसके निप्पल की और बढ़ने लगा उसके निप्पल उत्तेजने से एकदम खड़े हो कर मुझे आमंत्रित कर रहे थे प्लीज हमे चूसो उधर जीवा आँखे बंद कर लेटी हुई थीl

आगे जो हुआ वह मेरे लिए बहुत मुश्किल था पर मैंने पता नहीं कैसे कर लिया मैंने उसके निप्पल को न तो चूमा न चूसा l एक दो फूक मारी और उनके आस पास चूमते हुए सारे स्तन को चूमने लगा और मेरा लंड नीचे जीवा की योनि के द्वार पर ठोकर मार रहा था फुफकार रहा था वह जानती थी कि मेरा मोटा मुसल लंड उसके गुलाबी छेद का रास्ता तलाश रहा है।

मैंने मन ही मन फैसला कर लिया था कि अब मैं अपना लिंग जीवा की चूत में गहराई तक पेल कर ही दम लूँगा।

मैंने जीवा के एक स्तन पर अपना मुंह रख दिया और उसके निप्पल औअर स्तन को मुंह में लेकर चूसना लगा। आओर एक हाथ से उसके दुसरे स्तन को मसलने लगा और दुसरे हाथ से ऊके नितम्ब मसलने लगा जीवा की इस तिहरी मार से कराह निकलने लगी। वह ऐसे सिसकारने लगी जैसे एक औरत अपने पति के साथ बिस्तर में आनद भरी सिसकारियाँ निकालती है। जीवा मुझे अपनी बाहों में जकड़ कर अपनी छाती अपनी चूची पिलाती हुई मदमस्त होने लगी थी।

पियो मेरे राजा चूसो जोर से चूसो: आआह्हीईईईईईईईईईइह्ही।अह्ह्ह।

मैं अपना लौड़ा जीवा के त्रिकोण पर रगड़ने लगा जीवा के गुलाबी छेद पर मेरा डंडा खड़ा दस्तक दे रहा था। जीवा अपना संयम खोने लगी थी। हम दोनों एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते थे।

मैं जीवा के स्तनों, ओंठो को जंगली अंदाज में चूमने चाटने में लगा हुआ था और मुझे जीवा का बेहद नरम गरम और मुलायम बदन बहुत अच्छा लग रहा था। बेशक मैंने बहुत सारी लड़कियों और औरतों के साथ संभोग किया था पर जीवा का आकर्षण कुछ अलग ही नशीला था। जीवा का बदन मांसल और नरम था इसलिए मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

मैंने जीवा के योनि क्षेत्र के त्रिकोण पर अपने मुसल का दबाव बढ़ा दिया था। । मैं ऊपर की ओर आकर एक बार फिर जीवा के रसभरे होठों को चूमते हुए लंड उसकी योनि क्षेत्र पर दबा रहा था ।

मैंने फिर अपना खूंखार लंड जीवा के छेद पर टिका दिया। जीवा को एहसास हो गया था। तकरीबन 10 इंच लंबा 3 इंच मोटा लौड़ा उनके त्रिकोण के ऊपर रगड़ खा रहा था। जीवा मेरे लंड के मजे ले चुकी थी और उसे एहसास था कि मेरा लंड कितना बड़ा मोटा और खूंखार है। उसने डरते डरते नीचे देखा तो मेरे मोटे काले रंग के लंड पर मोटी मोटी नस दिख रही थी।लंड उसकी योनि के त्रिकोण को रगड़ रहेा था । जीवा कांप उठी और मेरे साथ चिपक गयी तो उसे गर्मी का एहसास होने लगा।

चेहरे पर मुस्कान के साथ, मैंने उसके नग्न शरीर को अपनी छाती से चिपका लिया। उसके स्तन मेरी छाती पर दब गए और मेरा लंड उसकी चूत को चुम्बन करने लगा।

मैंने धीरे से अपनी उँगलियाँ की और जीवा की नंगी पीठ पर ऊपर नीचे की मेरी उंगलियाँ उसकी रीढ़ की हड्डी के एक एक मनके को महसूस करते हुए धीरे से उसके नितम्बो की दरार में से होते हुए उसके नितम्बो पर दबाव डाला तो जीवा ने आहें भरी। उसकी उंगली उसके गोल नरम पर सुदृढ़ नितम्बो पर गोल घूमी फिर नितम्बो को सहलाया।

ऐसा करने से मेरा लंड उत्तेजना की ताजा स्थिति के रूप में उठा और उसकी योनि का दरवाजा खटखटाने लगा।। मेरी उंगलियों ने उसकी योनि की दरार को महसूस किया फिर धीरे से एक फिर दूसरी अंदर सरका दी मेरी ऊँगली का अग्रभाग उसके रस से डूब गया।

फिर मैंने उंगलिया ऊपर नीचे की और उंगलियों की मदद से दरार की थोड़ा फैलाया और लंड मुंड का अगर भाग दुसरे हाथ से लंड की पकड़ कर दरार पर रगड़ कर जीवा की चूत की छेद की द्वार पर लगा दिया। अब वो सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वो अहाह! आहहह! आहहह! कर रही थी। अब उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी सनसनी होने लगी थी।

उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया उसका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया। जीवा को पहली चुदाई में ही मेरे लिंग की मोटाई और लंबाई का एहसास हो गया था उसे अच्छी तरह पता था कि मेरे पास क्या चीज है। और फिर वो अपने छोटे छेद के बारे में सोचने लगी । उसकी योनि पहली चुदाई के बाद बुरी तरह से सूज गयी थी और वो कुछ दिन दर्द के मारे ठीक से चल भी नहीं पायी थी।

मैंने जीवा को अपनी बाहों में भर लिया और उसकी योनि क्षेत्र में अपना हथियार घिस रहा था मेरा एक हाथ जीवा के पेट पर था। उंगलिया । नाभि में थी और दूसरा हतः उसके स्तनों पर था और उसके निप्पल को मैं मसल रहा था ।और अपनी टांग से जीवा की टांग रगड़ रहा था । जीवा की योनि के पास दोनों जांघों के बीच अपने मुसल लंड को सटाए हुए मै जीवा से प्यार कर रहा था। मैं जीवा के गाल और गर्दन को चूमने के बाद उसके बीच बीच में ओंठ चूम रहा था । अब जीवा मेरी पीठ पर हाथ रख कर मुझे अपने पास धकेल रही थी जिससे मुझे एहसास हुआ कि अब जीवा भी शारीरिक संबंध के लिए तैयार हो चुकी है। मैंने जीवा का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और फिर अपने दोनों मजबूत हाथों में उसकी दोनों चूचियां थाम के दबाने लगा और मसल के बुरी तरह से निचोड़ डाला जीवा कराह उठी।

जीवा की सांसे भारी होने लगी थी। मैं जीवा के ऊपर दबाव बनाने लगा और सब कुछ बड़े प्यार से हो रहा था।मैंने फिर जीवा के ऊपर सवार हो गया मेरा तगड़ा हथियार अभी भी जीवा की जांघों के बीच के त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था। और जीवा की योनि गीली हुई जा रही थी। चूचियां छोड़कर मैंने अपना हाथ नीचे किया और उसकी गांड को अपने हाथों में दबोच लिया। अब मेरा चेहरा जीवा की छाती पर था। वो तड़प रही थी। मचल रही थी ।सिसक रही थी।मुझे हाथो में उसके बाह रहे योनिरस से गीलापन महसूस हुआ जीवा अब पूरी तरह से गीली होने लगी थी। मुझे जीवा की उत्तेजना की स्थिति का एहसास हो चुका था।

आगे क्या हुआ -- ये कहानी जारी रहेगीl

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