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Click hereमेरे अंतरंग हमसफ़र
नौवा अध्याय
डॉक्टरी की पढ़ाई
भाग 11
गर्म और गीली पर्पल
जीवा मजे और आनंद से कराह रही थी आह हाय ओह्ह्ह! पर्पल हमारी चुदाई देख कर उत्तेजित हो अपने स्तन दबा रही थी और योनि में ऊँगली कर रही थी और पर्पल ने भी अपने नीचे के कपड़े निकाल दिए थे । लेकिन मेरे ध्यान अभी जीवा पर ही था । जीवा पर मुझे बहुत प्यार आ रहा था और मैं जीवा के बदन को चूम और निहार रहा था जीवा के उतार चढ़ाव, कटीले बदन का जायजा ले रहा था प्रेम और सेक्स की देवी की पूरी कृपा है इसके रूप रंग, इसके हुस्न और जवानी पर ये साक्षात दिख रहा था। मैं जीवा के बदन को निहारते हुए अपने ख्यालों में गुम था।
धीरे-धीरे मैंने मेरे लिंग की घुंडी की संवेदनशील त्वचा को सहलाना और छेड़ना शुरू कर दिया। जल्द ही, मेरे हाथों ने मेरे लिंग को जकड़ लिया। फिर मेरे विचारो में जीवा, पर्पल, कसंद्रा, केप्री और मोनिका की छवियाँ घूम रही थी जिनमे कुछ जो मैंने देखा था उसकी यादें थीं, अन्य जो मैं देखना और करना चाहता हूँ उसकी कल्पनाएँ थीं। मेरी आंखें बंद-बंद हो गयी थीं और मैं बाकी दुनिया से पूरी तरह बेखबर था, इसलिए जब मुझे अपनी गेंदों पर एक गर्म हाथ कप महसूस हुआ तो यह पूरी तरह से झटका था।
"आपको खुद ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है," उसने अपने चेहरे पर एक तीखी मुस्कान के साथ कहा, "अगर आप कुछ चाहते थे तो मुझे बुला लेते" और इसके साथ ही, वह नीचे झुकी और उसकी जीभ ने मेरे लंड की नोक में गुदगुदी की। जैसे ही वासना का विद्युत प्रवाह प्रवाहित हुआ मैं उछल पड़ा।
उसने अपने हाथों से मुझे सहलाना शुरू कर दिया।
मेरी आँखें झटके से खुली और चौड़ी हो गईं क्योंकि मैंने देखा कि पर्पल फर्श पर बैठी हुई मेरे अंडकोष को सहला रही थी। फिर पर्पल आगे हुई और मेरे साथ चिपक गयी और मैंने जीवा को देखा और पर्पल ने मुझे चूमा और मैंने पर्पल की योनि को सहलाया और उसे गर्म और गीली और त्यार पा कर अपना बड़ा सख्त लंड पर्पल की योनि में एक ही झटके में पूरा घुसा दिया और मैंने उसे जोर से चोदना शुरू कर दिया जल्द ही वह खुशी और मजे में चिल्ला रही थी ओह मेरी! ओह मर गयी!
मैं उसे जोर-जोर से उसे चोद रहा था। पर्पल ने अपने चुतरस से मेरे लंड को पूरा गिला कर दिया था। मैंने अपने कूल्हों को जोर से और जोर से धक्के मारे मेरे लिंग की पूरी लंबाई उस सेक्स से भरी योनी के अंदर और बाहर जा कर उसके गर्भशय के मुँह से टकरा रहा था। मेरे वीर्य से भरे हुए बड़े-बड़े अंडकोष ठप्प-ठप्प की आवाज करते हुए से उसकी गांड पर टकरा रहे थे।
राजकुमारी पर्पल जो की अब महायाजक बन चुकी थी उसने अपनी गांड हिला-हिला कर मेरा साथ दिया, मैंने अपनी टांगो को उसके टांगो पार और जांघो पर मसला और उसने अपनी टांगो को मेरी मजबूत पीठ के चारों ओर लपेट लिया, उसके स्तनों का विशाल वजन मेरी लचीली मांसपेशियों के खिलाफ नरम हो गया, उसकी बाहें मेरे कंधो के चारों ओर पहुँच गईं। पर्पल की योनि ने मेरे लंड को कस कर पकड़ लिया था, उसकी योनी अब चुदाई के तेज धक्के झेल रही थी और वह आह ओह्ह करती हुई बार-बार हर धक्के के साथ कराह रही थी। मैंने और तेज गति से पर्पल को चोदना जारी रखा।
जल्द ही मैं होने वाले विस्फोट की आहट महसूस करने लगा। मैंने थोड़ा पीछे हो कर उसे चूमा और अपना लिंग बाहर निकाल लिया अगले ही पल पर्पल की जीभ लिंग की घुंडी पर नाच रही थी। लिंगमुण्ड फूल गया था और धड़क रहा था । उसने भी होने वाले विस्फोट की आहट को महसूस किया और मेरे लिंग को पकड़ लिया और उसे अपने मुंह में ठूंस लिया, फिर वह लिंग को लयबद्ध तरीके से जोर से चूस रही थी। मेरे हाथ उसके स्तनों पर गए, अपनी महायाजक की पोशाक के नीचे एक कड़े अंगवस्त्र में लिपटी सामग्री के बीच से उसके स्तनों की धीरे से मालिश करने लगा। मैं उसके कराह को सुन सकता था जब मैंने उसके एक निप्पल को मरोड़ दिया था और अपनी उंगलियों से उसे मसल दिया।
मेरे एक हाथ ने प्रतिरोधी कपड़े में एक रास्ता खोज लिया था और अब चिकने मांस पर अपना रास्ता तब तक बनाया था जब तक कि उसे उसके निप्पल तक नहीं पहुँच गया और उस नग्न स्तन और चूचक को सहलाना और मरोड़ना शुरू कर दिया। मेरा दूसरा हाथ उसकी योनि में गया और उसके दाने को छेड़ने लगा ।
जैसे-जैसे उसकी कामोत्तेजना बढ़ती गयी उसका स्खलन नजदीक आता गया उसका कराहना बढ़ता गया। पर्पल की पीठ अकड़ कर ऊपर उठ धनुषाकार हो गई और फिर उसका बदन काम्पा और वह स्खलित हो गयी। जब उसके स्खलन कुछ कम हुआ तो उसने अपने विशाल, रसीले होंठों को मेरे लंड मुंड पर घुमाया। पर्पल ने अपना हाथ मेरे लंड के आधार के चारों ओर लपेटा, अपने होठों से वह मेरे लंड को चूमती हुए चूस रही थी । उसका दूसरा हाथ मेरी बड़ी गेंदों को प्यार करने के लिए नीचे गया, हालांकि उसे मेरे लंड और अंडकोषों के ने विशाल आकार के कारण एक-एक करके उन पर ध्यान देना पड़ा।
वो साथ-साथ मेरा लिंग जोर से चूस रही थी और मैं हांफने लगा और उसे पता चल गया कि क्या होने वाला है। उसने मेरे लिंग को अपने मुँह में बंद कर लिया क्योंकि मैंने सफेद गाढ़े तरल की चार या पाँच तेज़ धारियाँ मारीं जिन्हे उसने लालच से निगल लिया, कुछ वीर्य बारे निकला जिसे तब तक थोड़ा सम्मान्य हो गयी जीवा ने चाट कर साफ कर दिया और पर्पल ाइर जीवा ने तब तक चूसना और चाटना जारी रखा जब तक कि मेरा लिंग किसी भी स्खलन से साफ नहीं हो गया। हालांकि यह अभी भी सीधा था, लेकिन हम दोनों जानते थे कि रात के भोजन का समय पास आ गया था।
"वह अद्भुत था!" मैंने कहा, वास्तव में नहीं जानता कि मुझे और क्या कहना चाहिए।
"मुझे आपकी सेवा कर खुशी हुई," उसने जवाब दिया, "आप जानते है मुझे आपका लिंग बहुत पसंद है और उसे चूसना उस से भी ज्यादा पसंद है" और इसके साथ ही, उसने मुझे मेरे होठों पर चूमा और जाते ही अपनी ड्रेस ठीक करते हुए खड़ी हो कमरे से बाहर रसओ घर की तरफ चली गई। मैं विश्वास नहीं कर सकता था कि अभी क्या हुआ था और थोड़ा उलझन में था कि ऐसी परिस्थितियों में क्या करना चाहिए। तभी मैंने मोनिका की आवाज़ सुनी जो मुझे रात के खाने के लिए बुला रही थी और मैंने जल्दी से अपना लिंग वापस अपनी पैंट में डाला और नीचे डाइनिंग हॉल की ओर बढ़ गया।
कहानी जारी रहेगी