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दशम अध्याय
आनंद की तालाश की यात्रा
भाग 11
पार्टी
मैंने अपने दोनों हाथ मिला के रसीले, अच्छी तरह से गोल स्तन पर रख उन्हें निचोड़ दिया और उसके बड़े निप्पलो को पिंच कर दिया। मुझे उसकी कंपकंपी महसूस हुई और वह मेरे साथ कस कर चिपक गयी और कराहने लगी। मैंने उसके चेहरे की ओर देखा। वह कराह रही थी। क्या यह डर, दर्द, मजे या तीनो से था? उसने मुझे चोदना शुरू किया, उसकी योनि बहुत टाइट थी । बिलकुल मेरे लंड को उसने कस क्र जकड़ लिया था पहले तो धीरे से वह मुझे चोदने लगी, फिर और भी बेरहमी से जैसे-जैसे मैं इस अहसास की अभ्यस्त हो गया उसककी गति बढ़ती गयी। जैसे ही मैंने उसे चोदा वह फुसफुसायी। मैं इतना गर्म और उत्तेजित हो गया कि मुझे अब कोई परवाह नहीं थी। मैंने उसका चोगा उसके स्तनों के ऊपर खींचा और उसके निप्पलों को खींचा। मैंने लैरी की तरफ देखा। वह भी अपने नीचे लेटे हुए लड़के को जोर से चोद रही थी, उसके लिंग में अपनी योनि को पीस रही थी।
लैरी अपने छेदे हुए निप्पलों से लड़के का मुँह छेड़ रही थी। मैंने मिला के निप्पलों को चूसा और उन्हें चबाया। लैरी उस लड़के पर झुक गई और उसके होठों पर निप्पल रख दिया। उसने अपना मुँह खोला और उसे चूसने लगा। इससे लैरी और उत्तेजित हो गयी और उसे आगे उत्कर्ष के लिए धकेल दिया। उसे उत्तेजित होती देखकर मिला ने मुझे और तेज़ चोदना कर दिया। दूसरी मेज पर लैरी अब भी उस लड़के के मुंह में निप्पल डाल कर उन्हें खिला रही थी।
लैरी जोर से कराह रही थी। इससे पहले कि वह यह जानती वह तेजी से कांपने लगी जिससे स्पष्ट था कि वह संभोग कर रही थी, महसूस कर रही थी कि स्खलन से कम्पन की लहरें उसके अंदर टकरा रही हैंऔर उसकी हर तंत्रिका अंत में आग लगा रही थी । मिला मेरी सवारी करती रही, वह एक बार षक्लित हुई और उसके बाद भी ऊपर नीचे होती रही और ओर्गास्म महसूस करती रही। फिर लैरीके नीचे लेटा हुआ लड़का चिल्लाया और वह महसूस कर सकती थी कि लड़के का लंड उसके अंदर सूज गया है और फिर एक गर्म गीला एहसास।
उसका लंड फड़फड़ाया, बीज का स्खलन हुआ और उसने पिचकारी मारी, लैरी के खुले गर्भाशय ग्रीवा को छलनी कर दिया और वह फिर से कांपने लगी। उसे ओर्गास्म महसूस करते देख मिला को फिर से कामोन्माद हो गया। ओह, बहुत अच्छा लगा। मैं उसे तब तक चोदता रहा जब तक कि मिला फिर से नहीं आयी और मैं मिला में स्खलित हो गया। फिर मिला उत्तरी, उसके पैर मुश्किल से जमीन पर टिके और वह वहीँ लेट गयी।
मेरे ऊपर एक अन्य औरत आ गयी, जो तेजी से अपने पहली कामोत्तेजना की ओर बढ़ रही थी। अब दो लड़किया आ कर मुझे यहाँ वहाँ चूमने लगी और मेरे बदन को सहलाने लगी । जल्द ही मैं फिर से स्खलित हुआ और मेरा लिंग अब अर्ध उत्तेजित था । मैं मेज से उतरा और कमरे से बाहर आया ।
मैं लैरी से चेंबर के बाहर वाले कमरे में मिला। वह निस्तेज दिख रही थी, फिर भी संतुष्ट थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे वापस लाइन के अंत तक ले गई और हमने एक और मोड़ लिया। अब लैरी ने मुझे चूमा और मैंने एक बार लैरी के साथ उसी कमरे की साइड में जमीन पर संभोग किया चुदाई के दौरान उसकी योनी की मांसपेशियाँ मेरे लिंग को निचोड़ रही थीं। जब वह स्खलित हुई तो जोर से चिल्लाई और बेहोश हो गई। धीरे से मैंने गीले ' लिंग को उसकी योनी से बाहर निकाला। मैं उसके बगल में लेट गया। । फिर मैंने देखा कि एक लड़के ने इतनी चुदाई की थी कि वह दर्द से कराह रहा था और उसके साथ में संभोगरत औरत संभोग सुख में रो रही थी।
मैं सोच रहा था कि मिला की योनि कितनी कसी हुई थी और उसे कितना मज़ा आया। हम एक साथ नहाये, किस किया और एक दूसरे को प्यार किया। हमने एक कमरे में जा कर बिस्तर में अपना प्यार करना जारी रखा। फिर मैंने पार्टी छोड़ कर जाने का निर्णय किया और मैंने अपने कपड़े वापिस पहन लिए । वापसी में मैंने देखा बहुत सारे लोग चुदाई के घमासान के बाद थक कर नग्न लेटे लेते हुए थे या सो रहे थे या दारु या वाइन पी रहे थे ।
रास्ते में लैरी ने मुझे ज़ोराना से मिलवाया, एम्स्टर्डम की एक प्रतिष्ठित सुंदरी, जो वहाँ के एक रईस राजसी परिवार से सम्बंधित थी। ज़ोराना बीस की विधवा थी! उसकी कुछ लगभग महीने पहले ही शादी हुई थी और शादी के लगभग एक सप्ताह के बाद उसके पति की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी।
ज़ोराना एक कुलीन स्त्री की तरह चलती थी और एक रूपसी देवी के रूप में गर्व और घमंडी दिखती थी, उसके अंडाकार चेहरे और राजसी आकृति ने मुझे बहुत आकर्षित किया और मैंने उसे देखते ही तुरंत निश्चय कर लिया कि यदि संभव हो तो उसे अपना बनाऊंगा।
उसके साथ बातचीत करते हुए, मुझे एहसास हुआ कि वह मेरी कंपनी से खुश थी और मेरे व्यक्तित्व से-से भी कुछ प्रभवित थी।
ज़ोराना, जैसा कि वह अन्य यूरोपीय लोगों की ही तरह बड़ी मात्रा में ब्रांडी पीने की शौकीन थी। इसका एक कारण ये भी था कि वह वास्तव में अपनी पति के दुखद निधन के बाद एक बड़े महल में अकेली रहती है, उसके साथ कोई और नहीं सिर्फ उसके नौकर और नौकरानियाँ थे, उसने उस रात मेरे साथ बाते करते हुए इतनी ज्यादा पी ली थी की वह ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी ।और ये जानकर कि वह अपने निवास पर अकेली होती है मैंने उसी रात उसे अपना बनाने का संकल्प लिया।
देर तक मैं उसे ब्रांडी पिलाता रहा और वह इतनी उत्तेजित हो गई कि खुद पर काबू नहीं रख सकी। मैं रात भर उसके बगल में तब तक बैठा रहा और उससे बाते करता रहा, जब तक कि पार्टी समाप्त नहीं हो गयी। मैंने विनम्रतापूर्वक उसे उसके घर तक छोडने की अनुमति मांगी।
कहानी जारी रहेगी