अंतरंग हमसफ़र भाग 315

Story Info
10.23 श्रृंगार
1.1k words
0
49
00

Part 315 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

मेरे अंतरंग हमसफ़र

दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 23

श्रृंगार

माल मैनेजर ने सामान कार में रखवा दिया और मैं अंदर उसके साथ बैठ गया। हमने एक-दूसरे को देखा और मुस्कुराए, लेकिन फ्रेया कुछ उदास लग रही थी।

मैंने उसे पानी दिया और उसने थोड़ा-सा पानी पि लिया कार धीरे-धीरे चलने लगी फिर हम होटल की और चल दिए।

जैसे ही गाडी माल के गेट से आहर निकली मैंने फ्रेया की आँखों में देखा, वे मुस्कुरा दी लेकिन एक आंसू उसके गाल पर लुढ़क गया। फिर उसने बिना एक शब्द कहे नीचे की ओर देखा। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी ठुड्डी के नीचे रखा और उसका चेहरा उठा लिया और पुछा क्या बात है आप क्यों उदास हो? क्या तुम ठीक हो?

वह बोली दो दिनों में ही सब कुछ बदल गया अब अपनी मम्मी पापा और मंगेतर से दूर आपके साथ हूँ। "

"हाँ।?" मैंने धीरे से कहा।

वो बोली लेकिन अब मैं अपनी मम्मी पापा से दूर हो रही हूँ और अब सब बदल जाएंगा!

"क्या आप चाहती हो? क्या आपको लगता है कि आपने कोई गलती की है; क्या आपको अभी भी कोई डर है?"

नहीं ये तो मेरा बेस्ट निर्णय था । मुझे पता है आप मुझसे कितना प्यार करते हो? पर मैं सबको मिस करुँगी ।

'जानेमन हर चीज का एक समय और मौसम होता है: काम का समय, रोने का समय, हंसने का समय और प्यार करने का समय।' अब चलो तुम अब एक नया जीवन शुरू करो ।"

वो बोली मैंने अपना प्यार, अपना जीवन, अपना शरीर और वह सब कुछ जो मैं हूँ सब तुम्हे समर्पित करने का फैसला किया है! मैं तुम्हें अपना असब कुछ मान चुकी हूँ और मैं तुम्हारे लिए ही जियूँगी और तुम्हारे लिए मरूँगी । यह सिर्फ इतना है कि मुझे एहसास है कि अब मुझे अपने बचपन और परिवार को पीछे छोड़ना है । कृपया मुझे एक मूर्ख लड़की समझ मेरी गलतिया माफ़ कर देना। "

उसके दुःख को कम करने की कोशिश करते हुए, मैं धीरे से हँसा और कहा, " लेकिन मेरी प्रिय, मेरे लिए तुम चाहे जैसी भी हो मेरी प्यारी और मेरी प्रियतमा हो, मैं केवल तुम्हें चाहता हूँ और चाहता हूँ तुम हमेशा खुश रहो और तुम खुशी और आशा के साथ अपने नए जीवन की शुरुआत करो।

मैं तुम्हे अपने बारे में कुछ और बताना चाहता हूँ और मैंने उसे बताया की अभी मैं पहले पढ़ाई पूरी करूँगा और उसके बाद ही शादी करूँगा और तब तक तुम मेरे साथ मेरी साथी के तौर पर रहोगी ये सुन कर वह बोली आप चाहे मुझ से शादी करो या न करो । मुझे पत्नी का दर्जा दो या ना दो मैं आपकी हूँ और सदा आपको ही रहूंगी । और होटल की पार्किंग में रोक कर उसके कांपते होंठों को चूमा। यह एक प्रेमपूर्ण और पवित्र, मीठा चुंबन था। फिर फ्रेया मेरी गोद में रेंग गयी अपनी बाहें मेरे चारों ओर रख दीं और अपना छोटा-सा मुँह मेरे ओंठो पर दबा दिया। फिर उसके होंठ अलग हो गए और मैंने महसूस किया कि उसकी जीभ मेरे होंठों को दबा रही है। जब मैंने अपने होठों को अलग किया, तो उसका भी मुँह खुल गया और मैंने उस अमृत का स्वाद चखा जिसकी मुझे बहुत इच्छा थी। उसने भी पवित्रता और मासूमियत के मीठे, मीठे स्वाद की तरह चखा... और हाँ, यौवन के जोश की मिठास का आनंद लिया।

मेरा लंड अब जग रहा था और सीधा हो गया और मैंने धीरे से उसे अपने पास खींच लिया। जब मैंने उसकी जीभ अपनी जीभ के नीचे दबाई, तो उसने एक नरम कराह दी और काँप उठी। उसने हल्के से चुंबन को तोड़ा और फिर से आगे की ओर दबाते हुए अपनी छोटी-सी जीभ को मेरे दांतों पर घुमाते हुए खींच लिया। उसका चेहरा गर्म था और उसके गाल लाल हो गए थे, उसने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया और धीरे से कहा, " आई लव यू जानू, मैं तुम्हारी हूँ, लेकिन कृपया धैर्य रखें, बस थोड़ी देर प्रतीक्षा करें।

लिफ्ट में मैंने उसे मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया था। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से ऐसे सट गई थी कि जैसे उसके दोनों चुच्चे मुझमें समा जाएंगे। मेरे हाथ उसकी कमर और पीठ पर चिपके थे और मेरी जीभ उसके मुँह में एक बार फिर घूम कर मजा ले चुकी थी और मैं अब अनुभवी खिलाड़ी की तरह उसके होंठों को चूस रहा था और मेरे हाथ उसकी उत्तेजना को बढ़ाने की कोशिश में लगे थे। वह मुस्कुरायी और फिर से मेरे ओंठो पर एक त्वरित चुंबन दिया और जब लिफ्ट रुकी तो मेरी जीभ को धीरे से चूसकर मुझसे अलग हो गयी और बोली "आई लव यू!"

हम लिफ्ट से अपनी सुइट के माले पर पहुँचे तो लिफ्ट के दरवाजा खुलने पर मेरी सभी महिला मित्रो ने फ्रेया का फूल देकर स्वागत किया । फिर मैंने उसे अपने साथ आयी अपनी महिला मित्रो एंजेला, केप्री, क्सान्द्रा और डॉ एड़ी जो मेरे साथ पुरुष के भेष में रहेंगी और लूना, विरोनिका और ग्रेस नौकरानियों के रूप मैं थी उनके बारे में संक्षेप में बताया । मैंने उस सब का परिचय फ्रेया से करवाया और फिर ग्रेस, वेरोनिका, केप्री और क्सान्द्रा चारो फ्रेया की त्यार करने के लिए ले गयी और डॉ एड़ी एंजेला और लूना मेरे साथ रही ।

फ्रेया को क्सान्द्रा ने जूस पिलाया और उसे बाथरूम ले गयी और फिर वहाँ उससे उसके सारे नित्य कर्म करवाये। फ्रेया ने पहली बार किसी ल ड़कीं के सामने सारे नित्य कर्म नंगी होकर कीये थे । फिर ग्रेस ने फ्रेया को बहुत अच्छे से हेयर रिमूवर क्रीम लगाकर उसके बदन से झांट और कांख के बाल साफ करके उसकी चुत को क्रीमसे चिकनी किया ।

सबसे पहले पूरे बदन पर मसाज और हल्के से चंदन और गुलाब का लेप किया । फिर फेशियल इत्यादि सब किया फिर उन्होंने एक बार फिर उसकी चिकनी चूत को वीट लगा कर बिलकुल मक्खन चूत बना दिया और पूरे बदन की फिर से मालिश की जिससे उसका पूरा बदन बिलकुल चिकना हो गया। और फिर हल्दी वाली क्रीम लगाकर दो लड़कियों ने उसे एक टब में नहलाया जिसमे गुलाब जल और गुलाब की पंखुड़िया, इत्र इत्यादि डाला था। उन्होंने उसका जिस्म मसल-मसल कर नहलाया और उसके बाद एक बारी फिर उसके बदन की क्रीम से मालिश की। फिर पूरे बदन पर ख़ास बर्लिन के जर्मन फूलो का इत्र मला ।

उसे किसी महारानी की तरह अहसास हो रहा था। फिर उसे हल्का नाश्ता करवाया जिसमे लिक्विड की मात्रा ज्यादा थी। उसके बाद वैक्स करके उसका फेसिअल करने लग गयी जो करीब एक घण्टे तक चला। उसकी ब्यूटी निखारने के बाद उसका दुल्हन की तरह मेकअप करके दुल्हन की ड्रेस पहनाकर तैयार किया, और गहने पहनाने के बाद कमर में पहनने कमरबंद पहनाया जिससे उसकी कमर की खूबसूरती बढ़ गयी और वह बहुत सेक्सी दिखने लगी पतली कमर पर सोने के घुंघरू जड़ी करघनी बहुत जच रही थी और सर पर एक मुकुट और नाक में एक सुंदर-सी नथ पहनाई।

अब वह बिलकुल धरती पर उतरी अप्सरा लग रही थी, जिसकी आंखे झील से गहरी और होंठ मदिरा के प्याले लग रहे थे ।

कहानी जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

story TAGS

Similar Stories

Fire and Ice A pyrokenetic runaway finds her opposite.in Sci-Fi & Fantasy
Things to Do with My Slut Ch. 01 How to spend a Friday night.in Erotic Couplings
Katharinas erster Arschfick Erst will sie nicht so recht, dann kommt sie doch.in Anal
My Valentine Delight A Valentine's Day like no other before it.in First Time
Seducing Coach Ch. 01 Two graduated female athletes seduce their former coach.in Group Sex
More Stories