शादी में मुलाकात

Story Info
शादी में किसी से मुलाकात और जोरदार मिलन.
2.1k words
3.5
52
1
0
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

इस कहानी की शुरुआत एक शादी में हुई थी। रिश्तेदार की लड़की की शादी थी सो जाना जरुरी था। शादी के बहाने ही कितनों से मुलाकात का अवसर मिल जाता है। शादी में एक नजदीकी रिश्तेदार महिला जो 35-36 साल की होगी उनसे मुलाकात हुई। महिला सुलझी हुई और आधुनिक विचारों की थी। बातें होने लगी। जयमाला होने के बाद खाने का कार्यक्रम हुआ, इसके बाद में फेरे वगैरहा होने में समय था तभी मेरी परिचित रिश्तेदार आयी और मुझ से अनुरोध किया कि मैं उन की कजिन को उस के घर तक अपनी कार से ले जाऊँ। उसे कपड़ें बदल कर आने थे। मेरे पास समय बिताने के लिए कुछ नही था सो मैं तैयार हो गया। जब वो कजिन आई तो पता चला कि ये तो वही महिला है जिन का जिक्र मैंने ऊपर किया था। मैं अपनी गाड़ी की तरफ चला तो उन्होने कहा कि वह अपनी गाड़ी लाई है। केवल रात होने के कारण उन की बहन उन्हें अकेली नही जाने दे रही है। मैंने कहा अच्छी बात है।

हम दोनों उन की कार की तरफ चल दिये। कार उन की थी इस लिए कार वह ही ड्राईव कर रही थी। छोटे शहरों के रास्ते वहाँ के रहने वाले ही अच्छी तरह से जानते है। 10 मिनट के बाद हम उनके घर पहुंच गये। उन्होने घर का दरवाजा खोला और कार को पोर्च में खड़ा कर दिया। दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश किया। पति व्यापार के सिलसिले में शहर से बाहर गये हुऐ थे। कोई घर में कोई और नही था। वह मेरे से बोली कि 10-15 मिनट लगेगे उन्हें तैयार होने में, क्या मैं एक कप चाय लेना चाहुँगा? मैंने हाँ कहा। थोड़ी देर में वह चाय का कप देकर कपड़ें बदलने चली गई। मैं चाय का सिप भर ही रहा था कि उन की आवाज आई कि जीजा जी जरा अन्दर आयेगे। मैंने पुछा कहाँ तो उन्होने बताया कि साथ वाले दरवाजे से आऊँ।

मैं अन्दर चला गया, यह कमरा बैडरुम था। माया जी कपड़ें बदल रही थी। वह बोली की उन के ब्लाउज की जिप फंस गई है और खुल नही रही है। मैं उसे खोल दुँ। माया ने अपने सामने के हिस्से पर एक तोलिया डाल रखा था। उस के ब्लाउज की जिप फंस गई थी और खुल नही रही थी। मैं बड़ी असमंजस से उन की पीठ की तरफ बढा और ब्लाउज की जिप को हाथ लगाया। मेरे हाथ कांप रहे थे पहला मौका था जब पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला की पीठ को हाथ लगाया था। अपनी घबराहट को काबु में कर के मैंने जिप को नीचे की तरफ खीचने की कोशिश की लेकिन जिप टस से मस नही हुई। पास से जा कर देखा तो पता चला कि जिप का हुक टुट गया था और वह जिप को खुलने नही दे रहा था।

उस का एक ही उपाय था की जिप को तोड़ा जाये, मैंने माया से पुछा की कोई छोटा पेचकस होंगा। उसने कहा कि वह ढुढ़ती है। एक दराज में पेचकस मिल गया। मैंने माया की पीठ को रोशनी की तरफ करके पेचकस को जिप के हुक के अन्दर फँसा कर उसे चौड़ा करने का प्रयास किया मेरी ऊंगलियाँ उस की पीठ और ब्लाउज के बीच फंसी थी। कंरट सा शरीर में दौड रहा था। आखिर कोशिश रंग लायी और हुक लुज हो गया। मैंने ऊंगलियों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ करा। माया ने कहा कि इसे पुरा खोल कर ब्लाउज को पुरा खोल दूँ। मैने ऐसा की किया। गोरी चिकनी सपाट पीठ मेरे सामने थी। मैं अपना थुक सटक रहा था। मैंने हटने की कोशिश की तो माया ने कहा कि जब इतनी जहमत ऊँठाई है तो ईनाम तो बनता है। मैं चुप रहा तब तक उसने तोलिये के साथ ही ब्लाउज को हटा दिया। मेरे सामने गोरे पुष्ट भरे हुये उरोज तने हुये खड़े थे। मैं इस घटना के लिए तैयार नही था। सकपका गया था। माया ने कहा कि जीजा जी अब इतने भी शरीफ ना बनो।

और मेरे हाथों को पकड़ कर उसने अपने उरोजों पर रख लिया। मुझे जोर का झटका लगा। लेकिन मैंने उन्हें हल्के से सहला कर कहा कि ठन्ड लग जाऐगी कुछ और पहन लो।

माया बोली जीजाजी आज आप शादी में कहर ढ़ा रहे थे, तभी मैने सोचा था कि कैसे आप से मिलु? दीदी ने मौका दे दिया। अब तो जो मेरी मर्जी होगी सो मैं करुगी।

मैंने कहा तुम्हारे काबू में हुँ जो मर्जी करो। खदिम हूँ।

वह यह सुन कर हंस दी और बोली कि आप इतने भोले भी नही है जितने नजर आते है।

मैंने कहा ये तो तुम्हारी नजरों का असर है।

मैने माया से कहा कि आज तो तुम भी कहर ढ़ा रही थी। वह बोली मुझे तो पता नही चला कि आप पर इस का कोई असर हुआ है। मैंने कहा मैडम रात को आप के साथ खिदमतदार बन कर खड़ें है बताओ और क्या करे?

मैने उसके होठों को चुमने का प्रयास किया तो उसने कहा कि मेकअप खराब हो जाऐगा।

मैंने उसे अपने से थोड़ी दूर कर दिया तो वह बोली कि लिपिस्टक तो दुबारा लगानी ही पड़ेगी कपड़ों के कलर की। यह तो कर सकते है फिर वह आगे आ कर मुझ से लिपट गई। मैंने कहा कि माया मेरे शर्ट पर कहीं दाग न लग जाये।

कोट तो मैंने पहले ही उतार दिया था, कमीज के बटन माया ने खोल दिये और उसे उतार दिया अब मैं कोई बहाना नही कर सकता था। मैंने उसे आंलिगन मे ले लिया और जोर से उसके होंठों को चुमने लगा। वह भी खुब चुम रही थी। हम दोनों ऐसे लग रहे थे मानो कोई प्रेमी-प्रेमिका वर्षो के बाद मिले हो। मेकअप की वजह से कहीं और चुमना सम्भव नही था। मैं चेहरा झुका कर उसके उरोजों के मध्य उतर गया। एक हाथ से सहला रहा था तथा दुसरें को होंठो से चुम रहा था। माया भी खुब साथ दे रही थी। उत्तेजना के कारण उसके चुचुंक आधा इचं से ज्यादा बड़े हो चुके थे। उन को पीने में मजा आ रहा था।

अहा हाहहहहहहा

उहहह आआहहहह आहहहहहहह

ओहहहहहहहहहहह आहह...

उस ने जो लहंगा पहना हुआ था वह अभी उतारा नही था। मैंने खोलने की कोशिश की तो पता चला कि वह भी जिप वाला है।

माया ने साइड से जिप खोल कर उस को नीचे गिरा दिया। मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया और लहंगे को फर्श से उठा कर बेड के किनारे पर रख दिया।

माया मेरे सामने पुरी नंगी पड़ी थी। मेरी परेशानी यह थी कि मैं सुट पहने हुऐ था। शर्ट के अलावा और भी कपड़ें मेरे बदन पर थे। उन का आगे के कार्यक्रम में खराब होने का फुल चांस था। क्या करुँ?

माया ने मेरी पेंट की बेल्ट खोल कर उसे नीचे सरका कर अंडरवियर को भी खिसका दिया और बोली देखिये मैं आप के दिमाग को पढ़ सकती हुँ।

इस सब में मेरे लिंग ने पुरा तनाव ले लिया था और तन कर सलाम ठोक रहा था। माया ने उसे हाथों में ले कर सहलाया और मुंह में ले लिया। मैंने माया से कहा कि हमारे पास ज्यादा समय नही है उसे तय करना है कि कैसे करें।

उसने लिंग को मुँह से निकाल कर अपने पैरों को बेड से नीचे कर लिया और उन्हें फैला लिया। अब मेरे सामने उसकी चूत खुली पडी थी मैंने अपने लिंग के सुपारे को उसके मुँह पर रखा और योनि में डालने की कोशिश की माया की योनि तो बहुत कसी हुई थी। तब तलक माया ने अपने हाथ से पकड के मेरे लिंग को अन्दर डाल लिया। अन्दर तो इतना गिलापन था कि वह अपने आप सरक कर गहरे तक उतर गया।

आह हहहहहह आहहहह आहहह

माया दर्द से चिल्लाने लगी।

मैंने डर कर लिंग को बाहर निकाल लिया। इस पर वह बोली कि आवाज से भी डरते हैं?

मैंने कहा मुझे लगा कि दर्द हो रहा है

हां दर्द तो हो रहा है लेकिन इसी दर्द के लिये तो यह सब हो रहा है।

डालो

मैंने फिर से डाल दिया। माया ने अपने दोनों हाथो को मेरे कुल्हों के पीछे से ऐसे जकड़ लिया कि मैं अब लिंग निकाल ना सकुँ।

मजा तो अब शुरु हुआ था।

मैंने जोर-जोर से धक्कें मारनें शुरु कर दिये। फच फच की आवाज आने लगी।

माया ने भी चुतड़ उठा कर साथ दिया।

मैं फर्श पर खड़ा था और कमर से झुक कर माया के स्तनों को चुम रहा था।

जल्दी झडने का डर नही था लेकिन इसे ज्यादा देर तक नही कर सकते थे। इस के बाद माया को तैयार भी होना था।

5 मिनट के बाद मैंने माया को उलटा करके पेट के बल लिटा दिया। इस से मुझे आराम हो गया। अब मैं माया की योनि में पीछे की तरफ से प्रवेश कर सकता था। ऐसा ही मैंने किया।

जोर-जोर से झटके मारने के कारण माया के चुतड़ों पर चोट पड़ रही थी। वह लाल हो गये थे मैंने लिंग निकाल कर उसकी गुदा के मुख पर रखा तो माया बोली गांड़ मारने के बाद मैं वहाँ कैसे बैठुगी यह तो सोचिए। मैने फिर से लिंग को योनि में डाल दिया।

इसी बीच माया डिस्चार्ज हो गई। मैंने सांस रोक कर बडे जोर-जोर से लिंग को अन्दर बाहर करना शुरु किया। थोडी ही देर में मैं भी डिस्चार्ज हो गया।

मैं भी माया के बगल में लेट गया।

मैंने उठ कर माया से पुछा कि टिशु पेपर है उसने इशारे से बताया। मैंने टिशु पेपर निकाल कर अपने लिंग को साफ किया और माया की चूत को भी पोंछा। माया ने करवट बदल कर टिशु पेपर ले कर अपने नीचे के हिस्से को भी अच्छी तरह से पोंछा और उठ कर बैठ गई।

आप अब मेरी कपड़ें पहनने में मदद करो तो मैं जल्दी तैयार हो जाऊँगी।

मैंने कहा बंदा हाजिर है पहले मैं शर्ट पहन कर कपड़ें सही कर लुँ।

मैंने जब तक अपने कपड़ें सही तरह से पहने माया बाथरुम से फ्रैश हो कर आ गई। इस के बाद मैंने उसे ब्लाउज पहनने में मदद करी और पेटीकोट पहना कर साड़ी भी बाँध दी। इस साड़ी मे तो वो और भी सुन्दर लग रही थी।

उसने शीशे में देख कर अपनी लिपस्टिक लगाई। मेकअप टच अप किया। मेरी तरफ घूम कर देखा और कहा कि आप भी टचअप कर लो। मैंने उस से कहा कि वह देख कर कर दे। उस ने मेरे बालों में कंधी की और टाई को सही कर दिया।

आप तो जँच रहे है

चले

एक बार घूम कर देख ले कही कोई कमी तो नही रह गई है।

मैंने उस के चारों ओर घूम कर देखा और हाँ में सर हिलाया।

मैंने कहा कि छाती पर एक बार टचअप कर ले रंग अलग लग रहा है। वह हंसी और बोली आदमी तो वही पर नजर डालेगे।

मैने कहा कि मैं तो सहायता कर रहा हूँ।

उस ने वहाँ पर पफ लगाया और सेंट छिडका। मैं उस से दूर हट गया।

अब दूर क्यों हो रहे हो?

सेंट तुम्हारी पहचान है मुझे परेशानी में डाल देगी।

वो हंसी

आप तो छुपे रूस्तम निकले।

आप के साथ का असर है।

जीजा जी आप तो ऐसे ना थे

आप की सोहबत का असर है

पहले पता होता तो और मजा आता

जो मिल जाये वही काफी है

चले

हाँ

मैंने कोट पहना शीशे में खुद को निहारा।

सही

जोरदार

माया ने दरवाजा बन्द किया और गाड़ी स्टार्ट कर बाहर निकाली मैंने बाहर के दरवाजे पर ताला लगा दिया। फिर माया कि बगल में बैठ गया।

रास्ते में माया ने कहा कि उसके कुल्हों में दर्द हो रहा है मैंने कहा ये तो होना नही चाहिये। ज्यादा जोर तो नही लगाया था।

आप मर्द लोग अपने बल को समझ नही पाते है।

हमारे लिए तो इतना ही काफी है।

अगर मौका मिलता तो पावं कन्धे पर रख कर के करता।

तब तो हो चुका था

अभी ही हालत खराब है।

ध्यान रखना। वहाँ कोई समस्या ना खडी हो।

आप को लगता है मैं कुछ ऐसा करुँगी?

जिसे अपने मनमर्जी की चीज मिली हो वह शिकायत क्यों करेगा।

लेकिन लगता है कि मेरी बहन को आप बहुत तंग करते होगे वो तो दर्द से कराहती होगी

कराहेगी तो जब, जब प्यार करेगी। उसे तो करे महीनों बीत गये है मेरे लबों पर अपनी कहानी आ गई।

आप की कहानी भी मेरी जैसी है।

मैंने आश्चर्य से पुछा, ऐसा क्या?

आज कितने सालों के बाद मैंने यह आनंद लिया है। ये तो सालों से कुछ नही करते।

मैं चुप चाप बैठा रहा। मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर दबाया। वह खोखली हँसी। आप को देख कर मैं आज धैर्य खो बेठी लेकिन मुझे गर्व है कि मैं आप के साथ हुँ।

मैंने उस का हाथ और जोर से दबाया।

तभी मंजिल आ गई। गाड़ी खडी कर के माया औरतों के झुड़ में खो गई और मैं पुरुषों के पास चला आया।

शादी की रस्में शुरु होने वाली थी। हम समय से आ गये थे। मेरे फोन की घन्टी बजी। देखा तो अन्जाना नम्बर था।

उठाया तो जानी पहचानी हँसी थी।

कोई और आवाज नही आई। जरुरत भी नही थी।

अज्ञात के नाम से सेव कर लिया।

इस आशा से कि शायद कभी फोन आयेगा।

और जब आया तो मेरे लिए असमंजस की स्थिती खड़ी कर दी।...........

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

लॉकडाउन लॉकडाउन में अकेली पड़ोसन के साथ हुये अनुभवin Erotic Couplings
सबिहा और सेल्समैन Lonely housewife seduces young lingerie salesman.in Loving Wives
Alex: Lessons in Submission The real training starts.in BDSM
Straight, Gay or Bi...? A trip to the beach with another couple - and I do mean trip.in Mature
Train Rider A woman on the cusp of serious adulthood takes a trip.in Erotic Couplings
More Stories