ट्रेकिंग के दौरान रोमांचक मुलाकात

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ट्रेकिंग को दौरान लड़की से मुलाकात और होटल में जोरदार मस्ती
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यह कहानी उन दिनों की है जब मुझे पहाड़ों पर ट्रेकिंग करने का नया-नया शौक लगा था, जब भी समय मिलता था मैं पहाड़ों पर ट्रेकिंग के लिये निकल जाता था अधिकतर तो मैं अकेला ही होता था लेकिन कभी-कभी कोई साथी साथ होता था या कोई रास्ते में मिल जाता था और उस के साथ दोस्ती हो जाती थी तो वह भी ट्रेक में साथ चलता था। इस कहानी की शुरुआत भी एक ऐसे ही ट्रेक पर जाते हुये हुई थी। जुन के महीने में जब मैदान गर्मी से तप रहे थे मैं छुट्टियां लेकर पहाड़ों पर चला आया था।

मानसून बस आने को ही था। एक दो छोटे मोटे ट्रेक करने के बाद मैं पहाड़ों पर काफी ऊचाई पर चला आया। यहाँ आम पर्यटक नहीं आते थे इस लिये शांति का माहौल रहता था। यहाँ आ कर कुछ दिन ऐसे ही घुमते हुये बिताये, फिर जब उकाता गया तो 23 किलोमीटर के एक लम्बें ट्रेक पर पुरी तैयारी कर के निकल पड़ा, रास्ता बहुत कठिन था लेकिन अंत में बहुत रोमांच मिलने वाला था इस कारण से मन में बहुत उत्सुकता भी थी। सुबह जब ट्रेक शुरु किया तो मौसम साफ था तथा ऐसा लग रहा था कि बारिश के आने की कोई संभावना नहीं थी लेकिन आप जो सोचते है वह होता नही है।

धीरे-धीरे ऊचाई बढती जा रही थी तथा इस के कारण चलने में परेशानी हो रही थी मुझे 3800 मीटर की ऊंचाई पर जाना था इस लिये धीरे-धीरे ही चढ़ना सही था। लेकिन ऊंचाई के कारण कुछ कदम चलने के बाद ही सांस फूल जाती थी और इस कारण से आराम करना पड़ता था। कुछ दूर चलने के बाद देखा कि मुझ से आगे कोई लड़की चल रही है। मैं उस के काफी पीछे था लेकिन उसे देख पा रहा था। कुछ देर बाद वह सुस्ताने के लिये बैठ गयी और मैं उस के बाद पहुँच गया।

उस के पास पहुँचा तो उस का अभिवादन करने के बाद उस के बारे में पुछा तो पता चला कि वह भी मेरे ही शहर से थी और छुट्टि ले कर ट्रेक करने आयी थी। वह भी अकेली ही थी। मैंने भी अपना परिचय दिया तो हम दोनों में मित्रता हो गयी। उस के बाद हम दोनों एक साथ ट्रेक पर चलने लगे। कोई और साथ हो तो सफर आराम से कट जाता है। ऐसा ही हमारे साथ हो रहा था हम दोनों थक तो रहे थे लेकिन एक दूसरे से बातचीत करके थकान को भुल कर पहाड़ पर चढ़ भी रहे थे।

ट्रेक के मध्य आने पर आ कर हम दोनों बहुत थक गये थे। इस लिये एक स्थान पर बैठ गये। दोनों ने पानी पीया और थोड़ी सांस ली। उस से बात करने के बाद पता चला कि वह भी मेरे ही होटल के पास ठहरी हूई है। मैने उसे बताया कि मैं तो इस तरह के ट्रेक का आदी हूँ लेकिन आज कुछ ज्यादा ही थक रहा हूँ इस पर वह बोली कि इतनी ऊंचाई पर ऐसा होना आवश्यक है। वह भी बुरी तरह से थक गयी है। आधा घन्टें आराम करने के बाद हम दोनों फिर से चल पड़े। एक दूसरे के आगे पीछे चलते हुये हम दोपहर 1 बजे अपने गन्तव्य पर पहुंच गये।

वहां से बर्फ से लदे पहाड़ों के दर्शन मात्र से ही यात्रा की सारी थकान दूर हो गयी। मैं उस घास के मैदान में घास पर लेट गया। वह कुछ देर तक आस-पास के नजारों का आनंद लेती रही फिर वह भी मेरी बगल में आ कर लेट गयी। दोनों उस माहौल में खो से गये। मैं तो शायद सो गया। किसी नें मुझे झकझोर कर उठाया तो मैं जागा। वही थी कह रही थी कि तीन बज रहे है तुम्हारें मुताबिक बारिश आने का समय हो रहा है तो चलो उठो और वापस चलो, अगर बारिश आ गयी तो बहुत मुश्किल हो जायेगी। मैं तो इस बात की पुरी तैयारी कर के आया था कि अगर बरसात आ गयी तो क्या करुंगा? वह शायद इस से अनजान थी।

उस की बात सही थी सो मैं झट से उठ गया और वापसी के लिये तैयारी करने लगा। वह भी तैयार होने लगी फिर हम दोनों उस जगह को एक बार दूबारा से ध्यान से देख कर वापस चल दिये। अब उतराई थी लेकिन इस में घुटनों का बाजा बज जाता था क्योकि सारा वजन घुटनों को ही झेलना पड़ता था सो हम दोनों धीरे-धीरे आराम आराम से कदम रखते हुये उतरने लगे। अब की बार सांस नहीं फुल रही थी क्योकि उतराई थी। जैसे ही कुछ नीचे उतरे कि आकाश बादलों की वजह से काला हो गया चारों तरफर घनघोर बादल छा गये। रास्तें बादलों में ओझल हो गये। आस-पास का दृश्य भी दिखायी देना बंद हो गया।

मैं तो इस तरह के दृश्य का आदी था लेकिन वह शायद पहली बार इस का सामना कर रही थी सो उस के चेहरे पर चिन्ता की लकीरे खिच रही थी, यह देख कर मैंने उसे आस्वस्त किया कि चिन्ता की कोई बात नहीं है हम किसी जगह पर रुक जायेगें लेकिन यह मैं भी जानता था कि रुकने की जगह मिलने के लिये अभी हमें काफी चलना था। लेकिन उस के डर को कम करने के लिये मैं उसे झुठी दिलासा देता रहा। हम काफी तेजी से नीचे उतर रहे थे। आराम करने के कारण थकान खत्म हो गयी थी तथा बारिश के भय ने भी हमारी गति बढ़ा दी थी।

जब हम ट्रेक के मध्य में पहुंचे तो हल्की बारिश शुरु हो गयी मुझे पता था कि अगले दो घन्टें तो इस से छुटकारा मिलने वाला नहीं था। मैनें बरसाती पहन ली जब उस से पुछा तो वह बोली कि उस के पास बरसाती नहीं है। मैंरे पास एक छाता भी था सो मैंने वह उसे दे दिया कुछ ना होने से कुछ होना बैहतर था। कुछ देर बाद ही बारिश का जोर बढ़ गया अब हम चल नही पा रहे थे पानी के कारण फिसने का भी खतरा था सो हम दोनों ने किसी जगह रुकने का फैसना किया। चारों तरफ नजर दौड़ाई तो एक बड़ा पत्थर दिखायी दिया जिस के नीचे हम शरण ले सकते थे सो दोनों भाग कर वहां पहुंचे तो बारिश बहुत तेजी से होने लगी।

हम दोनों काफी हद तक बारिश से बच रहे थे। एक-दूसरे से सट कर बैठना पड़ा था इस लिये एक दूसरे के शरीर की गंध भी आ रही थी। बारिश की वजह से ठंड़ भी बढ़ गयी थी इस कारण से हम दोनों ही कांप रहे थे लेकिन वह कुछ अधिक ही कांप रही थी यह देख कर मैने अपनी वींडशीटर उतार कर उस को पहनने के लिये दी तो वह मना करने लगी, मैने कहा कि मैं बरसाती पहने हुये हूँ इस कारण से सर्दी से, हवा से बचा हूआ हूँ लेकिन वह ठंड़ से कांप रही है और कुछ तो पहने के लिये है नहीं इस लिये वह यह वींडशीटर पहन ले ताकि उस का ठंड़ से बचाव हो सके उस ने बात मान कर उसे पहन लिया इस के बाद उस के कांपने पर रोक लगी।

एक घन्टें से ज्यादा पानी बरसता रहा और हम वही पर बैठे रहे। जब बारिश कुछ कम हुई तो हम उस स्थान से बाहर निकले और फिर से नीचे उतरने लगे। बाकी रास्ता जल्द ही कट गया शाम को जब वापस मैं अपने होटल पहुंचा तो पानी से भीगा हुआ था। उस से पुछा कि वह अपने होटल जाने की बजाए मेरे साथ ही मेरे होटल चले वहां जा कर नहा कर कुछ आराम करके चली जाये तो वह अनमनी सी दिखी। मैं ज्यादा जोर नहीं दिया क्योकि हो सकता था कि उसे शायद बुरा लगता या मेरे जोर देने पर शक होता। वह जल्दी से अपने होटल की तरफ चली गयी। मैं भी अपने होटल में आ गया।

बाथरुम में गीजर ऑन करके नहाने घुस गया, जब नहा रहा था तो मुझे ध्यान आया कि वह मेरे साथ कैसे आ सकती थी? उस के कपड़ें तो उस के होटल में ही पड़े थे। मुझे अपने पर गुस्सा भी आया और हंसी भी आयी। जब नहा कर निकला तो ध्यान आया कि मैंने तो उस का फोन नंबर भी नही लिया था सो उस से सम्पर्क भी नही हो सकता था। चाय नाश्ते का ऑडर करके बैठा ही था कि किसी ने कमरे का दरवाजा खटखटया, मैंने जब दरवाजा खोला तो आंखों पर विश्वास नहीं हुआ कि वह दरवाजे पर अपना बैग ले कर खड़ी थी। मुझे अचकचाया देख कर बोली कि अब अंदर आने को भी नही कह रहे हो? कुछ देर पहले तो जाने नहीं दे रहे थे।

यह सुन कर मैं शर्मीदा हो कर उस के रास्ते से हट गया और वह अपना सामान ले कर अंदर आ गयी। सामान रख कर मुझे देख कर बोली कि तुम ने तो अपना फोन नंबर भी नहीं दिया था बड़ी मुश्किल से तुम्हें ढुढ़ पायी हूँ। यह सुन कर मैं बोला कि नहाने के बाद ही मुझे ध्यान आया कि तुम्हारें बारे में तो मुझे कुछ भी पता नही है फोन नंबर भी नही है मैं ऐसा ही भुलक्कड़ हूँ माफ करना। वह यह सुन कर हंस पड़ी और बोली कि मेरे होटल में तो गरम पानी नहीं था सो मुझे लगा कि तुम्हारें होटल में ही चलती हूं सो सामान ले कर चली आयी। मैंने यह सुन कर कहा कि अच्छा किया मेरे पास डबल रुम है कोई परेशानी नही होगी। गरम पानी भी है तुम तो सारी भीग गयी थी सो पहले नहा लो फिर बातें करतें है मेरी बात सुन कर वह कपड़े ले कर नहाने चली गयी।

मैंने फोन करके चाय नाश्ते को डबल करने को कह दिया। कुछ देर बाद जब वह नहा कर बाथरुम से निकली तो मैं उसे देखता रह गया वह बहुत सुंदर लग रही थी। मुझे घुरता देख कर बोली की आज तक नहा कर निकली लड़की नही देखी? मैं झेप कर बोला कि सही कह रही हो नहा कर गीले बाल लपेटे लड़की नही देखी है। वह यह सुन कर मुस्करा दी। वह बेड पर रजाई में घुस कर बैठ गयी और बोली कि आज तो ठंड से जम ही गयी थी। पता नही तुम कैसे नहीं जमें? मैंने कहा कि मैं पहले भी ऐसे हालातों से गुजरा हूं सो इन का आदी हूँ लेकिन ठंड़ तो मुझे भी लग रही थी लेकिन तुम्हारें सामने कुछ कह नही रहा था। मेरी बात सुन कर वह फिर हंस पड़ी।

तभी चाय नाश्ता भी आ गया। सर्दी अपना असर दिखा रही थी ऐसे में गरम चाय के साथ पकोड़े सोने में सुहागे का काम करते है वह बोली कि इस का ऑडर कब किया? मैने उसे बताया कि अपने नहाने के बाद किया था लेकिन तुम जब नहाने गयी थी तभी उसे डबल कर दिया था। हम दोनों चाय और पकोड़ो का आनंद उठाने लगे। उस ने इस दौरान मेरा फोन ले कर अपना नंबर डायल कर के मिस कॉल कर दी। ताकि मेरे फोन में तथा उस के फोन में हम दोनों के नंबर आ जाये। चाय पीने के बाद कुछ देर आराम करने के बाद हम दोनों नीचे बाजार में घुमने निकल गये। छोटा सा बाजार था खाने की भी कई दूकानें थी। रात हो रही थी तथा यहां बाजार जल्दी बंद हो जाता है यह हमें पता था सो एक दुकान पर दोनों से भर पेट दाल चावल खाये और वापस होटल लौट आये। कमरे में आने के बाद मैने उस से पुछा कि उसे एक बिस्तर पर सोने में कोई परेशानी तो नही होगी तो उस ने ना में सर हिलाया।

रात गहरा रही थी और सारे दिन की थकान के कारण हम दोनों कब रजाईयों में घुसे और कब सो गये पता नही चला। सुबह जब आंख खुली तो देखा कि वह सोई पड़ी थी। खिड़की खोली तो पता चला कि बाहर तो मौसम बहुत खराब हो गया है। जोर से बारिश हो रही थी। आज आराम के सिवा कुछ और नहीं किया जा सकता था। ऐसी ठंड़ में नहाने की किसे पड़ी थी सो मैं फिर से रजाई में घुस गया। थोड़ी देर बाद वह कुनमुनायी और मेरी रजाई में आ गयी। यह मेरे लिये आप्रत्याशित था लेकिन वह मेरी पीठ से चिपक गयी। उस के उरोज मेरी पीठ में गढ़ रहे थे। इस कारण से सारे शरीर में करंट सा दौड़ रहा था। लिंग भी तन गया था।

लेकिन मैं इस समय इस सब के लिये तैयार नही था। मुझे पता था कि जब तक मेरा मन नही कहेगा मैं कुछ कर नही पाऊंगा। सो चुपचाप पड़ा रहा उस के हाथ मेरी छाती पर फिरने लगे। वह जाग गई थी और मुझे उत्तेजित करने की कोशिश कर रही थी। उस की गरम सांसे में अपनी गरदन पर महसुस कर रहा था। वह मेरे प्रतिउत्तर के इंतजार में थी लेकिन मैं कोई उत्तर नही दे रहा था कुछ देर बाद वह करवट बदल कर मेरी रजाई से निकल गयी। मेरी सांस में सांस आयी। पता नही क्यों मैं ऐसे हालात में सही तरह से व्यवहार नही कर पाता था। इस का कारण मुझे आज तक समझ नहीं आया था। आज तो खुला मैदान था कोई बुला रहा था लेकिन मैं मैदान में उतरा ही नहीं।

काफी देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे फिर वह रजाई से निकली और बाथरुम में घुस गयी। काफी देर बाद निकली तो मुझे जगा कर बोली कि अब उठने का मुड है या सारा दिन सोना है? मैंने उठ कर कहा कि नहीं सोने के लिये रात काफी है उठ कर नाश्ता वगैरहा करते है उसके बाद कुछ और सोचेगे। वह मेरी बात सुन कर बोली कि तो चाय और आलु के पराठें ऑडर कर दो। मजा आ जायेगा, बारिश में गरमा-गरम आलु के पराठें। मैने फोन उठा कर चाय और पराठे ऑडर कर दिये। इस के बाद मै भी बाथरुम में घुस गया और नित्यकर्म करके बाहर निकला। कुछ देर बाद चाय और पराठें भी आ गये। गरम पराठों सें उठती भाप देख कर मजा आ गया और दोनों पराठों पर टूट पड़ें।

इस दौरान हम दोनों नें सुबह की घटना के बारे में कोई बात नही की। ऐसा लग रहा था की मानों कुछ हुआ ही नहीं था। इस से मुझे लगा कि सुबह की घटना शायद नींद में हुई थी लेकिन मुझे इस पर विश्वास नहीं हो रहा था। नाश्ते के बाद कुछ देर तक कल की खींची फोटो देखते रहे फिर वह बोली कि कमरे में बोर हो रहे है बाहर चलते हैं, मैंने कहा कि बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है लेकिन उस ने कुछ नही सुना और हम दोनों रेनकोट पहन कर तथा छातें ले कर होटल से निकल गये।

बाहर बारिश के कारण सन्नाटा सा छाया हुआ था छोटा सा कस्बा होने के कारण पहले ही ज्यादा आबादी नहीं थी। इस पर इतनी तेज बारिश कोई निकले भी तो क्यों निकले? लेकिन हम दो जनें तो बोरियत के मारे थे सो बाजार की एक तरफ से दूसरी तरफ तक घुमने चल दिये।

बारिश के लिये तैयार होने के कारण भीग तो नहीं रहे थे लेकिन हवा की वजह से छातें उड़ने को हो रहे थे उन्हें थामना मुश्किल हो रहा था। उस की जिद थी कि सारा बाजार ऐसे ही घुमना है तो घुम रहे थे। चलते चलते कब कस्बा खत्म हो गया और कब जंगल शुरु हो गया पता ही नहीं चला। जब काफी दूर तक पेड़ों के सिवा कुछ नहीं दिखा तो मैंने कहा कि हम बहुत दूर चले आये है अब हमें लौटना चाहिये, मेरी बात सुन कर उस ने कहा कि सही कह रहे हो चलों वापस चलते है। तेज बारिश और धुंध के कारण कुछ दिखाई नहीं दे रहा था ऐसे ही अनुमान के सहारे चलते चलते हम काफी देर में कस्बें में वापस पहुंचें, दोपहर बीत रही थी सुबह का खाया हजम हो गया था सो जो दूकान खुली दिखी उसी में घुस गये और जो खाने के लिये मिला उसे भरपेट खा कर होटल वापस आ गये।

बारिश में इतनी देर घुमने के कारण अब हम ठंड़ से कांप रहे थे सो कपड़ें बदले बिना ही रजाई में घुस गये। घुमने के कारण थक भी गये थे सो मैं तो रजाई में पड़ते ही सो गया। किसी की सांस की गर्मी चेहरे पर महसुस होने के कारण नींद खुली तो देखा कि वह मेरी रजाई में है और उस नें मेरे चेहरे को अपने से चुपका रखा है उस की नाक मेरे माथे पर थी। इसी वजह से उस की गरम सांस मेरे माथे पर लग रही थी तभी उस नें अपना एक उरोज ट्री शर्ट को ऊपर खिसका कर मेरे होठों से सटा दिया उस के तने निप्पल को मेरे होठों नें लपक लिया। मैं उसे ऐसे चुसने लगा जैसे कोई काफी दिनों का भुखा हो। उसे मेरी इस हरकत से आनंद आ रहा था उस की सांसे और तेज हो रही थी उस की छातियां बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी।

इस के बाद उस नें दूसरें उरोज को मेरे होठों से लगा दिया मैं अब उस के रस का स्वाद ले रहा था। वह हल्की सिसकियां ले रही थी। काफी देर तक मैं उस के उरोजों के रस का स्वाद लेता रहा। फिर अचानक उस नें दोनों हाथों से मेरा चेहरा पकड़ कर ऊपर किया और अपने जलते होंठ मेरे लबों पर रख दिये। अब तक जो होंठ निप्पल चुस रहे थे वह अब उस के जलते गरम मीठे लबों का स्वाद लेने लगे। उस की जिव्हा मेरे मुँह के अन्दर जाने की चेष्टा करने लगी और जब उसे सफलता मिल गयी तो वह मेरी जिव्हा के साथ मेरे मुँह के अंदर किल्लोल करने लगी। हम दोनों को ही इस में बहुत म़जा आ रहा था, काफी देर तक हमारा चुम्बन चलता रहा। मेरा इस तरह के चुंबन का पहला अवसर था, चुंबन तो कई बार लिये थे मिले थे लेकिन वह सिर्फ स्पर्श मात्र ही थे। इस तरह का दीर्ध चुम्बन पहली बार हो रहा था। वह भी शायद पहली बार ही कर रही थी। सांस फुल जाने के कारण दोनों अलग हटे तो उस ने कहा कि तुम जानबुझ कर मेरी तरफ ध्यान नहीं दे रहे हो।

मैंने कहा कि नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है। वह बोली कि सुबह भी तुम ने कुछ रिस्पान्स नही दिया था। मैंने कहा कि मैं क्या बताऊं? मुझें कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि कैसे प्रतिक्रिया दूं, मेरी बात सुन कर वह हंस पड़ी और बोली कि इस में परेशानी क्या थी? मैने कहा कि तुम हंसोंगी लेकिन मैं ऐसी हालत में कुछ कर नहीं पाता हूँ पहले भी ऐसा हो चुका है। वह बोली कि अब क्या हुआ है। मैने कहा कि मुझे नहीं पता मेरी आंख खुली तो जो सामने था वह मैने किया। वह हंसी और बोली कि इतना शरीफ मत बनों मैं आगे बढ़ कर कुछ कर रही हूँ तो साथ तो दे सकते हो?

मैंने कहा कि कुछ हो ही नही पा रहा था लेकिन अब तो हो रहा है। उस ने कहा कि सुबह तो मुझें लगा कि कोई ऐसा कैसे कर सकता है जब तक वह गे ना हो। मुझे लगा कि तुम गे हो और इस लिये कुछ नही कर रहे हो। इस पर मैंने कहा कि गे नहीं हूँ लेकिन मुझे लग रहा था कि मैं कोई सपना देख रहा हूँ तथा कुछ कर नहीं पा रहा हूँ, सुबह हम दोनों ने इस बारें में कोई बात नहीं की तो मुझे लगा कि शायद मैंने कोई सपना ही देखा था।

मेरी बात सुन कर उस ने मुझे अपने से चिपका लिया और बोली कि सपना नहीं है तुम मेरे साथ हो तथा हम दोनों प्यार कर रहें हैं। उस की आंखों में लाल डोरे तैर रहे थे। वह इस खेल में आगे बढ़ने के लिये तैयार थी। मैं भी उस के साथ चलने के लिये राजी था। उस ने अपनी ट्री शर्ट उतार कर रख दी तथा मेरी तरफ हाथ किये कि मेरी ट्री शर्ट भी उतार दे लेकिन मैने अपनी ट्री शर्ट खुद ही उतार दी। अंदर ही अंदर मन में डर लग रहा था कि आगे क्या होगा?

इस के बाद दोनों रजाई में घुस गये और एक-दूसरे से लिपट गये उस के कठोर स्तन मेरी छाती में चुभ रहे थे वह अपने हाथों से मेरे स्तनों को सहला रही थी इस से मेरे शरीर में करंट सा दौड़ रहा था मैं भी हाथों से उस के उरोजों को सहलाते सहलाते उन को मसलने लगा यह हरकत उस को अच्छी लग रही थी। वह अब मेरी पीठ को सहला रही थी तथा नाखुनों से लकीरें खीचने लगी। दोनों के लब फिर से एक दूसरे से चिपक गये और दोनों गहरें चुम्बन में रत हो गये।

शरीर में गर्मी भड़क रही थी ऊपर के अंगों के बाद अब दोनों के हाथ नीचे का अवलोकन करने लगे। मेरा लिंग ब्रीफ में तन कर अकड़ गया था उस की इस अकड़न की वजह से मुझे दर्द होने लगा। मेरे हाथ ने उस की जाँघों के बीच घुस कर उस की बुर को सहलाना शुरु कर दिया। जवाब में उस ने मेरे लोअर में हाथ डाल कर लिंग को कपड़े के ऊपर से सहलाया। नीचे के कपड़ें अब बर्दाश्त नहीं हो रहे थे सो पहले मैने अपने लोअर को उतारा और दर्द के कारण ब्रीफ भी उतार दी। बंधन से मुक्त होते ही लिंग ने राहत की सांस ली और तन कर खड़ा हो गया। उस की कठोरता पत्थर के समान थी उस पर नसें रक्त के दबाव के कारण उभर आयी थी।

उस की नजर जब लिंग पर पड़ी तो उस की आंखे फैल गयी उस ने लिंग को हल्के से छु कर देखा और हाथ हटा लिया। उस ने भी अपना लोअर नीचे किया और उतार दिया। फिर अपनी पेंटी भी उतार दी। उस की सफाचट बुर उभरी हुई थी दोनों होंठ कुछ गहरे रंग के थे और आपस में जुड़े हुये थे। अब दोनों को रुकना मुश्किल हो रहा था सो रजाई एक तरफ कर के हम दोनों एक दूसरे पर 69 के पोजिशन में लेट गये। मेरी नाक में मोहक सुंगध आ रही थी मेरे होठों ने उस की बुर को ऊपर से चाटना शुरु कर दिया। नमकीन सा स्वाद जुबा को अच्छा लगा, कमाल की बात थी कि इस से पहले मैने किसी लड़की से साथ कुछ नही किया था लेकिन आज तो सब कुछ अपने आप हो रहा था।

कुछ देर उस की बुर चाटने के बाद मैंने अपनी बीच की ऊंगली उस की बुर में डाल दी और उसे अंदर बाहर करने लगा। अंदर गर्मी के साथ नमी भी थी। कुछ देर के बाद उस ने अपने पैर मेरें सऱ पर रख कर कस लिये।मेरा चेहरा अब उस की बुर से चिपक गया। मेरी जीभ उस की बुर के अंदर प्रवेश कर गयी। उस के मुख से आहहहहहहहहहहहह उईईईईईईईई एहहहहहहहहहहह जैसी आवाजें निकले लगी। मुझे लगा कि यह आवाजें कहीं कमरें से बाहर ना चली जायी।

उस ने भी पहले लिंग को चुमा और फिर उसे मुह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चुसने लगी। मेरी आंखों के सामने तारे छिलमिलाने लगे। उस ने मेरे अंडकोषों को बुरी तरह से मसलना शुरु कर दिया मेरी तो जान ही निकलने लगी।

उस ने लिंग को मुख से निकाला और मैने अपनी पोजिशन बदल ली अब मैं उस के ऊपर आ गया था। वह नीचे लेटी थी मैने उस की जाँधों को हाथ से अलग किया और उन के बीच बैठ गया। सब कुछ ऐसे हो रहा था कि जैसे हम ने इस का अभ्यास कर रखा हो। लेकिन हम ही जानते थे कि सब कुछ पहली बार हो रहा था। नीचे से वह कसमसा रही थी मैं हाथ से लिंग को उस की बुर के मुख पर लगा कर अंदर डालने की कोशिश कर रहा था, पहली बार में जब धक्का दिया तो लिंग योनि के अंदर नही गया। उस ने नीचे से हाथ लगा कर लिंग को योनि के मुख पर रखा और मैने धक्का दिया तो वह अंदर चला गया। आधा अंदर गया था कि उस के मुख से दर्द भरी कराह निकली मैं रुक गया। उस का चेहरा इतनी सर्दी में भी पसीने से नहा रहा था। उस नें आंखों से इशारा किया कि रुकों मत मैने दूसरा धक्का दिया तो लिंग पुरा अंदर समा गया।

मेरी हालत खराब हो रही थी। पहली बार शारीरिक संपर्क होने के कारण मेरा लिंग भी इतनी कसी योनि में घर्षण के साथ गया था। उस ने अपनी चीख को रोकने के लिये अपने नीचे के होठ को दांत से दबा लिया था। लिंग पुरा अंदर जा कर किसी जगह टकराया था शायद बच्चेदानी के मुख पर इस से उसे ज्यादा दर्द हो रहा था। मैं कुछ देर के लिये ठहर सा गया। उस के ऊपर बांहों से सहारे ऊठा हुआ नीचे से उस के शरीर में समाया हुआ मैं सोच रहा था कि अब क्या करुं, मेरी इस उहापोह को उस ने आंखों से इशारा कर के खत्म किया। मैं उस के इशारे को समझ कर अपने कुल्हों को ऊपर नीचे करने लगा। कुछ देर बाद वह भी दर्द सहन करने लगी थी इस लिये नीचे से कुल्हों को ऊठा कर मेरा साथ देने लगी।

हम दोनों की गति पहले तो धीमी थी लेकिन बाद में बहुत तेज हो गयी। दोनों के शरीर में जो आग लगी थी वह इसी तरह बुझ सकती थी उसे ज्यादा देर तक सहने की शक्ति हम दोनों में नहीं थी लेकिन यह अगन भली लग रही थी। जब मैं थक सा गया तो उस के ऊपर से हट गया अब वह मेरे ऊपर आ गयी। सारी कमान पहले भी उसी के पास थी अब तो वह मुझ पर सवार थी और अपने पुष्ट कुल्हों को हिला हिला कर मेरे लिंग को मथ रही थी। मेरी हालत पतली थी उस की योनि मेरे लिंग को इतना कस कर जकड़े हुये थी कि जब भी वह ऊपर होती थी तो योनि में तमाम नमी होने के बावजूद भी मेरे लिंग की खाल छिल सी रही थी।

उस की गति पाशविक थी उस की भरी जाँधें उछल-उछल कर मेरे पांवों पर टक्कर मार रही थी। योनि तो अंड़कोषों को भी निगलने का प्रयास कर रही थी। उस की योनि के प्रहार से मेरी कमर के नीचे के हिस्से में जोर से दर्द होने लगा था। उस के पुष्ट स्तन मेरी आंखों के सामने ऊंचे नीचे हो रहे थे मैने उन्हें अपने होठों से चुमना शुरु कर दिया। उस के एक निप्पल को होठों में ले कर मैं उस का रसपान करने लगा। इस से उस की उत्तेजना और बढ़ गयी और उस के प्रहार की गति तेज हो गयी। इस के कारण उस का सारा शरीर पसीने से नहा गया था। पसीने से तो मैं भी नहा गया था अब लग रहा था कि इस गर्मी से छुटकारा मिलना चाहिये लेकिन चरम आ ही नहीं रहा था। वह भी थक कर बगल में लेट गयी।

अब मैं उस के ऊपर आया और उस की दोनों टांगों को अपनें कंधों पर रख कर उस की कसी हुई योनि में अपने लिंग को डाल दिया इस के कारण लिंग पर घर्षण बहुत होने लगा कुछ देर बाद लगा कि मैं डिस्चार्ज होने को हूँ तो उस की टांगों को नीचे कर लिया। उस की टांगें मेरे पांवों पर लिपट गयी। फिर कुछ देर बाद वह मेरे कुल्हों के ऊपर आ कर लॉक हो गयी। मैं धक्के लगाता रहा फिर अचानक मेरी आंखें बंद हो गयी और मैने लिंग के मुख पर आग सी लग गयी। कुछ देर बाद उस पर गरम पानी की फुहार सी भी पड़ी। कुछ समय लगा मुझे अपने आप को सभालने में जब होश सा आया तो समझ आया कि मैं डिस्चार्ज हो गया हूँ तथा वह भी डिस्चार्ज हुई थी। लिंग के योनि के बाहर निकलने के बाद पानी योनि से बाहर निकलने लगा। मेरा लिंग भी योनि द्रव्य और वीर्य से सना हुआ था उस समय मैं उस के ऊपर से उठ कर उस की बगल में लेट गया उस की हालत भी पतली थी वह भी जोर जोर से सांस ले रही थी उस की छातियां जोर जोर से ऊपर नीचे हो रही थी। हम दोनों कुछ समय तक चुपचाप पड़ें रहें।

मैंने उसे रजाई उड़ाई और खुद भी रजाई में आ गया। उस ने मेरी तरफ मुख करके कहा कि तुम पहले तो कुछ करते नहीं हो और आज जान निकाल दी है। इतनी सर्दी में भी पसीने से नहा गयी हूँ। मैने कहा कि मैं भी पसीने से भीग गया हूँ। उस ने अपने हाथ रजाई में से निकाले और मेरे चेहरे को उन से पकड़ कर चुम लिया, फिर मेरे कान में बोली कि इतना दम कहाँ से आया? आधा घंटा लगा दिया। मैने कहा कि पता नहीं क्या हूआ है मेरा तो पहली बार है। वह यह सुन कर बोली कि अब इतना झुठ मत बोलों की तुम अब तक कुवाँरे थे। मैने कहा कि सही कह रहा हूँ इससे पहले जब भी मौका पड़ा तो कुछ हुआ ही नहीं था।

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