ट्रेकिंग के दौरान रोमांचक मुलाकात

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वह यह सुन कर फिर से मेरे होठं चुम कर बोली कि मुझे तो आज कुंवारें के साथ सोने का मौका मिला है मैंने ही तुम्हारा कुवांरापन तोड़ा है, मेरे लिये तो खुशी की बात है। मैने कहा कि मेरी तो हालत पतली है तुम्हें नहीं पता कि नीचे का क्या हाल है? वह बोली कि क्या हाल होगा, मैंने कहा कि लगता है कि छील गया है कई जगह जलन हो रही है। उस को मेरी बात पर विश्वास नही हुआ और उस ने मेरी रजाई हटा कर मेरे लिंग का निरिक्षण कर मारा। तब जा कर उसे विश्वास हुआ कि लिंग कई जगह से छिल गया था। मैने कहा कि तुम तो कुवांरी नहीं हो लेकिन योनि इतनी टाईट है क्या कारण है? वह बोली कि कुवांरी ना होना एक बात है और यह अलग बात है। मुझें इस की आदत नहीं है। यही कारण हो सकता है।

वह अब अपनी रजाई से निकल कर मेरी रजाई में आ गयी थी। मेरे से लिपट कर बोली कि कुछ भी कहो लेकिन मज़ा बहुत आया है। आज तक किताबों में पढ़ा था कि कोई इतनी देर तक कर सकता है लेकिन आज खुद के साथ हुआ तो समझ आया कि क्या हालत होती है मेरा तो दम ही निकल गया था। चूत का भौसड़ा बनते आज ही महसुस किया। नीचे हाथ लगाने में भी दर्द हो रहा है।

तभी मुझें ध्यान आया कि दोनों के अंग गीले है मैंने उस से कहा कि किसी कपड़ें से खुद को साफ कर ले, यह सुन कर वह बोली कि तोलियां गीला कर के लाती हूँ उस से चद्दर भी साफ करती हूँ यह कह कर वह नंगी ही बाथरुम में तोलिया लेने चली गयी। वहां से आयी तो उसने पहले अपने नीचे का हिस्सा साफ किया फिर मेरे का साफ करने को कहा। मैंने सारा लिंग तथा जाँघों के मध्य के हिस्से को साफ करके तोलिया उसे वापस कर दिया।

उस ने चद्दर पर लगे दांगों को गीली तोलिया से रगड़ा और तोलिया बाथरुम में रख आयी फिर आ कर कपड़ें पहनने लगी, मुझे रजाई में घुसे देख कर बोली कि आराम बाद में करना पहले कपड़ें पहन लो। मैं भी उस की बात सुन कर रजाई से निकला और कपड़ें पहनने लगा। इस के बाद दोनों दोबारा रजाई में लेट गये। उस ने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों में ले कर मेरा माथा चुमा और मैरे होंठों को अपने होठों से लॉक कर दिया। काफी देर तक हमारा चुम्बन चलता रहा। इस के बाद उस ने मेरे कान में कहा कि सही मानों में तो मेरा भी कुवांरापन आज ही टुटा है। मैंने उसे अपने से लपेट कर कहा कि कभी ना कभी तो पहली बार होता ही है।

मुझे कुछ याद आया तो मैनें कहा कि आज गल्ती हो गयी है कोई सेफ्टी नहीं ली। वह बोली कि हाँ गल्ती तो है लेकिन चलों कोई उपाय ढुढ़ते है। जो हो गया सो हो गया। मैं अपने पहले सैक्स अनुभव के दर्द से उबर गया था। उस के साथ होने के कारण उत्तेजना बढ़ रही थी लेकिन बिना किसी सुरक्षा के दुबारा संबंध बनाना मुझे उचित नहीं लग रहा था। दिल और दिमाग में द्वन्द हो रहा था लेकिन दिमाग जीत गया। कुछ देर बाद हम दोनों सो गये।

शाम को जब सो कर उठे तो सारा बदन दर्द कर रहा था, उस ने कहा कि मैं तो कही नहीं जा रही हूं तुम ही चले जाओ। मैं कपड़ें बदल कर निकल गया। बारिश बंद थी सो बाज़ार में चहल-पहल थी। मेडीकल स्टोर देखा और उस से कंडोम का एक पैकिट लिया तथा किसी कोन्टरासेप्टिक गोली के बारे में पुछा तो पता चला कि वह तो नहीं मिल पायेगी उस के लिये तो कस्बे में जाना पड़ेगा। इस मौसम में इतनी दूर जाना सही नही रहेगा। यह सोच कर गर्भनिरोधक गोली खरीदने का विचार छोड़ दिया। एक एंसेप्टिक क्रीम जरुर ले ली ताकि कटे-फटें पर लगाई जा सके।

इस के बाद रात के खाने के लिये कुछ देखा लेकिन कुछ समझ नही आने पर वापिस होटल लौट आया। वह उठ गयी थी लेकिन रजाई में ही थी। मुझे देख कर बोली कि क्या खाना है? ऑडर कर देते है। मैंने कहा कि आज तो रजमा चावल खाते है यहां का राजमा बहुत स्वादिस्ट होता है तो वह तैयार हो गयी। होटल को दो प्लेट राजमा चावल का ऑडर कर दिया। इस के बाद उस ने मेरी तरफ प्रश्नवाचक निगाहों से देखा तो मैंने कहा कि वो तो नहीं मिला जो ढुढ़ रहे थे लेकिन कुछ और मिल गया है। उसे कुछ समझ नहीं आया तो मैने बताया कि पिल्स तो नहीं मिली लेकिन मैं कंडोम ले आया हूं। आज तो सावधानी रख सकते है उस ने मुस्कराकर मुझे देखा। मैनें भी उसे स्माईल दिखा दी।

बाहर फिर से बारिश शुरु हो गयी थी तथा इस के कारण ठंड़ बढ़ं गयी। कुछ देर बाद राजमा चावल आ गये और हम भुखों की तरह उन पर टूट पड़ें। पेट भर गया था। कुछ देर मोबाइल पर गानें सुनते रहें फिर सोने के लिये मैं कपड़ें बदलने के लिये बाथरुम में चला गया तो उस के अंतरवस्त्र पड़े देख कर मुझे कुछ याद आया, बाहर आ कर मैने उस से पुछा कि उसे महीना कब हुआ है? यह सुन कर उस ने अजीब नजरों से मुझे घुरा। मैंने कहा कि सिर्फ यह जानना है कि इस को हुये कितने दिन बीत गये है तो वह बोली कि खत्म हुये दो या तीन दिने बीते है। मैने यह सुन कर चैन की सांस ली वह मेरी तरफ देख कर बोली कि क्या हुआ? मैनें उसे बताया कि महीना खत्म होने के बाद छः या सात दिन सैफ कहे जाते है इन दिनों में सेक्स से गर्भ नही ठहरता।

मेरी बात सुन कर एक बार तो उस के चेहरे पर संतोष की छाया दिखी फिर वह शंका से बोली कि मैंने तो ऐसा कभी नहीं सुना है। मैंने कहा कि मैंने कही पढ़ा था इस लिये ध्यान में आ गया। वह इस के बाद बोली कि मेरी बड़ी चिन्ता कम हो गयी। मैंने कहा कि मैं भी रात से इसी बात को लेकर परेशान था अब कुछ आराम पड़ा है। वह मेरी बात सुन कर मुस्कराई तो मेरी तरफ दोनों हाथ करके बोली कि आयों ना। मैं यह निमंत्रण कैसे ठुकरा सकता था सो उस की बाहों में समा गया। हम दोनों के होठं एक-दूसरे से चिपक गये थे उन के बीच में हवा भी नही जा सकती थी।

मुझे भी उस के चुम्बन में बड़ा मज़ा आ रहा था सो जो वह करना चाहती थी उसे करने दिया। उस की जीभ मेरे मुँह में घुस कर मेरी जीभ के साथ द्वन्द करती रही। चुम्बन के बाद मैनें उस की गरदन पर होठों से गहरा किस किया जो काफी देर चला। वहां पर लव बाईट का निशान बन गया। किसी को इस की परवाह नहीं थी। उस ने मेरे चेहरे को नीचे अपनें वक्षों पर कर लिया। मैंरे होंठ उस के स्तनों के मध्य चुमने लगे। लेकिन कसी ब्रा पहनी होने के कारण में और नीचे नहीं जा पा रहे थे मैरे हाथ भी उन्हें ब्रा से बाहर नहीं कर पा रहे थे वह कुछ देर तक तो इस बात का मज़ा लेती रही फिर उस नें हाथ ऊपर करके ट्री शर्ट उतार दी और अपने हाथ पीछे ले जा कर ब्रा का हुक खोल दिया और उसे उतार दिया अब तो होंठों के लिये मैदान खुला था सो वह ऊचांईयों के शिखरों का रस लेने लगे।

निप्पल को चुसने के बाद मैने उस के समुचे स्तन को मुँह में लेने का प्रयास किया लेकिन केवल आधा ही मुँह में आ सका इस से उस के मुख से सिसकियां निकलने लगी। फिर दूसरे स्तन का नंबर आया उस पर तो मैंने जोर से काट ही खाया। दातों के निशान मांस पर छप गये। मेरी इस हरकत को उसने रोका नहीं क्योंकि उस पर वासना का ऊफान चढ़ा हूआ था। दोनों गोलाइयों के बीच से होती हुई मेरी जीभ उस की नाभी पर पहुंच कर उस का स्वाद लेने लगी। जब वहाँ से नीचे उतरी तो हल्कें रोओं के बीच से होती हुई चूत के घने बालों में पहुंच गयी।

चूत भी पेंटी से ढकी होने के कारण जीभ की पहुंच से दूर थी। जीभ ने पेटीं के ऊपर से ही ऊपर से नीचे तक चुत का स्वाद लिया। पेंटी में से गिलापन बाहर टपक रहा था। मैंने अपनी ऊगलियों के द्वारा उसके पायजामें और पेंटी को नीचे खिसका दिया, अब जीभ के लिये मैदान साफ था सो वह अपने काम कर लग गयी पहले तो चुत को ऊपर से नीचे की तरफ अच्छी तरह से चांटा इसके बाद मैंने ऊंगलियों के द्वारा चूत के होंठों को अलग करके जीभ को उसके अंदर जाने का मौका दिया। नमकीन और कड़वें स्वाद का रसास्वादन करती हूई वह अंदर भ्रमण करने लगी। इसके साथ ही मैने अपनी ऊंगली को भी चूत में डाल दिया।

ऊंगली के अंदर बाहर होने से उस के मुख से आह उईईईईई एईईईईईईईईईईई निकली शुरु हो गयी। मैं यह आवाजें ज्यादा नहीं चाहता था सो कुछ देर बाद मैनें अपनी ऊंगली उस की चूत से बाहर निकाल ली। अब नीचे झुक कर उस की जांघों पर चुम्बन करते हुये उस के पंजों तक चला गया फिर पंजों को चुम कर वापस उस के होंठों तक लौट आया।

उस ने अपने हाथ को मेरे पायजामें में डाल कर मेरे लंड का ब्रीफ के ऊपर से सहलाना शुरु कर दिया। इस उत्तेजना के कारण लंड तन कर पुरे साईज में आ चुका था और मुझे उस के तनाव के कारण दर्द का अनुभव हो रहा था। उस नें अपने हाथों से ब्रीफ को कुल्हों से नीचे खिसका कर लंड को मुक्त कर दिया और मेरा दर्द कुछ कम हो गया। वह उसे पहले तो सहलाती रही फिर उत्तेजना वश हो कर उसे मसलने लगी, इस कारण से मेरा रुक पाना मुश्किल हो गया और मैं उस के पेरों के बीच बैठ गया। मेरा लंड उस की चूत से टकरा रहा था।

तभी मुझे ध्यान आया और मैनें हाथ बढ़ा कर बेड पर रखा कंडोम की डिब्बी उठा ली। उसे खोला और एक कंडोम का पैकेट फाड़ा उस के अंदर से कंडोम निकाला और उसे अपने लंड के मुँह पर रख कर नीचे की ओर खिसका कर चढ़ा लिया। कंडोम पर छोटे-छोटे डॉट बने हुये थे। आज इन का भी मज़ा उस को आना था। इस के बाद लंड को उस की चूत में डालने के लिये चूत के मुख पर रखा लेकिन कंडोम के कारण अंदर जाने की बजाए वह फिसल कर नीचे चला गया। तभी उस ने अपने हाथ से लंड को चूत के मुख पर रखा और मैने जोर से धक्का दिया इस के कारण लंड पहली बार में ही चूत के अंदर चला गया। उस के मुह से सिसकी निकली लेकिन उस ने अपने हाथों से मेरे कुल्हों को पकड़ लिया यह इस बात का इशारा था कि मुझे रुकना नहीं है, मैनें इशारा समझ कर फिर से जोर लगाया और इस बार लंड पुरा का पुरा चूत में समा गया। इस के बाद में टहर गया।

नीचे से वह दर्द के कारण कसमसा रही थी। इस के बाद मैंने अपने दोनों हाथ उस के दोनों तरफ रखे और अपने कुल्हों को धीरे-धीरे ऊपर नीचे करने लगा। उस को भी अब मज़ा आने लगा था। वह भी नीचे से अपने चुतड़ ऊठा कर मेरा साथ दे रही थी। कंडो़म पर डॉट होने के कारण उसे अंदर घर्षण में ज्यादा मज़ा आ रहा था। उस ने धीरे से आहहहहहहहहहहहह उहहहहहहहहहहहहहहह एहहहहहहहहहहहहहहह करना शुरु कर दिया था। मैंने इन आवाजों को रोकने के लिये उस के होंठों को अपने होंठों से कस कर जकड़ लिया था।

मैं नहीं चाहता था कि बगल के कमरें तक ये आवाजें जाये। धीरे-धीरे मेरी गति तेज होती गयी नीचे से वह भी उतनी ही तेजी से जबाव दे रही थी। इतनी सर्दी के बावजूद हम दोनों पसीने से नहा गये थे। काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा फिर मैने उसे अपने ऊपर कर लिया और मैं उस के नीचे लेट गया अब वह जोर जोर से अपने चुतड़ों को ऊठा गिरा कर मेरे लंड को चूत में समाने का प्रयास कर रही थी। उस की चूत की टक्कर मेरे अंडकोश झेल रहे थे उन में दर्द भी होने लगा था।

लेकिन इस के बावजूद मैं उसे रुकने को नहीं कह रहा था। मुझे यह दर्द अच्छा लग रहा था। लंड और चूत से निकला हुआ पानी हमारे जांघों को भिगों रहा था। काफी देर तक ऐसा होने के बाद वह थक कर नीचे बगल में लेट गयी। मैं अभी तक डिस्चार्ज नहीं हुआ था। मैने उसे पेट के बल लिटाया और उस के पीछे बैठ कर उस के चुतड़ो की दरार के बीच से अपना लंड उस की चूत में घुसेड़ दिया।

मेरे ऐसा करने से उसे जोर से दर्द हुआ उस के मुख से जोर की आह निकली लेकिन मैं उसे अनसुना करते हुए धक्के लगाता रहा। शायद लंड चूत के अंदर ढे़ड़ा जाने के कारण उसे दर्द हो रहा था। कुछ देर बाद मैंने उसे पलट कर सीधा कर दिया। दूबारा उस के अंदर प्रवेश किया तो उस के चेहरे पर दर्द मिश्रित आंनंद के भाव मुझे दिखे। अब मैं भी थकने लगा था तथा चाहता था कि चरम आ जाये। लेकिन शरीर में तनाव तो था लेकिन चरम अभी तक दूर था।

मैंने अपना शरीर एक लकीर में सीधा किया और जोर-जोर से धक्कें लगाने लगा। वह भी नीचे उत्तेजना के कारण सर को इधर-उधर पटक रही थी। कुछ देर के बाद मेरी आंखों के आगें सितारें झिलमिला गये और मैं बैसुध सा हो गया तभी मेरें लंड के मुख पर ऐसा लगा कि लावा सा निकाला जिस की गर्मी बर्दाश्त से बाहर सी थी। कंडोम के कारण गरमागरम वीर्य मेरे लंड के चारों ओर भर गया उस की गरमाहट बहुत ज्यादा थी। चेतना चली सी गयी और मैं उस के ऊपर लुढ़क गया। कितनी देर ऐसे ही पड़ा रहा यह मुझे नहीं पता चला, जब चेतना वापस आयी तो उस के ऊपर से हट कर बगल में लेट गया। मेरी सांस धोकनी की तरह चल रही थी। उस की तरफ गरदन घुमा कर देखा तो वह भी हांफ रही थी उस के स्तन भी बड़ें जोर जोर से ऊपर नीचे हो रहे थे।

कुछ देर हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे। फिर जब सांसे काबू में आयी तो उस ने मेरी तरफ देख कर कहा कि जान निकलने ही वाली थी। मैंने गरदन घुमा कर घड़ी की तरफ देखा तो हम दोनों को 30 मिनट से ज्यादा का समय लगा था। वह बोली कि मुझे तुम्हारें डिस्चार्ज होने का पता नही लगा। मैने कहा कि कंड़ोम के कारण ऐसा हुआ है। वह बोली कि डॉट ने तो जान निकाल दी थी लेकिन मज़ा बहुत आया। आज तो कल से भी ज्यादा समय लगा है। कही कुछ लिया तो नहीं है? मैंने कहा कि कंड़ोम पर डिले के लिये शायद कोई ऑयल लगा है उसी के कारण ज्यादा समय लगा होगा। मैने तो कुछ नहीं लिया है। वह कुछ नही बोली फिर मेरे गले में बांहें डाल कर बोली कि ऐसा मज़ा पहले कभी नही आया था। मैं चुप रहा क्योकि मैं ऐसा नहीं कह सकता था।

मेरा यह दूसरा ही अनुभव था सो मज़ा तो मुझे भी खुब आया था लेकिन किसी से तुलना के लिये मेरे पास कोई दूसरा अनुभव नही था। मैंने हाथ नीचे अपनी जाँघों के बीच में किया तो पाया कि लंड के सिकुड जाने के कारण कंडोम उतर सा गया है मैंने उसे लंड से उतारा तो देखा कि कंडोम वीर्य से पुरा भरा था। उसे पुरा भरा देख कर उस की आंखें भौचक्की सी रह गयी। उस ने अपनी गरदन झुका कर अपनी हालत देखी तो उसे पता चला कि उस की चूत से भी पानी टपक रहा था जो उस की जांघों को गिला कर रहा था यह देख कर उस ने पास पड़ी अपनी पेंटी को उठा कर अपनी चूत साफ की और फिर उसे मुझें दे कर कहा कि अपने लंड को की साफ कर लो। मैने ऐसा ही किया।

बरसात लगातार हो रही थी उस कारण से ठंड़ बड़ गयी थी अब हम दोनों को भी उस का ऐहसास होने लगा था सो दोनों से लपक कर अपने कपड़े सही कर के पहन लिये और रजाई में घुस गये। वह मेरे पास आयी और मेरी छाती पर सर रख कर लेट गयी। कुछ देर बाद हम दोनों निंद्रा देवी की अराधना में लिन हो गये। कमरें में हम दोनों के खर्राटे गुंज रहे थे और बाहर बरसात की आवाज।

समाप्त

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