ससुर बहु का प्यार परवान चढ़ा

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मै -- चलो अब हम लोग मॉर्निंग वाक के लिए चलते हैं, मैं सपना को भी बुलाता हूँ.

मैं -- बहुउउउ.....सपना -- जी बाबूजी आयी..

सपना पहले से ही एक पिंक कलर का मिड ड्रेस पहनी हुई थी। उसकी गोरी और मोटी जांघें सुबह-सुबह हमे पागल बना रही थी..

सपना -- बाबूजी मैं तैयार हूँ चलिये!

सपना और मैं मॉर्निंग वाक के लिए निकल पड़े. बहु मेरे आगे-आगे चल रहे थे और मैं पीछे बहु की गांड पे नज़र गड़ाए चल रहा था. मैं सोच रहा था के कल रात जो भी हुवा उसके बावजूद बहु कितने आराम से बातें कर रही है, जैसे मानो कुछ हुवा ही ना हो. क्या ये मेरी बहु है जिसके मुँह पे कल रात मैंने अपने लंड का पानी निकाला था.. क्या मेरे बेटे ने कभी भी मेरी बहु के मुँह में अपना पानी छोड़ा होगा? मेरे अंदर काफी सारे सवाल आ रहे थे, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था के मैं अपनी बहु के साथ इतना कुछ कर सकूंगा वो भी इतनी जल्दी. बीटी रात की बात सोच मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं जैसे तैसे वाक पूरा कर घर आ गया.

दोपहर 1 बजे हम  डाइनिंग टेबल पे बैठ कर लंच कर रहे थे. मेरी बगल में बहु वाइट कलर सलवार सूट पहन के बैठी थी हम  कुछ-कुछ बातें कर रहे थे, मैंने बातो ही बातों में अपना एक हाथ बहु की जांघो पे रख दिया. बहु ने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया, मैंने फिर से बहु की जांघ पे हाथ रख दिया और सहलाने लगा. इस बार बहु चुपचाप थी और अपनी नज़र झुकाये लंच करती रही.

मैं -- बहु जरा रोटी देना एक और.. (ऐसा कहते हुवे मैं अपना हाथ बहु की बुर के पास ले गया और जोर से दबा दिया )।

सपना -- ये लीजिये बाबू जी..

मैं -- डबल मीनिंग में वाह बहु... तुम्हारी रोटी कितनी गरम और फूली हुई है.. (मैंने बहु की बुर वाइट सलवार के ऊपर से सहलाते हुवे कहा..)

बहु मेरा इशारा समझ रही थी, के मैं रोटी की नहीं उसकी फूली हुई और गरम बुर की बात कर रहा हूँ.

सपना -- हाँ बाबूजी बहुत गरम है..

 मैं-- हाँ बहु तुम रोटी बहुत अच्छी बनाती हो. लेकिन बहु तुम इतना घी क्यों लगाती हो रोटी में.

मैं --  बहु की रोटी का घी है तो टेस्टी ही. मुझे तो बहु की रोटी से निकलता हुवा घी बहुत पसंद है. बहु की रोटी में जितना घी उतना मज़ा..

मैं -- (एक हाथ से रोटी को उठाते हुवे.. देखो बहु कितना सारा घी निकल रहा है.. (ऐसा कहते हुवे मैंने बहु के बुर के बीच अपनी ऊँगली घुसा दी..) क्यों बहु घी निकल रहा है ??

सपना -- हाँ बाबूजी बहुत ज्यादा घी निकल रहा है मेरी रोटी से.. अब खा भी लीजिये.. देखिये न आपकी पूरी ऊँगली वेट हो गई मेरे घी से..

मैं -- (अपनी ऊँगली चाटते हुवे..) बहु तुम तो जानती हो मुझे चाटना अच्छा लगता है. (इस बार मैंने अपना दूसरा हाथ बहु की बुर से हटा कर अपनी जीभ से चाट लिया)। हाथ में भी बहु की रोटी का घी लगा है, इसकी स्मेल भी अच्छी है और चाटने में स्वाद भी.

इतना सब डबल मीनिंग बात कर मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, मैंने बेशर्मी से टेबल के नीचे बहु के सामने ही अपना लंड बाहर निकाल लिया और रब करने लगा. बहु चोरी से अपनी तिरछी नज़र से मेरे लंड का स्किन ऊपर नीचे जाते देख रही थी.

मैं -- (मुठ मारते हुवे.. -- बहु क्या हुवा तुम ठीक से खा नहीं रही.. ?

सपना -- कुछ भी तो नहीं बाबूजी मैं खा तो रही हूँ।

मैं -- नहीं बहु लगता है तुमने सारी घी वाली रोटियां मुझे  दे दी और खुद सूखी रोटी खा रही हो..

मैं चेयर पे बैठा मुठ मार रहा था और 5-6 बार स्ट्रोक मारते ही मेरे लंड का पानी मेरी हथेली पे ही निकल आया. बहु ने मेरा माल निकलते हुवे देख लिया, लेकिन कुछ नहीं बोल पायी और चुपचाप खाना खाती रही.

मैं -- बहु... ला रोटी इधर दे.. मेरे हाथ में घी लगी है मैं लगा देता हूँ. (बहु ने कोई रेस्पोंस नहीं दिया )।

मैं -- (अपना हाथ आगे बढ़ाते हुवे बहु की रोटी उठा ली और उसपे अपनी हथेली का सारा माल फैला दिया) ये लो बहु.. थोड़ा मेरा भी घी का स्वाद चख लो.

सपना -- जी बाबूजी.. (सपना ने मेरे सफ़ेद माल से भीगी रोटी को तोड़ अपने मुँह में डाल लिया)।

मैं -- कैसी लगी बहु..?

सपना -- अच्छी बाबूजी.. बहुत अच्छी.. बहु की इस हरकत को देख मैं काफी एकसाईटेड हो गया।

मेरी रंडी बहु कितनी बेशर्मी से मेरे माल से भरी रोटी खा रही थी. हम सब लंच ख़तम करने के बाद काफी देर तक वहीँ बैठे बातें करते रहे.

शाम को डिनर करने के बाद  मैं और बहु एक कमरे में आ गए. बहु ने दरवाज़ा बंद किया और विंडो पे कर्टेन लगा दिया. मैं बिस्तर पे बैठ ब्लैंकेट में घुस गया और बहु को देखने लगा, बहु मेरे सामने कपडे चेंज करने लगी.. और मेरे सामने एक टीशर्ट और शार्ट में बिस्तर पे चढ़ गई। मैं -- बहु तुम इतनी चुप क्यों हो? मुझसे नाराज़ हो?

सपना -- हाँ बाबूजी कल रात मैंने आपको बोला था के आप मेरे साथ ऐसे हरकत दुबारा नहीं करेंगे।

मै -- हाँ बहु बोला था..

सपना -- फिर क्यों? आपको दोपहर में लंच टेबल पे क्या हो गया था??

मैं -- देखो बहु मैं माफ़ी चाहता हूँ लेकिन उस वक़्त मैं अपने आप को रोक नहीं पाया, तुम बहुत खूबसूरत लग रही थी.

सपना -- बाबूजी अगर किसी को पता चल जाता तो? आप बिना किसी डर के मेरे सामने.. वो..अपना.... पानी.... और मेरी रोटी पे घी कह के लगा दिया.. और मुझे मजबूरन खाना पड़ा.

मैं -- बहु मैं अपने होश खो बैठा था मुझे माफ़ कर दो. तुम्हे देख कर तो कोई भी अपना होश खो बैठे।

सपना -- नहीं बाबूजी केवल आप.. आपको प्रॉब्लम है आपको क्यों कण्ट्रोल नहीं होता...?

मैं -- देखो बेटा मैं जानता हूँ. लेकिन तुम भी तो वेट हो गई थी है न.. ??

सपना -- (अपना सर झुकाते हुवे..) नहीं मैं वेट नहीं हुई थी।

मै -- झूठ.. झूठ!

सपना -- हाँ थोड़ा सा लेकिन वो आपकी वजह से.. प्लीज ऐसा मत करिये.

मैं -- बहु मैं कण्ट्रोल नहीं कर पाता, मैं तो क्या कोई भी नहीं कर पायेगा, तुम्हारे जैसी भरे बदन वाली बहु को देख कर.

सपना -- बाबू जी मैं आपकी बहु हूँ मत करिये मेरे साथ ऐसा.

मै धीरे-धीरे बहु के पास आ गया और उसके कंधे पे हाथ रख उससे समझाने लगा. देखो बहु ये सभी आदमियों के लिए नार्मल है. मास्टरबेसन केवल सेक्सुअल सटिस्फैक्शन के लिए होता है। सभी पुरुष करते हैं क्या तुमने कभी नहीं देखा? कभी अपने मायके में? तुम्हारे भाई, चाचा या पापा किसी ने? तुम अपने घर में कभी भाई या पापा के बैडरूम में गई? कभी देखा बेडशीट पे कुछ गीला या दाग कुछ भी.

सपना -- हाँ घर में कई बार कुछ अजीब सी चीज़ें होती थी लेकिन मुझे ये सब कभी समझ में नही आया. सपना की बात सुनकर मेरे लंड में थोड़ी सी हलचल हुई और मैंने उसे और डिटेल में बताने को कहा.

मैं -- बहु.. क्या थी वो अजीब सी चीज़ें बताओ मुझे.

सपना -- वो शादी से कुछ दिन पहले की बात है, मेरी मम्मी और मेरा भाई गाँव पर एक शादी के लिए गए थे. और घर में, मैं और पापा अकेले थे..

मैं -- फिर क्या हुवा..?सपना -- मैं जब एक सुबह पापा का रूम साफ़ कर रही थी तो मुझे उनके पिलो के नीचे मेरी पैंटी मिली. मैंने सोचा शायद मम्मी ने गलती से मेरी पैंटी रख दी हो. लेकिन फिर मुझे याद आया के ये पैंटी 1 दिन पहले की मेरी यूस की हुई पैंटी है और मैंने बाथरूम में इसे धुले बगैर छोड़ दिया था फिर यहाँ कैसे पहुंची..? और मम्मी तो गाँव में हैं तो क्या पापा, मम्मी की पैंटी समझ कर मेरी पैंटी अपने कमरे में ले आये?

मैं -- उसके बाद?

सपना -- फिर मुझे कुछ समझ में नहीं आया, दूसरे दिन भी मेरी पैंटी पापा के पिलो के नीचे पड़ी थी और उसमे कुछ गीला गीला सा था.

सपना -- तो क्या मेरे पापा....

मैं -- हाँ इसका मतलब तुम्हारे पापा तुम्हारी पैंटी रात में लाते थे और तुम्हारी यूस की हुई पैंटी का स्मेल लेते थे. और फिर तुम्हे उस पैंटी में इमेजीन कर मुट्ठ मारते थे. और फिर माल तुम्हारी पैंटी में ही गिरा दिया करते थे.

सपना -- नहीं मैं नहीं मानती, मेरे पापा मेरे बारे में सोच कर.. ये सब?

मैं -- हाँ बहु इसमें गलत नहीं है ये तो हर पुरुष का नेचर है, वो तो बस तुम्हारी बड़ी-बड़ी चूचि और फूली हुई बुर के बारे में इमेजिन कर अपने आप को सेक्सुअली सेटीसफ़ाई करते होंगे.

मैं -- क्या तुमने कभी उनका खड़ा लंड देखा था?

सपना -- हाँ देखा था।

मै -- कब?

सपना -- वो एक बार बाथरूम में मैंने उन्हें देखा था वो अपनी अंडरवियर उतार अपना लंड हाथ में लिए खड़े थे। सामने एक बड़ा सा मिरर था जिसके रिफ्लेक्शन में मैंने उनका बड़ा सा लंड साफ़ साफ़ देखा. वो अपने लंड के स्किन को नीचे किये हुवे थे, मैंने देखा तो मेरी धड़कन तेज़ हो गई और मैं भाग कर किचन में आ गई.

(बहु बिना शर्म अपने मुँह से अपने पापा के लंड के बारे में बोल रही थी. मेरी रंडी बहु के मुँह से ये सब सुन कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने अपना लोवर नीचे कर ब्लैंकेट के अंदर लंड निकाल सहलाने लगा)।

मैं -- तो इसका मतलब तुमने सबसे पहला लंड अपने पापा का देखा?

सपना -- (शर्माते हुवे..) हां!

मैं -- वाओ.. अपने पापा का लंड देख क्या तुम्हारे बुर में पानी आया था?

सपना -- बाबूजी ये आप क्या कह रहे हैं वो मेरे पापा हैं।

मैं -- मैं नहीं मानता सच सच बताओ बहु अपने पापा के बारे में जानकर क्या अभी तुम्हारे बुर में पानी नहीं आ रहा?

सपना -- बाबूजी ये आप क्या कह रहे हैं?

मैं -- सच कह रहा हूँ बहु क्या तुम अभी वेट नहीं हो? अपनी ऊँगली डाल के देखो!

सपना -- नहीं मैं वेट नहीं हूँ.

मैं -- अगर नहीं हो तो अपनी ऊँगली अपनी बुर में डाल के दिखाओ।

सपना -- (छुपाते हुवे अपनी गीली पैंटी हटाती है अपनी एक ऊँगली बुर में डाल बाहर निकालती है)

सपना -- (झिझकते हुवे.... -- ओह बाबूजी चलिए अब सोते हैं.

मैं -- नहीं बहु पहले तुम अपनी ऊँगली दिखाओ।

सपना -- (अपनी नज़र झुकाये अपने हाथ दिखाती है.. उसकी 2 उँगलियाँ बुर के पानी से पूरी तरह गीली होकर चमक रही थी।

मै -- (मैंने वो दो ऊँगली अपने मुँह में ले ली) देखा बहु तुम्हारे बुर से कितना पानी निकल रहा है (मैं तेज़ी से ब्लैंकेट के अंदर मुट्ठ मारने लगा)।

सपना -- बाबूजी ये आप क्या कर रहे हो?

मैं -- मुठ मार रहा हूँ बहु...

सपना -- प्लीज बाबूजी ये मत करिये प्लीज प्लीज प्लीज...

मैं -- (मैंने अपना लंड बाहर निकाल बहु को दिखा दिया -- नहीं बहु तुमने जब बताया के तुम्हारे पापा तुम्हारी पैंटी में मुठ मारे थे, तबसे मैं एक्ससिटेड हो गया हूँ.. ओह बहु.. मेरा लंड छूओ बहु.. (मैंने बहु का हाथ अपने लंड पे रख दिया)।

सपना -- (हाथ हटाते हुवे..) -- नहीं बाबूजी!

मै -- बहु... बहु.. मेरा पानी निकाल दो बहु.. मैं नहीं रुक सकता.

सपना -- तो फिर जल्दी निकाल दीजिये बाबूजी.. जल्दी..

मैं -- बहु इतनी जल्दी नहीं निकलेगा तुम कुछ करो..

सपना -- क्या करूँ बाबूजी आपका माल जल्दी निकालने के लिए?

मैं -- तुम अपनी ब्रा खोल दो बहु शायद तुम्हारी चूचि देख के मेरा माल निकल जाए...

सपना -- ओके बाबूजी.. जल्दी करिये.. (सपना ने अपनी ब्रा उतार दी और अपनी नंगी चूचि मुझे दिखाने लगी. मैं बहु की चूचि देख मास्टरबेट करता रहा)।

मैं -- ओह बहु... तुम अपनी पैंटी उतार दो, मेरे लंड का पानी नहीं निकल रहा..

सपना -- ओके बाबूजी.. जल्दी करिये प्लीज..(बहु ने अपनी पैंटी उतार अपनी बुर मेरे सामने खोल दी.. उसकी बुर से रस टपक रहा था और पूरी गीली हो चुकी थी)।

मैं -- ओह बहु.. तुम्हारी बुर से कितना जूस निकल रहा है क्या मैं चाट लूँ?

सपना -- (बिस्तर पे लेटे हुवे..अपनी टाँगे फैलाई -- नहीं बाबूजी..

मैं -- प्लीज बहु.. (मैं बिना देरी किये बहु की बुर चाटने लगा.. बहु के मुँह से सिसकारी निकल गई और वो ओह आह उह चिल्लाने लगी.. )।

सपना -- बाबूजी ये आप क्या कर रहे हैं.. प्लीज.. प्लीज जल्दी निकालिये.

मैं -- बहु.. अगर जल्दी निकालना है तो तुम मेरा लंड अपने मुँह में ले कर चूसो और मैं तुम्हारे मुँह में मुठ निकाल देता हूँ।

सपना -- मुँह में नहीं बाबूजी.. मैंने तो अपने पति का लंड भी कभी मुँह में नहीं लिया..

मैं -- तो क्या हुवा बहु, पति का नहीं तो ससुर का ही लंड मुँह में ले लो.. मेरा लंड चूस कर तुम एक अच्छी बहु बनोगी..

सपना -- ठीक है बाबूजी.. लाईये मैं आपका लंड चूसती हूँ (बहु ने होठ खोल मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और कसके चूसने लगी.. )।

मैं -- आह बहु.. बहुत मज़ा आ रहा है

(बहु के गीले गरम होठो के अंदर मेरे लंड का बुरा हाल था.. मेरी बहु मुझे ब्लोजॉब दे रही थी.. -- मैं इस बार कण्ट्रोल नहीं कर पाया और फव्वारे की तरह बहु के मुँह के अंदर मेरे माल का सैलाब छोड़ दिया.. मेरा माल इतना ज्यादा था के बहु के होंठों के किनारे से बह कर बिस्तर पे गिरने लगा.. फिर भी मेरी बहु मेरा लंड चूसती रही.. शायद उसे मेरा लंड चूसने में मज़ा आ रहा था.. लेकिन वो रंडी की तरह, जिस तरह मेरा लंड कसके चूस रही थी उससे मुझे ऐसा लगा जैसे वो शायद पहले भी कई बार लंड चूस चुकी है.. लेकिन अभी ये बताना मुश्किल था के किसका??सुबह देर तक मैं और बहु एक बिस्तर पे एक चादर के अंदर सोते रहे,

सपना -- आप मर्दो का क्या प्रॉब्लम है? क्या मिलता है आपको? क्या वो आपके... आपके... वो.. केले का पानी निकलने से सब ठीक हो जाता है?

मैं -- हाँ बहु हम मर्दो के लंड का पानी एक बार निकल जाए तो रिलैक्स महसूस होता है.

बहु ने चादर के अंदर ही अपनी ब्रा पैंटी पहनी फिर नाइटी पहन कर वाशरूम चली गई.. मैं भी फ्रेश होने चला गया...

बहु कमरा साफ़ कर रही थी, वो हॉल में झाड़ू लगाने के बाद टीवी के पास बैठ कर कुछ फोटोज फ्रेम साफ़ करने लगी. बहु ने पीली साड़ी पहन रखी थी और जब वो हमारे ठीक आगे झुक के सफाई कर रही थी तो उसके मोठे मोटे कूल्हे उसकी साड़ी में लिपटे बहुत ही मादक लग रहे थे. उसकी कमर का भाग काफी खुला हुवा था और कमर से लेकर गांड तक उसकी शेप देख मेरी आँखें बहार आ गयीं. बहु जानबूझ कर अपने कूल्हे हिला रही थे जैसे मुझे आमंत्रित कर रही हो..

मै-- बहु क्या बात है आज तुम बहुत खुश लग रही हो... और बालों में गजरे भी लगाए हैं कोई ख़ास बात?

सपना -- (बहु ने बिना पीछे मुड़े ही जवाब दिया... शायद वो जानती थी के मै अपना लंड हिला रहा होगा और वो  डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी..) -- ख़ास बात तो है लेकिन न तो मेरे पतिदेव को याद है और न ही मेरे ससुर जी को!

मै -- क्या ख़ास बात बहु? (मेरा न्यूज़ पेपर पे ध्यान गया क्या आज 14 जुलाई है? ओह मेरी बहु का जन्मदिन? (मैं सोफे से उठ खड़ा हुवा)। बहु भी खड़ी हो गई और बोली..

सपना -- हाँ बाबूजी आप भूल गए..

मैं -- बहु मुझे बिलकुल ही याद नहीं रहा मुझे माफ़ कर दो..

(और मैंने आगे बढ़ कर बहु को गले से लगाया.. उसके गाल और होठों पे हलके से किस किया और उसे अपने से चिपका लिया)। बहु भी मुझसे काफी टाइट लिपट गई और अपने भारी बूब्स को मेरे सीने से दबा रही थी साथ ही साथ उसकी मोटी मोटी जाँघे भी मुझे मेरी जांघो से टच हो रही थी.. मैंने फिर उसे कस के गले लगाया और बहु की पीठ, फिर उसकी नंगी कमर और फिर उसके कूल्हे को अपना हाथ से सहलाने लगा.

मै -- बहु जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो..

मै ने अपना हाथ आगे बढ़ाया.. तो बहु ने मेरे गले में अपनी बाहें  डाल दी.) ऐसा करते हुवे बहु का पल्लू गिर गया और उसकी नाभि दिखने लगी. बहु को इतने पास से बिना पल्लू के देख मेरा लंड फुंफकार मारने लगा.  झट से बहु को गले लगा लिया.. इधर बहु भी बेशर्मी से बिना पल्लू के  मेरे  से लिपट गई. मै भी कहाँ पीछे टने वाला था अपना एक हाथ बहु की पीठ पर रखा और एक हाथ उसकी गांड पे रख अपनी ओर एक झटके से खींच लिया.  बहु के कंधे पे झुके अपनी आँखें बंद किये हुवे था और बहु के गरमाये जिस्म को रगड़ता रहा..

मैं -- बहु आज तुम्हारा जन्मदिन है तो क्यों न हम कहीं घूमने चलें?

सपना बाँहों से निकलती हुई.. नहीं बाबूजी आज शाम को तो मेरे पापा आ रहे हैं. आप तो जानते हो वो मुझे हर बर्थडे पे मिलने आते हैं आज भी वो जरूर आएंगे.

मैं -- तो फिर बहु ऐसा करते हैं तुम यहीं रहो मैं  तुम्हारे लिए केक और गिफ्ट लाते हैं. आखिर मेरी प्यारी बहु का बर्थडे है.

सपना -- ओके  जैसा आप ठीक समझे.

उसके थोड़ी देर बाद मैं  बाजार चले गए. हमने एक चॉकलेट केक और बहु के लिए कुछ कपडे खरीदे. घर पहुंच कर जब बेल बजाई तो बहु ने काफी देर तक रिस्पांस नहीं किया. कुछ देर बाद बहु ने जब दरवाज़ा खोला तो अंदर का हाल देख कर मेरे पसीने आ गए. बहु ने सिर्फ ब्रा और पेटीकोट पहनी हुई थी..

सपना -- ओह बाबूजी आप... सॉरी मुझे लगा कामवाली है..

बहु की ब्रा बहुत छोटी थी इतनी छोटी के वो केवल उसके निप्पल को ढक पा रही थी और उसके बड़े बड़े बूब्स नीचे से बहार निकले हुवे थे. ब्रा के बीच से एक लेस निकली थी जिसे बहु ने अपने दांतो से दबा रखा था ताकि वो गिर न जाए..

सपना -- बाबूजी आप इतनी जल्दी कैसे आ गए मैं तो अभी नहाने जा रही थी..

मैं -- हम ज्यादा दूर नहीं गए बहु बस यहीं पास से ही केक और तुम्हारे लिए कुछ ड्रेस ले आये..

सपना -- वाओ बाबूजी मैं जल्दी से नहा के आती हूँ..

तभी बिस्तर पे पड़े मोबाइल पे कॉल आने लगी..

अरे बहु... देख तो मनीष का कॉल तो नहीं आखिर उसे याद आ ही गया..

सपना -- (एक टॉवल लपेटे बाथरूम से झांकती हुई..)  प्लीज देखिये ना किसका फ़ोन है मुझे दे दीजिये न प्लीज..

सपना पूरी नंगी थी उसने कुछ नहीं पहना था सिवाए एक टॉवल के.. जिसके एक सिरे से वो अपने बदन से पानी पोंछ रही थी..

मैं -- बेटा मनीष का ही फ़ोन है.. ये लो!

सपना --  मेरे हाथ गीले हैं मेरे कान के पास लाइये ना प्लीज..

बहु उसी हालत में बात करने लगी.. बातों बातों में उसका टॉवल एक साइड से गिर गया उसकी लेफ्ट साइड की भरी भरी चूचि बहार निकल आयी. बहु बेशर्मी से अपनी नंगी चूचि दिखाती रही.. मैं बहु की नंगी चूचि देख अपने होश खो बैठा था और बिना पलक झपकाए वो टकटकी लगा कर बहु की चूचि को घूरता जा रहा था. बहु इस बात से अंजान मनीष से बातें करने लगी.

सपना -- मनीष तुम भी यहाँ होते तो कितना अच्छा होता.. यहाँ सब लोग है ससुर जी, शाम को पापा भी आ जायेंगे, केवल तुम नहीं हो..

सपना को बातों-बातों में ध्यान आया के उसकी चूचि बहार निकल आयी है तो उसने तौलिये से ढक लिया . मैंने पहले ही अपना मुंह घुमा लिया था ताकि बहु को लगे के उसने नोटिस नहीं किया. कुछ देर तक बहु फ़ोन पे बात की और फिर दुबारा बाथरूम मे चली गयी..

बहु नहा कर बाथरूम से बहार निकली और सीधा अपने कमरे में चली गई। मैं बहुत बेसब्री से बहु का इंतज़ार कर रहे थे

मैं -- बहु.... कब से तुम्हारा वेट कर रहे हैं, केक भी रेडी है..

 बहु अचानक से कमरे में आयी..

उसने एक बहुत ही प्यारा सा रेड कलर का सलवार सूट पहन रखा था.. लेकिन उसकी सलवार उसकी मोटी मोटी जांघो को नहीं छिपा पा रही थी और उसके यौवन को और निखार रही थी. बहु हमारे सामने चेयर पे क्रॉस लेग कर बैठ गई. उसके पुरे शरीर में सिर्फ उसकी मोटी-मोटी जांघ नज़र आ रही थी.. ओह्ह.. इतनी मोटी जांघ देख कर तो कोई ऋषि भी मुट्ठ मारने पे मजबूर हो जाए.

मैं-. तुम कितनी अच्छी लगती हो कितनी प्यारी सुशील और सादगी से भरी.. देखो तुमने आज कितना प्यारा सा सलवार भी पहना है, बिलकुल कॉलेज की स्टूडेंट लग रही हो..

सपना -- मुझे नहीं अच्छा लगता जब कोई मुझे कॉलेज की लड़की समझता है. मैं तो बड़ी दिखना चाहती हूँ. मुझे अच्छा लगता है जब सोसाइटी के बच्चे मुझे भाभी-भाभी कह के बुलाते हैं.

मैं अच्छा तो तुम्हे भाभी वर्ड सुनना अच्छा लगता है. फिर तो तुम साड़ी पहना करो एकदम मस्त भाभी दिखोगी. वैसे तुम सलवार सूट में कॉलेज की लड़की ही लगती हो, लेकिन तुम टाइट सलवार में एकदम भाभी ही नज़र आती हो..

( इशारा उसकी बड़ी गांड और उसकी मोटी जांघो की तरफ था..)।

सपना -- मैं समझी नहीं !

मैं -- अरे बेटी.. वो क्या है ना के तुम्हारा चेहरा बहुत मासूम है एक बच्ची की तरह लेकिन तुम्हारी जांघें काफी भारी हैं बिलकुल एक भाभी की तरह..

सपना -- ओह  आप भी समझते हो के मैं मोटी हूँ..? मुझे बहुत बुरा लगता है जब कोई मुझे मोटा कहता है.

मैं- अरे मैंने कब कहा के तुम मोटी हो.. मैंने तो कहा के तुम भरी भरी हो.. ख़ास कर तुम्हारी जांघें.. बहुत ही अच्छी हैं.. मैंने तुम्हारी कॉलेज के फोटो देखे है.. उसमे तुम बहुत अच्छी लगती हो?

सपना -- कौन सी वाली फोटो ?

मैं-- अरे वही फोटो जिसमे तुम कॉलेज की सीढ़ियों पे ब्राउन कलर का सलवार सूट पहने बैठी हो.. मैं उसे रोज देखता हूँ.

सपना ने तुरंत अपनी फोटो एल्बम से निकाल कर  दिखाई..?

सपना -- क्या ये वाली फोटो? आपको बहुत पसंद है..? आप इसे रोज देखते हैं?

मैं- हाँ बेटी.. तुम इन कपड़ों में बहुत अच्छी लगती हो, मैं रोज रात को देखता हूँ..

सपना -- और देख के क्या करते हैं अंकल........??

सपना -- बोलिये ना...?? क्या करते हैं??

शेर सिंह -- अरे.. वो कुछ नहीं बस देखता हूँ.. (शेर सिंह अचानक इस क्वेश्चन से घबरा गया था..)।

सपना -- बोलिये ना क्या आप फोटो देख सोचते हैं? के काश आपकी भी एक बेटी होती.. आप को एक बेटी की कमी महसूस होती है ना? बेटी होती तो आपका ख्याल रखती आपके लिए खाना बनाती.. है ना?

(सपना का इशारा पहले फोटो को रात में देख मुट्ठ मारने की तरफ था. लेकिन फिर बाद में उसने बड़ी ही चतुराई से अपनी बात को बदल दिया)।

मैं -- हाँ.. हाँ बहु.. यही, मैं यही सोचता हूँ (मैं ने रहत के सांस ली)।

मैं अपने मन में सोच रहा था.. साला  कभी मौका मिलने पे अपनी बेटी को चोद भी डालता.

मैं -- बहु.. ये केक ख़राब हो रहा है थोड़ा सा तो खा लो मैंने  बड़े प्यार से खरीदा है..

सपना -- बाबूजी.. मुझे खाने का मन तो नहीं है लेकिन आप कहते हैं तो थोड़ा सा किनारे से खा लेती हुँ।

 बहु भी कामुक भंगिमाएं बना कर केक का आनंद ले रही थी। बहु की इस हरकत पे मेरे लंड में जोश आ रहा था.. मेरा मन हुवा के अभी खड़े होकर बहु के मुँह में अपना लंड पेल दूँ.. लेकिन मैं संभल गया.  अब पुरे घर मे मैं और मेरी बहु अकेले थे. दोपहर को बहु अपने कमरे में थी.. मैं उसे खोजता हुवा उसके कमरे के नज़दीक आया, देखा तो कमरे का दरवाज़ा बंद था..

मैं -- बहु..

सपना -- जी बाबूजी..

मैं -- क्या कर रही हो?

सपना -- चेंज कर रही हूँ बाबूजी..

मैं -- क्यों कहीं जाना है बहु?

सपना -- (दरवाज़ा खोल कर मेरे सामने आती है...) नहीं बाबूजी..  मैं तैयार हो रही थी. आपके लाये हुवे गिफ्ट में से ही कुछ पहन लूँ..?

बिस्तर पे बहु का टॉप पड़ा हुवा था, बहु एक ब्लैक कलर के ब्रा और पैंटी पहने हुई थी, साथ में उसने पैंटी के ऊपर स्कार्फ़ सा बाँध रखा था, जो उसकी मांसल जांघो को और खूबसूरत बना रहा था..

 (मैं बिस्तर पे था और बहु मेरे सामने खड़ी हो अपने पापा से बात कर रही थी।  मेरा लंड खड़ा हो गया. )।

सपना -- ओह पापा..  क्या पहनूँ मैं?  बेटी अच्छी दिखनी चाहिए न...

मैं -- बहु.. कुछ भी पहन लो जो भी तुम्हे अच्छा लगे!

सपना -- बाबूजी अगर आप कहें तो मैं जीन्स टॉप पहन लूँ? या फिर साड़ी?

मैं -- ठीक है बहु जीन्स टॉप ही पहन लो।

सपना -- आप एक मिनट यहाँ बिस्तर पे बैठिये ना प्लीज कहीं मत जाईये मैं एक जीन्स टॉप पहन के आती हूँ.. बताइये के कैसी है..

(बहु कमरे से से सटे बाथरूम में चेंज करने चली गई, थोड़ी देर में वो एक ग्रीन टॉप और ब्लैक जीन्स पहन के बहार आयी.. टाइट टॉप में बहु की चूचियां कसी हुई और बड़ी दिख रही थी)।

मैं -- बहु ये कपडे तुम्हे थोड़ा टाइट आ रहे हैं..

बहु वापस बाथरूम में चली जाती है और मिरर में अपने आप को चारो तरफ से देखती है. बाबू जी प्लीज इधर आईये ना..

मैं -- (बाथरूम के दरवाजे के पास पहुंच कर) क्या हुवा बहु?

सपना -- ये टॉप बहुत ज्यादा टाइट है मैंने पहन तो लिया है लेकिन ये अब निकल नहीं रही...

(बहु अपनी टॉप उठाकर निकालने की कोशिश कर रही थी। इस कोशिश में उसकी नाभि मुझे साफ़ नज़र आती है. आज उसकी नाभि ज्यादा सेक्सी लग रही थी, डीप वाइड और स्मूथ... शायद जीन्स के टाइट होने से ऐसा था)।

मैं -- बहु.. एक बात कहूं बुरा तो नहीं मानोगी..?

सपना -- नहीं मानूंगी बोलिये..

मैं -- बहु अगर तुम ये जीन्स पहन के गई और  तुम्हारी ऐसे खुली नाभि देख कर  माल  पैंट में ही निकल जायेगा..