महारानी देवरानी 016

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राजा रतन की तीसरी पत्नी एलिजा
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Part 16 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 16

राजा रतन की तीसरी पत्नी एलिजा

राजा रतन के राज्य कुबेरी में राजा राजपाल अपने सैनिकों के साथ पहुचते हैं और वहाँ उनका जोरदार स्वागत किया जाता है। कुबेरी बहुत बड़ा राज्य था और उतना ही बड़ा वहा का राज महल भी था। घटकराष्ट्र में तो सिर्फ एक घर नुमा राज महल था और राजदरबार अलग से था पर इसके उलट यहाँ राज महल के अंदर ही राज दरबार था और सैनिक से ले कर अतिथि निवास और रनिवास भी राजमहल के अंदर ही था। राजा रतन की तीन पत्निया थी पहली दोनों पत्नी आपस में बहने थी जिनके नाम रुकमणी और सुखमणि था और तीसरी का नाम एलिजा था।

रुखमणी और सुखमणि भारतीय नारीया थी, पर एलिजा एक ब्रिटिशर थी, जो राजा रतन को एक राजा ने भेट के रूप में राजा रतन को दी थी।

रात के भोजन के बाद दोनों राजा एक हाल जैसी जगह पर बैठे हुए थे जिस पर कालीन बिछाया गया था और बैठने के लिए गद्दे भी रखे थे उनपर पर बैठ राजा राजपाल राजा रतन के साथ शराब की चुस्कीया ले रहा था।

राजा राजपाल: भाई मजा आया शराब बहुत अच्छी है।

राजा रतन: हाँ मजे करो भाई।

राजपाल: भाई मुझे ऐसा लग रहा हूँ जैसे मैं आसमान में उड़ रहा हूँ।

राजा रतन: हाँ ये विदेशी शराब है मित्र। तभी उनकी शराब खत्म हो जाती है और राजा राजपाल राजा रतन से और शराब मांगवाने के लिए कहते हैं, राजा रतन ताली मरता है सामने एक सुंदर गोरी आ कर खड़ी होती है।

राजा राजपाल: अरे मित्र ये तो विदेशी है।

राजा रतन: हाँ ये अंग्रेज है और यही मेरी तीसरी पत्नी एलिजा है।

राजा रतन एलिजा को कहते हैं कि और शराब ले आए। वह थोड़ी देर में शराब ला कर रख देती है फिर चली जाती है।

राजपाल: यार ये कितनी सुंदर है मैंने ऐसी लड़की कभी नहीं देखी है।

रतन: हाँ वह तो है।

राजपाल: तुम्हें याद है पिछले कई सालों से हमने हजारो स्त्रीयो को भोगा है।

रतन: इसीलिए मैं तुमसे कहता था इतना ज्यादा अय्याशी मत करो। अब देखो तुम्हारा उठता ही नहीं (और हस्ता है।)

राजपाल: यार ऐसी बात नहीं अब बस पहले जैसी बात नहीं रही।

रतन: अच्छा तो कहना क्या चाहते हो।

राजपाल: यार बुरा न मानो तो एक बात कहू।

रतन: कहो मित्र।

राजपाल: आज सालो बाद मेरा लंड बहुत जोर से खड़ा हुआ है और वह भी तुम्हारी पत्नी एलिजा को देख के।

रतन असमंजस से राजपाल को देखता है।

राजपाल: मैं अपना सब कुछ तुम्हें देने के लिए तैयार हूँ जो मांगोगे वह दूंगा पर मुझे अभी एलिजा चाहिए।

रतन: होश में नहीं हो तुम राजपाल!

राजपाल: मैं होश में हूँ मित्र।

रतन: में कहू तो-तो क्या तुम अपना राज्य मुझे दे सकते हो?

राजपाल: बिलकुल बल्कि मैं तुम्हारी जिंदगी भर गुलाम बन के रह जाऊंगा।

राजा रतन एक लालची मनुष्य था वह अपना मौका देख कर मुस्कुराने लगा।

राजपाल: कहो रतन!

रतन: जाओ जी लो राजा! आज रात के लिए एलिजा तुम्हारी हुई।

और रतन फट से ताली बजाता है एलिजा वापस आती है और रतन जा कर उसके कान में कुछ कहता है। पहले तो एलिजा नहीं मानती पर राजा रतन के कड़े निर्देश के बाद वह तैयार हो जाती है।

राजपाल: बोलो राजा रतन तुम्हें क्या चाहिए।

रतन: अभी अपना काम करो तुम्हारे पर ये अहसान उधार रहा।

राजपाल: मैं भी वादा करता हु के सर काटा दूंगा पर अपना वादा नहीं भुलूंगा।

ये सुन रतन सिंह मस्कुराते हुए कक्ष के बाहर चला जाता है और एलिजा राजपाल सिंह के पास आ कर अपने ऊपर का वस्त्र खोल देती है।

राजा राजपाल उसके पास जा कर सीधा उसके गले लग कर उसके गांड को दबाने लगता है और उसके ओंठो को चूमने लगता है। एलिजा एक हाथ से राजपाल के धोती के ऊपर से उसके लिंग को पकड़ लेती है। राजा राजपाल अब उसे ढकेलते हुए गद्दे के तरफ ले जाता है। तभी एलिज़ा उसे रोक कर निचे बैठती है और राजपाल की धोती खोल कर उसका लिंग सहलाने लगती है और फिर "गलपप्पप" कर के पुरा लिंग निगल जाती है।

राजपाल: उहम्मम एलिजा हम्म!

एलिजा फटाफट लंड चुस रही थी और साथ में हाथ से मुठ भी मार रही थी। राजा राजपाल आँख बंद क्या सिस्की ले रहा था। अब राजपाल एलिजा को पकड़ता है और अपनी गोदी में ले कर बैठता है और उसके लाल सुरख ओंठो को चबाने लगता है और अपने हाथों से उसके भीतर के वस्त्र निकाल कर दोनों हाथो से उसके दूध का मर्दन करने लगता है।

एलिजा: आआआहहह!

राजपाल: ओह्ह एलिज़ा!

राजपाल से अब रहा नहीं जाता और एलिजा को अपने ऊपर ले कर एक जोरदार धक्का मारता है और एलिजा की चूत पक्क्क की आवाज के साथ खुलती है और राजपाल धपा दप पेलते जा रहा था।

एलिजा: "आआआआआआआआ!"

कुछ दस मिनट की पिलाई के बाद एलिजा को सीधा लिटा कर दो तीन धक्के लगा राजपाल अपना पानी छोड़ देता है और हाफने लग जाता है।

उस रात एलिजा रात भर राजपाल के साथ बिताती है और राजपाल दो बार और एलिजा की चुदाई करता है।

इधर कमला के जाते ही बलदेव अपने कक्ष का दरवाजा बंद करके देवरानी का पत्र पढ़ना शुरू करता है

"श्रीमन शेरसिंह!

आप का पत्र मिला, पढ़ कर अत्यंत प्रसन्नता हुई। आप और आपका दिल ठीक होगा ऐसी आशा करती हूँ। मैं एक स्त्री हूँ और मेरे लिए अपनी सीमा लंघना इतना आसान नहीं है, लेकिन जितना प्रेम आपने हमसे प्रकट किया है उसे देख कर मेरा मन भी डोल गया है और आपकी दासी बनाना चाहती हूँ, पर इस सब के लिए हमें सही समय का इंतजार करना होगी, आशा करती हूँ आप मेरी बात समझेंगे

आपकी

देवरानी"

ये पढ़ कर बलदेव जहाँ हल्का-सा मुस्कुराया, वही भभित भी हुआ और वह हो भी क्यों ना? उसकी प्रेमिका किसी और के प्रेम की ओर अग्रसर हो रही थी। वह प्रेम पत्र को रख कर सोने की कोशिश करता है पर आँख बंद करते ही उसे देवरानी का चेहरा नजर आता है। कभी देवरानी हसती हस्ती, तो कभी मुस्कुराती। तो कभी गुस्से में बलदेव को देखती। बलदेव के दिल और दिमाग पर सिर्फ देवरानी छा गई थी इधर देवरानी इधर अपने कक्ष में वह सोने के समय पहनने वाली झीनी-सी पोशाक पहन कर लेटी थी।

वो लेटी हुई आज की घटनाओ के बारे में सोच रही थी। कैसे बलदेव उसकी तारीफ के पुल बाँध रहा था और कह रहा था वह शादी नहीं करेगा और हमेशा मेरे लिए मेरी सेवा में जीवन काटेगा। आज वर्षो बाद ऐसा लग रहा है कि कोई मेरी चिंता करता है। कसम से बहुत बड़े दिल वाला है मेरा बलदेव।

शेरसिंह भी तो मेरे लिए मर मिटने को तैयार है। अगर में शेरसिंह की बात मानी तो क्या बलदेव के मन में मेरा सम्मान मेरी इज्जत कम तो नहीं हो जायेगी? वह मुझसे नफरत तो नहीं करने लगेगा? पर मुझे ये दोनों उतने ही प्यारे हैं। एक आशिक है और एक लाडला बेटा। ये बात कमला से पूछूंगी फिर वह खुशी-खुशी सो जाती है।

कहानी जारी रहेगी

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