पापा के बॉस

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पापा के बॉस
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मेरा नाम मोना है और मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ।

मेरी उम्र 20 वर्ष है, मैं एक सामान्य परिवार की लड़की हूं।

मैं अभी कालेज में अपनी पढ़ाई कर रही हूं।

मैं एक खुले विचारों की लड़की हूँ और आजकल के हिसाब से बिल्कुल मॉर्डन हूं। मैं अधिकतर टॉप स्कर्ट या जीन्स टॉप पहनती हूं।

दिमाग के मामले में मेरा दिमाग काफी शातिर है और अपना काम निकलवाने के लिए मैं हर तरह के हथकण्डे अपनाने से पीछे नहीं हटती।

मैं अपने फिगर के बारे में बता दूँ तो मेरा फिगर 34-30-36 का है।

मेरे ऐसे फिगर और फैशनेबल कपड़ों के कारण लोगों की नजर मुझ पर टिकी रहती है।

मेरे घर मैं मम्मी पापा और मैं हम तीन लोग ही रहते हैं।

मैं अपने फैमिली में इकलौती बेटी हूँ।

इकलौती होने के कारण घर में मुझे काफी छूट मिली हुई है जैसे कि मैं अपनी मर्जी के कपड़े पहन सकती हूं, अपनी फ्रेंड्स के साथ बाहर जा सकती हूं।

मेरे पापा बेहद नार्मल और सीधे सादे इंसान हैं.

पापा को अपने काम से फुर्सत नहीं रहती और मम्मी दिन भर घर पर रहती हैं।

मेरे पापा एक बड़ी कंपनी में काम करते हैं और उनकी सैलरी भी काफी अच्छी है।

शुरू से ही मुझे मंहगी चीजों का बड़ा शौक था लेकिन मेरे पापा थोड़े कंजूस टाइप के है जिसकी वजह से वो हमेशा पैसे देने में आनाकानी करते हैं.

जब मैं स्कूल में थी तो तभी मेरा एक बॉयफ्रेंड बन गया।

हालांकि बॉयफ्रेंड होने के बावजूद भी मैंने उसके साथ केवल दो बार ही सेक्स किया था; वो भी दो दो मिनट का सेक्स!

उन दो मिनट की चुदाई में मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे संतुष्ट किया ही नहीं था क्योंकि उसका पतला छोटा सा लंड उस काबिल ही नहीं था जो मेरी चूत तक अच्छे से खोल पाता।

लेकिन ऐसा नहीं था कि मुझे सेक्स पसंद नहीं है।

मैं अपने कमरे में अकेली सोती हूँ और रात में मोबाइल पर पोर्न फिल्म देखना अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ना और फिर अपनी प्यारी सी चूत में उंगली करना मेरा रोज का काम है।

जब से मैं कॉलेज में आई, मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था.

लेकिन ऐसा नहीं था कि लड़के मुझे पसंद नहीं करते थे या लाइन नहीं मारते थे.

बस ऐसा कोई नहीं मिला जो मुझे पसंद आये।

मेरा बदन और चेहरा ऐसा है कि कोई भी मुझे मना नहीं कर सकता.

लेकिन मैं इतनी आसानी से किसी को अपना बदन नहीं सौम्पने वाली थी।

फिर 2021 में मेरे साथ एक ऐसी घटना हुई कि मेरी पूरी लाइफ ही बदल गई।

मुझे कभी नहीं लगा था कि मेरे साथ ऐसा कुछ हो सकता था।

लेकिन दोस्तो, मेरे अंदर का लालच कहे या कुछ और मैंने ऐसा कुछ कर डाला जो शायद मुझे नहीं करना चाहिए था।

आज मैं आप लोगों को इस चीट मॅाम सेक्स स्टोरी में एक एक बात बताऊँगी कि मेरे साथ क्या हुआ.

और क्या मैंने सही किया या गलत?

यह आप कहानी के कमेंट में बताइएगा।

दोस्तो, घर में मेरे पापा बिल्कुल एक नॉर्मल इंसान हैं ना ज्यादा फैशन में रहना न ज्यादा घूमना फिरना।

वहीं उनके बिल्कुल उलट मेरी मम्मी बिल्कुल मेरी तरह फैशनेबल और हॉट टाइप की है।

घर पर हमेशा फैशनेबल गाउन पहनना और बिल्कुल मेकअप में रहना।

उन्हें भी मेरी तरह ही मंहगे सामानों का शौक रहता है।

जब मैं स्कूल में थी तब मेरे पापा के ऑफिस में उनके नए बॉस आये थे।

एक दिन पापा उन्हें घर पर खाने के लिए लेकर आये।

वे मेरे पापा के उम्र के ही है मतलब 50 वर्ष के करीब।

उनका नाम मोहित है।

उनके साथ हमारी फैमिली का मेलजोल बढ़ता चला गया और वे आये दिन हमारे घर आते थे।

मैं उन्हें मोहित अंकल बोलकर बुलाती थी।

वे हमारी फैमिली में इतने घुलमिल गए थे कि पापा घर पर रहें या न रहें, वे हमारे घर आ जाते थे और मम्मी के साथ घण्टों बात किया करते थे।

मोहित अंकल हमेशा मेरे लिए कुछ न कुछ गिफ्ट्स लाते रहते थे जो कि मुझे काफी पसंद आते थे।

वे मम्मी के लिए भी कई बार गिफ्ट लाया करते थे और मम्मी के साथ उनकी काफी अच्छी बनती थी।

धीरे धीरे समय आगे बढ़ता गया और मैं स्कूल से कॉलेज में आ गई।

मैं अब एक जवान लड़की हो गई थी।

इतने सालों तक तो मुझे मोहित अंकल अच्छे ही लगते थे.

लेकिन अब मैं बड़ी हो गई थी और मुझे सही गलत का अच्छे से पता था।

एक दिन मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ जिससे मुझे मोहित अंकल के ऊपर शक होने लगा कि कहीं ये मुझ पर गलत निगाह तो नहीं रखते।

हुआ यूं था कि एक दिन दोपहर में मैं घर पर अकेली थी और मम्मी किसी काम से मार्केट गई हुई थी।

मैं सामने वाले कमरे में सोफे पर बैठी हुई अपने कॉलेज का एक एसाइनमेंट बना रही थी।

क्योंकि मैं घर पर हमेशा एक हाफ लोवर और टीशर्ट पहनती हूँ, उसी प्रकार उस दिन भी वही पहनी हुई थी।

अचानक से दरवाजे की घँटी बजी और मैंने दरवाजा खोला।

सामने मोहित अंकल खड़े हुए थे और मैंने मुस्कुराते हुए उन्हें अंदर आने के लिए कहा।

अंदर आकर वो सोफे पर बैठ गए और मै उनके लिए पानी लेकर आई।

मैंने उन्हें बताया कि मम्मी पापा बाहर है और अभी मैं बस घर पर हूं।

वे मुझे बैठने के लिए बोले और पानी पीते हुए मेरा एसाइनमेंट देखने लगे।

मैं उनके बिल्कुल बगल में बैठकर अपना काम करने लगी।

कुछ देर तक वे मेरा एसाइनमेंट देखते रहे फिर मेरी हेल्प करने के लिए अपना एक हाथ बढ़ाया।

उन्हें अपनी हेल्प करते देख मुझे अच्छा लगा। उन्हें इस मामले में काफी जानकारी थी।

कुछ देर सब ऐसा ही चलता रहा और वे मेरी हेल्प करते रहे।

लेकिन कुछ देर बाद मैंने गौर किया कि एक हाथ से वो मेरी मदद कर रहे थे और उनका दूसरा हाथ मेरी एक जांघ पर था और वो अपनी उंगलियों से बहुत गंदे तरीके से मेरी जांघ पर उंगलियां चला रहे थे।

वे कुछ इस प्रकार से उंगली चला रहे थे जैसे वे मुझे उत्तेजित कर रहे हों।

मुझे बहुत गंदा लग रहा था लेकिन मैं कुछ बोल नहीं रही थी।

काफी देर तक उन्होंने मेरी जांघों को सहलाया।

यह बिल्कुल भी नॉर्मल नहीं था क्योंकि उसके द्वारा कभी ऐसा नहीं किया गया था।

उनके छूने से ही पता चल रहा था कि उनकी मानसिकता सही नहीं थी।

कुछ देर में काम खत्म हो गया और मैं वहाँ से हट गई।

उस दिन के बाद से मैंने महसूस किया था कि वे जब भी हमारे घर आते तो मेरी तरफ बड़ी गंदी निगाह से देखते. कभी वे मेरे तने हुए वक्ष को घूरते, कभी वे मेरी जांघ और मेरे कूल्हों को देखते।

इसके साथ ही वे मुझे छूने का मौका तलाश करते रहते।

फिर एक दिन जब मेरा जन्मदिन था तो उन्हें पापा ने खाने के लिए बुलाया।

वे आये और मेरे लिए बेहद ही महंगा मोबाइल फोन लेकर आये।

उस दिन जब मैंने केक काटा तो सभी ने तालियां बजाकर मुझे बधाई दी।

लेकिन मोहित अंकल ने मुझे गिफ्ट दिया और मुझे अपने गले से लगा लिया।

उनका मुझे गले लगाना मेरे लिए कोई आम बात नहीं थी क्योंकि उन्होंने मेरी पीठ को कसकर दबा लिया था जिससे मेरे दूध उनके सीने से चिपक गए थे।

इसके बाद उन्होंने मेरे गाल पर प्यार से चूमा।

देखने में तो सबको ऐसा लगा होगा जैसे एक पिता के उम्र के आदमी ने अपनी बेटी समझकर मुझे प्यार दिया था लेकिन मैं जान गई थी कि उन्होंने मुझे किस निगाह से चूमा था।

क्योंकि उन्होंने मेरे गाल को चूमने के साथ साथ अपनी जीभ से मेरे गाल को चाट लिया था।

उनकी इस हरकत को किसी ने गौर नहीं किया होगा लेकिन मुझे सब महसूस हो गया था।

इसके बाद कुछ दिन और मैंने उन्हें ऐसे आजमाया और मुझे साफ हो गया था कि उनकी गंदी नजर मेरे ऊपर थी।

अब जब भी वे आते तो मैं बहुत कम ही उनके सामने जाती थी।

यह ऐसी बात थी जिसके बारे में मैं किसी को बोल भी नहीं सकती थी क्योंकि मोहित अंकल काफी सालों से हमारे घर आ रहे थे और उन पर सब काफी विश्वास करते थे।

मैं कई बार अकेले में सोचती थी कि मोहित अंकल हमारी फैमिली के ऊपर इतना क्यों मेहरबान रहते हैं।

हमेशा महंगे गिफ्ट लाना पापा की इतनी मदद करना।

मुझे तो कई बार शक होता था कि कही मम्मी का इनके साथ कोई चक्कर तो नहीं है।

क्योंकि जब पापा नहीं होते तब भी ये आ जाते हैं और कई बार तो जब मैं कॉलेज से वापस लौटती तो अंकल और मम्मी घर पर अकेले रहते थे।

फिर मैंने सोचा कि हो सकता है कि यह मेरा वहम हो।

ऐसे ही दिन गुजरते गए और एक दिन मेरा शक यकीन में बदल गया।

हुआ यूं था कि मेरे पापा कंपनी के काम से कुछ दिन के लिए बाहर गए हुए थे।

घर पर मैं और मम्मी बस थे।

उसी समय एक रात की बात है मैं अपने कमरे में सो रही थी।

रात करीब दो बजे मुझे जोर की पेशाब लगी और मेरी नींद खुल गई।

मैं उठी और बाहर बाथरूम में जाकर पेशाब किया।

बाथरूम में अपनी पेंटी पहनते हुए मैंने देखा कि टॉयलेट सीट के अंदर पानी में कुछ तैर रहा है।

मैंने गौर से देखा तो वो एक कंडोम था।

तब मैंने सोचा कि ये कंडोम किसने यूज किया होगा और यहाँ क्यूं फेक दिया।

मैं बाथरूम से बाहर निकली और देखा कि मम्मी के कमरे से कुछ सुगबुगाहट सी हो रही है।

मैं बिल्कुल हल्के कदमों के साथ दरवाजे तक गई और चाबी के छेद से अंदर देखने लगी।

अंदर जो नजारा मैंने देखा उसके बाद मेरे बदन के रोमे खड़े हो गए और सारे शरीर में जैसे करंट की लहर दौड़ गई थी।

कमरे के अंदर मम्मी और मोहित अंकल बिल्कुल नंगे थे।

मम्मी घोड़ी बनी हुई थी और मोहित अंकल बुरी तरह से मम्मी को चोद रहे थे।

उस दिन मेरा शक यकीन में बदल गया कि इन दोनों का चक्कर चल रहा है इसलिए मोहित अंकल हमारे घर पर इतने मेहरबान रहते हैं।

कुछ देर के लिए दरवाजे से हटने के बाद मैं फिर से अंदर देखने लगी।

इस बार मैं गौर से सब देख रही थी।

अंकल मम्मी को घोड़ी बनाये हुए थे और मम्मी को जोर जोर से चोद रहे थे.

मम्मी भी चुदाई का बहुत मजा ले रही थी और उनका साथ दे रही थी।

कुछ देर बाद अंकल ने अपना लंड बाहर निकाला और उनके लंड को देख मैं दंग रह गई कि इतना बड़ा भी लंड होता है।

उनका लंड 7 इंच का था और उन्होंने कंडोम लगाया हुआ था।

मैं समझ गई कि टॉयलेट सीट पर जो कंडोम था ये इनका ही था और ये लोग काफी देर से चुदाई कर रहे हैं।

इसके बाद अंकल ने मम्मी को अपनी गोद में उठा लिया और गोद में उछाल उछाल कर चुदाई करने लगे।

काफी देर तक मैं ये सब देखती रही.

जब वो दोनों झड़ गए और अंकल कपड़े पहनने लगे तो मैं जल्दी से भाग कर अपने कमरे में चली आई।

अगली सुबह मैं जब उठी तो मम्मी सो ही रही थी।

उनके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था और मैं अंदर जाकर देखने लगी।

मम्मी बिस्तर पर नाइटी पहने सो रही थी और उनकी पेंटी नीचे फर्श पर पड़ी हुई थी।

फर्श पर जगह जगह चिपचिपा पानी फैला हुआ था जो शायद अंकल का वीर्य था।

उसके बाद अगली रात भी मैंने उन दोनों को चुदाई करते हुए देखा.

और जितने दिन पापा नहीं थे उतने दिन अंकल रात में आते और मेरी मम्मी की चुदाई करते।

मुझे सब पता चल गया था लेकिन मैंने यह चीट मॅाम सेक्स की बात किसी को नहीं बताई।

अब तो जब कभी भी मैं अपने कॉलेज से जल्दी आ जाती तो अंकल मेरे घर पर मिलते.

और आये दिन मुझे टॉयलेट सीट पर कंडोम मिलता.

मैं समझ जाती की आज फिर अंकल ने मेरी मम्मी को चोदा है।

अब दोस्तो, आप लोग सोच रहे होंगे कि यह तो बात थी अंकल और मम्मी की ... लेकिन मेरा क्या हुआ?

तो मैं बता दूँ कि उन लोगों के बारे में पता चलने के बाद से मेरे मन में कुछ दिन गुस्सा था.

लेकिन धीरे धीरे मेरा गुस्सा एक लालच में बदल गया.

अब मुझे लगने लगा कि क्यों न मैं अंकल का फायदा उठाकर अपनी जिंदगी में मजा करूं।

एक बार हुआ यूं कि मैंने एक बार अपने पापा से एक महंगी ड्रेस लेने के लिए कहा.

लेकिन पापा ने मुझे कहा- अभी इतने पैसे नहीं हैं, तुम बाद में ले लेना।

और यह बात मोहित अंकल को पता चल गई.

अगले ही दिन उन्होंने मुझे वो ड्रेस लाकर दे दी।

उस दिन से मेरे मन में यह लगने लगा कि क्यों न अंकल का फायदा लिया जाए और अपने मंहगे शौक को पूरा किया जाए।

अब तो जब भी अंकल आते तो मैं उनके सामने छोटे छोटे कपड़े पहनने लगी।

मैं जानबूझकर उनके सामने झुककर अपने वक्ष की गोलाइयाँ उन्हें दिखाती।

जानबूझकर मैं उनके साथ सोफे पर बैठती और अपनी टांगें, हाथ उनसे स्पर्श करती।

अंकल भी मुझे छूने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे; कभी मेरी जांघ को छूते, कभी मेरी पीठ को!

मैं उन्हें अपने जलवे दिखाकर अपनी तरफ आकर्षित करती रहती थी।

एक बार ऐसा हुआ कि मम्मी कुछ दिनों के लिए मायके गई हुई थी और घर पर मैं और पापा ही थे।

यह बात अंकल को पता थी कि मम्मी नहीं है।

एक दिन शाम को अंकल आये हुए थे और बातों ही बातों में अंकल ने पापा से पूछा- तुम ऑफिस चले जाते हो और मोना कालेज ... तो दिन में घर पर कौन रहता है?

पापा ने उनको बताया- मोना के पैर में मोच आ गई है इसलिए वह घर पर ही रहती है, अभी कालेज नहीं जा रही है।

मेरे पापा बेहद ही सीधे हैं, उनको यह भनक भी नहीं थी कि उनके बॉस उनकी बीबी को बुरी तरह से चोदते हैं और उनकी बेटी पर भी उनकी बुरी निगाह है।

अगले दिन सुबह जब पापा ऑफिस चले गए तो दोपहर में अंकल मेरी तबीयत पूछने के बहाने से घर आ गए।

काफी देर तक वे मेरे साथ रहे और हम लोग बातें करते रहे।

अंकल बात मुझसे कर रहे थे लेकिन उनकी नजर मेरे सीने और जांघों पर ही जा रही थी।

मेरे मन में पहले ही आ गया था कि इनको ऐसे ही अपना बदन दिखाती रहो और अपना काम निकालती रहो।

बात बात में ही अंकल ने पूछा- तुम्हारे पैर में मोच का दर्द अब कैसा है?

मैंने कहा- बिल्कुल भी आराम नहीं है अंकल!

इस पर अंकल ने कहा- मैं कल तुम्हारे लिए एक तेल लेकर आऊँगा, उसे लगाना, बहुत आराम मिलेगा।

इसके बाद कुछ समय बाद वे चले गए।

उसी रात मैं सोच रही थी कि अंकल से अपने लिए कुछ पैसे मांगे जाए जिससे कि मैं ऐश कर सकूं।

लेकिन उसके लिए क्या करूँ कि वे मेरी बात मान जायें।

फिर मैंने अपना शातिर दिमाग लगाया और सब कुछ सोच लिया कि क्या करना है।

अगली सुबह मैं जल्दी ही उठी और पापा के लिए नाश्ता बनाकर पापा को ऑफिस भेज दिया।

इसके बाद मैं बाथरूम गई.

वहाँ मैंने अपनी चूत के बालों को अच्छे से साफ किया और बिना ब्रा पेंटी पहने केवल हाफ लोवर और टीशर्ट पहनकर आ गई।

मैंने जानबूझकर ब्रा पेंटी नहीं पहनी थी क्योंकि मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।

मैं जानती थी कि आज अंकल जरूर आएंगे और आज मैं उनको इतना मदहोश कर दूँगी कि वे मेरी हर बात के लिए तैयार हो जायेंगे।

मैंने सब सोच लिया था कि मुझे क्या करना है और कितना करना है।

बस अब मैं बेसब्री से अंकल के आने का इंतजार कर रही थी क्योंकि मुझे पता था कि वे मुझे घर पर अकेली जानकर जरूर आएंगे।

दोपहर के 12 बज चुके थे लेकिन अंकल नहीं आये।

मैंने खाना खाया और मैं बेचैनी से घर की बालकनी में टहल रही थी।

तभी अंकल की कार आकर मेरे घर के सामने खड़ी हुई।

उन्हें देखकर मेरे अंदर एक अलग ही जोश आ गया।

मैं जल्दी जल्दी जाकर सोफे पर बैठ गई।

कुछ समय में ही दरवाजे की घण्टी बजी और मैंने दरवाजा खोला।

अंकल मुस्कुराते हुए अंदर आये और सोफे पर बैठ गए।

उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारे पैर का दर्द अब कैसा है?

मैंने कहा- अंकल, कोई आराम नहीं है, बहुत दर्द है।

अंकल बोले- ये लो, मैं तुम्हारे लिए ये तेल लाया हूं. इससे मालिश करना, बहुत आराम मिलेगा।

मौके को भाम्पते हुए मैं बोली- अंकल, इसे मैं अभी लगा लूं क्या?

वे बोले- हाँ हाँ, जरूर लगा लो।

मैंने तेल की शीशी खोली और सोफे पर बैठ कर पैर पर तेल लगाने लगी।

नाटक करते हुए मैंने अंकल को ऐसे जताया जैसे मुझे बहुत दर्द हो रहा हो।

जबकि मेरे पैर का दर्द अब बिल्कुल ठीक हो चुका था।

मेरी ऐसी हालत देख अंकल बोले- मोना तुम रहने दो, लाओ मैं लगा देता हूँ।

"नहीं अंकल, मैं लगा लूंगी."

ऐसा मैंने नाटक किया.

और नाटक करते हुए पैर पर तेल लगाने लगी।

मैं ऐसा दिखा रही थी जैसे कि मुझे तेल लगाने में बहुत तकलीफ हो रही है।

ये सब देखकर अंकल ने जबरदस्ती मुझसे तेल की शीशी ले ली और अब अंकल ही मेरे पैर पर तेल लगाने लगे।

पहले अंकल ने अपने हाथों में तेल लिया और मेरे पैर पर हल्के हाथों से तेल लगाने लगे।

कुछ देर बाद अंकल ने मुझसे कहा- अपने पैरों को सीधा करो.

लेकिन वहां पर इतनी जगह नहीं थी इसलिए मैंने कहा- अंकल, यहाँ पर मुझसे पैर सीधा करते नहीं बन रहा है।

अंकल कुछ देर चुप रहने के बाद बोले- फिर क्या करें?

मैं वही पे मौके पे चौका लगाते हुए बोली- चलिए मेरे बेडरूम में ... वहाँ पर आसानी होगी।

अंकल को तो जैसे इसी बात का इंतजार था, वे तुरंत राजी हो गए।

हम दोनों उठे और बेडरूम की तरफ चल दिये।

बेडरूम में जाकर मैं बिस्तर पर लेट गईं और अंकल मेरे पास बैठकर मेरे पैर पर तेल लगाते हुए मालिश करने लगे।

मैंने उसी वक़्त अपना फोन उठाया और फोन पर ठीक 10 मिनट बाद का अलार्म लगा दिया।

वो मैंने इसलिए किया था ताकि जब अलार्म बजे तो अंकल को ऐसा लगे कि जैसे किसी का फोन आया है।

कुछ देर तक मैं अपने दोनों पैरों को सीधे किये हुए थी और अंकल तेल से मालिश कर रहे थे।

फिर अंकल ने मुझे कहा- अपने घुटनों को मोड़ लो।

अब मैंने अपने दोनों पैरों को फैलाते हुए इस प्रकार से मोड़े कि दोनों पैरों के बीच से मेरी चूत की जगह खुली हुई दिखे।

जैसे ही मैंने इस पोजीशन में पैरों को किया, अंकल की नजर मेरी चूत की तरफ गई.

उनकी आँखों की चमक से साफ जाहिर हो रहा था कि मेरे हॉफ लोवर के नीचे से मेरी चूत के दर्शन अंकल को हो रहे थे।

अब उनके हाथ थोड़े से काम्पने लगे और जुबान भी लड़खड़ाने लगी।

मैं उस वक्त जानबूझकर अपने पैरों को हिला रही थी ताकि मेरा लोवर नीचे से खुले और मेरी चूत अंकल को दिखाई पड़े।

कुछ ही देर में मैंने गौर किया कि अंकल की पैन्ट सामने से टाइट हो गई है.

मैं समझ गई कि अंकल का लंड खड़ा हो चुका है।

मेरी छोटी सी गुलाबी चूत देखकर उनका तो खड़ा होना ही था।

मैं अंकल की आंखों को भाम्प रही थी.

अंकल कुछ देर मेरे पैर पर तेल लगाते, फिर अपनी नजर मेरी चूत की तरफ करते।

मैं जान रही थी कि मेरे खुले हाफ लोवर से मेरी चूत की झलक उनको मिल रही थी।

कुछ देर बाद मेरे फोन का अलार्म बजा और मैंने इस तरह से फोन उठाया जैसे किसी का फोन आया हो।

मैंने हैल्लो कहा और अपनी एक सहेली का नाम लेते हुए बात करने का नाटक करने लगी।

अंकल मेरी बातों को गौर से सुन रहे थे और अपनी गंदी नजर बार बार मेरी चूत पर टिका देते।

मैं बहुत परेशान होकर फोन पर बात कर रही थी और अंकल सब सुन रहे थे।

कुछ देर तक मैंने ऐसे ही नाटक किया और फिर फोन काटकर बगल में रख दिया।

मैं अपने माथे को हाथ से पीटने लगी और आँख बंद करके लेटी रही।

अंकल ने मुझसे पूछा- क्या हुआ मोना?

लेकिन बार बार मैं उन्हें कुछ बताने से टाल देती।

बाद में जब उन्होंने जोर दिया तो मैं बोली- अंकल मैं आपको बता तो दूँगी. लेकिन आप यह बात मम्मी पापा को मत बताइएगा।

मैंने उनसे प्रॉमिस लिया और उन्होंने किसी को यह बात न बताने का प्रॉमिस किया।

फिर मैं उनसे बोली- बात यह है अंकल कि मैंने अपनी सहेली से कुछ पैसे उधार लिए थे और अब वह पैसे वापस माँग रही है लेकिन मेरे पास अभी पैसे नहीं हैं।

अंकल बोले- कितने पैसे देने हैं?

मैं बोली- थोड़े थोड़े करके 20 हजार के करीब हो गये हैं। उसने मुझे किसी और से ब्याज पर दिलवाए हैं.

अंकल बोले- बस इतने ही, कोई बात नहीं तुम मुझसे ले लेना और यह बात किसी को पता भी नहीं चलेगी।

बस दोस्तो, मैं यही तो चाहती थी, मेरा तीर सही जगह पर लगा था।

पहले तो मैं मना करती रही लेकिन फिर मैं मान गई।

मैं सोच रही थी कि आज मुझे अपने जलवे दिखाने का फल मिल गया।

उधर अंकल का हाथ अब मेरे पैरों से हटकर मेरी जांघों तक आ गया और अब वो मेरी जांघों को सहला रहे थे।

मैं आज उन्हें बिल्कुल भी मना नहीं कर रही थी इसलिए वो बड़े आराम से मेरी जांघ को सहलाते हुए मजा कर रहे थे।

अंकल बोले- यह तेल इतना अच्छा है कि इससे मालिश करने से सारे बदन का दर्द खत्म हो जाता है।

उनका ऐसा कहना ही था कि मैंने फिर से मौके के हिसाब से उन्हें कहा- अगर ऐसा है तो कल आप मेरी कमर की मालिश कर दीजिएगा, बहुत दर्द रहता है।

इतना सुनते ही उनके आँखों में एक अलग ही चमक आ गई।

उन्होंने कहा- बिल्कुल ... मैं कल आ जाऊँगा और तुम्हारे लिए पैसों का भी तो इंतजाम करना है।

उसके बाद मैंने उनके लिए चाय बनाई और हम दोनों ने चाय पी और फिर वे चले गए।

इसके बाद जब शाम को पापा घर आये तो उन्होंने मुझे ऐसी खबर दी जिसके बाद मेरे दिमाग में कुछ और ही बात आने लगी।

पापा ने मुझसे कहा- मुझे कल सुबह ही ऑफिस के जरूरी काम से बाहर जाना पड़ रहा है. तुम्हारी मम्मी भी नहीं है, इसलिए तुम 2 दिन के लिए हमारे बॉस के घर पर उनके साथ रहोगी, मेरी उनसे बात हो गई है।

अब मुझे ऐसा लगने लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि अंकल ने ही ऐसा कुछ किया हो जिससे मैं उनके घर पर रहूँ और कहीं ऐसा तो नहीं है कि वे मुझे चोदने का प्लान बनाये बैठे हों. क्योंकि अंकल अपने घर पर अकेले ही रहते थे।

अगर ऐसा था तो यह अच्छी खबर नहीं थी क्योंकि मैं उनसे चुदना नहीं चाहती थी। मैं बस अपनी जिस्म की नुमाइश करके उनसे अपने लिए पैसे और महंगे गिफ्ट लेना चाहती थी।

कुछ समय तक शांत रहने के बाद मैंने सोचा कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला ... और चुदना या न चुदना मेरे ऊपर है. वे मुझे जबरदस्ती तो चोदेंगे नहीं।

इसके बाद रात में मैंने और पापा ने खाना खाया.

फिर मैंने पापा का बैग पैक करके उनके जाने की सारी तैयारी कर दी।

सुबह सुबह 8 बजे पापा निकल गए और मुझे कह गए कि कुछ देर में मेरे बॉस आएंगे और तुम्हें ले जाएंगे।

इसके बाद मैंने भी अपना एक बैग तैयार किया और अपनी जरूरत का कुछ सामान और कपड़े लेकर तैयार हो गई।

सुबह 11 बजे अंकल आये और हम दोनों उनकी कार से उनके घर की तरफ चल दिये।

उन्होंने मुझे अपने घर पर छोड़ा और ऑफिस के लिए निकल गए।

थोड़ी देर में होटल से खाना आ गया जो उन्होंने पहले ही ऑर्डर किया था।

मैंने खाना खाया और आराम करने लगी और थोड़ी ही देर में मेरी नींद लग गई।

अचानक से दरवाजे की घन्टी बजी और मेरी नींद खुली तो मैंने टाइम देखा तो शाम के 5 बज रहे थे।

मैंने दरवाजा खोला तो अंकल सामने थे।

उनके हाथ में फल और कुछ खाने का सामान था।

मैंने सामान उनसे लिया और अंदर रख दिया।

कुछ देर में अंकल फ्रेश होकर आए और हम दोनों ने साथ में चाय पी।

शाम को अंकल अकेले में बैठे हुए ड्रिंक कर रहे थे और मैं अंदर कमरे में टीवी देख रही थी.

फिर कुछ देर बाद हम दोनों ने खाना खाया और मैं अलग कमरे में सोने के लिए चली गई।

मैं बिस्तर पर लेटी हुई थी लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी.

रात के 10 बज चुके थे और मेरे मन में बस यही चल रहा था कि कहीं अंकल मेरे कमरे में न आ जाये और कुछ करें ना!

मैं बस यही सब सोच रही थी और मेरा सोचना सही हो गया।

कुछ देर में अंकल मेरे कमरे में आ गए।

जैसे ही मैंने अंकल को देखा तो मैं उठकर बैठ गई।

अंकल मेरे पास आये और उनके हाथों में कुछ था।

मैंने गौर से देखा तो उनके हाथ में नोट की गड्डी थी।

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और वे रुपये मेरे हाथ में रख दिये और बोले- ये लो और अपनी सहेली को दे देना।

मैंने वे पैसे देखे तो मुझे पैसे कुछ ज्यादा लग रहे थे।

तब मैंने पैसे गिने तो वे 20 नहीं बल्कि 30 हजार थे।

मैंने अंकल से कहा- अंकल, मुझे तो बस 20 हजार की जरूरत है. ये तो 30 हजार हैं।

अंकल बोले- बाकी के पैसे तुम्हारे लिए हैं. तुम इनसे अपने लिए कुछ ले लेना. मेरी तरफ़ से गिफ्ट समझो. और हाँ ... तुम्हें ये पैसे लौटाने की भी जरूरत नहीं है. बस यह बात हम दोनों तक ही रहनी चाहिए। आगे भी अगर तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे एक दोस्त समझ कर बताना. मैं तुम्हारे लिए सब कुछ करूंगा।

ऐसा सुनकर तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

मेरे हाथों में तो जैसे कुबेर का खजाना लग गया था.

वैसे भी अंकल बहुत पैसे वाले थे, उनके लिए इतने पैसे कोई बड़ी बात नहीं थी।

इसके बाद अंकल ने मुझसे पूछा- तुम्हारे पैर का दर्द अब कैसा है?

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