पापा के बॉस

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मैंने कहा- अब काफी ठीक है. कल आपकी मालिश का ही असर है शायद!

मेरे इतने बोलने की देर थी कि उन्होंने मुझसे कहा- तो ठीक है, चलो आज एक बार फिर से तुम्हारी मालिश कर देता हूँ. आज सारा दर्द खत्म कर दूँगा।

मैं भी उन्हें अब मना नहीं कर सकती थी और मैंने भी हाँ कह दी।

अंकल उठकर तेल लेने के लिए चले गए और मैं वहीं बिस्तर पर लेट गई।

मैंने आज भी हाफ लोवर पहना था लेकिन आज मैंने अंदर पेंटी और ब्रा पहनी हुई थी।

मैं यही सोच रही थी कि आज अंकल पता नहीं कहाँ कहाँ हाथ लगाएंगे।

कुछ देर में अंकल तेल की शीशी लेकर वापस आ गए और मेरे पैरों के पास बैठ गए।

पहले उन्होंने मेरे पैरो पर तेल लगाना शुरू किया।

पहले दिन की तरह ही मैं अपने दोनों घुटने मोड़कर बैठी हुई थी।

आज भी अंकल की नजर चूत की तरफ जा रही थी लेकिन उस दिन की तरह आज उन्हें मेरी चूत के दर्शन नहीं हो रहे थे क्योंकि आज मैंने अंदर पेंटी पहनी हुई थी।

फिर भी अंकल की नजर बार बार वहीं जा रही थी.

मैं जान रही थी कि लोवर के नीचे से मेरी पेंटी उनको दिख रही होगी।

कुछ देर तक मेरे पैर की मालिश करने के बाद अंकल ने मुझसे कहा- चलो अब मैं तुम्हारी कमर में तेल लगा देता हूँ जिससे तुम्हें काफी अच्छा लगेगा।

मैं पलटकर पेट के बल लेट गईं और अपनी आँख बंद कर ली।

आज मैंने उन्हें इतनी छूट दे दी थी कि वे कहीं भी तेल लगा सकते थे. आज उन्हें मैंने नहीं रोकना है क्योंकि मुझे आगे भी उनका फायदा उठाना था.

मैं चाहती थी कि अंकल को इतना ज्यादा बेताब कर दूँ कि वे मेरे लिए कुछ भी करने के लिए राजी हो जायें।

अंकल ने मेरी टीशर्ट को ऊपर करते हुए मेरी पीठ तक चढ़ा दिया जिससे मेरी ब्रा की पट्टी तक खुले में आ गई।

अब उन्होंने मेरी कमर में तेल लगाना शुरू किया.

कुछ देर बाद उन्होंने मेरे लोवर को थोड़ा और नीचे कर दिया क्योंकि लोवर की वजह से मालिश करते नहीं बन रहा था।

उनका मालिश करना मुझे काफी अच्छा लग रहा था और मुझे हल्की हल्की नींद सी आने लगी।

मैं चुपचाप लेटी हुई थी और अंकल हल्के हाथों में मेरी मालिश करते जा रहे थे।

अचानक से अंकल ने कहा- मोना, एक बात बोलूं अगर तुम बुरा न मानो तो?

मैंने कहा- जी अंकल बोलिये न ... मैं क्यों बुरा मानूंगी?

अंकल बोले- मुझे अच्छे से मालिश करते नहीं बन रहा है. अगर तुम लोवर नीचे कर दो तो मैं काफी अच्छे से तुम्हारी मालिश कर सकूँगा. इसमें तुम गलत मत समझना. अगर तुम्हें अच्छा लगे, तो ही करो।

कुछ देर मैं सोचती रही और मैंने उन्हें कह दिया- आप नीचे कर सकते हैं, कोई दिक्कत नहीं है।

मेरी इजाजत पाकर अंकल ने मेरा लोवर नीचे कर दिया.

लेकिन मैंने यह नहीं सोचा था कि अंकल इतना नीचे कर देंगे।

उन्होंने मेरा लोवर मेरे घुटनों तक नीचे कर दिया जिससे मेरे पूरे चूतड़ खुलकर सामने आ गये।

मैं हमेशा हाफकट पैंटी पहनती हूँ इसलिए मेरे आधे कूल्हे बाहर निकले हुए रहते हैं।

उस वक्त मुझे काफी शर्म आ रही थी लेकिन मैं चुपचाप लेटी रही।

मुझे भी लग रहा था कि कुछ पाने के लिए इतना सब तो झेलना पड़ेगा ही!

मेरी छूट पाकर अंकल ने मेरी टीशर्ट को भी मेरी गर्दन तक चढ़ा दिया और मेरी ब्रा की स्ट्रिप भी खोल दी जिससे मेरी पूरी पीठ खुल गई।

अब अंकल ने काफी सारा तेल मेरे कमर और पीठ पर लगा दिया और हल्के हाथों से मेरी मालिश करने लगे।

उनकी उंगलियां बड़े प्यार से मेरी पीठ पर चल रही थी जैसे कि वे मुझे सहला रहे हो।

अब वे अपनी उंगलियों को मेरी गर्दन से लेकर मेरे चूतड़ तक चलाने लगे।

बार बार वे ऐसा ही करते जा रहे थे और हर बार उनकी उंगलियां मेरी पेंटी को कुछ नीचे कर देती।

कुछ ही समय में मुझे अहसास हो गया कि मेरी गांड की दरार पेंटी से बाहर निकल आई है.

इसका मतलब था कि मेरी पेंटी आधी नीचे उतर गई थी।

मुझे अंकल का मिजाज कुछ सही नहीं लग रहा था लेकिन मैं तब भी चुपचाप लेटी हुई थी।

मैंने कई बार सोचा कि अंकल को मना करूं ... लेकिन उस वक्त तक मेरे अंदर एक नशा सा छा गया था जो मुझे अच्छा लग रहा था।

अंकल जब तेल भरी उंगलियां मेरे जिस्म पर चला रहे थे, उससे मुझे अलग ही मजा मिल रहा था।

इसलिए मैं चुपचाप लेटी रही।

मेरे कुछ न बोलने के कारण अंकल की भी हिम्मत बढ़ती जा रही थी.

और अब उनकी उंगलियां मेरी गांड की दरार के अंदर जाने लगी और अब वे दोनों हाथ से मेरे चूतड़ को मसलने लगे।

अब तक मेरी पेंटी खिसककर मेरी गांड के नीचे जा चुकी थी और मेरी गांड पूरी तरह से नंगी हो गई थी।

अंकल मेरे चूतड़ों को फैला फैला कर तेल लगा रहे थे जिससे मेरी चूत उन्हें दिखाई दे रही होगी।

अगले कुछ ही पल में मुझे उनकी एक उंगली का स्पर्श गांड की छेद पर हुआ।

मुझे तो मानो करंट का झटका सा लगा था उस वक्त!

लेकिन उनके स्पर्श से मुझे मजा भी आ रहा था।

अब भी मेरी तरफ से किसी प्रकार का कोई विरोध न पाकर उनके हौसले बढ़ गए और अब वे बिना रोकटोक के अपना हाथ मेरी गांड की दरार के अंदर डालने लगे और मेरी चूत और गांड के छेद को सहलाने लगे।

उनका एक हाथ अब मेरी कमर पर चल रहा था तो दूसरा हाथ मेरी चूतड़ को फैलाकर अंदर तक चूत को सहला रहा था।

उस वक्त तक मेरी हालत खराब हो चुकी थी और मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।

अंकल ने मालिश के बहाने ही मुझे गर्म कर डाला था।

हल्के से सर उठाकर मैंने अंकल को देखा तो वे मुझे देखते हुए मुस्कुरा रहे थे।

मैंने अपनी नजर नीचे की और देखा कि अंकल के लोवर में तंबू बना हुआ था.

इसका मतलब था कि उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था।

मैंने सोच लिया कि आज जरूर मेरी चुदाई होकर ही रहेगी क्योंकि मैंने उनका विरोध न करके गलती कर दी थी.

लेकिन सच तो यह था कि मुझे भी उनके द्वारा ये सब करना अच्छा लग रहा था।

अब तक अंकल समझ चुके थे कि मैं ज्यादा कोई विरोध नहीं करुँगी इसलिए अब उन्होंने अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ पर से चलाते हुए मेरे दूध को पकड़ने लगे।

मेरा पूरा बदन काँपने लगा था और मैं पूरी तरह से गर्म हो गई थी।

मतलब मैं चुदाई के मूड में आ गई थी।

मेरे अंदर का लालच अब वासना में बदल गई थी।

अब मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ.

वहीं पर मुझे फैसला लेना था कि मुझे क्या करना है।

लेकिन मैं उस वक्त वासना की लहर में बह गई और अपने आप को अंकल के हवाले कर दिया।

अब अंकल मेरे साथ कुछ भी कर सकते थे, मैं मना नहीं करने वाली थी।

जल्द ही अंकल मेरे काफी नजदीक आ गए और अब उनकी गर्म साँसें मेरी पीठ पर लग रही थी.

जल्द ही उनके होठों का पहला चुम्बन मेरी गर्म पीठ पर आ गया।

मैं बिल्कुल मचल गई और अब अंकल को मेरी पूरी सहमति मिल गई थी क्योंकि अभी तक भी मैंने कुछ भी विरोध नहीं किया था।

अब अंकल ने मेरी पीठ पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी।

अपनी जीभ से वे मेरी पीठ को चाट रहे थे और साथ ही अपने हाथों से मेरी गांड को सहलाते जा रहे थे।

कुछ देर में ही अंकल ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और केवल चड्डी पहने हुए मेरे बदन को सहला रहे थे।

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे पलट दिया और पहली बार हम दोनों को आँखें मिली।

कुछ देर एक दूसरे की आँखों मैं देखने के बाद मैंने बिना मन के ही अंकल से कहा- छोड़िए न अंकल, ये सब गलत है. किसी को पता चल जाएगा तो दिक्कत हो जाएगी।

अंकल बोले- किसी को कुछ पता नहीं चलने वाला. तुम इसकी चिंता मत करो।

इसके बाद अंकल ने एक एक करके मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और अब मैं पूरी तरह से नंगी हो गई थी।

अंकल मेरे चेहरे के करीब आये और मेरे होठों को अपने होठों से दबा लिए।

वे मेरे होठों को बेहद ही प्यार से चूस रहे थे और साथ ही एक हाथ से मेरे एक दूध को सहलाते जा रहे थे।

अब अंकल मेरे ऊपर आ गए थे और मैं उनके नीचे दबी हुई थी।

अंकल ने भी अपनी चड्डी निकाल दी थी और वे भी अब बिल्कुल नंगे बदन हो चुके थे।

उनका लंबा मोटा लंड कभी मेरी जांघों को सहलाता कभी मेरी नाभि में घुसता।

अब अंकल मुझे बुरी तरह से चूम रहे थे, कभी गालों को, कभी होठों को, कभी मेरे दूध को तो कभी मेरे अंडरआर्म को।

कुछ देर बाद अंकल अपने घुटनों के बल बैठ गये और मुझे उठाकर अपनी गोद में बैठकर मुझे सहलाते हुए चूमने लगे।

मेरे दोनों पैर उनकी कमर में फंसे हुए थे जिससे मेरी चूत पूरी तरह से फैली हुई थी।

उनका लंड मेरी गांड के नीचे दबा हुआ था जिससे मुझे अलग ही गर्मी मिल रही थी।

अंकल एक हाथ से मुझे सम्हाले हुए थे और दूसरे हाथ से मेरी गांड को मसल रहे थे।

काफी देर तक हम दोनों ऐसे ही आलिंगन में रहे और एक दूसरे को गर्म करते रहे।

कुछ देर बाद अंकल ने मुझे वापस बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे दोनों पैरों को फैलाकर मेरी गुलाबी चूत में अपना मुँह लगा दिया।

अब वे अपनी जीभ से मेरी चूत को मलाई की तरह चाटने लगे.

जिससे मैं बिल्कुल बेकाबू हो उठी और बिस्तर पर इधर उधर मचलने लगी।

ऐसा लग रहा था कि जैसे वे मेरी चूत को आज खा ही जायेंगे।

उनके द्वारा मेरी चूत को ऐसे चाटना मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं जल्द ही झड़ गई।

वैसे तो मैं हमेशा ही उंगली करती थी और झड़ती थी.

लेकिन आज का झड़ना ऐसा था जैसे कि मैं हवा में उड़ रही थी।

मुझे ऐसा लग रहा था कि अंकल बस ऐसे ही मेरी चूत चाटते रहें और मैं ऐसे ही मजा लेती रहूँ।

इसके बाद भी अंकल नहीं रुके और लगातार मेरी चूत चाटना जारी रखे हुए थे.

जिससे मैं दुबारा गर्म हो गई और अब अंकल ने मेरे ऊपर आकर मेरे निप्पलों पर हमला कर दिया।

उन्होंने मेरे दोनों निप्पलों को ऐसा चूमा और अपनी उंगलियों से ऐसा दबाया कि मुझे जिंदगी में ऐसा मजा पहले कभी नहीं मिला था।

जल्द ही मेरे दोनों गोरे गोरे दूध बिल्कुल लाल हो गए।

अब मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मेरी चूत ऐसी हो गई थी जैसे उसमे सैकड़ों चींटियां चल रही हों।

मैं अंकल से लपटी जा रही थी और अपने नाखुन उनकी पीठ पर गड़ाए जा रही थी।

मेरी बेताबी को अंकल पूरी तरह से भाम्प चुके थे.

अब वे रुक गए और उन्होंने मेरी दोनों जांघों को पकड़कर फैला दिया।

मैं समझ गई कि अब अंकल मेरी चुदाई करने जा रहे हैं।

जैसे ही अंकल ने अपना लंड मेरी चूत में लगाया, मैंने तुरंत अंकल को रोक दिया और बोली- नहीं नहीं अंकल, ऐसे नहीं! कुछ हो गया तो?

अंकल मेरी बात समझ गए थे कि मैं कॉन्डोम के बारे में बात कर रही हूं।

उन्होंने कहा- तुम इसकी चिन्ता बिल्कुल मत करो, मैं कुछ नहीं होने दूँगा।

इसके बाद अंकल ने मेरी जांघों को अपने जांघों से दबा लिया और मेरे ऊपर लेट गए।

अब उन्होंने एक हाथ नीचे करके अपने लंड को चूत में लगाया और मुझे जकड़ लिया।

उन्होंने अपने सुपारे को बिल्कुल चूत के छेद पर लगाया हुआ था.

और जैसे ही उन्होंने लंड पे जोर देना शुरू किया, उनके लंड ने मेरी चूत को फैलाना शुरू कर दिया.

जैसे ही उनका सुपारा मेरी चूत के अंदर गया, मैंने जोर से अंकल को जकड़ लिया और जोर से चिल्लाई- आआह मम्मीईई ईईई ईईई नहीईई ईईई!

अंकल समझ गए कि मैं उनके लंड को झेल नहीं पाऊंगी.

और उन्होंने मुझे जोर से दबा लिया और धीरे धीरे करके पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया।

मैं चिल्लाती रही लेकिन अंकल नहीं रुके और लंड को चूत के अंतिम छोर तक डाल दिया।

अब मैं पूरी तरह से पसीने पसीने हो गई और मेरी आँखें दर्द के कारण बंद हो गई।

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं बेहोश हो गई हूं।

इतना ज्यादा दर्द मैंने कभी नहीं सहा था.

लेकिन अंकल माहिर थे, उन्होंने काफी देर तक अपने लंड को चूत में ही रखा और धीरे धीरे आगे पीछे करते रहे।

कुछ समय बाद जब मेरी चूत कुछ ढीली हुई और लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा, तब उन्होंने मुझे ढीला छोड़ दिया।

अब अंकल ने हल्के हल्के मुझे चोदना शुरू कर दिया।

अभी भी उनका लंड काफी टाइट जा रहा था और मैं 'आआह आआह ऊऊईई उईईई उईईई आआऊच मम्मीईई ईईई ईईई आआह!' कर रही थी.

अंकल बिना रुके अपने लंड को अंदर बाहर किये जा रहे थे.

धीरे धीरे उनकी रफ्तार तेज होती जा रही थी।

जल्द ही वे अपनी पूरी रफ्तार पर पहुँच चुके थे और अब वे पूरी ताकत से मेरी चुदाई कर रहे थे।

काफी देर तक मैं बिलखती रही लेकिन जल्द ही मुझे भी मजा आना शुरू हो गया और मैं भी उनका साथ देने लगी।

अब मेरी गांड अपने आप ही उछलने लगी जिससे अंकल को भी काफी मजा आ रहा था और वे दनादन मुझे चोदे जा रहे थे।

उनकी चुदाई के कारण मेरी चूत से बेहद ही गंदी आवाज निकल रही थी।

जल्द ही मैं झड़ गई.

लेकिन अंकल नहीं रुके और करीब 20 मिनट की धुंआधार चुदाई के बाद अंकल मेरे अंदर ही झड़ गए।

झड़ने के बाद अंकल ने लंड बाहर निकाला और बगल में लेट गए।

उसके कुछ देर बाद मैं उठी और अपनी पेंटी लेकर बाथरूम चली गई।

बाथरूम जाकर मैंने अपनी चूत को देखा जिसमें चारों तरफ झाग ही झाग था।

मैंने अपनी चूत को साफ किया और पेशाब करने के बाद वापस आकर लेट गई।

उसके बाद कुछ समय में ही अंकल दुबारा से तैयार हो गए और उन्होंने फिर से मेरी चुदाई शुरू कर दी।

इस बार उन्होंने मुझे घोड़ी बनाकर, गोद में उठाकर खड़े करके ... कई पोजीशन में चोदा।

उस रात हम दोनों ने तीन बार चुदाई की और उसके बाद अगले दिन सारी दोपहर हम लोग चुदाई करते रहे।

उसी रात को अंकल ने देसी इंडियन गर्ल Xxx गांड की सील भी तोड़ दी और अब वे मुझे गांड से भी चोदने लगे।

मैं दो दिन उनके घर पर रही और हम दोनों बस चुदाई ही करते रहे।

उनके घर से वापस लौटने के बाद जब भी हमें चुदाई करनी होती थी तो मैं कालेज के बहाने से उनके घर चली जाती।

हफ्ते में तीन से चार दिन मैं उनके घर पर ही रहती और दोपहर भर हम दोनों चुदाई करते रहते।

अंकल मुझ पर इतना फिदा हो चुके हैं कि मैं जब भी कोई चीज मांगती हूँ तो कभी मना नहीं करते और उसके साथ ही मुझे उतना प्यार भी देते हैं।

कई बार तो ऐसा हुआ है कि रात में मम्मी पापा सो जाते हैं तो मैं चुपचाप अंकल को बुला लेती और हम दोनों मेरे कमरे में रात भर चुदाई करते हैं।

इसके साथ साथ अंकल मेरी मम्मी को भी अभी भी चोदते हैं लेकिन यह बात मैंने अंकल से कभी नहीं कही कि ये सब मुझे पता है।

कि अंकल मुझे भी चोदते हैं और मेरी मम्मी को भी!

दोस्तो, कहानी के कमेंट में जरूर बताइये चुदाई कहानी आप लोगों को कैसी लगी?

धन्यवाद।

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