पड़ोस की भाभी बनी गर्लफ्रेंड भाग 01

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पड़ोस की भाभी कैसे बनी गर्लफ्रेंड.
5.2k words
3.17
58
00

Part 1 of the 2 part series

Updated 06/16/2023
Created 06/09/2023
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शुरुआत

कहानी की शुरुआत बड़ी मामुली सी थी। मैं एक छोटे से शहर के मामुली से मोहल्ले में एक मन्जिल के साधारण से मकान में मां-बाप के साथ रहता था और बी.ए. की पढ़ाई कर रहा था तथा साथ में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहा था। मेरे माता-पिता अक्सर घर से बाहर जाते रहते थे रिश्तेदारों के यहाँ, मैं अधिकतर घर पर अकेला ही रहता था किसी बात की परेशानी नही होती थी क्योकि खाना बनाना आता था और दाल-चावल बना कर काम चल जाता था। समय कालेज, लाईब्रेरी और घर पर पढ़ाई करने में कट जाता था।

हमारे साथ के मकान में पति-पत्नी रहते थे दोनों अकेले थे। शादी हुए ज्यादा समय नही हुआ था इस लिये कोई बच्चा नही था। पति को मैं भाई साहब कहता था जो अक्सर टूर पर रहते थे उनकी पत्नी को भाभी जी कह कर पूकारा करता था। दोनों का हमारे घर पर आना-जाना लगा रहता था मेरी माँ को भाभी जी बहुत पसन्द थी तथा अक्सर दोपहर को वह हमारे घर चली आती थी।

कभी अचार डालने में माँ की मदद करने या पापड़ बेलने में उनकी मदद करने वह अक्सर घर आती रहती थी। मतलब यह है कि दोनों परिवारों में बहुत अधिक निकटता थी। दोनों के यहाँ अगर कुछ खास पकवान बनता था तो एक-दूसरे के यहाँ जरुर दिया जाता था। सादी-सरल जिन्दगी और व्यवहार था।

इशारें

सदा की तरह माता-पिता दोनों कुछ दिनों के लिए बाहर गये हुए थे तथा पड़ोस के भाई साहब भी टूर पर थे। मैं दोपहर को छत पर बैठ कर पढ़ रहा था, जब पढ़ कर नीचे गया तो देखा कि भाभी जी के कपड़ें नीचे गिरे हुऐ थे। मैंने जब उन्हें उठाया तो उन में ब्रा, पेन्टी, ब्लाउज और पेटीकोट थे। मुझे लगा कि हवा चलने के कारण शायद गिर गये होगे। लेकिन ऐसा हर दिन ही होने लगा तो मुझे कुछ अजीब लगा। मैं कपड़े उठा कर भाभी जी को दे दिया करता था। एक दिन मुझे लगा कि मुझे भी अपने कपड़ें दूसरी तरफ गिरा कर देखने चाहिए, मैंने ऐसा ही किया। शाम को भाभी जी ने छत से आवाज लगा कर मुझे मेरे कपड़ें वापिस कर दिये।

मैंने जब उन्हे ध्यान से देखा तो लगा कि मेरी ब्रीफ पर कुछ लगा हुआ है छुआ तो गिला सा लगा। मैंने उसे धो कर फिर से सुखाने के लिए डाल दिया। दुबारा भी जब कपड़ें दुसरी तरफ गिरे तो कपड़ों से अजीब सी सुगन्ध आ रही थी। सुगन्ध अच्छी लग रही थी। इस लिए कुछ और नही करा। लेकिन लगा कि कपड़ें गिरने में कोई खेल हो रहा है। लेकिन पढ़ाई में इतना व्यस्त रहता था कि इस तरफ दूबारा ध्यान नही गया।

इकरार

माता-पिता जी फिर किसी शादी में गये हुऐ थे। पीछे मेरा जन्मदिन आने वाला था तो शायद माँ भाभी जी तो कुछ बता कर गयी थी। उस दिन मैं कॉलेज से आ कर पढ़ने बैठ गया इस दौरान कब शाम हो गयी पता ही नही चला। बाहर का दरवाजा खड़खड़ाया तो मैंने जा कर खोला तो पता चला कि अंधेरा हो गया है। दरवाजे पर भाभी जी हाथ में सामान ले कर खड़ी थी मैंने उन्हें अन्दर आने के लिए रास्ता दिया और दरवाजा बन्द कर दिया। वह अन्दर आयी और रसोई में चली गयी। वहाँ जा कर उन्होने अपने साथ लाया सामान रखा और मुझे कमरे में बुला कर कहा कि देवर जी हाथ मुँह धो लिजिए मैंने ऐसा ही किया।

जब कमरे में घुसा तो देखा कि कमरे में मेज पर एक प्लेट पर केक रखा था और उस पर एक मोमबत्ती जल रही थी। मैंने देखा कि आज भाभी जी अलग लग रही थी उन्होने बढ़िया साड़ी पहनी हुई थी तथा मेकअप भी कर रखा था मैंने मजाक में कहा कि आज तो आप जँच रही है तो उन्होंने कहा कि बड़ी देर कर दी देखने में? मैं कुछ समझा नही। उन्होंने मुझे हैपी बर्थडे कहा और मेरे हाथ में चाकु थमा कर कहा कि देवर जी केक काटिये। आप के लिए खुद अपने हाथों से बनाया है।

मैंने केक का टुकड़ा काट कर उसे भाभी जी तो देना चाहा तो उन्होने कहा कि ऐसे तो बर्थडे केक नही खाया जाता तो मैंने केक पीस उठा कर उन के मुँह से लगा दिया उन्होने उसे आधा खा कर बाकी मेरे मुँह में डाल दिया मैं उसे पुरा खा गया। इसके बाद भाभी ने एक टुकड़ा काटा और मेरे होंठों से लगा दिया मैंने जब उसे खाना चाहा तो उस को मेरे चेहरे पर मल दिया। इस के बाद तो मैंने भी एक टुकड़ा काट कर उसे उन के चेहरे पर मल दिया और कहा कि अब हिसाब बराबर हो गया।

हम दोनों के चेहरें केक से सने हुए थें। हम दोनों एक दुसरे को देख कर हँस पड़े। मैंने चेहरे से केक पोछ कर चाटा और कहा कि केक तो बढिया बनाया है आप ने । भाभी ने कहा कि जाते समय माता जी बता कर गयी थी कि आप का जन्मदिन है, हो सके तो मना लेना पहले लगा कि आप को कह कर केक मँगा लुँ लेकिन लगा कि इस में सरप्राईज नही रहेगा तो अपने आप केक बनाया। मैंने भाभी को धन्यवाद कहा तो उन्होने कहा कि रुखा-सुखा धन्यवाद नही चलेगा।

मैंने कहा कि आप बताओ कैसे धन्यवाद करुँ? इस पर वह बोली कि पहले तो जो केक लगाया है उसे साफ करे फिर कुछ माँगुगी। मैंने हाथ बढ़ा कर उन का चेहरा साफ करना चाहा तो वह दूर हट गयी और बोली कि ऐसे थोड़े ना साफ होगा आप को चाट कर साफ करना पड़ेगा तो मैंने भी उसी लहजे में कहा कि पहले आप कर के दिखाओ फिर मैं भी कर दुँगा तो वह आगे आई और मेरा चेहरा अपने हाथों में ले कर अपनी जीभ से सारा केक चाट लिया। मुझे समझ आ गया कि आज तो कुछ होना है। भाभी जी कुछ इशारे कर रही है। समझ नही आ रहा था कि क्या करुँ?

मेरे को सोचता देख कर वह बोली की लल्ला जी मैंने तो कर दिया है अब आप की बारी है। मैंने भी हिचकते हुऐ भाभी का चेहरा हाथों में लिया और जीभ से चेहरे पर लगा केक साफ करने लगा। ऐसा करते में मेंरा शरीर काँप रहा था किसी महिला के चेहरे को छुने का पहला अनुभव था। मेरी हालत देख कर भाभी ने मजा लेते हुऐ पुछा कि कोई गर्ल फ्रेंड़ नही है आपकी। किसी को चुमा नही है? मैंने ना में गरदन हिलायी तो वह बोली कि लगता है कि यह रोल भी मुझे ही निभाना पड़ेगा?

बताएँ क्या मैं आप की गर्लफ्रेंड़ बन सकती हूँ?

हाँ

परेशानी तो नही होगी?

नही होगी

गर्लफ्रेंड़ की सारी माँगे पुरी करनी पड़ती है?

पुरी करने की कोशिश करेगे।

बात माननी पड़ेगी

माँनेगे

अच्छा देखते है। आज से हम आप की गर्लफ्रेंड हो गये

संबंध की शुरुआत कैसे करे?

इस पर उन्होने मेरे केक से सने होठ चुम लिये।

मेरे तो तन-बदन में करेंट दौड़ गया। मैंने उन का सारा चेहरा चाट कर साफ कर दिया। इस के बाद हम दोनों ने बचा हुआ केक बाँट कर खा लिया। मै अभी भी उन से नजर नही मिला रहा था। फिर मेरे दिमाग में कुछ आया तो मैंने उन की तरफ देख कर कहा कि आज तो गिफ्ट मिलना चाहिए था अभी तक मिला नही है इस पर वह जोर से हँस पड़ी और बोली कि देवर जी अब होश में आ रहे है अच्छा है। बोली कि मैं ही तो आप का गिफ्ट हुँ ये आप को अभी तक समझ में नही आया। मैंने कहा कि गिफ्ट तो बढ़िया है इस पर वह बोली कि खोल कर नही देखेगे कैसा है। खुला आमंत्रण मिल रहा था अब रुकने की जरुरत नही थी। मैंने कहा कि बिल्कुल खोल कर देखेगे

यह कह कर मैंने उन को अपने करीब कर लिया। उन का बदन छरछरा था। वह मेरे से लिपट गयी फिर हम दोनों के होंठ एक दुसरें का रस पीने में लग गये मुझे तो यह स्वाद पहली बार मिला था सो मैं तो पागल सा हो कर उन के होंठों के रस का पान कर रहा था। वह भी पुरा साथ दे रही थी। जब दोनों की साँस फुल गयी तब हम दोनों के होंठ अलग हुए। मैंने उन की साड़ी का पल्लु हटा कर साड़ी को उतार दिया। अब वह मेरे सामने ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी। मैं उन को ध्यान से देख रहा था तो उन्होने कहा कि क्या देख कर ही काम चला लोगे?

मैंने इशारा समझ कर उन के ब्लाउज को खोलना शुरु किया उसे खोल कर उतार दिया उस के नीचे वह काले रंग की ब्रा पहने हुए थी सफेद बदन पर काली रंग की ब्रा जम रही थी। मैंने हाथ बढ़ा कर ब्रा के हुक खोल कर उसे भी उतार दिया अब कसे हुए सन्तरे के साईज के उरोज मेरे सामने थे। काले निप्पल तन कर खड़े थे। मैंने काँपते हाथों से उन को छुआ तो भाभी जी ने कहा कि डरो नही तुम्हारी ही चीज है यह सुन कर मेरी हिचकिचाहट जाती रही और मैंने उन को कस कर दबाना शुरु किया उन के मुँह से आह निकली।

मैंने अपने होंठों से निप्पलों को चुमा और दाँतों से काटा । मुँह खोल कर पुरे स्तन को अन्दर ले कर चुसा। भाभी ने मेरी शर्ट उतार दी थी और अब बनियान उतार रही थी। उत्तेजना के कारण मेरा पुरा शरीर काँप रहा था इस को देख कर भाभी ने मुझे अपने साथ पलंग पर लिटा लिया जो वही पर पड़ा था। मेरे हाथ उन के बदन पर फिर रहे थे वह भी मेरी छाती पर अपनी गरम साँसे छोड़ रही थी।

मिलन

दोनों के शरीर अब मिलन के लिए पुरी तरह से तैयार थे एक इस सफर पर पहली बार चल रहा था और दुसरा सैकड़ों बार चल चुका था। मेरा मुँह सुख रहा था। वह भी गरमी के कारण पसीने से नहा रही थी। मैंने उन की योनि को चाट कर गिला कर दिया था जानी पहचानी सी खुशबु मेरे नथुनों में आ रही थी। उन्होने मेरा लिंग पकड़ कर अपनी योनि के मुँह पर रखा और मेरे को इशारा किया कि मैं धक्का लगाऊ। मैंने जोर लगाया तो लिंग का सुपाड़ा योनि में चला गया दुसरी बार धक्का दिया तो पुरा लिंग ही योनि में समा गया। मेरे मुँह से भी आहहहहहहहहहहह निकल गयी उन के मुँह से आहहहहहहहहहहहहहहहह उहहहहहहहहहहहहहह उईईईईईईईईईईईई निकलने लगी। लिंग पुरा अन्दर जाने के बाद लगा कि लिंग को किसी ने गरम भट्टी में डाल दिया है मन करा कि इसे बाहर निकाल लुँ लेकिन भाभी जी की टांगें मेरी कमर पर कस चुकी थी अब मैं बाहर नही जा सकता था। कुछ देर को रुका रहा। लेकिन फिर नीचे से उन के कुल्हों ने उछाल ली और दोनों में जबरदस्त दौड़ शुरु हो गयी।

काफी देर तक यह चलता रहा। मेरी साँस फुल रही थी वह भी हाँफ रही थी। फिर जलजला आया और मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। थोड़ी देर बाद जब होश आया तो उन के ऊपर से हट कर बगल में लेट गया। पहला अनुभव था डरा-डरा सा था। वह भी हाँफ रही थी। दोनों स्तन ऊपर-नीचे हो रहे थे।

मेरी तरफ करवट ले कर वह बोली कि देवर जी आप तो हर फिल्ड में नम्बर वन हो, दम ही निकाल दिया है। आपके भाई साहब तो कुछ भी नही है आप के सामने। बदन ही तोड़ दिया है। मैं चुप था उन्होंने मेरे होंठ चुम कर कहा कि पहली बार है बाद में सब सही हो जायेगा। आपको गिफ्ट कैसा लगा? मैंने भी उन को चुम कर कहा कि बहुत बढ़िया । तो उन्होंने कहा कि ऐसे गिफ्ट को संभाल कर रखना पड़ेगा तो मैंने कहा कि अपनी जान से ज्यादा संभाल कर रखुगा। बेशकीमती और नाजुक तोहफा है। किसी को बताईयेगा नही? मैंने सर हिलाया। आप के और मेरे बीच की बात किसी तीसरे तक नही जानी चाहिए

मैंने कहा कि आप चिन्ता ना करे। किसी को पता नही चलेगा। अपनी चीज की संभाल कर रखना मुझे आता है।

वह उठ कर खड़ी हुई और कपड़ें पहनने लगी। मैंने भी कपड़ें पहन लिये। जाते समय उन्होंने कहा कि रात को कुछ खाना तो नही है? मैंने कहा कि नही रात के लिए दाल-चावल मैंने बना रखे है। वह दरवाजा खोल कर चली गयी और मैंने दरवाजा बन्द कर दिया और अन्दर आ कर बैठ गया। जीवन में ऐसा जन्मदिन पहले कभी नही मना था। शरीर थकान महसुस कर रहा था। खाना खा कर सो गया। गहरी नींद आई। सुबह उठा तो देखा कि कपड़े गन्दे हो गये थे।

संभोग के बाद अंगों को बिना पोछे ही कपड़ें पहन लिये थे इस लिए ऐसा हुआ था। नहा कर कॉलेज के लिये निकल गया। पढ़ाई में सारा दिन बीत गया किसी और बात का ध्यान ही नही आया। शाम को जब साईकल पर घर वापस आ रहा था तब दिमाग में कल घटी घटनाऐं घुमने लगी। घर आ कर पढ़ने की कोशिश की तो मन नही लगा। सोचने बैठा तो लगा कि इस तरह के संबंध भविष्य को प्रभावित कर सकते है। इस राह पर आगे जाने से कोई फायदा नही है। जो हो गया उसे एक क्षणिक गल्ती मान कर भुल जाना ही बेहतर रहेगा। किसी के प्रति लगाव के लिए शरीरिक संबंध की आवश्यकता नही है।

खाना खाने बैठा ही था कि ऊपर से भाभी जी की आवाज आई कि आप के लिए बैगंन की सब्जी बनाई है ऊपर दिवार पर रख दी है ले लिजिए। सुन कर ऊपर गया और दीवार से सब्जी की कटोरी ऊतार कर ले आया। सब्जी अच्छी बनी थी। इस लिए पुरी खत्म कर दी। फिर पढ़ने बैठ गया। शाम को अधेरा होने पर दरवाजे पर दस्तक हुई खोला तो देखा कि भाभी जी थी। वह अन्दर आयी और मेरे हाथ में पैसें दे कर बोली कि आप कल कॉलेज से आऐ तो मेरे लिए यह सामान ले आईयेगा। कागज की एक पर्ची मेरे हाथ में पकड़ा दी। मैंने उन्हे कहा कि आप अन्दर से कटोरी ले ले। जब वह अन्दर आयी तो मैंने उन्हें बैठने को कहा। उन के बैठने के बाद मैंने उन से कहा कि कल जो हुआ मै उस के लिए शर्मिन्दा हूँ।

मेरी बाद सुन कर वह बोली की शर्मिन्दा होने की कोई जरुरत नही है। मैं तुम्हे बहुत दिनों से चाहती हूँ कुछ कह नही पाती थी लेकिन कल वह दीवार ढ़ह गयी है बस और कुछ नही हुआ है। अब तो हम तुम दोस्त है तो कुछ भी गलत नही है। मैंने कुछ कहने की कोशिश की तो वह बोली कि मुझे अपनी स्थिति पता है तथा मैं अपने पति से भी प्यार करती हूँ लेकिन उन के पास ना रहने से अकेली पड़ जाती हूँ लेकिन अब शायद अकेलापन कुछ कम हो जायेगा। कल जो हुआ वह शायद फिर नही दोहराया जायेगा ऐसा मेरा मन कहता है। तुम अपने भविष्य की तैयारी करो मैं अपना जीवन बिताती हूँ। उन की बात सुन कर मुझे लगा कि उन की उदासी अगर मेरी वजह से दूर होती है तो मुझे क्या फर्क पड़ता है।

मैंने उन से कहा कि आप अपनी पढ़ाई दुबारा शुरु क्यों नही करती इस से आप का समय भी कट जायेगा और छुटी हुई पढ़ाई भी पुरी हो जायेगी। मेरी बात उन को उचित लगी और बोली कि तुम्हारे भाई साहब आते है तो उन से पुछती हूँ। मैंने कहा कि वह मना नही करेगे। मैं आप के लिए फार्म ला कर रख लेता हूँ। मैंने मजाक में कहा कि अब जब आप मेरी गर्लफ्रेंड़ हो गयी है तो इतनी जिम्मेदारी तो बनती है। मेरी बात सुन कर वह हँसी और बोली कि आप उतने सीधे नही है जितने दीखते है? मैंने कहा कि जैसा आप कहे। वो जब जाने लगी तो बोली कि आप की कोई पुरानी कच्छी मिल सकती है क्यो कि जब आप की याद आती थी तो मैं आप की गिरी हूई कच्छी पहन लेती थी मुझे लगता था कि आप मेरे साथ है। मुझे अपनी कच्छियों के गीले होने का रहस्य समझ में आ गया। मैंने कहा कि माँ पुरानियों को तो काट कर फैक देती है अगर कोई पड़ी होगी तो दे दुँगा।

जब वह चलने लगी तो बोली कि सब्जी सही बनी थी? मैंने कहा कि बढ़िया थी सारी खा ली थी। वह किचन में गयी और खाली कटोरी ले कर चलने लगी तो मैंने रोक कर कहा कि कुछ रख कर ले जाये माँ खाली कटोरी कभी नही देती। इस पर उन्होंने चीनी के बरतन से थोड़ी चीनी कटोरी में डाल ली। जब वह चली गयी तो मैंने दरवाजा बन्द कर लिया। कमरे में बैठ कर सोचा कि अभी तो कुछ किया नही जा सकता। फिर मैं पुरानी कच्छी ढुढ़ने में लग गया। कपड़ों की अलमारी में एक मिल गयी। पुरानी हो गयी थी इस लिए मैंने पहननी कम कर दी थी। उसी को पहन लिया कि सुबह दीवार पर सुखाने के बहाने डाल दूँगा। सुबह ऐसा ही किया।

फिर कॉलेज के लिए निकल गया। जब शाम को लौटा तो पर्ची को खोल कर पढ़ा तो पता चला कि सैनेटरी नेपकिन और कुछ मसाले लाने थे, दोनों सामान ले कर घर आ गया। अपने घर में जा कर उन को आवाज दी तो वह छत पर आ गयी मैंने उन के हाथ में सामान का थेला थमा दिया। फिर नीचे चला गया। दूसरे दिन माता-पिता का वापस आने का प्रोग्राम था। इस लिए अंधेरा होने पर छत पर जा कर अपनी कच्छी दूसरी तरफ गिरा दी।

सुबह कॉलेज जाने से पहले घर की चाभी भाभी जी को दे कर चला गया क्योकि माता-पिता जी दोपहर में वापस आने वाले थे। शाम को जब घर आया तो दोनों वापस आ गये थे। उन से उन की यात्रा के बारे में पुछा तो पता चला कि अगले हफ्ते भी उन्हें किसी शादी में जाना था। माँ ने पुछा कि जन्मदिन कैसा मना? तो मैंने कहा कि भाभी जी ने अपने हाथ से केक बना कर कटवाया था। यह सुन कर माँ बड़ी खुश हुई और बोली की बहु हर बात का ख्याल रखती है। मैंने कुछ नही कहा।

माँ से पता चला कि अगले महीने उन का भी जन्मदिन आने वाला है। इस के बाद में अपनी पढाई में लग गया। रात को छत पर टहले गया तो वह भी छत पर टहल रही थी। मै अंघेरे में उन्हे देखता रहा बोला कुछ नही और कुछ देर बाद नीचे आ गया। थका होने के कारण सो गया। सुबह उठ कर देखा तो ध्यान आया कि आज तो रविवार है कॉलेज नही जाना है लेकिन आज बाजार जाने का मन था भाभी जी के लिए फार्म भी लाने थे, अपनी पढ़ाई के लिए भी कुछ पुस्तकें ढुढ़नी थी। दोपहर को साईकिल लेकर बाजार चलने लगा तो माँ से पुछा कि कुछ मगांना तो नही है? इस पर माँ बोली कि बहु से भी पुछ ले कि उसे तो कुछ तो नही मगांना?

मैंने उन का दरवाजा खटखटाया तो दरवाजा खुला, भाभी थी मैंने पुछा कि आप को तो कुछ नही मगांना बाजार से? इस पर वह बोली कि मैं आप के साथ बाजार चलती हूँ आप कुछ देर इन्तजार कर लो। उन की बात सुन कर मैं अपनी साईकिल ले कर घर वापस आ गया और माँ से कहा कि भाभी जी बाजार जा रही है मेरे साथ। तैयार हो रही है। थोड़ी देर बाद वह तैयार हो कर आ गयी तो माँ बोली कि बहु साईकिल पर कोई परेशानी हो तो रिक्शे से चले जाओ दोनों। मैंने हँस कर कहा कि आप को भी तो साइकिल पर बिठा कर ले जाता हूँ कभी गिराया है? इस पर मां हँस दी और बोली कि यह मेरी बहु है सो चिन्ता तो रहती है। भाभी जी बोली कि साईकिल से ही सही रहेगा। मैंने उन्हे पीछे बिठाया और बाजार के लिए निकल गया।

बाजार में किताबों की दुकान पर जा कर उन के लिए परीक्षा का फार्म खरीदा। फिर अपनी किताबों के लिए दुकानों पर हम दोनों घुमते रहे। मैंने उन से पुछा कि आप को कहाँ चलना है तो वह बोली की आप के साथ आना था सो बहाना बना दिया लेकिन कुछ तो खरीदना पड़ेगा नही तो शक हो सकता है। मैंने सर हिलाया तो वह बोली कि कभी तो कुछ बोल लिया किजिये? मैंने कहा कि अब मै क्या कहुँ।

आप कुछ मेकअप का सामान ले लो या कुछ घर का सामान जो सही लगे। तो उन्हें ध्यान आया कि उन्हें अपना एक ब्लाउज बनाना है उस के लिए कपड़ा लेना है, इस पर हम कपड़े की दुकान पर गये तो भाभी जी ने दो ब्लाउज के कपड़े खरीदे। एक पेटीकोट का कपड़ा भी खरीदा। इस के बाद एक पाजामें का सफेद कपड़ा भी खरीद लिया। इस के बाद वह बोली कि मेरी खरीदारी तो पुरी हो गयी है। हम दोनों घर के लिये निकलने लगे तो मैंने उन से पुछा कि गोलगप्पे खाने है आप को? तो वह बोली कि नेकी और पुछपुछ । हम दोनों ने गोलगप्पे खाये और घर के लिए पैक भी करा लिये। घर पर जब माँ को गोलगप्पे दिये तो वह खुश हो कर बोली कि इन की कैसे याद आयी। मैंने कहा कि मेरे को नही अपनी बहु को बोलो इन्होने ही याद दिलायी थी। मेरी बात सुन कर भाभी जी खुश हो गयी। माँ इस बात से बहुत खुश थी कि उन का बेटा बाजार से उन के लिए कुछ खाने को लाया है।

रात को बात करते में माँ ने पुछा कि बहु ने क्या खरीदा तो मैंने कहा कि ब्जाउज, पेटीकोट और पाजामें का कपड़ा और कुछ मैकअॅप का सामान खरीदा था। मैंने उन को बताया कि उन के लिए परीक्षा का फार्म भी खरीदा था। अपने लिए कुछ किताबें देखी थी लेकिन खरीदी नही है। अभी उन के बारे में विचार करुँगा, कि खरीदु या नही। मेरी बातें माँ की समझ में नही आयी। वह अपने काम में लग गयी।

दो दिन बाद भाई साहब भी टूर से वापस आ गये। हमारे घर आये जो उन का रुटीन था तो मेरे से बोले कि तुने यह अच्छी राय दी है कि यह अपनी पढ़ाई आगे शुरु कर दे। फार्म भी ला दिये है लेकिन आगे का सब काम तुझे ही कराना पड़ेगा मैं तो घर पर रहता नही हूँ। मैंने कहा कि आप चिन्ता ना करे भाभी की पढ़ाई मेरी तरह की है मैं उन की सहायता कर दुँगा और फार्म भी भरवा दुँगा। मेरी बात सुन कर वह बड़े खुश हुऐ तथा पिता जी से बाते करने लगे।

जब जाने लगे तो मुझे एक तरफ बुला कर बोले कि तुझे मेरा एक काम करना पड़ेगा मैंने पुछा कि क्या काम है? तो वह बोले कि अगले हफ्ते इस का जन्मदिन है तथा मुझे फिर से टूर पर निकलना है। मैं तुझे पैसे दे जाऊँगा तु केक ला कर इस का जन्मदिन मनवा देना। मैंने हाँ में सर हिलाया। उन्होने पैसे मुझे पकडाये और कहा कि एक साड़ी लाया हूँ इस के लिए उसे तेरे को देता हूँ जन्मदिन पर ही इस को देना। अभी देने से मजा नही आयेगा। यह कह कर उन्होने एक पैकेट मेरे हाथ में थमा दिया। इस के बाद वह चले गये।

मैं भी अपने काम में लग गया।अगला हफ्ता कब बीत गया पता ही नही चला। भाई साहब भी टूर पर चले गये थे। माता-पिता भी रिश्तेदार की शादी के लिए निकल गये थे। हम दोनो फिर से अकेले थे।

जिस दिन भाभी जी का जन्मदिन था मैं कॉलेज से आते समय केक लेने चला गया, एक अच्छा सा पेन भी भाभी को गिफ्ट करने के लिये खरीद लिया। जब घर लौटा तो शाम हो चुकी थी। केक पर मोमबत्ती लगा कर चाकु प्लेट वगैरहा सजा कर भाभी जी को आवाज दी। वह आयी तो दरवाजा खोल कर उन के आने के बाद दरवाजा बन्द कर दिया और उन को कमरे में ले गया। केक देख कर वह हैरान रह गयी और बोली कि आप को कैसे पता चला? मैंने कहा कि भाई साहब बता कर गये थे। फिर मैंने उन्हे हैप्पी बर्थडे कहा और केक काटने को कहा। वह केक काटने लगी तो मैंने तालियाँ बजाई केक काट कर उन्होने मेरे को खिलाया तो मैंने आधा खा कर उन के मुँह में डाल दिया।

इस के बाद मैंने उन को साड़ी का पैकेट दिया और बताया कि भाई साहब उन के लिये लाये थे लेकिन सरप्रराईज के कारण मुझे दे गये थे। साड़ी पा कर वह बड़ी खुश हुई। इस के बाद मैंने उन्हे अपना गिफ्ट दिया तो वह बोली कि मैंने तो आप को गिफ्ट के रुप में ले लिया है अब किसी चीज की जरुरत नही है। मैंने कहा कि खोल कर तो देखिये काम की चीज दी है। पेन देख कर वह बोली की इस का क्या करुँगी? मैंने कहा कि अपनी पढ़ाई करेगी और क्या? मेरी बात सुन कर उन्हें समझ आया कि आगे की पढ़ाई के लिए उन के पति ने सहमति दे दी है। उन्होने मुझे पकड़ कर कहा कि अब आप की जिम्मेदारी और बड़ गयी है। मैंने कहा कि हम कहाँ भाग रहे है। आप के साथ ही तो है।

मेरी बात सुन कर वह केक उठा कर मेरे चेहरे पर मलने के लिये उठी तो मैंने उन्हें पकड़ कर रोक दिया और कहा कि केक खाने की चीज है इसे पेट में ही जाने दो। मेरी बात सुन कर वह रुक गयी और बोली कि आप ने तो इनाम का काम करा है क्या चाहिये? मैंने कहा कि कुछ नही चाहिए, आप अपनी पढ़ाई फिर से शुरु कर दिजिये मेरे से जो भी सहायता चाहिए बता दिजिऐगा। मेरी बात सुन कर उन का चेहरा चमक गया वह बोली की पढ़ाई छुट जाने का मुझे बहुत दूख था लेकिन अब तुम ने उसे शुरु करा दिया है तो मैं बहुत खुश हूँ आज तो आप को डबल इनाम मिलना चाहिए। मैंने कहा कि मेरा इनाम तो आप है।

वह हँस दी और बोली कि आप पुरे छुपे रुस्तम है। मैंने कहा कि आप से सीख रहा हूँ। हम दोनों हंसने लगे। मैंने कहा कि आप के फार्म पर आप का फोटों लगेगा क्या आप के पास अपना फोटोग्राफ है? इस पर वह बोली कि नही तो मेरे पास तो कोई फोटोग्राफ नही है। मैंने कहा कि जल्दी ही खीचँवाना होगा क्योकि फार्म भरने की अन्तिम तिथि आने वाली है। कल ही चल कर फोटो खीचँवा लेते है। इस पर वह बोली कि माता-पिता जी को आने दिजिये फिर चल कर खीचँवा लेगे। उन के पीछे से हम दोनों का एक साथ जाना सही नही रहेगा। मैंने उन की बात पर सहमति में सर हिलाया तो मेरी इस हरकत पर वह बोली कि कभी तो कुछ बोल लिया कीजिये या सब कुछ मेरी ही जिम्मेदारी है। मैंने कहा कि जब आप बोल रही है तो मैं क्या बोलु। काफी देर सन्नाटा छाया रहा फिर मैंने हिम्मत करके पुछा कि कच्छी मिल गयी थी। वह बोली कि मिल गयी थी लेकिन आज तो साक्षात आप स्वयं है तो यह मौका कैसे छोड़ दूँ?

मैं उन की बात को समझ कर भी चुप रहा तो वह ऊठ कर मेरे पास आयी और बोली कि गर्लफ्रेंड की बात तो माननी पड़ेगी। यह कह कर उन के होंठ मेरे लबों से सट गये। मेरी भी प्यास फिर से जग गयी और हम दोनों गहन आलिंगन में बंध गये। चुम्बन जब तक चला जब तक दोनों की सांस फुल नही गयी। उन की उम्र भी मेरे जितनी ही थी। उन के कठोर उरोज मेरे ह्रदय में गढे़ जा रहे थे। उन का हाथ मेरी जाँघों के बीच पहुँच कर अठखेलियाँ कर रहा था, मेरे से खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था। उन की ऊंगलियों ने पजामें का नाड़ा खोल दिया और पजामा नीचे गिर गया। अगला नम्बर कच्छी का था वह भी उन के हाथों द्वारा सरक का नीचे चली गयी। अब उन की ऊंगलियाँ मेरे लिगं पर कस गयी थी और उसे कस कर मसल रही थी। मैं आह को बड़ी मुश्किल से रोक पा रहा था।

फिर अचानक वह मेरी बांहों से फिसल कर नीचे बैठ गयी और मेरे लिंग को मुँह में ले लिया। मेरे लिये तो यह नया अनुभव था। सारा शरीर तनाव से तन सा गया था। उन के मुँह में मेरा पुरा लिंग था और वह उस को अन्दर बाहर कर रही थी। कुछ देर बाद मेरे शरीर का तनाव खत्म हो गया, मैं उन के मुँह में स्खलित हो गया था। उन के होंठ मेरे वीर्य से सने हुये थे उन्होने उठ कर मुझे चुम कर कहा कि अपनी चीज का आप भी तो स्वाद चखो। मेरे होंठों से अपने वीर्य का नमकीन सा स्वाद पहली बार चखा। अब मेरी बारी थी इस लिए मैंने उन्हे बिस्तर पर धकेल दिया और उन की साड़ी घुटनों से ऊपर कर के उन के पांवों के बीच बैठ गया।

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