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Click hereसाड़ी थोड़ी और ऊपर करी तो उन की पेंटी दिखायी देने लगी। मैंने उसे खीचँ कर घुटनों से नीचे कर दिया। इस के बाद मेरे होंठ उन की योनि को चुमने लगे।
अजीब सी मोहक सुंगंध आ रही थी जीभ को कसेला सा स्वाद भी भा रहा था। जीभ योनि को ऊपर से नीचे, नीचे से ऊपर चाट रहे थी। भाभी जी भी आहहहह उहहहह की आवाज निकले लगी थी। तभी उन्होने मेरे सर को अपने हाथों से दबा कर योनि से सटा दिया। उन की योनि ने बड़ी तेजी से पानी की बौछार मेरे चेहरे पर कर दी। उन की दोनों टांगे भी मेरे सिर पर कस गयी थी। थोड़ी देर में जब उन की टांगों का कसाब ढीला पड़ा तो मैंने अपने सर को मुक्त किया और उठ कर उन की बगल में लेट गया और उन के ब्लाउज को उतारने लगा उसे उतार कर नीचे की ब्रा को भी निकाल दिया फिर दोनों स्तनों को हाथो से मसलना शुरु कर दिया। मन ही नही भर रहा था।
लेकिन ज्यादा देर तक यह सब नही कर सकते थे इस लिए साड़ी खोल कर पेटीकोट को उतार कर उन की टागों के बीच बैठ कर लिंग को उन की योनि में डाल दिया। पहली बार में तो अन्दर नही गया लेकिन जब दूसरी बार कोशिश की तो अन्दर प्रवेश कर गया। इस के बाद जो दौड़ लगी कि बीस-पचीस मिनट से पहले रुकी नही। जब रुकी तो दोनों थक कर चुर हो चुके थे शरीर पसीने से नहा रहे थे और मुँह प्यास से सुख रहे थे। संभोग में इतना समय लगने का कारण बाद में समझ आया जब होश आया तो वह अपने कपड़े पहन कर आई और मेरे कान में बोली की कैसा लगा डबल इनाम?
तब जा कर मेरे दिमाग की बत्ती जली। मैं मुस्कराने की हालत में नही था। वह कपड़े पहन कर चलने लगी तो मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये। फिर उन के जाने के बाद दरवाजा बन्द कर के कमरे में लौटा तो देखा कि मेरे नीचे के सारे कपड़े गीले थे तथा बिस्तर की चादर भी गीली हो गयी थी फौरन उस को हटा कर तथा अपने कपड़ों को उतार कर बाल्टी में पानी में भिगो दिया चादर पर दाग लगने का डर था बाद में माँ को क्या बताता?
इस लिए चादर तथा अपने कपड़ों को साबुन से साफ करके साफ पानी से धो कर सुखाने डाल दिया। इस के बाद बैठ कर सोचा कि आज क्या हुआ था? दिमाग काम नही कर रहा था साथ ही सारा बदन दर्द कर रहा था। रसोई में जा कर देखा कि रात के खाने के लिए कुछ है या नही, दाल चावल मिले तो वही खा लिये और सोने चला गया। थोड़ी देर में ही गहरी नींद आ गयी। सुबह उठा तो सारा बदन दुख रहा था कारण समझ में नही आ रहा था लेकिन कॉलेज तो जाना था इस लिए नहा कर तैयार हुआ और चाबी भाभी जी तो दे कर कॉलेज के लिए निकल गया। आज शायद माँ-बापु ने वापस आना था।
शाम को जब घर लौटा तो माँता-पिता जी यात्रा से वापस आ गये थे।
भाग - 1 समाप्त