वासना की आग

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दो परिवार अजीब तरीके से जुड़कर एक परिवार हो गया
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बात कोविड-19 के समय की है, 2021 में दूसरी लहर तबाही मचा चुकी थी.

उस समय हमारे पड़ोस में दो दुर्घटनाएं घटी. एक परिवार में शेखर अपनी पत्नी को खो चुका था तो सामने के मकान में रहने वाली सपना अपने पति को!

इससे पहले दोनों अपनी लाइफ को खूब एंजॉय कर रहे थे कि अचानक दो परिवारों का सुख चैन बर्बाद हो गया।

जब स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ तो दोनों चूंकि पड़ोसी थे तो उन्होंने यह सोचा कि क्यों ना हम दोनों आपस में शादी कर लें, जिससे दो परिवार फिर से पहले की तरह सामान्य हो जाएंगे।

शेखर का बीस साल का बेटा था संजय और सपना के 19 साल की बेटी थी शलाका।

उन दोनों ने सोचा कि उनके शादी करने से न केवल उन के बच्चों का भला होगा बल्कि उनकी सैक्स लाइफ भी फिर से रंगीन हो जायेगी।

दोनों की शादी हो गई. सपना शेखर के यहां आ गई.

शेखर और सपना दोनों ही रंगीन मिजाज थे, कई बार वे मस्ती के लम्हों में ये भी भूल जाते कि घर में जवानी की दहलीज पर खड़े दो बच्चे हैं. कभी संजय तो कभी शलाका उनकी हरकतों के कारण शरीर में सनसनी सी महसूस करते।

संजू तो दोस्तों के साथ पोर्न भी देख चुका था और उसका एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बना हुआ था जिस में हर तरह का नॉनवेज मैटेरियल पोस्ट होता था।

सपना और शेखर अभी बयालीस चवालीस के ही थे, दोनों को चुदाई करे 7-8 महीने हो गए थे इसलिए जब एक दूसरे को नई चूत और नया लंड मिला तो दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े; सुबह, दोपहर, शाम, रात, जब मौका मिलता दोनों चुदाई में लग जाते।

इधर शलाका भी कई बार उनकी हरकतों से, उनकी सिसकारियों से, आवाजों से, उनकी चुहलबाजियों से सैक्स के संसार से अवगत होने लगी थी.

पहले तो उसने बस कभी अपने स्तन सहलाए, कभी चूत सहलाई, कभी चूत में उंगली भी करके देखी. लेकिन जानकारी की कमी और डर के कारण ज्यादा कुछ समझ नहीं आया।

रात में तो बंद कमरे में शेखर और सपना मिल के वासना का वो तूफान उठाते कि बस पूछो मत! दोनों नए स्वाद के मजे लेने में इतने खो जाते थे कि संजय और शलाका कहां हैं, क्या कर रहे हैं, उनके ध्यान में भी नहीं आता था।

संजय के लिए सपना, मां तो थी नहीं, और न शलाका बहन थी। उसकी हालत तो ऐसी थी कि पेट्रोल के डिब्बे के दोनों तरफ जैसे आग रखी हो! सपना की जवानी और शलाका के खिलते यौवन ने संजय की कामुक कल्पनाओं को पर लगा दिए थे।

शेखर सपना के कमरे के बाद संजय का फिर शलाका का कमरा था। संजय, शेखर और सपना के कमरे से कान लगाकर सुनने की कोशिश करता, किसी झिरी से झांकने की कोशिश करता!

एक दिन शेखर जब सपना की गांड मार रहा था तो आवाजें कुछ साफ सुनाई दे रही थी। सपना कह रही थी- धीरे करो न ... दुखता है! चूत में डालो न ... गांड मारने में तो केवल तुमको मजा आता है. अरे मां रे ... मर गई रे!

संजय का तो लहू उबलने लगा, लंड ऐसा अकड़ने लगा कि जैसे टूट जायेगा। वो जितना दबाता, लंड उतनी ही मजबूर करता कि मेरे लिए कुछ कर!

संजय कामांध होकर शलाका के कमरे की ओर बढ़ा. वो बेसुध सो रही थी.

संजय ने शलाका के होंठों, स्तनों, और चूत पर गर्म गर्म फूंक मारी. वो नींदों में कसमसाई।

संजय ने फिर उसके स्तनों को उंगली से सहलाया. शलाका के मुंह से एक सिसकारी निकली. संजय के लंड ने भी एक अंगड़ाई ली.

फिर संजय ने उसकी चूत पर गर्म गर्म हवा छोड़ी, शलाका ने दो तीन बार सी ... सी ... किया। अब संजय ने ठान लिया कि इस कली को फूल बनाना है। क्योंकि जब लंड तन्ना जाता है तो सोचने का काम भी वही करता है.

उसने शलाका के गुलाब की पंखुरी से नाजुक होंठों पर अपने होंठ रखे और उसके बांए स्तन को हौले से सहलाने लगा।

शलाका के पूरे बदन में चींटियां सी रेंगने लगीं। वो आधी नींद की हालत में पहले चुम्बन का मज़ा लेने लगी.

जब संजय ने अपनी जुबान से उसके होंठों को चाटा और जुबान को जुबान से लड़ाने की कोशिश की, तब शलाका ने जैसे चौंकने की एक्टिंग करते हुए कहा- संजू भैया आप? यह आप क्या कर रहे हो? आप मेरे भाई हो। संजय ने कहा- भाई नहीं, भाई जैसा हूं। पगली, किस्मत ने हमको इसीलिए मिलवाया है कि हम दोनों भी ज़िंदगी के भरपूर मजे ले सकें और किसी को शक भी नहीं हो।

जब संजय ने देखा कि शलाका की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ तो संजय उसके स्तनों को दबाने लगा; स्तनों को मसलते हुए होंठों का रस पीने लगा.

शलाका का यह पहला अनुभव था जब कोई लड़का उसके कामुक बदन को मथ रहा था. इससे शलाका की चूत में चिंगारियां उड़ने लगी थीं।

अब स्टेप सिस्टर सेक्स की, कामवासना की तेज लहरों के साथ बहने को तैयार थी. उसने संजय भैया के स्थान पर कहा- संजू, मेरी चूत में वासना की आग भड़क रही है, उसे बुझा यार! खा जा मेरी कुंआरी बुर को! इसकी खुजली मिटा दे यार!

संजू ने झट से शलाका की पैंटी खींच के उतारी और उसकी चूत पे जुट गया। संजू के होंठ शलाका की चूत के होंठों से मिल चुके थे.

जुबान शलाका की रसीली चूत में हलचल मचा रही थी. बीच बीच में क्लिटोरिस पर जुबान की नोक मस्ती की तरंगें उठा रही थी।

ऑर्गेज्म के पहले का तूफान शलाका की चूत में गोल गोल घूम रहा था। वो सिर को बेचैनी में इधर उधर हिलाने लगी, पैर पटकने लगी.

उसके शरीर का रोम रोम अकड़ गया, अचानक चूत में जबर्दस्त कंपन हुआ, चूत जोर जोर से फड़कने लगी. हर फड़कन के साथ शलाका का कामुक शरीर शिथिल पड़ता जा रहा था. शलाका की चूत ने संजू के मुंह में ढेर सारा रस छोड़ दिया।

संजू ने पहली बार किसी अनछुई चूत का रस पीया था।

संजू का लंड भी इतने उत्तेजक माहौल में अब विस्फोट के लिए तैयार था, उसने लंड को फेंटना शुरू किया. दो मिनट भी नहीं लगे, उसके लंड से वीर्य के कतरे उछल उछल कर, शलाका के मुंह, स्तनों और पेट पर गिरने लगे।

शलाका अपने बदन पर मोती की तरह बिखरे कतरों को देख के लाज से दोहरी हो रही थी. वीर्य की मादक महक ने पहले ऑर्गेज्म का आनंद और बढ़ा दिया था।

बहुत देर तक तक दोनों अपनी सांसें संयत करते रहे, उसके बाद दोनों नंगे बदन एक दूसरे से चिपट के बात करने लगे।

संजू ने कहा- शलाका, यार तुझे तो पता है मेरे पास वाले कमरे में दिन में 4-5 बार तेरी मां चुदती है. "हां, मैं भी कई बार मादक आवाजें सुन के गर्म हुई हूं, तड़पी हूं।"

फिर संजय ने आज का किस्सा सुनाया कि आज शेखर कैसे सपना की गांड मार रहा था और कैसे सपना की बातों ने उसके लंड में लावा भर दिया था।

शलाका बोली- तभी मैं सोचूं कि आज भैया को क्या हो गया है. पर अच्छा हुआ न ... हम दोनों की सेक्स की भूख वाली समस्या हल हो गई।

इसके बाद संजू ने पूछा- अब क्या इरादा है? शलाका ने कहा- चूत में उंगली तो कई बार करी ... लेकिन अभी तक लंड नहीं लिया है. तो बस आज तो मेरी virginity की दीवार तोड़ के मुझे अपने लंड के जरिए एक यादगार ऑर्गेज्म दे दो।

संजू का दिल तो बल्लियों उछलने लगा, वो तो शलाका को खुद चोदना चाह रहा था लेकिन शलाका की मर्जी से ... क्योंकि उसे रोज उसकी चुदाई करनी थी और उसकी मदद से और भी खेल खेलने थे।

संजू ने शलाका को पकड़ के अपने लंड की ओर झुकाया. शलाका थोड़ी झिझकी लेकिन जिस राह पर उसने अपनी कामवासना के कारण कदम बढ़ा दिये थे, वहां से अब लौटने की कोई संभावना नहीं थी।

उसने संजू के लंड की सुपारी को मुंह में लिया और जुबान को गोल गोल घुमा के करंट दौड़ाना प्रारंभ किया. संजू का लंड तन्नाने लगा, उसने अपने लंड को थोड़ा चिकना करा, शलाका की चूत में भी ऊंगली से चिकनाई लगाई.

फिर अपने लंड का मोटा सुपारा चूत के बीच में रखा और दबाव डालना शुरू किया. चूत भी संजू के लंड के स्वागत में खुल गई, खिल गई।

लंड शलाका की कुंवारेपन की निशानी तक पहुंच के रुक गया।

संजू ने शलाका को कहा- शलाका, बधाई हो ... तुम अब कली से फूल बनने वाली हो! शलाका ने कहा- संजू, मुझे खुशी है कि मेरी चूत की कौमार्य झिल्ली तुम्हारा लंड तोड़ रहा है, तुम्हें भी बधाई हो।

"तो फिर ये ले!" कह के संजू ने शलाका का अनमोल कौमार्य भंग कर दिया. शलाका की चूत में दर्द की एक लहर उठी, उसके मुंह से घुटी हुई सी चीख निकली.

लेकिन कुछ ही मिनटों में दर्द गायब हो गया और चूत चुदाई के लिए मचलने लगी. एक कमसिन चूत की चुदाई शुरू हुई, कमसिन मगर मजबूत लंड से ... हर धक्के से शलाका की चूत में से मस्ती की लहर उठके उसके मस्तिष्क तक जा रही थी।

आज उसे पता चला कि मस्ती और इश्क से मिल कर ही मस्तिष्क बना है। चूंकि एक बार पहले लंड ने लावा उगल दिया था इसलिए इस बार शलाका की चूत को जबरदस्त लंबी चुदाई मिली.

जब उसका क्लाइमेक्स नजदीक था तो वो बोल पड़ी- संजू जोर से ... संजू और तेज ... संजू रगड़ दे कस के ... संजू ... संजू! इतना कहते उसकी चूत से मस्ती का एक दरिया बह निकला।

संजू भी शलाका की चूत में बहुत गहराई में अपने लंड का पूरा तनाव त्याग चुका था। वे दोनों मस्ती में चूर थे; एक दूसरे को बांहों में भींचे दोनों निद्रा की गोद में समा गए।

सुबह 5:00 बजे संजय की नींद खुली तो वह उठ के अपने कमरे की ओर जाने लगा.

उसकी जिज्ञासा हुई कि जरा पापा और सपना के कमरे में क्या चल रहा है, उसका भी जायजा लिया जाए. क्योंकि उन के कमरे की लाइट जल रही थी एवं कुछ अस्पष्ट आवाजें भी सुनाई दे रही थीं.

उसने दरवाजे पर कान लगाए. सपना कह रही थी- यार ... रात में ही तो गांड मारी थी, चूत चोद लो न! ऐसा क्या गांड का शौक लग गया तुमको? मेरी चूत की चुदाई के लिए क्या मैं किसी और के लंड का इंतजाम करूं? तुम कहो तो संजय से चुदवा लूं?

यह सुनकर शेखर तो दंग रह गया. उसे अपनी दबी हसरत के इजहार करने का मौका मिल गया.

सपना से शादी के पहले उसकी नजर उसकी अधखिली बेटी शलाका पर थी. कामुक मर्द को तो हर लड़की, हर औरत को देख कर केवल उसे चोदने का ख्याल आता है।

वो बोला- अच्छा तू संजू से चुदवाएगी तो फिर मैं अपना ये भूखा लंड क्या शलाका की चूत में डालूंगा?

यह सुनकर संजय का तो दिमाग सुन्न हो गया, जो कुछ उसके दिमाग में चल रहा था, वह तो इन दोनों के दिमाग में भी चल रहा है. उसको लगा कि पहले उसकी चुदाई योजना जितनी मुश्किल उसको लग रही थी, उतनी है नहीं!

अब केवल शलाका को तैयार करना था. और शलाका जैसा कि उसने कल रात पाया, वो उसके साथ किसी भी हद तक जाने को तैयार है. तो अब घर के अंदर ही कामवासना के ऐसे ऐसे खेल खेले जाएंगे जिनकी कल्पना मात्र से उसके पूरे तन बदन में सनसनी सी होने लगी.

वो उल्टे पैर शलाका के कमरे में लौटा।

उसका लंड, शेखर और सपना की बातें सुनने के बाद में बहुत बुरी तरह अकड़ चुका था. शलाका पूरी तरह नंगी, बेसुध सो रही थी.

संजू उसके पास पहुंचा और उसने शलाका के पैर फैलाए, खुद घुटने के बल हुआ और अपना लंड शलाका की चूत के बीचोंबीच रखकर एक करारा धक्का लगाया.

शलाका की नींद खुल गई, वह चौंक पड़ी- अरे यार संजू, सुबह-सुबह ये क्या कर रहे हो? रात में दो बार हल्के होने के बाद भी तुम्हारा मन नहीं भरा क्या? तो संजू बोला- अरे ... सुबह-सुबह तो हर मर्द का लंड तन्नाता है. सुबह-सुबह चुदाई का सबसे अधिक मजा आता है.

फिर वह बोला- और मैं तुझे एक लतीफा भी सुनाना चाहता हूं! शलाका बोली- लतीफा? इस समय यह लतीफा कहां से आ गया? संजू बोला- सुन तो सही, उसको सुन के चुदाई का मजा और बढ़ जाएगा।

शलाका ने कहा- ठीक है, चलो सुनाओ!

संजू ने कहा- एक बहन ने अपने भाई से चूत चुदवाते हुए कहा कि भैया, तुम्हारा लंड तो पापा के लंड से भी ज्यादा बड़ा है. इस पर भाई ने जवाब दिया कि हां, मम्मी भी यही कह रही थी। शलाका ने कहा- यह लतीफा है? इससे ज्यादा गंदा दुनिया में कुछ हो सकता है कि एक बेटी अपने पापा के लंड से चूत चुदवाए और एक मां अपने बेटे के लंड से?

संजू बोला- गंदा? अरे यह तो वासना का सबसे हसीन खेल है, मस्ती की पराकाष्ठा, कामुकता का चरम! मैं तो अपने कमरे में जाकर सोने वाला था पर पापा के कमरे से यही सब सुनकर तो मैं आ रहा हूं. इतना कह के उसने शलाका को पूरी बात बता दी।

संजू ने शलाका को पूरी बात बता दी- यह सुनने के बाद मेरे लंड ने मुझे मजबूर कर दिया कि जा, एक बार और शलाका की चुदाई कर!

शलाका ने कहा- वाह भैया, उधर मेरी मां चुद रही है, इधर तुम अपनी बहन चोदने आ गए।

रात को दोनों दो बार झड़े थे इसलिए संजू जल्दी झड़ने वाला नहीं था और शलाका की चूत को भी झड़ने के लिए अधिक रगड़े चाहिए थे। दोनों शेखर और सपना की बातों को सुन कर काम कल्पनाओं में खोए हुए थे।

दो दिन में दोनों का परिचय एक ऐसी दुनिया से हो गया था, जहां केवल आनंद था, कोई पाखंड नहीं, नैतिकता के खोखले बंधन नहीं, रिश्तों के जबरन लादे गए सामाजिक दबाव नहीं। जहां केवल मस्ती थी, कामुकता और वासना की धीमी आंच पर पकी, खालिस मस्ती।

संजू ने शलाका को चोदते हुए पूछा- बोल शलाका, अब आगे तेरा क्या विचार है? मेरे बाप से चुदना है? शलाका अपने दिल की धड़कनों को संभालती, गर्म गर्म सांसें छोड़ती हुई बोली- संजू, मैं तेरे बाप से कब चुदूंगी पता नहीं पर इतना पक्का है कि तू जल्दी ही मेरी मां चोदेगा। दोनों हंस पड़े।

संजू की गति तेज होने लगी, शलाका भी झड़ने के बिल्कुल करीब थी. वो भी संजू के हर दमदार झटके का उसी ताकत से उछल उछल के जवाब दे रही थी।

कुछ ही देर में संजू और शलाका दोनों गहरी गहरी सांसें लेते पसीने में लथपथ हो चले थे।

सुबह नाश्ते के समय चारों साथ थे, चारों के नजरिए एकदम बदल चुके थे।

शेखर को अब शलाका में अपने लंड के लिए एक नई चूत दिख रही थी तो शलाका शेखर के लंड की कल्पना कर रही थी कि कितना लंबा, कितना मोटा होगा? सपना को भी संजू में आज एक गैर मर्द का आकर्षण महसूस हो रहा था।

और संजू तो मन ही मन कई बार सपना को चोद भी चुका था।

चारों ऐसे खामोश थे जैसे बाकी लोगों को पता हो कि उनके मन में क्या चल रहा है।

आखिर शेखर ने चुप्पी तोड़ी- शलाका, कल रात कैसी रही? सपना बोली- तुम भी बताओ संजू?

शलाका की इच्छा तो हुई कि कह दे कि तेरे बेटे ने न केवल इस कली को फूल बना दिया बल्कि सुबह भी जम के रगड़ा है। लेकिन उसने कहा- ठीक रही अंकल! संजू भी बोला- मस्त! उसके मुंह से तो आंटी भी नहीं निकला।

चारों अपने अपने शिकार को ताड़ रहे थे।

नाश्ते के बाद शेखर ने शलाका को और सपना ने संजू को गुड डे बोलने के लिए हग किया. शलाका के जिस्म की आंच शेखर के लंड तक पहुंची तो सपना अपनी चूत के चूल्हे में जल्दी ही संजू के लंड को भूनना चाह रही थी। दिखावा तो दोनों का सौतेले बच्चों पर प्यार जताने का था।

शेखर और सपना का दिमाग अब अपने अपने नए शिकार की ओर था। उन्हें लग रहा था कि घर के बाहर मूड ज्यादा रोमांटिक होता है तो कहीं बाहर चला जाए. रास्ते में चारों के बीच बातचीत और हरकतों में दबी हुई वासना अपना असर जरूर डालेगी। यदि एक बार तथाकथित नैतिकता और पाखंड का परदा हट गया तो फिर वासना की आग भड़कती रहेगी और मस्ती की बारिश से ठंडी होती रहेगी।

लंच के समय शेखर ने अपना प्रोग्राम जाहिर कर दिया। जिस के अनुसार अगली सुबह चारों को कार से 200 किलोमीटर दूर एक रमणीक स्थान के लिए निकलना था।

जब सुबह चारों तैयार होकर कार में बैठने वाले थे तो सपना ने अपनी योजना के अनुसार कहा- शलाका, तुम पापा के साथ आगे बैठो, मैं संजू के साथ पीछे बैठूंगी. इससे हमें एक दूसरे को समझने का समय मिलेगा।

कार स्टार्ट हुई, शेखर और शलाका तथा सपना और संजू बातें करने लगे।

सपना और शलाका दोनों ने जींस वाली निक्कर और ढीला ढाला टॉप पहन रखा था।

शेखर गियर बदलते समय जानबूझ कर शलाका की चिकनी जांघों को छू रहा था, उसका लंड धीरे धीरे कड़क हो रहा था। शलाका कनखियों से उसे देख रही थी.

शेखर ने कड़क हो चुके लंड को सेट करके शलाका की ओर देखा. शलाका उसी की ओर देख रही थी.

शेखर झेंप गया और शलाका ने एक सेक्सी स्माइल दे कर शेखर की झेंप मिटाई। पीछे की सीट पर सपना संजू से सट के, उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बैठी बातें कर रही थी।

संजू ने नींद आने की एक्टिंग करते हुए अपना सिर सपना के कंधे पर टिका दिया और सपना के टॉप में झांकने लगा. सपना ने ब्रा भी नहीं पहनी थी, अंदर उसे मक्खन की ढेरियां थिरकती देख रही थीं।

संजू की इच्छा सपना के स्तनों को छूने की होने लगी. तो उसने नींद उड़ाने की एक्टिंग करी और सीधा बैठ गया.

उसका दाहिना हाथ सपना के कंधे से होकर उसके स्तनों के सामने लटका हुआ था.

अब सपना ने संजू के कंधे पर अपना सिर टिका दिया। संजू को तो सपना और शेखर के इरादों का पता था इसलिए वह अपना हाथ सपना के टॉप में डाल के सपना के दाहिने स्तन को सहलाने लगा.

सपना की सांसों में आंच बढ़ रही थी जिसे संजू अपनी गर्दन पर महसूस कर रहा था।

संजू ने अब सपना के दोनों स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया. सपना को आश्चर्य हो रहा था कि संजू कैसे इतनी हिम्मत कर रहा था? लेकिन उसे तो आनंद मिल रहा था तो वो क्यों रोकती?

अब संजू ने अपना लंड जींस से बाहर निकाल लिया और सपना का दाहिने हाथ में पकड़ा दिया। सपना ने उसे हाथों में पकड़ के दबा दिया, उसकी एक्टिंग की पोल खुल गई थी।

अब संजू ने सपना का सिर अपने तन्नाये हुए लंड पर झुकाया. सपना ने भी अब पाखंड छोड़ा और संजू का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।

संजू का लंड एक कामुक, अनुभवी औरत चूस रही थी, नई चूत मिलने की संभावना से उसकी रग रग में वासना दौड़ रही थी।

मुश्किल से पांच मिनिट हुए होंगे कि संजू के लंड से वीर्य की पिचकारी, सपना के हलक को तर करने लगी।

सपना ने संजू के लंड से वीर्य की आखिरी बूंद तक निचोड़ ली, फिर सिर उठा के संजू की आंखों में शरारत भरी नज़र से देखा।

संजू तो पहले ही मस्त हो रहा था, सपना की आंखों में छाई मस्ती ने उसका आनंद और बढ़ा दिया था।

शेखर का लंड तो अभी उसकी पैंट में ही तन्ना रहा था जब कि पीछे संजू ने अपने लंड का सारा तनाव अपनी सौतेली मां के मुंह में निकाल दिया था।

संजू लंबी लंबी सांसें लेता हुआ नींद की आगोश में चला गया।

कुछ देर बाद शेखर ने एक रेस्टोरेंट के सामने कार रोकी, चारों बहुत प्रसन्न थे।

नाश्ते के बाद जब आगे की यात्रा शुरू हुई तो संजू और सपना आगे बैठे, पीछे शेखर और शलाका।

संजू का तूफान तो ठंडा हो चुका था पर अभी सपना की चूत में लंड जाना बाकी था इसलिए बीच बीच में संजू कभी कभी उसकी चिकनी जांघें सहला देता।

पीछे शेखर ने शलाका से पूछा- क्यों शलाका, तुझे किसी चीज की जरूरत हो तो दिल खोल के बोल! शलाका समझ रही थी कि यह शेखर नहीं, उसका लंड बोल रहा था जो उसकी चूत की गर्मी में भुन जाना चाहता है।

उसने कहा- हां, एक आई फोन चाहिए था! तो शेखर ने उसी समय उसकी पसंद का ऑर्डर भी कर दिया।

शेखर का कॉन्फिडेंस अब बढ़ गया, उसने शलाका को अपने पास खींचा और उसके होंठों पर होंठ रख दिए, एक हाथ से उसके स्तन सहलाने लगा।

शलाका भी उसके लंड को छूना चाहती थी, उसने शेखर की पैन्ट की जिप खोली और उसका कड़क लंड बाहर निकाला और सहलाने लगी। शेखर शलाका की इस हरकत से बहुत उत्तेजित हो गया, वो शलाका के हाथ से अपने लंड की मुट्ठ मारने लगा.

फिर शलाका ने तेज़ी से मुट्ठ मारना शुरू की. शेखर ने एक नेपकिन हाथ में लिया और शेखर के लंड से तेज धार छूटी, कार में वीर्य की मादक गंध फैल गई।

संजू ने पूछा- क्या हो रहा है पीछे? सपना बोली- तेरे बाप ने मेरी बेटी को टोकन दिया है, होटल में पहुंच के उसकी चूत में पेमेंट करेगा।

शलाका ने कहा- बहुत अकड़ रहा था शेखर का लंड, सारी अकड़ निकाल दी मैंने!

होटल तक पहुंचते पहुंचते चारों ने रिश्तों की मर्यादा को वासना के हवनकुंड में स्वाहा कर दिया था।

होटल में पहुंच कर चारों रिलैक्स हुए.

उसके बाद संजू सपना की नई चूत के और शेखर शलाका की कमसिन चूत के मज़े लेने उन दोनों को अपने अपने कमरे में ले गये।

संजू ने सपना को पूरी नंगीकर दिया, उसके कामुक जिस्म को निहारा, मादक उभारों पर हाथ फेरा. सपना की चूत नए लंड की आस में रिसने लगी.

संजू का लंड शलाका की मां चोदने के लिए उतावला हो रहा था। उसने चुदाई शुरू करने के पहले सपना के रसीले होंठों को चूसा, उसके भरे भरे स्तनों को मथा.

सपना की चूत में चिंगारियां चटकने लगी, उसने संजू को कहा- अब मत तड़पा, जल्दी से अपने बाप की बीवी को चोद दे यार! संजू ने सपना को धक्का देकर बिस्तर पे गिराया, लंड को मुख लार से चिकना किया और एक धक्का लगाया। लंड सपना की चूत में जड़ तक समा गया।

संजू एक बार कार में सपना के मुंह में झड़ चुका था फिर भी सौतेली मां की नई चूत चोदने की उत्तेजना थी.

उसने लंबी लंबी सांस ली और धीरे धीरे चूत को अपने कड़क लंड से रगड़ने लगा।

सपना की नजर शादी के पहले से संजू पर थी, आज बेटे के रूप में वो उसकी चुदाई कर रहा था। वो मस्ती में झूम रही थी.

Xxx स्टेप मॉम सन की दस मिनट की चुदाई के बाद सपना को लगा कि उसका ऑर्गेज्म नजदीक है, वो बोली- अब जोर से रगड़ दे भोसड़ी के, कस के चोद अपनी मां को! संजू ने भी ले भेनचौद कह के सपना की चूत में दमदार धक्के लगाने शुरू किए.

सपना- ओ मां, शाबाश बेटा ... तू भी बाप जैसा हरामी है साले! रगड़ मेरी लंडखोर चूत को!

संजू ने और जोरों से झटके देने शुरू किए- ले मादरचोद, तेरी चूत की भोसड़ी बना दूं!

इतने में संजू बोला- मैं गया! सपना बोली- रुक मत ... रुक मत!

संजू के लंड से वीर्य की धार निकली ... पर वो धक्के लगाता रहा. दस धक्के और लगे होंगे कि सपना का शरीर पूरा तन गया, चूत फड़कने लगी, आनंद का झरना फूटा. सपना की सांसें तेज चलने लगी, गला सूख गया.

उसने संजू को भींच लिया, उसके दोनों कूल्हों को पकड़ के चूत पर दबा लिया।

उधर दूसरे कमरे में ...

शेखर अपनी सौतेली बेटी शलाका के साथ कमरे में घुसा. घुसते ही उसने शलाका के रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

उसका दाहिना हाथ कपड़ों के ऊपर से ही शलाका के बांए स्तन पर था और बांया हाथ उसके कूल्हों को सहला रहा था।

शेखर का लंड तन्ना चुका था. वह खुद भी नंगा हुआ और शलाका को भी पूरी नंगी कर दिया.

शलाका का बेदाग हुस्न देखकर उसका लंड शलाका की चिकनी, मुलायम चूत में घुसने को बेताब था।

और शलाका के बदन में भी काम-तरंगें दौड़ रही थी, उसकी चूत नए लंड की आस में रिस रही थी।

अपने से दूनी उमर का व्यक्ति जो कि उसकी मां का पति है, उसे चोदने वाला था.

उसने शेखर के लंड का जायजा लिया. लंड एकदम कड़क हो रहा था.

उसने शेखर को शरारत से छेड़ते हुए कहा- यार पापा, अब इस लंड को मेरी चूत में घुसेड़ के चोद दो न अपनी इस बेटी को!

शेखर ने लंड को शलाका की चूत पर रख के जोर लगाते हुए कहा- साली, कार में तो शेखर बोल रही थी, यहां पापा? दोनों हंस पड़े।

किसी निकट रिश्तेदार से चुदाते समय भाई, चाचा, मामा, पापा बोलना भी गाली का मजा देता है।

शेखर का लंड शलाका की चूत में जड़ तक चला गया.

अब शेखर कभी शलाका के स्निग्ध स्तनों को मसलता, कभी उसके चूतड़ों को दबाता, कभी शलाका के होंठों का रस पीने लगता। इससे शलाका के शरीर में वासना की आग दहकने लगी, वो भी शेखर के नंगे जिस्म का आनंद ले रही थी।

शलाका का ऑर्गेज्म चूत के अंदर मंडराने लगा, वो बोली- अब कस के रगड़े लगा दो मेरे कामुक पापा! कोई तुम आखिरी बार नहीं चोद रहे हो अपनी कमसिन बेटी को! यह सुनते ही शेखर ने अपनी स्पीड बढ़ाई और लंड के तेज रगड़ों ने चूत में एक अंधड़ सा पैदा कर दिया.

शलाका का शरीर अकड़ने लगा. शेखर के लंड से वीर्य की धार छुट कर चूत को भरने लगी.

शलाका ने कहा- यस पापा, फक मी हार्ड! डोंट स्टॉप!

अचानक चूत में स्पंदन शुरू हुआ, चूत जोर जोर से फड़कने लगी.

शलाका और शेखर दोनों की सांसें भारी हो गई थीं.

शेखर पस्त होकर शलाका पर पड़ा था, शलाका के होंठ सूख गए थे.

चरमसुख प्राप्ति के बाद शलाका का शरीर पूरी तरह शिथिल पड़ गया था। उसने शेखर को अपने ऊपर से धकेला।

थोड़ी देर तक दोनों तूफान के बाद की शांति का मजा लेते रहे।

शेखर ने सोचा काश इस कली को फूल मैं बनाता, काश इस की चूत की सील मेरा लंड तोड़ता।

उसने शलाका से पूछा- यार तेरी चूत की सील टूटी हुई थी? किसे ये सौभाग्य मिला? शलाका ने कहा- यह बहुत बड़ा सस्पेंस है, समय आने पर बता दूंगी।

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