वासना की आग

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उसके बाद वे दोनों उठे और संजू सपना का हल जानने उन के कमरे की ओर चल दिए।

शेखर और शलाका जब संजू और सपना के सामने पहुंचे तो वे दोनों एक चादर में अपने नंगे बदन को छिपाए पलंग पर पड़े हुए थे।

शलाका ने घुसते ही संजू से कहा- क्यों रे ... मेरी मां चोद दी? संजू ने जवाब दिया- तू भी तो मेरे बाप का लंड ले के आई है. तो हिसाब तो बराबर करना ही था।

इस पर सपना बोली- भोसड़ी के, तूने तो कार में ही मेरे मुंह में वीर्य विस्फोट कर दिया था। वो तो मैं गटक गई तो किसी को पता नहीं चला. संजू सकपका गया।

चारों हंस पड़े, सारे आपस में पूरी तरह बेशर्म और बेतकल्लुफ हो चुके थे।

दोनों मर्दों का दो बार डिस्चार्ज हो चुका था, उनको और उनके मुरझा चुके लंड को भी रेस्ट चाहिए था।

शेखर ने लंच का ऑर्डर किया, खाना कमरे में ही आ गया, चारों ने अश्लील बातों और हरकतों के बीच पेट की भूख शांत की।

खाना खाकर चारों पलंग सुस्ता रहे थे. जब चारों ने एक लंबी नींद निकाल ली, तब शाम हो चली थी. चारों होटल से नीचे उतरे, बाहर के मार्केट का नजारा लिया।

अभी उनको रात को चुदाई के तीसरे दौर के लिए ऊर्जा एकत्र करनी थी। घंटे भर में घूम फिर के आए और ड्रिंक करने बैठ गए।

जैसे जैसे उनका सुरूर चढ़ता गया, लोगों का ध्यान उनकी ओर आकर्षित होने लगा, उनका उन्मुक्त व्यवहार, मुंह से निकल रही गालियां, नॉनवेज जोक्स पर उनके ठहाके, वे समझ नहीं पा रहे थे कि ये कौन लोग हैं? पर ये चारों लोगों की जिज्ञासा का मजा ले रहे थे।

कार में और कमरे में उनने जो हरकतें कीं, जिस तरह उन्होंने अपनी हवस की आग शांत की, उनकी बातें अब उनके जीवन में आए इस बदलाव पर आ गई जिसमें सारी बंदिशें टूट चुकी थीं, सारी वर्जनाएं उन ने रौंद डाली थीं।

वे यह कहकर अपने इन कामुक कृत्यों को उचित बताने लगे कि कुदरत ने इंसानों का दिमाग ऐसा बनाया है कि उसे खाने में कपड़ों में, घूमने फिरने में, विविधता पसंद होती है. फिर शारीरिक सुख के मामलों में एकनिष्ठ होने की बंदिश क्यों? कोई भी व्यक्ति कइयों के साथ शारीरिक संबंध रखते हुए भी वफादार रह सकता है, अपने जीवन साथी को प्यार कर सकता है। केवल भावनात्मक लगाव रखना परिवार में तनाव उत्पन्न कर सकता है और यदि पति पत्नी एक दूसरे की जानकारी में नए नए व्यक्तियों से चरम सुख की प्राप्ति करें तो सर्वोत्तम।

और बातों ही बातों में शलाका ने शेखर को बताया- तुम्हारे इस कामुक पूत ने ही अपनी बहन भी चोदी थी. यानि संजू ने ही मेरी चूत की कौमार्य झिल्ली तोड़ी थी।

उसके बाद संजू और शलाका ने विस्तार से सब कुछ उन दोनों को बता दिया। शेखर और सपना दोनों अवाक थे, वे तो समझ रहे थे कि वे दोनों बच्चों को अपने मज़े के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं; यहां तो बच्चे अपना चुदाई वाला खेल पहले ही शुरू कर चुके थे और उन दोनों को अपना आनंद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

चारों उठ के एक कमरे में आ गए.

शेखर का लंड ये कामुक गाथा सुन के फिर तन्ना चुका था। उसने कहा- अरे यार, फिर हम अलग अलग कमरों में क्यों एंजॉय करें? चारों एक साथ एक ही कमरे में सारे खेल खेलेंगे।

"अच्छा संजू, शलाका की चूत की सील तो तूने तोड़ दी, अब गांड पहले मैं मारूंगा।" संजू ने कहा- ठीक है यार, तू भी क्या याद करेगा. मैं अपनी 'सपना मां' की गांड मार के ही संतोष कर लूंगा।

सब हंस पड़े.

अब तो सपना और शेखर के दिमाग से यह बोझ भी हट गया था कि एक दूसरे के सामने कैसे चुदाई करें?

सपना और शलाका पलंग के दोनों साइड में एक दूसरे के सामने घोड़ी बन गईं. शेखर ने मक्खन की दो पहाड़ियों के बीच गुलाबी अंजीर सी शलाका की गांड को जुबान से कुरेदना शुरू कर दिया.

शलाका की गांड में अजीब सी गुदगुदी होने लगी, एक नशीली सनसनी ... लेकिन गांड में पहली बार लंड घुसने से दर्द होने का भी डर था.

पर जब दिमाग में वासना और शरीर की नस नस में हवस दौड़ रही हो तो सब कुछ ट्राई करने की हिम्मत आ जाती है।

उधर संजू तो नया नया जवान लौंडा था, उसे गांड में लंड घुसेडने की जल्दी थी. और सपना तो गंडमरी थी ही सही ... इसलिए उसने तो थोड़ा तेल सपना की गांड में लगाया और थोड़ा लंड पे और लगा धकाधक पेलने।

सपना और शलाका दोनों एक दूसरे के स्तनों को सहला रही थी, मसल रही थी।

शेखर ने खूब सारा तेल शलाका की गांड में लगाया और उंगली से उसकी गांड को लंड के लिए तैयार करने लगा। उसके बाद शेखर ने दबाव डालते हुए अपने चिकने लंड का टोपा शलाका की गांड में प्रवेश करा दिया।

शलाका की गांड थोड़ा सा चिरमिराई ... पर कुछ देर बार शलाका ने पीछे और शेखर ने आगे की ओर जोर लगाया और लंड धीरे धीरे पूरा शलाका की गांड में समा गया।

सपना देख रही थी कि उसकी बेटी अपने बाप यानि उसके पति से गांड मरवा रही थी. और शेखर देख रहा था कि उसका बेटा संजू अपनी मां यानि उसकी बीवी की गांड कुत्ते की तरह मार रहा था।

चारों को प्रचंड वासना के इस मस्ती भरे खेल में अतिरिक्त उत्तेजना मिल रही थी।

शेखर भी हौले हौले शलाका की गांड में लंड के रगड़े लगाने लगा.

करीब पंद्रह मिनिट की भीषण गांड घिसाई के बाद बाप बेटे ने अपने वीर्य का एनिमा मां बेटी की गांड की गहराइयों में लगा दिया। दोनों के लंड को गांड की कसी रिंग होने से परम सुख की प्राप्ति हो रही थी। दोनों के लंड की बसें फड़क फड़क के शांत हो गई थी.

अब लंड सिकुड़ने लगा, पूरा शरीर पसीने की बूंदों से दमक रहा था, दोनों पस्त हो के शलाका और सपना पर पड़े लंबी सांसें ले रहे थे।

Xxx स्टेप डॉटर सेक्स के बाद आज का दिन चारों के लिए अविस्मरणीय हो गया था.

शलाका ने तो पहली बार गांड मराई थी वो भी अपने बाप से! वो यही सोच रही थी कि अनछुई कली से वो कैसे इतनी जल्दी तो फूल बनी और कैसे उसकी चूत की आग इतनी भड़क गई कि बाप और बेटे दोनों का लंड ले लिया?

उधर सपना सोच रही थी कि उसकी बेटी भी चुदक्कड़ हो गई, ये भी अच्छा हुआ, उसे संजू या किसी और के लंड से चुदने में दिक्कत नहीं आएगी।

शेखर सोच रहा था कि पहले तो पड़ोसन को चोदने का सपना पूरा हुआ लेकिन उससे शादी करके, उसके बाद आज उसकी कमसिन बेटी को भी, उसकी आंखों के सामने रौंद डाला।

संजू तो अपने लंड और अपनी किस्मत से बहुत खुश था. उसके लंड ने चुदाई की शुरुआत एक अधखिली कली से की. हर लंड को सील पैक चूत नहीं मिलती. यह ऐसा सुख है जिसे पाकर हर मर्द अपने पर गर्व कर सकता है।

इतना ही नहीं, फिर उसी के सामने उसकी मां को भी उसके पति यानि अपने बाप के सामने रगड़ा। कुल मिला कर चारों की कामुकता ने उन को विवश कर दिया वे खुल के पूरी बेशर्मी के साथ दैहिक सुख का आनंद लें, रिश्तों की सीमा रेखा पार कर के मस्ती लूटें और चारों ये कर रहे थे।

किसी को भी अंश मात्र भी रंज नहीं था। सब बहुत खुश थे और भविष्य में और अधिक रिश्तों के बीच के पर्दों को हटा कर अपने साथ जोड़ने वाले थे।

ये सब सोचते सोचते चारों नींद की आगोश में चले गए।

सुबह मां बेटी फ्रेश होने दूसरे कमरे में गई. वहां सपना ने पूछा- क्यों री शलाका, कैसा रहा कल का दिन? शलाका बोली- मम्मी, हसीन सपने के जैसा!

सपना ने टोका- हम चारों के बीच अब मां बेटी और बाप बेटा वाले संबंध नहीं हैं, हम केवल दोस्त हैं वो भी कामुक दोस्त। समाज के सामने मम्मी पापा ठीक है पर बंद कमरों में सब बंद। शलाका मुस्कुराने लगी, बोली- ठीक है सपना डार्लिंग!

फिर सपना कहने लगी- देख शलाका, भगवान ने तो चूत और लंड दिए आनंद उठाने को, हमने समाज और उसके नियम बना के बंदिशें लगा दी. यदि बेटी के बड़े होने पर बाप के साथ और बेटे को बड़ा होने पर मां के साथ सोने दिया जाए तो पता चले कि नैतिकता का दंभ कितना कमज़ोर है. कोई बेटी और कोई मां बिना चुदे नहीं रहेगी। भाई बहन में चुदाई उस तुलना में तो बहुत सामान्य बात है, जिन घरों में एकांत मिलता है वहां चूत की आग को शांत करने लड़कियां, औरतें कुत्ते को भी नहीं छोड़ती। रईस घरों की चुदाई के सुख से वंचित औरतें, ड्राइवर और घर के अन्य नौकरों से चुदवाती हैं। अभिषेक बच्चन को भी यदि मौका मिले तो वो ऐश्वर्या जैसी परी को चोदने के बाद भी राजी खुशी अपनी सामान्य शक्ल सूरत वाली कामवाली बाई को भी चोदना चाहेगा. क्योंकि नई का चस्का ऐसा ही होता है। कुल मिला के बात इतनी है कि हर लंड नई चूत की तलाश में रहता है और हर चूत को नए लंड में ज्यादा मजा आता है।

शलाका मुस्कुरा के सपना की हर बात से सहमत हो रही थी।

इधर बाप बेटों में में भी कल पूरे दिन हुई मस्ती की चर्चा चल रही थी। वे भी किसी तरह के अपराध बोध को अपने पर हावी नहीं होने देना चाहते थे। उन दोनों को यही लग रहा था कि अब एक दूसरे को पता लगने का डर समाप्त हो गया। कोई भी नई चूत मिले तो दोनों मिल के मौज करेंगे।

एक बार फिर चारों इकट्ठा हुए और साथ में नहाने का तय किया. नहाते हुए साबुन लगे चिकने बदन को सहलाने का अपना आनंद है।

संजू का लंड, रात को रेस्ट मिलने के बाद फिर फनफना रहा था. उसे शलाका की गांड मारने की तलब लग रही थी। वो बार शलाका के बोबे मसल कर उसकी कामवासना को भड़का रहा था।

वे चारों फिर से पलंग पर आ गए। संजू ने शेखर और सपना को घोड़ी बनी शलाका के बोबे चूसने को कहा और खुद उस ने अपने कड़क लंड को चिकना करके शलाका की गांड के गुलाबी द्वार पर रखा.

शलाका की गांड बार बार सिकुड़ रही और खुल रही थी, मानो संजू के लंड को भीतर बुला रही हो।

संजू ने हल्के हल्के झटके लगाए और अपने भूखे लंड को पूरा भीतर कर दिया। शेखर और सपना दोनों ने शलाका के बोबे एक साथ चूस कर उसे पागल कर दिया था.

कल तो शेखर ने उसकी गांड मार के तैयार कर दिया था लेकिन आज संजू के लंड से गांड मरवाने पर शलाका को हर रगड़े में विशेष आनंद मिल रहा था।

करीब पंद्रह मिनट की भीषण गांड कुटाई के बाद संजू ने गांड को अपने वीर्य से भर के आज का पहला चरण सुख प्राप्त कर लिया।

संजू ने गांड से लंड निकाला और शलाका की चूत में डाल दिया। लंड में तनाव अभी बाकी था.

गांड घिसाई से उत्तेजित शलाका की चूत में जल्दी ही वासना बवंडर उठा और वो चिल्लाने लगी- संजू रगड़, संजू रगड़ ... मेरे बोबे जोर से चूस! सपना और शेखर, निप्पलों को खींचो, थोड़ा और, थोड़ा और!

उसके बाद संजू और शलाका दोनों मस्ती में चूर होकर निढाल पड़ गए। पहली बार अपने बच्चों के आनंद के लिए सपना और शेखर ने उन का सहयोग किया था।

इसके बाद होटल में और घर में, जब भी कोई लंड खड़ा हो कोई न कोई चूत या गांड हाजिर रहती थी और जब भी सपना या शलाका किसी की भी चुदने या मरवाने की इच्छा हो कोई न कोई लंड तैयार रहता था।

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