मोहल्ले के अंकल

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कहानी एक नवयुवती की है
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मेरा नाम मेघना है और मेरी उम्र 27 साल की है। मैं पश्चिम बंगाल की रहने वाली हूँ और मैं एक शादीशुदा औरत हूँ।

मेरा फिगर 36-34-38 का है और मेरे बदन का रंग गेहुँआ है, मतलब न ज्यादा गोरी हूँ न ज्यादा सांवली हूँ।

दोस्तो, आज जो कहानी मैं आप लोगों को बताने जा रही हूं, यह कहानी मेरी पहली चुदाई की कहानी है।

किस तरह से मेरे कुँवारे यौवन को मोहल्ले के ही एक अंकल ने भोगा और मेरी चूत की सील तोड़ी।

तब मैं 20 साल की थी और उस वक्त मेरी शादी नहीं हुई थी। मैं अपने परिवार के साथ रहती थी. मेरे घर में मैं, मेरे माता पिता और मेरा छोटा भाई था।

चुदाई को लेकर मेरे मन में जिज्ञासा तब से जागी जब से मेरा मासिकधर्म शुरू हुआ।

उस समय मेरे शरीर में काफी बदलाव आए और जैसे जैसे मैं बड़ी होती गई मेरे बदन में सेक्स की गर्मी बढ़ती ही गई।

रात में मैं अकेली ही सोती और रात में मैं अपनी चूत को सहलाती रहती थी। कभी कभी तो रात में सोते हुए ही मुझे गंदे सपने आते और मेरी पेंटी गीली हो जाती थी।

जल्द ही मेरे पास स्मार्टफोन आ गया और उसमें रात में मैं गंदी गंदी फिल्में देखना शुरू कर दी। जिससे मेरे अंदर सेक्स के प्रति और उतेजना आ गई।

जब मैं 20 साल की हुई तो उस वक्त तक मेरा बदन इस हद तक गदराया हुआ हो गया कि मैं किसी औरत की तरह दिखती थी। 36 साइज के मेरे बड़े बड़े दूध सभी की नजर खींचते थे।

मैं हमेशा सलवार सूट ही पहनती थी और मेरा बदन इस तरह से भरा हुआ था कि जैसे मेरे कपड़े फाड़ कर दूध बाहर निकल आएगा। मेरा पूरा बदन गठीला और कसा हुआ था और मेरे कपड़े मेरे बदन पर बिल्कुल ही कसे हुए रहते थे।

मेरे पापा काम पर चले जाते थे और जब बाजार दुकान से कोई सामान लाना होता तो मैं अपने छोटे भाई के साथ ही जाती थी। जब मैं अपने मोहल्ले के चौराहे पर पहुँचती तो वहां पर मोहल्ले के कई लोग मौजूद रहते थे।

वही पर एक पान की दुकान पर हमेशा 3 अंकल बैठे रहते। जब भी मैं वहाँ से गुजरती उनकी निगाहें मुझपर ही टिकी हुई रहती।

मेरा भाई काफी छोटा था इसलिए उसको इसके बारे में जानकारी नहीं थी और वो इस पर ध्यान नहीं देता था लेकिन मैं सब कुछ समझती थी। वो अंकल लोग मुझे बेहद ही गंदी निगाह से घूरा करते थे।

कई बार तो ऐसा भी हुआ था कि कभी शाम में जब मैं वहाँ जाती तो उनमें से एक अंकल मेरे आगे पीछे होते हुए मेरे घर तक मेरे साथ आते। उनका नाम था सतीश!

पहले तो मुझे ये बेहद बेकार लगता था लेकिन पता नहीं क्यों मैं उनमें से एक अंकल की तरफ आकर्षित होने लगी। अब आप लोग इसे मेरे बदन की गर्मी कहिए या मेरे अंदर चुदाई की उत्सुकता। मैं उनको भी देखने लगी और जब वो मुझे देखकर मुस्कुरा देते तो मैं भी मुस्कुरा देती।

वो अंकल मेरे पापा के उम्र के थे और करीब 48 साल के थे। देखने में काफी हट्टे कट्टे और लंबे चौड़े कद के थे।

जब से ये सिलसिला शुरू हुआ तो मेरी एक आदत हो गई थी कि मैं रात में गंदी फ़िल्म देखती और उन अंकल को याद करते हुए अपनी चूत में उंगली करती और सोचती कि वही मुझे चोद रहे हैं।

धीरे धीरे ऐसा ही सब कुछ चलता रहा और मेरे मुस्कुराने से उनको भी लग गया था कि मेरे अंदर भी उनके प्रति कुछ है।

फिर एक दिन उन्होंने हिम्मत दिखाई। शाम का समय था और मैं कुछ सामान लेने दुकान गई हुई थी। अंधेरा छा गया था और हल्की बारिश हो रही थी।

मैं जल्दी जल्दी घर की तरफ आ रही थी. तभी रास्ते में सुनसान देख उन अंकल ने मुझे रोक लिया। उन्होंने मुझे एक कागज का टुकड़ा दिया और चले गए।

मैंने उस कागज को अपनी ब्रा में दबाया और घर आ गई। सामान रसोई में रखकर मैं बाथरूम चली गई और वहाँ मैंने ब्रा से वो कागज निकाला।

उस पर एक फोन नम्बर लिखा हुआ था और लिखा था कि इस नम्बर में रात को मैसेज करना।

खाना खाने के बाद हम सभी लोग अपने अपने कमरे में चले गए और मैंने अपने कमरे का दरवाजा बंद करके उस नम्बर पर एक मैसेज किया।

वहाँ से तुरंत ही जवाब आया जैसे वो मेरे मैसेज का ही इंतजार कर रहे थे।

फिर हम दोनों के बीच रोज रात में चैट होने लगी और कभी कभी बात भी होने लगी।

कुछ दिन बाद ही उन्होंने मुझे कहा- मैं तुम्हें पसंद करता हूँ! मैं भी उनके प्यार में पिघल गई और उनको हाँ कह दी।

करीब दो महीने तक हम दोनों ऐसे ही फोन पर चैट करते रहे और उन्होंने एक दिन मुझसे मिलने के लिए कहा। मैंने भी इसके लिए हाँ कह दी।

लेकिन हम लोगों को कोई सही जगह नहीं मिल रही थी जहाँ पर हम लोग मिल सकते।

फिर जैसे ऊपर वाले ने हम दोनों की सुन ली। मेरे मम्मी पापा एक शादी में जाने वाले थे और मैं और मेरा भाई घर पर ही रहने वाले थे क्योंकि कुछ दिन बाद ही मेरे कॉलेज की परीक्षा शुरू होने वाली थी।

जिस दिन मेरे मम्मी पापा को जाना था, उस दिन मेरा भाई भी जाने के लिए जिद करने लगा। मैं भी चाहती थी कि मेरा भाई भी चला जाये और मैं दो दिन तक घर में अकेली रहू।

पापा ने मुझसे पूछा तो मैंने कह दिया- आप जाइये, मुझे कोई दिक्कत नहीं है मैं दो दिन तक रह लूंगी।

दोपहर में सभी लोग चले गए और पड़ोस की भाभी को मेरा ध्यान रखने के लिए कह गए।

घर वालों के जाते ही मैंने यह बात सतीश अंकल को बताई और उन्हें बेहद खुशी हुई। उन्होंने कहा- मैं रात में तुम्हारे पास आ रहा हूँ, तुम इंतजार करना।

उनके ऐसा कहने से ही मेरे बदन में जैसे आग लग गई थी। मैं समझ गई थी कि आज तो अंकल मुझे जरूर चोदेंगे।

मैंने दोपहर में ही अपने बदन के अनचाहे बालों को साफ किया और नई ब्रा पेंटी निकाल कर पहन ली।

उसके बाद शाम को अंकल का फोन आया, उन्होंने कहा- मैं अपने घर से दो दिन के लिए निकल गया हूं और मैं दो दिन तुम्हारे साथ ही रहूंगा। मैं रात 11 बजे के बाद पीछे के दरवाजे से तुम्हारे घर पर आऊँगा।

उनके दो दिन रुकने की बात सुनकर मैं सोचने लगी कि दिन में अगर कोई मेरे घर पर आ गया और अंकल को देख लिया तो क्या होगा।

फिर मैंने दिमाग लगाया और सोचा कि अंकल को दिन में अंदर के कमरे में रखूंगी वहाँ कोई नहीं जाता।

मैं जल्दी जल्दी खाना बनाई और खाना खापिकार रात का इंतजार करने लगी।

मेरे मन में तरह तरह के ख्याल आ रहे थे और अंदर डर के साथ साथ एक गुदगुदी सी मची हुई थी। पहली बार चुदने का ख्याल ही मुझे अजीब सा आंनद दे रहा था।

अंकल के आने से पहले ही मैंने खाना खा लिया था। जिस कमरे में मैं सोती थी उस कमरे की अच्छे से साफ सफाई की बिस्तर पर नया चादर और ओढ़ने के लिए नई वाली रजाई निकाली क्योंकि दिसम्बर का महीना चल रहा था और उस रात ठंड बेहद ज्यादा थी।

रात 10 बजे से मैं घर पर टीवी देख रही थी लेकिन मेरा पूरा ध्यान मोबाइल पर था कि कब अंकल का फोन आएगा।

बीच बीच में मैं उठकर बाहर निकल कर देखती कि पड़ोस का कोई बाहर तो नहीं है. लेकिन इतनी ठंड थी कि सब लोग अपने अपने घर पर ही थे।

मैं पीछे के दरवाजे पर भी देख रही थी और वहाँ भी पूरा सूना पड़ा हुआ था।

किसी तरह से रात के 11 बजे और कुछ ही देर में अंकल का फोन आ गया। मैंने फोन उठाया तो अंकल ने कहा- पीछे का दरवाजा खोलो, मैं आ रहा हूं।

मैं पीछे की तरफ गई और दरवाजा खोलकर बाहर देखने लगी।

बाहर मुझे कोई भी नहीं दिख रहा था.

फिर कुछ देर बाद सतीश अंकल तेजी के साथ आये और मेरे घर के अंदर घुस गए। मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया और हम दोनों कमरे में आ गए।

उस वक्त मुझे बेहद डर लग रहा था, दिल की धड़कन तेजी से चल रही थी और पैर कांप रहे थे। मैंने पहले ऐसा कभी नहीं किया था इसलिए मुझे डर लग रहा था कि किसी को पता न चल जाये।

कमरे में आकर अंकल ने एक पैकेट निकाला और मुझे दिया। मैंने पैकेट खोलकर देखा तो उसमें एक सलवार सूट था। अंकल ने कहा- ये मेरी तरफ से तुम्हारे लिए गिफ्ट है।

फिर अंकल ने कहा- अगर तुम इसे अभी पहनकर दिखाओगी तो मुझे अच्छा लगेगा। मैं उनकी बात रखते हुए उस सलवार सूट को पहनने के लिए हां कह दी और बगल वाले कमरे में चली गई।

वहाँ जाकर मैंने अपने कपड़े उतारे और उनका दिया हुआ सूट पहन लिया। वो सूट काफी महंगा लग रहा था और मुझे बिल्कुल फिट भी आ रहा था।

उसे पहनकर मैंने आईने में अपने आप को देखा वो सूट बिल्कुल मेरे बदन पर चिपका हुआ था और सामने मेरे दूध बिल्कुल ही कसे हुए थे. ऐसा लग रहा था जैसे मेरे दूध कपड़े फाड़कर बाहर आ जायेंगे।

मैं अपने कमरे में गई और अंकल मुझे देखकर बड़े प्यार से मेरे पास आये और मुझे ऊपर से नीचे तक निहारने लगे। फिर अंकल ने मेरे दोनों बाजुओं को पकड़ा और मुझे अपनी तरफ खींचने लगे।

उस वक्त मैं शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी। उस दिन जिंदगी में पहली बार मुझे किसी मर्द ने छुआ था।

मेरे जिस्म में अजीब सी हलचल मची हुई थी और मेरी चूत में अंदर तक खुजली होने लगी। मेरे निप्पल अपने आप ही सामने की तरफ तन गए और मेरे बदन के रोम खड़े हो गये।

इतनी ठंड में भी मुझे पसीना आने लगा।

मैं अपनी नजरें नीचे किये हुए थी और अंकल मुझे अपनी ओर खींचते हुए अपने सीने से लगा लिया।

उन्होंने मेरा चेहरा ऊपर की तरफ उठाया फिर भी मेरी निगाह नीचे ही रही। मैं उनसे नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी।

अंकल अपना चेहरा मेरे चेहरे के करीब लाते जा रहे थे और मैं किसी तरह का कोई विरोध नहीं कर रही थी।

जल्द ही उन्होंने अपने होठ मेरे होंठ पर रख दिये। वो कभी नीचे के होंठ को तो कभी ऊपर के होंठ को चूमने लगे। मेरे पूरे बदन में जैसे करंट की लहर दौड़ पड़ी थी।

अंकल ने एक हाथ से मेरे सर को थामा हुआ था और दूसरे हाथ से मेरी पीठ को सहलाते जा रहे थे। काफी देर तक उन्होंने मेरे होठों को चूमा और फिर उनका एक हाथ पीठ से हटकर मेरी कमर पर चला गया.

अब उन्होंने मेरे कुर्ते को ऊपर किया और अपना हाथ मेरी नंगी कमर पर चलाने लगे। मैंने अपने हाथ से उनको रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मेरा हाथ हटा दिया। उनके हाथ का स्पर्श जब मेरी कमर पर पड़ा मेरी सांसें और तेजी से चलने लगी।

कुछ देर बाद उन्होंने अपना दूसरा हाथ मेरे सर से हटा कर मेरे दूध पर रख दिया. और जैसे ही उन्होंने पहली बार दूध को दबाया, मैंने उन्हें धक्का दिया और उसके दूर हो गई।

मेरी शर्म को भाम्पते हुए उन्होंने फिर से मेरा हाथ पकड़ा और पीछे की तरफ से मुझे जकड़ते हुए मुझसे लिपट गये।

अब वो मेरे गले को चूमते हुए मेरी पीठ को चूमने लगे और अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों दूध को जकड़ लिए।

मैं उन्हें रोकने की कोशिश करती रही लेकिन वो रुकने को तैयार नहीं थे। वे दोनों हाथों से मेरे बड़े बड़े दूध को कुर्ते के ऊपर से ही मसलने लगे।

कुछ देर तक मैं मचलती रही, फिर चुपचाप खड़ी हो गई।

फिर मुझे अपनी चूतड़ पर कुछ चुभने का अहसास हुआ। मैं समझ गई कि ये उनका लंड है जो पैन्ट के अंदर से ही खड़ा होकर मेरी गांड में घुसा जा रहा था।

कुछ देर में उन्होंने मेरे कुर्ते को निकालना शुरू किया लेकिन मैंने उन्हें रोकते हुए कहा- प्लीज अंकल, पहले लाइट बंद करिए। उन्होंने पहले तो मना किया लेकिन मेरे जोर देने के बाद वो लाइट बंद करने के लिए तैयार हो गये।

मैं उनके सामने उजाले में नंगी नहीं होना चाहती थी क्योंकि मुझे बेहद शर्म आ रही थी। अंकल ने तुरंत ही लाइट बंद कर दी और मुझे अपनी बाहों में ले लिया।

उन्होंने एक झटके में ही मेरे कुर्ते को निकाल दिया और उसके बाद मेरे ब्रा को भी निकाल दिया। अब मेरे दोनों दूध उनके सामने आजादी से तने हुए थे।

उन्होंने दोनों हाथो में मेरे दोनों दूध को थामा और उन्हें मसलते हुए निप्पल को अपने मुंह में भरकर चूसने लगे।

मैं बस 'ऊऊऊ ऊऊ ऊई ईईई आहाह आआह ऊऊफ़ आआऊच आआह ओह ओह ओह' करती जा रही थी और अंकल बड़े प्यार से मेरे दोनों दूध चूस रहे थे।

यकीन मानिए उस वक्त तो जैसे मैं हवा में उड़ रही थी क्योंकि मुझे नहीं पता था कि कोई दूध चूसता है तो इतना मजा आता है। मैं बस उस मजे का पूरा आनंद ले रही थी। मेरी हॉट बुर सेक्स के लिए मचल रही थी.

जल्द ही अंकल ने मेरे सलवार का नाड़ा खींच दिया और मेरी सलवार मेरे पैरों पर जा गिरी। अब मैं केवल चड्डी पहने हुए उनके सामने थी।

वो जोर जोर से मेरे दूध को मसलते हुए चूस रहे थे और मैं उनके सर को थामकर अपने दूध में दबाए जा रही थी।

जल्द ही उन्होंने भी अपने कपड़ों को निकाल दिया और मुझसे लिपट गए। जब वो उनका नंगा बदन मेरे नंगे बदन से टकराया ... यकीन मानिए, मुझे जोर से करंट लगा मैंने भी उनको थाम लिया और अपने बदन पर चिपका लिया।

उस ठंड भरी रात में हम दोनों के गर्म बदन का मिलन एक अलग ही मजा दे रहा था। मैं भी अपने हाथों को उनके बदन पर चलाने लगी।

अब मेरे अंदर की जो शर्म थी वो अंधेरे के कारण गायब सी हो गई थी। कुछ ही देर में अंकल ने मेरी और अपनी चड्डी भी निकाल दी और अब हम दोनों ही नंगे हो गए थे।

अंकल का एक हाथ मेरी चूत पर गया और चूत पर उनका स्पर्श पाकर मुझे बेहद मजा आया। वो बड़े प्यार से मेरी चूत को अपने हाथों से सहला रहे थे।

मेरी चूत से उस वक्त पानी निकल रहा था जिसे अंकल चूत के चारों तरफ लगा रहे थे।

अंकल ने मेरा एक हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और लंड को छूते ही मैंने अपना हाथ हटा लिया। उनका लंड इतना गर्म था कि अंधेरे में मुझे लगा पता नहीं ये क्या चीज है।

लेकिन अंकल ने दुबारा मेरा हाथ पकड़ा और लंड पर रख दिया। कुछ संकोच के बाद मैंने उनका लंड थाम लिया।

उनका लंड बेहद गर्म होने के साथ साथ काफी मोटा भी था। मैं अपने हाथ को आगे पीछे करते हुए उनके लंड को सहलाने लगी।

जल्द ही उनका सुपारा मेरे हाथ में आ गया जो कि काफी चिपचिपे पानी से भरा हुआ था। मैं भी उनके गाढ़े चिपचिपे पानी को उनके लंड के ऊपर लगाते हुए सहलाने लगी।

उस वक्त तक हम दोनों ही काफी गर्म हो चुके थे और मुझे लग रहा था कि कितनी जल्दी अंकल अपना लंड मेरे अंदर डाल दें।

लेकिन अंकल इस खेल में काफी माहिर थे और वो इतनी जल्दी मुझे नहीं चोदने वाले थे।

कुछ देर में ही वो मुझसे अलग हुए और जल्दी से जाकर लाइट चालू कर दिए।

उनके लाइट चालू करते ही मैं अपना नंगा जिस्म उनसे छुपाने के लिए कुछ कपड़े देखने लगी. लेकिन अंकल ने तुरंत आकर मुझे अपने से चिपका लिया और बोले- अब शर्म मत करो, जो भी होना है, हो जाने दो।

और वो मुझे ऊपर से नीचे तक देखने के बाद बोले- तुम कमाल की लड़की हो यार! तुम मुझे इतनी पसंद हो कि तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ। तुम्हारा भरा हुआ बदन मुझे बहुत पसंद है।

अंकल ने मुझे पलट दिया और मुझसे पीछे से लिपट गए। वो मेरी पीठ को चूमते हुए मेरे दूध को दोनों हाथों से मसलते हुए अपने एक हाथ को नीचे मेरी चूत पर ले गए और चूत को सहलाने लगे।

ऐसे ही करते हुए वो मुझे बिस्तर पर ले गए और मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गए। अब अंकल मेरे गालों और गले को चूमते हुए नीचे की तरफ जाने लगे.

कुछ देर मेरे दोनों दूध को चूमने के बाद वो मेरी नाभि तक जा पहुंचे और मेरी नाभि में अपनी जीभ डालकर चाटने लगे। इसके बाद उन्होंने मेरे दोनों पैरों को फैलाया और मेरे दोनों चिकनी जांघों को चाटने लगे।

कुछ देर बाद उन्होंने अपना मुंह मेरी चूत पर रख दिया और मेरी चूत को पहले अपनी जीभ से चाटने लगे. और फिर अंकल ने मेरी चूत को अपने मुँह में भर लिया।

मैं उस वक्त बहुत ज्यादा मचलने लगी और बिस्तर पर लोटने लगी। उस वक्त मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं हवा में उड़ रही हूं मुझे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि उस पल को शब्दों में बयां नहीं कर सकती।

अंकल ने अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ के नीचे लगाकर मेरी गांड को हवा में उठा लिया और मेरी चूत को बड़ी बेदर्दी से चूसने लगे। मैं उस मजे को ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाई और उनके मुँह में ही झड़ गई।

लेकिन अंकल ने मुझे अभी भी नहीं छोड़ा और लगातार मेरी चूत चाटते रहे। कुछ ही पल में मैं दुबारा से गर्म हो गई और फिर मजे से चूत चटवाने लगी।

अंकल ने मुझे नंगी करके मेरे हर एक अंग को चूमा चाटा और मुझे जन्नत की सैर करवाई। उनके चूत चाटने से मैं एक बार झड़ भी चुकी थी लेकिन अंकल मेरी चूत को बिना रुके बस चाटते जा रहे थे।

एक बार झड़ने के बाद मैं फिर से गर्म हो गई थी और उस मजे का पूरा आनंद उठा रही थी। लेकिन मुझे पता नहीं था कि अंकल ने अभी तक मुझे जितना मजा दिया था आगे मुझे उतनी ही तकलीफ होने वाली थी।

अंकल अपनी जीभ मेरी चूत पर इस तरह से चला रहे थे जैसे कि वो मलाई चाट रहे हों। बीच बीच में अंकल मेरी चूत को अपने मुंह में भर लेते और मेरी चूत के पानी को बिल्कुल चूस लेते।

काफी समय तक अंकल मेरी चूत को ऐसे ही चाटते रहे. फिर जब उन्हें समझ में आ गया कि मैं पूरी तरह से गर्म हो गई हूं तो उन्होंने मेरी चूत को छोड़ दिया।

अब उन्होंने मेरे दोनों पैरों को फैला दिया और दोनों पैरों के बीच में बैठकर अपने लंड को आगे पीछे करते हुए सहलाने लगे। मैं समझ गई थी कि अब अंकल मुझे चोदने वाले हैं। मैं तिरछी नजरों से उनके काले मोटे लंड को देख रही थी।

वे लंड को आगे पीछे कर रहे थे और उनका बड़ा सा सुपारा चमड़ी के अंदर से बार बार बाहर निकल रहा था।

अंकल के लंड की नसें काफी उभरी हुई थी जिससे उनका लंड और भी ज्यादा भयानक दिख रहा था। मैं अंदाजे से ही बता रही हूं लेकिन उनका लंड 7 इंच से ज्यादा ही होगा था।

कुछ देर तक उन्होंने अपने लंड को सहलाया फिर वो इधर उधर देखने लगे और उठकर तेल की शीशी ले आये।

फिर उन्होंने अपने लंड और मेरी चूत पर काफी सारा तेल लगाया और मेरे ऊपर लेट गए।

अंकल ने अपना एक हाथ नीचे लेजाकर अपने लंड को चूत में लगाया और मेरे दूध को चूमते हुए अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर लेजाकर मुझे जोर से जकड़ लिया।

अब अंकल ने पहली बार जोर लगाया और लंड चूत में डालने की कोशिश की. लेकिन लंड फिसल गया और मेरे पेट की तरफ आ गया।

उन्होंने फिर से लंड मेरी बुर के छेद पर सेट किया और इस बार लंड को थोड़ी देर पकड़े रहे। जब लंड का सुपारा छेद में अच्छे से सेट हो गया तो उन्होंने मुझे फिर से जकड़ लिया।

अब उन्होंने जोर लगाया और लंड मेरी बुर में फिसलता हुआ अंदर जाने लगा।

अचानक से उनके सुपारे ने मेरे छेद को फैलाया और अंदर चला गया। उस वक्त मुझे थोड़ा ही दर्द महसूस हुआ।

मैं सोच रही थी कि अंकल ऐसे ही आराम से न्यू बुर Xxx में लंड डालते जाएंगे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

अब अंकल ने वो किया जिसके लिए मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। अंकल ने अपनी ताकत लगाकर एक बार में ही अपना लंड मेरी बुर में पेल दिया।

उनका लंड मेरी बुर को चीरता हुआ पूरा अंदर तक घुस गया। मुझे ऐसा लगा कि किसी ने गर्म रॉड मेरी बुर में डाल दिया है।

मेरी आंखों के सामने पूरी तरह से अंधेरा छा गया और मैं जोर जोर से रोते हुए बोली- मम्मीई ईईआ आआआ आआ आआह आआ निकालो आआआआ नहीं इईईई! निकालो निकालो आआह! मैं बहुत बुरी तरह से रो रही थी और चिल्ला रही थी।

अंकल ने तुरंत ही अपने एक हाथ से मेरे मुँह को दबा लिया और मेरी आवाज निकलना बंद हो गई।

उस वक्त मेरी आँखों से बस आंसुओं की धार निकल रही थी और मेरा सारा मजा भयंकर दर्द में बदल गया था।

मेरी दोनों जांघें बुरी तरह से कांप रही थी जैसे उनमें करंट लग गया हो।

मैं अपने हाथों को बिस्तर पर जोर जोर से पटक रही थी और अंकल की आँखों में देखते हुए बस यही दुआ कर रही थी कि किसी तरह से अंकल अपना लंड बाहर कर लें।

लेकिन वे मुझे बुरी तरह से दबाए हुए थे और मैं उनके वजन के कारण हिल भी नहीं पा रही थी।

इसी दौरान उन्होंने लंड आधा बाहर किया और फिर से अंदर पेल दिया।

इस बार लंड पूरी तरह से बुर को फाड़ चुका था और अंदर अच्छी तरह से सेट हो गया था।

मेरा दर्द कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था और मैं किसी तरह से उस भयंकर दर्द को बर्दाश्त कर रही थी।

मैं कुछ बोल भी नहीं पा रही थी क्योंकि अंकल ने मेरे मुँह को बुरी तरह से बंद कर रखा था।

अंकल ऐसे ही लंड को मेरे अंदर डाले हुए मेरे ऊपर लेटे हुए थे और अपने भारी भरकम शरीर के नीचे मुझे दबाए हुए थे।

बीच बीच में वो अपनी कमर को हल्के से हिलाते ... लेकिन लंड बाहर नहीं निकाल रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने लंड से मेरी चूत में जगह बना रहे हो।

मेरे दोनों दूध उनके सीने के नीचे बुरी तरह से दबे हुए थे जिसकी वजह से मेरे दूध में भी काफी दर्द हो रहा था।

उन्होंने अपने दोनों घुटनों से मेरी दोनों जांघों को बुरी तरह से दबाया हुआ था जिससे मैं हिल तक नहीं पा रही थी। करीब दस मिनट तक मुझे इतना भयानक दर्द हुआ जिसको मैं शब्दों में बया नहीं कर सकती।

लेकिन उसके बाद बड़े आश्चर्यजनक रूप से मेरा दर्द कम होने लगा और जल्द ही मेरा सारा दर्द जैसे हवा हो गया। अब बस मैं चाहती थी कि अंकल अपना वजनी शरीर मेरे ऊपर से हटा लें और मुझे राहत मिले।

धीरे धीरे अंकल ने मेरे मुँह से अपना हाथ हटाया। जैसे ही उन्होंने हाथ हटाया मैं बोल पड़ी- अंकल हटिये न ... ऊपर से बहुत दुख रहा है।

मेरी आवाज को अंकल ने जैसे भांप लिया था कि मुझे अब चूत में दर्द नहीं हो रहा है। उन्होंने तुरंत ही मुझे ढीला छोड़ दिया लेकिन अपना लंड बाहर नहीं निकाला।

उनके वजनी शरीर का वजन अब मेरे ऊपर नहीं था और मुझे अब काफी राहत महसूस हो रही थी।

अब अंकल ने मेरे गालो को चूमते हुए मुझसे पूछा- अब दर्द तो नहीं हो रहा है न? मैंने अपना सर हिलाते हुए उनको ना में उत्तर दिया।

अब अंकल ने अपना लंड आधा बाहर करते हुए धीरे धीरे अंदर करने लगे।

अभी तक जहाँ मेरे मुँह से चीखें निकल रही थी वहीं अब मेरी सिसकारियां निकलने लगी थी- आआह आओआ ह आआह ऊऊऊऊह ऊऊ श्सऊ ऊऊऊ आआह आआह!

मेरे हाथ अपने आप ही अंकल की पीठ पर चलने लगे और उन्हें अपने सीने की तरफ खींचने लगे। मेरी चढ़ती जवानी को जिसकी जरूरत थी आज मुझे वो मिल रहा था और मैं दुनिया को भूलकर उस पल का मजा ले रही थी।

पहले तो अंकल धीरे धीरे लंड डालते हुए मुझे चोद रहे थे लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी रफ्तार तेज करनी शुरू कर दी।

जल्द ही मेरा पलंग बुरी तरह से हिलने लगा और अंकल के जोरदार धक्के मेरे पेट पर पड़ने लगे जिससे पूरे कमरे में चट चट की आवाज गूँज उठी।

अंकल ने अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर लेजाकर मुझे थामे हुए थे और मुझे अपने सीने पर चिपकाए हुए थे। वे काफी अच्छे से मुझे बाहों में लपेटे हुए थे और दनादन मेरी चुदाई किये जा रहे थे।

जल्द ही मेरी चूत इतनी ज्यादा गीली हो गई जिससे बेहद ही गंदी सी आवाज कमरे में गूंज उठी। फच फच फच की आवाज़ के साथ अंकल मेरी चूत को बुरी तरह से चोद रहे थे। करीब पंद्रह मिनट तक बिना रुके अंकल मुझे चोदते रहे।

जल्द ही मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं झड़ गई उसके कुछ ही देर बाद अंकल भी मेरे अंदर ही झड़ गए। हम दोनों का बदन बुरी तरह से पसीने से भीगा हुआ था, फिर भी हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए थे और बिस्तर पर लेटे हुए थे।

कुछ देर बाद अंकल मुझसे अलग हुए और बगल में लेट गए।

बाद में अंकल ने ही एक कपड़े से मेरी चूत और अपने लंड को साफ किया. उसके बाद बारी बारी से जाकर हम दोनों ने बाथरूम में पेशाब किया।

बस उसके बाद तो दोस्तो, पूरी रात हम लोग सोये ही नहीं और एक के बाद एक दौर चलता रहा। पूरी रात में पांच बार हम लोगों ने चुदाई की।

अंकल अलग अलग पोजीशन में मुझे चोदते रहे कभी घोड़ी बनाकर कभी खड़े करके। कभी मुझे अपने ऊपर लेकर तो कभी मुझे गोद में उठाकर!

अलग अलग तरह से मैं बस चुदती जा रही थी।

उस रात अंकल ने मेरे बदन की पूरी गर्मी निकाल दी थी।

अगली सुबह मैंने अंकल को अंदर के कमरे में सुला दिया और मैं घर का काम करने लगी।

इस दौरान मेरी बगल वाली भाभी भी मेरे घर आई लेकिन मैं उनके सामने बिल्कुल सामान्य तौर से ही रही और मेरा हालचाल जानकर वो चली गई।

उसके बाद मैंने घर का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मैं और अंकल साथ में ही नहाए। नहाते समय भी अंकल ने बाथरूम में मेरी चुदाई की।

उसके बाद हम दोनों ने खाना खाया और रात की नींद पूरी करने के लिए सो गए।

शाम को भी मैंने अंकल को अंदर के कमरे में ही रखा और रात होते ही एक बार फिर से हम दोनों के बीच चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया। उस रात भी अंकल ने मुझे चार बार चोदा और अगली सुबह जल्दी ही मेरे घर से निकल गए।

उनके साथ दो दिन बिताने के बाद मेरी जिंदगी ही बदल गई। अब मैं चुदाई के लिए पागल सी रहने लगी। मेरे बदन की आग जैसे और ज्यादा बढ़ गई थी।

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