चाचा ने मेरी जवानी का पूरा मजा लिया

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मेरे चाचा मेरी चूत गांड चोदते थे
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मेरा नाम आयुषी है. मैं लखनऊ की रहने वाली हूं. मेरी उम्र 26 साल है. मेरा साइज 36-28-38 का है. मेरे परिवार में मां पापा, एक 22 साल का छोटा भाई और मैं ही हूं.

मैं बचपन में लखनऊ में रहती थी और अभी दिल्ली में जॉब करती हूं.

बात काफी साल पहले की है. मैं तब जवानी की दहलीज पर कदम रख ही रही थी. गर्मियों की छुट्टियों में हमको यानि मुझे और मेरे भाई को पापा गांव पर छोड़ आते थे ताकि हम दोनों अपने चाचा के बच्चों के साथ खूब मजे से अपनी छुट्टियां बिता सकें.

हमारा गांव शाहजहांपुर में हैं. गांव में चाचा चाची और उनके तीन बच्चे रहते हैं.

चाचा जी एक लॉ फर्म में काम करते हैं और चाची का मेकअप पार्लर है. उनके बच्चे उस टाइम 3 साल 5 साल और 6 साल के थे. चाचा की उम्र शायद 28 की और चाची की 26 रही होगी.

मैं और मेरा भाई गांव पहुंचे और सब बच्चों की तरह सारा दिन खेलने में मगन हो गए. गर्मी बहुत होने की वजह से मैं हमेशा फ्रॉक ही पहने रहती थी.

एक दिन चाचा अपने काम से वापस आए तो मैं घर में अकेली थी. बाकी बच्चे बाहर खेल रहे थे और चाची पार्लर गई थी.

चाचा ने मुझसे कहा- बेटा जरा पानी देना. मैंने उन्हें पानी दिया.

मैं अभी जवानी की चौखट पर कदम रख ही रही थी तो मेरे अंगूर अब संतरे बनने शुरू हो गए थे. मेरी चूचियों की ग्रोथ आम तौर पर लड़कियों की ग्रोथ से ज्यादा थी. मेरी चूची हाथों में भरने लायक हो गई थी.

उस वक्त अगर मैं जरा सी भी झुकती थी तो मेरी चूचियां साफ नजर आती थीं. चूंकि मेरी ब्रा पहनने की उम्र नहीं थी, ऐसा मेरी मम्मी सोचती थीं. लेकिन लंड को कौन समझाए कि मैं अभी चोदने लायक माल बन रही हूँ ... कच्ची कली हूँ.

मेरे चाचा मेरे मम्मों की झलक को नजर भरके देखते रहते थे. वो मैंने कई बार देखा था.

पानी मांगने के बाद उन्होंने मुझसे कहा- आओ बेटा, मेरे पास बैठो. मैं उनके पास पास बैठ गई.

उन्होंने मेरी पीठ के पीछे से हाथ डाल कर अपना एक हाथ मेरी एक चूची पर रख दिया और दूसरे हाथ से दूसरी चूची को थाम कर मुझे उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया.

वो बोले- ऐसे बैठो. उनके चूची पकड़ते ही मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया पर मैं एकदम शांत रही क्योंकि मेरे लिए ये एकदम नया अहसास था.

फिर वो मुझसे इधर उधर की बातें करने लगे. इसी बीच मुझे अहसास हुआ कि मेरी गांड के नीचे कोई मोटी सी डंडे जैसी चीज रखी है.

उस वक्त तक मुझे लंड से चुदाई आदि के बारे में कुछ नहीं पता था. मगर मेरी बुर में खुजली सी होने लगी थी. मुझे लगने लगा था कि मैं अपनी बुर में कुछ घुसा लूं.

कुछ देर बार चाची आ गईं और हम सब खाना खाकर सोने चले गए. अब चाचा मुझे छूने और बहलाने फुसलाने के रोज नए नए तरीके ढूंढते रहते थे. उनके छूने से मुझे भी अच्छा लगता था तो मैं भी कुछ नहीं कहती थी बल्कि चाचा के हाथ लगाते ही मैं उनके ऊपर ही फ़ैल जाती थी.

अगले दिन फिर से मैं अन्दर थी और बाकी बच्चे बाहर खेल रहे थे. चाचा ने कहा- यहां आओ बेटा, मैं तुम्हें एक चीज दिखाता हूं.

मैं उनके पास चली गई. वो मुझे अपने रूम में ले गए और कुंडी लगा ली.

चाचा ने अपने कपड़े चेंज करके लोअर पहन लिया. फिर मैं जहां बैठी थी, वहां आकर बैठ गए.

वो अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोले- बेटा देखो, मुझे यहां पर दर्द हो रहा है. मुझे कुछ समझ नहीं आया, तो मैंने कुछ भी ही नहीं कहा.

फिर उन्होंने कहा- तुम्हारे हाथ मुलायम हैं न, तो तुम मेरे यहां पर सहला दोगी तो ठीक हो जाएगा. मैंने कहा- ठीक है चाचा जी. मैं सहला देती हूँ.

मैं सहलाने लगी तो उन्होंने कहा- इस तरह से नहीं बेटा, अन्दर से हाथ डालकर करो, तभी तो दर्द बंद होगा. ये कहकर उन्होंने अपना लंड लोअर से बाहर निकाल दिया.

उन्हें पता था कि चाची अगले डेढ़ दो घंटे तक नहीं आएंगी. मैंने जैसे ही उनका लंड देखा, तो मैंने कहा- आपके सूसू में सूजन है क्या?

मैं उस समय लंड को सूसू ही कहती थी. मुझे मालूम नहीं था कि उसे लंड कहते हैं. उन्होंने पूछा- क्यों?

मैंने कहा- करन (मेरा छोटा भाई) का छोटा सा सूसू है और आपका शायद चोट लगने से सूज गया है. वो बोले- छोटे बच्चों का छोटा सूसू होता है और बड़े लोगों का बड़ा.

उन्होंने मौके का फायदा उठाकर मुझसे कहा- अच्छा तुम अपनी सूसू दिखाओ तुम्हारी सूसू कितनी बड़ी है? मैंने कहा- मेरी सूसू ऐसी नहीं है.

तो वो बोले- अच्छा तो फिर कैसी है? मैंने कहा- वहां पर कुछ नहीं है, बस छोटा सा छेद है.

वो बोले- मैं नहीं मानता, ऐसा थोड़े होता है. मैंने झट से अपनी पैंटी उतारी और फ्रॉक ऊपर कर दी.

फिर उन्होंने मुझे सोफे पर बिठाया और मेरी टांगें खोल कर मेरी बुर देखने लगे. मैंने कहा- देखा, मैंने कहा था ना ... बस एक छेद है.

उन्होंने कहा- मुझे तो छेद भी नहीं दिख रहा है. बस एक दरार सी है, दो होंठों के बीच में. मैंने उनसे कहा- अरे है चाचा ... आप देखो नीचे की तरफ. वो होंठ के नीचे छुपा है.

उन्होंने फिर से मौके पर चौका मारा और मेरी बुर फैला कर उसमें एक उंगली डाल कर बोले- क्या इस छेद के बारे में कह रही हो? मैंने तनिक उचकते हुए कहा- हां.

उनकी उंगली का स्पर्श मुझे बड़ा मजा दे गया था. फिर वो बोले- अरे, ये तो अन्दर से बहुत गंदा है. तुम नहाते टाइम इसे साफ नहीं करती हो क्या?

मैंने कहा- करती तो हूँ, पर नीचे तो दिखाई नहीं देता है न ... इसलिए शायद मैल रह गया होगा. वो बोले- चलो कोई बात नहीं, मैं साफ कर देता हूँ.

ये कहकर वो अपनी उंगली मेरी बुर में घुसाने लगे और अन्दर बाहर करने लगे. मेरे साथ ऐसा पहली बार हो रहा था पर वो इतने आराम से कर रहे थे कि मुझे बिल्कुल दर्द नहीं हो रहा था; ऊपर से मजा आ रहा था.

मेरी बुर से थोड़ा थोड़ा पानी निकलना शुरू हो गया था. चाचा बोले- देखो बेटा, इसके साफ होने की यही पहचान होती है कि इससे पानी आना शुरू हो जाता है.

मैं कुछ नहीं बोली. मुझे बेहद सनसनी हो रही थी और मजा आ रहा था.

चाचा आगे बोले- मेरी उंगली ज्यादा अन्दर तक जा नहीं पा रही, मैं बाद में तुम्हारी सूसू को और साफ कर दूंगा. अभी तुम मेरी सूसू सहला दो.

फिर उन्होंने मुझे पैंटी पहनाई और अपने लंड के पास मुझे बैठा लिया और अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ा कर ऊपर नीचे करवाने लगे. फिर चाचा बोले- हां बेटा, ऐसे ही करती रहो, जब दर्द ठीक हो जाएगा तो यहां से मलाई निकलेगी.

मैंने हैरानी से पूछा- चाचा जी, मलाई क्यों निकलेगी? वो बोले- अरे पागल, तुमको दर्द ठीक करने का इनाम भी तो मिलेगा.

उन्हें पता था कि मुझे दूध दही मलाई मक्खन बहुत पसंद था. मैं खुश हो गई और उनके लंड को पकड़ कर मुट्ठी मारने लगी.

कुछ मिनट तक लंड को हिलाने के बाद वो झड़ने वाले थे. वो बोले- बेटा, अब तुम नीचे बैठ जाओ मेरा दर्द ठीक हो गया है, बस मलाई आने वाली है. जल्दी से अपना मुँह खोलो, फिर तुम्हें ढेर सारी मलाई मिलेगी.

उन्होंने मुझे नीचे बैठाया और जोर जोर से अपने लंड की मुठ मारने लगे और अपना बहुत सारा लंड रस मेरे मुँह में भर दिया.

मैंने पी लिया और बोली- चाचा जी, इसका स्वाद वैसी मलाई जैसा नहीं है. चाचा बोले- बेटा, ये नेचुरल मलाई है ... एकदम प्योर. इसका स्वाद ऐसा ही होता है, तुम्हें पसंद नहीं आया क्या?

मुझे झांट कुछ भी समझ नहीं आया कि क्या बोलूं. मैंने कह दिया- नहीं चाचा जी, अच्छी थी मलाई.

वो बोले- अरे देखो, मेरी सूसू पर तो थोड़ी सी लगी रह गई है, इसको भी चाट कर खा लो. मैंने कहा- इसको कैसे खाऊं चाचा जी?

वो बोले- अरे जैसे लॉलीपॉप चूसती हो न ... वैसे ही चूस लो. तो मैंने उनका लंड पकड़ा और लॉलीपॉप की तरह उसे चूस चूस कर जो लंड रस बचा था वो भी पी गई.

फिर वो मुझसे बोले- बेटा, ये सब अपनी चाची को या किसी और को मत बताना क्योंकि मेरे पास इतनी मलाई नहीं है कि मैं सबको दूँ. तुमको जब चाहिए हो तब मुझे बता दिया करना, मैं तुम्हें दे दूंगा. मैं खुश होकर बोली- ठीक है चाचा जी.

बस मैं कूदती हुई रूम से बाहर चली गई.

अब लंड रस का स्वाद मेरी जबान पर चढ़ गया था और बुर में उंगली जाने का नया नया अहसास भी मुझे मजे दे रहा था. अब मैं खुद भी चाचा को अकेले ढूंढने लगी थी पर ज्यादातर घर में कोई न कोई होता ही था.

फिर एक दिन रात में सब बच्चे रूम में सो रहे थे और मैं अचानक से जग गई थी. शायद कोई बुरे सपने की वजह से ऐसा हुआ था.

मुझे डर लग रहा था तो मैं उठी और चाचा चाची के कमरे में चली गई. कमरा अन्दर से खुला था. चाचा और चाची दोनों सोए हुए थे.

चाचा और चाची पूरे नंगे थे. चाची मस्त चूचियां सीधे लेटी होने की वजह से दोनों तरफ लटक रही थीं.

मैं चाचा के पास गई, उन्हें उठाया और उनसे धीरे से कहा- मुझे उस कमरे में डर लग रहा है. वो धीमे से बोले- मेरे पास आ जाओ, यहीं लेट जाओ.

उन्होंने मुझे अपने पास में लिटा लिया. थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी चूची पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू किया. फिर उन्होंने मुझसे धीरे से कान में कहा- बेटा, तुझे गर्मी लग रही होगी. लाओ मैं तुम्हारी फ्रॉक उतार देता हूँ.

मुझे उनका हाथ फेरने से मजा आ रहा था तो मैंने उन्हें मना नहीं किया. उन्होंने मेरी फ्रॉक उतार दी.

दूसरी तरफ चाची मस्त सोई पड़ी थीं और उनके पति देव अपनी ही भतीजी के मजे ले रहे थे. मेरी फ्रॉक उतरने के बाद चाचा जी मेरी चूची पकड़ कर धीरे धीरे मसल रहे थे.

मैंने पूछा- चाचा जी, ये क्या कर रहे हो? वो बोले- बेटा, इससे तुम्हारी सारी थकान उतर जाएगी, तुम दिन भर तो खेलती हो न!

फिर चूची मसलते मसलते वो बोले- अरे आज तो तुमने अपनी सूसू साफ ही नहीं करवाई और न ही मलाई खाई? मैंने कहा- आप आज देर में आए थे न और चाची भी घर आ गई थीं. तब आपने कहा था न कि किसी को बताना नहीं है, नहीं तो सब मलाई मांगेंगे.

तो वो हंसे और बोले- अच्छा हां, ये तो बात सही है. सारी मलाई तो मेरी प्यारी सी आयुषी की है. फिर वो बोले- आज मैंने तुम्हारी सूसू को साफ करने के लिए बड़ी चीज ढूंढ ली है, उससे सूसू अन्दर तक साफ हो जाया करेगी.

मैं खुश होकर बोली- ये बहुत अच्छा है चाचा जी. फिर वो बोले- चलो, दूसरे कमरे में तुम्हारी सूसू भी साफ कर देते हैं और तुम्हें मलाई भी देते हैं वरना यहां अगर तुम्हारी चाची जाग गईं तो वो सारी मलाई ले लेंगी और तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा.

मैंने कहा- नहीं, मलाई सिर्फ मुझे चाहिए. वो फिर से मुस्कुराए और मुझे गोद में उठाकर दूसरे रूम में ले गए.

गेस्ट रूम में बिल्कुल अंधेरा था क्योंकि उस रूम में वैसे भी कोई नहीं जाता था, बेड और गद्दा आदि सब वहां पर था. चाचा ने अन्दर से कुंडी लगा ली.

मैंने कहा- चाचा जी, लाइट नहीं जल रही है? वो बोले- कोई बात नहीं, मैं अंधेरे में भी सूसू को अच्छे से साफ कर दूंगा.

फिर उन्होंने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टांगें ऊपर कर दीं. चाचा ने मुझसे कहा- बेटा, ऐसे ही टांगें पकड़ कर रखना, मैं तुम्हारी सूसू साफ कर देता हूँ.

फिर उन्होंने अपना मुँह मेरी बुर पर लगाया और अपने हाथों से मेरी बुर फैलाकर मेरी बुर चाटने लगे. मुझे मजा आ रहा था. ये मजा पिछली बार से अलग था.

मैंने पूछा- चाचा जी, पहले तो आपने दूसरी तरह से साफ की थी? चाचा बोले- बेटा पिछली बार अच्छी तरह से नहीं हो पाई थी, इस बार में अच्छे से कर रहा हूँ. तुम बस आंखें बंद करके आराम से एंजॉय करो. क्योंकि सूसू साफ करने में बहुत अच्छा लगता है.

मैंने कहा- हम्म ठीक है चाचा जी. उन्होंने पूछा- तुमको अच्छा लगता है कि नहीं?

मैंने हां कर दिया. फिर वो मेरी बुर दस मिनट तक चाटते रहे और उठकर मेरे पास लेट गए.

मैंने पूछा- चाचा जी, साफ हो गई मेरी सूसू? वो बोले- नहीं बेटा, अभी तो बस शुरू किया है.

फिर उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी बुर में घुसा दी और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगे.

मुझे बुर रगड़वाने में मजा आ रहा था. मैंने बुर फैला दी और गांड उठा कर बुर में उंगली चलने का मजा लेने लगी.

फिर उन्होंने धीरे धीरे अपनी दूसरी उंगली मेरी बुर में घुसाने की कोशिश की. उससे मुझे थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा था पर मैं कुछ नहीं बोली. मुझे लगा शायद सूसू ऐसे ही साफ होती होगी.

दस मिनट तक बुर में उंगली करने के बाद वो मेरे सामने बैठ गए. अंधेरा होने होने की वजह से मुझे कुछ दिख नहीं रहा था. फिर उन्होंने एक तकिया मेरी गांड के नीचे लगाया ताकि मेरी बुर ऊपर को हो जाए.

फिर उन्होंने ढेर सारा थूक मेरी बुर पर रगड़ा और मुझसे कहा- देखो बेटा, मैं तुम्हारी सूसू साफ करने के लिए कितनी अच्छी जुगाड़ लाया हूँ, तुम तैयार हो? मैंने कहा- हां.

वो बोले- बेटा, इसमें थोड़ा दर्द होगा. हो सकता है थोड़ा ज्यादा भी हो, पर जब दो तीन बार अपनी सूसू साफ कर लोगी, तो फिर इससे कभी दर्द नहीं हुआ करेगा. मैंने कहा- ठीक है.

अब चाचा मेरे ऊपर झुके और अपने लंड के सुपारे को मेरी नाजुक सी बुर पर सैट कर दिया. फिर चाचा धीरे धीरे अपना लंड मेरी बुर के अन्दर घुसाने लगे.

मुझे दर्द हो रहा था पर चाचा जी मेरा मुँह अपने हाथ से बंद किए हुए थे. फिर उन्होंने एक जोर का झटका मारा और अपना आधा लंड मेरी बुर में घुसा दिया.

मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं छटपटा रही थी. चाचा मेरे मम्मे दबाने और सहलाने लगे. एक हाथ से मेरी चूची के निप्पल को मींजने लगे.

इससे मेरी बुर का दर्द कम होने लगा और बुर के अन्दर घुसा हुआ लंड अपने आप बुर में समायोजित होने लगा.

कुछ देर बाद चाचा ने मेरी गांड हिलती हुई महसूस की तो वो समझ गए कि मेरा दर्द खत्म हो गया है. अब उन्होंने धीरे धीरे अपना पूरा लंड मेरी बुर में पेल दिया और मुझे लंड से मजा आने लगा.

मेरी बुर ने पानी भी छोड़ दिया था जिससे चिकनाहट हो गई थी और दर्द जाता रहा था.

चाचा ने पांच मिनट तक मेरी बुर में लंड पेला और मुझे चुदवाने में मजा आने लगा. फिर उन्होंने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और उनका लंड अभी भी मेरी बुर में आधा फंसा हुआ था.

मुझे ऊपर लिटा कर वो मुझसे बोले- बेटा, सूसू साफ करना बहुत जरूरी होता है. वर्ना उसमें कीड़े लग जाते हैं. इसमें एक दो बार थोड़ा दर्द होता है, पर फिर आराम से साफ होने लगती है. मैंने गांड मटकाते हुए लंड का मजा लिया और पूछा- चाचा जी, आप किस चीज से मेरी सूसू साफ कर रहे हैं?

वो बोले- मैं अपनी सूसू से. मैंने कहा- आपकी सूसू तो गंदी हो जाएगी.

वो बोले- नहीं बेटा, वो तो सिर्फ ऊपर से गंदी होगी और उसको साफ करना तो बहुत आसान है. मैंने पूछा- कैसे?

वो बोले- जैसे उस दिन तुमने लॉलीपॉप की तरह मेरी सूसू को चूसा था, वैसे ही साफ भी की जाती है क्योंकि लड़कों की सूसू सिर्फ मुँह की लार से ही साफ होती है. मैंने कहा- तब तो मैं आपकी सूसू साफ कर दूंगी. पर जब मैं नहीं होऊंगी, तब आप अपनी सूसू को कैसे साफ करोगे? चाचा बोले- तब मैं चाची से साफ करवा लूंगा.

मैंने खुश होकर उन्हें गाल पर किस कर लिया.

इस पर भी वो बोले- जब खुश होते हैं तो गाल पर किस नहीं करते हैं बेटा! मैंने कहा- तो फिर कहां किस करते हैं चाचा जी?

उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और मेरे छोटे छोटे से होंठ पीने लगे. ये अहसास भी मेरे लिए नया था पर मजा आ रहा था.

चाचा जी मुझे टीन गर्ल पोर्न सिखा रहे थे.

वो किस कर ही रहे थे कि उन्होंने एक जोर का धक्का और दे दिया और उनका पूरा लंड मेरी छोटी सी बुर में समा गया. अब मुझे दर्द भी हो रहा था और एक अजीब सा मजा भी आ रहा था.

उन्होंने धीरे धीरे मेरी कमर पकड़ कर मुझे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया और वो खुद भी नीचे से धक्के मार रहे थे. मुझे धीरे धीरे दर्द कम, मजा ज्यादा आने लगा था.

कोई 15 मिनट तक चाचा मुझे ऐसे ही चोदते रहे.

फिर वो जैसे ही झड़ने वाले थे, उन्होंने लंड निकाल कर मेरे मुँह में रख दिया और बोले- बेटा, लो जल्दी से सूसू को ऊपर नीचे करो और मलाई पी लो. मैंने उनके लंड को मुँह में रख कर लंड पर मुट्ठी मारना शुरू कर दिया.

एक मिनट में मेरा पूरा मुँह उनके लंड रस से भर गया. फिर उन्होंने कहा- ऐसे ही चूसती रहो बेटा ... आह जोर जोर से चूसो.

मैं उनका लंड वैसे ही 5 मिनट तक जोर जोर से चूसती रही. फिर उन्होंने मेरी बुर में उंगली डाली और बोले- हां, आज लग रहा अच्छे साफ हुई है.

मैं फिर से खुश हो गई और उनकी गोद में चढ़ गई. फिर वो रूम में ले गए मुझे और फ्रॉक पहना कर अपने बगल में लिटा लिया.

उस रात गलती से मेरी पैंटी उसी रूम में छूट गई थी तो मैं नीचे से नंगी ही थी. सुबह चाची पार्लर चली गईं.

चाचा और मैं अब भी सोए हुए थे. फिर थोड़ी देर बाद चाचा उठे.

मेरी फ्रॉक सोते हुए में ऊपर हो गई थी. चाचा ने नंगी बुर देखकर मेरी बुर में थूक लगाया और उंगली डाल कर बोले- उठ जाओ मेरी रानी बिटिया, देखो सुबह हो गई और तुम्हारी सूसू भी रात को कितनी साफ हो गई. ये कहते हुए वो अपनी उंगली मेरी बुर में अन्दर बाहर करने लगे थे.

कुछ देर बाद चाचा ने गेट के बाहर झांका और चाची को आवाज दी- सुनीता. उस पर उनके लड़के छोटू की आवाज आई- मम्मी पार्लर गई हैं. इधर हम सब हैं.

फिर उन्होंने पूछा- तुम लोग क्या कर रहे हो? वो चारों एक साथ बोले- हम सब लूडो खेल रहे हैं.

चाचा जी ने तुरंत अन्दर आकर कुंडी बंद कर ली और मुझे गोद में बिठा लिया. मुझे गोद में बिठाए बिठाए धीरे से अपनी अंडरवियर उतार दी.

क्योंकि वो सिर्फ उतना ही पहने थे. उन्होंने फिर अपनी उंगली मेरी फटी चूत में डाल दी और मुझसे बातें करने लगे.

चाचा बोले- अच्छा बताओ मेरी आयुषी आज क्या खाएगी? मैंने कहा- ब्रेड बटर. वो बोले- अच्छा तो बेटा को ब्रेड बटर अच्छा लगता है.

तो मैंने कहा- हां. चाचा बोले- अच्छा बटर कैसा होता है मालूम है?

मैंने कहा- हां मालूम है. बटर नमकीन नमकीन होता है. चाचा बोले- अच्छा तो आपके अन्दर भी तो बटर है.

मैंने कहा- वो कैसे? चाचा बोले- जैसे मेरे सूसू से मलाई निकलती है, वैसे ही आपकी सूसू से बटर निकलता है.

मैं ये सुनकर एकदम से खुश हो गई. मैंने कहा- मैंने तो कभी नहीं देखा?

उन्होंने बताया कि उसे निकालने के स्पेशल तरीके होते हैं, तब बटर निकलता है. तुम बोलो तो दिखाऊं? मैंने कहा- हां दिखाओ.

वो उंगली तो मेरी बुर में पहले से ही कर रहे थे, फिर उन्होंने जोर जोर से उंगली से मेरी बुर चोदना शुरू कर दिया. फिर थोड़ी देर बाद जब मेरी बुर थोड़ी थोड़ी गीली होने लगी तो उन्होंने वो उंगली मेरे मुँह में डाल दी और बोले- देखो इसका टेस्ट कैसा है?

मैंने कहा- हां थोड़ा थोड़ा सा नमकीन है. वो बोले- जब तुम बड़ी हो जाओगी, तब तुम्हारा बटर और ज्यादा नमकीन हो जाएगा.

फिर उन्होंने मुझसे कहा- चलो बेटा, एक बार अभी तुम्हार सूसू साफ कर देते हैं, दोबारा फिर किसी टाइम कर देंगे.

वो मेरी फ्रॉक उतारने लगे तो मैंने कहा- चाचा जी, मेरी सूसू तो खुली है, फ्रॉक क्यों उतार रहे हो? तो वो बोले- तुम्हारी मसाज भी कर देंगे, उससे जब तुम खेलोगी तो थकोगी नहीं.

मैंने हाथ ऊपर कर दिए और उन्होंने मेरी फ्रॉक निकाल दी.

फिर उन्होंने कहा- बेटा, मेरी सूसू को अपने थूक से गीला कर दो, जिससे तुम्हारी सूसू अच्छे से साफ हो जाएगी. मैं उनके लंड के टोपे पर मुँह से थूक निकाल कर रगड़ने लगी.

वो बोले- अरे नहीं बेटा, ऐसे नहीं, लॉलीपॉप की तरफ लगाओ.

मैंने उनका लंड अपने मुँह में रख लिया. उन्होंने धीरे धीरे अपना लंड मेरे गले तक पहुंचा दिया. मुझे खांसी आने लगी.

उन्होंने लंड बाहर कर लिया और मुझे होंठों पर किस करके मुझे लिटा दिया. अब चाचा मेरे ऊपर चढ़ गए और अपने लंड का टोपा मेरी बुर पर फिर से सैट कर दिया.

इस बार चाचा जी ने एक ही झटके में पूरा लंड मेरी चूत में ठांस दिया. मेरी बहुत जोर से चीख निकली. पर उन्हें पता था कि ऐसा कुछ होगा इसलिए उन्होंने मेरा मुँह पहले से बंद कर रखा था.

अब उन्होंने धक्के देना शुरू किया. मुझे दर्द हो रहा था.

कुछ 25-30 धक्के लगने के बाद मुझे मजा आने लगा. दर्द तो अभी भी हो रहा था, पर मजा भी आ रहा था.

उनके धक्कों की स्पीड तेज होनी लगी. अब वो फुल स्पीड में मेरी नाजुक सी चूत में धक्के मार रहे थे.

मेरी चूत इतनी टाइट थी कि उनका लंड आगे पीछे कम जा रहा था. ज्यादातर स्किन ही जा रही थी. लंड तो अन्दर ही फंसा था. फिर जब मेरी चूत खूब गीली हो चुकी थी तब उनका लंड घचाघच अन्दर बाहर जा रहा था और वो फुल स्पीड से मुझे चोद रहे थे.

फिर कुछ देर बाद मुझे अपने अन्दर कुछ गर्म गर्म महसूस हुआ. चाचा ने अपना सारा लंड रस मेरी चूत में भर दिया था.

मैंने चाचा से पूछा- चाचा जी, मेरे सूसू के अन्दर गर्म गर्म लग रहा है. वो- वो मैंने मलाई अन्दर डाल दी है, अब यहां से खाओगी तो और मजा आएगा.

मैं उठकर बैठी और अपनी चूत से टपकते लंड रस को अपनी उंगली में लेकर चाटने लगी. इतने में चाचा अपना लंड मेरे मुँह के पास लाकर बोले- अरे देखो, इसमें भी तो रह गई है, ये भी पी लो जल्दी से.

मैंने खुश होकर लपक कर उनका लंड मुँह में रख लिया और चूस चूस कर सारा माल निकाल लिया. फिर चाचा जी बाथरूम में चले गए और मैं फ्रॉक पहन कर नीचे चली गई.

कुछ देर बाद चाचा जी आए तो उन्होंने मुझे नाश्ता बना कर दिया. चारों बच्चे अभी भी लूडो खेल रहे थे. फिर कुछ देर बाद हम सब बाहर खेलने चले गए.

दोपहर हुई तो चाचा जी ने आवाज दी- आयुषी यहां आओ, आज हम लोग लंच बनाएंगे. मैं दौड़ कर अन्दर आ गई.

बाकी बच्चे अभी भी बाहर खेल रहे थे.

चाचा अपनी ठरक मिटाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे थे. मुझे कुछ न मालूम होने का चाचा पूरा फायदा उठाने में लगे थे.

मैं अन्दर आई तो चाचा किचन में थे. मुझे देखा तो बोले- आ गई तुम ... अच्छा बताओ आज क्या खाओगी? मैंने कहा- कुछ भी बना लीजिए.

उन्होंने कहा- तो फिर तुम मेरी क्या क्या मदद कर सकती हो? मैंने कहा- आप बता दीजिए, मैं सब कर दूंगी.

वो बोले- मेरी सूसू में फिर से दर्द हो रहा है ... क्यों ना तुम इसे सहला दो, तब तक मैं खाना बना देता हूँ. मैंने कहा- ठीक है.

वो टॉवल लपेटे हुए थे और उन्होंने अन्दर कुछ नहीं पहना था. मुझे उन्होंने घुटनों पर बैठने को कहा और अपना टॉवल निकाल दिया.

अब उनका लंड मेरे मुँह के सामने था. उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया. मैंने चाचा के लंड को चूसना शुरू कर दिया.

चाचा जी ने लंड चुसवाते हुए ही अपना टॉवल हटा दिया और अब उनका लंड मेरे मुँह के सामने था.

उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर तक घुसाने लगे. मैंने पूछा- चाचा जी, पहले तो सहलाने से दर्द ठीक हो गया था न!

वो बोले- हां बेटा, तो तुम सहलाती भी रहना और मुँह से चूसती भी रहना. इससे दर्द जल्दी ठीक होता है. मैंने कहा- ठीक है.

मैं उनके लंड को मुँह में लेकर अपने छोटे छोटे हाथों से उनके मोटे से लंड को मुठ्ठी मार रही थी. कोई दस मिनट बाद उनके मुँह से मादक आवाजों के साथ उनका लंड रस सारा मेरे मुँह में भर गया.

मैंने सारा पीकर पूछा- चाचा जी, अब आपका दर्द ठीक हो गया है? वो बोले- नहीं बेटा, अभी नहीं ... तुम 5 मिनट रुक कर फिर से मालिश कर दो उसकी.

मैं वहीं खड़ी होकर देखने लगी कि क्या बन रहा है. सब्जी गैस पर चढ़ चुकी थी और अब चाचा जी आटा गूंथने जा रहे थे.

फिर उन्होंने मुझे किचन टॉप पर बिठा लिया और बोले- तुम्हें यहां अच्छा लगता है बेटा? मैंने कहा- हां.

ये बात करते हुए उनकी उंगली मेरी चूत में जा चुकी थी क्योंकि मैंने अभी भी फ्रॉक के नीचे अपनी पैंटी नहीं पहनी थी.

वो बोले- तो तुम्हारा एडमिशन यहीं करवा दूँ और तुम्हारे पापा से बात भी कर लेता हूँ. वैसे भी यहां तेरे तीन भाई हैं, उनकी कोई बहन नहीं है. मैंने खुश होकर कहा- हां, मुझे यहीं पढ़ना है. आप पापा से बात कर लो.

मुझे अपने घर पर ज्यादा अच्छा इसलिए नहीं लगता था क्योंकि वहां पर मैं दिन भर खेल कूद नहीं सकती थी और दिन भर पापा और मम्मी की डांट सुननी पड़ती थी.

चाचा मेरी मेरी चूत में अब अपनी दो उंगलियां घुसा कर मेरी चूत को चौड़ा करने में लगे थे.

फिर उन्होंने मुझसे कहा- बेटा, तुम मेरी सूसू को मसाज कर दो, तब तक मैं आटा गूंथ लेता हूँ. वो आटा गूंथने लगे और मैं उनका लंड लेकर अपने काम पर लग गई.

वो बीच बीच में मेरा मुँह अपने गोटों पर ले जाते और कहते- बेटा, इन्हें भी मसाज करो, इनमें भी दर्द है. वे मेरे पूरे मजे ले रहे थे और मैं इन सब चीज से अनजान, जैसा वो कह रहे थे, करती जा रही थी.

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