चाचा ने मेरी जवानी का पूरा मजा लिया

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वो बोले- हां, पर अभी धीरे से निकालना, अभी हो सकता है कि तेरी चाची जागी हुई हों.

चाचा मेरी चूत चाटने लगे और मैं आआह आआह उम्मम्म की आवाजें निकालने लगी क्योंकि मुझे चूत चटवाने में बहुत मजा आ रहा था.

फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठाया और जोर जोर से किस करने लगे. मैं भी उन्हें किस करने लगी.

वो मेरी चूचियां मसल रहे थे और मेरे निप्पल मींज रहे थे. फिर वो मेरी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगे. कुछ बार वो यही काम गांड में उंगली डाल कर करने लगे.

तभी मैंने पूछा- चाची, सूसू को चूत क्यों कह रही थीं? वो बोले- वो उनकी सूसू का नाम है, तुम चाहो तो तुम भी रख लो.

मैंने कहा- तो मेरी सूसू का नाम भी चूत और आपकी सूसू का क्या नाम है? वो बोले- लंड.

इतना कहते ही उन्होंने मुझे लिटाया और खुद मेरे ऊपर आकर अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.

मेरी टाइट चूत के पूरे मजे चाचा जी सफाई के नाम पर ले रहे थे, पर अब मुझे भी मजा आ रहा था. सफाई कहो या चुदाई, मुझे खूब मजे आ रहे थे. अब तो चाचा का लंड छोड़ कर मेरा घर जाने का बिल्कुल मन नहीं था.

दस मिनट चोदने के बाद चाचा उठे, मुझे अपनी गोद में उठा कर उल्टा कर दिया और मेरी चूत चाटने लगे. उनका लंड मेरे मुँह के सामने था तो मैंने उनका लंड पकड़ा और चूसने लगी.

कुछ पांच मिनट तक चाटने चूसने के बाद उन्होंने मुझे वैसे ही गोद में उठाया और खड़े खड़े चोदने लगे. मैं उनके गले में हाथ डाले हुई लटकी थी और कमर में टांगें फंसाए हुई थी.

वो मेरी कमर और गांड पकड़ कर मुझे आगे पीछे करके मेरी चूत में अपना लंड घचाघच पेल रहे थे. उनका लंड मेरी चूत के आखिर तक जा रहा था.

फिर वो बोले- चलो बाहर चलते हैं. मैंने कहा- चाचा जी, बहुत अंधेरा है. वो बोले- मैं हूँ ना ... तुम क्यों डर रही हो?

मुझे दोबारा से अपनी गोद में उठाकर चोदते हुए टेंट से बाहर निकल गए.

वो टेंट से लगभग 400 मीटर दूर जाकर बोले- अब तुम यहां जैसी चाहो, जितनी चाहो और जितनी जोर से चाहो, आवाजें निकाल सकती हो.

मैंने खुश होकर उन्हें किस किया. अब उनके धक्के और जोर से हो रहे थे.

मैं चिल्ला रही थी- आआहह आआह चाचा जी और जोर से साफ करिए. चाचा ने मुझे अब घोड़ी बनाया और लंड को गांड में घुसा दिया.

मैं चीख पड़ी- आआह्ह ... मैं मर गई. चाचा ने कुछ नहीं सुना, वो धक्के मारने में लगे हुए थे.

कुछ देर बाद मुझे फिर से मजा आने लगा. फिर चाचा ने मेरी एक टांग उठाई. मैं पेड़ पकड़कर खड़ी हुई और चाचा मुझे चोदने लगे.

कुछ देर बाद उन्होंने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे मम्मे पीने लगे और मम्मे पीते हुए ही उन्होंने मुझे उठाया और लंड मेरी चूत में फिर से भर दिया. वो मुझे बहुत जोर जोर से चोद रहे थे और मैं यही सब चिल्लाने में लगी थी- आआह आह आआह चाचा ... आज मेरी चूत की अच्छे से सफाई कर दीजिए. पूरा अन्दर तक पेल दीजिए अपना लंड.

फिर उन्होंने मुझे घुटनों पर बैठने को कहा और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया.

अब जैसे चाची ब्लोजॉब दे रही थीं, मैंने भी वैसे ही चाचा का लंड मुँह में रख कर जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया. चाचा ने मेरा मुँह अपनी मलाई से भर दिया और बिल्कुल चाची की तरह मैं उनके लंड रस की एक एक बूंद चूस गई.

चुदाई के बाद हम दोनों कैंप में आ गए. तीस मिनट बाद चाचा ने मेरी गांड में थूक लगाया और अपना लंड फिर से मेरी गांड में घुसा दिया.

कुछ देर लेट कर चुदने के बाद मैं उनके ऊपर बैठ गई और अपनी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी. चाचा को Xxx गर्ल गांड चुदाई में मजा आ रहा था. उन्हें फ्री का सेक्स मिल रहा था. वो एकदम नई चूत का भोग लगा रहे थे जिसका लंड पूजन भी उन्होंने ही किया था.

चाचा ने कैंप में मुझे 5 बार चोदा. मेरी चूत एकदम सूज गई थी.

हम अगले सुबह उठे और फ्रेश होकर ऊटी के नजर देखने निकल पड़े.

मैं रात की चुदाई के बाद बहुत खुश थी. मुझे लग रहा था कि चूत की सफाई से बढ़िया चीज इस दुनिया में है ही नहीं.

मैं मन में ये सोच रही थी कि चाचा को तो पता भी नहीं होगा सफाई करवाने में मुझे कितना मजा आता है. वो बेचारे मेरी इतनी फ़िक्र करते हैं कि मेरी सफाई करते रहते हैं ताकि मुझे कुछ हो न जाए और मेरी सूसू में कीड़े न लगें.

अब ये सब सोचती हूँ तो लगता है मुझसे बड़ा बेवकूफ कोई था ही नहीं. चुदाई को सफाई समझ कर चाचा जी भोला भाला समझ रही थी. वो मेरी टाइट चूत और गांड के मजे लेने में लगे थे.

खैर ... चाचा ने ऐसा चुदाई का चस्का चढ़ाया कि आज भी नहीं उतर पाया है. चलिए कहानी की तरफ बढ़ते हैं.

हम सब अपनी कैंपिंग और घूमना फिरना करके एक हफ्ते बाद वापस आ गए.

फिर धीरे धीरे गर्मियों की छुट्टियां खत्म हो गईं. भाई को चाचा घर छोड़ आए और मेरे कपड़े और किताबें वगैरह ले आए.

मेरा एडमिशन चाचा ने शाहजहांपुर में ही करवा दिया.

अब मुझे दो बात की खुशी थी. एक तो मेरी डांट नहीं पड़ेगी और दूसरा मेरी सफाई चाचा रोज करेंगे. मैं रोज सुबह स्कूल जाती, दोपहर में लौट कर आती और शाम को चाचा के आ जाने पर उनके लंड से अपनी चूत ठंडी करवाती.

इस तरह से 3 साल बीत गए. मेरा और चाचा का चुदाई का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा.

मुझे पीरियड्स भी आते थे और अब मुझे ये भी पता चल चुका था कि ये सफाई नहीं चुदाई है क्योंकि चाचा ने एक दिन नशे बोल दिया था.

एक दिन की बात है. चाची की मम्मी की तबियत बहुत खराब हो गई तो चाची को अपने मायके जाना था. उनके बच्चे अभी छोटे ही थे तो वो उनको भी साथ ले जा रही थीं.

चाचा जी चाची को ट्रेन में बिठाने मुझे लेकर गए.

चाची अपने मायके चली गईं. हम दोनों बहुत खुश हो गए. मैं और चाचा अब एकदम फ्रैंक हो चुके थे क्योंकि 3 साल हम दोनों चुदाई कर रहे थे.

मैंने चाचा से वापस आते हुए पूछा- अब तो आपकी हर रात सुहागरात होगी!

चाचा मुस्कुराते हुए मुझे किस करने लगे. क्योंकि हम लोग चाची को छोड़ने आए थे इसलिए जानबूझ कर मैंने स्कर्ट पहनी थी और अन्दर पैंटी भी नहीं पहनी थी ताकि रास्ते में चाचा को गाड़ी में छेड़ सकूं. चाचा जैसे ही मुझे किस करके हटे, मैंने अपनी स्कर्ट ऊपर की और एक टांग सीट के ऊपर रख कर अपनी चूत अपने हाथ से खोल दी.

चाचा चूत देख कर पागल हो रहे थे वो उनके एक्सप्रेशन से पता चल रहा था. उन्होंने अपने एक हाथ से मेरी चूत में उंगलियां घुसा दीं और एक्सिलेरेटर पर जोर से पैर दबा दिया. वो फुल स्पीड में गाड़ी भगा रहे थे.

हम घर पहुंचे, उन्होंने तुरंत दरवाजा बंद करके मुझे किस करना शुरू कर दिया और मेरा स्कर्ट टॉप निकल कर फैंक दिया. मैंने भी जल्दी जल्दी उनके कपड़े निकाल कर फैंक दिए.

हम दोनों अब नंगे थे. वो मेरे मम्मे पीने में लग गए और मेरी गांड जोर जोर से दबा रहे थे.

मैं उनके लंड से खेल रही थी. फिर उन्होंने मुझे गोद में उठाया और सोफे पर पटक कर मेरी चूत का रस पीने में लग गए.

मैंने कहा- मुझे भी कुछ चाहिए मेरा भी ख्याल रखो. फिर हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए.

चाचा मेरी चूत चाटने में लगे थे जिसे उन्होंने अपनी उंगलियों सी पूरी फैला रखी थी और मैं उनका लंड चूसने में लगी थी.

दस मिनट चूसने चाटने के बाद उन्होंने मेरी चूत में अपना लंड डाला और घर में कोई न होने की वजह से मैं जोर से 'आआह आआह और जोर से और जोर कसके चोदो ...' चिल्लाने में लगी थी.

चाचा फुल स्पीड में मुझे चोदने में लगे थे.

फिर वो 10 मिनट बाद उठे और अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर तक घुसा दिया. अब मैं लंड चूसने में एक्सपर्ट हो गई थी, चाची की तरह अब मैं चाचा का लंड आखिरी इंच तक अपने मुँह में घुसा लेती थी. चाचा को मजा आ जाता था.

मैंने इतना डीप ब्लोजॉब दिया कि उनका पूरा लंड अपने थूक से भिगो दिया. फिर उन्होंने कुशन मेरी गांड के नीचे लगाया और मेरी गांड के छेद पर थूक लगाया और लंड एक झटके में मेरी गांड में पूरा घुसा दिया.

पिछले 3 साल में मैंने लंड अपनी गांड में इतनी बार लिया था कि मेरी चूत से ढीली मेरी गांड हो गई थी. चाचा पीरियड में मेरी गांड ही मारते थे और बाकी टाइम तो मैं खुद ही लंड गांड में डाल लेती थी.

अब चाचा मेरी गांड मारने में लगे हुए थे, एक हाथ से चूत में उंगलियां और दूसरे से मम्मे मसलने में लगे थे. चुदाई का ये सेशन खत्म होने के बाद चाचा और मैं फ्रेश होने चले गए.

फिर वो किसी काम से बाहर चले गए.

शाम को मैं खाना बनाने लगी. मैंने चाची नाइट गाउन पहना और ब्रा पैंटी की तो जरूरत वैसे भी नहीं थी.

आधा खाना बन चुका था, तब तक चाचा आ गए. वो सीधे किचन में आए और मुझे किस करके पूछने लगे- आज क्या बनाया है?

मैंने बताया- पनीर की सब्जी है ग्रेवी के साथ ... और मिक्स वेज. ये दोनों उनके फेवरेट थे तो खुश होकर बोले- क्या बात है आज तो पार्टी चल रही है.

उन्होंने मेरा गाउन उठाया और मेरी गांड में अपनी दो उंगली डाल कर ऊपर उठाने लगे, जिससे मेरी गांड का छेद बिल्कुल खुला जा रहा था. मैंने कहा- पार्टी तो आपकी भी चल रही है, मेरी चूत और गांड से हाथ ही कहां हट रहा है आपका?

मैं ये बोल रही थी और वो मेरी गांड में उंगलियां अन्दर बाहर करने में लगे हुए थे. मैं रोटियां बना रही थी.

मैंने उनसे कहा- देखें तो लंड बाबू को ... रात भर टिक पाएंगे कि नहीं. चाचा ने सेक्स की टैबलेट निकाल कर किचन टॉप पर रख दी और अपनी पैंट खोल कर लंड बाहर निकाल दिया.

मैंने लंड देख कर कहा- हां, अब तो लग रहा है कि आज पार्टी कुछ अच्छे से ही होगी. चाचा नीचे झुके और मुझे आगे की तरफ झुका कर मेरी गांड चाटने लगे.

एक मिनट बाद वो खड़े हुए और लंड मेरी गांड में घुसा दिया. मैं रोटी बना रही थी और वो मुझे चोदने में लगे थे.

इससे अच्छा खाना क्या ही बन सकता था. मेरी रोटियां बन गईं तो मैंने चाचा लंड गांड से निकाल कर अपनी चूत में डाल लिया और चाचा को किस करने लगी.

कुछ 15 मिनट बाद मैं उनका सारा लंड रस पी गई.

फिर हम दोनों ने खाना खाया और मैं चाचा के रूम में चली गई.

चाचा नीचे ही थे क्योंकि वो दारू लाना भूल गए थे तो उन्हें जाना था. वो दारू लेकर वापस आए, घर लॉक किया और रूम में आ गए.

मैं उनका इंतजार कर रही थी. मैं उनके बेड पर लॉन्जरी पहने लेटी हुई थी, उस लॉन्जरी से मेरी चूत भी बाहर थी और मम्मे भी, बस नाम के कपड़े थे, थी मैं पूरी नंगी ही.

चाचा मेरा पास खड़े होकर पैग बनाने लगे. मैं उन्हें नंगा कर रही थी.

चाचा ने एक पैग अपना बनाया और एक मेरे लिए भी क्योंकि मैं चाची से छुप कर कभी कभी चाचा के साथ पैग मार लेती थी.

हम दोनों ने एक एक पैग मारा. फिर चाचा मेरी चूत से खेलने लगे और मैं उनके लंड से.

हम दोनों ने 3-3 पैग ले लिए. इसके बाद मुझे नशा होने लगा और चाचा को भी मस्ती चढ़ने लगी. चाचा मेरी चूत में घपाघप उंगलियां घुसा रहे थे, इस वजह से चूत पूरी गीली हो चुकी थी.

वो मेरी चूत से उंगलियां निकाल कर मेरे मुँह में रख देते और फिर से चूत रगड़ने लगते. फिर शुरू हुआ हमारा चुदाई का कार्यक्रम. हम दोनों रात भर नहीं सोए.

चाचा ने गोली खाकर मुझे कई बार झाड़ कर चोदा.

फिर अगले दिन दोपहर में हम दोनों उठे, नहा धो कर खाना खाया. अगले 4 दिन दिन तक ऐसे ही दिन रात चुदाई चलती रही.

फिर चाची आ गईं. चाची के आ जाने के बाद भी हम दोनों का 4 दिन चुदाई का चस्का उतर नहीं रहा था.

मैंने चाचा से कहा- मैं घर में ज्यादातर छोटी वाली स्कर्ट पहना करूंगी और आप अपना हाफ वाला लोअर पहना करना या फिर सिर्फ टॉवल. हमारी Xxx फॅमिली में खुली चुदाई की कहानी सैट हो गई.

जब हम पहली बार ऐसे करने जा रहे थे, तो ब्रैजर मूवी की कहानी को तरह लग रहा था. चाची अपने पार्लर से वापस आतीं, तो वो अपने कमरे में फ्रेश होने और चेंज करने चली जातीं, उसी समय चाचा मेरी स्कर्ट उठाते और टॉवल से अपना लंड निकाल के शुरू हो जाते.

जैसे ही चाची की पायल की आवाज आती, चाचा का लंड टॉवल के अन्दर और मेरी स्कर्ट नीचे हो जाती. हम दोनों को ऐसे करने में बहुत मजा आने लगा.

चाची फ्रेश होने के बाद चाय पीती थीं और टीवी पर न्यूज देखती थीं. उस वक्त चाची जैसे ही ड्राइंग रूम में टीवी ऑन करती थीं जो कि किचन से थोड़ा राइट में था सामने की तरफ़, मैं चाय बनाने किचन में आ जाती, चाचा पीछे से आ जाते.

और फिर वही खेल शुरू हो जाता. कभी वो स्कर्ट उठा डायरेक्ट शुरू जाते, तो जमीन में बैठ कर मेरी टांगों में घुसकर मेरी चूत चाटने लगते.

चाची को चाय देने के बाद मैं उन्हें पढ़ाई का बोलकर रूम में चली जाती. चाचा अपना काम बताकर अपने रूम में जाने का बहाना कर देते.

फिर आधी सीढ़ियां चढ़ने के बाद दूसरी तरफ की सीढ़ियां जहां से शुरू होती थीं, वहीं पर चाचा अपने नाग देवता को मेरी गहरी गुफा में भेज देते. रोज चुदाई ऐसे ही होती थी.

दोस्तो, चाचा के लंड से चुदने में मेरा मन कभी भी नहीं अघाता था. बस ऐसा लगता था कि हर वक्त अपने चाचा का लंड अपनी चूत या गांड में लिए ही घूमती रहूँ. मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगा कि दुनिया में चाचा के अलावा और भी मर्द हैं और उनके पास भी लंड हैं.

चाची के आने बाद उनके बच्चे कभी अपने रूम से ही नहीं निकलते थे. रात को मैं चाचा को बोल देती थी कि वो अपना रूम बंद न करें.

रोज चाचा चाची को लाइव चुदाई देखने का मजा ही कुछ और था. फिर चाची के सो जाने के बाद मैं उनके रूम में जाती और चाचा का लंड अपने मुँह में भर लेती.

चाचा मुझे चाची के पास में ही रोज चोदते थे. अब हमने गेस्ट रूम में जाना बंद कर दिया था क्योंकि चाची के पास में चुदाई करने में एडवेंचर लगता था.

पर मुझे अपनी 'आहह उह ...' पर कंट्रोल करना पड़ता था. कई बार मैंने अपनी चूत चुदवाते हुए चाची के मम्मे भी पिए, चाची को लगता था कि चाचा चूस रहे हैं.

चाची की चूत इतनी चुदने के बाद भी एकदम नई लगती थी, बहुत मेंटेन करके रखती थीं. कभी कोई बाल नहीं और एकदम मुलायम चूत देख कर मुझे अपनी चाची की चूत से मुहब्बत सी हो गई थी.

मैंने चाचा से कहा- मुझे चाची की चूत चाटनी है. पहले तो चाचा ने मना किया, पर बाद में वो मान गए.

फिर एक दिन मैंने और चाचा ने प्लान बनाया कि चाची को नींद की दवा देकर चाची के मजे लिए जाएं. क्योंकि मुझे चाची की चूत पीना थी. ये बात चाचा समझ रहे थे.

अब चाची को कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर चाचा ने 3 गोलियां खिला दीं. मैंने पूछा- कुछ होगा तो नहीं इतनी सारी गोली से?

चाचा बोले- कुछ नहीं होगा, हां पर 3 गोलियों से अब ये जागेगी नहीं. चाची 11 बजे सोने चली गईं.

चाचा मेरे रूम में एक बजे आए.

वो पूरे नंगे थे. मैं भी नंगी लेटी उनका इंतजार कर रही थी.

वो बोले- चलो. मैं झट से उठी और उनके साथ उनके रूम में चली गई.

चाची रोज की तरह ही नंगी सो रही थीं, शायद चाचा चाची के सोने पहले एक राउंड लगा चुके होंगे.

मैंने पूछा- एक राउंड लग चुका है क्या? चाचा बोले- बिना चूत में लिए इसे नींद कहां आती है.

मैं मुस्कुरा दी. वो बोले- पी लो आज अपनी चाची की चूत, जितनी पीनी है और हो सकता है अन्दर तुम्हें तुम्हारी फेवरेट मलाई भी मिल जाए.

मैं चाची के चेहरे के पास गई, उन्हें थोड़ा हिलाया, पर उन्होंने बिल्कुल रिस्पॉन्स नहीं दिया. मेरी चाची बला की खूबसूरत हैं. मेरा लड़की होकर उन्हें देखकर मन मचल जाता है ... और चुदने में तो वो एक्सपर्ट रांड जैसी हैं.

चाचा उन्हें हर तरह से चोदते हैं, जैसे कि अब वो मुझे हर तरह से चोदते हैं. मैंने चाची के हाथ पर किस किया और जीभ उनके होंठों पर चलाई.

फिर मैंने चाची के दोनों दूध पकड़ कर धीरे धीरे दबाने शुरू किए और उनके मम्मे पीने लगी. चाचा पीछे से मेरी चूत चाटने में लगे हुए थे. फिर थोड़ी बाद मैं बेड पर गई और चाची की दोनों टांगें खोल कर उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया.

आह क्या मादक खुशबू थी. उनकी चूत बहुत अच्छी महक रही थी.

मैं चाची की चूत पूरी फैलाकर चाट रही थी, पीछे से चाचा ने मेरी गांड में लंड डाल दिया था और वो मुझे चोदने में लगे थे. फिर कुछ देर चूत चाटने के बाद में उनकी चूत में उंगलियां करने लगी.

मेरी उंगलियां पतली होने की वजह से उनकी चूत मेरी 3 उंगलियां आराम से अन्दर बाहर जा रही थीं. उनकी चूत गीली होने लगी.

मैं फिर मुँह लगा कर उनकी चूत चाटने लगी.

चाचा मेरी गांड के पूरे मजे ले रहे थे, जैसा कि वो हमेशा करते हैं. फिर थोड़ी देर में ही मेरा मन उनकी चूत चाट कर भर गया.

मैंने कहा- बस चाचा इतना ही करना था. वो बोले- पहले तो बड़ी मचल रही थी, अब इतनी जल्दी हो गया.

मैंने कहा- चाची बहुत सुंदर हैं, तो मुझे लगा उनके साथ ये सब करने में बहुत मजा आएगा, पर ज्यादा नहीं आ रहा. फिर चाचा ने मुझे उठाकर अपनी गोद में बिठाया और चोदने लगे.

मेरे मम्मे अब काफी बड़े हो चुके थे तो चाचा उनसे भी खूब खेलते थे और पीते थे. उस रात उन्होंने मुझे घर के हर कोने में ले जाकर चोदा. उन्हें ऐसा करना बहुत अच्छा लगता था.

Xxx मस्त सेक्स करते हुए टाइम ऐसे ही बीत रहा था. फिर गर्मियां खत्म होकर सर्दियां आ गईं. हमारा टॉवल और स्कर्ट वाला फॉर्मूला नहीं चलना था.

अब हम नए नए तरीके ढूंढने लगे. सर्दियों की वजह से जब भी कोई बैठता था, तो अपने ऊपर कम्बल डाल लेता था. हम दोनों ने कम्बल का फायदा उठाना शुरू कर दिया.

टीवी देखते हुए मैं चाचा के पास बैठ जाती थी और उनके पास बैठने से पहले मैं पैंटी निकाल कर सिर्फ लोअर पहन लेती थी. जैसे ही मैं कम्बल में बैठती थी तो अपना लोअर नीचे खिसका देती थी.

कम्बल में होने की वजह से बाहर से किसी को पता नहीं चलता था कि अन्दर मैं नंगी बैठी हूँ. चाचा मेरी चूत से आराम से अपने हाथ गर्म करते थे, पर चुदाई के मौके बहुत कम मिल पाते थे.

या तो रात को मैं चुपके चाचा की रजाई में घुस जाती थी ... या चाची के पार्लर जाने के बाद चाचा के साथ बाथरूम में घुस कर चूत रगड़वा लेती थी.

रजाई में चुदने में चाचा अपनी सारी मलाई मेरी चूत में ही डाल देते थे. मैंने भी ध्यान नहीं दिया और चाचा ने भी नहीं, मेरे 4 पीरियड मिस हो गए.

मैंने चाचा को बताया, वो टेस्ट स्ट्रिप लेकर आए. मैंने चैक किया तो मैं प्रेगनेंट हो गई थी. फिर चाचा किसी लेडी डॉक्टर से कॉन्टैक्ट करके कुछ दवाइयां लेकर आए.

उस लेडी डॉक्टर ने कहा- आप लड़की को ले आइए, फिर मैं दवा बताती हूँ कि काफी होंगी या नहीं. उन्होंने कुछ टेस्ट करवाए और बताया कि बच्चा तो गिर जाएगा मगर इस स्टेज तक बच्चा आ चुका है कि कुछ हार्मोनल चेंज आएंगे, तो तैयार रहिएगा.

मैंने कहा- ठीक है. फिर हम दोनों घर आ गए और डॉक्टर की बात सुनकर रिलीफ भी मिल गया.

मैं अगले दिन से फिर रात में चाचा के लंड के नीचे. एक हफ्ते बाद जब चाचा मुझे जोरों से चोदने में लगे थे, मेरे मम्मे मसल रहे थे और दबा रहे थे, तो उससे दूध आने लगा.

मैंने पूछा कि चाचा डॉक्टर ने तो कहा था बच्चा गिर जाएगा, फिर दूध क्यों आ रहा है? वो बोले- डॉक्टर ने बोला था हार्मोनल चेंज आएंगे, शायद उस वजह से हो रहा होगा. कल हम डॉक्टर से पूछ लेंगे.

ये कहकर उन्होंने मम्मे में मुँह लगा दिया और जोर जोर से चूसने लगे. चाचा मेरे एक मम्मे से दूध पीने में लगे थे और दूसरे को दबा दबा कर उसे निचोड़ रहे थे.

उसका दूध उनके सीने पे पिचकारी मार रहा था.

अब चाचा को जैसे ही मौका मिलता वो मेरी चूची निकाल कर चूस लेते. उन्हें मेरा दूध पीने में बहुत मजा आने लगा था.

अब वो मुझे चोदते हुए आधे टाइम तो दूध ही पीते रहते थे और मुझसे कहते- तुम्हारा दूध बहुत मीठा है. तो मैं उनसे कहती- तो आप सारा दूध पी लीजिए.

ऐसे ही मेरी चूत और गांड की चुदाई चलती रही.

एक दिन मेरी मम्मी मुझसे मिलने आईं. अक्सर वही आती थीं, पापा नहीं आते थे.

वो वही सब सवाल पूछती थीं- तुमको अच्छा तो लगता है ... यहां कोई दिक्कत तो नहीं, पढ़ाई बढ़ाई सही हो रही है या नहीं. मतलब वही सब फिजूल की बातें. मैं भी उन्हें बता देती कि सब अच्छा है, आप टेंशन मत लो.

जिस दिन मम्मी उस दिन चाची अपने पार्लर नहीं गई और चाचा तो वैसे भी अपनी मर्जी से जाते थे, वर्ना नहीं जाते थे. मैं भी स्कूल नहीं गई बाकी बच्चे स्कूल चले गए थे.

घर पर हम चार ही लोग थे. मम्मी चाची ड्राइंग रूम में बैठ कर बात करने लगीं.

मैं दोनों के लिए चाय बनाने किचन में आ गई. चाचा किचन में पहले से ही थे क्योंकि उन्हें पता था कि मैं अभी आऊंगी.

उनका हाथ मेरी सलवार में गया और उनकी उंगलियां मेरी गांड के छेद में!

जब गांड में उंगलियां डाल कर ऊपर की तरफ करते हैं और मेरी गांड की गुफा पूरी खुल जाती है, तो कसम से बड़ा मजा आता है. वो उंगलियों से मेरी गांड चोद रहे थे, मैंने जल्दी से चाय चढ़ा दी और उनका लोअर नीचे करके उनका लंड मुँह में भर लिया.

बाहर से चाची की आवाज आई- बेटू चाय बन गई क्या? मैंने लंड मुँह से निकाल कर कहा- बस चाची अभी चढ़ाई है, आप बातें करो. मैं 5 मिनट में लेकर आई.

मैंने जल्दी से चाचा के लंड को डीप थ्रोट ब्लोजॉब दिया ताकि वो पूरा गीला हो जाए और सलवार खोल कर जल्दी से अपनी गांड में लंड डलवा लिया जाए. चाचा ने लंड गीला होते ही मेरी गांड में ठांस दिया और मौके की नजाकत को देख कर शुरू से ही फुल स्पीड में लग गए.

मैंने अपना कुर्ता ऊपर कर दिया ताकि चाचा जब चूचे दबाएं तो दूध मेरी ब्रा में न लगे. उन्हें इतनी जल्दी में भी मजे सूझ रहे थे. मेरे मम्मे दबा कर कप में मेरा दूध निकालने लगे.

मैं अपनी गांड आगे पीछे करके उनके लंड के मजे ले रही थी. जब आधा कप दूध निकल आया तो उन्होंने वो चाय में डाल दिया और मुझसे कान में बोले- तुम्हारी मम्मी और चाची भी आज तुम्हारे दूध का स्वाद चख लेंगी. हम तो तुम्हारी चूत और दूध का स्वाद रोज ही चखते हैं.

मैंने चाचा से कहा- अच्छा आप जल्दी से मलाई निकालिए, मुझे चाय देने जाना है.

वो बोले- जाओ चाय दे आओ, मैं यही इंतजार कर रहा हूँ. कोई पूछे तो कह देना टॉयलेट जा रहे हैं. मैं जल्दी से चाय देकर आई लंड वापस अपनी गांड में घुसा लिया और चाचा ने उंगलियां मेरी चूत में डाल दीं. वो जोर जोर से मुझे चोदने लगे.

मुझे उनका चूत में झड़ना बहुत अच्छा लगता है, वो गर्म फीलिंग मजा देती है. इसलिए मैंने गांड से निकाल कर चाचा का लंड अपनी चूत में डाल लिया. अब वो किचन टॉप पर बिठा कर मुझे चोद रहे थे.

पीछे मम्मी चाची बैठी चाय पी रही थीं. मैं उनके कान में धीरे धीरे कह रही थी- चाचा जी, जोर से और जोर से चोदो.

वो मेरी चूत में ही झड़ गए. इससे आगे की घटनाएँ किसी और दिन! तब तक के बाय.

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