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Click hereमेरा नाम अविनाश है और मैं सोनीपत हरियाणा में रहता हूं. मेरी उम्र 20 साल की है.
बात 2018 की है जब मैं पटियाला में पढ़ता था. मैं उस समय दूसरे ईयर की पढ़ाई कर रहा था और उस समय तक मेरी एक ही गर्लफ्रेंड बनी थी.
बाद में कुछ कारणों से मैं उससे अलग हो गया था. उससे अलग हुए मुझे 4 साल हो गए थे.
अगस्त 2018 में ऐसे ही एक दिन मैं इंस्टाग्राम चला रहा था तो एक मोटिवेशनल पेज के ओनर ने मुझे फॉलो किया और मैसेज भेजा.
'हैलो अविनाश ...' 'हैलो आप कौन?'
'मैं शैली, तुम्हारी जूनियर थी नौवीं और दसवीं में.' 'मुझे याद नहीं आप कौन हैं.'
उसने फिर मुझे बताया कि वो मुझे कैसे जानती है और अचानक से मुझे याद आया कि ये मेरी एक बेस्ट फ्रेंड की किसी गर्लफ्रेंड की छोटी बहन है.
मैं शैली से सिर्फ एक बार ही मिला था, वो भी स्कूल में वार्षिक उत्सव के दिन. तब इसने मेरे पास वाले डेस्क पर मॉडल रखा था, बस तभी मैं पहली बार शैली से मिला था.
मैसेज रात को आया था तो मैं हॉस्टल में फ्री था.
उससे बात करने पर पता लगा कि वो चंडीगढ़ में पढ़ती है और हॉस्टल में ही रहती है.
धीरे धीरे हमारी बातें बढ़ने लगीं. हमारी दोस्ती पक्की होती जा रही थी.
हम मिलने लगे थे, कभी वो मुझसे मिलने आ जाती, कभी मैं उससे मिलने चला जाता. कुछ ही दिन में हम बेस्ट फ्रेंड बन गए थे.
एक दिन उसका फोन तब आया, जब मैं घर जाने की तैयारी कर रहा था. उसने कहा कि घर किस तरफ से होकर जाना है?
तो मैंने उसे बताया कि अम्बाला से ट्रेन पकड़ कर जाना है. उसने कहा- फिर मैं भी तुम्हारे साथ ट्रेन में ही चल रही हूँ.
अब क्योंकि हम एक ही जगह सोनीपत हरियाणा से थे, तो अम्बाला से सीधी ट्रेन जाती है. मैं दस बजे अम्बाला पहुंच गया और शैली भी 10-15 मिनट में आ गई.
वैसे वो जीन्स टॉप पहनती है पर 4 महीने की दोस्ती में पहली बार मैंने उसे सूट में देखा था. उसने काले रंग का सूट पहन रखा था. लाल रंग का दुपट्टा और खुले बाल रखे थे. माथे पर एक बिल्कुल छोटी सी बिंदी लगाई हुई थी.
वो सही में कमाल लग रही थी. मैंने आते ही सबसे पहले उसकी तारीफ की- आज तो खतरनाक लग रही है, किसी को मारने का इरादा है क्या?
हम दोनों हर टाइप की बातें कर लेते थे, पर उसका जवाब मेरे लिए नया था- तुझे ही मारने का प्लान है, क्यों मैं कामयाब हो गई क्या?
मैं कुछ देर चुप खड़ा रहा और कुछ सोच कर कहा- दिल पर तो वार कर दिया, अब आगे क्या इरादा है? "मेरे पेट पर वार हो रहा है, चूहे दौड़ रहे हैं पेट में, चल कुछ खाने चलते हैं यार!"
हम खाने निकले, तो स्टेशन के बाहर काफ़ी ढाबे थे. पर लड़की के बैठने लायक जगह नहीं थी. सन नोनवेज़ से थे. मैंने ऑटो वाले से कहा कि कोई अच्छी सी जगह ले चलो, खाना खाने जाना है.
उसने एक रेस्टोरेंट के आगे उतारा और कहा कि सर यह अच्छा है और दाम भी ठीक हैं. आप इधर आराम से खाना खा लोगे. वहीं उतर कर हम दोनों अन्दर आ गए और खाना खाने लगे.
खाना खाकर यहां-वहां की बातें करने लगे. तभी हमने टाइम देखा तो ट्रेन आने में 15 मिनट बाकी थे. हम वहां से बिल देकर बाहर निकले और जल्दी ऑटो लिया.
जब तक स्टेशन पहुंचे, ट्रेन जा चुकी थी.
फिर हमने बस से जाने का सोचा.
बस अड्डे पर पहुंचे तो 15 मिनट बाद बस आ गई. हम दोनों बस में बैठ गए.
वो पता नहीं मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर कंधे पर सिर रख कर लेट सी गई. हमारे बीच ऐसा पहली बार हुआ था. मैंने सोचा कोई नहीं, जैसा है चलने दो.
वो कुछ देर बाद सो गई और मैंने उसे सोनीपत आने पर ही उठाया.
ना ना ... अभी बीच में जो हुआ, वो भी सुनिए.
अचानक नींद में या पता नहीं जानबूझ कर उसका हाथ मेरे लंड पर चला गया. कोई 20-25 मिनट तक उसका हाथ वहीं लगा रहा था.
मैंने शक किया पर उसका हाथ हिला ही नहीं. यानि उसने कुछ हरकत नहीं की, ना लंड छूने की, ना कुछ. तो मैंने सोचा कि ये सब नॉर्मल हुआ होगा, नींद में हाथ चला गया होगा.
पर मेरे लंड को कहां चैन आता. आखिर आए भी क्यों, एक तो वो आज वैसे ही इतनी खतरनाक लग रही थी. मैं क्या, मेरी जगह कोई भी होता उसका भी ईमान डोल जाता.
सोनीपत पहुंच कर हमने ऑटो लिया. पहले मैंने उसे छोड़ा, फिर जैसे ही वो जाने लगी तो उसने कहा- अवी, यार वापसी जाना हो, तो छुट्टी खत्म होने से कुछ दिन पहले चलना ... हम दोनों और मेरी सहेली ईशा चंडीगढ़ घूमेंगे. मैंने कहा- ठीक है.
मैं घर पर ज्यादा फोन नहीं चलाता तो मेरी उससे बात नहीं हो पाई.
जाते टाइम भी हम बस में ही थे.
तब भी वो सूट में ही आयी थी. इस बार उसने पीला सूट पहन रखा था और बाल खुले थे. आंखों में काजल लगा रखा था और माथे पर वैसी ही छोटी बिंदी.
मैंने इस बार उसकी तारीफ नहीं की, बस उसके साथ खड़ा होकर बस का इंतजार करने लगा.
बस में बैठ कर उसने मुझसे पूछा- तुम कुछ भूल नहीं रहे? "नहीं, मैं सब ले आया, क्यों क्या भूल रहा हूं?"
उसका मुँह गुस्से से लाल होना शुरू हो गया.
उसने मुँह फेर लिया और खिड़की से बाहर देखने लगी.
बस चल पड़ी और शहर से बाहर आते ही मैं उसके कान में बोला- एकदम मस्त माल लग रही है, दिल पर छुरियाँ चला दीं.
वो अभी भी खिड़की से बाहर देख रही थी पर इस बार गुस्सा नहीं कर रही थी ... मुस्कुरा रही थी.
मैंने फिर थोड़ी देर बाद उसके कान में बोला- सच बताऊं, मारियो मत! वो चुप रही तो मैंने बोल ही दिया- अभी अगर बस में कोई ना होता तो शायद हम दोनों कुछ और कर रहे होते और मेरे हाथ में तेरे ... इतना कहने पर ही उसने मुझको कोहनी मार दी.
मैं फिर आगे कुछ नहीं बोला.
वो धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी. ये मुझे साफ़ समझ आ रहा था कि बंदी मस्त होने लगी है.
मैंने उससे कोई 10 मिनट बाद धीरे से उसके कान में पूछा- वैसे मेरी तारीफ इतनी क्यों मायने रखती है? वो एक बार के लिए चुप हो गई फिर थोड़ा डरती हुई सी बोली- त...त..तुमने पिछली बार की थी, तो मैंने सोचा कि इस बार भी करोगे, तो कोई मायने वगैरह नहीं रखती ... हां एक दोस्त के तौर पर मायने रखती है, बस ज्यादा कुछ नहीं.
मैंने कहा- मैंने तो कुछ कहा ही नहीं कि किस तौर पर मायने रखती है? वो फिर सी थोड़ी सहम गई और बोली- फिर भी मैंने बता दिया तुम्हें, कहीं कुछ ग़लत ना समझ लो.
मैंने आगे इस बारे में बात करना ठीक नहीं समझा और चुप हो गया. सोनीपत से चलने के कोई 4 घंटे बाद चंडीगढ़ उतर गए.
हम दोनों के बस से उतरते ही उसने मुझे ईशा से मिलवाया, जो बस स्टैंड पर हमारा इंतजार कर रही थी. वो भी पूरी कयामत लग रही थी.
उसे देखते ही मन किया कि इसे तो अभी निचोड़ डालूं. उसका शरीर एक नंबर था. चूचे 32 साइज के, कमर 28 से भी कम और 34 से थोड़ा ऊपर उसकी खतरनाक उठी हुई गांड.
उसके प्यारे चेहरे से मैंने नज़र हटा कर उससे हाथ मिलाया. फिर उसने चलने को कहा.
हमने उसके पीजी पर जाकर सामान रखा और घूमने निकल गए.
हम तीनों एक रेस्टोरेंट में जाकर बैठे. वहां मैं ऑर्डर देने गया तो वो बातें करने में लग गईं.
मैं ऑर्डर करके वापस आने लगा तो मैं उनकी पीठ की तरफ था.
मुझे शैली की काले रंग की ब्रा नज़र आई. मैंने फिर सोचा कि अभी जो करने आया है, वो कर.
तभी मेरे कानों में एक बात पड़ी. ईशा कह रही थी, असल में वो फुसफुसा कर कह रही थी- माना अवि? शैली ने कहा- उन्हहूँ ... उस बारे में अभी हमारी बात ही नहीं हुई.
तभी ईशा ने मुझे देख लिया और उसने शैली को भी सतर्क कर दिया.
मेरी ईशा से बातें होने लगीं.
उसने बातों बातों में पूछा कि मेरी गर्लफ्रेंड है या नहीं? मैंने मना किया तो उसने कहा- शैली को बना ले. मैंने कहा- नहीं, मुझे सिंगल ही रहना है. वो चुप हो गई.
हम तीनों ने काफी देर बातें की, फिर घूमने चल दिए.
ऐसे ही बातें करते करते घूमते घूमते पूरा दिन निकल गया.
शाम 5 बजे हम ईशा के पीजी पर पहुंचे तो उसने कहा- तुम्हें कहीं होटल में रुकना पड़ेगा क्योंकि यहां आंटी बहुत खड़ूस है. मैंने सोचा कि मैं होटल में रुक जाता हूं. शैली ईशा के साथ पीजी में रुक जाएगी क्योंकि उसका हॉस्टल खुला नहीं था ... वो अभी 3 दिन बाद खुलना था.
फिर ईशा ने कहा- हम तीनों ही किसी होटल में रुक जाएंगे. इस पर शैली ने भी हां कर दी.
वो अन्दर जाकर हमारा सामान और अपने कपड़े ले आई और साथ ही उसने पीजी वाली आंटी को कह दिया कि वो कुछ दिन अपनी सहेली के हॉस्टल में रुकेगी. उसने आंटी की अपनी मम्मी से बात भी करवा दी. उसकी मम्मी ने भी हां कर दी.
अब हम सब निकल पड़े. हमने एक होटल में जाकर 3 लोगों वाला एक रूम बुक किया.
मैंने ईशा से कहा- तुम अपना अलग कर लो, मैं अलग में सो जाऊंगा. इस पर ईशा ने मना कर दिया और बोली कि सोना किसने है, बातें करेंगे, मूवी देखेंगे. मैंने भी ना नुकुर नहीं की और हां कर दी.
फिर एक फिल्म देख कर मैंने टाइम देखा तो 12-30 हो चुके थे. मैंने उन दोनों से कहा- तुम दोनों बैठो, मैं थोड़ी देर टैरेस पर जाकर आता हूं, ठंडी हवा चल रही होगी.
इस पर शैली बोली- मैं भी चलती हूं! पर ईशा ने कहा- मैं फ्रेश होकर आती हूं. मैंने कहा- ठीक है चलो शैली.
तभी शैली भाग कर अपने बैग में से कुछ निकाल कर लेकर आई और अपनी जेब में डाल लिया. मैं देख नहीं पाया क्या था, पर मुझे क्या था.
मैं बाहर निकला, वो फिर से बैग के पास कुछ करने गई.
मैंने कहा- तुम आ रही हो या नहीं? फिर उसने कहा- रुको बस आ गई.
जैसे ही वो आई, हम दोनों ऊपर जाने लगे.
मुझे महसूस हुआ कि शायद शैली ने अपना परफ्यूम लगाया है क्योंकि उसमें से एक मदहोश करने वाली सी महक आ रही थी. काफी अच्छा परफ्यूम था.
मैंने ऊपर टैरेस का गेट खोला तो मैं आगे छत के किनारे तक जाने लगा.
थोड़ी हवा को महसूस किया और जैसे ही पीछे मुड़ा, शैली अपने घुटनों के बल हाथ में गुलाब का फूल लिए हुए बोली- आई लव यू अवि!
मैं एकदम से हड़बड़ा गया, पर अपने आपको संभालते हुए मैंने पहले तो उसे खड़ा किया. उसने अपना चेहरा नीचे कर रखा था, मुझे देख नहीं रही थी.
मैंने उससे कहा- बैठो तुम. उसे मैंने पास पड़े एक स्टूल पर बिठाया और उसके पास बैठ गया.
उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसके चेहरे से अपनी नजर हटा ली.
मैंने उससे कहा- यार, हम अच्छे दोस्त हैं, अपनी दोस्ती को क्यों खराब कर रही हो. तुम भी जानती हो कि रिलेशन वगैरह ज्यादा दिन नहीं चलते. "यार ये तो तुम्हारे ऊपर है कि तुम मुझे कितना समझते हो. मैं तो शादी तक की बात कर रही हूं."
मैंने उससे कहा- यार वही तो पंगा है. मेरे घर वालों को मैं जानता हूं, वो शादी के लिए नहीं मानेंगे ... और तो और पापा को पता लगा, तो उनका गुस्सा ऐसा है कि वो मुझे घर से भी निकाल देंगे. मैं मानता हूं कि मैं अपने मां बाप का इकलौता हूं, पर इस बात के लिए वो कभी राजी नहीं होंगे.
मैंने बस नीचे देखते हुए इतना सब कुछ बोल दिया था पर जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा, वो रो रही थी.
मैंने उसके कंधे पकड़े और उसे हिलाया, चुप कराने की कोशिश की. पर वो चुप नहीं हुई तो मैं उसके सामने अपने घुटनों पर बैठ गया ताकि उसके चेहरे के सामने होकर उसे समझा सकूं.
मैं नीचे बैठा तो वो अचानक से खड़ी हो गई. मैं भी उसके साथ ही उठ खड़ा हुआ.
वो मुझसे हाइट में थोड़ी ही छोटी थी तो मेरे सामने आ गई.
मैंने उससे कहा- शैली चुप, प्लीज चुप हो जाओ. यही बात 3-4 बार कहने पर भी वो रोती रही.
फिर मैंने उसे गले लगा लिया. वो मेरे सीने से लग गई और काफी देर बाद शांत हुई.
मैंने उसे अब अपने से अलग किया और देखा, तो उसकी आंखों से अभी भी पानी आ रहा था. मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा और कहा- चुप हो जा यार!
वो चुप तो नहीं हुई पर मुझे अचानक ना जाने क्या हुआ ... मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे किस कर दी. मैंने उसे एक छोटी सी ही किस की थी, मगर उसके होंठों से अलग होते ही मैंने उसे दुबारा किस की.
इस बार किस नहीं, हमारे बीच स्मूच शुरू हो गई थी और उसके हाथ भी मेरे चेहरे पर आ गए थे. मेरे हाथ उसकी कमर पर चले गए.
उसकी और मेरी दोनों की आंखें बंद होने लगीं और उसके बाद क्या हुआ, मुझे कुछ याद नहीं. बस मुझे मेरे कंधे पर किसी के हाथ लगा कर हिलाने की बात याद है.
मुझे कुछ समझ आया तो पता लगा कि मेरे कंधे को कोई हिला रहा है. मेरी आंखें खुलीं तो मुझे समझ आया कि पीछे से मेरा कंधा कोई हिला रहा है.
तभी आवाज़ समझ आई तो पता लगा ईशा कह रही थी- बस करो हब्शी लोगों ... खा जाना है क्या एक दूसरे को?
उसकी बात सुन कर हम अलग हुए और मैंने महसूस किया कि ना शैली मुझसे नज़रें मिला रही थी और ना मैं उससे मिला पा रहा था. तभी ईशा फिर से बोली- तुम दोनों कितनी देर से किस कर रहे हो, कुछ याद है?
कुछ देर बाद शैली ने जवाब दिया- अरे ऐसे ही हो गई थी फर्स्ट किस ... छोटी सी, मैंने उसे प्रोपोज किया था और इसने मना किया. मैं रोने लग गई तो अवि मुझे समझा रहा था और एक छोटी सी किस कर दी.
ईशा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा- क्यों कुछ आइडिया है अवि कि कितनी देर तक किस की होगी? मैंने भी शैली वाली बात में हां मिलाते हुए कहा- अरे यही कोई 10 सेकंड हुआ होगा. शैली सही कह रही है.
तभी ईशा ने कहा- यार ऐसा क्या समझा रहे थे कि मैं आई, उसका भी तुम लोगों को पता नहीं लगा. और तुम शैली को ऐसा क्या समझा रहे थे कि किस कितनी देर की हुई है, ये भी नहीं पता चला.
वो ये कह कर एक पल के लिए रुकी और दुबारा से शुरू हो गई- कोई बात नहीं, तुम्हें नहीं पता, मगर मुझे सब पता है ... और मेरे पास सबूत भी रेडी है.
मैं नीचे ही देख रहा था कि शैली की सबूत वाली बात सुनकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.
मैंने उसकी तरफ देखा और तभी वो बोली- मैं आई, तब तुम किस कर रहे थे, मैंने वीडियो बनाने की सोची और बनाई भी. तुम लोगों ने कोई 14 मिनट तक किस की है, ये देखो मेरे पास वीडियो सबूत है.
मैं और शैली दोनों एक दूसरे को देखने लगे. हम डरे भी हुए थे और शर्मा भी रहे थे.
मैंने ईशा को वीडियो डिलीट करने के लिए उसकी तरफ देखा ही था कि ईशा ने कहा- अवि डरो मत, मैं वीडियो डिलीट कर दूंगी, पर एक शर्त पर. तुम्हें शैली को हां करनी होगी.
मैंने कुछ देर सोच कर कहा- इतना कुछ होने के बाद मैं शैली को मना कर भी नहीं सकता.
शायद मेरे कहने की ही देर थी कि शैली मेरी तरफ आ गई और मुझे कसके अपने सीने से लगा लिया. अब हम तीनों नीचे आ गए और रूम में जाकर बैठ गए.
शैली मुझसे चिपक कर मेरा हाथ अपने हाथों में लेकर बैठ गई. हम बातें करने लगे.
टाइम काफी हो गया था. रात के 2 बजने के करीब थे.
शैली को नींद आने लगी थी. उसने कहा, तो मैंने भी कहा- नींद तो मुझे भी आ रही है.
ईशा ने मुझे छेड़ते हुए कहा- मुझे लगता है कि सोफे पर सोना पड़ेगा क्योंकि यहां तो तुम बेड हिला हिला कर मुझे परेशान कर दोगे और शैली की तो आवाजें भी बहुत निकलने वाली हैं. मैंने कहा- हम ऐसा कुछ नहीं करने वाले, तू टैंशन न ले. तुम दोनों बेड पर सो जाओ, मैं सोफे पर सोने जा रहा हूं.
शैली की आंखों में देख कर लगा कि वो चाहती तो थी साथ में सोना, पर मेरे मना करने के कारण आगे कुछ नहीं कह पाई.
रात काफ़ी हो गई थी, हम सोने लगे और जल्द ही नींद भी आ गई.
सुबह मुझे शैली ने जगाया और सोफे पर बैठ कर खुद मेरा सर अपनी गोद में रख दिया.
मैंने फोन में टाइम देखा तो 5 बजे हुए थे. सुबह का थोड़ा अंधेरा था तो मैंने शैली को दिल की बात कहने की सोची.
मैंने शैली से कहा- शैली यार देखो, मैंने हां कर दी है और मैं घर वालों को मनाने की अपनी पूरी कोशिश भी करूंगा. बस तुम्हें थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा ताकि मैं अपनी लाइफ में कुछ हासिल कर सकूं और तुम्हें अपनी बना कर घर ले जा सकूं.
शैली मेरे बालों में हाथ फेर रही थी और वो मुस्कुराने लगी थी- मुझे पता है अवि, तुम साथ कभी नहीं छोड़ोगे, तभी मुझे तुमसे प्यार हो गया है. ऊपर से तुम हो भी क्यूट! मैंने छेड़ते हुए कहा- अच्छा मैं क्यूट हूं. "हां बहुत क्यूट हो, मेरा मन कर रहा कि तुम्हें खा जाऊं." मैंने मुँह खोला ही था- कै...स ...
तभी शैली ने मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिए और मेरे होंठों को अपने दांतों से काटती हुई अलग हो गई. मेरी सिसकारी निकल गई- आह. 'ऐसे.' मैंने मुस्कुराते हुए कहा- बस इतना ही!
मेरी बात पूरी होने से पहले शैली ने मेरे कॉलर को पकड़ कर मुझे अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया और हम एक दूसरे में लीन हो गए. वो जबरदस्त तरीके से मेरे होंठों को चूम रही थी. मुझे मजा आ रहा था.
मैंने भी उसे खुश करने की सोची और अपने होंठों को बिना अलग किए हल्का सा खड़ा होकर उसके साइड में आते हुए उसे अपनी गोद में बैठा लिया.
अब मैं अपने दोनों हाथ उसकी गर्दन पर रख कर उसे अपने होंठों से अलग होने का एक भी मौका नहीं दे रहा था, उसका सिर पकड़ कर अपने होंठों के अन्दर घुसा रहा था और अन्दर ही अन्दर उसके होंठों का एक एक करके मुआयना सा कर रहा था.
पहले ऊपर वाले होंठ को धीरे धीरे चूम कर ... फिर धीरे धीरे उसे चूसते हुए अलग न होते हुए ही नीचे वाले होंठ को अपने होंठों की गिरफ्त में ले रहा था. अपनी जीभ उसके होंठों पर फेरते हुए मैं उसे किस कर रहा था और हम एक दूसरे में खो चुके थे.
उसके होंठों का रसास्वादन करते हुए मुझे दस मिनट से भी ज्यादा समय हो गया था. मैं किस करते हुए होश खोने लगा था कि तभी मेरे हाथ उसकी पीठ पर चलने लगे.
उसके हाथ पहले ही मेरे सिर को पकड़े हुए थे. मेरे हाथों का स्पर्श अपनी पीठ पर पाकर उसकी सांसें तेज होने लगीं और मेरी गोद में होने के कारण उसकी छाती लगभग मेरे मुँह के सामने आ रही थी.
मैं अभी भी उसे किस कर रहा था और मेरे हाथ उसकी पीठ से होते हुए उसकी कमर पर आ गए थे. मैंने अपने हाथों में लगभग उसके दोनों कबूतरों को पकड़ ही लिया था कि तभी मैंने झट से आंखें खोलीं और उससे अलग होते हुए उसकी आंखों में देखना चाहा.
शैली की आंखें बंद थीं, उसका मुँह अभी भी हल्का खुला था. वो अभी भी किस करना चाहती थी और आगे आना चाहती थी कि मैं थोड़ा पीछे हुआ और बिना कुछ बोले उसकी आंखों में देखने लगा.
मैं उसकी इजाज़त पाने का इंतजार करने लगा. शैली को भी मेरी आंखों का इशारा समझते हुए देर न लगी. उसने मेरे सिर से अपने हाथों को हटाते हुए उसने अपने हाथ मेरे हाथों पर रखे. मेरी आंखों में बड़े प्यार से देखते हुए उसने मेरे हाथ पकड़ कर खुद अपने दोनों कबूतरों की कमान मेरे हाथ में दे दी.
जैसे ही मेरा हाथ उसने अपनी चूचियों पर रखा, उसकी आंखें, जो आधी खुली थीं, वो आनन्द के सागर में डूब कर पूरी बंद हो गईं. आंखों के बंद होने के साथ ही उसके होंठ दुबारा मेरे होंठों की गिरफ्त में आ गए.
मैंने उसके होंठों को दुबारा पकड़ते हुए अपने हाथों का काम शुरू कर दिया. अभी मैंने उसके दोनों कबूतरों को दबाया ही था कि उसकी सांसें ऐसी तेज हो गई मानो उसे करंट लगा हो.
उसी पल एक झटके से उसके होंठ मेरे होंठों से अलग हो गए. उसकी बंद आंखें, खुले बाल, आधा खुला मुँह ... और उस मुँह से अभी अभी निकली उसकी मादक सीत्कार 'आआह ...' वो आवाज़ इतनी कामुक थी कि पूरे कमरे में गूंज गई और मेरा लंड जो पहले से ही खड़ा था, वो झटके मारने लगा.
मुझे हल्का सा होश आया कि हम कहां हैं ... और हमारे अलावा कमरे में ईशा भी है.
तभी पीछे से आवाज आई 'यस ... आह ...'
उस आवाज से शैली को भी होश आ गया और उसे महसूस हुआ कि ईशा भी यहीं है.
पर हमने जैसे ही उसकी तरफ देखा, उसकी हालत अस्त व्यस्त थी. उसके बाल बिखरे हुए थे. उसका एक हाथ अपनी सलवार में था और दूसरा अपने एक कुर्ते के ऊपर से अपने मम्मे पर था जिसे वो उखाड़ कर फेंकने को हो रखी थी.
मेरी और शैली की सांसें अटक सी गई थीं ... आंखें फटी रह गई थीं.
ईशा को इस हालत में देख कर हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और आंखें मिलते ही हम समझ गए कि ईशा ने हम किस करते हुए देखा और अपना काबू खोकर अपनी चूत में उंगली करने लगी. अपनी आनन्द की सीमा पार करते ही उसकी सीत्कार काफी तेज हो गई थी.
हम दोनों हालात को समझते हुए वापसी ईशा की तरफ देखने ही लगे थे कि ईशा को भी पता लग गया कि हम उसकी तरफ देख रहे थे.
वो झट से बाथरूम की तरफ भागी, शैली भी पीछे पीछे भागी ... पर ईशा अन्दर घुस चुकी थी. अन्दर से उसके रोने की आवाज आ रही थी और शैली के बार बार कहने पर भी वह दरवाजा खोलने को तैयार नहीं थी.
दस मिनट तक शैली उसे मनाने की कोशिश करती रही. ईशा थोड़ी चुप होते हुए बोली- अविनाश को बाहर भेज पहले.
मैंने ये सुनते ही समझदारी दिखाई और सब शैली के ऊपर छोड़ते हुए कमरे से बाहर निकल गया. मैं छत पर चला गया और ऊपर जाकर बैठ गया.
सुबह हो चुकी थी तो मैंने होटल के बाहर जाकर घूमने की सोची और मैं बाहर निकल आया.
मैं एक दुकान में घुसा ही था कि शैली का फोन आया. मैंने उठाते ही उससे पूछा- सब ठीक है ना! 'हां सब ठीक है, तुम टेंशन ना लो ईशा अब नॉर्मल है ... तुम रूम में आ सकते हो.' 'मैं बाहर कोल्डड्रिंक लेने आया था, अभी आता हूँ.'
'अच्छा बाहर हो, सुनो आते वक्त पैड्स ले आना. मेरे पीरियड्स शुरू होने वाले हैं.' 'ओके ले आऊंगा.' फिर वो थोड़ा फुसफुसा कर बोली- अगर मन हो तो वो भी ले आना.'
मैंने कहा- यार तुम्हारी हीट आने वाली है ... रहने देते हैं. वो बोली- अभी चार दिन हैं उसमें. मैं चुप हो गया.
उसने अब थोड़ा हक जताते हुए कहा- मैं कह रही हूं ना ... चुपचाप ले आना. 'ओके.'
मैंने दुकान से उसके लिए प्रो-ईस का पैकेट लिया और कंडोम का एक छोटा पैकेट मांगा. उसके पास छोटा पैकेट नहीं था तो मैंने कहा- अच्छा कौन सा वाला है? 'भाई 20 का पैक है.' 'भाई कोई खुले पैकेट में से दे दे.' 'अरे ये खराब थोड़ी हो जाएगा, दो साल की एक्सपायरी है ... और सही है ना ... भाभी जी के साथ एंजॉय करना.'
मन मन में मुस्कुराते हुए मैंने उससे वो पैकेट ले लिया और पैसे देकर होटल के लिए निकल लिया. मैं होटल के रूम में पहुंचा, तो मैं पहले पॉलीबैग साइड में रखा और जाकर सोफे पर बैठ गया.
शैली खड़ी हुई और बोली- लाओ, मैं कोल्डड्रिंक सर्व कर देती हूँ, तुम ईशा के पास बैठो. उसे तुमसे कुछ बात करनी है. 'क्या बात करनी है?'
मैंने सवालिया नजरों से उससे पूछा, तो वो बोली- जाकर खुद पूछ लो. मैं खड़ा हुआ और ईशा के पास जाकर अभी बैठा ही था कि उसने सॉरी कह दिया.
मैंने कहा- यार, देखो नॉर्मल है. ये सब हो जाता पर असल में गलती हमारी है. हमें ये सब नहीं करना चाहिए था, कल भी तुमने हमें इसी हालत में पकड़ा और आज तो ... यार होता है सब, जाने दो उस बात को.'
"थैंक्स यार, मुझे यूं लग रहा था कि कहीं तुम मेरे बारे में गलत न सोचो, इसलिए डर रही थी. पर शैली ने मुझसे कहा कि तुम बहुत समझदार हो, तुम मेरी हालत समझ रहे थे और तभी तुम मेरी तुम्हें बाहर भेजने वाली बात सुन कर शैली के कहे बिना बाहर चले गए. थैंक्स अवि ... तुम्हारी जगह कोई और होता तो पता नहीं मेरे बारे में क्या समझता."
"अरे कोई बात नहीं, जो हो गया, सो हो गया ... जाने दो उस बात को." "थैंक्यू सो मच."
वो बाथरूम में चली गई.
तभी शैली ने मेरा कान खींचा और बोली- साले कुत्ते, थोड़ी देर पहले तो कह रहा था कि रहने देते हैं, पीरियड्स आने वाले हैं. अब ये 20 वाला पैक लेकर आया है. तेरे इरादे नेक नहीं हैं. "यार मैं क्या करूं, उसके पास कोई छोटा पैक था ही नहीं और न ही उसके पास खुले पीस थे. मैं क्या करता."
"यार अवि, मेरा फर्स्ट टाइम है, सब ठीक होगा ना ...मैं थोड़ी घबरा रही हूं." "देख लो, अगर दिल न हो और अभी ज्यादा डर लग रहा हो, तो रहने देते हैं, किसी दिन फिर कर लेंगे." "नहीं, करना तो आज ही है. बाद में मुझे पता नहीं मौका मिलेगा भी या नहीं ... और तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं. मैं जानती हूँ कि तुम मुझे ज्यादा दर्द नहीं होने दोगे." "कोशिश करूंगा."
तभी उसने एक किस की होंठों पर और बोली- चलो पहले कुछ खाते हैं, बाद में कुछ करेंगे. हम तीनों ने खाना खाया और रात सोए नहीं थे, तो नींद भी भयंकर आ रही थी. तीनों ही सो गए.
शाम 5 बजे उठे तो मैंने पाया कि शैली मेरे ऊपर सो रही थी. मैंने उसे थोड़ा एडजस्ट करके सोफे पर लेटाया और देखा तो ईशा रूम में नहीं थी. मैंने बाथरूम चैक किया, वो वहां भी नहीं थी.