अनजाने संबंध Ch. 03

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नदी से लड़की का बचाव और उस के बाद की घटनाएँ
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Part 3 of the 8 part series

Updated 07/04/2023
Created 06/17/2023
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नदी में बहती लड़की को बचाने के बाद की घटनाएँ भाग 02 से आगे

*********************************************************************

रास्ते में मुझें ध्यान आया कि खाने के लिए भी कुछ खरीद लेते है। मैंने कहा कि आज क्या खाना चाहती हो? तो उस ने कहा कि पनीर खरीदते है मैं शाही पनीर बना का खिलाऊँगी। सब्जी की दुकान पर जो कुछ मौजुद था सब कुछ थोड़ा-थोड़ा सा लेकर हम दोनों घर के लिए वापस चल दिये। उस ने पुछा कि कल तो खाने को कुछ खास पड़ा नही था। मैंने कहा कि, अकेले आदमी को ज्यादा भुख नही लगती है। कभी-कभी भुखे ही सो जाता हूँ। कोई साथ देने के लिए नही है। माधवी ने कहा की यह एकान्त भी तो आप ने ही चुना है फिर इस तरह अपने से दुश्मनी क्यो निकाल रहे है। मैं चुप रहा। उस ने कहा कि आप की कहानी भी लगता है मेरी कहानी जैसी ही है कि जिस के लिए हम दोनों अपने आप को सजा दे रहे है। मैंने सहमति में सर हिला दिया।

थोड़ी देर में हम घर पहुँच गये। मैंने सारा सामान निकाल कर किचन में रख दिया। माधवी घर को घुम कर देख रही थी। कुछ खास देखने को नही था।

मैंने माधवी से पुछा की नाश्ते में ब्रेड चलेगी या कुछ और का विचार है। इस पर उस ने कहा कि आज तो इस से ही काम चला लेते है। यह कह कर वह किचन में चली गई मैं भी जब उस के पीछे किचन में आया तो उस ने कहा कि अब मेरे से डरना बन्द कर दें। मैं कही नही जा रही। अपनी मर्जी से आप के साथ आई हूँ। मैंने यह सुन का उस के सर पर चपत लगाते हुए कहा कि मैडम जी मेरा किचन है आप को यह बताने आया हूँ कि चीजे कहाँ पर रखी है। यह सुन का वह हँसने लगी। उसे सब चीजें बता कर मैं कमरे में आ गया। उस के सामान के रखने के लिए एक कमरा खाली था। मैंने पास एक रुम खाली था जो शायद मेहमानों के लिए बना था। उस में माधवी का सारा सामान रख दिया।

आकाश पर बादल छाए होने के कारण ठन्ड़ बढ़ गई थी। लग रहा था कि बारिश भी आयेगी। मैं यह देख कर बाहर आया कि कुछ कपड़ें बाहर तो नही पड़े हैं। कपड़ें तो नही थे लेकिन माधवी सीढ़ीयों पर बैठ कर नदी को घूर रही थी। मैं भी उस की बगल में बैठ गया। उस ने पुछा कि आप शाम को नदी पर क्यों चले गये थे? मैंने कहा कि यह तो मैं रोज करता हूँ। नदी की कलकल करती आवाज मेरे दिल को बहुत सकुन देती है। आप नही जाते तो सारा किस्सा कल ही खत्म हो जाता। मैंने उस के हाथ को दबाया और कहा कि इस लिए ही तो मैं उसे अकेली नही छोड़ रहा हूँ। उस का हाथ पकड़ कर मैंने उस से कहा कि भुख लग रही है नाश्ता तो करा दो।

उस को शायद कुछ याद आया और वह किचन की तरफ भागी, मैं भी उस के पीछे-पीछे गया। किचन में जा उस ने देखा कि दूध के नीचे की गैस बन्द थी। मैंने कहा कि मैं जब किचन में आया तो तुम यहां नही थी और दूध उफनने वाला था मैंने गैस बन्द की और तुम को ढुढ़ते हुए बाहर चला आया। चिन्ता मत करो। माधवी ने कहा कि आप सही कहते हो आप हर पल मेरे साथ रहो ताकि मैं पुरानी बातें ना सोचुं। मैंने अपना हाथ उस की पीठ पर रख कर थपकी दी। वह फिर ब्रेड को सेकने लगी। फिर चाय बना कर नाश्ता ले कर कमरे में चल दी। मैं भी बचा हुआ सामान ले कर उस के पीछे चल दिया। उस की चाल देख कर लगा कि कामदेव ने उस के बदन में अपने सारे बाण डाले हुए हैं। नाश्ता करते समय मैंने कहा कि कल वाले कपड़ें बदल कर कोई और कपड़ें पहन ले, इस पर उस ने मेरी तरफ प्रश्नवाचक नजरों से देखा, मैंने कहा कि कपड़ें सही तरह से साफ नही है इस लिए साफ कपड़ें पहन ले। माधवी बोली कि आप की नजर से छोटी से छोटी बात छुप नही पाती। मैंने कहा कि यह मेरी आदत है।

वह बोली कि कल आप ने मेरे हर इशारे को नजरअंदाज क्यों किया था। मैंने कहा कि उस के पीछे की कहानी सुनना चाहती हो, तो उस ने कहा हाँ।

मैंने कहा कि सुनो, अगर कल हम ने संबंध बनाए होते और अगर पुलिस तुम्हारी तलाश कर रही होती तो तुम्हारे मिलने पर सबसे पहले तुम्हारा मैडिकल कराते, उस में रात में हुए शारीरिक संबंधों का भी बता चलता, अगर कोई जख्म मिलता तो मेरी हालात बुरी हो जाती, मुझ पर जबरदस्ती करने का आरोप लग जाता। सहायता करने की बजाए शोषण का दाग लग जाता। मेरी इस बात को कोई नही मानता कि सब कुछ दोनों की मर्जी से हुआ था। तुम्हारा व्यवहार भी मेरी समझ में नही आ रहा था। और भी कारण है बाद में कभी बताऊँगा।

मेरी बात सुन कर माधवी बोली की सारी रात आप ये सब सोच रहे थे? मैंने कहा कि हाँ, इस बात को कोई नही मानता कि मैंने तुम्हारे कपड़ें तुम्हे बचाने के लिए उतारे थे। सब यह समझते की मैं तुम्हारें डुबने की कहानी बना रहा हूँ। पता नही तुम भी अपने लोगों के बीच जा कर कैसा व्यवहार करती, मुझें नही पता था? पहला काम था तुम्हें उस हालत से बाहर निकालना। उस के बाद दिमाग ने उस से आगे की बातें सोचनी शुरु कर दी। तुम कल से मुझे तुम्हारे साथ किचन में जाने को लेकर ताना मार रही हो उस के पीछे भी यही डर था कि क्या पता तुम फिर से आत्महत्या की कोशिश करो। तुम्हारी मानसिक स्थिति के बारे में मुझें कुछ समझ नही आ रहा था।

यह कह कर मैं चुप हो गया और माधवी की तरफ देख कर कहा कि मेरी इस बात से अगर उसे दुख पहुँचा हो तो वह मुझें माफ कर दे। उस ने मेरी तरफ नजर उठायी तो उस में आँसु थे, मैंने कहा कि देखा ना मैं भी कैसा बुरा हूँ तुम को रुला दिया। उस ने इस पर कहा कि मुझें तो कल ही पता चल गया था कि आप मेरे साथ कुछ बुरा नही कर सकते, इस लिए आप को सता रही थी। मेरा मासिक शुरु होने वाला था, इस लिये मैंने टायफुन लगा रखा था, आप के हटते ही मैंने उसे देखा, उस को अपनी जगह देख कर मुझें आप की हर बात पर विश्वास हो गया था। जो आदमी बिना कपड़ों की बेहोश पड़ी लडकी की योनि को हाथ नही लगाता, वह जो भी कह रहा है सच कह रहा है। उस की और परीक्षा ली जा सकती है।

सोते समय की हरकतों का तो मुझें खुद भी पता नही है। मेरी किस्मत अच्छी थी कि मैं नदी में बहती हुई आप के हाथ लगी नही तो मरने की बजाए मेरा और बुरा हाल हो सकता था। यह सोच कर ही मुझें कुछ हो रहा है। मैंने कहा कि जो हुँआ नही उसे सोच कर अपने को परेशान मत करो। जो सामने है उस का पुरा आनंद लो यही जिन्दगी का सबसे बड़ा सबक है। तुम बहुत बड़े खतरे से गुजरी हो, इस लिए मैं कोई खतरा नही लेना चाहता इस लिए अभी तो कुछ समय तक तुम्हारे साथ ही लगा रहुँगा। वैसे भी मेरे पास करने को कुछ और नही है।

नाश्ते के बाद मैंने माधवी को उस का कमरा दिखाया और कहा कि इस को तुम्हारी जरुरत के हिसाब से तैयार कर सकते है। उस ने कहा कि मैं तो आप के साथ ही रहुगी। मैंने कहा कि सामान रखने के लिए तो जगह जाहिऐ इस लिए इस कमरे को तो तुम्हे लेना ही पड़ेगा, मेरे से दूर कहाँ जा रही हो, सिर्फ तुम्हारा सामान ही तो रख रहे है। इस पर उस ने अपने सुटकेसों को खोल कर अपना सामान, कपड़ें निकाल कर अलमारी में रखने शुरु कर दिये। मैं भी उस की सहायता करने लगा। ज्यादातर कपडें पश्चिमी वेशभुषा के थे। भारतीय कपड़ें मुझें नही दिख रहे थे। उस के अन्डर गार्मेटं काफी कीमती दिख रहे थे। मैं बेड पर बैठ कर उस को काम करते देखता रहा। उस को सलीका बहुत पसन्द था उस ने सारे कपड़ें और सामान सलीके से अलमारी में लगा दिया था। मुझें ऐसे बैठे देख कर उस ने अपने अन्डर गारमेन्ट का बॉक्स मेरे ऊपर फैक दिया। मैंने उसे कैच कर लिया। उस ने कहा कि बैठ के देखते रहेगे या कुछ करेगे? मैंने कहा कि क्या करुँ, इनको पहन कर देखु या पहनने में सहायता करुँ? मेरी बात सुन कर माधवी ने कहा कि यह आप पर निर्भर है कि क्या करना है मैंने तो आप को दे दिये है।

माधवी बोली खोल कर तो देखिए फिर बोलिएगाँ, मैंने बॉक्स को खोल कर देखा तो उस में ब्रा और पेंटी भरी हुई थी, मेरे चहरे पर लिखे असमंजस को देख कर माधवी शरारत से बोली कि कल आपने उतारे थे आज दुबारा पहना दिजिए। उस ने मुझें आँख मारी। मैं कुछ पल तक बैठा रहा तो उस ने फिर एक कपड़ा उठा कर मारा और कहा कि मेरे से इतना डरते क्यों है?

मैं ने कहा कि चलो कल का अधुरा काम आज पुरा कर देते है। बोलो क्या पहनाना है? माधवी बोली कि कल तो मैं सुट पहने थी इस लिए कुछ भी पहन सकती थी, लेकिन अभी तो कपड़ें बदलने है उस के हिसाब से पहनाने पड़ेगें।

मैंने कहा कि क्या पहनना है? उस ने कहा कि आज ठन्ड है जींस और टॉप पहन लेती हुँ। देखते है कि आप लेडीज के बारे में कितना जानते है? मैंने इलास्टिक लेस पेंटी और पैडेड ब्रा स्लेक्ट कर ली, यह देख कर माधवी बोली कि आप को सब पता है। मैं हँस दिया। बोली अब पहना भी दिजिए। मैंने दरवाजा बन्द किया और उस से कहा कि कपड़ें तो उतारों उस ने कहा कि कल जैसे किया था वैसे ही करो। मैंने उस के कुरते को उस के गरदन के ऊपर कर के उतार दिया, फिर उस की ब्रा के हुक खोल कर उसे भी उतार दिया अब वह मेरे सामने निर्वस्त्र खड़ी थी। मैंने पैडेड ब्रा उठा कर उस को पहना दी। टॉप को भी पहना दिया। इसके बाद उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर उस की पेंटी को भी नीचे कर के पेरों से निकाल कर रख दिया। फिर इलास्टिक लैस पेंटी ले कर उस के पंजों से डाल कर ऊपर पहना दी। इस के बाद ब्लू कलर की जींस ले कर उस के पेरों में डाल कर ऊपर कर के कमर में बटन लगा कर जिप लगा दी। यह सब देख कर माधवी हैरान सी खड़ी रही, उस ने मुझें बेड पर बैठा दिया और मेरे साथ बैठ कर बोली कि आप को अपने पर इतना कंट्रोल कैसे है? मैंने कुछ नही कहा। मैंने उसे अपने से सटा कर कहा कि माधवी कई समय ऐसे होते है जब सेक्स दिमाग में सब से आखिरी चीज होती है जो आ सकती है। जब सेक्स करने का समय होगा तब वो भी करेगें। यह कह कर मैंने उस के चेहरे को हाथों में लेकर उस को किस कर लिया। यहाँ से शुरुआत करेगें, इस से नीचे धीरे-धीरे उतरेगें, जल्दी क्या है?

मेरी यह बात सुन कर बह बोली की महेश तुम तो छुपे रुस्तम निकले। मुझें तो लगा था कि तुम आदमी भी हो या नही? मैं ने कहा कि वह भी समय आने पर दिखा देगे। यह कह कर मैंने उसे आँख मारी। वह यह देख कर मुझ से लिपट गयी। मेरे और उस के होंठ एक दूसरे से लॉक हो गये। उस के अन्दर की औरत धीरे-धीरे जाग रही थी, और मेरे पुरुष को जगा रही थी।

मैंने उसे धीरे से अपने से अलग किया और उस के कमरे से निकल गया। माधवी मेरे पीछे-पीछे कमरे से बाहर आ गई, मैं नदी पर जाने के रास्ते पर चल रहा था कि पीछे से माधवी की आवाज आयी कि मेरे लिए रुकिये। मैं रुक गया वह जब मेरे पास पहुंची तो उस की सांस उखड़ी हूई थी। मैंने उसे देख कर कहा कि इस तरह भाग कर आने की क्या जरुरत थी, वह बोली की आप तो इतने तेज चलते है कि मैं आप का पीछा ही नही कर पा रही थी। आप को यहाँ आने की क्या जरुरत पड़ गई है। मैंने कहा कि मैं यह देखने आया था कि कोई और तो आफत की मारी नदी में नहीं डुब रही है? यह कह कर मैं हँसने लगा, मेरी हँसी सुन कर उस ने नकली गुस्से से मुझें हवा में धुस्से चला कर मारा। फिर मेरे पास आ कर खड़ी हो गयी। मैं कलकल करती नदी को देखता रहा। उस का बहता पानी भी किसी लड़की के अल्लहड़पने जैसे लगता है जो किसी सीमा को मानता नहीं है। सीमाओं में कैद होना उसकी तासीर में नही है।

माधवी ने पुछा दोपहर में यहाँ क्यों आये है? मैंने कहा कि किसी की हरकतें मुझें नदी की याद करा रही थी इस लिए उस के पास ही चला आया। माधवी को मेरा इशारा समझ में आ गया, वह बोली की इस की धारा को कोई बांध नही सकता है। जहाँ मन करता है उसी तरफ चल पड़ती है। अगर बाधंना चाहेगे तो रास्ते में आने वाली हर चीज को मिटा देती है। मैं ने उस की तरफ देखा तो वह मुस्करा रही थी, मानो कह रही हो कि मुझें भी इशारों में बात करना आता है। अपनी उम्र से बड़ी बातें करती है यह लड़की। मैं सोचने लगा तो उस ने मुझें अपनी बाहों से झकझोर कर कहा कि आप मुझें छोड़ कर कही नहीं जा सकते, अपनी यादों में भी नहीं, मैंने उस की इस बात पर उसकी नाक पकड़ कर हिलाई और कहा कि और कोई हुक्म मेरे आका।

यह सुन कर उस को गुस्सा आ गया और वह वापस घर की तरफ चल दी। मैं भी उस के पीछे-पीछे चलने लगा। घर पर आ कर मैंने उस के सामने दोनों कानों को पकड़ कर कहा कि मैं आगे से यह बात हमेशा ध्यान में रखुँगा। मेरी इस बात पर उस का गुस्सा उड़ गया और वह हँसती हुई किचन में चली गयी। मैं किचन में पहुचा तो उस ने पुछा कि मेरे साथ खाना बनवाना है या चौकीदारी करनी है। मैंने कहा कि हो सकता है कि मैं खाना बनाने में कुछ सहयोग कर पाऊं। मैं उस के साथ थोड़ी देर खड़ा रहा फिर वापस कमरे में चला गया। कंप्यूटर खोल कर मेल चैक करने लगा। किसी क्लायट की मेल थी कि उस को जंगली फुलों की फोटोंस् चाहिए थी। मैं उन के लिए फोटो खिचने के लिए कैमरा वगैरहा निकाल रहा था तो माधवी खाना ले कर आ गई मैंने जल्दी में खाना खाया और बाहर के लिए निकल गया। माधवी को बता दिया था कि मैं शाम तक लोटूँगा, वह खाना खा कर आराम कर ले।

जगंली फुलों की तलाश में काफी ऊचाई पर चढ़ाई की और फोटों लेता रहा। शाम को जब रोशनी कम होने लगी तब घर लौटा। माधवी सो रही थी, उस से पुछा तो उस ने कहा कि उस ने खाना खा लिया था। मैंने चाय बनाई और हम दोनों घर की दहलीज पर बैठ कर चाय पीते रहे। मुझें अगले दिन भी बाहर जाना पड़ा। देर शाम को लौटा, आज तो मैंने भी खाना नही खाया था। माधवी ने मेरे संग बैठ कर चाय पी। रात का खाना मैंने ही बनाया और खाने के दौरान भी आज और कल के काम को देखता रहा। पता ही नही चला कि कब खाना खत्म हो गया, माधवी का ध्यान ही नही रहा।

अगले दिन सुबह माधवी उठ कर किचन में गई तो चक्कर खा कर गिर गई मैं भी उस के पास ही खड़ा था मैंने उसे गिरने से बचाया और उसे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया। मुझें चिन्ता हुई कि उस को अब चक्कर क्यों आये? क्या कोई और चक्कर तो नही है? दिमाग में कई तरह के विचार घुमड़नें लगे। दोनों के लिए चाय बना कर लाया और उस को चाय पीने को दी। चाय पीने के बाद उस में कुछ ताकत आई तो मैंने पुछा कि चक्कर क्यों आया। तब पता चला कि मैडम ने दो दिन से खाना नही खाया। यह जान कर मुझें बड़ा धक्का लगा। मैं मन ही मन अपने को कोसने लगा। माधवी को नाश्ता करा के मैं उस को साथ लेकर अपनी एक दोस्त डॉक्टर के पास गया। वो कोई दस किलोमीटर दूर रहती थी।

उस के यहाँ पहुच कर हम दोनों ने उस के क्लीनिक में उस से मुलाकात की। मेरी बात सुन कर उस ने माधवी के खुन का सैम्पल ले कर चैक करने के लिए भिजवा दिया। माधवी को अच्छी तरह से चैक करने के बाद उस ने माधवी को बाहर भेज कर मुझें बिठा कर कहा कि किस बात की चिन्ता कर रहे हो, मैंने कहा कि चक्कर आने का कारण तो दो दिन खाना ना खाना हो सकता है लेकिन कोई और कारण तो नही है? वह मेरी तरफ देख कर मुस्कराई और बोली कि, नही कोई और कारण नही है। मैडम ने गुस्से की वजह से दो दिन से खाना नही खाया है इसी कारण से ऐसा हुआ है लेकिन मैंने खुन की जाचँ करवा ली है, और कुछ होगा तो पता चल जायेगा। मेरी जान में जान आई, डॉक्टर मेरी पुरानी दोस्त थी इस लिए वह हँस कर बोली कि अपने साथ खाना खिलाया करो तब ऐसी नौबत नही आयेगी।

मैंने उस से कहा कि कोई कॉन्टरासेप्टिप पिल एडवाईज कर दे इस के लिए तो वह हँस कर बोली कि यह तो कर देती हूँ। उस ने कहा कि लड़की ऐनिमिक लग रही है। चुकन्दर वगैरा खिलाओ और कुछ दवाई लिख रही हूँ कुछ दिन दे कर देखो तबीयत सुधर जायेगी। मैं ने सर हिलाया और उस के कमरे से बाहर आ कर माधवी को लेकर घर के लिए चल पड़ा, रास्ते में कैमिस्ट से दवाईयां लेकर हम दोनों घर आ गये। घर आ कर मैं और माधवी फिर किचन में दोपहर का खाना बनाने के लिए विचार कर रहे थे तो मैंने पुछा कि दो दिन से खाना क्यों नही खाया तो जबाव मिला कि मेरी मर्जी, मैंने कहा कि मैं कभी-कभी अपने काम में ज्यादा व्यस्त होने के कारण किसी और पर ध्यान नही दे पाता हूँ इस लिए मुझें माफ कर दो। लेकिन इस की सजा अपने आप को देने की जरुरत नही है।

मेरी बात के जबाव में उस ने कहा कि किसी को उस की चिन्ता करने की जरुरत नही है। मैंने कहा कि चिन्ता करना तो मेरी हॉबी है, मेरी इस बात पर उस की हँसी निकल गयी वह बोली की अकेले मेरा मन किसी बात के लिए नही करता है। मैंने कहा कि अब से मैं उसे भी साथ में लेकर जाऊगां इस पर उस के चेहरे पर खुशी झलक उठी। मैंने उसे अपने से सटा कर कहा कि उस का अधिकार है कि मेरी कोई बात अगर उसे गलत लग रही है तो वह मुझें टोक सकती है। इस पर उस के मुक्कें मेरे छाती पर बरसने लगे। मैंने बचने के लिए उसे कस पर अपने से चिपका लिया, हम दोनों के होंठ भी एक हो गये। गहरे चुम्बन ने दोनों के बीच की ठंड़क को पिघला दिया। मैंने माधवी के कान में कहा कि मैडम दवाईयां खानी है शायद खुन की कमी या हिमोग्लोविन कम है रिपोर्ट से पता चलेगा। उस ने पुछा कि डॉक्टर के पास जाने की क्या जल्दी थी? मैंने कहा कि मुझें कुछ और ही चिन्ता थी, उस ने चेहरा उठा कर मुझें अजीब सी नजरों से देखा मैंने ने उस और कस कर अपने से चिपटा कर कहा कि मुझें चक्कर आने से लगा कि कुछ और कारण ना निकल आये इस लिए अपनी दोस्त को दिखाने चला गया।

माधवी ने कहा कि आप जो सोच रहे है वह नही हो सकता, उस बात को तो कई महीने हो चुके है। मैंने उस की बात को पकड़ कर कहा कि मुझें जो चिन्ता थी वह मैंने तुम्हे बता दी है। तुम्हे बुरी भी लग सकती थी। लेकिन सब से बड़ी चिन्ता तुम्हारे स्वास्थय की है। इस लिए मैं अब पिल्स लिखवा कर लाया हूँ तुम्हारे लिए। उस ने उलझन में सिर हिलाया।

मैंने उस को इस समय और कुछ बताना उचित नही समझा और खाना बनाने में उस की सहायता करता रहा। खाना खाते समय उस को यह बात याद आई तो उस ने पुछा कि किस पिल्स की बात कर रहे थे? मैंने कहा कि मुझें लग रहा था कि शायद तुम्हारी कमजोरी के पीछे कोई और कारण न हो, लेकिन कोई और कारण नही है लेकिन आगे के लिए सावधानी रखने के लिए मैं गर्भनिरोधक गोली लिखवा कर लाया हूँ ताकि अगर संबंध बने तो गर्भ ना ठहरे।

मेरी बात सुन कर माधवी हँसने लगी और बोली की आप तो मुझें बिल्कुल भोली और बेवकुफ समझते हो, मैंने जब भी सावधानी रखी थी। आप के जमाने की बात कुछ और थी आज कुछ और बात है। मैं चुप रहा। उस को लगा कि नाराज हो गया हूँ, मेरे को हाथ ने हिला कर बोली की नाराज तो नही है, मैंने कहा कि जहां तक अपनी बुद्धि जाती है वहाँ तक तो तुम्हारे नुकसान की बात सोच नही सकता हूँ। आज तुम ने मुझें डरा दिया था इस लिए जो भी समझ में आया किया, आगे तुम्हारी मर्जी है जो मन में आये वो करो। इस बर माधवी बोली कि दो दिन से आप मेरे से ज्यादा बात ही नही कर रहे थे मुझें लगा कि मुझें इग्नोर कर रहे हो इसी कारण गुस्से में खाना नही खाया। मेरे मन में बैठा डर मेरे उपर हावी हो जाता है। क्या करु? आप से दूरी बर्दास्त नही हो पा रही है। मैंने कहा कि अब से तुम हर जगह मेरे साथ ही चलोगी ताकि तुम्हे अकेलापन ना लगे लेकिन ऐसी गल्ती दुबारा मत करना नहीं तो मैं अपने आप को माफ नही कर पाऊँगा। आराम से खाना खायो फिर इस पर बात करेगे। यह कह कर मैं खाना खाने लगा। वो भी चुपचाप खाना खाती रही।

खाने के बाद हम दोनों सोफे पर बैठ कर बात करने लगे। माधवी मेरे पास आ कर बैठ गई और मेरे गले में हाथ डाल कर बोली की आप तो हाथ लगाने से तो डरते हो और पिल्स् ला कर देते है मेरे को कुछ समझ में नहीं आता, मैंने कहा कि मैं अभी इस बात के लिए तैयार नही हूँ क्या कारण है शायद मुझें भी नही पता। इतने सालों से सेक्स किया नही है तो शायद डर लगता है कि हो भी पायेगा या नही? माधवी ने यह सुन कर कहा कि मुझें कुछ नही चाहिए मुझें तो केवल आप का साथ चाहिए उस के लिए भी आप इतना तरसा रहे हो देखती हूँ कब तक आप मेरे प्यार को ठुकराते हो। मैं भी बड़ी जिद्दी हूँ। मुझें अपने से दूर ही रखना था तो बचाया क्यों था? मर जाने देते, मरने ही तो गई थी। यह कह कर वह सुबकने लगी। मैं ने उस को पीठ को थपथपाया और गले से लगा लिया। उस के आँसु मेरे कंधे को भिगोते रहें। मैंने उस के चेहरे को उठा कर उस की आँखों को चुम कर उस के आँसु पोछ डाले और कहा कि रोने के लिए थोड़ी ना बचाया है। तुम जा कर एक गोली खा लो। आज से ही पिल्स शुरु कर दो, रात को तुम्हारी मर्जी चलेगी, मेरे मन में भी कोई चिन्ता नही रहेगी।

मेरी बात सुन कर उस में नई ताकत आ गई और वह उछलती हुई चली गई, आई तो उस के हाथ में दवाई का लिफाफा था, मैंने उस में से पिल्स् का स्टिप उस के हाथ में दिया और कहा कि जिस दिन उस का पीरियड शुरु होता है उस दिन से शुरु करनी होती है। तुम आज से शुरु कर दो। आज पाचंवा दिन है, कुछ और उपाय कर लेगें, यह सुन कर उस ने कहा कि किसी उपाय की जरुरत नही है।

मुझें आपके मेरे बीच में किसी चीज की जरुरत नही है। मैं इस पर चुप रहा। उस को मेरी चुप्पी बर्दाश्त नही हुई तो बोली कि मैंने कुछ गलत कह दिया है। मैंने कहा नही मैं तुम्ही बात से पुरी तरह से राजी हूँ लेकिन कुछ तो करना ही पड़ेगा। बताओ तुम्हारे पीरियड कब से शुरु हुये थे, उस ने बताया कि जिस दिन आप ने मुझें बचाया था उस से एक दिन पहले ही शुरु हुयें थे। इस लिए तो टेम्पॉन लगा हुआ था। आज पांचवा दिन है। आज तो नही आया है। मैंने कहा कि आज से शुरु कर दो, आज सही दिन है। उस के चेहरे पर शर्म की छलक दिखाई दी। मैंने एक गोली निकाल कर उस को दे दी, उस ने पानी से उसे निगल लिया। मैंने कहा कि इसी समय रोज ले लिया करना। अब मेरी चिन्ता तो दूर हो गई है। आज तुम्हारी बात मानेगे।

यह कह कर मैंने उसे आलिगंन में ले लिया और गहरा चुम्बन उस के अधरों पर दे दिया। इस पर वह शर्मा कर बिस्तर में घुस गयी। मैं सोफे पर बैठ कर उस की इस हरकत को देखता रहा और सोचने लगा कि औरतों को समझना कठिन है। अपनी मर्जी की बात होने पर अब उसे शर्म आ रही है। मैंने उस से कहा कि मैं कुछ काम करने जा रहा हूँ वह आराम से सोती रहै। यह सुन कर वह बिस्तर ने उछल कर बाहर आ गयी और बोली कि मैं भी साथ चलुगी। मैंने कहा कि कही बाहर नही जा रहा, घर में ही कंप्यूटर पर काम कर रहा हूँ ये सुन कर वो बोली कि मैं भी देखुगी कि आप क्या करते है? मैंने कहा चलो, हम दोनो दुसरे कमरे में जा कर कंप्यूटर चला कर बैठ गये, मैं पिछले दिनों खीची फोटुओं को देखने लगा। उन में से अच्छी फोटोज को अलग करके उन को सही करने लगा। माधवी काफी समय तक मुझें देखती रही, फिर बोर हो कर कॉफी बनाने के लिए किचन में चली गई। थोड़ी देर बाद कॉफी के कपों के साथ उस ने कमरे में कदम रखा। हम दोनों कॉफी का स्वाद लेते रहे, मैंने उस से कहा कि उसे भी फोटोग्राफी करनी चाहिए उसे अच्छा लगेगा। उस ने कहा कि आप मुझें भी सिखा देना। बाकि का दिन ऐसे ही काम करते हुए गुजर गया।

रात को खाने के बाद जब सोने की बारी आई तो मैं अपनी रजाई भी उस के बिस्तर पर ले आया। उस ने बिस्तर पर आ कर मुझ से कहा कि मुझें आप से किसी खास चीज की जरुरत नही है। जैसे आदमी औरत करते है वैसी ही इच्छा है, मैंने कहा कि तुम अपने आप देख लेना। मैं भी उस से पास आ कर लेट गया। वह उठ कर मेरे ऊपर लेट गई। उस के होंठ मेरे होंठों से चुपक गये। हम दोनों एक दुसरें को चुमते रहे। मैं उस की गरदन को चुमने लगा। उस की सांसे गरम हो गई थी जो अब मेरे चेहरे पर लग रही थी। मैं उस के उरोजों के बीच चुम्बन लेने लगा। माधवी ने मेरे कंधे में अपने दांत गढ़ा दिये। कपड़ों के ऊपर से मेरे हाथ उस के उरोजों को दबाने लगे। उस ने उठ कर अपने ऊपर के कपड़ें उतार दिये, मुझें कुछ करने की जरुरत नही पड़ी। मैंने उस के उरोजों के छोटे निप्पलों को होठों में दबा कर चुसना शुरु किया, इस से उस के मुँह से आहहहहहहह उईईईईईईईईईईईई उहहहहह निकलने लगी। उरोज छोटे पर कठोर थे। मैंने उन्हें पुरा मुँह में ले कर चुसना शुरु किया माधवी की कराहट बढ़ गयी।

एक को छोड़ कर मैंने अब दुसरे को मुँह में ले लिया। माधवी आहहहहह औहहहह उहहहहह चिल्लाने लगी। मैं उस की आवाज पर ध्यान नही दे रहा था, उस के उरोजों के बाद मैं उस की नाभी को चुमता हुआ उस की कमर के नीचे पहुँच गया, उस के पायजामे को नीचे सरका कर मैंने अपने होठो से उस की योनि का पेन्टी के ऊपर से स्वाद लिया। मेरी जीभ कपड़ें के ऊपर से ही योनि के ऊपर से नीचे फिरने लगी। मेरी नाक ने योनि की सुगंध का स्वाद काफी लम्बे समय बाद किया था इस कारण कुछ जल्दी में था। माधवी नीचे से अपने हाथों से मुझें ऊपर खिचं लिया।

उस की हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी। इस के बाद उस के हाथों ने मेरी कमीज ऊतार कर फेक दी। अब उस के होठ मेरी छाती पर चुम्बन ले रहे थे । फिर उस के होठ मेरे निप्पलों पर आ गये और उस के दातों के बीच आने के कारण मेरी चीख निकल गयी। उस ने मुझ पर दया नही की। मैंने हाथों से उस की पेन्टी उतार दी उस की योनि अब मेरे होठों के रहमोकरम पर थी। मैंने अब माधवी को नीचे से उठा कर अपने ऊपर कर लिया और मैं तकिये के सहारे गरदन ऊँची कर लेट गया मैंने माधवी को अपने मुँह पर बिठा लिया उसकी योनि मेरे मुँह पर थी मैं लेटे-लेटे आराम से उस की योनि को चाट रहा था।

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