अनजाने संबंध Ch. 03

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हाथों से उस के उरोजों को मसल रहा था मेरे इस सब करने का असर मेरे लिंग पर दिख रहा था वह भी तनाव ले रहा था। मैंने हाथ लगा कर देखा तो लगा की मेरी चिन्ता बेकार थी। उस की कठोरता संभोग के लिए काफी थी। माधवी भी सेक्स के इस खेल में नयी थी वह भी उत्तेजना के कारण कांप रही थी। मेरी जीभ उस की योनि की गहराई की जांच कर रही थी। उस के लिए यह सब नया था। मैंने उसे उठा कर उल्टा बिठा दिया अब वह मेरे लिंग के सामने थी। उस ने हिचकिचाहट से मेरे लिंग को पकड़ कर देखा मैं तो उस की क्लोरिट को चुस रहा था। माधवी के मुँह से आहहहहहहह उईईईईईईईईईईई निकलने लगी। अब उस ने मेरे लिंग को पकड़ कर सहलाना शुरु किया।

उस की योनि से पानी निकलने लगा था। वह अब मेरे लिंग को अन्दर लेने के लिए तैयार थी, मैं भी किसी लम्बे फॉरप्ले के लिए इन्तजार नही कर सकता था, मेरी भी प्यास बहुत पुरानी थी। इस लिए मैंने माधवी को पीठ के बल लिटा लिया। मैं उस के ऊपर आ कर उस के पांवों के बीच बैठ गया। अपनी ऊंगली मैंने उस के योनि में डाली तो लगा कि ऊगली आग में दे दी है। मैंने ऊगली निकाल कर लिंग के सुपडे को योनि के मुख पर लगा कर धक्का दिया। योनि के कसाव के बावजुद लिंग का सुपाड़ा योनि में घुस गया उस के घुसते ही माधवी के मुँह से चीख निकली। मैंने अपनी हथेली से उस के मुँह को बन्द कर दिया और दुसरा धक्का दिया लिंग आधा योनि के अन्दर चला गया। माधवी दर्द के मारे अपने हाथ पैर पटकने लगी। यह देख कर मुझें लगा कि मैंने शायद उस के बारे में गलत सोचा था उसे संभोग की आदत नही है। यह बात मन में आते ही मैंने अपना लिंग उस की योनि से निकाल लिया। माधवी ने हाथ पैर पटकने बन्द कर दिये। मैंने उस के मुँह से हाथ हटा लिया। उस का चुम्बन लिया। उस के चेहरे पर से दर्द के भाव हट गये थे।

मैं ने उस की योनि में फिर से अपनी ऊंगली डाल कर यह देखने की कोशिश कि की उस की कसावट क्या कहती है। अन्दर की कसावट तो बता रही थी कि उस को शारीरिक संबंधों का अनुभव ज्यादा नही है। मुझें उसे बड़ी नाजुकता के साथ भोगना पड़ेगा। अपनी शक्ति को कम करना पड़ेगा। मेरे इस व्यवहार से माधवी हैरान हो रही थी। वह लेटी हुई शान्त लग रही थी लेकिन उसके मन में उथलपुथल मची थी वह उठ कर बैठ गयी और मुझ से बोली की आप ने यह क्यों किया। मैंने कहा कि इस का जबाव तुम को देना चाहिए। मुझें लग रहा है कि अभी तुम इस के लिए तैयार नही हो। उस के चेहरे के भाव मेरी समझ में नही आ रहे थे। उस ने कहा कि मेरे दर्द की चिन्ता ना करें मैंने कहा कि माधवी मेरे लिये सेक्स आनंद के लिए है दर्द के लिए नही इस लिए मैं तुम्हे दर्द की बजाए आनंद दुंगा मुझ पर विश्वास रखो।

यह कह कर मैंने अपनी ऊंगली योनि के अन्दर बाहर करनी शुरु कर दी इस में माधवी को मजा आ रहा था धीरे-धीरे ऊंगली उस के जी-स्पाट पर पहुंच गयी और उस को सहलाना शुरु किया। माधवी इस धर्षण को पसन्द कर रही थी। मेरी ऊंगली की रफ्तार बढ़ गयी। माधवी ने मेरी गरदन में हाथ डाल कर मुझें अपने पर झुका लिया। मैंने उस के होंठों को दुबारा चुमना शुरु किया। हाथों से उरोजों को जोर से मसला। थोड़ी देर के बाद माधवी के चेहरे पर वासना का प्रभाव दिखने लगा मैंने सही समय समझ कर फिर से अपने लिंग को उस की योनि में डाल कर धक्का दिया इस बार एक ही धक्के से लिंग आधा घुस गया माधवी ने भी आह की आवाज तो की लेकिन उस में दर्द कम था। अगले धक्के में लिंग पुरा योनि में था, माधवी ने आह को रोकने के लिए होठ को दातों से दबा लिया था।

मैं ने अपने को कुछ पल के लिए रोका फिर धीरे-धीरे धक्कें लगाना शुरु किया पहले तो धक्कें धीरे थे फिर मैं जोर से धक्कें लगाने लगा। माधवी भी अब नीचे से प्रतिउत्तर दे रही थी। उस ने अपनी बाहें उठा कर मेरी पीठ पर कस दी थी मैं भी उस के ऊपर लेटा हुआ था नीचे से मेरे कुल्हें पुरी गति से धक्कें लगा रहे थे। माधवी के योनि पर लिंग का आक्रमण पुरी ताकत से चल रहा था। माधवी के नाखुन मेरी पीठ के मांस में गढ़ गये थे। मैं भी इस दर्द का मजा ले रहा था। मैं अपनी गति कम करने को राजी नही था। क्यों कि मुझें डर था कि मैं जल्दी ही डिस्चार्ज हो जाऊँगा।

माधवी ने अब दर्द का मजा उठाना शुरु कर दिया। मैंने करवट ले कर माधवी को अपने ऊपर कर लिया वह अब अपने चुतड़ों से मेरे लिंग को समाने के लिए पुरी गति से प्रहार कर रही थी। मैं भी उस के उरोजों के निप्पलों को दांत से काट रहा था। कमरा फच फच की आवाज से भर रहा था। अब मेरे हाथ उस के कुल्हों के ऊपर कसे हुए थे माधवी की गति में मादकता के साथ एक जगंलीपन भी था। हम दोनों प्रेम के प्रवाह में बहे जा रहे थे तभी मेरी आंखे बन्द हो गयी उन के सामने तारें नाचने लगे। माधवी की सांस भी धौकनी की तरह चल रही थी। मेरे लिंग से इतना गरम वीर्य निकला था कि उस की गरमी से लिंग के मुँह पर आग सी लग गई थी। कुछ देर बाद लिंग के ऊपर गरम बौछारे बौछारे पड़ने लगी। माधवी भी डिस्चार्ज हो गयी। वह मेरे उपर लेट गयी। तुफान गुजर गया।

कुछ देर बाद मैंने माधवी को बगल में लिटा लिया उस की सांस अभी भी तेज थी मैंने उस को होंठों को चुम कर कहा कि कैसा लगा? उस ने होठ को काट कर जबाव दिया। मेरे लिंग में बहुत दर्द हो रहा था ये शायद इस लिए था कि काफी समय बाद उस को योनि का स्वाद मिला था। माधवी की हालत तो वो ही बता सकती थी। उस के चेहरे पर संतुष्टी के भाव थे। मैंने उस की योनि पर हाथ लगाया तो उस ने मेरे हाथ को हटा दिया कहा कि बहुत दर्द हो रहा है मत छुओ। मैं ने हाथ हटा लिया। उस के होंठों को चुमने के बाद उस के निप्पलों पर चुम्बन दिेये इस से माधवी को राहत सी मिली। हम दोनों का पहला मिलन खत्म हुआ था अब उस के अनुभव बांटने का समय आना था। मुझें अपने पर पुन विश्वास पैदा हुआ। माधवी से उस के अनुभव को पुछना था?

थोड़ी देर में हम दोनों इस प्रथम मिलन के तनाव से मुक्त हो चुके थे। मैंने माधवी को अपनी तरफ कर के पुछा कि इस प्रथम मिलन के बारे में उसका क्या विचार है। वह कुछ देर चुप रही फिर बोली कि मुझें अपने पहले के अनुभवों के बारे में कुछ याद नही है, वो सारे शायद नशे में हुऐ थे। आज का मिलन ही सही मानों में मेरा पहला शारीरिक मिलन का अनुभव है। इस कारण ही मुझें बहुत दर्द हुआ, लेकिन तुम ने उस समय अपने को अलग कर के मुझें आराम दिया, नही तो उस समय रुकना मुश्किल होता है। दुसरी बार के प्रवेश में दर्द नही हुआ। आप के अनुभव ने इसे आसान कर दिया, मुझें लगता है कि मैं आप का ज्यादा साथ नही दे पायी हूँ। आगे शायद मेरा रोल ज्यादा होगा। आप के मन में जो डर था मुझें पता नही वह दूर हुआ है या नहीं। मैं तो इस मिलन से सन्तुष्ट हूँ। पहली बार मुझें लगा कि मेरा भी इस खेल में कोई रोल है नही तो पहले मैं सिर्फ एक छेद मात्र थी। दो-चार मिनट में सब कुछ खत्म हो जाता था और मुझें कुछ समझ में ही नही आता था। आज तो मैंने सब कुछ महसुस किया है और इस में अपना रोल पुरा निभाया है। यह कह कर वह चुप हो गयी।

मैंने उसे अपने से चिपटा लिया और कहा कि यह मेरे लिए भी नया अनुभव था। मैं भी काफी लम्बे समय से सेक्स से दूर रहा हूँ। इस लिए सेक्स के लिए तैयार हूँ यह भी मेरे लिए कहना मुश्किल था। मैं भी बहुत डरा हूआ था फिर तुम्हारा मेरा पहला मिलन था, तुम मेरे से उम्र में छोटी हो, पहली बार में अगर तुम मुझ से सन्तुष्ट नही हो पाती तो तुम्हारी नजरों में मेरी स्थिती खराब हो सकती थी। तुम्हारी मेरी दोस्ती भी तीन दिन ही पुरानी थी। हम एक दुसरे को ज्यादा समझते भी नही है। तुम्हारी सेक्स के लिए जल्दबाजी भी मेरे लिए परेशानी पैदा कर रही थी।

तुम यह जान लो कि कई सालों से मैं सेक्सुयली एक्टिव नही हूँ। इस लिए मेरे लिए यह मिलन बहुत तनाव भरा था। मेरे अतीत में बहुत कुछ ऐसा हुआ था जिस से मैंने अपने मन को सेक्स से बिल्कुल अलग कर लिया था। तुम ने मेरे अन्दर सेक्स को दुबारा जगाया है इस के लिए मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूँ। मेरे लिए सेक्स शरीर से ज्यादा मानसिक है, यही कारण है कि मैं तुम्हारे इशारों को समझ कर भी नहीं समझ रहा था। बाद में मैंने महसुस किया कि तुम्हारे प्यार को ठुकराना सही नही है, तुम तो मेरे लिए एक मौका हो दुबारा जीवन में लौटने के लिए, इस लिए मैंने तुम्हारा जीवन बचाया, उस का कर्जा तुम ने मुझें दुबारा जीवन में ला कर चुका दिया है इस लिए आगे से इस बात के लिए एहसान मत मानना। इस मिलन में सब कुछ सही नहीं था लेकिन यह आगे आने वाले कल के अच्छे होने का संकेत है।

मैंने तुम्हे थोड़ा कष्ट दिया था उस के सिवा कोई चारा नही था मुझें पता चल गया था कि तुम्हारा अनुभव सही नही था और आज भी सब कुछ सही नही हो रहा था, लेकिन अन्त में तुम भी इस का पुरा मजा लेने लगी थी। यह अच्छी बात है। हम दोनों अपनी-अपनी कैद से बाहर निकल पाये है, यही मेरे लिए खुशी की बात है। मन की दोस्ती होने के बाद शरीर की दोस्ती अपने आप हो जायेगी, ऐसा मेरा मानना है।

मेरी बात सुन कर माधवी बोली कि आप ने इतनी मुश्किल बात को इतनी आसानी से कह कर मेरे मन की सारी शंका खत्म कर दी। मैं भी इस बात से डरी हूई थी कि आप शायद मेरे पुराने सबंध के कारण मुझ से दुर है। आप के व्यवहार को समझ नही पा रही थी कि जवान लड़की के साथ को आप क्यों ठुकरा रहे है। मुझें प्यार का एक ही अर्थ पता था शारीरिक सबंध, मन के संबंध के बारे में पता ही नही था, आज पता चला कि जब आप किसी को मन से चाहते है तो उस के साथ सेक्स का मजा अलग ही होता है। इस मिलन में दर्द था लेकिन वह भी प्यारा था उस के कसक में भी मजा आ रहा था। मैंने तो इस का भरपुर मजा लिया, आप कह सकते है कि आप ने आज मुझें पुरी औरत बना दिया है।

आप से मिलन की जिद कुछ नही मेरे प्यार को दिखाने का तरीका था। मुझें ऐसा ही लगता था, आप के प्यार ने मेरे मन में बसी गलत धारणा खत्म कर दी है। आप को मुझें सभांल कर रखना पड़ेगा, आज से मेरी जिम्मेदारी आप पर है। यह कह कर वह चुप हो गयी। हम दोनों ने एक-दूसरे को अपने मन की बात इमानदारी से बता दी थी, अब एक नयी शुरुआत हो रही थी जिस पर पिछले का बोझ नही था। हमें सब कुछ नया लिखना था जो शायद समाज के बने बनाये ढांचे में फिट नही होने वाला था। लेकिन समाज की चिन्ता किस को थी।

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