खेल खेल में

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जीजू ने खेल खेल में तोड़ी सील
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मेरा नाम अंजलि शर्मा है. मेरी उम्र 19 साल है और मैं कॉलेज के प्रथम वर्ष में हूं. मेरा फिगर 32-30-34 का है और रंग गोरा है।हम दो बहनें हैं। मेरा एक भाई भी है. मेरी बड़ी बहन है राधिका. राधिका दीदी की उम्र 24 साल है।

हम दोनों बहनें तब से काफी अच्छी सहेलियाँ हैं जब से मैंने अपनी बहन को 2 नौकरों से छत वाले रूम में चुदते देखा था।

उस दिन मैं स्कूल से जल्दी आ गयी थी. घर पर दीदी के अलावा कोई नहीं था इसलिए वो ऊपर वाले रूम में नौकरों से चुदवा रही थी। दीदी मुझे देख कर डर गयी और फिर मुझे चुप रखने के लिए बाद में शॉपिंग कराने लेकर गयी.

इस बारे में उसने किसी को न बताने के लिए कहा.

मैंने किसी को नहीं बताया और तब से दीदी मुझसे ओपन हो गयी. वो मेरे घर पर होने पर भी नौकरों से चुदवा लेती थी। दीदी ने अपने कॉलेज के लड़कों के साथ भी सेक्स किया था।

अब जो मैं कहानी बताने जा रही हूं वो घटना मेरे साथ हुई थी.

यह बात 1 साल पहले की है जब दीदी की नयी शादी हुई थी।

दीदी मुझसे उम्र में 5 साल बड़ी है. दीदी की उम्र 24 साल है और जीजू की 27 साल।

मैं पिछली होली पर दीदी के ससुराल गयी थी। दीदी और जीजू एक रूम में सोते थे. मैं दूसरे रूम में सोती थी। मुझे अकेले सोने में डर लगता था।

मुझे एक रात बहुत डर लग रहा था.

काफी कोशिश करने के बाद भी नींद नहीं आई तो मैं उठ कर दीदी के रूम की तरफ जाने लगी.

दीदी के रूम से अजीब सी आवाजें आ रही थीं तो मैं बाहर रुक गई और खिड़की से देखने लगी।

मैंने देखा कि दीदी और जीजू बिल्कुल नंगे थे। जीजू दीदी के ऊपर पड़े थे और दीदी की चुदाई कर रहे थे.

मैं ये सब देखकर अंदर नहीं गयी और अपने रूम में जाकर सो गई।

अगली रात को मैं उनके सोने से पहले ही उनके रूम में चली गयी.

मैंने कहा- मुझे डर लग रहा है.

तो वो बोले- कोई बात नहीं, यहीं हमारे साथ सो जाना!

उसके बाद जीजू तो पहले सो गये मगर हम दोनों बहनें कुछ देर तक बातें करती रहीं. फिर दीदी को नींद आने लगी.

मैं जीजू के बगल में लेट गयी और मेरे बगल में दीदी सो गयी.

रात करीब 12 बजे मेरी नींद खुली.

मैंने पाया कि जीजू का पैर मेरे पैरों पर था और उनका हाथ मेरे बूब्स के पास था।

जीजू नींद में थे इसलिए उन्होंने मेरे बूब्स दबा दिए थे. उनको लगा मैं दीदी हूं।

उनका पैर हाटने के मकसद से मैं थोड़ी हिली तो उन्होंने नींद में ही मेरा मुंह दीदी की ओर करवा दिया और मेरी छाती पर हाथ लाकर मेरे बूब्स को पकड़ कर सोने लगे.

फिर उनके हाथों ने मेरे बूब्स को हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया.

शायद उनकी नींद टूट चुकी थी और वो मुझे दीदी समझ रहे थे.

कमरे में अंधेरा था इसलिए कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था.

मैं भी सोने का नाटक करती रही.

मगर जीजू के द्वारा मेरे बूब्स दबाये जाने से मुझे बहुत मजा आ रहा था.

जीजू का लंड खड़ा होकर मेरी गांड पर चुभने लगा था.

फिर पता नहीं अचानक क्या हुआ, वो उठ बैठे और शायद उनको पता लग गया कि मैं उनकी साली हूं.

उन्होंने अपना हाथ हटाया और उठकर दीदी की बगल में जा लेटे.

उन दोनों में कुछ खुसर फुसर हुई. फिर जीजू दीदी के बूब्स दबाने लगे.

मैं हल्की सी आंखें खोलकर सब देख रही थी. उनको लग रहा था कि मैं सो रही हूं. जीजू मस्त तरीके से दीदी की मैक्सी के ऊपर से उनके बूब्स को भींच रहे थे.

दीदी कसमसा रही थी.

फिर उन्होंने दीदी की मैक्सी को उठा दिया और उनकी पैंटी पर चूत को चूमने लगे.

दीदी जीजू के मुंह को अपनी चूत में दबाने लगी. जीजू जोर जोर से उसकी चूत को जैसे खा रहे थे.

उसके बाद वो फिर से दीदी के होंठों को चूसने लगे.

फिर मैंने आंखें बंद कर लीं और उनकी चूमा चाटी की पुच पुच की आवाजें सुनती रही.

मुझे भी मेरी चूत में पानी सा रिसता हुआ महसूस होने लगा.

मैंने दोबारा आंखें खोलीं तो जीजू दीदी की नाइटी को उतार रहे थे. अब दीदी ब्रा और पैंटी में थी. जीजू ने दीदी की ब्रा के ऊपर से उनकी चूचियों को जोर से दबाना शुरू कर दिया और उनके ऊपर लेटकर उनके होंठों को पीने लगे.

जीजू और दीदी एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। जीजू साथ में दीदी के बूब्स भी दबा रहे थे।

फिर दीदी को पलट कर उन्होंने उनकी ब्रा खोल दी और उनके मोटे मोटे बूब्स आजाद हो गये.

वो उनके नंगे बूब्स को जोर जोर से भींचने लगे.

अब तक दीदी पूरी चुदासी हो गयी थी. उसने जीजू के लंड को पजामे के ऊपर से टटोलते हुए पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी.

दीदी की चुदास देखकर जीजू ने अपने पजामे को खोल दिया.

नीचे अंडरवियर में उनका लौड़ा तंबू बना रहा था. दीदी उस तंबू को पकड़ कर दबाने लगी.

अब तक जीजू ने दीदी की चूचियों को पीना शुरू कर दिया था. दीदी सिसकारना चाहती थी लेकिन ज्यादा आवाज नहीं कर रही थी.

वैसे दीदी मेरे सामने घर के नौकरों से भी चुदवा लेती थी इसलिए उनको मेरे सामने जीजू से चुदने में कोई शर्म नहीं थी.

मगर वो जीजू को इस बात का अहसास नहीं करवाना चाह रही थी कि हम दोनों बहनें चुदाई की राज़दार भी हैं.

फिर उन्होंने दीदी को बिस्तर पर लिटा दिया और दीदी की पैंटी उतार दी।

जीजू ने उनकी टांगों को फैलाया और उनकी जांघों के बीच में मुंह देकर दीदी की चूत को चूसने लगे.

ये देखकर मैं तो एकदम से चुदासी हो गयी. जीजू जैसा चोदू पति तो बहुत किस्मत वाली औरत को मिलता है.

मैं तो जीजू की फैन हो गयी थी ये देखकर.

वो जोर जोर से दीदी की चूत को चूस रहे थे और दीदी अपने हाथों से उनके सिर को अपनी जांघों के बीच में अपनी चूत पर दबा रही थीं.

दीदी अब अपने सिर को दायें बायें पटकने लगी थी. चुदास उसकी बर्दाश्त के बाहर हो गयी थी.

कुछ देर तक चूत चूसने के बाद जीजू खड़े हुए और अपना अंडरवियर उतार दिया. पहली बार मैंने जीजू का 6.5 इंची लंड अपनी आंखों से देखा. मैं तो देखकर पागल हो गयी.

जीजू का लंड देखकर मेरा भी मन करने लगा कि अभी जीजू के सामने नंगी होकर चूत खोल लूं और वो मेरी चूत में अपने लंड से जोर जोर से चोद दें.

मेरी चूत में बहुत तेज चुदास उठ रही थी.

लंड आंखों के सामने आते ही दीदी उस पर ऐसे टूट पड़ी जैसे वो जिन्दगी में पहली बार लंड देख रही हों. जबकि वो न जाने इससे पहले कितने लौड़े अपने मुंह और अपनी चूत में ले चुकी थी.

वो जोर जोर से जीजू के लंड को चूसने लगी.

जीजू ने भी दीदी के सिर को पकड़ लिया और उसके मुंह को जोर जोर से चोदने लगे.

अब मैं सोच रही थी कि काश जीजू का लंड मुझे भी मिल जाये.

काश ... मैं भी अपनी चूत की प्यास इनके लंड से बुझवा लूं.

किसी औरत के जिस्म को इस तरह से प्यार करने वाला आदमी ही मेरी चूत को पूरी तरह से खुश कर सकता था.

काफी देर तक दीदी उनके लंड को चूसती रही. जीजू उनकी चूचियों से खेलते रहे. जब उनसे रहा न गया तो उन्होंने दीदी को नीचे लिटाया और उनकी चूत पर लंड टिका दिया.

फिर उनकी चूत पर लंड रखकर वो रगड़ने लगे. दीदी अपनी चूचियों को मसलने लगी. वो अपनी चूत को उचका उचका कर जीजू के लंड को अपनी चूत पर रगड़वा रही थी.

जब दीदी से रुका न गया तो वो उनके लंड को हाथ में पकड़ कर खुद ही चूत में लेने की कोशिश करने लगी. मगर लंड तो जीजू का था. उनके चाहे बिना चूत में नहीं जा सकता था.

उन्होंने अपने लंड को चूत के छेद पर सेट किया और एक ही बार में अपना लंड दीदी की गर्म चुदासी चूत में उतार दिया.

जैसे ही लंड दीदी की चूत में अंदर घुसा तो दीदी और जीजू के मुंह से एक साथ एक मदहोशी भरी आह्ह ... निकल गयी.

फिर अगले ही पल उनका लंड पूरा दीदी की चूत में था.

दीदी चुदाई शुरू हो गयी.

जीजू ने लंड को पूरा घुसाकर अपनी स्पीड पकड़ ली. मिशनरी पोजीशन में वो दीदी की चूत मारने लगे.

दीदी उनके होंठों को जैसे खाने में लगी हुई थी.

पांच मिनट तक दीदी को इस पोज में चोदने के बाद उन्होंने उनको घोड़ी बना लिया. फिर अपने घुटनों पर होकर उनकी चूत को पीछे से चोदने लगे.

दीदी की चूचियां मुझे आगे पीछे हिलती हुईं नजर आ रही थीं. जब जीजा का लंड दीदी की चूत में जाकर उनकी गांड से टकराता था तो पट पट की आवाज हो रही थी.

चुदाई की ये कामुक आवाजें सुनकर मेरी चूत जैसे आग उगलने लगी थी.

मेरी चूत ने पानी छोड़ छोड़कर मेरी पैंटी को भिगो दिया था.

10 मिनट तक चोदने के बाद जीजू ने दीदी की चूत से लंड को निकाल लिया और उनकी गांड पर रगड़ने लगे.

दीदी ने उनको पीछे हटा दिया.

वो बोले- क्या हुआ जान?

दीदी- नहीं, अभी नहीं. अंजलि उठ जायेगी.

जीजू- अब तक नहीं उठी तो अब क्या उठेगी?

राधिका दीदी ने कहा- नहीं, गांड में लेने में आवाजें ज्यादा होंगी. दर्द बहुत होता है.

जीजू- गांड और लंड को पूरा चिकना करके डालूंगा जान.

इतना कहकर वो उठे और अपने फोन की टॉर्च से देखते हुए तेल की शीशी उठा लाये. फिर अपने हाथ में तेल लेकर वो दीदी की गांड में उंगली से तेल अंदर करने लगे.

गांड को पूरी चिकनी करने के बाद उन्होंने लंड पर भी तेल लगाया और फिर दीदी की गांड को थाम कर अपना लौडा़ उनकी गांड में अंदर धकेलना शुरू कर दिया.

दीदी आह्ह ... ओह्ह ... करते हुए लंड को बर्दाश्त करने लगी.

मगर जीजू ने बिना रुके लंड को धीरे धीरे पूरा अंदर कर दिया.

मैं पहली बार दीदी को गांड में लंड लेते हुए देख रही थी.

पूरा लंड अंदर डालने के बाद वो दीदी पर झुक गये और कुत्ते की तरह मेरी बहन की गांड चुदाई करने लगे.

10 मिनट तक दीदी चुदाई के बाद अब जीजू ने झड़ने के करीब पहुंच गये थे.

फिर अचानक से उन्होंने दीदी को नीचे लिटा दिया.

दीदी का सिर मेरी ओर था और जीजू का मुंह भी मेरी ओर था. दीदी का मुंह जीजू की ओर था.

वो दीदी के मुंह पर लंड को जोर जोर से पटकने लगे. कभी बीच बीच में लंड को मुंह में भी घुसा देते थे.

इस तरह से दीदी के चेहरे पर लंड को पटक पटककर खेलते हुए एकदम से उनके लंड से पिचकारी निकली जो सीधी मेरे मुंह पर आकर गिरी. पिचकारी दीदी के सिर के ऊपर से होकर मेरे मुंह पर आ गिरी.

मैंने बड़ी मुश्किल से उस पल को संभाला.

जीजू की क्रीम मेरे मुंह पर बह चली.

उन दोनों की कुछ खुसर फुसर हुई और फिर दीदी ने उठकर मेरे मुंह पर से वो क्रीम साफ कर दी.

मैं सोने का दिखावा करती रही.

जीजू को शायद शक हो गया था.

एक तो वो पहले ही मेरे बूब्स दबा चुके थे, तब भी मैं नहीं जागी थी. अब जब उनके लंड की पिचकारी मेरे मुंह पर लगी तो मैं तब भी नहीं जागी.

फिर उस रात को वो दोनों चुदाई करके सो गये थे.

मेरी चूत गीली थी और मैं भी अपनी गीली चूत की तड़प के साथ सो गयी.

अगला दिन फिर ऐसे ही निकल गया.

उसके अगले दिन यानि कि तीसरे दिन फिर होली थी.

अगले दिन मैं जीजू के साथ होली खेलने के लिए जल्दी जाग गयी।

मैं दीदी और जीजू मौहल्ले में लगभग सुबह 10 बजे तक होली खेले। उसके बाद जीजू भांग ले आये।

दीदी ने मुझे मना किया पीने के लिये मगर खुद वो तीन गिलास पी गयीं.

थोड़ी देर में ही दीदी को नशा होने लगा. वो अपनी ही मस्ती में झूमने लगीं.

फिर जीजू मेरे पास आये और उन्होंने मुझे भी भांग पीने के लिए दी. मैं एक गिलास भांग का पी लिया.

पहला गिलास खत्म करते ही जीजू ने दूसरा गिलास मेरे आगे कर दिया.

मैं मना करने लगी लेकिन जीजू ने मुझे पकड़ लिया और अपने हाथों से पिलाने लगे. दूसरा गिलास उन्होंने खुद पिलाया. फिर तीसरा गिलास भी मैं जीजू के हाथों से ही पी गयी.

नशे के कारण अब दीदी से संभला नहीं जा रहा था. जीजू फिर उनको उनके रूम में ले गये. दीदी को रूम में सुलाकर वो वापस आ गये. मैं बाहर डांस करने में मग्न थी.

पांच मिनट के बाद जीजू भी आ गये और हम दोनों साथ में डांस करने लगे. फिर मुझे भी नशा और ज्यादा चढ़ने लगा. मैं अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और जीजू की बांहों में जाकर जैसे बेसुध सी हो गयी.

मुझे दिख तो रहा था लेकिन सब कुछ जैसे घूम रहा था. जीजू ने मेरी हालत देखी और मुझे उठाकर रूम में ले आये. जीजू ने मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद भी मेरे पास आकर लेट गये.

वो बोले- क्या हुआ अंजलि?

मैंने कहा- कुछ नहीं जीजू, सिर घूम रहा है बहुत तेज!

जीजू- कोई बात नहीं, भांग का असर दिमाग में चढ़ गया है, थोड़ी देर में सब ठीक हो जायेगा.

मेरी आँखें बंद होने लगीं और मैंने जीजू की गोद में सिर रख लिया और सोने लगी. मुझे अच्छा लगने लगा. जीजू की गोद में सिर रखने से मजा आ रहा था. फिर मैं जीजू से बातें करने लगी.

मुझे नशा हो गया था और मैं बड़बड़ाने लगी.

मैं बोली- जीजू, मैं आपसे बहुत नाराज हूं.

जीजू- क्यों, मैंने क्या कर दिया ऐसा?

मैं बोली- कल रात को मैं अकेली सोती रही और आप दीदी के साथ सोते रहे.

वो बोले- तो मैं तुम्हारी दीदी के साथ नहीं सोऊंगा तो फिर और किसके साथ सोऊंगा? मेरी बीवी है वो!

मैं बोली- तो क्या आपके साथ सोने के लिए आपकी बीवी बनना जरूरी है?

इस बात पर जीजू हंस दिये और बोले- हां, पति के साथ सोने का अधिकार पत्नी को ही होता है.

मैं बोली- और जो आप दीदी के साथ कर रहे थे वो भी क्या सिर्फ पति ही करता है?

वो बोले- तुमने देख लिया क्या?

मैंने कहा- हां, मैं देख रही थी.

वो बोले- वो एक गेम है, तुम उसके लिए अभी छोटी हो.

मैं बोली- नहीं, मुझे भी वो गेम खेलना है आपके साथ.

जीजू बोले- ठीक है, जब तुम्हारी शादी हो जायेगी तो तुम्हारा पति वो गेम तुम्हारे साथ खेलेगा.

अब मैंने देखा कि जीजू का लंड खड़ा होने लगा था. मगर वो मेरी चुदाई की बात नहीं कर रहे थे.

उसके बाद वो उठे और अपने रूम में चले गये.

मेरी चूत में जीजू के लंड से चुदने की आग लगी थी. इससे मेरा नशा भी ढीला पड़ गया था. इसलिए मैं भी पीछे पीछे चली गयी. उनके रूम का दरवाजा अंदर से बंद था.

मैंने खिड़की से देखा तो दीदी बेड पर नंगी पड़ी हुई थी. वो नशे में कुछ बड़बड़ा रही थी और जीजू मेरी नंगी दीदी के ऊपर चढ़ हुए थे. उनकी चूत में गचागच लंड को धकेलते हुए चोद रहे थे.

फिर मैं अपने रूम में वापस आ गयी. मैंने चूत को सहलाया और फिर मुझे उंगली करते करते नींद आ गयी.

दोपहर बाद करीब 3 बजे मेरी आंख खुली.

फिर हमने खाना खाया.

उसके बाद दीदी और मैं दोनों शॉपिंग करने गये. उसके बाद दीदी किसी लड़के से मिलने चली गयी और एक घंटे में लौटीं.

मुझे पता था कि वो चुदकर आई हैं. उसके बाद फिर हम घर आ गये.

हमने रात का खाना खाया और फिर सोने लगे.

मैं अपने रूम में थी. रात के करीब 12 बजे एकदम से किसी आहट से मेरी नींद खुल गयी.

मैंने देखा तो जीजू मेरे पास लेटे हुए मुझे देख रहे थे.

इससे पहले मैं कुछ बोलती वो बोले- देखो मैं तुम्हारे लिये गिफ्ट लाया हूं.

मैंने देखा तो उनके हाथ में चॉकलेट का डिब्बा था.

मैं चॉकलेट उठाने लगी तो वो बोले- ऐसे नहीं मिलेगी. तुम्हें एक गेम खेलना होगा.

मैं बोली- कैसा गेम? वही जो आपने दीदी के साथ खेला था?

वो बोले- नहीं, ये उससे थोड़ा अलग है. मैं तुम्हें नियम बता देता हूं.

नियम-1:- गेम के बारे में अपने दोनों के अलावा किसी को नहीं पता चलना चाहिए।

नियम-2:- ये पूरा चॉकलेट का डिब्बा खत्म करना है।

नियम-3:- एक चॉकलेट तुम खाओगी फिर एक मैं। चॉकलेट कैसे भी खा सकते हैं। कोई विरोध नहीं होगा।

नियम-4:- गेम बीच में नहीं रुकेगा।

नियम-5:- जो अंतिम चॉकलेट खायेगा वो विजेता रहेगा।

मैं मान गयी। फिर गेम शुरू करने के लिए जीजू ने मुझे पहली चॉकलेट खिलायी। फिर जीजू का नंबर आया तो जीजू ने अपनी चॉकलेट भी मुझे खिलायी जो मैं खा गयी।

फिर जीजू ने मेरे होंठों को अपने होंठों के पास लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे। 5 मिनट तक वो मेरे होंठों को चूसते रहे।

मैंने जीजू से कहा- आपने मेरे होंठों को क्यों चूसा?

जीजू- मैंने अपने नंबर की चॉकलेट खायी है जो तुम्हारे होंठों पर लगी थी।

मुझे लिप किस में बहुत मजा आया क्योंकि मैंने पहली बार किया था तो मैंने अपनी चॉकलेट जीजू को खिलायी और उनके होंठों को चूसने लगी। हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।

हम दोनों गर्म हो गये थे. गेम का तो एक बहाना था. हम दोनों ही चुदाई करना चाह रहे थे.

फिर जीजू ने अपनी जीन्स और टीशर्ट उतार दी। मुझे भी जीन्स और टॉप उतारने के लिए बोला।

मैंने जीजू के कहने पर जीन्स और टॉप उतार दी।

अब हम दोनों अंडर गारमेंट्स में थे। जीजू ने 2 चॉकलेट मेरे हाथों पर और 2 चॉकलेट मेरी जांघों पर लगायी और मुझे बेड पर लिटा दिया।

जीजू ने मेरे हाथों और जांघों को चूसना शुरू कर दिया।

धीरे धीरे जीजू का लंड भी उफान मारने लगा था। जीजू ने मेरे हाथों से चॉकलेट चाटते हुए मेरी ब्रा उतार दी। फिर वो मेरी जांघों से चॉकलेट चूसने लगे।

वो खुद पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे थे और जोश में मेरी पैंटी फाड़ दी।

मैं बिल्कुल नंगी हो गयी थी। मेरी चूत पर बाल नहीं थे इसलिए मेरी चूत बिल्कुल साफ थी।

जीजू मेरी चूत पर चॉकलेट लगाने वाले थे लेकिन मैंने उनको अपना नम्बर बताकर रोक दिया।

जीजू का अंडरवियर मैंने उतरवा दिया. उनका लंड पूरा तना हुआ था.

मैंने पूछा- जीजू ये क्या है?

जीजू- ये आइसक्रीम है।

तो मैंने अपने हिस्से की 4 चॉकलेट जीजू के लंड पर लगा दीं और जीजू के लंड को चूसने लगी।

मैंने लगभग 10 मिनट तक जीजू का लंड चूसा।

जीजू का लंड एकदम से फटने को हो गया था. वो पूरा मेरी लार में गीला था.

उसके बाद जीजू ने 4 चॉकलेट उठा ली और मेरे बूब्स पर रगड़ने लगे. फिर 4 चॉकलेट उठा कर मेरी चूत पर रगड़ने लगे. 1 चॉकलेट जीजू ने मेरी चूत में अंदर डाल दी।

फिर जीजू ने मुझे बैड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गए। उन्होंने मेरे होंठों को बहुत देर तक चूसा.

मैं भी जीजू के प्यार में खो गयी.

फिर वो मेरे बूब्स को मुंह में भर कर चूसने लगे।

मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं. 'ओह्ह जीजू ... आह्ह ... उम्म ... ओह्ह ...' करते हुए मैं जीजू के सिर को अपने बूब्स में दबाने लगी.

जीजू भी जोर से सिसकारते हुए कामुक बातें कर रहे थे- ओह्ह ... मेरी अंजू ... क्या मम्मे हैं तेरे ... ऐसा लगता है कि ऐसे ही इनको हाथों से या होंठों से मसलता रहूं।

मुझे बहुत मजा आ रहा था।

जीजू ने बारी बारी मेरे बूब्स चूसे। मैं मदहोश होकर बेड पर पड़ी थी।

जीजू मेरे पेट को साफ करते करते मेरी चूत तक आ पहुँचे।

वो मेरी चूत को चूसने लगे. जो चॉकलेट मेरी चूत में थी जीजू उसको खाने लगे.

मैं तो पागल हो गयी. फिर वो बेड से उठे और मेरी टांगों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा।

फिर वो अपना लंड मेरी चूत के होंठों के बीच रगड़ने लगे।

मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

मैंने कहा- आह्ह जीजू ... बस ... अब डाल दो अपना लंड मेरी चूत में ... मेरी चूत को चोद दो जीजू ... मैं राधिका दीदी की तरह आपसे चुदना चाहती हूं.

जीजू ने हल्का सा धक्का मारा।

मेरे मुंह से हल्की सी चीख निकल पड़ी। मैं उम्म्ह ... अहह ... हय ... याह ... करके चिल्लाई।

लेकिन जीजू का लंड मेरी टाइट चूत पर से फिसल गया।

फिर जीजू ने मेरी चूत और अपने लंड पर नारियल का तेल लगाया और फिर से हल्का सा धक्का मारा।

जीजू का थोड़ा सा लंड मेरी कुँवारी चूत में समा गया।

मेरे मुंह से जोर की चीख निकली- आह्ह ... जीजू ... धीरेएए सेएए ... आह्ह ... मर गयी मम्मी ... आह्ह मेरी चूत फट गयी ... धीरे जीजू ... प्लीज।

जीजू ने थोड़ा रुक कर एक और झटका मारा और उनका आधा लंड मेरी चूत में समा गया।

मेरी चूत से खून की धारा बहने लगी।

मैंने जीजू को लंड बाहर निकालने को बोला. जीजू ने ये कह कर निकालने से मना कर दिया कि गेम को बीच मे नहीं रोक सकते.

ऐसा कहते कहते जीजू ने जोर का एक और झटका मारा। उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।

मैं दर्द के मारे पैरों को पटक रही थी। मगर जीजू मेरे ऊपर पड़े पड़े मेरे बूब्स दबा रहे थे और होंठों को चूस रहे थे।

5-7 मिनट बाद मेरा दर्द कम हुआ तो जीजू ने लंड थोड़ा बाहर निकाल कर अंदर डाला।

मुझे थोड़ा दर्द हुआ लेकिन मेरे मुँह से उम्म्ह ... अहह ... हय ... याह ... जैसे सीत्कार भी निकल गये.

मैंने अपने पैरों से उनकी कमर को जकड़ लिया।

जीजू भी सिसकारे- आहह्ह ... ओह्ह .... कितनी टाइट है तेरी चूत अंजलि ... देख मेरा लंड कैसे मचल रहा है तेरी चूत में ... ओहह तेरी चूत में लंड देकर मजा आ गया मेरी जान ... तेरी दीदी से भी मस्त चुदाई करूंगा तेरी आज ... आह्ह मेरी रानी!

फिर जीजू मेरी चूत को चोदने लगे और स्पीड बढ़ा दी.

दो मिनट के अंदर ही मैं झड़ गयी और बेसुध सी हो गयी.

वो मेरी गीली चूत को और तेजी से चोदने लगे. अब मेरी चूत से फच फच की आवाज हो रही थी.

पांच मिनट के बाद जीजू ने मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया और पूरी ताकत से धक्के लगाने लगे.

शायद वो झड़ने वाले थे अब!

उसके कुछ ही पल बाद उन्होंने जोर का धक्का मारा और पूरा लंड अंदर ठूंस दिया.

उनका लंड उसी वक्त मेरी चूत में अपना रस उगलने लगा.

एक बार और मेरी चूत से झरना बह निकला और दोनों के वीर्य की बारिश होने लगी.

मजा आ गया.

फिर उसके दो पल बाद जीजू ने अपना पूरा लंड बाहर निकालकर फिर से एक जोर का धक्का दे दिया।

मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी, उनके धक्के से मैं दर्द से चिल्लाई।

उस धक्के से उनके लंड के अंदर बचा सारा पानी मेरी चूत में निकल आया.

थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी चूत में जमा हुआ हम दोनों का पानी मेरी जाँघों से बहते हुए जमीन पर गिरने लगा।

फिर हम दोनों बाथरूम गए और एक दूसरे को साफ़ किया. फिर बेडरूम में जाकर एक दूसरे की बांहों में लेट गये और कब सो गए हमें पता भी नहीं चला।

सुबह मैं अचानक जागी तो मैंने देखा जीजू फिर से मेरी चूत को चूस रहे थे।

मैं सोने का नाटक करती रही।

थोड़ी देर चूसने के बाद जीजू ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मेरी चूत के साथ खेलने लगे।

मैं उनके धक्कों को सहन नहीं कर पायी क्योंकि इस खेल में नई खिलाड़ी थी इसलिए मैं जाग गयी। फिर मैंने जीजा साली सेक्स में जीजू का साथ देना शुरू कर दिया। मैंने अपने दोनों पैरों को जीजू पर लपेट लिया। जीजू मुझे पेले जा रहे थे।

लगभग 10 मिनट बाद जीजू झड़ने के करीब आ गए।

जीजू मुझसे पूछने लगे- क्रीम को कहां लोगी?

जवाब में मैंने मुँह खोल दिया।

जीजू ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल कर मुँह में डाल दिया और मेरे मुँह को अपने लंड से चोदने लगे।

जब वो अंदर डालते तो उनका लंड मेरे गले तक चला जाता।

लगभग 5 मिनट तक मुँह को चोदने के बाद मुझे कुछ नमकीन सा स्वाद आया।

जीजू का माल मेरे मुंह में जा रहा था.

मैं जीजू का सारा रस पी गयी। मजा आ गया उनका रस पीकर.

मैंने जीजू को बोला- आखिरी चॉकलेट मैंने खायी है इसलिए मैं इस खेल की विजेता हूं।

जीजू ने कहा- तो बताओ क्या चाहिये?

चूचे मसलते हुए मैंने मुस्करा कर कहा- स्कूटी।

जीजू भी हँस कर बोल पड़े- ठीक है। अगली बार मैं तुम्हारी ही स्कूटी से तुम्हें होटल में ले जाकर चोदने जाऊंगा.

फिर जीजू और मैं बाथरूम में फ्रेश होने चले गए।जीजू ने कपड़े पहने और दीदी के जागने के पहले अपने रूम में चले गए।कुछ ही दिनों बाद जीजू ने मुझे वादे के मुताबिक एक नयी स्कूटी लाकर दी.

मैं बहुत खुश हो गयी. मेरी चूत को एक दमदार लंड भी मिल गया था और साथ में एक नयी स्कूटी भी.उसके बाद जीजू ने कई बार मेरी चूत मारी है.

मेरी दीदी को हम जीजा साली सेक्स के बारे में नहीं पता है.

दीदी भी अपनी चूत को अलग अलग लौड़ों से चुदवाती है इसलिए मैंने भी दीदी को नहीं बताया कि मैं भी जीजू का लंड ले चुकी हूं.

इस तरह मैंने अपनी कुंवारी चूत को जीजू के हवाले कर दिया था.आपको मेरी कुंवारी चूत की चुदाई की ये कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना.

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