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Click hereमहारानी देवरानी
अपडेट 35
गलतफहमी का स्पष्टीकरण
देवरानी को राजपाल के साथ जाते देख बलदेव से रहा नहीं जाता है और वह गुस्से में आकर अपने कक्ष में आ कर शराब पीने लगता है।
कक्ष की साफ सफाई के लिए जब कमला आती है, तो बलदेव को ऐसे हाल में देख उसे बहुत दुख होता है। "आज बताती हूँ इस महारानी की बच्ची को मेरे बच्चे का ऐसा हाल कर दिया।"
आज दो दिन से लगतार मदिरा पीने से बलदेव बहुत कमज़ोर दिख रहा था उसकी आँखों के नीचे निशान आ गये थे जो साफ़ बता रहे थे कि ये नींद पूरी नहीं होने और नशे का असर है, पर बलदेव को कोई पूछता तो वह कहता है कि उसके दिन रात सीमा को सुरक्षा देने की उसकी जिम्मेदारी से उसकी हालत ऐसी हुई है।
देवरानी शाम को पूजा करती है माथे पर सिंदूर लगती हैऔर भगवान से प्रार्थना करती है। "भगवान मेरे ही जीवन में क्यों इतनी उथल पुथल मची हुई है। क्या मुझे खुश रहने का हक नहीं, हर कोई मुझे धोखा देता है। पहले पिता जी ने कहा" बेटी तुम्हें इस से सुंदर वर और ससुराल नहीं मिलेगा राज करोगी तुम घाटराष्ट्र मैं" और आज बेटा भी मुझ से झूठ बोल रहा है और मेरे साथ षड्यंत्र रच रहा है।
वो अपनी माँ को भोगने की बात और प्रेम की बात वह किसी और से कैसे कर सकता हैं। उसे मेरी प्रतिष्ठा का जरा भी ख्याल नहीं आया या वह शेर सिंह बन कर मुझे पाने के फिराक में था।
उधर कमला भी ताक में बैठी थी की महल में कब शांति हो और सही समय मिलते ही वह देवरानी से बात करे!
देवरानी के मुख से भजन सुन कर वह उसके कक्ष में जाती है और उसकी पूजा खत्म होने का इंतजार करती है। थोडे देर में पूजा खत्म कर के देवरानी मुड़ती है। तो वह अपने सामने कमला को पाती है।
देवरानी: अब तुम क्यों आयी हो यहाँ?
कमला: आप से कुछ बात करनी है।
देवरानी: मुझे तुम से कोई बात नहीं करनी है ।
कमला: पर मुझे करनी है।
देवरानी: चिल्लाते हुए " तुम्हें तो जो करना था वह तो तुमने कर लिया है ।
कमला: चिल्लाओ मत! लोग सुनेंगे तो तुम्हारी ही बदनामी होगी।
देवरानी: अब क्या बाकी रह गया है। बदनाम तो कर ही दिया तुम ने और बलदेव ने।
कमला: कैसे हुई हो बदनाम? भला हमने कौन-सा इस बात का ढिंढोरा पीट दिया है तुम्हारे बारे में, घटकराष्ट्र में, की बलदेव तुमको प्यार करता है।
देवरानी: चुप कर कामिनी! तेरे मुख से ये बात शोभा नहीं देती ।
कमला: बताओ कैसे हमने तुम्हें धोखा दिया और किस बात का तुम्हें दुख है?
देवरानी: बलदेव ने मेरे साथ छलावा किया और उसने तो हद कर दी अपने माँ को पाने के लिए । मुझे पाने के लिए भेस बदला और अपनी माँ की दासी को भी सब बता दिया।
कमला ये बात सुन कर रो देती है।
कमला: बना दिया न एक पल में बेंगाना । मेरी 18 सालो का सेवा और ईमानदारी को तुमने एक पल में बेंगाना बना दिया। मेरी गलती थी जो में तुम्हें अपनी छोटी बहन समझती थी।
सुनो देवरानी ये बात सच है की हमने झूट कहा, बलदेव ने अपना भेस भी बदला । जो उसे नहीं करना चाहिए था पर ये सोचो हमने ऐसा किस लिए किया । हमने ये सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए किया ।
और तुम्हें ये बात काटे खाए जा रही है ना की ये बात बलदेव ने मुझे कैसे बता दी! तो सुनो उस बेचारे ने तो मुझे कुछ नहीं बताया । मैंने ही उसके दिल को भाप कर जबरदस्ती उसके मुह से बात निकलवाई थी, की वह तुमको चाहता है। वह बेचारा तो तुम्हारी इज्जत के डर से बोल ही नहीं रहा था।
और मुझे पता भी चल गया तो क्या हुआ जिसका तुम्हें इतना दुख है। क्या में तुम्हारी बड़ी बहन जैसी नहीं हूँ और सिर्फ एक दासी हूँ जो तुम्हारे लिए सिर्फ बुरा सोचती है ।
देवरानी ये सुन कर स्थिर हो जाती है।
"कमला मैंने ऐसा तो नहीं कहा! "
कमला: चुप हो कर सुनो तुम! वह तो बलदेव पागल है जो तुम्हारे चक्कर में पड़ गया, वह तो ऐसा बांका जवान है कि अब तक ना जाने कितनी स्त्रियों या कन्याओं या राजकुमारियों या रानियो को भोग चूका होता । पर वह किसी और की तरफ देखता तक नहीं है
देवरानी ये मत कहना के इसके लिए सिर्फ बलदेव ही जिमेदार है। भले ही शुरूवात उसकी तरफ से थी पर तुम्हारा दिल भी उस पर डोल गया था ।मैं भी तुम दोनों का चिपकना और छेडखानी देख रही थी।
देवरानी इस बात को सुन सर नीचे कर लेती है।
कमला: रोते हुए महारानी झूठ मत कहना। डरो मत! मुझ से मत डरो । जब तक आप बलदेव के साथ हो इस समाज से आपका कोई कुछ नहीं बिगा सकता । सच बताओ देवरानी "क्या तुमने कभी एक स्त्री की तरह बलदेव को चाहा नहीं है?"
देवरानी चुप रहती है। उसके पास इन प्रश्नो का कोई उत्तर नहीं था।
कमला: तुम्हारी खामोशी इस बात का सबूत है। की तुम भी पसंद करती हो। उसे चाहती हो ।
कमला अचानक से देवरानी के पैरो को पकड़ बैठ जाति है।
"महारानी! बलदेव पर दया करो वह दो दिन से ना तो कुछ खा रहा है और बस मदीरा पी कर अपनी जान गवाने पर तुला हुआ है।" ये सुन देवरानी का आखो में आंसू आ जाते है। "उठो कमला मेरी बहन!"
अब कमला देवरानी को पूरी कहानी बताती है। कैसे उसने और बलदेव ने सिर्फ देवरानी के खुशी के लिए ऐसा किया । और साथ ही ये भी बताया की और तो और महारानी, बलदेव ने ये भी शपथ ले ली थी के अगर तुम्हे शेर सिंह ही चाहिए तो वह किसी और से आपका विवाह करवा देगा । "
ये बात सुन देवरानी अचंभित थी। हाँ महारानी उस दिन अगर आप घोड़े पर बैठ जाती तो वह आपको एक राजा के पास छोड़ देता जो आपकी मर्जी से आपसे विवाह करता। "
अब बलदेव आपके बिना नहीं जी सकता। वह कहता है कि वह अपनी जान दे देगा अगर तुम उसे ना मिली तो अगर तुम उस दिन चली जाती तो पक्का वह या तो घाटराष्ट्र छोड़ चला जाता है या मर जाता ।
"कल रात भी वह कह रहा था कि वह मर जाएगा अगर तुम नहीं मिली तो।"
देवरानी: पर में कैसे क्या करूं, ये समाज और धर्म हमें जीने नहीं देंगे।
कमला: देवरानी अपनी खुशी मार के ऐसे भी कौन-सा तुम जिंदा हो। तुम तो मरी हुई ही हो, इस से अच्छा तुम खुशी प्राप्त करने के बाद अपने प्राण छोड़ो ।
देवरानी: वह कहा है अभी ।
कमला: वह सुरक्षा के लिए अधिकतर समय राष्ट्र के सीमा पर ही होता है।
देवरानी को समझा कर कमला विदा लेती है, पर देवरानी के दिमाग पर विचारो का पहाड़ छोड़ देती है।
देवरानी: ये लड़का भी ना दीवाना है। मेरा किसी और के साथ विवाह करवा देता और अपनी जान भी दे देता, अपने प्रेम की बली देने वाला था बलदेव और मैं उसे गलत समझी थी ।
जो व्यक्ति अपने प्रेम की बली दे सकता है। मेरे लिए जान दे सकता है। वह मेरी इज्ज़त कभी नहीं खत्म होने देगा और न ही वह कभी मेरा साथ छोड़ेगा।
वो अपने दिल की बात मुझे कहता भी तो कैसे कहता?
ये सोचते हुए देवरानी के लबो से निकलता है।
"पागल प्रेमी" और उसके मुख पर हल्की मुस्कान आ जाती है और शरमा जाती है।
रात देर तक देवरानी बलदेव का इंतजार करती है। आधी रात मदिरा के नशे में डूबा बलदेव आता है और उसको देख देवरानी "बलदेव" पुकारती है और बलदेव उसे अनसुना कर के चला जाता है।
अगले दिन भी देवरानी कोशिश करती है। पर वह अपने होश खो बैठे बलदेव से बात नहीं कर पाती और घर में राजपाल के रहते हुए वह खुल्लमखुल्ला इस मुद्दे पर बात भी नहीं कर सकती । क्योंकि, पता नहीं नशे में बलदेव क्या कह दे सबके सामने।
कहानी जारी रहेगी