शादी में धमाल

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हमारी शादी पक्की हो गई थी। दो महीने बाद होनी थी। इस बीच में मेरी उस से ज्यादा बात नही हुई लेकिन उस की बात मां से रोज बातें होती थी। मेरे लिए बहुत से काम थे। शादी की तैयारी कर रहा था। काम ही काम था। उस की तरफ से निश्चितं था।

शादी का दिन भी आ गया। घर में मेहमानों की रेलमपेल थी। बहनें मामा, मामियाँ, चाचा, चाचियाँ, चारों तरफ रिश्तेदार ही रिश्तेदार। बारात उस के घर गई। फेरे पड़े और वह मेरे घर बहू बन कर आ गई। शादी में काम कर के मैं थक कर चुर था। उस को विदा कर घर ला कर मैं बैठा ही था कि मां बोली की आराम नही कर सकता, अभी बहुत से रीति रिवाज पुरे करने है। मैंने कहा की सब करते है। वह मुस्करा रही थी। बहन बोली की अभी तो भाभी आप को मिलेगी नही। मैं चुप रहा, पता था कि सुहागरात दो या तीन दिन के बाद ही होगी। तब तक उस के बारे में सोचना भी बेकार था।

मैं तो सब रिश्तेदारों के साथ ही सोता था। वो तो मां और सब घर वालों के साथ अच्छी तरह से घुली मिली थी। उस को देख कर पता ही नहीं चल रहा था कि यह नई बहू है और अभी ब्याह कर आई है। मां तो बहुत खुश थी। रोज खाना खाने के समय ही उस के दर्शन होते थे। मुझे उस के लिए एक अगुंठी खरीदनी थी उसे बताए बिना। इस के लिए मैंने बहन को कहा कि उस की अगुंठी का नाप ला कर दे ताकि अगुंठी सही नाप की आ सके। बहन ने उस के नहाने जाते समय, चुपके से अगुंठी का नाप ले कर मुझे दिया। मैंने बाजार जा कर उस के लिए एक बढि़या अगुंठी खरीदी। फिर उस को छुपा कर रख दिया। कुछ और खरीदने का भी मन था लेकिन एकान्त ना होने के कारण उस को छोड़ दिया।

दो दिन गुजर गये, आज वो दिन आ गया जिस का हम दोनों को इन्तजार था। सुबह से कार्यक्रमों की लाईन लगी हुई थी, हम दोनों उन को निभातें रहें। शाम को खाने के बाद गहमागहमी बढ़ गई। मेरे कमरे में भीड़ लगी हुई थी। मेरा वहां जाना मना था। मैं अपने दोस्तों और भाईयों के साथ अलग कमरे में बैठा था। चुहल हो रही थी। फिर इस में मेरी बहनें और चाची, मामियां और भाभियां शामिल हो गई। मैं चुपचाप था मेरी परेशानी का सब मज़ा ले रहे थे। सब को पता था कि बहू थोड़ी अलग तरह की है। वह तो सब की परिचित थी सिर्फ मेरा परिचय उस से कम था। धीरे-धीरे रात के ग्यारह बज गये, कुछ को छोड़ कर सब लोग सोने के लिए चलने लगे।

फिर चाची, मामी आई और मुझे मां के पास ले गई। मां ने दो कंगन मेरे को दिये कि ये बहू के लिए है। इस के बाद मेरे को लेकर सारी भीड़ मेरे कमरे की ओर चल दी। कमरे के बाहर मुझे दरवाजे के अन्दर धकेल कर सब हँसने लगे। मैंने कमरे का दरवाजा बन्द किया और बेड़ की तरफ देखा, वह बेड़ पर लाल रंग की साड़ी पहने बैठी थी। मेरे बेड़ की जगह नया डबल बेड था। बेड लाल गुलाब के फुलों की झलरों की ढ़का हुआ था, झालरों के नीचे वह बैठी हुई थी। मैं रुक कर एकटक उस को निहारने लगा। यह देख कर वह बोली कि क्या देख रहे हो, मैं ही हूँ, लड़की बदल नहीं गई है? मैं हँस कर बोला कि लड़की का तथा अपने कमरे का यह रुप मैंने पहले नही देखा था इस लिए नजर भर कर निहारना बनता है। वह जोर से हँस दी।

मैं जा कर बेड पर उस के पास बैठ गया। उसने मुझ से कहा कि मैं खड़ा हो जाऊ, मैं हड़बड़ा कर फर्श पर खड़ा हो गया, वह बेड से उतर कर नीचे खड़ी हुई और उस ने झुक कर मेरे पैर छु लिए। मैं अचकचा कर पीछे हटा तो वह बोली कि आज छुलवा लो, रोज रोज ऐसा नही करने वाली। मेरी भी हँसी निकल गई। हम दोनों ही हँसने लगे। वह बोली की मां ने कहा था कि सुहागरात को पति के पांव जरुर छुना, सो मैंने किया।

मैंने उसे बाहों से पकड़ कर बेड़ पर बिठा दिया। मैं भी उस की बगल में बैठ गया। मैंने जेब से मां के दिये हुए कंगन उस को दिये, वो बोली कि आप ही पहना दिजिए। मैंने उस के मुलायम कलाईयों में दोनों कंगन पहना दिये। इसके बाद मैंने जेब में हाथ डालकर अगुंठी निकाली और उस के हाथ को पकड़ कर ऊंगली में पहनाने की कोशिश की। वह बोली कि यह किस बात की है? मैंने कहा कि यह आज के दिन तुम्हारें को मेरी तरफ से उपहार है। आज की रात की यादगार। उस ने कहा कि मैंने तो यह सोचा ही नही। मैं तुम्हें क्या उपहार दूँ? मैंने कहा कि आज का मेरा उपहार तो तुम हो, जो मुझे मिल रही हो। इस से बड़ा उपहार हो ही नही सकता। वह हँसी और बोली कि बातें करने में तो कोई आप से जीत नही सकता। मेरी तो गिनती ही नही है।

मैंने उस से पुछा कि आज की रात को लेकर उसे कोई परेशानी तो नही है। उस ने ना में गरदन हिलाई। मैंने कहा कि लाल रंग तो तुम पर बहुत जँचता है। आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो। वो बोली की शादी की रात नही देखा था। मैंने कहा की उस समय ध्यान से नही देखा था। आज ही ध्यान से देखने का मौका मिला है। मैंने उस के हाथ पर अपना हाथ रख दिया। फिर धीरे से उस के होंठो पर चुम्बन ले लिया। वह सुकचा कर सिमट गई। मैंने इस पर कहा कि बहादूर लड़की कहाँ चली गई? वह बोली वो तो नाटक का भाग था। आज की बात अलग है, मैंने कहा कि मैं जानता हूँ केवल मजाक कर रहा हूँ। वह बोली की मजाक की जरुरत नही है।

फिर वह उचक कर फर्श पर खड़ी हो गई और बोली की मैं भी खड़ा हो जाऊँ, मैंने उस के आदेश का पालन किया। उस से मुझे जोर से आलिंगन में ले लिया और उस के आँखों से आंसु बहनें लगे, मैं आश्चर्य चकित था। मैंने भी उसे बाहों में भर लिया और कस कर जकड़ लिया। उस ने कहा कि वह इस दिन का कब से इन्तजार कर रही थी। मैंने अपने होंठों से उस की आँखों से बहतें आंसु पोछ लिए। मैंने कहा कि आज की रात खुशी की रात है, रोने की नही। वह चुप हो गई। बोली की मैं आप को कस कर जकडना चाहती हूँ। मैंने कहा कि करो मैंने कब मना किया है। मैं अब पुरा का पुरा तुम्हारा हूँ जो दिल चाहता है करो। उस से बाहें मेरे गले में डाल दी और मुझे बेतहासा चुमना शुरु कर दिया। माथा, आंखे, होंठ और गाल सब पर चुम्बनों की बारिश कर दी उस ने।

मैंने भी उस को रोका नही। थोड़ी देर के बाद उस को अलग कर के कहा कि मैडम सारी रात हमारी है। फिर उसे बेड पर बिठा दिया। मैं भी उस के बगल में बैठ कर उस के हाथों को चुम लिया। कमरे में गुलाब की भीनी भीनी खुशबु फैल रही थी और पुरे वातावरण को मादक कर रही थी। उस ने मेज पर रखे गिलास की तरफ इशारा किया। बोली इसे भी पी लो। मैंने गिलास उठा कर एक ही सांस में खाली कर दिया। उस को यह देख कर हँसी आ गई। मैंने उस को देख कर कहा कि कोई और काम तो नही बचा है, वह बोली अब तो एक ही काम बचा है। मैंने उस को देखा। उस की आँखों में मादकता छलक रही थी। रात मजेदार होने वाली थी।

मैं उस को देख रहा था यह देख कर वो बोली कि आज क्या आँखों से ही काम चलेगा। मैने कहा कि इन्होनें दो महीनों तक इन्तजार किया है इन की प्यास भी तो बुझानी है, इस के बाद ही और किसी का नम्बर आयेगा। वह मुस्कराई। मैंने उस से पुछा कि आज ही सब कुछ हो सकता है या उसे एक दो दिन का समय चाहिए, वह बोली की अब देर करने का कोई कारण नही है। हम दोनों ने ही काफी इन्तजार किया है। उस ने अपनी दोनों बांहे मेरे गले में डाल दी और बोली मैं अब आपकी हूँ और आप मेरे है।

मैंने पुछा कि आगे चलने से पहले मैं इस कहानी को शुरु से जानना चाहता हूँ कुछ चीजें मेरी जानकारी में नही है, तुम मुझे पुरी कहानी सुनाओ। उस ने पुछा की कहाँ से सुनाऊँ, मैंने कहा की शुरु से। वह बोली कि मैंने आप को किसी की शादी में देखा था तभी से आप से मिलने का मन था। लेकिन लड़कियों से पता चला कि आप से किसी की दोस्ती है, तथा आप वैसे लड़के नही हो। मुझे लगा कि ऐसा लड़का ही मेरा पति हो सकता है। उस के बाद आप के बारे में कुछ पता नही चल रहा था, एक दिन अचानक आप की मामी मेरी मम्मी से आप के रिश्ते की बात कर रही थी। उन के अनुसार आज कल ऐसे लड़के नही मिलते है। मेरी मां भी आप को पसन्द करती थी। मेरे मन में तो लडडु फुटने लगे। मैंने रोज शिव जी को मन्दिर में जा कर आप के पति के रुप में पाने की प्रार्थना करनी शुरु कर दी। मन ही मन डर लग रहा था कि ऐसा हो पायेगा या नही? घर में तो इस संबध को लेकर रजामन्दी थी।

मुझ से अभी पुछा नही गया था। फिर एक दिन मां ने मुझ से मेरी इच्छा पुछी तो मैंने हाँ कर दी। लेकिन समस्या ये थी कि किसी ने बताया था कि लड़के की कई लड़कियों से दोस्ती है। घर में किसी को भी इस बात पर विश्वास नही हो रहा था। फिर उस शादी में तुम्हारे आने की बात पता चली, तो मैंने तुम्हे चैक करने के लिए उस घटना की रुपरेखा बुनी। घर वालों को कोई ऐतराज नही था। तुम्हारी मामी ने कहा कि वो तुम्हारी गांरटी ले सकती है। उस दिन की सारी शरारत मेरी थी। मैं ही तुम्हे ज्यादा से ज्यादा चैक करना चाहती थी। घर वाले तो इस की अनुमति नही देते। आगे की कहानी तो तुम्हें मालुम है। तुम को मैं कैसी लगी थी? मेरे बारे में तुम ने क्या सोचा था। मैंने कहा कि मैंने उस दिन कुछ सोचा ही नही था। सारे घटना क्रम से मैं हैरान था। मामी के विश्वास की रक्षा करना मेरा पहला कर्तव्य था। और सब बातें उसके बाद की थी। उसी के अनुरुप मेरा व्यवहार था।

मैंने आज तक अपने जीवन साथी के बारे में कुछ सोचा ही नही था। लड़कियों से मेरी दोस्ती के बारें में मेरे परिवार में सब को पता था। उन सब का मेरे घर में आना-जाना था। तुम्हारें रिश्ते के बारे में जब बात हुई तो मैंने सोचा कि तुम उस के लिए सही हो। मैं यह भी मानता हूँ कि हमें एक दूसरे के अनुकूल ढ़लना पडे़गा तब ही विवाह चलेगा। सुन्दरता सब को अच्छी लगती है। सो मेरे को भी अच्छी लगती है। हम दोनों एक नये रास्ते के हमसफर है, तुम तो मेरे मन की बात जान ही लेती हो। मैं भी धीरे-धीरे सीख लुँगा।

मैंने कहा कि अब बातें बन्द कुछ प्यार करते है। यह कह कर मैंने उस के बालों को सहलाना शुरु किया। वह बोली की यह गहने तो उतार दूँ, चुभेगे, मैंने कहा उतार दो वो बोली तुम ही उतार दो जल्दी हो जायेगा। मैंने पहले उस की नथ उतारी, फिर गले के हार और बाद में कमर की कौधनी। कंगन नही उतारा था। गहने उठा कर बक्से में रख कर अलमारी में रख दीये।

मैंने धीरे से उस को बेड पर पीठ के बल लिटा दिया। शायद वो भी यही चाहती थी। मैं भी उस की बगल में लेट गया। पीठ सीधे करने का अब मौका मिला था। मैंने करवट ले कर देखा कि उस का वक्ष ऊपर नीचे हो रहा था। मैंने उस से कहा कि साड़ी भी उतार दो, खराब हो जाएगी। उस ने बैठ कर साड़ी खोल कर एक तरफ रख दी, मैं उसे ही देख रहा था यह देख कर उस ने कहा कि मुझे ऐसा न देखो, मैंने कहा कि अपनी बीवी को देख रहा हूँ इस में क्या खराबी है?

उस ने कहा कि उसे शर्म आ रही है। मैंने कहा कि मेरे से शर्म करोगी तो बड़ी मुश्किल होगी, अभी तो सारे कपड़े उतारने है। उसने गुस्से से मेरी छाती पर दोनों हाथों से मुक्कें मारे। मैंने उस के दोनों हाथों को पकड़ कर उसे अपने ऊपर गिरा लिया, उस के तने हुए उरोज मेरी छाती में चुभ गये। मैंने उसे कस कर जकड़ लिया। उस ने झूठ-मुठ की कसमसाहट दिखाई। मैं इस का मजा लेता रहा, हार कर उस ने समर्पण कर दिया।

मैंने फिर उस का किस लिया, वह तो इस के लिए तैयार थी उस ने भी मेरे चेहरे पर चुम्बनों की बारिश कर दी। अब मैंने एक हाथ उस की पीठ पर फिराना शुरु कर दिया, तथा दूसरे हाथ से ब्लाउज के ऊपर से उरोजों को सहलाना शुरु किया। मेरा हाथ उसकी पीठ से होता हुआ उसके नितम्बों के ऊपर पहुँच गया। किसी भी लड़की के कुल्हों को छुने का यह मेरा पहला अनुभव था। मेरे शरीर में भी करंट दौड़ने लगा। मेरी इस हरकत का उस पर भी असर हो रहा था। उस के होंठ मेरी गरदन पर थे। मैंने हाथ से उस के ब्लाउज को खोलने की कोशिश की, लेकिन सफलता नही मिली। इस पर वह बोली कि यह ऐसे नही खुलेगा। तुम भी अपना कुरता उतार दो, दाग पड़ जायेगे। हम दोनों बैठ गये। मैंने अपना कुरता उतार दिया बनियान भी उतार दी। फिर मैंने दोनों होथों से उस के ब्याउज के हूक खोल कर उस का ब्लाउज पीछे से खोल दिया।

उस से शर्म से दोनों हाथ सामने कस लिए। मैंने उस से कहा कि अब इसे उतार तो दो, उस ने धीरे रे हाथ खोल कर ब्लाउज को उतार दिया। अब वह ब्रा में मेरे सामने थी। लाल रंग की लेस की ब्रा गजब ढा रही थी। मैंने कहा कि अब शर्म करना छोड़ना पड़ेगा नही तो सुहागरात नही हो पाएगी। पहले ये बात समझ लो, उस ने सहमति में गरदन हिलायी। मैंने उस की पीठ के पीछे हाथ ले जाकर ब्रा के हुक खोल कर उसे भी खोल दिया, ब्रा खुल कर लटक गई, मैंने धीरे-धीरे ने उसे भी उतार कर एक तरफ रख दिया।

अब उसके उरोज बिना किसी वस्त्र के मेरे सामनें थे मैंने भी इससे पहले किसी के वक्ष को उघड़ा हुआ नही देखा। काले रंग के निप्पल तन कर खड़े थे। मेरा धैर्य टुट गया मैंने झुक कर उस के चुम लिया। इस पर उस ने मुझे धक्का दे कर अपने से दूर कर दिया। मैंने हाथ से दूसरे उरोज को मसल दिया। इस पर फिर से उस के मुक्कें मेरी छाती पर पड़ने लगे। मुझे ये मुक्कें अच्छे लग रहे थे। हम दोनों की हँसी निकल गय़ी। मैंने उसे अपने से चिपटा लिया। उस को शान्त करने का यही तरीका था। वह काफी देर तक मुझ से चिपटी रही, फिर अलग हो कर बोली की तुम मुझे धीरे-धीरे तैयार करोगे, मैंने हँस कर कहा कि मैडम तुम जितनी डरी हुई हो उतना ही मैं भी हूँ। हम दोनों नौसिखिये है इस फिल्ड के। जो कुछ पढ़ा है सुना है या देखा है या लोगों ने बताया है आज उस के परीक्षण का पल है। हम अपना समय लेगे, धीरे-धीरे ही सीख लेगे। लेकिन हम दोनों को एक दूसरे की शर्म छोड़नी पड़ेगी, तभी आगे चल पाएगे।

उस ने भी सर हिलाया। उस ने कहा कि इसे कल पर नही टाल सकते, बड़ों के अनुसार आज होना जरुरी है। मैंने कहा कि चलो बातें बन्द कर के काम करते है यह सुन कर वह हँस दी। मैंने फिर से उस के उरोजों को मसला। उस ने कहा की तुम को अपनी ताकत का अन्दाजा नही है इस लिए जरा जोर कम लगाओ। मेरे को यह बात समझ आ गई। हम फिर गहरे चुम्बन में रत हो गये। चुम्बन ही एकमात्र उपाय था काम को बढ़ाने का। मैंने उसे पेट के बल अपनी गोद में लिटा लिया, मेरे होठ उस की गरदन से पीठ, पीठ से कमर और फिर नितम्बों पर थे मैंने उन्हें खुब चुमा, इसके बाद उसकी चिकनी जाँघों को चुमता हुआ पंजों तक होंठों को ले गया। उसके गुलाबी मुलायम पंजों के चुम्बन लिए, अगुठे और ऊंगलियों के छोरों को होंठों के बीच ले कर चुमा। इस का प्रभाव ये हुआ कि उस के सारे बदन में करंट दौड़ गया और शरीर का तनाव दूर हो गया। मैं मन ही मन आश्चर्य कर रहा था कि मैं इस समय यह सब इतनी आसानी से कैसे कर पा रहा हूँ, ये भी उसी की सोहबत का असर था।

उस ने अभी पेटीकोट पहना हुआ था और मैं भी पायजामा पहने था, आगे कुछ भी करने से पहले इन से छुटकारा पाना जरुरी था। मैंने उसे सीधा करके उस के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया इस बार उस ने विरोध नही किया। पेटीकोट उतार कर बेड़ से दूर फेक दिया, इस के बाद मैंने अपने पायजामे का नाड़ा भी खोल कर उसे भी उतार कर बेड़ से दूर फेंक दिया। हम दोनों अब ब्रीफ और पेंटी में थे। शर्म भी काफी हद तक दूर हो गयी थी।

काम अपने पुरे जोर-शोर से हमारे ऊपर छा गया था। मैंने उसकी पेंटी उतार दी। अब मैंने उस को पीठ के बल लिटा कर उस के उरोजों को होंठों से सहलाते हुये उसकी नाभी से होते हुए कमर से होते हुए जाँघों के मध्य पहुँच गया था। वहां हल्के हल्के बाल थे। मेरे होंठ उस की योनि को ऊपर थे, भिनी सी सुगंध आ रही थी, होंठों ने योनि को चुमते हुए चाटना शुरु किया। योनि के होंठों कसे हुए थे, उन का चुम्बन लेने से वह तन गये थे। योनि के ऊपर की उभरी हुई भंग को होंठों में लेकर चुसना शुरु कर दिया। उस के मुँह से सिसकियां निकलनी लगी थी। मैं इस से और उत्तेजित हो कर और जोर से योनि को चुसने लगा। होंठ योनि के अन्दर घुसने की कोशिश में सफल नही हो पा रहे थे। नमकीन पानी का स्वाद होंठों को मिल रहा था। मैंने योनि में ऊंगली डालने की कोशिश की लेकिन योनि की दिवार बड़ी टाईट होने के कारण ऐसा नही हो पा रहा था। शायद उसे दर्द भी हो रहा था।

मैं अपनी बीवी की कुँवारी योनि का स्वाद अपनी स्मृति में सदा के लिए बसा लेना चाहता था इस लिए मैंने उस के पांवो को खोल दिया और उस में बीच में बैठ गया और योनि को नीचे ने ऊपर तक ऐसे चाटना शुरु किया जैसे बच्चे अपनी आइसक्रीम चाटते है। मैं इस मौके का भरपूर आनंद लेना चाह रहा था, मेरे ऐसे करने से योनि में से पानी निकलने लगा था, उस की कसमसाहट बढ़ गई थी और उस के मुँह से आहहहहह उई उहहहहहहहहहहहह निकल रही थी। उस ने अपने पांव ऊठा कर मेरी कमर पर रख दिये। काफी देर चाटने के बाद मैंने योनि में ऊंगली डाली तो अन्दर नमी हो रही थी। मुझे लगा कि यही उचित समय है संभोग करने का। उस को और मुझे कम दर्द होगा, जैसा मैंने सुन रखा था। मैंने उस से कहा कि शायद अब उसे दर्द होगा, उसने कहा कि उसे पता है कि पहली बार में बड़ा दर्द होता है। बोली देखते है।

मुझे सुन कर अच्छा लगा, वह अब पुरी तरह से तैयार थी।

अब देर करने का समय नही था मैंने अपनी ब्रीफ उतार दी। लिंग पुरे तनाव पर था पहली बार के कारण मैं भी तनाव में तो था। मैने लिंग के सुपारे को योनि के मुँह पर लगा कर अन्दर धकेलने की कोशिश की पहली बार में तो वह गया नही, मैंने हाथ से पकड़ कर उसे योनि के होठों के बीच कर के जोर लगाया इस बार लिंग योनि के अन्दर प्रवेश कर गया। वह बोली की बड़ा दर्द हो रहा है। मैंने कहा थोड़ी देर को होगा फिर सही हो जायेगा। ज्यादा हो तो मुझे बोल देना मैं रुक जाऊँगा। मैंने थोड़ा और जोर लगा कर लिंग को और अन्दर धकेला। योनि बहुत कसी हुई होने के कारण बहुत धर्षण हो रहा था। अब मैंने पुरा जोर लगा कर लिंग को उसकी योनि में उतार दिया। उस के मुँह से चीख निकलने का अन्दाजा था मुझे इस लिए मैंने होंठों से उस के होंठों को कस लिया, चीख दब गई लेकिन उस की गरदन हिल रही थी।

मेरे लिंग ने रुकावट महसुस की लेकिन जोर के धक्के ने हाइमन को फाड़ दिया। दर्द के कारण उस के नाखुन मेरे पीठ में घंस गये। अब मैं रुक गया। योनि के मसलस् मेरे लिंग को मथ रहे थे। मैंने उसे चुमना शुरु किया, हाथों से उरोजों का सहलाया इस से उस को दर्द से राहत मिली। मैंने पुछा क्या हाल है वो बोली आग लगी है नीचे। मैंने फिर से धक्कें लगाना शुरु किया इस बार उस ने आह निकाली मैंने अपनी गति बढा दी उस ने अब नीचे से अपने कुल्हों को उछालना शुरु कर दिया। उस के चेहरे पर पसीना आ रहा था। मैं धीरे धीरे लिंग को अन्दर बाहर कर रहा था। अब उस को मजा आने लगा। हम दोनों की गति बढ़ गई। फच फच की आवाज आने लगी। मैं थोड़ा रुकना चाहता था, लेकिन अब रुकना संभव नही था।

वासना की लहर जोरों पर बह रही थी उस के रास्ते में कुछ भी नही आ सकता था। ऊपर और नीचे से धक्कें लग रहे थे हम ऐसी दौड़ लगा रहें थे जिसमे रुकना मना था। कोई पांच मिनट बाद मेरे पुरे शरीर में सनसनी सी होने लगी आँखों के आगे तारे चमचमाने लगे। मेरे लिंग के मुँह पर बड़े जोर का दर्द हुआ और मेरा वीर्य निकल गया। योनि के अन्दर जैसे ज्वालामुखी फटा हो ऐसी गरमी थी। मेरी बीवी की टांगे मेरी कमर पर कस गयी। कुछ क्षण के लिए तो मेरी चेतना चली सी गई। मैं उस के ऊपर निढाल हो कर गिर गया। नीचे से लिंग योनि से बाहर निकल आया था।

मैं उस की बगल में लेट गया। मेरा लिंग पुरी तरह से भिगा हुआ था। मैंने बैठ कर देखा तो मेरा लिंग वीर्य और चिपचिपे द्रव से लथपथ था उस पर खुन का लाल रंग था। कुछ ऐसी ही रंग का पानी उस की योनि से निकल रहा था। उस में खुन भी था। हमारे नीचे की चादर लाल हो गई। गीली भी काफी हो गई थी। मैंने उस की योनि पर हाथ लगाया तो वो चिपचिपा हो गया। मेरी बीवी भी अब बैठ गयी और अपनी जाँघों के बीच देखने लगी। मैंने कहा कि अब क्या हाल है। वो बोली की दर्द तो है लेकिन खुन कितना निकला है? मैंने उस की पेंटी उठा कर उस की योनि पोछी तो वो भी गीली हो गयी, मैंने कहा कि खुन तो एक बार ही निकला है। अब तो रुक गया होगा, वह बोली कि कुछ महसुस तो नही हो रहा है मैंने अपनी ऊंगली योनि में डाल कर बाहर निकाली वो गीली तो थी लेकिन उस पर खुन ज्यादा नही था। मैंने कमरे में नजर दौड़ाई किसी कपड़े की तलाश मे, कुछ नजर नही आया।

मैंने बेड से उतर कर पेंट की जेब से रुमाल निकाला और उसे बीवी को दे दिया वो बोली इस की जरुरत नही है मैं तुम्हारी ब्रीफ से साफ कर लेती हूँ वैसे भी हमारे कपड़े एक साल तक धुलने नही है। उस ने ऐसा ही किया। इस के बाद हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गये। कब नींद आ गयी यह पता ही नही चला। सुबह किसी ने मेरा चेहरा चुमा तो मेरी आँख खुली तो उस का चेहरा मेरे चेहरे पर झुका हुआ था। बोली उठ जाओ लोग आ सकते है। कपड़ें पहन लो यह सुन कर मैं होश में आ गया और उठ कर कपड़ें पहन लिए वो तो पहले ही कपड़ें पहन चुकी थी। बोली में नहाने जा रही हूँ तुम भी उठ जाओ कमरा मैंने सही कर दिया है। चद्दर का क्या करे? मैंने पुछा कि इस के बारे में मामी ने क्या कहा है? वो बोली कि कुछ नही कहा है मैंने कहा तो इस को ऐसा ही छोड़ दो।

तब तक कमरे का दरवाजा खटखटाया गया। मैंने उठ कर दरवाजा खोल दिया। मामी और मां थी, मामी बोली कि लल्ला जी अब आप दूसरे कमरे में जाओ। कपड़ों को धोना नही। मैं चुपचाप कमरे से निकल गया। जाते समय देखा कि मैडम नजर झुकाए खड़ी थी।

सुहागरात के बाद सुबह कमरे से निकलने के बाद उस से मिलना शाम तक नही हो पाया। शाम को मामी ने मुझे अकेले में ले जाकर कहा कि बहू के साथ कल मैंने ज्यादा ताकत लगा दी है इस लिए दो-तीन दिन कुछ ना करो। मैं चुपचाप सुनता रहा। इस बारे में कुछ पुछ भी नही सकता था? मैंने सर हिला कर सहमति दी। रात को कमरे में ही उस से दुबारा मुलाकात हो पायी। आज साड़ी में बहुत फब रही थी। मैं चुपचाप उसे देखता रहा, मेरे को घुरते देख कर बोली कि आज आँखों से ही खा जाने का इरादा है? मैं हँसा कि नही अभी तो आदेश हुआ है कि अगले आदेश तक हर चीज की रोक है। मैंने उस से पुछा कि क्या हुआ है। वह बोली कि कुछ खास नही नीचे दर्द हो रहा है। इस लिए शायद ये आदेश जारी हुआ है।

उस की आँखे बता रही थी कि यह उस की ही शरारत थी। मैंने पुछा कि मेरी शिकायत भी कर दी है। उस ने कहा कि मेरा कोई दोष नहीं है शायद मेरी चाल और चद्दर की हालत देख कर उन्हे लगा होगा कि कल हमने कई बार संभोग किया होगा। मेरे से तो यही पुछा गया था कि मेरी नींद पुरी हुई है या नही। मैंने कहा की मैंने नींद पुरी कर ली है। इससे ज्यादा कुछ नही कहा है। तुम्हें अपने पास ही क्यो नही सुला लेते। वह हँस कर बोली ऐसा करेगें तो बातें बननी शुरु हो जायेगी।

वैसे भी कुछ लड़कियां मेरी तुम्हारे से शादी से खुश नही है। मैंने पुछा मेरे को तो इस बात का पता नही है कुछ बताओ तो पता चले। वो बोली कि एक तो तुम्हारी मामी जी की बहन ही है वह तो तुम पर लट्टू है। उस का बस चले तो मुझे जिन्दा खा जाये। ये बात मेरे लिए आश्चर्य की बात थी, मेरे कानों तक ऐसी बात नही पहुची थी। मेरे चेहरे के भाव देख कर वह बोली की मेरी शादी से पहले ही मुझे पता था कि वह तुम्हें चाहती है। उस का तुम्हें देखने का तरीका ही उसकी पोल खोल देता है। बहुत पहले ही एक शादी में उस ने मुझे बताया था कि उस की और तुम्हारी शादी की बात चल रही है। वह तुम्हारें घर भी आयी थी। तुम्हारे साथ घुमी भी है।

मैंने बताया कि ये बात तो सही है कि वह घर पर आयी थी मैं ने उसे दिल्ली घुमायी भी थी। मेरे और उस के विवाह की बात हुई तो थी लेकिन मैं मामी की बहन के साथ शादी के लिए तैयार नही था। वह जब मुझ से मिली थी तब शायद उस का ब्रेकअप हुआ था उदास रहती थी इस लिए मामी ने उसे मेरे साथ दिल्ली भेज दिया और मैंने भी एक अच्छे मेजबान की तरह उसे घुमाया भी। तब तो उस ने मेरे में कोई दिलचस्पी नही दिखायी थी। वह ज्यादातर उदास और चुपचाप रहती थी मेरे से तो ज्यादा बात ही नही की थी उस ने। वैसे भी मेरे से बड़ी भी है। वह बोली ये तो आज पता चला है पहले तो ऐसा लगता था कि वह जो कह रही है वह सही है।

मैंने पुछा इसके बाद भी तुम ने मेरे से शादी कर ली। मन में डर नही लगा कि लड़के का तो पहले से ही चक्कर है। बोली उस दिन का सारा नाटक इसी बात को चैक करने के लिए था। जिस में तुम पास हो गये थे। और कोइ भी है इस लिस्ट में, मैंने पुछा। जवाब मिला ही कई है लेकिन वह सब झुठ बोल रही थी। मुझे यह पता था।

मैंने कहा कि आज से तीन दिन तक रोक है, बोलों रात को क्या करें। बोली की बात करेगें तुम से बात करने की इच्छा अभी पुरी नही हुई है। मैंने हँस कर कहा कि अब मुझ से तो रोज बातें करनी है। उस ने मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर खीच लिया। मैं उस की गोद में गिरा, उस ने मेरे सर को अपनी गोद में रख लिया। मैं भी आराम से लेट गया। मैंने उस से पुछा कि कल मैंने तुम से पुछा था कि आज करे या ना करे। वो बोली कि कल करते या परसों दर्द तो होना ही था।