शादी में धमाल

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अगर मैं बड़ों की बात काटु तो वो भी गलत बात होगी। उन के आदेश के पीछे भी मेरी चिन्ता ही है। उस के लम्बें बाल मेरे चहरे पर गिरें हुए थे। उस के उरोज मेरे सर के ऊपर थे। तुम ने तो कल भी सब कुछ आराम से ही किया था। मैंने जितना सुना था मेरा अनुभव तो उस से बिल्कुल अलग है, मेरे पति ने तो ना तो जबरदस्ती की ना ही और कुछ करा तो मैं परेशान क्यो होऊँ? पहली बार में ऐसी हालत तो सब की होती है। सुबह चाल ज्यादा खराब थी अब तो नही है। चद्दर को देख कर मम्मी बोल रही थी कि दोनों रात भर सोये नही है। इस लिए मना किया है मेहमान भी है घर में।

मैंने कहा कि तुम्हारी हालात तो सब ने देख ली और आराम भी बोल दिया। लड़कों की सुनने वाला तो कोई नही है। उस ने पुछा कि क्या तुम्हें भी दर्द हुआ था। मैने कहा कि मेरे लिंग की हालत भी खराब है पहली बार में इतना घर्षण हुआ है कि कई जगह से शायद छिल गया है। उस को इस बात पर विश्वास नही हुआ। मैंने कहा कि अपने आप देख लो। बोली कि वो तो मैं देखुँगी मेरी चीज है। मैंने कहा कि किसी तरह के लुबरिकेन्ट की जरुरत है। किसी से बात करता हूँ। बोली इस के लिए किस से बात करोगे मैंने कहा कि मेरी दोस्त डाक्टर है उस से पुछुँगा कल सुबह। नये दंपतियों के साथ यह समस्या आती है पढ़ा तो था लेकिन अपने साथ हुआ तो पता चला।

मैडम जी ने मुँह नीचा कर के माथे पर चुम्बन ले लिया। मैंने पुछा कि कल रात का पहला अनुभव कैसा रहा? बोली की बता तो दिया। मैंने कहा वो तो दुसरों की बात थी मैं तो तुम से पुछ रहा हूँ। वह बोली कि डर तो लग रहा था शर्म भी आ रही थी मन था कि इस को बाद में करेगें फिर मन ने कहा कि देर का कोई फायदा नही होगा। तुम तो मेरे मन की बात समझ जाते हो, फिर डर किस बात का, ज्यादा होता तो तुम रुक ही जाते ये तो मुझे पता था। लेकिन प्यार में डरना क्या? तुम से प्यार करने को तो मैं मरी जा रही थी। अपने प्राणनाथ के साथ प्रथम रात्रि की चाहत तो सब लड़कियों को होती है। फिर जिस लड़के पर ना जाने कितनी लड़कियां मरती है, वो मेरा हो रहा है तो मैं देर क्यो करुँगी?

मुझे पता है कि तुम भी ऐसा ही चाहते थे। मैने कहा कि तीन दिन तो पहले ही इन्तजार कर ही लिया था। वह हँसी और बोली की अभी भी और इन्तजार करो। मैंने कहा कि किसी को क्या पता चलेगा। वह बोली की बड़ी बुढियां बहु की चाल देख कर ही सब कुछ पता कर लेती हैं, बोलने की जरुरत ही नही पड़ती। बातें होती रही फिर उस ने हाथ नीचे कर के कहा कि मुझे दिखाओ कि हुआ क्या है मैंने कहा कि मुझे भी दिखाना पडे़गा, वह बोली तुम्हारी चीज है मैं रोकने वाली कौन हूँ?

उस ने पायजामा खोल कर ब्रीफ नीचे कर दी, फिर मैंने दोनों को उतार दिया। उस ने हाथ में लिंग को लेकर देखा फिर बोली कि तुम्हारी बात सही है, छील सा गया है। इस पर कोई दवाई लगा लो। मैंने कहा कि अब कुछ लगा कर सो जाऊँगा।

फिर मैने उस की पेंटी उतार कर उस की योनि को देखा तो उस का मुँह लाल पड़ा हुआ था। ऊंगली अन्दर डाली तो उसे दर्द का अहसास हुआ, मैंने कहा कि तीन दिन रुकना सही रहेगा। घाव को हील करने का समय मिल जायेगा। मैंने योनि का चुम्बन ले लिया। मैंने उसे पेंटी पहना दी और अपनी भी पहन ली। ऐसे तो गलती होने का ज्यादा चाँस था। मैंने उसे आलिगंन में लिया और उसे कस कर किस किया। अलमारी से ढुढ़ कर ऐन्टीसेप्टीक क्रीम निकाली और क्रीम निकाल कर उस की योनि पर लगा कर, अपने लिंग पर भी लगा ली। लगा कर आराम सा लगा। उस ने भी यही महसुस किया। दोनों एक दूसरे से लिपट कर लेट गये मैने कहा कि कल इस बात का भी इलाज करते है।

वह बोली हो सके तो कर लो। साथ में सो कर कंट्रोल नही होता है। मैंने कहा जरुर कल करते है। दोनों नींद की गोद में लुढक गये।

सुबह अपनी एक दोस्त को फोन करा जो डाक्टर है, उस ने फोन उठाते ही कहा कि मैं सोच रही थी कि अब तक तुम्हारा फोन क्यों नही आया? मैंने कहा कि तुम लड़कियां सामने वाले की मन की बात कैसे जान लेती हो? वह बोली यह तो ईश्वर का वरदान है। मैंने उसे रात की बात बताई तो वह बोली कि चिन्ता की कोई बात नही है वह आज शाम को हमसे मिलने आयेगी तो दवाएं साथ लेती आयेगी। बोली की जरा मेरी अपनी बीवी से बात करा अलग से। मैंने फोन कमरे में ट्रान्सफर कर के उस की बात करा दी।

शाम तक हम दोनों की कोई बात नही हो पायी। शाम को नेहा, कई दोस्तों के साथ घर आई तो उस ने मेरे कमरे में जा कर मेरी बीवी से बात करने को कहा, मैंने उसे कमरे में छोड़ दिया। वह उस से बात करने लगी। थोड़ी देर के बाद वह आ कर सब लोगों के साथ कमरे मेरे से बात करने लगी। फिर मेरे को इशारा कर के एक कोने में ले जा कर बोली कि मैंने दवा और जैल उस को दे दिया है। दो तीन दिन में सही हो जायेगा। काफी लोगों के साथ पहली रात हो ऐसा हो जाता है। मैंने सर हिलाया। फिर हम सब एक साथ बैठ कर गप्पें मारनें लगें।

रात को कमरे में जा कर मैंने उस से पुछा कि नेहा ने क्या कहा था? उस ने बताया कि नेहा ने एक जैल दिया है योनि में लगाने के लिए और एक दिया है लिंग पर लगाने के लिए, दो चार दिन में घाव सही हो जायेगें। उस ने कहा कि वह अगर पहले ही तुम से मिल लेती तो तुम्हें इस बारे में बता देती। फिर भी दो तीन दिन रुकना पड़ेगा। मैंने जैंल की बोतल हाथ में लेकर देखी तो पता चला कि वाटर बैस्ड है।

रात को हम दोनों बात करते समय एक दूसरें की गोद में पड़े थे। हम दोनों का मन तो प्रेम करने का कर रहा था, लेकिन समस्या बढ़ ना जाए इस लिए अपने को काबु में रखने की कोशिश कर रहे थे। किसी भी नव दंपति में लिए ये सब बड़ा कष्टदायक था लेकिन कोई और चारा नही था। मैंने नेहा की लाई हुई दवा उस की योनि में लगा दी उस को दवा के लगने के बाद ठंड़ा सा लगा। दवा का असर था। जैल तो संभोग के समय इस्तेमाल के लिए था। दो दिन कैसे कट गये पता ही नही चला। आज चौथा दिन था। आज शायद हम दुबारा मिलन कर सकते थे। दिन तो सामान्य तौर पर गुजर गया। उस की चाल भी सही हो गयी थी। घर में अब किसी ने कुछ कहा नही था। सब के मौन का मतलब यह था कि अब कोई रोक नही थी।

रात को जब हम दोनों मिले तो मिलन की चाह पुरे जोर पर थी। मैंने उसे बाहों में भर कर चुमना चाहा तो वो कतरा कर घेरे से निकल गई, बोली कि पहले बताओ कि रात का क्या इरादा है, मैंने कहा कि इरादा तो अच्छा है। वह बोली कि किसी तरह की रोक नही है, तुम अपने मन में किसी तरह का विचार मत करना। जो होता है वो होने देना। मैं उस का इशारा समझ गया। मैंने उसे दौबारा पकड़ कर कहा कि हुक्म की तामील होगी, मेरी इस बात से उस की हँसी निकल गयी। वह बोली की आप का यह रुप तो घर में किसी ने देखा नही है, मैंने कहा कि यह सिर्फ आप के लिए ही है।

मैं बेड़ पर बैठ गया वो भी पास में आ कर बैठ गई। मैंने फिर उसे आलिगंन में ले लिया, उस के दहकते होंठ मेरे होंठों से चिपक गये। उन का मीठापन आज मैंने महसुस किया था। हम दोनों इस का मजा काफी देर तक लेते रहे फिर हमारे हाथ एक-दुसरें के शरीर पर फिरने लगे। भावनाओं का जोर बढ़ा तो कपड़ें शरीर से उतर गये। उरोज, निप्पल, नाभी और योनि कोई ऐसा अंग नही था जहाँ का रसास्वादन मेरे होंठों ने ना करा हो। उस ने भी मेरे पुरे शरीर पर अपने होंठों की छाप लगा दी थी। अब घड़ी थी मिलन की मैंने अपने लिंग पर नेहा का लाया हुआ जैल अच्छी तरह से लगा लिया था।

फोरप्ले भी काफी लम्बा चला था इस लिए गरमी की कमी नही थी। मैंने लिंग को योनि के मुँह पर रख कर धक्का दिया तो वह चिकनाई होने के कारण योनि में पहली बार में अन्दर चला गया। योनि तो बहुत कसी थी लेकिन घर्षण कम था। दोनों के कुल्हें नाचनें लगें शरीर एक रिदम में हिल रहे थे। फच फच की आवाज कमरे में भर गई थी। दोनों रेस में दौड़ रहे थे और कोई भी थकने को तैयार नही था। शरीर पसीने से लथपथ थे। समय का पता नही चल रहा था। पहले उस ने डिस्जार्च होने का सकेत अपने पांव मेरे पावों पर कस कर दिया। थोड़ी देर में ही मैं भी चरम पर पहुच गया। तुफान के बाद शान्ति छा गयी।

हम दोनों निढ़ाल हो कर अगल-बगल में लेट गये। दोनों की साँसें धोकनी की तरह चल रही थी। धीरे-धीरे होश आया। मैंने उस की तरफ घुम कर पुछा कि आज क्या हाल है? उस ने कहा कि आज कोई दर्द नही हुआ है। उस ने पुछा कि तुम्हारा क्या हाल है मैंने कहा कि यह तो पोछने के बाद ही पता चलेगा, वो बेड़ से ऊठी और अलमारी से पेपर टावॅल निकाल कर मेरे लिंग को साफ कर दिया और ध्यान से देखने लगी, हाथ से सहला कर कहा कि अब बताए कि क्या हाल है। मैंने कहा कि अब कोई दर्द या जलन नही हो रही है। उस ने अपनी योनि भी साफ किया, मैंने देखा कि योनि पर भी कोई लालामी नही है। हम दोनों ने चैन की सांस ली, फिर एक दूसरें को चुमा। मैंने हँस का कहा कि दूसरे दौर की गुन्जाईश है, वह हँस कर बोली कि ज्यादा से मतली हो सकती है। मैं चुप रहा वह धीरे से मेरे से चिपक कर लेट गयी।

उस ने कहा कि तुम ने बताया नहीं था कि तुम्हारी इतनी लड़कियां दोस्त है, आज तो मेरी चिन्ता भी बढ़ गई, मैंने पुछा किस बात की चिन्ता। वह बोली कि इतनी सारियों से तुम्हें बचाने की। मैंने कहा कि तुम ने तो अपना काम कर दिया है मुझ से शादी कर के। अब सब का नम्बर खत्म हो गया है। उस ने कहा कि नेहा कह रही थी कि तुम्हारे पति तो छुपे रुस्तम निकले, दोस्ती हम से और शादी तुम से, फिर बोली कि तुम्हारे पति जैसा मित्र मिलना मुश्किल है। हम सब से डरने की जरुरत नहीं है, तुम्हारे पति को अपनी सीमा पता है वो कभी भी उसे पार नही करता है। ये सुन कर मैं तो गर्व से फुल गयी।

और क्या क्या बताया नेहा ने?

खास कुछ नही जो कुछ बताया वो तो मैं जानती हूँ।

मैंने उसे कहा कि वैसे भी तो तुम ने ढोक बजा कर पहले ही देख लिया है।

उस की हँसी निकल गयी। वह बोली कि कोई तो बात है कि पुरुष मित्र की पत्नी के लिए दवा एक महिला मित्र लाये।

वो एक डाक्टर पहले है, महिला बाद मे, मैं ही उस से पहले बात नही कर सका नही तो ये परेशानी नही होती।

उस ने अपना चेहरा मेरी छाती में छिपा लिया और मुझ से चिपक गयी। अब मैं उस से शैतानी नही कर सकता था।

मैंने सोचा अन्त भला सो सब भला। रोक ने भी अच्छा ही किया।

मैं भी नींद की गोद में लुढ़क गया।

सुबह मेरी नींद उस से पहले खुल गई सोई हुई वो बहुत सुन्दर लग रही थी बिखरे हुए बाल चेहरे पर ऐसे लग रहे थे माने फुल पर भंवरें मड़रा रहे हो। मैंने झुक कर उस का माथा चुम लिया। मेरे चुमने से उस की नींद भी खुल गई वो भी अगड़ाई लेती हुई बेड़ पर बैठ गयी। मैं उसे मंत्रमुग्ध देख रहा था यह देख कर बोली की क्या आँखों से खाने का इरादा है। मैंने कहा कि खाने का मन तो है। लेकिन बाद में देखगे, अभी तो उठ कर चाय पीते है। चाय पीते हुए उस ने बताया कि उसे पीहर जाना है कुछ दिनों के लिए, मैंने कहा कि भई कितने दिन का विछोह है इस बार तो वह हँस कर बोली कि मम्मी से पुछो? मुझे तो यह पता है कि मुझे लेने के लिए भाई और बहन आज आ रहे है।

यह तो चलन है सब को करना ही पड़ता है। परेशान क्यो हो रहे हो। मन ना लगे तो घर चले आना, मैंने कहा की ससुराल आना इतना आसान नही है। मुझ को जीभ दिखाती हुई वो बाथरुम में भाग गई।

मैं भी उठ कर बैठ गया। उस ने मायके जाना है यह तो मुझे भी पता था लेकिन इतनी जल्दी यह नहीं जानता था। नाश्तें पर मां नें बताया कि बहू एक महीने के लिये अपने घर जा रही है। आज भाई और बहन लेने आ रहे हैं। एक महीने बाद तुम गौना करा लाना। दोपहर को उसका भाई और बहन उसे लेने आ गये। रात को उन सब के साथ समय बीत गया। सुबह उसे मायके के लिये विदा कर दिया। उस के जाने के बाद रात को बि स्तर पर नींद नहीं आयी। सारी रात करवटें बदलता रहा। उस ने भी जा कर फोन नहीं किया था। मां से उस की बात हुई थी। सुबह मैं अपने काम में व्यस्त हो गया, ध्यान ही नहीं रहा कि उसे फोन कर लूँ। रात को जब मां ने पुछा तो ध्यान आया कि फोन करना चाहिये था।

जब फोन करा तो मैडम गुस्सा थी बोली कि मेरे आते ही तुम मुझे भुल गये। मैंने उसे बताया कि कल सारी रात बिस्तर पर उस की याद में करवटें बदलता रहा था, सुबह काम में ऐसा डुबा कि कुछ याद ही नहीं रहा। वह बोली कि ऐसा कैसे चलेगा। मैंने कहा कि अब से मैं सुबह और रात को नियमित रुप से फोन करा करुँगा। यह सुन कर मैडम का गुस्सा कम हुआ। मैंने उस से पुछा कि वह भी तो मुझे फोन कर सकती थी तो जबाव मिला कि मैं भी व्यस्त हो गयी थी। फिर उस के माता-पिता का हाल पुछ कर मैंने फोन रख दिया।

रात को नये शादीशुदा को अकेले बिस्तर पर सोना पड़े तो यह उस के लिये किसी सजा से कम नहीं होता सो यह सजा मैं भुगत रहा था। सुबह फोन किया तो वह बोली कि अभी नहा कर मंदिर जा रही हूँ, जो व्रत रखे थे उन का उद्दयापन करना है। शाम को बात करती हूँ। मैं भी नहा कर अपने काम में लग गया। रात को खाना खा कर फोन किया तो बोली कि आज का दिन तो बड़ा व्यसत था कैसे गुजरा पता ही नहीं चला। उस की हालत पुछी तो वह बोली कि अब दर्द नहीं है। उस ने पुछा कि तुम्हारा क्या हाल है? तो मैंने उसे बताया कि मैं भी सही हूँ। बात खत्म हो गयी। हफ्ता बीत गया एक दिन मैडम फोन पर बोली कि कोई बहाना बना कर आ जाओं ना। मैंने कहा कि देखता हूं, शायद मां नें मेरे मन की बात पढ़ ली और बोली कि क्यो नहीं तु कुछ दिन के लिये ससुराल चला जाता। अंधा क्या चाहे दो आँख।

अगले दिन में कार ले कर उस से मिलने ससुराल चल दिया। चार घंटें के बाद जब अपनी ससुराल पहुँचा तो मुझे देख कर सब आश्चर्यचकित थे। सिर्फ एक को छोड़ कर। सारे दिन उस के परिवार वालों से बातें होती रही, रात को पता चला कि उस के कमरें में ही हम दोनों के सोने का प्रबन्ध था। मैं पहले सोने चला गया। जब वह आयी तो कमरा बंद करके बोली कि मेरी बात बड़ी जल्दी मान ली। मैंने कहा कि जैसा हुक्म किया वैसा ही किया। उस को भी मिलन की चाह थी सो बत्ती बंद करके मुझ से लिपट गयी और कान में बोली कि क्या बहाना बनाया? मैंने कहा कि कोई बहाना नहीं बनाया माँ ने अपने आप ही कहा कि कुछ दिन के लिये ससुराल चला जा, सो आज आ गया। उस ने कहा कि मैंने मां से कहा था कि मुझे सब की बहुत याद आ रही है। मां ने इशारा समझ लिया।

मेरे होंठ उस के होंठों से मिल गये। दोनों प्यासें थे सो जब तक उन की प्यास नहीं बुझी दोनों अलग नहीं हुयें। उस के बेड पर लेटे तो पता चला कि वह चरमरा रहा था मुझे लगा कि हम दोनों के बीच के प्यार में इस की आवाज सारे घर को सुनाई देगी सो उपाय यह किया कि गद्दा नीचे बिछा कर उस पर दोनों लेट गये। फिर जो होना था सो हुआ। एक बार में मन नहीं भरा तो दो-दो बार संभोग हुआ। सुबह भी जब उठे तो मैडम की अंगडाई से मेरा मन डोल गया और तीसरी बार संभोग कर लिया। बहुत थकान हो रही थी लेकिन सोने का समय नहीं था, गद्दे को नीचे से ऊठा कर बेड पर बिछा दिया और दोनों कमरें से बाहर निकल गये।

ससुर जी बाहर अखबार पढ़ रहे थे मैं उन के पास जा कर बैठ गया। वह बोले कि रात को नींद सही आयी तो मैंने कहा कि हाँ। वह कुछ नहीं बोले। तभी सास चाय लेकर आ गयी। कुछ देर बाद छोटी साली आ कर बोली कि आज आप के साथ घुमने का प्रोग्राम है, उस की बात सुन कर सास बोली कि एक दिन तो आराम करने दो दामाद जी को। वह बोली कि इन के साथ घुमने का बड़ा मन कर रहा है, अपनी कार है तो कोई परेशानी नहीं होगी। मैंने कहा कि चलो आज इस की बात ही मान लेते है। वह खुश हो कर चली गयी। सास बोली कि आप को कई रिश्तेदारों के यहाँ पर जाना पड़ेगा इस लिये आराम तो नहीं मिल पायेगा।

मैंने कहा कि आराम करने आया कौन है। नहा कर निकला तो देखा कि मैडम कपड़ें ले कर खड़ी थी बोली कि अगर दर्द हो रहा हो तो दवा दूँ, मैंने कहा किस बात का दर्द तो वह हँस कर बोली कि हाँ तुम्हें किस बात का दर्द होगा वह तो हमारें हिस्सें ही रहता है। उस की यह बात सुन कर मुझे समझ आया। मैंने उसे घुरा तो वह मुस्करा कर निकल गयी। सारा दिन घुमने में निकल गया, रात को घर पहुँच कर खाना खा कर सब लोग बातें करने बैठे तो समय कब बीत गया पता ही नहीं चला। सास ने आ कर सब से कहा कि रात बहुत हो रही है अब सब लोग जा कर आराम करों। तब जा कर सब लोग सोने गये।

हम दोनों भी कमरें में गये तो पता चला कि मैडम के कमरे का बेड बदल दिया गया था। उस पर नया गद्दा भी पड़ा था। यह देख कर मैंने पत्नी की तरफ देखा तो वह बोली कि मुझे नहीं पता मैं तो आप सब के साथ थी। शायद पापा जी ने दोपहर में करा है। मुझे बड़ा बुरा लगा कि मेरे कारण उन्हें बेड बदलना पड़ा, उस ने मेरी बांह पकड़ कर कहा कि बेड पुराना हो गया था उसे बदलना था लेकिन मेरी शादी के कारण नहीं बदल सके थे। कल तुम्हारें सोने के बाद शायद पापा जी को ध्यान आया होगा और उन्होनें नया बेड डलवा दिया है। मैंने उस से पुछा कि वह मेरे आने से पहले कहाँ सोती थी तो वह बोली कि मैं तो छोटी बहन के साथ सोती थी। इसी लिये इस के चरमराने की बात पता नहीं चली नहीं तो पहले ही बदल जाता।

हम दोनों बेड पर लेट गये। जब उसे छुआ तो वह बोली कि कल के बाद से बहुत दर्द हो रहा है, आज चलने में तकलीफ हो रही थी। मैंने कहा कि यार कल तो हद ही कर दी थी मैंने। वह मेरे से चिपट कर बोली कि इतने दिन दूर रहे थे सो चलता है। यहाँ कोई कुछ नोटिस नहीं कर रहा है। मुझे तो अच्छा लग रहा है, कितने दिन तक रात भर करवटें बदली है मैंने। मैंने कहा कि मेरा भी वहाँ यही हाल था। उस ने मुझे चुम कर कहा कि कुछ मत सोचों बस प्यार करों।

उस की बात सही थी और सब बातें बेकार थी दो दिलों के बीच में अब कुछ नहीं आ सकता था सो दोनों फिर से प्राचीन खेल खेलने में लग गये। फिर जब थक गये तो सो गये। सुबह उठ कर एक और दौर चला, जो रात वाले से ज्यादा मजेदार था। आज मन में संतोष था कि पत्नी और मेरी प्यास बुझ रही है। दोनों बड़ें दिनों से प्यासें थे। आज किसी रिश्तेदार के यहाँ खाना था सो वहाँ गये रात को बाहर टहलने गये और मिठाई और आईसक्रीम खा कर घर लौटे। सोने से पहले मुझे कुछ ध्यान आया तो पत्नी ने पुछा कि उस का महीना कब हुआ तो वह बोली कि चिन्ता मत करों, वह जब घर से आयी थी तभी हुआ था और अभी कोई खतरा नहीं है।

मैंने उसे देखा तो वह बोली कि मैं भी सब कुछ समझती हूँ। मैंने कहा कि नहीं तो कुछ इस्तेमाल करना पड़ेगा। वह बोली कि उस का भी इंतजाम कर रखा है। मैंने उसे देखा तो वह बोली कि तुम्हारा असर है। ज्यादा खाना खाने के कारण आज संभोग करने का मन नहीं हो रहा था, लेकिन मन मान रहा था सो मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उस की योनि में लिंग डाल दिया और धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा। वह अपने पैर मेरी कमर से लपेट कर बांहें मेरी गरदन में डाल कर बैठी रही। कुछ देर बाद उस के कुल्हें ऊपर-नीचें होने लगे। मेरे होंठ अपनी मनपसंद चीज का स्वाद लेते रहे। काफी देर बाद जब वह थक गयी तो बोली की उतार दो। मैंने उसे पेठ के बल लिटा कर डोगी स्टाइल में उस के कुल्हें कर के उस के पीछे से भोगना करना शुरु किया उसे दर्द तो हुआ लेकिन मजा भी आ रहा था, इस आसन में ही हम दोनों स्खलित हो गये और एक दूसरे की बाहों में सो गये।

संभोग काफी लम्बा चला था सो थकान अधिक थी। सुबह उठे तो उस की पीठ मेरी तरफ थी उस के कुल्हों को देख कर मेरा लिंग फिर तन गया लेकिन आज मैंने अपने आप पर कंट्रोल करा और बिस्तर से उठ कर बैठ गया। कुछ देर बाद वह भी उठ कर बैठ गयी और मुझ से लिपट कर बोली कि कल रात क्या हुआ था, मैंने कहा कुछ भी तो नहीं जो हर रात होता है वही हुआ था, उस ने कहा कि कल रात कुछ नया लगा था। आनंद भी अधिक आया था। मैंने उस के कान में धीरे से कहा कि अब उसे संभोग की आदत होती जा रही है अब इस में रोज आनंद ही आयेगा। वह शर्मा कर उठ कर चली गयी।

चार दिन ऐसे ही बीत गये। अब मुझे वापस जाना था सो मैं जब चलने लगा तो पत्नी बोली कि बाकी दिन कैसे कटेगें? मैंने कहा कि कट जायेगे। अब हनीमून का प्रोग्राम बनाते है बताओ कहाँ चलना चाहती हो तो जबाव मिला पहाड़ों पर। मैं सब से विदा ले कर अपने घर के लिये वापस निकल पड़ा। घर वापस आ कर मां से पुछा कि हनीमून का प्रोग्राम बना ले तो मां बोली कि बहू से बात करके बताऊँगी। मुझे कुछ समझ नहीं आया। रात को लेटा तो दिमाग में आया कि माँ यह जानना चाहती होगी कि बहू का महीना तो नहीं चल रहा होगा उस समय। यही सब सोचतें सोचते कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला।

सुबह उठा तो माँ ने कहा कि अगले हफ्तें की बुकिंग करा ले। मैंने माँ से पुछा आपकी बहू को कब लाना है तो वह बोली कि इस शुक्रवार को उसे ले आ मैं नें उसे बता दिया है। मैंने मन में सोचा कि सास-बहू में बहुत सामजस्य है। मुझे तो कुछ बताती ही नहीं है। माँ से पुछा कि उस के लिये गर्म कपड़ें लेने पड़गें तो जबाव मिला कि वह अपने गर्म कपड़ें मायेके से लेकर आयेगी अगर किसी और कपड़ें की जरुरत पड़गी तो यहाँ से खरीद लेना। मैंनें कसौली जाने का निर्णय किया और वहां के एक होटल में एक हफ्तें की बुकिंग कर दी। जानें के लिये प्राइवेट टेक्सी का प्रबन्ध भी कर लिया। शुक्रवार भी आ गयी, उसे लेने के लिये मैं बहन के साथ सुबह निकल गया। 10 बजे तक ससुराल पहुँच गया। हम को देख कर सब लोग बहुत खुश थे, बहन की तो सब से अच्छी जान पहचान थी सो वह थो सब के बीच मस्त हो गयी।

मैंने उस से कहा कि कब वापस चलना है तो वह बोली कि मम्मी से पुछना पड़ेगा? मैंने कहा कि पुछ कर बताओ? तुम अपनी तैयारी तो कर लो, अपने गर्म कपड़े भी रख लेना उन की जरुरत पड़ेगी। उसे इस बारें में सब कुछ पता था सो उस ने कुछ नहीं पुछा। वह सह हिला कर चली गयी। मैं ससुर जी के पास जा कर बैठ गया। उन से बातों में पता चला कि रविवार को विदा करेंगें। वह बोले कि आप आये है तो एक-दो दिन रुक कर जाये। मैंनें कुछ नही कहा, हाँ में सर हिला दिया। तभी छोटी साली नाश्ता ले कर आ गयी और सब लोग नाश्ता करने लगे। नाश्ते के बाद सब लोग एक जगह बैठ कर गप्प मारने लगे। आज कोई बाहर नहीं जाना चाहता था सो सारे दिन घर में ही रह कर समय कट गया। शाम को सब लोग पास के एक मन्दिर में घुमने चले गये। देर शाम लौट कर आये तो भुख लग रही थी सो खाने का इंतजार होने लगा। खाना खा कर फिर गप्प मारने बैठ गये।

रात को वह मेरे पास कमरे में आयी तो मुझ से बोली कि मैंने अपने गर्म कपड़े रख लिये है अगर किसी और कपड़े की जरुरत पड़ेगी तो घर जा कर ले लेगें। मैंने कहा यह सही रहेगा। फिर मैंने उसे बताया कि मैंने कहा जाने की बुकिंग करवाई है वह बोली कि मुझे तो तुम्हारें साथ समय बिताना है कही भी ले चलो। फिर वह मेरी छाती पर सर रख कर बोली कि एक बात पुँछू? बुरा तो नहीं मानोगें? मैंने कहा नहीं, तुम पुछों क्या पुछना है? उस ने धीरे से बोला कि बताओं कि मामा की साली के साथ तुमने क्या किया था? कुछ चुमाचाटी करी थी? उस की बात सुन कर मुझे लगा कि कुछ तो बात है जो मेरी पत्नी के मन से दूर नहीं हो रही है।

मैंने कहा कि मैंने उसे छुआ तक नहीं है। चुमना तो दूर की बात है, शायद तुम पहली लड़की हो जिसे मैंने चुमा है। मेरी बात सुन कर उस के चेहरे पर संतोष की झलक मुझे दिखाई दी। मैंने उसे करोदते हुये पुछा कि मुझे पुरी बात बताओ की उस ने तुम से क्या कहा है? मेरी बात सुन कर उस ने कहा कि वह बता रही थी कि तुम जब उसे घुमाने ले जाते थे तो वहाँ पर एकान्त में उसे चुमा था तथा उस के बदन को भी अच्छी तरह सहलाया था। उस का कहना था कि तुम्हारा चुम्बन वह आज तक नहीं भुल पायी है। उसे आज भी तुम्हारा उस के बदन को सहलाना याद है। पत्नी की यह बात सुन कर मैं चौंक गया, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था, जब भी वह मेरे साथ घुमने जाती थी तो अनमनी सी अपने ख्यालों में खोई रहती थी, मुझ से ज्यादा बात भी नही करती थी। मुझे भी अंदाजा था कि वह ब्रेकअप के बाद डिप्रेशन में थी इस लिये मैं भी उसे ज्यादा नहीं छेड़ता था। किसी को चुमना और सहलाना तो मेरे लिये बहुत दूर की बात थी।

मैंने कहा कि मुझे नहीं पता कि उस ने यह सब क्यों कहा, लेकिन तुम यह समझ लो कि तुम मेरी पत्नी हो और तुम से झुठ नहीं बोल रहा हूं। मेरा उस के साथ कोई संबंध नहीं था वह दस बारह दिन के लिये घर पर थी और शायद दो बार मैं उसे घुमाने ले गया था। वहाँ पर ऐसा कुछ नहीं हुआ था। यह जरुर था कि मेरी माँ के मन में शायद उसे बहू बनाने का विचार आया था लेकिन एक तो वह मेरे से बड़ी थी दूसरे में उस समय शादी नहीं करना चाहता था इस कारण से उन के मन में कोई गलतफहमी पैदा हुई हो तो मैं कुछ कह नहीं सकता। एक बात पक्की है मैंने उसे चुमा नहीं था ना ही कोई शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास भी किया था।