जवान पड़ोसन

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जवान पड़ोसन
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मेरा नाम विक्की है। मैं छब्बीस साल का हूँ. इस समय मैं एक अच्छी नौकरी पर हूँ. मुझे अभी नौकरी करते हुए एक साल ही हुआ है. वैसे में ज्यादा हैंडसम तो नहीं हूँ किंतु कुल मिलाकर अच्छा दिखता हूँ.

मेरी लम्बाई 5.6 फीट है। मेरा शरीर भी अच्छा दिखता है क्योंकि मैं रोज हल्की कसरत करता हूँ. अब मैं सीधा कहानी पर आता हूँ. अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है।

मेरी लड़का लड़की सेक्स कहानी थोड़ी लम्बी हो सकती है क्योंकि कहानी मैंने खुद लिखी है इसीलिए कुछ गलती हो तो माफ़ करना. यह कहानी मेरी सच्ची घटना है. इसमें कुछ भी झूठ नहीं है. मेरे साथ जो हुआ है वो सभी मैं इस कहानी में बताऊंगा।

बात 3 साल पहले की है. जब मैं 23 साल का था और स्नातकी में पढ़ता था. कॉलेज में मेरे अच्छे दोस्त थे. मगर कभी गर्लफ्रेंड नहीं बनी. एक दो को प्रपोज़ किया मगर कोई अच्छा रिस्पोन्स नहीं मिला।

ऐसे ही दिन गुज़रते गए।

हमारे पड़ोस में एक परिवार रहता था. उनके साथ हमारी अच्छी बोलचाल थी. हमारा आना जाना भी अच्छा था. उनके घर में अंकल आंटी और उनकी बेटी व एक बेटा रहते थे. लड़की का नाम अनु (बदला हुआ) था और वो 19 साल की थी। वो कॉलेज जाना शुरू कर चुकी थी.

अनु का भाई उससे दो साल बड़ा था. वो बाहर रह कर नौकरी कर रहा था. कसम से दिखने में अनु बहुत सुंदर थी और उसका बदन भी मस्त था। उसके चूचे बड़े मस्त थे. अनु का फिगर 32-28-30 का था. हमारी गली के सारे लड़के उस पर लाइन मारते थे.

जब वो चलती थी तो उसकी गोल गोल चूचियां भी साथ में उछल उछल जाती थीं. उसके सपाट पेट के ऊपर उसकी चूचियां ऐसी लगती थीं जैसे अलग से चिपका रखी हों. बहुत ही मस्त शेप थी उसकी चूचियों की. उसका फिगर सच में कमाल था जो मैंने आज तक किसी और लड़की का नहीं देखा है.

एक दिन की बात है कि मैं ऊपर अपनी छत पर घूम रहा था. अक्सर मैं टाइम पास के लिए अपनी छत पर चला जाया करता था और आस पड़ोस की औरतों और लड़कियों की फिगर को नापा करता था. मुझे ऐसा करने में बहुत मजा आता था और फिर रात में मैं उनके बारे में सोच कर मुठ मारा करता था.

तो मैं अपनी छत पर खड़ा हुआ था. कुछ ही देर के बाद अनु अपनी छत पर कपड़े सुखाने के लिये आई. उसने एक टाइट पजामी और कुर्ती पहनी हुई थी. वो अक्सर इसी तरह की ड्रेस पहनती थी और उसमें उसका फिगर और भी ज्यादा तराशा हुआ दिखता था.

तभी मेरे एक दोस्त विशाल का फोन आ गया. मैं उससे बातें करने लगा. विशाल मुझसे अपनी सारी बातें शेयर करता था. वो उस वक्त अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स करके आया था. अपनी चुदाई की बातें वो मुझे बता रहा था. मेरा मुंह अनु के घर की छत की ओर ही था.

मेरी आवाज शायद उसके कानों तक पहुंच रही थी क्योंकि वो बार बार मेरी ओर ही देख रही थी.

विशाल की बात जब खत्म हो गयी तो मेरा मन भी मचल गया. मैं उससे कहने लगा कि मेरी भी कोई गर्लफ्रेंड बनवा दे यार.

यह बात अनु भी सुन रही थी. वो मेरी ओर देख कर मुस्कराने लगी. मैं भी उसकी ओर देख कर मुस्करा दिया.

फिर वो चली गयी.

उसके जाने के थोड़ी देर के बाद फिर मैं भी छत से नीचे उतर आया.

फिर अगले दिन मैं फिर से उसी समय छत पर गया इस उम्मीद में कि शायद आज भी अनु छत पर आयेगी. मैंने उसका वहां पर काफी देर तक इंतजार भी किया लेकिन अनु नहीं आई.

मैं काफी देर इंतजार करने के बाद वहां से जाने ही वाला था कि मुझे अनु आती हुई दिखाई दी. मैंने अपने कदम वापस मोड़ लिये और फिर से मैं छत पर टहलने लगा. मैंने देखा कि अनु कुछ कपड़े में बांध कर लाई थी.

शायद वो छत पर कुछ सुखाने आई थी. कपड़ा फैला कर वो यहां वहां देखने लगी. देखते हुए हम दोनों की नजरें मिलीं और दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्करा दिये. दोस्तो, जब अनु मुस्कराती थी, दिल में एक कसक सी उठती थी. उसकी मुस्कान बहुत ही प्यारी थी.

उस दिन मैंने सोचा कि अगर मैं थोड़ी सी कोशिश करूं तो शायद अनु मुझसे पट सकती है. कॉलेज में तो मुझसे कोई लड़की पटी नहीं लेकिन एक बार पड़ोसन पर भी ट्राई करके देख लेता हूं, शायद किस्मत साथ दे दे.

उस दिन के बाद से मैंने ठान लिया कि मैं अनु को पटाने की पूरी कोशिश करूंगा.

ऐसे ही दिन गुजरने लगे लेकिन बात कुछ खास आगे नहीं बढ़ पा रही थी. मैं सोच नहीं पा रहा था कि उसके साथ बात के सिलसिले को शुरू कहां से करूं.

एक दिन की बात है कि मैं दोपहर में अकेला था और घर पर आराम करते हुए कोल्ड ड्रिंक पी रहा था. पापा काम पर गये थे और मां मेरी पड़ोस की एक आंटी के यहां गई हुई थी. घर में मेरे अलावा कोई नहीं था.

तभी अनु आ गयी. वो मां के बारे में पूछने लगी. मैंने कहा कि मां तो अभी घर पर नहीं है.

मैंने पूछा- कुछ काम था क्या, अगर मुझे बता सकती हो तो बता दो, मैं मां के आने के बाद उनको कह दूंगा.

वो बोली- मुझे सूट के बारे में कुछ पूछना था.

दोस्तो, दरअसल अनु सिलाई का काम भी जानती थी.

मैंने कहा- तो फिर तुम थोड़ी देर इंतजार कर लो. मां आती ही होगी.

उसके लिए भी मैंने एक गिलास में कोल्ड ड्रिंक डाल दिया. वो पहले तो मना करने लगी लेकिन फिर बाद में पीने लगी.

मैं उसके सामने कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसे ही देख रहा था. दरअसल मैं अनु को ताड़ने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देता था. उसको इस बात का भी पता था कि मैं उस पर लाइन मार रहा हूं और उसको पटाने के चक्कर में हूं. ये बात उसने मुझे उसकी चूत चुदाई के बाद खुद ही बताई थी.

फिर हम दोनों पढ़ाई और करियर के बारे में बातें करने लगे.

बातों ही बातों में मैंने उससे पूछ लिया- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है क्या?

वो मेरी ओर ऐसे देखने लगी जैसे पता नहीं मैंने उससे क्या पूछ लिया हो!

मैं सोचने लगा कि शायद मैंने उससे ये सवाल करके गलती कर दी है. उसने शरमा कर अपना चेहरा नीचे कर लिया.

2 मिनट वो बेचैन सी होकर बैठी रही और फिर उठकर जाते हुए बोली- मैं बाद में आ जाऊंगी.

उसके बाद वो जल्दी से निकल गयी. फिर वो दो दिन तक मेरे सामने ही नहीं आई. तीसरे चौथे दिन वो छत पर आई. मैं पहले से ही छत पर था. मैं उसकी तरफ पीठ करके खड़ा हुआ था.

वो बोली- विक्की क्या कर रहे हो?

मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो अनु खड़ी हुई थी. उसने पटियाला सूट और सलवार पहनी हुई थी.

उस समय वो बहुत सुंदर लग रही थी. उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा. एक दो बात ही हो पाई थी कि मेरा लंड मेरे शार्ट्स में उठ कर दिखने लगा था. मैं थोड़ा असहज होने लगा क्योंकि सामने अनु खड़ी थी और मेरा लंड तंबू बनाने लगा था.

अब अनु की नजर भी मेरे लंड की ओर जाने लगी थी. वो बीच बीच में पलक झपकाने भर की देर में ही मेरे लंड की ओर देख जाती थी. उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान तैर रही थी जैसे वो मेरी बेबसी का मजाक उड़ा रही हो.

वो बोली- क्या हुआ? कहां खो गये हो?

मैं बोला- कुछ नहीं, बस मैं ऐसे ही खड़ा हुआ था. तुम बताओ कैसी हो?

वो बोली- मैं ठीक हूं.

मैं- उस दिन मैंने तुमसे कुछ पूछा था. तुम बिना बताये ही चली गयी.

वो बोली- क्या पूछा था?

मैं- तुम्हारे बॉयफ्रेंड के बारे में।

मेरी बात पर वो फिर से शरमा गयी और वहां से चली गयी.

अब मैं सोच में पड़ गया कि ये इस बात पर इतना शरमा क्यों जाती है और फिर भाग जाती है!

एक दिन मेरी मम्मी ने मुझे अनु के घर कुछ काम से भेज दिया.

उनके घर में कोई नहीं था। अनु अकेली थी.

मैंने सोचा- आज तो अच्छा मौका है. इससे सारी बात पूछ कर ही रहूंगा.

उनके घर जाकर मैंने अनु से पूछा- आंटी कहां हैं?

वो बोली- बाहर गयी हुई हैं.

मैंने कहा- ओके, थोड़ा पानी मिल सकता है क्या पीने के लिये?

वो मेरे लिये पानी लेकर आई. मैं बैठ कर पानी पीने लगा. मैंने पानी पीते हुए फिर से उसके बॉयफ्रेंड की बात छेड़ दी.

अबकी बार वो गुस्से में आ गयी और बोली- नहीं है मेरा कोई बॉयफ्रेंड। कुछ टाइम पहले था लेकिन अब कोई नहीं है.

मैं सोच कर खुश हुआ और लगा कि अब तो शायद बात बन सकती है. वो भी सिंगल है और मैं भी सिंगल हूं.

उसके बाद मैं वहां से उठ कर आ गया.

उस दिन के बाद से अनु मेरे साथ कुछ खुल कर बातें करने लगी.

यह सिलसिला कई दिनों तक चला. मैं उसे पसंद करने लगा था मगर बोलने से डरता था कि कहीं ये किसी को कुछ बता न दे. वैसे अनु की ओर से भी यही लग रहा था कि वो भी अब आगे बढ़ना चाह रही थी लेकिन मेरा यह पहली बार था इसलिए मैं बहुत फूंक फूंक कर कदम रख रहा था. डर था कि अगर कुछ गलती हो गयी तो लेने के देने न पड़ जायें.

फिर एक दिन मेरे घर वाले सब मेरे मामा के यहां गये हुए थे. अनु को भी पता था कि मेरे घर में उस दिन कोई नहीं है.

करीब 11 बजे दिन में वो मेरे घर आई. आकर वो कहने लगी कि आंटी से कुछ काम है.

मैं बोला- आंटी तो आज घर पर नहीं है. वो सब लोग मेरे मामा के यहां गये हुए हैं.

वो बोली- ठीक है, मैं बाद में आऊंगी. मुझे नहीं पता था कि आंटी नहीं हैं.

मैं जानता था कि वो ये सब जानबूझ कर बोल रही थी.

जब वो जा रही थी तो मैंने मौका सही जाना और उसको रोकते हुए कहा- एक मिनट रुको, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है.

वो पीछे मुड़ कर वहीं खड़ी हो गयी और बोली- हां कहो, क्या बात करनी है?

मैंने हिम्मत करके कहा- अनु, गलत मत समझना लेकिन मैं तुझे पसंद करने लगा हूं.

वो दो पल के लिए सोचती रही और फिर हँस कर भाग गयी.

उसकी हंसी से मुझे मेरा जवाब मिल गया था. वो भी शायद ऐसा ही कुछ सोच रही थी.

फिर उस दिन मेरे घरवाले शाम को वहीं मामा के यहां रुक गये. मेरी मां ने अनु की मां को फोन कर दिया कि वो मेरे लिये भी खाना बना दे. मां ने मेरे पास भी फोन कर दिया कि मैं अनु के यहां खाना खा लूं.

शाम को फिर अनु मेरे घर आई और बोली- तुम्हें मेरी मां घर बुला रही है खाने के लिए ... चलो।

मैंने कहा- ठीक है, मैं आता हूं.

वो जाने लगी तो मैंने उसे रोक कर कहा- सुनो।

वो बोली- क्या?

मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा- मैं तुझे लाइक करता हूं. आई लव यू.

वो थोड़ी देर चुप हो गयी और फिर बोली- विक्की मैं भी तुम्हें पसंद करती हूं मगर डर लगता है कि किसी को कुछ पता चल गया तो क्या होगा?

उसके हाथ को सहलाते हुए मैंने कहा- कुछ पता नहीं लगेगा किसी को, तुम उसकी चिंता मत करो.

फिर वो मेरी आंखों में देखने लगी और हम दोनों के होंठ मिल गये. मैंने उसके नर्म नर्म रसीले होंठों पर किस कर दिया. वो मेरी जिन्दगी का पहला किस था.

हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में भर लिया और चूसने लगे. दोनों जैसे खो से गये. फिर वो एकदम से अलग हो गयी.

वो बोली- अभी जाने दो, तुम जल्दी घर आ जाओ. मां बुला रही थी और इंतजार कर रही होगी.

उसके बाद वो भाग गयी. मैं उसके घर खाने के लिए गया. हमने खाना खाया और फिर मैं अपने घर आने लगा. मैंने मौका पाकर अनु को पास बुलाया और कान में कहा कि रात को सबके सो जाने के बाद छत पर आना. मैं इंतजार करूंगा.

इतना कह कर मैं चला आया. दोस्तो, क्या बताऊं आपको, वो रात मेरे लिये कयामत की रात जैसी थी. एक एक पल काटना भारी हो रहा था. मैं अनु की चूत चोदने के लिये मरा जा रहा था. ये मेरी पहली चुदाई होने वाली थी. मुझे चूत का सुख मिलने वाला था.

बड़ी मुश्किल से मैंने समय काटा और रात 10.30 पर छत पर गया. अनु अभी तक नहीं आई थी. आधा घंटा बीता और 11 बज गये. वो फिर भी नहीं आई. मुझे लगने लगा था कि शायद वो डर के मारे नहीं आयेगी.

फिर भी मैंने आधे घंटे और वेट किया. फिर 11.30 पर वो आई. मैंने आसपास देखा और उसे अपनी छत पर खींच लिया. आते ही मैंने उसको बांहों कस लिया और दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.

छत पर अंधेरा था और दूर का कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था. मैंने उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और उसके होंठों का रस पीने लगा. वो भी मेरा साथ देने की कोशिश कर रही थी लेकिन डरते हुए.

मैंने उसका चेहरा पकड़ा और उसके कान में कहा- अनु ... मुझ पर भरोसा रखो, इस पल का मजा लो, ये टाइम फिर नहीं आयेगा.

फिर तो जैसे उसने अपने आपको मुझे सौंप दिया.

मैं उसकी गर्दन, गालों और आंखों पर किस करता हुआ उसके पूरे बदन को सहलाने लगा.

वो गर्म हो गयी और मुझे बांहों में लेकर सहलाने लगी.

मैंने उसकी नाइटी को ऊपर किया और उसकी चूचियों को पीने लगा. उसकी चूचियां काफी कसी हुई थीं. फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.

दोस्तो, उसकी चूत बहुत गर्म थी. ऐसा लग रहा था जैसे भांप निकल रही हों. फिर मैं नीचे बैठ गया और उसकी टांगों को फैला कर उसकी चूत में जीभ से चाटने लगा. वो जांघों को सिकोड़ने लगी लेकिन मैंने उसे रोक लिया.

मैं तेजी से उसकी चूत में चाटने लगा और वो मेरे बालों को खींचने लगी. शायद उससे ये बर्दाश्त नहीं हो रहा था. वो जोर जोर से अपनी जांघों को मेरे सिर पर भींचने लगी थी. मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी और चलाने लगा.

उसकी चूत शायद पहले भी चुद चुकी थी. वो मजा ले रही थी. फिर मैं खड़ा हो गया और मैंने अपनी लोअर नीचे करके अंडरवियर भी नीचे कर दिया. मेरा 7 इंची लौड़ा बाहर आ गया.

मैंने अनु के हाथ में लौड़ा पकड़ा दिया. वो पहले ना नुकुर करती रही मगर फिर उसने लंड पकड़ लिया. कुछ देर लंड सहलाने के बाद मैंने उसके मुंह में लंड देना चाहा और उसे बैठने को कहा. वो बैठ गयी लेकिन उसने लंड चूसने से मना कर दिया.

फिर मैंने भी ज्यादा जोर नहीं डाला क्योंकि छत पर रिस्क भी था और पहली चुदाई में मैं जबरदस्ती नहीं करना चाह रहा था. फिर मैंने दोबारा से कुछ देर उसकी चूचियों को चूसा और उसके बाद उसको पलटा कर दीवार के सहारे लगा दिया.

मैंने उसकी गांड को भींच कर देखा तो उसकी गांड बहुत नर्म थी. फिर मैंने अपने लंड को पीछे से उसकी चूत में लगा दिया और उस पर झुकता चला गया. मैंने हल्के हल्के झटके देते हुए उसकी चूत में लंड को घुसा दिया.

वो छूटने लगी तो मैंने उसके मुंह पर हाथ रख लिया और उसको ताबड़तोड़ चोदने लगा. मुझे नहीं पता था कि लंड को चूत में देने के बाद कुछ देर चूत के लिये लंड को एडजस्ट करने का मौका देना चाहिए.

मैं उसका मुंह भींच कर उसकी चुदाई करने लगा. उसकी चूचियों को मसलते हुए उसकी चूत को चोदने लगा. थोड़़ी ही देर में वो भी मस्त हो गयी और अपनी गांड हिला हिला कर मेरा लंड लेने लगी. उसको शायद चुदने का तजुरबा हो चुका था.

मेरी उत्तेजना इतनी ज्यादा थी कि मैं 10 मिनट से ज्यादा कंट्रोल कर ही नहीं पाया. मैंने धक्के लगाते हुए उसकी चूत में वीर्य छोड़ दिया और उस पर झुक कर निढाल हो गया.

अगले ही पल उसने मुझे खुद से अलग किया और अपनी नाइटी नीचे कर ली.

वो बोली- मैं जा रही हूं. कल बात करेंगे.

इतना कह कर उसने मुझे उसको उसकी छत पर उतारने के लिये कहा.

मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे आहिस्ता से उसकी छत पर उतार दिया. वो चली गयी और मैं भी नीचे आ गया. दोस्तो, अनु की चूत मार कर मजा आ गया. मगर मन अभी भी नहीं भरा था. उसकी चूत चोदने के अहसास में ही मैंने दो बार मुठ और मार डाली.

जब मेरा लंड बुरी तरह से दर्द करने लगा तब मैं सो गया.

उस दिन के बाद से अनु के साथ मेरा टांका फिट हो गया और मैंने उसके साथ हर वो ख्वाहिश पूरी की जो मैं करना चाहता था.

अनु की चूत चोदने के अगले दिन वो दिखाई ही नहीं दी. न तो वो मेरे घर आई और न ही छत पर दिखाई दी. मैं सोचने लगा कि कुछ गलती तो नहीं हो गयी मुझसे?

फिर उस दिन शाम को मेरे घर वाले भी लौट आये. दो दिन तक अनु ने मुझे अपनी शक्ल नहीं दिखाई. फिर तीसरे दिन वो मेरे घर आई और मां से बात करने लगी. उसको कपड़े की कटाई का कुछ काम था.

वो मेरी मां के रूम में थी और मैं बाहर से उसको इशारे करने की कोशिश में था लेकिन वो मेरी ओर देख ही नहीं रही थी. मुझे उस पर अब गुस्सा आने लगा था. उसके नखरे मैं बेवजह बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था. मुझे पता नहीं लग रहा था कि वो ऐसे क्यूं कर रही है।

मैं किसी तरह एक बार उससे बात करने का मौका ढूंढ रहा था.

फिर एक पड़ोस की आंटी घर में आई. उनको मां से कुछ सामान चाहिए था. मां उस आंटी को स्टोर रूम में ले गयी. इतने में मैंने मौका देख कर अनु से बात करने की सोची.

मौका पाकर मैं झट से अनु के पास गया और उसको एक तरफ खींच कर अपनी छाती से सटा कर कहा- क्या बात है, मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हो? दो दिन से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं. यही प्यार था क्या तुम्हारा?

वो बोली- छोड़ो मुझे विक्की, आंटी आ जायेगी.

मैं बोला- आ जाने दो, मुझे मेरी बात का जवाब दो पहले.

वो बोली- बाद में बताऊंगी.

मैंने कहा- अभी बताओ.

अनु बोली- मैं तुमसे नाराज हूं.

मैं- क्यूं, ऐसा क्या कर दिया मैंने? तुम नहीं चाहती थी ये सब करना? या तुम्हें मजा नहीं आया?

वो बोली- ऐसे जानवरों की तरह कोई करता है क्या? मेरा मुंह भींच कर तुमने बिना होश के मेरी जान निकाल दी.

मैंने कहा- सॉरी यार, मेरा पहली बार था. मुझे पता नहीं था.

वो बोली- छोड़ो मुझे अब.

मैं- पहले मिलने का वादा करो.

वो बोली- देखेंगे. अभी छोड़ो, आंटी आ जायेगी.

मैं- रात को छत पर मिलना. इंतजार करूंगा तुम्हारा.

उसने कुछ जवाब नहीं दिया और मुझसे छुड़ाकर वापस बेड पर जा बैठी.

तभी मां और पड़ोसन आंटी की आवाज सुनाई दी. मैंने देखा वो दोनों गेट की ओर जा रही थी. मैंने सोचा अगर मां बाहर चली गयी तो इस अनु की बच्ची की चूची तो मैं अभी मसल दूंगा.

मां गेट की ओर गयी तो मैं चुपके से रूम से बाहर आ गया और मां को देखने लगा. मगर मां वापस अंदर आने लगी. मेरे अरमानों पर पानी फिर गया. फिर मैं अपने रूम में चला गया. मैं रात होने का इंतजार करने लगा.

रात 10.30 बजे मैं चुपके से अपनी छत पर गया. 11 बजे के करीब अनु भी आ गयी. मैंने उसे अपनी छत पर आने के लिए कहा. उसने मना कर दिया. फिर हम दोनों चारदीवारी के साथ लग कर बातें करने लगे. मैंने उसकी नाइटी में ऊपर से हाथ डाल दिया और उसकी चूचियों को भींचने लगा.

वो मेरे हाथ हटाने लगी और बोली- क्या कर रहे हो, कोई देख रहा होगा तो?

मैंने कहा- इतनी रात को अंधेरे में किसी को कुछ नहीं दिखेगा.

इतना कह कर मैं उसकी चूचियों को नाइटी में हाथ देकर दबाता रहा. उसकी सांसें तेज होने लगीं. उसको मजा आने लगा और मेरा लौड़ा भी तन गया.

वो दीवार के दूसरी ओर थी. मैं उसकी चूत तक हाथ नहीं पहुंचा पा रहा था वरना उसकी चूत में उंगली देकर उसको अभी गर्म करके चोद देता मैं. उसकी नाइटी को मैं ऊपर करने लगा तो उसने मेरे हाथों को रोक लिया. फिर वो नीचे जाने लगी.

मैंने कहा- थोड़ी देर तो रूको?

वो बोली- नहीं, ऐसे नहीं, बहुत रिस्क है, जब अकेले होगे तब मिलेंगे.

मैंने कहा- अच्छा यार, बात तो कर लिया कर फोन पर?

वो बोली- मेरे घर में एक ही फोन है.

इतना बोल कर वो चली गयी और मैंने भी नीचे अपने रूम में जाकर अनु की गोल गोल चूचियों के बारे में सोच कर मुठ मारी और कल्पना में उसको चोदते हुए माल निकाल दिया. फिर मैं सो गया.

फिर अगले दिन मैं अनु के लिए एक की-पैड वाला फोन ले आया. मैंने वो फोन उसे दिया और रोज रात को उससे बातें करने लगा. हम दोनों फोन सेक्स भी करने लगे. मैं उसको फोन पर ही नंगी करवा देता था और खुद भी नंगा होकर मुठ मारा करता था.

अब मैं उसकी चुदाई के लिये तड़प गया था और भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि घर वाले कहीं चले जायें. मेरी प्रार्थना जल्दी ही स्वीकार भी हुई. मेरे दादा जी की तेहरवीं थी क्योंकि उनका देहांत हुए 10-12 दिन हो गये थे. पापा और मां वहां उनकी तेहरवीं पर जाने वाले थे.

मां ने अनु की मां और पड़ोस की कुछ औरतों को साथ लिया और उस दिन वो निकल गये. अनु के पापा सुबह ही काम पर निकल गये थे. मेरा भाई अपने कॉलेज में चला गया था और मैंने कॉलेज की छुट्टी कर ली थी. अनु भी पढ़ने नहीं गयी क्योंकि मैंने उसको रात में ही सारा प्लान बता दिया था.

सुबह 11 बजे के करीब वो मेरे घर आई. मैंने आते ही उसको दबोच लिया क्योंकि मैं चूत का प्यासा था और उसे चोद देने के लिए कई दिन से तड़प रहा था. वो मुझसे छुड़ाकर रूम की ओर भागने लगी. मैं उसके पीछे भागा और वो मेरे ही रूम में जा घुसी.

मछली जाल में खुद ही जा फंसी. मैंने फटाक से अंदर का दरवाजा बंद कर दिया और उसको अपनी ओर खींच कर उसके हाथ पीछे बांध कर उसके होंठों को बुरी तरह से चूसने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी.

मैंने जल्दी से उसके सूट को उतरवा दिया तो अंदर से उसकी लाल ब्रा सामने आ गयी. उसकी गोरी चूचियां उसकी लाल ब्रा में बहुत मस्त लग रही थीं. वो मुझसे लिपट गयी. मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और पागलों की तरह चूसने लगा.

वो भी मेरा साथ देने लगी. 10 मिनट तक हम किस करते रहे. मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स के ऊपर हाथ फिराने लगा. उन्हें जोर जोर से दबाने लगा. क्या मस्त बूब्स थे, एक दम टाइट और सॉफ्ट. फिर मैंने उसकी ब्रा भी निकल दी.

मैंने उसके बूब्स को मुंह में लिया और चूसने लगा. उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं. मैं उसकी नर्म नर्म चूची दबाते हुए चूसता रहा. वो आंखें बंद करके इस सब का मज़ा ले रही थी। मैंने चूस चूस कर उसके बूब्स लाल बना दिए।

जल्दी से मैंने उसकी सलवार भी उतार दी नीचे. उसने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी. मैंने उसकी पैंटी भी निकाल दी. उसके बाद मैंने उसे बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी कर लिया. उसने अपनी आँखों के सामने अपने हाथ अड़ा लिए. वो शरमा रही थी.

मैंने उसे हाथ हटाने के लिए कहा मगर उसने मना कर दिया. मैं उसे 5 मिनट तक निहारता रहा क्योंकि मैंने किसी लड़की का नंगा शरीर पहली बार देखा था. क्या मस्त शरीर था, एकदम गोरा. उसकी गांड पूरी उठी हुई थी. चूचे टाइट और खड़े हुए थे. उन पर भूरे रंग के और छोटे निपल क्या मस्त लग रहे थे. मन कर रहा था कि देखता ही रहूं.

फिर मैंने अपनी लोअर नीचे करके अपना लंड बाहर निकाल लिया और हाथ में हिलाकर उसको चूसने के लिए कहने लगा. उसने ना में गर्दन हिला दी. मैंने बहुत मिन्नत की लेकिन वो लंड चूसने के लिए नहीं मानी. मैंने दूसरा तरीका निकालने की सोची क्योंकि बिना लंड चुसवाये तो मैं रह ही नहीं सकता था.

फिर मैं उसे बेड पर ले गया. उसको लिटा कर उसकी चूचियों पर टूट पड़ा. पांच मिनट तक उसकी चूचियों को जोर जोर से चूसा. फिर उसकी चूत की ओर आने लगा. मैंने उसके पेट पर किस किया. फिर धीरे धीरे उसकी चूत पर पहुंच कर अपने होंठों से उसकी चूत को छू लिया.

उसके पूरे बदन में करंट सा दौड़ा गया. अब मैंने अपने कपड़े भी उतार फेंके और पूरा नंगा होकर उसकी टांगों को चौड़ी कर लिया. मैं उसकी चूत में मुंह देकर चाटने लगा.

वो जोर जोर से सिसकारने लगी- आह्ह विक्की ... ओह्ह ... माय गॉड ... आईईस्सस ... आह्ह ... उम्म ... होह्ह ... उफ्फ ... मत करो ऐसे ... आह्ह मैं मर जाऊंगी विक्की ... आह्ह आराम से यार प्लीज।

अनु की चूत में जीभ दे देकर मैंने उसको इतना तड़पा दिया कि वो मुझे अपने ऊपर खींचने लगी. तभी मैं 69 की पोजीशन में हो गया. मैंने अपनी जांघें उसके मुंह की ओर कर लीं और उसकी चूत पर लेट कर अपनी जीभ उसकी चूत में अंदर तक घुसा कर अंदर ही अंदर घुमाने लगा.

मेरा लंड उसके मुंह और गालों से टकरा रहा था. मुझे पता था कि ये ट्रिक काम करेगी. दो मिनट के बाद अनु ने खुद ही मेरे लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी. मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुंच गया. एक ओर मेरी जीभ अनु की चूत में थी और दूसरी ओर मेरा लंड अनु के मुंह में था.

अनु की चूत से नमकीन रस निकलने लगा था जिसको मैं साथ साथ चाट लेता था. इतने में ही वो जोर जोर से मेरा लंड चूसने लगी और मैं पागल होने लगा. शायद वो कुछ ज्यादा ही गर्म हो गयी थी. दो मिनट के बाद ही उसकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया और वो झड़कर ढीली पड़ गयी.

मेरा लंड अभी भी उसके मुंह में ही था. मैंने उसकी चूत का सारा पानी पी लिया. उसके बाद मैंने उसकी चूत साफ़ की और दोबारा से उसकी चूत चाटने लगा. कुछ ही देर में वो फिर से वो गर्म हो गयी.

उसने फिर से मेरे लंड को मुंह में भरा और चूसने लगी. ऐसा लगा कि जैसे वो चुसाई की पुरानी खिलाड़ी हो. मुझे आज तक किसी चीज़ में इतना मज़ा नहीं आया जितना अब आ रहा था.

कुछ ही देर में मेरा निकलने को हो गया और मैंने अनु का सिर पकड़ लिया. सिर पकड़ कर जोर से दबाते हुए उसके गले तक लन्ड को डाल दिया और मैं झड़ गया. मैंने सारा पानी उसके मुँह में ही छोड़ दिया. मगर अनु ने मेरे माल को मुंह में ही रखा और फिर उठ कर उसको थूक कर आ गयी.

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