लगाव

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ऑफिस में साथ काम करने वाली लड़की से प्यार होना।
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कहानी लगाव और घृणा की मिली जुली कहानी है। नौकरी करने के दौरान एक सहयोगी के साथ मेरे संबंधों के कई पहलु इस कहानी में जाहिर होते है। जब भी हम किसी के साथ किसी संबंध में बंधते है तो जरुरी नहीं कि हर संबंध का अंत सुखद ही हो। मेरी यह कहानी इन्ही सारे उतार चढ़ाव को बताती है। ऑफिस में काम करने वाली एक लड़की मेरे से कुछ ज्यादा ही बातचीत करती थी। बार बार पास आने की कोशिश करती थी। पहले तो मैं इसे सामान्य तौर पर लेता रहा लेकिन फिर मैंने इसे चैक करने का तय किया। इस लड़की से जिसका नाम भावना रख लेते है। जब मैंने उसे दूर करने की कोशिश की तो उस की मेरे पास आने की कोशिशें बढ़ गयी। तंग आ कर मैंने उस को नेगलेक्ट करना शुरु कर दिया। मैं किसी को अपने ज्यादा पास नहीं आने देना चाहता था। इस से ऑफिस के डेकोरम में परेशानी होती थी लेकिन भावना तो हाथ-पैर धो के मेरे पीछे पड़ी थी। जितना मैं उसे दूर करने की कोशिश करता था वह उतना ही मेरे करीब आने की कोशिश करती थी।

एक दिन शाम को मैं ऑफिस से लौट रहा था, रास्ते में एक बस स्टाप पर भावना ने मुझे रुकने के लिये हाथ से इशारा किया। उसे शाम को अकेले खड़ें देख कर मैंने कार रोक दी। वह दौड़ कर आयी और कार में बैठ गयी। मैंने उस से पुछा कि वह कितनी देर से यहाँ खड़ी है तो वह बोली कि दो घंटें हो गये है उसे मेरा इंतजार करते हूये। मैंने यह जान कर उस से पुछा कि अगर उसे मेरे साथ ही आना था तो वह ऑफिस में ही मुझे बता सकती थी। वह बोली कि वह मुझ से अकेले मिलना चाहती थी इसी लिये वह यहाँ मेरा इंतजार कर रही थी। उसे पता था कि मैं यहाँ से रोज गुजरता हूँ। मैं उस की यह बात सुन कर हैरान था। वह बोली कि तुम से कुछ बात करनी थी। मैंने कहा कि कहो क्या बात है? वह बोली कि तुम मुझे इग्नोर क्यों करते हो। मैंने कहा कि इग्नोर नहीं करता लेकिन चाहता हूँ कि तुम मेरे पास आने की कोशिश नहीं किया करो। वह बोली कि यह तो हो नहीं सकता है मैं तुम से दूर नहीं रह सकती हूँ।

मुझे पता है कि तुम्हारा किसी से संबंध है फिर भी मेरे करीब आने का क्या कारण है?

वह बच्चा है।

मैं बुढ़ा हूँ।

नहीं तुम मेच्योर हो।

यह तो कोई कारण नहीं है एक रिलेशन में होते हुये दूसरे के करीब आना।

तुम कुछ नहीं समझ रहे हो

तुम समझा दो

सब ने मेरा बहिष्कार सा कर दिया है, अगर तुम मुझे पुछोगे तो वो सब भी मुझे अपना लेगे।

क्या कारण है उन के बहिष्कार का?

मुझे पता नहीं हैं

मैं पता करता हूँ

कुछ पता करने की जरुरत नहीं है, सिर्फ मुझे अपने पास रहने दिया करो

यह सही नहीं है गलत संदेश जाता है

क्या संदेश जाता है

कि तुम और मैं रिलेशन में है

नहीं है तो क्या हो नही सकते?

तुम तो पहले से ही एक के साथ रिलेशन में हो

थी अब नहीं हूँ

ऐसा कब हुआ?

कुछ दिन पहले ही

मुझे पता नहीं चला

तुम्हें अपने आस पास का पता ही नहीं रहता है

मेरे से कुछ मिलेगा नहीं, तुम्हें मेरे हालात पता है

सब पता है तभी तो चाहती हूँ कि मैं और तुम रिलेशन में रहे

जो तुम चाहो, लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि मेरे से निकटता औरों को दिखाने की जरुरत नहीं है

मैं ध्यान रखुँगी

कहाँ छोड़ुँ तुम्हें?

मेरे घर

मुश्किल काम है

तभी तो तुम्हें कहा है

चलो आज तो छोड़ देता हूँ लेकिन रोज मेरे से ऐसी आशा मत करना

देखते है आगे क्या होता है?

मुझे धमका रही हो

नहीं तो लेकिन रिलेशन में होने के बाद मेरी जिम्मेदारी तो तुम्हें ऊठानी पड़ेगी

तुम तो बहुत खतरनाक हो

अभी तो आगे आगे देखो होता है क्या?

मैं उसे उस के घर छोड़ कर आ गया। मैं परेशान था कि यह रिश्ता क्या रुप लेगा और कहाँ जा कर रुकेगा। मुझे उस में कोई दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन अब मुझे उस में रुचि होने लगी थी उस की बातों पर विश्वास होने लगा था। यह तो मुझे पता था कि वह जितना तेज दिखती है उतनी तेज नहीं है। मैंने सोचा कि कभी मौका आने पर उस की सारी तेजी निकाल दूँगा।

हमारे बीच में नजदीकियाँ धीरे-धीरे बढ़ रही थी। वह रोज ही सुबह मेरे साथ ऑफिस जाती थी। बस स्टाप पर उतर जाती थी उस के बाद पैदल ऑफिस आती थी ताकि किसी को यह ना पता चले कि वह मेरे साथ आती है। शाम को भी मेरे साथ की जाने की कोशिश करती थी। ऐसा करने से उसे घर पहुँचने में देर हो जाती थी लेकिन फिर भी वह ऐसा करती थी। मैं भी उसे समय से घर जाने को कहता था लेकिन कभी तो वह मेरी बात मान लेती थी और कभी नहीं। इस समय के सिवा हम दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर पाते थे। शायद करना भी नहीं चाहते थे। ऑफिस में वह मेरे से सामान्य व्यवहार करती थी। कई बार मैंने उसे अपनी बुराई भी करते सुना था। तब लगा कि भावना क्या करना चाहती है, यह मैं समझ नहीं पा रहा था। वह मेरे लिये अनबुझ पहेली बनती जा रही थी। मुझे लगा कि उस से इस बारें में बात करनी चाहिये। लेकिन ऐसा मौका नहीं मिल पा रहा था।

एक बार मैं बीमार हो गया और दो-तीन दिन के लिये ऑफिस नहीं गया। उसे शायद पता भी नहीं था कि मैं बीमार हूँ। एक दिन उस का फोन आया कि क्या बात है ऑफिस क्यों नहीं आ रहे हो। मैंने बताया कि बुखार की वजह से नहीं आ रहा हूँ। वह बोली कि आज मुझ से कॉफी हाउस में मिलो। मैंने कहा कि मैं नहीं आ पाऊँगा तो वह बोली कि देख लो नहीं तो मैं तुम्हारें घर आ जाऊँगी। मुझे उस के बारे में पता था वह ऐसा कर भी सकती थी। मैं घर से बहाना बना कर उस से मिलने के लिये कॉफी हाउस निकल गया। कॉफी हाउस में वह एक कोने की मेज पर बैठी मिली। मुझे देख कर बोली कि बीमार तो लग रहे हो।

अब तुम्हें यकीन आया

हाँ पहले लगा कि किसी और के साथ घुम रहे होगे

किस के साथ मेरा चक्कर चल रहा है?

तुम्हें नहीं पता?

नहीं, मुझे तो लगा कि मैं तुम्हारे साथ हूँ

सब जानते है कि जो सारे दिन तुम्हारे साथ रहती है उसी के साथ चक्कर है, वह भी दो दिन से नहीं आ रही है

तभी तुम मेरी इतनी चिन्ता कर रही हो

मेरा मजाक मत बनाओ

पांच लड़कियां मेरे साथ काम करती है उन सब के साथ चक्कर हो सकता है

मुझे सब पता है

तुम्हें कुछ नहीं पता है, इतने दिन से बीमार हूँ तुम ने मेरी खबर भी नहीं ली है

मुझे क्या सपना आ रहा था कि तुम बीमार हो?

तुम्हे कौन छोड़ने आ रहा था

मैं अपने आप आ रही थी

अचानक ऐसा कैसे हो गया?

बस हो गया

तुम को मैं समझ नहीं पा रहा हूँ

क्यों समझना चाहते हो

पता तो चले कि तुम किस के साथ हो

तुम्हे नहीं पता कि किस के साथ हूँ

नहीं पता

अपने दिल पर हाथ रख कर कहो

ऐसा नहीं कर सकता

तुम झुठे हो

मैं या तुम

हम ऐसे ही लड़ते रहेगे?

पता नहीं

बैठो, कुछ खाते है

मैं बैठ गया और कॉफी और सैंडविच ऑडर कर दिये। कुछ देर बाद वेटर आ कर दोनों चीजें रख गया। मैं कॉफी पीने लगा। वह बोली कि सारे ऑफिस में यह अफवाह है कि तुम सीमा के साथ दो दिन से घुम रहे हो। मैंने कहा कि तुम तो सच पता कर सकती थी। एचआर को पता है कि मैं बीमार हूँ। उस ने किसी को यह नहीं बताया है,

मैं खुद उस से पुछने गयी थी। वह बोली कि उसे कोई खबर नहीं है।

अब क्या हाल है तुम्हारा?

बुखार कम हो गया है। लेकिन बहुत कमजोरी है, बड़ी मुश्किल से यहाँ तक आया हूँ

मुझे बता तो सकते थे

तुम्हारा फोन नंबर नहीं है

मुझे लगा कि किसी काम से कहीं बाहर गये होगे, लेकिन जब यह सुना कि तुम सीमा के साथ घुम रहे हो तो रहा नहीं गया

काश ऐसा होता

मुझे चिढ़ाने में मजा आता है

तुम चिढ़ती क्यों हो। मैं तो अपने मन की बात बता रहा था। तुम तो मेरे साथ डेट पर जाती नहीं हो, और किसी के साथ डेट की भी ना सोचुँ

सोचना भी मत

तुम भी मेरे साथ मत चलना

आज आ तो गयी तुम्हारे साथ डेट पर

ऐसी डेट का क्या फायदा कुछ कर भी नहीं सकते

क्या करना चाहते हो डेट पर

जो सब करते है वो ही

तुम बदमाश, तुम सब लड़के एक जैसे हो

तुम लड़कियां बहुत शरीफ हो

मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है

यही तो रोना है कुछ नहीं किया

करुँ तो रोना नहीं

तुम्हारी हिम्मत नहीं है कुछ करने की

मुझे ललकारों मत कुछ कर दूँगा तो रोयोगी

देखेते है कितना दम है तुम मैं

हम दोनों कॉफी हाउस से निकल कर ऐसे ही घुमने लगे। कब हम दोनों ने एक दूसरे का हाथ थाम लिया पता ही नहीं चला। एक पार्क मे कोने में दोनों बैठ गये। भावना बोली कि तुम पता करना कि यह बात किस ने फैलायी है कि तुम सीमा के साथ घुम रहे हो। मैंने कहा कि सिर्फ एचआर ही ऐसा कर सकती है। उसे ही पता है कि मैं बीमार हूँ वह ही जानती होगी कि सीमा क्यों नहीं आ रही है। भावना बोली कि इस में एचआर का क्या फायदा है।

तुम्हें नहीं पता वह भी मेरे आगे पीछे घुमती रहती है

पता है तुम्हारे पीछे तो ऑफिस की हर लड़की घुमती रहती है। मुझे पता है कि मेरी हालत क्या होती है उन की बातें सुन कर

क्या बातें?

लड़कियो वाली बातें

कैसी बाते

तुम लड़कों के मतलब की नहीं है

हमारे बारे में बाते, हमारे ही मतलब की नहीं है यह क्या हूआ

हर बात में टांग मत घुसेड़ो

अच्छा बोलो अब क्या विचार है

कही चले

फिल्म देखे

चलो

हम दोनों पास के सिलेमाहाल पहुँचे और टिकट लेकर अंदर आ कर बैठ गये। दोनों का ध्यान फिल्म पर नहीं था मैं उसे देख रहा था और वह कनखियों से मुझे देख लेती थी कुछ देर बाद उस का सिर मेरे कंधें पर आ कर टिक गया और मेरे नथुनों में उसकी खुशबु आने लगी। मैंने अंधेरा होते ही उस के गाल पर चुम लिया। वह बिना किसी हरकत के बैठी रही। मैं आगे बढना चाहता था लेकिन उस का ध्यान रख कर मन मसोस लिया। फिल्म खत्म होने तक हम दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे बैठे रहे। फिल्म खत्म होने के बाद जब हॉल से बाहर निकले तो भावना बोली कि तुम्हें तो बहुत तेज बुखार है। मैंने कहा कि अब तुम्हें यकीन हुआ कि मैं सच में बीमार हूँ। वह बोली कि हाँ अब यकीन हुआ है नहीं तो लग रहा था कि तुम झुठ बोल रहे हो। मैं उस की बात सुन कर गुस्सा होने ही वाला था कि वह बोली कि मुझे माफ कर दो मैंने बेवजह तुम पर शक किया।

मैं उसे घर छोड़ने लगा तो वह बोली कि तुम मुझे रास्ते में छोड़ देना मैं बस पकड़ कर चली जाऊँगी। मैंने वैसा ही किया।

सही होने पर मैं ऑफिस जाने लगा। भावना कुछ दिनों बाद मेरे साथ ऑफिस गयी। उस दिन हम जल्दी ऑफिस पहुँच गये तो वह मेरे साथ ही कार में चली आयी। ऑफिस मैंने ही खोला। मैं अपने रुम में जा कर बैठा ही था कि भावना मेरे पास आयी और बोली कि उस दिन डेट पर तुम कुछ भुल गये थे यह कह कर उस ने मेरा चेहरा पकड़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये। कुछ देर तक मैं उस के होंठो कर रस पीता रहा फिर हम दोनों अलग हो गये। भावना इस के बाद कमरे से बाहर चली गयी। सारे दिन वह मुझे दिखायी नहीं दी। शाम को मैं जब घर के लिये निकलने लगा तो वह मुझे बस स्टाप पर खड़ी मिली। मैंने कार रोक कर उसे बिठा लिया।

तुम मुझे बता सकती थी।

नहीं ऐसे ही सही है।

नहीं सही नहीं है यहाँ अगर किसी ने देख लिया तो वह गलत समझेगा। ऑफिस से साथ जाना सही रहेगा।

तुम कुछ समझते नहीं हो

क्या तुम यहाँ पर किसी और के इंतजार में खड़ी थी

तुम्हारे दिमाग में यह बात कैसे आयी

बस आ गयी

तुम बताओ फिर तुम्हारे साथ कैसे जा रही हूँ

क्या पता मैं नहीं बता सकता

चुप तो रह सकते हो

क्या बात है आज नाराज क्यो हो?

जैसे तुम्हें नहीं पता

कैसे पता होगा, सुबह तुम किस करती हो, सारे दिन शक्ल नहीं दिखाती, शाम को यह रुप, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है

हम दोनों चुपचाप बैठे रहे। रास्ते में एक जगह सुनसान आती थी वहाँ मैंने कार किनारे पर लगा कर रोक दी और बंद कर दी। भावना बोली कि क्या बात है। मैंने कहा कि कुछ करना है वह बोली कि बदमाशी नहीं करो। मैं चुपचाप उस के ऊपर आ गया और सीट लिटा कर उस के ऊपर लेट गया और उस को चुमना शुरु कर दिया नीचे से उत्तेजना के कारण मेरे कुल्हें जोर जोर से हिल कर भावना की जाँघों पर प्रहार कर रहे थे। हाथ उस की छाती पर फिर रहे थे। इस से ज्यादा कुछ करना नहीं चाहता था मेरा उद्देश्य केवल उसे डराना था। प्यार की बजाय क्रोध अधिक था। कुछ देर तक मैं उसे तड़फड़ाता रहा, इस दौरान मैं डिस्चार्ज हो गया। इस के बाद मैं उस के ऊपर से उठ कर अपनी सीट पर आ गया। भावना चुप थी कुछ कह नहीं रही थी। मैंने कार स्टार्ट की और घर की तरफ चल दिया। रास्ते में हम दोनों चुपचाप बैठे रहे। भावना को बस स्टाप पर छोड़ कर घर आ गया।

घर आ कर मेरा दिमाग परेशान रहा कि भावना मेरे इस कारनामे पर क्या रियेक्ट करेगी?

मैंने उसे फोन नहीं किया। दूसरे दिन सुबह मैं सोच रहा था कि आज भावना मेरे साथ नहीं जायेगी लेकिन वह मुझे स्टाप पर मिल गयी। मैंने उसे कार में बिठा लिया। हम दोनों काफी देर तक चुप रहे फिर भावना ने चुप्पी तोड़ी। वह बोली कि कल तुम्हारी हरकत ने मेरे सारे कपड़ें खराब कर दिये थे तुम तो मजे से घर चले गये थे। मुझ से पुछो कि मैं घर कैसे पहुँची थी। मैंने उस की तरफ देखा तो वह मेरी तरफ देख कर बोली कि मेरी सलवार गिली हो गयी थी। कुछ बता नहीं सकते थे बस शुरु हो गये। मैंने कहा कि कपड़ें तो मेरे भी खराब हो गये थे। लेकिन उस समय पता नहीं क्या हो गया था मैं बता नहीं सकता। मुझे तुम पर बहुत गुस्सा आ रहा था शायद उस गुस्से में मैंने ऐसा किया। मैं असल में ऐसा कुछ करना नहीं चाहते था।

तुम कुछ भी सही तरह नहीं कर सकते हो

मैं तो कुछ करना ही नहीं चाहता था

आराम से कह कर कर सकते थे

सॉरी

अब सॉरी किस बात का, ना तुम्हें मजा आया ना मुझे मजा आया, डर लगा सो अलग

आगे से ध्यान रखुँगा

किस बात का घ्यान रखोगे

कि तुम से ऐसी हरकत दूबारा ना करुँ

तुम कुछ समझते क्यों नही हो?

क्या नहीं समझ रहा, कह तो रहा हूँ कि आगे से नहीं करुँगा

मैं मना कहाँ कर रही हूँ बस मुझे पहले बता देना

गलत तो गलत है

अब यह सब बंद करो और चुपचाप गाड़ी चलाओ, कल मेरी सारी पेंटी गिली हो गयी थी, पानी से सलवार भी गिली हो गयी थी। चलना भी मुश्किल हो रहा था

मेरी ब्रीफ की गिली थी। मैं भी जोर से डिस्चार्ज हुआ था। पेंट तक दाग आ गये थे

ऐसे करने का क्या फायदा दोनों परेशान हुये और दोनों को मजा भी नहीं आया। कभी जब जगह सही होगी तो करेगे।

तुम चाहती हो कि हम रिलेशन बनाये?

इतनी देर से क्या समझाने की कोशिश कर रही हूँ मेरे बुद्धु महाराज कि मेरा भी मन है लेकिन कल जैसे नहीं

मुझे लगा कि तुम नाराज हो?

तुम्हारा दिमाग कहा है इतनी देर से तुम कुछ सुन ही नहीं रहे हो, अपनी कहे जा रहे हो, क्या बात है

कुछ नहीं दिमाग परेशान है

उस का यह हल है कि तुम मेरे साथ जबरदस्ती करो, अगर किसी को शिकायत कर दी तो पता है क्या होगा तुम्हारा?

सब पता है लेकिन कल पता नहीं दिमाग खराब हो गया था, इस लिये सॉरी कहा था, माफ कर दो

माफ कर दिया अब शान्त हो जाओ मैं किसी से कुछ नहीं कहुँगी

हमारे साथ कुछ भी सही तरीके से क्यों नहीं होता

तुम हर बात में जल्दबाजी करते हो, पहले से मुझ से बात क्यों नहीं करते?

तुम भी तो हर समय लड़ती रहती हो, मैंरे ऊपर वैसे ही काम का बहुत बोझ है तुम्हे सब पता है

हाँ सब पता है लेकिन मुझ से आराम से बात किया करो नहीं तो मैं तुम्हें छोड़ दूँगी

छोड़ दो

मुझे पता है तुम्हारी हरकत के पीछे यही राज है कि मैं तुम से परेशान हो कर तुम्हें छोड़ दूँ, यह तो मैं नहीं करुँगी

जैसी तुम्हारी मर्जी सब कुछ तुम अपनी मर्जी का ही तो करती हो

भावना का स्टाप आ गया था मैं रुकने लगा तो वह बोली कि तुम चलों मैं आगे से आटो में चली जाऊँगी आज तुम से बात करना जरुरी है

क्या बात करना

यही कि अगर मेरी गलती है तो मुझे डाँटों, मारो लेकिन अपने आप से ऐसा बदला क्यों ले रहे हो, मुझे पता है कि तुम मुझ से कुछ गलत नहीं कर सकते, तुम से रिलेशन रहे ना रहे विश्वास हमेशा रहेगा।

बहुत बड़ी बात कह रही हो

पता है कि तुम मेरा कुछ बुरा नहीं कर सकते, कल भी मुझे पता था कि तुम मुझे डरा रहे हो और कुछ नहीं करोगे

अभी क्या कह रही थी

वह मेरे मन की बात थी जब मौका मिलेगा तब करुँगी

भावना तुझे समझना मेरे बस की बात नहीं है

तो समझते क्यों हो

तो क्या करुँ

बस प्यार करो

कैसे

जैसे दूनिया करती है

वैसे तो मैं कर नहीं सकता कि तेरे पीछे भागा-भागा फिरता रहुँ मेरे पास इतना समय नहीं है तुमें पता है

मुझे सब पता है तभी तो तुम्हारे साथ हूँ

दूसरा कोई मिलने तक मेरे साथ वक्त काट रही हो

ऐसा भी कह सकते हो

मैं ही क्यों

यह नहीं बता सकती

तुम कभी मुझे धोखा मत देना

कह नहीं सकती, आगे का बता नहीं सकती

हमारी बहस का कोई अंत नहीं था मेरा घर आ रहा था भावना उतर गयी और आटो कर के चली गयी। मैं भी अपने घर आ गया। रात को मैंने सोचा कि मैं तो उसे डरा रहा था लेकिन आज तो वह ही मुझे डरा गयी। मैं इस लड़की से कभी पार नहीं पा पाऊँगा। ना इस से मेरा पीछा छुटेगा। भावना मेरे लिये अनबुझ पहेली बनती जा रही थी। मैं जितना उस से दूर जाना चाहता था वह उतना ही मेरे पास आती जा रही थी। इस बात के खतरें से में परेशान था लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था। मुझे पता था भावना का मेरे लिये लगाव स्थाई नहीं है वह जब मुझ से सुन्दर लड़के को ढुढ़ लेगी मुझे उसके लिये छोड़ देगी। ऐसा मैंने कई लड़कों के साथ होता देखा था। मुझे यह भी डर था कि हमारा यह संबंध बढ़ कर कोई और रुप ना ले ले। इस चक्रव्यूह से निकलने का कोई साधन मुझे नहीं मिल रहा था।

हमारी कहानी ऐसी ही चल रही थी तभी एक दिन कंपनी ने बाहर घुमने का कार्यक्रम बनाया। सब लोग घुमने के लिये पहाड़ी पर्यटन स्थल पर पहुँच गये। मैं भी इन सब में शामिल था। सब लोग मजा ले रहे थे। मैं किसी और बात की चिन्ता में घुला जा रहा था। रात को लड़कियां अलग कमरों में सोने गयी और लड़के अलग कमरों में सो रहे थे। मैं अलग कमरें में था। सुबह पता चला कि रात को भावना को बहुत तेज बुखार आ गया था। अब उस का हाल-चाल पुछना जरुरी था। मैं जब उस के कमरें में पहुँचा तो वह जग कर बैठ गयी थी और चाय पी रही थी। मुझे आया देख कर वह उठने को हुई तो मैंने उसे रोक दिया। बुखार के बारे में पुछा तो पता चला कि अब नहीं है। वह ऐसी हालत में भी घुमने के लिये तैयार थी। सब लड़कियां तैयार हो रही थी इस लिये मैं उन के कमरें से बाहर आ गया। मुझे उस के बुखार की कथा समझ में नहीं आयी।

घुमते में जब एकान्त मिला तो मैंने उस से पुछा कि रात को क्या हुआ था? उस ने कोई जबाव नहीं दिया। साथ की लड़कियों से जब बात हुई तो पता चला कि उन के कमरे की खिड़की का शीशा टुटा हुआ था, रात को किसी ने कमरे में घुसने की कोशिश की थी। इसी वजह से शायद डर के कारण भावना को बुखार आया था।

वह जब से यहाँ आयी थी एक लड़के के साथ ही घुम रही थी। यह बात सब लोगों ने नोटिस की थी। मुझे भी यह बात बतायी गयी और मैंने खुद इस बात को देखा। मुझे समझ आ गया कि यह लड़का ही रात को उस से मिलेने या कुछ करने आया होगा उसी के डर के कारण मैडम को बुखार आ गया था। अब मेरे हाथ उस की कमजोर नस आ गयी थी। मुझे पता नहीं था कि मैं इसे कैसे इस्तेमाल करुँगा लेकिन मैं इस का इस्तेमाल करके भावना से छुटकारा पाना चाहता था।

वापस आ कर एक दिन शाम को घर जाते में मैंने भावना से पुछा कि उस दिन दीपक आया था तुम्हारें कमरे में तो वह चौक गयी और बोली कि तुम को कैसे पता? मैंने कहा कि बोलो सच बोल रहा हूँ या गलत तो वह बोली कि हाँ वही था उस के ऐसे आने के कारण वह बहुत डर गयी थी और उसे बुखार आ गया था।

कब से चक्कर चल रहा है।

कोई चक्कर नहीं है

सारे ऑफिस को पता है

जिस को पता चलना चाहिये उसे ही पता नहीं है

मैं जानना भी नहीं चाहता, लेकिन अब पता है

जलन हो रही है

क्यों

कोई और मुझे चाह रहा है

तुम्हें कोई भी चाहे इससे मेरे को जलन नहीं होती है

तुम झुठ बोल रहे हो

सच बोल रहा हूँ

तुम तो बहुत बहादूर हो, केवल उस के आने से ही बुखार हो गया, या और कुछ हुआ था

बेकार की बातें मत करो

और क्या करुँ

जलों मत

मैं क्यों जलुँगा, मेरी बला से तुम दोनों कुछ भी करो

फिर यह पुछताछ क्यों कर रहे हो

मेरा उदेश्य उस दिन की घटना को समझना है, मेरे कानों में जो पड़ रहा है उस की सच्चाई जाननी है

सच्चाई जान कर क्या करोगे?

अपने आप को अलग कर लुँगा

कैसे

मेरे मुँह से कुछ गन्दा मत निकलवायो

बोलो जो बोलना चाहते हो, खुद करो तो सही और करें तो गन्दा

मैंने क्या किया

जैसे तुम्हें पता नहीं

माफी तो माँग ली थी

तुम्हारा दिमाग गन्दा है

अच्छा है गन्दे दिमाग वाले को छोड़ दो

मेरी मर्जी

अच्छा बता तो दो क्या हुआ था?

जो तुम सोच रहे हो वही हुआ था, लेकिन मेरे डर की वजह से वह भाग गया था और मैं डर के मारे कांप रही थी।

किसी और ने देखा

नहीं कमरे में और बाहर अंधेरा था

तुम्हें कैसे पता कि कौन था

मुझे पता है

हो सकता है मैं ही हूँ

तुम नहीं हो सकते क्यो कि तुम्हें तो रोज मौका मिलता है कुछ करते नहीं हो

उस का कुछ करना है

नहीं उस को छोड़ दो उस की शादी पक्की हो गयी है

इस लिये मैडम ने पैर पीछे खींच लिये है

जो भी सही समझो

लेकिन तुम्ही उस से चिपकी जा रही थी सारे ऑफिस ने देखा था

मेरी गलती थी, तब तक मुझे शादी के बारे में पता नहीं था, शाम को पता चला था

तुम्हारे यह ऐडवेन्चर कब बंद होगे?

जब कोई मिल जायेगा

हर किसी को इतनी आजादी मत दिया करो किसी दिन कुछ हो जायेगा

जिसको दे रखी है वह तो कुछ करता नहीं

उसे तुम्हारे मान सम्मान की चिन्ता है

मैं दूसरों के साथ घुमती हूँ तब तुम्हें गुस्सा नहीं आता

आता है लेकिन तुम्हारी आदत जानने के कारण कुछ कर नहीं सकता

रोकते क्यो नहीं हो

जैसे तुम मेरे रोकने से रुक जाओगी

तुम रोक कर तो देखो

अभी क्या कर रहा हूँ

पुछताछ

क्यों अगर तुम मेरी कुछ नहीं लगती हो तो क्यो परेशान हुँ कभी सोच कर देखा है

नहीं

भगवान ने इतनी अक्ल दी है उस का इस्तेमाल करो और इस सब के बारे से सोचो सब समझ में आ जायेगा

पहले कुछ बोलते क्यो नहीं हो

तुम कुछ सुनती कहाँ हो

अब से तुम्हारी सब बाते मानुँगी

बढ़िया है मैं भी देखता हूँ तुम कितने दिन ऐसा करती हो

तुम्हे मेरी परेशानी पता नही है

रोज मेरे साथ जाती हो, बताती क्यो नहीं हो

तुम सुनना नहीं चाहते

सुनाओ

किसी और दिन बात करेगे

वो दिन कभी नहीं आयेगा

क्या करुँ

हमें यह रिलेशन तोड़ देना चाहिये, इस में दम नही है

मैं तुम से दूर नहीं रह सकती हूँ, मैंने कर के देखा है मुझ से होता नहीं है

कुछ दिन और बातों में ध्यान दो, बाद में इस बारे में बात करेगे

मैंने उसे बस स्टाप पर छोड़ दिया और घर चल दिया। इस लड़की से छुटकारा पाना मुश्किल होने वाला था यह मैं समझ गया था। मैं उस दिन को दोष दे रहा था जब मैं इस में फंसा था। रात को भावना का फोन आया कि वह समय पर घर पहुँच गयी थी और मैं उस की चिन्ता ना करुँ।

वह अब मेरे साथ खुल कर अपनी बातें करने लगी थी। किस लड़के के साथ उस का प्रेम प्रसंग चल रहा है कौन उस पर लाइन मार रहा है अब यह सब वह खुद मुझे बताती थी। मैं भी निर्लिप्त हो कर सब सुनता रहता था। उसे भी मुझे सब सुना कर चिड़ाने में मजा आता था। लेकिन मैं उस से बिल्कुल अलग होना चाहता था लेकिन हो नहीं पा रहा था। एक दिन भावना मुझ से बोली कि तुम मेरा एक काम कर दो। मैंने पुछा कि क्या काम है तो वह बोली कि मुझे पैडिड ब्रा चाहिये। मैंने पुछा कि उसे इस की क्या जरुरत है तो जबाव मिला कि सब को भरे हुये अच्छे लगते है तुम ने तो कभी कहा ही नहीं। मैंने उसे बताया कि वह पतली है जब उस का शरीर भर जायेगा तो उस के स्तन भी भारी हो जायेगे। यह कोई आसामान्य बात नहीं है। वह बोली कि मुझे या तो कोई दवा ला के दो या ब्रा ला कर दो।

मैंने कहा कि एक काम तो वह रोज कर सकती है कि किसी भी तेल से अपने स्तनों की मालिश किया करे जिसने रक्त का प्रवाह बढ़ जाने से उन का साईज भी बढ़ जायेगा। वह बोली कि यह तो मैं कर लुंगी लेकिन आप मेरा यह काम कर दो। मैंने कहा कि उसे किसी दिन मेरे साथ चलना पड़ेगा तभी कुछ हो सकता है। मैं अकेला तो ब्रा नहीं ला सकता हूँ। वह बोली कि आज पहली बार आप ने सही बात करी है। मैं किसी छुट्टी वाले दिन आप के साथ चलुगी। मैंने हाँ में सर हिला दिया।

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